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Tuesday, 26 March 2019

दो मित्रो के बीच घृणा पैदा करने का मन्त्र

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ॐ नमो नारायणाय (अमुकस्यामुकेन ) सह विद्वेष कुरु कुरु स्वाहा।

सर्प की हड्डी की माला को नेऋत्य दिशा की और मुह करके 21 दिन तक रोज एक माला का जप करे । अमुक की जगह दोनों दोस्तों का नाम लिखे । इस से घनिष्ठ मित्र भी शत्रु बन जायेंगे ।


Wednesday, 7 November 2018

महाकाली शाबर मंत्र सिद्धि

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महाकाली शाबर मंत्र सिद्धि | इस शाबर मंत्र से माँ काली को शीघ्र प्रसन्न करें |



|| महाकाली शाबर मंत्र साधना ||

महाकाली , माँ दुर्गा का ही प्रचंड रूप है जिनका जन्म धर्म की रक्षा करने के लिए और पापियों और दुष्टों का नाश करने के लिए हुआ है | महाकाली – महा और काली जिसका अर्थ है काल और समय भी इसके अधीन है | माँ काली को माँ दुर्गा की 10 महाविद्याओं में से एक माना गया है | दिखाई देने में जिस प्रकार माँ काली जितनी प्रचंड दिखती है अपने भक्तों पर उतनी ही जल्दी कृपा भी करती है |





हनुमान जी , भैरव जी और महाकाली इन तीनों शक्तियों को कलियुग में जागृत माना गया है | अर्थात थोड़े से भक्ति भाव से ये प्रसन्न होकर अपने भक्तो  का उद्धार करते है |  महाकाली की उपासना करने से जीवन में सुख -शांति , शक्ति व बुद्धि का विकास होता है | इसके साथ -साथ सभी प्रकार के भय आदि से मुक्ति भी मिलती है |

माँ काली की उपसना करने वाले व्यक्ति को उनकी पूजा विधिवत करनी चाहिए और यदि किसी भी प्रकार का आपने यदि संकल्प लिया हुआ है तो कार्य पूर्ण होने पर उसे पूरा अवश्य करें अन्यथा माँ काली रुष्ट भी जो जाती है और उनका प्रकोप भी झेलना पड़ सकता है |

महाकाली शाबर मंत्र :-

आज हम आपको एक ऐसे शाबर मंत्र के विषय में बता रहे है जिसके प्रयोग से महाकाली शीघ्र प्रसन्न होती है | आप किसी भी मनोकामना पूर्ती हेतु इस शाबर मंत्र को सिद्ध कर सकते है | मंत्र इस प्रकार है : –

ॐ काली घाटे काली माँ |
पतित पावनी काली माँ |
जवा फूले |
स्थुरी जले |
सेई जवा फूल में सीआ बेड़ाए |
देवीर अनुर्बले |
एहि होत करिवजा होइवे |
ताही काली धर्मेर |
वले काहार आज्ञे राठे |
काली का चंडीर आसे |

मंत्र सिद्ध करने की विधि : –

वैसे तो शाबर मंत्र अपने आप में सिद्ध मंत्र होते है किन्तु इन मन्त्रों में प्रबलता लाने के लिए और अपने कार्य को सिद्ध करने के लिए कुछ जाप करने जरुरी होते है | तो आइये जानते है उपरोक्त शाबर मंत्र को सिद्ध करने की विधि के विषय में :

शनिवार  शाम को 7 से 10 के बीच में कोई एक समय निश्चित कर ले और आसन बिछाकर पूर्व दिशा की तरफ मुख करके बैठ जाये | अब आप हाथ में थोडा जल लेकर संकल्प ले |

अपने साथ में एक गोला (पका हुआ नारियल ) इसे छोटे- छोटे टुकडो में तोड़ ले | एक मिटटी का खुला बर्तन जैसे की मटके का ढक्कन या इससे बड़ा हो तो भी उचित होगा पर मिटटी का होने चाहिए | अब एक गाय के गोबर के उपले (कंडा ) को भी अपने पास में रख ले | थोड़ी मात्रा में जलने वाला कपूर और घी रखे | अब आप अपनी क्षमता अनुसार जितने भी मंत्र जाप कर सकते है उनकी संख्या निश्चित कर उतनी संख्या के बराबर आधे लोंग और आधे इलाइची लेकर रख ले |

