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Wednesday, 11 April 2018

ऐसे करे हनुमान साधना

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हनुमान जी शीघ्र प्रसन्न होने वाले देव हैं। जो भक्त सेवा भाव से हनुमान जी की सेवा करता हैं वो हनुमान जी की दया रूपी छाव में निश्चिंत हो जाता हैं। किसी प्रकार का भय या डर उस जातक को नही डराता। हनुमान जी को प्रसन्न करना अत्यधिक सरल हैं। किसी भी विघ्न में हनुमान जी का स्मरण निर्विघ्न कर देता हैं। हनुमान जी सभी सिद्धियों के दाता हैं उन्हे प्रसन्न करके कोई भी सिद्धि व शक्ति को प्राप्त किया जा सकता हैं। 

हनुमान साधाना से पूर्व कुछ नियमों का ध्यान अवश्य रखें-
1- पूजन के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें।
2- निश्छल सेवा भावना रखें तथा क्रोध व अहं से पूर्णत: दूर रहें।
3- हनुमान जी को घी के लड्डू प्रसाद रूप में अर्पित करें।
4- तामसिक भोजन का परित्याग करें, अनुष्ठान के दौरान यदि सम्भव हो तो नमक का प्रयोग भी न करें। या मंगल वार के दिन व्रत करें उस दिन नमक सेवन न करें।

हनुमान साधना-
1- हनुमान जी को राम भकत अत्यधिक प्रिय हैं। तुलसीदास जी ने राम का स्मरण किया उन्हे हनुमान जी सहज प्राप्त हो गये। अत: रामायण का पाठ नित्य प्रेम पूर्वक करें। पूजन का समय एक ही रखें, बार-बार न बदलें। हनुमान जी को राम कथा इतनी पसंद हैं की वो राम कथा के कारण ही राम जी के साथ साकेत नहीं गये।
2- हनुमान चालीसा में तुलसीदास जी लिखते हैं की राम रसायन तुम्हरे पासा, यहां जिस राम रसायन के बारे में बताया गया हैं वो राम नाम का जाप ही हैं इसे अपने गले का हार बना लिजिये, आप हनुमान जी के चहेते बन जाओगे।
3- हनुमान चालीसा का प्रभाव अत्यधिक चमत्कारी हैं, इसका नित्य 11 बार पाठ करिये हनुमान जी खुद प्रसन्न होकर आप को वरदान देने आयेंगे। तुलसीदास जी को वाल्मिकी जी के पुनर्जन्म के रूप में जाना जाता हैं। इस विषय में कथा प्रचलित हैं की संसार की प्रथम रामयण हनुमान जी ने लिखि थी लेकिन वाल्मिकी की प्रसन्नता हेतु उसे समुद्र में प्रवाहित कर दिया था तब वाल्मिकी ने हनुमान जी को वचन दिया की थी की मेरा अगला जन्म आपकी गाथा लिखने के लिये होगा।

4- हनुमान साधना के कुछ तांत्रिक प्रयोग व मंत्र हैं जिनको साधकर हनुमान जी को प्रसन्न किया जा सकता हैं। यहां में कुछ बीज मंत्रों के बारे में वर्णन कर रहा हूं जिन में से किसी भी मंत्र का जाप हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जा सकता हैं। शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार से लाल आसन पर हनुमान जी की प्रतिष्ठित मूर्ति के सामने बैठ कर घी का दीपक जला कर लाल चंदन की माला अथवा मूंगे की माला पर नित्य 11 माला 40 दिन करने से सिद्धि प्राप्त होती है।
– ऊँ हुँ हुँ हनुमतये फट्।
-ऊँ पवन नन्दनाय स्वाहा।
– ऊँ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट।
– अष्टदशाक्षर मंत्र अत्यधिक चमत्कारी एवं हनुमान जी की कृपा देने वाला हैं, मंत्र महोदधी में वर्णित है कि जिस घर में इस मंत्र का जाप होता हैं वहां किसी प्रकार की हानि नही होती। धन-सम्पन्नता व खुशियां सर्वत्र फैली हुई होती हैं।  ‘नमो भगवते आन्जनेयाये महाबलाये स्वाहा’ इस मंत्र के देवता हनुमान हैं, ऋषि ईश्वर हैं, हुं बीज है, स्वाहा शक्ति हैं तथा अनुष्टुप छंद है। इस मंत्र का 10000 बार जप करना चाहिये तथा दशांस हवन करना चाहिये।

