Tuesday, 25 July 2017
क्यों होता है संतान प्राप्ति मैं विलम्ब
क्यों होता है संतान प्राप्ति में विलंब
संतति सुख के लिए पंचम स्थान, पंचमेश, पंचम स्थान पर शुभाशुभ प्रभाव व बृहस्पति का विचार मुख्यत: किया जाता है। ज्योतिष के अनुसार मेष, मिथुन, सिंह, कन्या ये राशियाँ अल्प प्रसव राशियाँ हैं। वृषभ, कर्क, वृश्चिक, धनु, मीन ये बहुप्रसव राशियाँ हैं।
* पंचम स्थान में पाप ग्रह हो तो संतति सुख में बाधा आती है।
* पंचमेश यदि 6, 8,12 में हो या 6, 8,12 के स्वामी पंचम में हो तो संतान सुख बाधित होता है।
* पंचमेश अशुभ नक्षत्र में हो तो संतान प्राप्ति में विलंब होता है।
* पंचम का राहु पहली संतान के लिए अशुभ होता है।
* लग्न पर पाप प्रभाव हो तो संतति विलंब से होती है।
* लग्न, षष्ठ, सप्तम या अष्टम का मंगल संतान प्राप्ति में विलंब कराता है। (स्त्री-पुरुष दोनों की कुंडली में)
* स्त्री की कुंडली में लग्न पंचम, सप्तम, भाग्य या लाभ में शनि हो तो संतान देर से होती है।
* सूर्य-शनि युति संतान प्राप्ति में विलंब और संतान से मतभेद दिखाती है।
* प्रथम या सप्तम का मंगल (स्त्री के लिए) कष्ट से संतान प्राप्ति का सूचक है।
* पंचम स्थान पर पापग्रहों की दृष्टि संतान प्राप्ति में विलंब कराती है।
* पत्रिका (कुंडली) में गुरु राहु युति हो व पंचम स्थान पाप प्रभाव में हो तो दत्तक संतान का योग बनता है।
संतति सुख के लिए पंचम स्थान, पंचमेश, पंचम स्थान पर शुभाशुभ प्रभाव व बृहस्पति का विचार मुख्यत: किया जाता है। ज्योतिष के अनुसार मेष, मिथुन, सिंह, कन्या ये राशियाँ अल्प प्रसव राशियाँ हैं। वृषभ, कर्क, वृश्चिक, धनु, मीन ये बहुप्रसव राशियाँ हैं।
* पंचम स्थान में पाप ग्रह हो तो संतति सुख में बाधा आती है।
* पंचमेश यदि 6, 8,12 में हो या 6, 8,12 के स्वामी पंचम में हो तो संतान सुख बाधित होता है।
* पंचमेश अशुभ नक्षत्र में हो तो संतान प्राप्ति में विलंब होता है।
* पंचम का राहु पहली संतान के लिए अशुभ होता है।
* लग्न पर पाप प्रभाव हो तो संतति विलंब से होती है।
* लग्न, षष्ठ, सप्तम या अष्टम का मंगल संतान प्राप्ति में विलंब कराता है। (स्त्री-पुरुष दोनों की कुंडली में)
* स्त्री की कुंडली में लग्न पंचम, सप्तम, भाग्य या लाभ में शनि हो तो संतान देर से होती है।
* सूर्य-शनि युति संतान प्राप्ति में विलंब और संतान से मतभेद दिखाती है।
* प्रथम या सप्तम का मंगल (स्त्री के लिए) कष्ट से संतान प्राप्ति का सूचक है।
* पंचम स्थान पर पापग्रहों की दृष्टि संतान प्राप्ति में विलंब कराती है।
* पत्रिका (कुंडली) में गुरु राहु युति हो व पंचम स्थान पाप प्रभाव में हो तो दत्तक संतान का योग बनता है।
Ruchi Sehgal
Thursday, 13 July 2017
सावन में शिव जी को प्रसन्न करने के आसान उपाय
कहा जाता है कि शिवजी को प्रसन्न करने के लिए सावन माह में उनका विशेष पूजन करना चाहिए. इस पूजा-अर्चना के दौरान आपको उनसे मनचाहा वरदान पाने के लिए कुछ खास चीजों को अर्पण करना चाहिए.
जानें किन चीजों के अभिषेक से शिव जी आपकी पुकार सुनेंगे-
1. सावन में रोज 21 बिल्वपत्रों पर चंदन से 'ऊं नम: शिवाय' लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं. इस एक उपाय से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी.
2. अगर घर में किसी भी प्रकार की परेशानी हो तो सावन में रोज सुबह घर में गोमूत्र का छिड़काव करने के साथ ही गुग्गुल धूप जलाएं.