अब आप गोबर के उपलों (कंडो ) द्वारा मिटटी के बर्तन में कपूर की सहायता से अग्नि प्रज्वलित करें | अब आप मंत्र का जाप आरम्भ कर दे और प्रत्येक मंत्र के बाद आप एक लोंग या एक इलाइची अग्नि में डाल दे | थोड़े -थोड़े समय पश्चात् घी और नारियल का गोला जिसके छोटे छोटे टुकड़े किये है उन्हें भी डालते रहे | घी और गोले को आपको प्रत्येक मंत्र के बाद अग्नि में डालने की आवश्यकता नही है , यह सिर्फ इसलिए है कि अग्नि लगातार प्रज्वलित होती रहे |

इस प्रकार आप प्रत्येक मंत्र के बाद एक लोंग या इलाइची को अग्नि में छोड़ते चले जाये | आपको किसी प्रकार के दीपक जलाने या माला लेने की आवश्यकता नही है | बस आप दी गयी विधि अनुसार मंत्र जाप करते जाये | जैसे ही आप अपने मंत्र जाप पूरे करते है अब आप फिर से हाथ में जल लेकर फिर से संकल्प ले |

इस क्रिया को आप शनिवार को शुरू कर 7 शनिवार तक प्रतिदिन करें | इस प्रकार 7 शनिवार तक इस प्रकार करने से यह मंत्र सिद्ध हो जाता है | अब आप किसी भी मनोकामना पूर्ती हेतु इस मंत्र का प्रयोग कर सकते है | आप अपने कार्य में अवश्य सफल होंगे |

मंत्र प्रयोग विधि : –

इस मंत्र को सिद्ध करने के पश्चात आप जिस मनोकामना को माँ काली द्वारा पूर्ण करवाना चाहते है उसे मन ही मन ध्यान में रखते हुए इस मंत्र को तीन बार जाप करें और अपनी दाहिनी हथेली पर फूंक लगाये | आपकी मनोकामना शीघ्र ही पूर्ण होगा।

ग्रहण के समय एक ही दिन में इस मंत्र को सिद्ध कर सकते है


स्त्री शाबर वशीकरण मंत्र

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स्त्री वशीकरण ! इस शाबर मंत्र के प्रयोग से करें- किसी भी स्त्री को अपने वश में |




|| स्त्री शाबर वशीकरण मंत्र ||

शाबर मंत्र बहुत ही प्रभावशाली मंत्र होते है | ये अपने आप में सिद्ध होते है इसलिए कुछ मंत्र जाप से ही इन मंत्रो में प्रबलता आनी आरम्भ हो जाती है | देसी व ग्रामीण भाषा में लिखे होने के साथ -साथ इनमे गुरु की आन , दुहाई , व दूध हराम इस प्रकार के शब्द प्रयोग होते है जो देव को आपका कार्य पूर्ण करने पर पूर्णतया बाध्य करते है |





आज हम आपको एक ऐसे ही शाबर वशीकरण मंत्र के विषय में बताने जा रहे है जिसको यदि विधि अनुसार प्रयोग किया जाये तो किसी भी स्त्री को अपने वश में किया जा सकता है | यह एक स्त्री शाबर वशीकरण मंत्र है और इसका प्रयोग केवल स्त्री को ही वश में करने के लिए करना चाहिए |

स्त्री वशीकरण विधि : –

गुरूवार के दिन शाम के समय आप अपने घर पर एक स्थान सुनिश्चित कर ले | उस स्थान पर एक आसन पर आप बैठ जाये | अब एक डिब्बी में थोडा नमक ले -ले | ध्यान दे डिब्बी पर ढक्कन अवश्य हो | अब आप इस डिब्बी को हाथ में लेकर इस से ढक्कन को हटा दे और नीचे दिए गये मंत्र का उच्चारण करें | एक मंत्र का उच्चारण करने के पश्चात आप डिब्बी में नमक की तरफ फूंक लगाये | इस प्रकार आप यह क्रिया 7 बार करें |  इस प्रकार सात बार इस नमक को अभिमंत्रित करने के पश्चात् अब आप इस डिब्बी को बंदकर  किसी सुरक्षित स्थान पर रख दे |

इसी क्रिया को आप प्रतिदिन 5वे गुरूवार तक करें | इस प्रकार लगातार 29 दिन तक 7 बार इस मंत्र को अभिमंत्रित करने से यह नमक पूर्णतया अभिमंत्रित हो जाता है | ध्यान दे ,जिस समय का आप चुनाव करते है , प्रतिदिन उसी समय पर यह क्रिया करें और एक भी दिन बीच में कार्य छोड़े नहीं |

मंत्र इस प्रकार है : –

                        ⇒   ” ॐ भगवती भग भाग दायिनी देव दत्तीं मम वश्यं कुरु कुरु स्वाहा ”  ⇐

इस मंत्र में जहाँ पर “देव दत्तीं ” शब्द आया है | आप इसके स्थान पर अभिलाषित स्त्री नाम ले |