– हनुमान जी के कुछ प्रसिद्ध मंत्र जिनकी साधना करने से समस्त प्रकार के दुख: व संकट हमेशा के लिये नष्ट हो जाते हैं। 41 दिनों तक नित्य 3 या 7 माला घी का दीपक जला कर उसके सम्मुख जाप करें संयम पूर्वक इन मंत्रों को जाप करें।
– ओम नमों हनुमते रुद्रावताराय विश्वरूपाय अमित विक्रमाय प्रकटपराक्रमाय महाबलाय सूर्य कोटिसमप्रभाय रामदूताय स्वाहा।
– ओम नमो हनुमते रुद्रावताराय सर्वशत्रुसहांरणाय सर्वरोगाय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा।
– ओम नमो हनुमते रुद्रावतराय वज्रदेहाय वज्रनखाय वज्रसुखाय वज्ररोम्णे वज्रनेत्राय वज्रदंताय वज्रकराय वज्रभक्ताय रामदूताय स्वाहा। जय श्री रा

हनुमान जी की कृपा से मिलेगी अष्ट सिद्धि, नव निधि

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  हनुमानजी रुद्र के ग्यारहवें अवतार हैं तथा अतुलित बल के स्वामी हैं। हनुमान जी को अनेक देवों की शक्तियां प्राप्त है। हनुमान जी के पास राम रसायन रूपी महाशक्ति है। तुलसीदास जी  लिखते हैं,  हनुमान जी के पास अष्ट सिद्धि व नव निधियां हैं तथा सीता जी के वरदान स्वरूप  ये किसी को भी अष्ट सिद्धि नव निधि प्रदान कर सकते हैं-
अष्ट सिद्धि नव निद्धि के दाता
अस वर दीन्ह  जानकी माता..
इन सिद्धियों का प्रभाव अत्यधिक चमत्कारी हैं, जो असम्भव को सम्भव कर  सकती हैं। हनुमान जी इनके बल पर अनेकों अचरज भरे कार्य करते हैं। चाहे वो पर्वत उठाना हो या सुक्ष्म शरीर करना हो इन सिद्धियों द्वारा ही पूर्ण होते है। इस लेख में मैं आपकों इन सिद्धियों के बारे में बताउंगा तथा इन्हें कैसे प्राप्त किया जा सकता हैं उस बारे में बताऊंगा-
मार्कंडेय पुराण और ब्रह्मवैवर्त पुराण में सिद्धियों का उल्लेख आया है-
अणिमा लघिमा गरिमा प्राप्ति: प्राकाम्यंमहिमा तथा। ईशित्वं च वशित्वंच सर्वकामावशायिता:। (अणिमा, लघिमा, गरिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य,महिमा, ईशित्व और वशित्व)
अणिमा – इस सिद्धि द्वारा शरीर अत्यधिक सुक्ष्म हो जाता हैं। अणु या कण के समान होना।
महिमा – इस सिद्धि द्वारा साधक अपने शरीर को विशालकाय बना सकता है। प्राय: असुरों के पास यह सिद्धि रहती थी।
गरिमा – इस सिद्धि से मनुष्य अपने शरीर को जितना चाहे, उतना भारी बना सकता है। महाभारत में भीम हनुमान जी की पूंछ को उठा नही पाया था। उस समय हनुमान जी ने इसी सिद्धि का प्रयोग किया था।
लघिमा- इस सिद्धि द्वारा साधक अपने शरीर को पुष्प से भी हल्का बना सकता हैं।
प्राप्ति – इस सिद्धि द्वारा किसी भी मनवांछित वस्तु की प्राप्ती की जा सकती हैं।
प्राकाम्य – इस सिद्धि द्वारा व्यक्ति किसी भी रूप में परिवर्तित हो सकता है व कुछ भी कर सकता है, समुद्र पर चल सकता है, आकाश में उड सकता है।
ईशित्व – ईश्वर की अनुकम्पा प्राप्त कर ईश्वर के समान हो जाता है।
वशित्व – इस सिद्धि द्वारा सम्पूर्ण जगत को अपने प्रभाव में किया जा सकता है या किसी को भी वश में किया जा सकता हैं।
नौ निधियां  : –
निधियां कई प्रकार की होती हैं। इन निधियों द्वारा जातक अतुलित धन सम्पदा से युक्त होने के साथ-साथ तत्व और प्रकृति का भी स्वामी होता है। ये प्रमुख निधियां इस प्रकार हैं-
1 पद्म निधि। 2. महापद्म निधि। 3. नील निधि। 4. मुकुंद निधि। 5. नन्द निधि। 6. मकर निधि
7. कच्छप निधि। 8. शंख निधि। 9. खर्व निधि।