3. विवाह में आ रही अड़चन दूर करने के लिए सावन में रोज शिवलिंग पर केसर मिला दूध चढ़ाएं. इससे विवाह के योग जल्दी बनते हैं.
4. सावन में रोज नंदी (बैल) को हरा चारा खिलाएं. इससे जीवन में सुख-समृद्धि आएगी और मन प्रसन्न रहेगा.
5. सावन में गरीबों को भोजन कराने से आपके घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती और साथ ही पितरों को भी शांति मिलती है.
6. सावन में रोज सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निपट कर मंदिर जाएं और भगवान शिव का जल से अभिषेक करने के साथ ही काले तिल अर्पण करें. इसके बाद मंदिर में कुछ देर बैठकर मन ही मन में 'ऊं नम: शिवाय' मंत्र का जाप करें. इससे मन को शांति मिलेगी.
7. सावन में किसी नदी या तालाब जाकर आटे की गोलियां मछलियों को खिलाएं और साथ ही साथ मन में भगवान शिव का ध्यान करते रहें. यह धन प्राप्ति का सबसे आसान उपाय है.
8. आमदनी बढ़ाने के लिए सावन के महीने में किसी भी दिन घर में पारद शिवलिंग की स्थापना करें और उसकी यथा विधि पूजन करें. इस दौरान इस मंत्र का 108 बार जाप करें -
ऐं ह्रीं श्रीं ऊं नम: शिवाय: श्रीं ह्रीं ऐं
प्रत्येक मंत्र के साथ बिल्वपत्र पारद शिवलिंग पर चढ़ाएं. बिल्वपत्र के तीनों दलों पर लाल चंदन से क्रमश: ऐं, ह्री, श्रीं लिखें. अंतिम 108 वां बिल्वपत्र को शिवलिंग पर चढ़ाने के बाद निकाल लें और इसे घर के पूजन स्थान पर रखकर प्रतिदिन पूजा करें.
ऐं ह्रीं श्रीं ऊं नम: शिवाय: श्रीं ह्रीं ऐं
प्रत्येक मंत्र के साथ बिल्वपत्र पारद शिवलिंग पर चढ़ाएं. बिल्वपत्र के तीनों दलों पर लाल चंदन से क्रमश: ऐं, ह्री, श्रीं लिखें. अंतिम 108 वां बिल्वपत्र को शिवलिंग पर चढ़ाने के बाद निकाल लें और इसे घर के पूजन स्थान पर रखकर प्रतिदिन पूजा करें.
9. संतान प्राप्ति के लिए सावन में किसी भी दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद भगवान शिव का पूजन करें. इसके पश्चात गेहूं के आटे से 11 शिवलिंग बनाएं और प्रत्येक शिवलिंग का शिव महिम्न स्त्रोत से 11 बार जलाभिषेक करें.
इस जल का कुछ भाग प्रसाद के रूप में ग्रहण करें. यह प्रयोग लगातार 21 दिन तक करें. गर्भ की रक्षा के लिए और संतान प्राप्ति के लिए गर्भ गौरी रुद्राक्ष भी धारण करें. इसे किसी शुभ दिन शुभ मुहूर्त देखकर धारण करें.
इस जल का कुछ भाग प्रसाद के रूप में ग्रहण करें. यह प्रयोग लगातार 21 दिन तक करें. गर्भ की रक्षा के लिए और संतान प्राप्ति के लिए गर्भ गौरी रुद्राक्ष भी धारण करें. इसे किसी शुभ दिन शुभ मुहूर्त देखकर धारण करें.
10. सावन में किसी सोमवार को पानी में दूध व काले तिल डालकर शिवलिंग का अभिषेक करने से बीमारियां दूर होती हैं. अभिषेक के लिए तांबे के बर्तन को छोड़कर किसी भी धातु का उपयोग किया जा सकता है.
इसके बाद भगवान शिव से रोग निवारण के लिए प्रार्थना करें और प्रत्येक सोमवार को रात में सवा नौ बजे के बाद गाय के सवा पाव कच्चे दूध से शिवलिंग का अभिषेक करने का संकल्प लें.
इसके बाद भगवान शिव से रोग निवारण के लिए प्रार्थना करें और प्रत्येक सोमवार को रात में सवा नौ बजे के बाद गाय के सवा पाव कच्चे दूध से शिवलिंग का अभिषेक करने का संकल्प लें.