अब 29 दिन बाद आप इस नमक को अभिलाषित स्त्री को खिला दे | ऐसा करने के पश्चात अब आप जैसे ही उस स्त्री से बात करेंगे वह आपके वशीभूत होनी शुरू हो जाएगी |

जरुरी सूचना :-  यदपि, शाबर मंत्र अपना प्रभाव कभी नही खोते , किन्तु फिर भी इस प्रकार के शाबर मंत्र द्वारा किसी का भी अहित किया जा सकता है इसलिए आप इस प्रकार के मंत्र का प्रयोग केवल मानव कल्याण के उद्देश से ही करें तो उचित होगा ||


नमक द्वारा वशीकरण (Namak dwara Vashikaran )

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शाबर मंत्र : नमक द्वारा वशीकरण (Namak dwara Vashikaran ) :



ॐ भगवती भग भाग दायिनी देव |
दत्तीं मम वश्यं कुरु कुरु स्वाहा |



इस मंत्र का प्रयोग स्त्री को वशीभूत करने के लिए किया जाता है | ( मंत्र में देवदंती) के स्थान पर अभिलाषित स्त्री का नाम बोलें | इस मंत्र के द्वारा गुरुवार के दिन प्रसन्न मुद्रा में एक आसन पर बैठ जाये और एक डिब्बी में थोड़ा सा नमक ले ले , अब इस नमक को उपरोक्त मंत्र द्वारा 7 बार अभिमंत्रित करे | ऐसा आपको गुरुवार से शुरू कर प्रतिदिन ठीक इसी समय पर 5 गुरुवार तक करना है 5 वे गुरुवार को इस प्रकार करने के पश्चात् यह नमक अभिमंत्रित हो जाता है |अब आप इस नमक को अभिलाषित स्त्री को खाने में या पीने में ग्रहण करवा दे | ऐसा करने से वह स्त्री आपके वशीभूत हो जाएगी |


पान द्वारा वशीकरण (Paan dwara Vashikaran )

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शाबर मंत्र : पान द्वारा वशीकरण (Paan dwara Vashikaran ) :



श्री राम नाम रबेली अकनकबीरी |
सुनिए नारी |
बात हमारी |
एक पान संग मंगाय |
एक पान सेज सौं लावै |
मक पान मुख बुलावै |
हमको छोड़ और को देखै तो तेरा कलेजा मुहम्मद वीर चक्खे |



इस मंत्र से आप पान को 21 बार अभिमंत्रित करके किसी भी स्त्री को खिलाएंगे तो वह तुरंत आपकी मित्र बन जाती है | और यदि आप दूसरी बार इसी प्रकार से पान को उसी स्त्री को खिलाओगे तो वह स्त्री आपके साथ सबंध बनाने के लिए तैयार हो जाएगी | और तीसरी बार इसी प्रकार से पान अभिमंत्रित करके खिलाने से वह स्त्री किसी और पुरुष की कल्पना भी नहीं करेगी |


गुड़ द्वारा वशीकरण ( Gud dwara Vashikaran )

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शाबर मंत्र : गुड़ द्वारा वशीकरण ( Gud dwara Vashikaran ) :-



ॐ नमो गुड़ |
गुड़ रे तू गुड़ |
गुड़ तामड़ा मसान |
केलि करन्ता जा |
उसका देग उमा |
सब हर्षे हमारी आस |
खसम को देखे |
जलै बलै |
हमको देवै सकि रुचलै |
चालि चालि रे कालिका के पूत |
जोगी जंगम और अवधूत |
सोती होय, जगाय लाव |
न लावै तो माता कालिका की |
शय्या पर पाँव धरै |
शब्द साँचा |
पिंड काँचा |
फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा |
सत्य नाम आदेश गुरु का |

शनिवार के दिन भैरो बाबा की पूजा करे और पूजा करने के बाद थोड़ा सा गुड़ लेकर , इस गुड़ को इस मंत्र द्वारा 21 बार अभिमंत्रित करे | अब इस गुड़ को आप जिस भी स्त्री को खिलाओगे उसे ही अपनी सेज पर पाओगे | इस मंत्र का लाभ केवल विवाहित स्त्री से ही प्राप्त होता है |


आँखों द्वारा वशीकरण ( Aankho dwara Vashikaran)

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शाबर मंत्र : आँखों द्वारा वशीकरण ( Aankho dwara Vashikaran) :-