Friday, 1 September 2017

मुकदमें में विजय पाने के कुछ खास उपाय / टोटके

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    जब  भी आप अदालत में जाएँ तो किसी भी हनुमान मंदिर में धूप अगरबत्ती जलाकर, लड्डू या गुड चने का भोग लगाकर एक बार हनुमान चालीसा और बजरंग बान का पाठ करके संकटमोचन बजरंग बलि से अपने मुकदमे में सफलता की प्रार्थना करें .........आपको निसंदेह सफलता प्राप्त होगी
    आप जब भी अदालत जाएँ तो गहरे रंग के कपड़े ही पहन कर जाएँ ।

    अपने अधिवक्ता को उसके काम की कोई भी वास्तु जैसे कलम उपहार में अवश्य ही प्रदान करें ।

    अपने कोर्ट के केस की फाइलें घर में बने मंदिर धार्मिक स्थान में रखकर ईश्वर से अपनी सफलता, अपनी रक्षा के लिए प्रार्थना करें ।

    यदि ग्यारह हकीक पत्थर लेकर किसी मंदिर में चदा दें और कहें की मैं अमुक कार्य में विजय होना चाहता हूँ तो निश्चय ही उस कार्य में विजय प्राप्त होती है ।

    यदि आप पर कोई मुसीबत आन पड़ी हो कोई रास्ता न सूझ रहा हो या आप कोर्ट कचहरी के मामलों में फँस गए हों, आपका धैर्य जबाब देने लगा हो, जीवन केवल संघर्ष ही रह गया हो, अक्सर हर जगह अपमानित ही महसूस करते हों, तो आपको सात मुखी, पंचमुखी अथवा ग्यारह मुखी रुद्राक्ष धारण करने चाहियें ।

    मुकदमे में विजय हेतु कोर्ट कचहरी में जाने से पहले ५ गोमती चक्र को अपनी जेब में रखकर , जो स्वर चल रहा हो वह पाँव पहले कोर्ट में रखे अगर स्वर ना समझ आ रहा हो तो दाहिना पैर पहले रखे , मुकदमे में निर्णय आपके पक्ष में होने की संभावना प्रबल होगी ।

    जब आप पहली बार मुकदमें से वापिस आ रहे तो रास्ते में किसी भी मजार में गुलाब का पुष्प अर्पित करते हुए ही अपने निवास पर आएँ ।

    यदि किसी व्यक्ति का कोर्ट कचहरी में कोई मुकदमा चल रहा हो और उसमें उसको दण्ड मिलने की / हारने की सम्भावना हो तो वह अपने वजन के बराबर कोयले को बहते पानी में बहाये, ईश्वर से अपने इस जन्म और पिछले जन्मो के पापो के लिए क्षमा मांगे और अपनी किसी भी बुरी आदत को हमेशा के लिए त्याग दें , इससे उसको न्यायालय से लाभ मिलने के योग बढ़ जायेंगे ।

    मुकदमें अथवा किसी भी प्रकार के वाद विवाद में सफलता हेतु लाल ध् सिंदूरी मूँगा त्रिकोण की आक्रति का सोने या तांबे मिश्रित अंगूठी में बनवाकर उसे दाहिने हाथ के अनामिका उंगली में धारण करें , इससे सफलता की संभावना और अधिक हो जाती है ।

    षष्ठी तिथि के स्वामी भगवान शिव के पुत्र और देवताओं के सेनापति भगवान कार्तिकेय हैं। इनकी कृपा से निर्भयता प्राप्त होती है, राजद्वार , मुक़दमे आदि में सफलता मिलती है ।
    मुक़दमे / राज द्वार में विजय प्राप्त करने के लिए षष्टी की शाम को नियमपूर्वक किसी भी शिव मंदिर में जाकर भगवान कार्तिकेय के सामने तेल के 6 दीपक जला कर उनसे अपने मुकदमें में , शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करें , सफलता प्राप्त होती है।