नमक करेगा हर हर समस्या का समाधान
नमक का इस्तेमाल जिस तरह से खाने को लजीज बना देता है उसी तरह नमक अपके जीवन को भी मजेदार बना सकता है ऐसा वास्तु विज्ञान का मत है। वास्तु विज्ञान के अनुसार नमक में गजब की शक्ति होती है जो न सिर्फ आपके घर को सकारात्मक उर्जा से भर देती है बल्कि आपके घर में सुख समृद्धि भी बढ़ाने का काम करती है। लेकिन इसके लिए सिर्फ खाने में नमक नहीं कई दूसरे कामों में भी नमक का प्रयोग करना होगा।
नमक का इस्तेमाल जबसे खाने में होता है करीब-करीब उस समय से नमक को नकारात्मक उर्जा दूर करने वाला भी माना जाता रहा है। इसलिए नमक का इस्तेमाल नजर दोष उतारने के लिए भी किया जाता है। अगर आपको लगता है कि आपको या आपके परिवार के किसी सदस्य को नजर लगी है तो एक चुटकी नमक लेकर तीन बार उसके ऊपर से घुमाकर बाहर फेंक दें। कहते हैं इससे नजर दोष खत्म हो जाता है।
वास्तु विज्ञान के अनुसार शीशे के प्याले में नमक भरकर शौचालय और स्नान घर में रखना चाहिए इससे वास्तुदोष दूर होता है। इसका कारण यह है कि नमक और शीशा दोनों ही राहु के वस्तु हैं और राहु के नकारात्मक प्रभाव को दूर करने का काम करते हैं। राहु नकारात्मक उर्जा और कीट-कीटाणुओं का भी कारक माना गया है। जिनसे घर में सुख समृद्धि और स्वास्थ्य प्रभावित होता है।
शीशे के बर्तन में नमक भरकर घर के किसी कोने में रखने से घर में सकारात्मक उर्जा का संचार होता है। राहु, केतु की दशा चल रही हो या जब मन में बुरे-बुरे विचार या डर पैदा हो रहे हों तब यह प्रयोग बहुत लाभ देता है।
डली वाला नमक लाल रंग के कपड़े में बांधकर घर के मुख्य द्वार पर लटकाने से घर में किसी बुरी ताकत का प्रवेश नहीं होता है। कारोबर में उन्नति के लिए अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान के मुख्य द्वार पर और तिजोरी के ऊपर लटकाना लाभप्रद माना गया है।
नमक का इस्तेमाल जबसे खाने में होता है करीब-करीब उस समय से नमक को नकारात्मक उर्जा दूर करने वाला भी माना जाता रहा है। इसलिए नमक का इस्तेमाल नजर दोष उतारने के लिए भी किया जाता है। अगर आपको लगता है कि आपको या आपके परिवार के किसी सदस्य को नजर लगी है तो एक चुटकी नमक लेकर तीन बार उसके ऊपर से घुमाकर बाहर फेंक दें। कहते हैं इससे नजर दोष खत्म हो जाता है।
वास्तु विज्ञान के अनुसार शीशे के प्याले में नमक भरकर शौचालय और स्नान घर में रखना चाहिए इससे वास्तुदोष दूर होता है। इसका कारण यह है कि नमक और शीशा दोनों ही राहु के वस्तु हैं और राहु के नकारात्मक प्रभाव को दूर करने का काम करते हैं। राहु नकारात्मक उर्जा और कीट-कीटाणुओं का भी कारक माना गया है। जिनसे घर में सुख समृद्धि और स्वास्थ्य प्रभावित होता है।
शीशे के बर्तन में नमक भरकर घर के किसी कोने में रखने से घर में सकारात्मक उर्जा का संचार होता है। राहु, केतु की दशा चल रही हो या जब मन में बुरे-बुरे विचार या डर पैदा हो रहे हों तब यह प्रयोग बहुत लाभ देता है।
डली वाला नमक लाल रंग के कपड़े में बांधकर घर के मुख्य द्वार पर लटकाने से घर में किसी बुरी ताकत का प्रवेश नहीं होता है। कारोबर में उन्नति के लिए अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान के मुख्य द्वार पर और तिजोरी के ऊपर लटकाना लाभप्रद माना गया है।
रात को सोते समय पानी में एक चुटकी नमक मिलकार हाथ पैर धोने से तनाव दूर होता है और नींद अच्छी आती है। राहु और केतु के अशुभ प्रभाव भी इससे दूर होते हैं।
घर में सकारात्मक उर्जा की वृद्धि के लिए रॉक साल्ट लैंप रख सकते हैं। वास्तु विज्ञान के अनुसार यह पारिवारिक जीवन में आपसी तालमेल के साथ ही सुख समृद्धि को बढ़ाने में भी सहायक होता है। स्वास्थ्य संबंधी मामलों में भी यह सकारात्मक प्रभाव डालता है।
Subscribe to:
Posts
(
Atom
)