एं भग भुगे भगनी भागोदरि भगमाले यौनि
भगनिपतिनि सर्वभग संकरी भगरूपे नित्य
क्लै भगस्वरूपे सर्व भगानि मे वशमानय
वरदेरेते सुरेते भग लिन्कने क्लीं न द्रवे क्लेदय
द्रावय अमोघे भग विधे क्षुभ क्षोभय सर्व
सत्वामगेश्वरी एं लकं जं ब्लूं ब्लूं भैं मौ बलूँ
हे हे क्लिने सर्वाणि भगानि तस्मै स्वाहा |



इस मंत्र का जाप करते हुए यदि किसी स्त्री से नजर मिलाई जाये तो वह वशीभूत जो जाती है |


चमेली के तेल द्वारा वशीकरण (Chameli ke Tel dwara Vashikaran)

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शाबर मंत्र : चमेली के तेल द्वारा वशीकरण (Chameli ke Tel dwara Vashikaran) :-

ॐ नमो मन मोहिनी |
मोहिनी चला |
गैर के मस्तक धरा |
तेल का दीपक जला |
जल मोहुँ |
थल मोहुँ |
मोहुँ सारा जगत |
मोहिनी रानी जा शैया पै ला |
न लाये तो गौरा पार्वती की दुहाई |
लोना चमारिन की दुहाई |
नहीं तो वीर हनुमान की आन |



चमेली का तेल एक डिब्बी में लेकर इसे अब उपरोक्त मंत्र द्वारा 7 बार जाप करके अभिमंत्रित कर ले | प्रत्येक मंत्र के बाद तेल में फूंक लगाए ऐसा 7 बार करने से तेल अभिमंत्रित हो जायेगा | अब आप इस तेल को जिस भी कामिनी पर छिड़क देंगे , वह स्त्री आपके वशीभूत हो जाएगी |


स्त्री वशीकरण (Stri Vashikaran )

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शाबर मंत्र : स्त्री वशीकरण (Stri Vashikaran ):-



काला कलुवा चौंसठ वीर |
ताल भागी तोर |
जहाँ को भेजू वहीं को जाये |
माँस – मज्जा को शब्द बन जाये |
अपना मारा , आप दिखावे |
चलत बाण मारु |
उलट मूठ मारु |
मार मार कलुआ |
तेरी आस चार |
चौमुख दिया |
मार बादी की छाती |
इतना काम मेरा न करे तो तुजे माता का दूध पिया हराम |



आप जिस भी स्त्री को अपने वश में करना चाहते है उसके बाएँ पाँव के नीचे की मिटटी लेकर इस मिटटी को इस मंत्र द्वारा 7 बार अभिमंत्रित कर ले और अब इस मिटटी को अभिलषित स्त्री के सिर पर डाल दे | ऐसा करने से वह स्त्री आपके वशीभूत जो जाएगी |
कृपया इस प्रकार के मंत्रो का आप गलत कार्य के लिए उपयोग कदापि न करें |


तिलक द्वारा वशीकरण (Tilak dwara Vashikaran )

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शाबर मंत्र : तिलक द्वारा वशीकरण (Tilak dwara Vashikaran ) :-



ॐ नमो आदेश गुरु को |
राजा मोहुँ |
प्रजा मोहुँ |
मोहुँ ब्राह्मण बनियाँ |
हनुमन्त ब्राह्मण बनियाँ |
हनुमन्त रूप मे जगत मोहूँ |
तो रामचन्द्र परमाणियाँ |
गुरु की शक्ति |
मेरी भक्ति |
फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा |





शनिवार के दिन सिन्दूरी हनुमान जी की प्रतिमा का पूजन करें और मूर्ति को सिन्दूर का चोला चढ़ाएं | इसके बाद इस मंत्र की एक माला का जाप करें | यह जाप आप 21 दिन तक लगातार करें | जब आवश्यकता हो यह मंत्र जाप करते हुए किसी चौराहे से मिटटी उठा लें और भाल का टीका लगातार अभिलाषित व्यक्ति के समक्ष जायें तो वह आपकी जी – हुजूरी करने लगेगा |