    जीवन में सभी प्रकार के कष्टों और संकटों को दूर करने के लिए , मुक़दमे में विजय के लिए नित्य एवं षष्टी के दिन तो अनिवार्य रूप से भगवान कार्तिकेय के गायत्री मंत्र
    "ओम तत्पुरुषाय विधमहे: महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कन्दा प्रचोद्यात:॥"
    का जाप अवश्य ही करना चाहिए ।

    जिनकी कुंडली में मंगल की दशा चल रही हो या कोई जातक मुक़दमे में फंसा हो तो उसे भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है ।

    षष्टी के दिन भगवान कार्तिकेय पर नीला रेशमी धागा चढ़ाकर उसे अपनी बाँह में बाँधने से शत्रु परास्त होते है, मुक़दमे , राजद्वार, समाज में विजय मिलती है।

    प्रतियोगी परीक्षा में सफलता के उपाय

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    आज के युग में हर विद्यार्थी चाहता है कि उसका भविष्य उज्जवल हो, वह जीवन में बहुत आगे बड़े, उसकी शिक्षा सार्थक हो, उसका श्रेष्ठ कैरियर हो। उसके लिए वह बहुत सी प्रतियोगी परीक्षा pratiyogi praiksha की तैयारी करता है, उनमें बैठता है , अथक परिश्रम करता है । लेकिन श्रेष्ठ कैरियर, shresth carier प्रतियोगी परीक्षा pratiyogi praiksha में कम्पटीशन बहुत ज्यादा होता है, और स्थान बहुत ही कम , अत: बहुत से विद्यार्थी लाख प्रयास के बाद भी अपना इच्छित स्थान नहीं प्राप्त कर पाते है ।

    ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि आप अपनी कड़ी और योजनाबद्ध मेहनत के साथ कुछ आसान सी बातो को ध्यान में रखे तो आपको अपने परिश्रम के उत्कर्ष परिणाम प्राप्त होते है । यहाँ पर हम आपको कुछ आसान से उपाय बता रहे है जिससे आपको प्रतियोगी परीक्षा में सफलता अवश्य ही प्राप्त कर सकेंगे,
    जानिए प्रतियोगी परीक्षा में सफलता उपाय, pratiyogi pariksha me safalta ke upay, श्रेष्ठ कैरियर के उपाय,shresth cariyer ke upay ।

    ब्राम्ही का नित्य सेवन करने वाले विधार्थियों की बुद्धि त्रीव होती है स्मरण शक्ति बडती है इसलिए उन्हें परीक्षा में शानदार सफलता प्राप्त होती हैं।

    विद्यार्थियों को परीक्षा में अपने पास कपूर और फिटकरी रखनी चाहिए, इससे एकाग्रता बनी रहती है। इससे मानसिक रूप से मजबूती आती है नकारात्मक ऊर्जा भी दूर होती हैं ।

    किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में सफलता प्राप्ति हेतु हर गुरुवार को नियम से किसी भी गाय को पीले पेड़े अवश्य खिलाये ।

    विद्यार्थी को चहिये की वह गणेश चालीसा का पाठ करें और बुधवार को गणपति जी को बेसन के लड्डू और दूर्वा अर्पित करें।

     विद्यार्थी को चाहिए की वह अपनी पड़ाई की मेज या कमरे की ईशान की दीवार पर माँ सरस्वती की तस्वीर जरुर लगायें और रोज उनसे बेहतर विद्या प्राप्ति के लिए आग्रह करें ।

    परीक्षा देने जाते समय यदि छात्र मीठा दही या अन्य कोई भी मीठा खाकर जाये तो उसे निश्चित ही सफलता प्राप्त होती है ।

    परीक्षा में शत प्रतिशत सफलता के लिए विद्यार्थी छात्र छात्रा को रोज नियम से उगते हुए सूर्य देव को फूल ,लाल चंदन, चावल आदि डालकर जल चडाने एवं उनका ध्यान करने से अति विशेष लाभ की प्राप्ति होती है , इस नियम का जीवन पर्यंत पालन करने से व्यक्ति को जीवन में सदैव सफलता की प्राप्ति होती है ।