Tuesday, 30 October 2018

नवग्रह शाबर मन्त्र

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रविदेव हवन –
हवन सामग्रीः- गौघृत तथा अर्क की लकड़ी ।
दिशाः- पूर्व, मुद्रा-हंसी, संख्याः- ९ बार या १०८ बार ।
मन्त्रः- “सत नमो आदेश । गुरुजी को आदेश । ॐ गुरुजी । सुन बा योग मूल कहे बारी बार । सतगुरु का सहज विचार ।। ॐ आदित्य खोजो आवागमन घट में राखो दृढ़ करो मन ।। पवन जो खोजो दसवें द्वार । तब गुरु पावे आदित्य देवा ।। आदित्य ग्रह जाति का क्षत्रिय । रक्त रंजित कश्यप पंथ ।। कलिंग देश स्थापना थाप लो । लो पूजा करो सूर्य नारायण की ।
सत फुरै सत वाचा फुरै श्रीनाथजी के सिंहासन ऊपर पान फूल की पूजा चढ़ै । हमारे आसन पर ऋद्धि-सिद्धि धरै, भण्डार भरे । ७ वार, २७ नक्षत्र, ९ ग्रह, १२ राशि, १५ तिथि । सोम-मंगल शुक्र शनि । बुध-गुरु-राहु-केतु सुख करै, दुःख हरै । खाली वाचा कभी ना पड़ै ।। ॐ सूर्य मन्त्र गायत्री जाप । रक्षा करे श्री शम्भुजती गुरु गोरखनाथ । नमो नमः स्वाहा ।”
सोमदेव हवन –
हवन सामग्रीः- गौघृत तथा पलाश की लकड़ी ।
दिशाः- पूर्व, मुद्रा-हंसी, संख्याः- ९ बार या १०८ बार ।
मन्त्रः- “ॐ गुरुजी, सोमदेव मन धरी बा शून्य । निर्मल काया पाप न पुण्य ।। शशी-हर बरसे अम्बर झरे । सोमदेव गुण येता करें । सोमदेव जाति का माली । शुक्ल वर्णी गोत्र अत्री ।। ॐ जमुना तीर स्थापना थाप लो । कन्हरे पुष्प शिव शंकर की पूजा करो ।।
सत फुरै सत वाचा फुरै श्रीनाथजी के सिंहासन ऊपर पान फूल की पूजा चढ़ै । हमारे आसन पर ऋद्धि-सिद्धि धरै, भण्डार भरे । ७ वार, २७ नक्षत्र, ९ ग्रह, १२ राशि, १५ तिथि । मंगल रवि शुक्र शनि । बुध-गुरु-राहु-केतु सुख करै, दुःख हरै । खाली वाचा कभी ना पड़ै ।। ॐ सोम मन्त्र गायत्री जाप । रक्षा करे श्री शम्भुजती गुरु गोरखनाथ । नमो नमः स्वाहा ।”
मंगलदेव हवन –
हवन सामग्रीः- गौघृत तथा खैर की लकड़ी ।
दिशाः- पूर्व, मुद्रा-हंसी, संख्याः- ९ बार या १०८ बार ।
मन्त्रः- “ॐ गुरुजी, मंगल विषय माया छोड़े । जन्म-मरण संशय हरै । चन्द्र-सूर्य दो सम करै । जन्म-मरण का काल । एता गुण पावो मंगल ग्रह ।। मंगल ग्रह जाति का सोनी । रक्त-रंजित गोत्र भारद्वाजी ।। अवन्तिका क्षेत्र स्थापना थापलो । ले पूजा करो नवदुर्गा भवानी की ।।
सत फुरै सत वाचा फुरै श्रीनाथजी के सिंहासन ऊपर पान फूल की पूजा चढ़ै । हमारे आसन पर ऋद्धि-सिद्धि धरै, भण्डार भरे । ७ वार, २७ नक्षत्र, ९ ग्रह, १२ राशि, १५ तिथि । सोम-रवि शुक्र शनि । बुध-गुरु-राहु-केतु सुख करै, दुःख हरै । खाली वाचा कभी ना पड़ै ।। ॐ भोम मन्त्र गायत्री जाप । रक्षा करे श्री शम्भुजती गुरु गोरखनाथ । नमो नमः स्वाहा ।”
बुधग्रह हवन –
हवन सामग्रीः- गौघृत तथा अपामार्ग की लकड़ी ।
दिशाः- पूर्व, मुद्रा-हंसी, संख्याः- ९ बार या १०८ बार ।
मन्त्रः- “ॐ गुरुजी, बुध ग्रह सत् गुरुजी दिनी बुद्धि । विवरो काया पावो सिद्धि ।। शिव धीरज धरे । शक्ति उन्मनी नीर चढ़े ।। एता गुण बुध ग्रह करै । बुध ग्रह जाति का बनिया ।। हरित हर गोत्र अत्रेय । मगध देश स्थापना थापलो । ले पूजा गणेशजी की करै ।
सत फुरै सत वाचा फुरै श्रीनाथजी के सिंहासन ऊपर पान फूल की पूजा चढ़ै । हमारे आसन पर ऋद्धि-सिद्धि धरै, भण्डार भरे । ७ वार, २७ नक्षत्र, ९ ग्रह, १२ राशि, १५ तिथि । सोम-रवि शुक्र शनि । मंगल-गुरु-राहु-केतु सुख करै, दुःख हरै । खाली वाचा कभी ना पड़ै ।। ॐ बुध मन्त्र गायत्री जाप । रक्षा करे श्री शम्भुजती गुरु गोरखनाथ । नमो नमः स्वाहा ।”
गुरु (बृहस्पति) हवन –
हवन सामग्रीः- गौघृत तथा पीपल की लकड़ी ।
दिशाः- पूर्व, मुद्रा-हंसी, संख्याः- ९ बार या १०८ बार ।
मन्त्रः- “ॐ गुरुजी, बृहस्पति विषयी मन जो धरो । पाँचों इन्द्रिय निग्रह करो । त्रिकुटी भई पवना द्वार । एता गुण बृहस्पति देव ।। बृहस्पति जाति का ब्राह्मण । पित पीला अंगिरस गोत्र ।। सिन्धु देश स्थापना थापलो । लो पूजा श्रीलक्ष्मीनारायण की करो ।।
सत फुरै सत वाचा फुरै श्रीनाथजी के सिंहासन ऊपर पान फूल की पूजा चढ़ै । हमारे आसन पर ऋद्धि-सिद्धि धरै, भण्डार भरे । ७ वार, २७ नक्षत्र, ९ ग्रह, १२ राशि, १५ तिथि । सोम-रवि शुक्र शनि । मंगल-बुध-राहु-केतु सुख करै, दुःख हरै । खाली वाचा कभी ना पड़ै ।। ॐ गुरु मन्त्र गायत्री जाप । रक्षा करे श्री शम्भुजती गुरु गोरखनाथ । नमो नमः स्वाहा ।”
शुक्रदेव हवन
हवन सामग्रीः- गौघृत तथा गूलर की लकड़ी ।
दिशाः- पूर्व, मुद्रा-हंसी, संख्याः- ९ बार या १०८ बार ।
मन्त्रः- “ॐ गुरुजी, शुक्रदेव सोधे सकल शरीर । कहा बरसे अमृत कहा बरसे नीर ।। नवनाड़ी बहात्तर कोटा पचन चढ़ै । एता गुण शुक्रदेव करै । शुक्र जाति का सय्यद । शुक्ल वर्ण गोत्र भार्गव ।। भोजकर देश स्थापना थाप लो । पूजो हजरत पीर मुहम्मद ।।
सत फुरै सत वाचा फुरै श्रीनाथजी के सिंहासन ऊपर पान फूल की पूजा चढ़ै । हमारे आसन पर ऋद्धि-सिद्धि धरै, भण्डार भरे । ७ वार, २७ नक्षत्र, ९ ग्रह, १२ राशि, १५ तिथि । सोम-रवि मंगल शनि । बुध-गुरु-राहु-केतु सुख करै, दुःख हरै । खाली वाचा कभी ना पड़ै ।। ॐ शुक्र मन्त्र गायत्री जाप । रक्षा करे श्री शम्भुजती गुरु गोरखनाथ । नमो नमः स्वाहा ।”
शनिदेव हवन
हवन सामग्रीः- गौघृत तथा शमी की लकड़ी ।
दिशाः- पूर्व, मुद्रा-हंसी, संख्याः- ९ बार या १०८ बार ।
मन्त्रः- “ॐ गुरुजी, शनिदेव पाँच तत देह का आसन स्थिर । साढ़े सात, बारा सोलह गिन गिन धरे धीर । शशि हर के घर आवे भान । तौ दिन दिन शनिदेव स्नान । शनिदेव जाति का तेली । कृष्ण कालीक कश्यप गोत्री ।। सौराष्ट्र क्षेत्र स्थापना थाप लो । लो पूजा हनुमान वीर की करो ।।
सत फुरै सत वाचा फुरै श्रीनाथजी के सिंहासन ऊपर पान फूल की पूजा चढ़ै । हमारे आसन पर ऋद्धि-सिद्धि धरै, भण्डार भरे । ७ वार, २७ नक्षत्र, ९ ग्रह, १२ राशि, १५ तिथि । सोम-मंगल शुक्र रवि । बुध-गुरु-राहु-केतु सुख करै, दुःख हरै । खाली वाचा कभी ना पड़ै ।। ॐ शनि मन्त्र गायत्री जाप । रक्षा करे श्री शम्भुजती गुरु गोरखनाथ । नमो नमः स्वाहा ।”
राहु ग्रह हवन –
हवन सामग्रीः- गौघृत तथा दूर्वा की लकड़ी ।
दिशाः- पूर्व, मुद्रा-हंसी, संख्याः- ९ बार या १०८ बार ।
मन्त्रः- “ॐ गुरुजी, राहु साधे अरध शरीर । वीर्य का बल बनाये वीर ।। धुंये की काया निर्मल नीर । येता गुण का राहु वीर । राहु जाति का शूद्र । कृष्ण काला पैठीनस गोत्र ।। राठीनापुर क्षेत्र स्थापना थाप लो । लो पूजा करो काल भैरो ।।
सत फुरै सत वाचा फुरै श्रीनाथजी के सिंहासन ऊपर पान फूल की पूजा चढ़ै । हमारे आसन पर ऋद्धि-सिद्धि धरै, भण्डार भरे । ७ वार, २७ नक्षत्र, ९ ग्रह, १२ राशि, १५ तिथि । सोम-रवि शुक्र शनि । मंगल केतु बुध-गुरु सुख करै, दुःख हरै । खाली वाचा कभी ना पड़ै ।। ॐ राहु मन्त्र गायत्री जाप । रक्षा करे श्री शम्भुजती गुरु गोरखनाथ । नमो नमः स्वाहा ।”
केतु ग्रह हवन
हवन सामग्रीः- गौघृत तथा कुशा की लकड़ी ।
दिशाः- पूर्व, मुद्रा-हंसी, संख्याः- ९ बार या १०८ बार ।
मन्त्रः- “ॐ गुरुजी, केतु ग्रह कृष्ण काया । खोजो मन विषय माया । रवि चन्द्रा संग साधे । काल केतु याते पावे । केतु जाति का असरु जेमिनी गोत्र काला नुर ।। अन्तरवेद क्षेत्र स्थापना थाप लो । लो पूजा करो रौद्र घोर ।।
सत फुरै सत वाचा फुरै श्रीनाथजी के सिंहासन ऊपर पान फूल की पूजा चढ़ै । हमारे आसन पर ऋद्धि-सिद्धि धरै, भण्डार भरे । ७ वार, २७ नक्षत्र, ९ ग्रह, १२ राशि, १५ तिथि । सोम-रवि शुक्र शनि । मंगल बुध-राहु-गुरु सुख करै, दुःख हरै । खाली वाचा कभी ना पड़ै ।। ॐ केतु मन्त्र गायत्री जाप । रक्षा करे श्री शम्भुजती गुरु गोरखनाथ । नमो नमः..

Saturday, 12 May 2018

यंत्र साधना शाबर विधि से अबकी बार नवराते के साधना

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पन्द्रिया यंत्र साधना — साबर विधि से
पन्द्रिया यंत्र साधना — साबर पद्धती
जरुरी है| अतः इस साधना को उसी साधक को शुरू करना चाहिए जो इस साधना के नियम का पूर्ण शुद्धि से पालन करऔर जन कल्याण किया है | यह बहुत ही तीव्र  साधना है | इस में शुद्धि का
खास ध्यान ख़ास तौर पर  रखा जाता है।। अन्यथा तकलीफ हो सकती है ..|
हर  उस व्यक्ति का बहुत ही सौभाग्य उदय होता है जब ऐसी साधना प्राप्त होती है | मेरी नजर में ऐसा कोई काम  ही नहीं है।। जो इस साधना से पूरा ना हो | हिन्दू और इस्लामिक दोनों मतो में यह साधना की जाती
है|
मैंने कई मुसलमानी मौलवियों को भी इस यंत्र का प्रयोग करते हुए देखा है |
यह मैं स्वयं भी इस साधना का प्रयोग बहुत बार करके इसे परख चुका हूँ| और कई संतो ने भी इसे समय-समय पर सिद्ध किया है
यह साधना अगर शारदीय,चैत्र अथवा गुप्त नवरात्री में की जाये तो और भी फल मिलता है |
इसे सिद्ध करने के
लिए समय तो अवश्य ही लगेगा लेकिन अगर आप इसे सिद्ध कर ले तो किसी सिद्धि के
पीछे
भागने की आवश्कता नहीं है | इस में धैर्य बहुत जरुरी है और ब्रह्मचर्य  का
पालन भी
सके |
नियम  —
१. एक समय शुद्ध भोजन करे, फलाहार कभी भी ले सकते हैं |
२.ब्रह्मचर्य अनिवार्य है |
३.सत्य बोलने की
कोशिश करे |
४.किसी से व्यर्थ
में ना उलझें |
५.बड़ों का हमेशा सम्मान करें !
विधि
— शुद्ध धुले हुये वस्त्र  पहने सिले हुए ना हो तो जयादा बेहतर है (जैसे
धोती, चादर) | पीले लाल या सफ़ेद रंग के कपडे ज्यादा बेहतर है | लाल रंग
विशेष फल दाई  है !
२.शुद्ध घी का दीपक लगाये और एक बेजोट पर लाल वस्त्र बिछा कर  माता जगदम्बा का
सुन्दर चित्र स्थापत करें हर रोज पूजन करे और गुरु पूजन करे
और पूर्ण समर्पित भाव से साधना शुरू करे !
३.मन को विचलित ना
होने दे माता का दर्शन होने के बाद कन्या पूजन करे जा साधना पूर्ण होने के बाद
कन्या पूजन जरुरी है |
५.माता की हलवे का भोग लगा कर कन्या पूजन किया जा सकता है !
६. इस यंत्र को
निम्न मन्त्र पड़ते हए सवा लाख बार लिखना है और जितने रोज लिखो आटे में मिक्स कर के
गोलिया बना ले और मछलियों को डाल दे किसी तालाब या नदी पर जाकर |
इस यंत्र को जैसे नीचे दिया है बना ले |
साबर मंत्र —
ॐ  सात पूनम काल का बारह  बरस क्वार ,एको देवी जानिए चौदह भुवन द्वार द्वि पक्षे निर्मलिये तेरह देवन देव अष्ट भुजी परमेशवरी ग्यारह रूद्र सेव ,सोलह कला समपुरनी तिन नयन भरपूर दसो द्वारी तुही माँ , पांचो बाजे नूर ,नव निधि षट दर्शनी पन्द्रह तिथि जान चारो युग में कालका कर काली कल्याण ……!
ये मन्त्र थोडा उग्र  का है ..इसलिए सात्विकता बरतिए ..और इसे प्रयोग में  लाइए
इस मन्त्र का जप करते हुए उपर वाला यन्त्र लिखे और जब  साधना पूरी हो जाती है साधक के लिए कुछ भी दुर्लभ नहीं रहता |
प्रयोग  —
जिस किसी व्यक्ति पर कैसी भी प्रेत बाधा या किसी का किया तंत्र प्रयोग
(जैसे-मूठ) हो, तो इस यन्त्र को अष्ट गंध से लिख कर उस व्यक्ति को पहना
दिया जाये तो बाधा शांत हो जाती है |
कार्य सिद्धि के लिए इस यन्त्र को अपने साथ ले कर कार्य के लिए जा सकते है | मुक़दमे में विजय पाने के लिए  है और घर छोड़  कर
गये व्यक्ति  को
वापिस लाने के लिए इसका अचूक असर होता है वशीकरण  के लिए भी इसका प्रयोग  किया
जाता है आप पहले इसे सिद्ध कर ले इसके प्रयोग  तो सैकड़ो है उसे फिर
कभी दे दूंगा | यंत्र सिद्ध करते करते माँ का दर्शन हो जाता है ऐसा मेरा और
कई लोगो का अनुभव है |

शाबर मोहिनी बशिकरण अनुभूत

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मोहिनी वशीकरण शाबर मंत्र :
तेल तेल महा तेल! देखूं री मोहिनी तेरा खेल,
लौंग लौंगा लौंगा,बैर एक लौंग मेरी आती पाती ,दूसरी लौंग दिखाए छाती,
रूठी को मना लाए ,बैठी को उठा लाए ,सोती को जगा लाए ,चलती फिरती को लेवा लाए,
आकास की जोगनी,पताल का सिद्व ,
””जिसको वश में करना हो”” को लाग लाग री मोहिनी ,
तुझे भैरों की आन!!!
प्रयोग विधि:
यह वशीकरण मोहिनी शाबर प्रयोग है!आपको बस इतना करना है की किसी भी रविवार से इस प्रयोग को शुरू करें!रात 12 बजे यह प्रयोग करें!दिशा उत्तर और आसन लाल रंग का उत्तम है!दो साबुत फूलवाली लौंग अपने पास रखें !गूगल या लौबान की अगरबत्ती जलाएं और दीया सरसों के तेल का जलाएं !अपने पास पांच रंग की मिठाई और पांच गुलाब के फूल रखें!रोजाना 41 बार यह मंत्र पढ़े और जहाँ ””जिसको वश में करना हो”” लिखा हैं वहां जिसको वश में करना हो उसका नाम लें फिर दोनों लौंग पर फूंक मारें!ऐसा आपको 7 दिनों तक करना हैं!हर दिन 41 बार मंत्र को जप कर उन्ही लौंगो पर फूंक मारनी हैं!आपको रोज़ नए गुलाब के पांच फूल और नयी पांच रंग की मिठाई रखनी होगी!अब जब 7 दिन हो जाए तो आप उन दोनों लौंगो को अपने पास संभाल कर रख लें और जिसके नाम से यह मंत्र आपने पढ़ा हैं उसकी पीठ पर मारें!बसआपका काम हो जाएगा !प्रयोग के बाद मिठाई और फूल किसी नदी में परवाह कर दें !