Jeevan dharam

Krishna sakhi is about our daily life routine, society, culture, entertainment, lifestyle.

Wednesday, 26 July 2017

क्या कृष्ण व पांडव एक ही वंश के थे is krishna and pandav are from same family

No comments :
बहुत ही पुरानी कथा है, दैत्य गुरु शुक्राचार्य की बेटी देवयानी का विवाह किया महाराजा नहुष के पुत्र ययाति से हुआ था, और इस तरह से नहुष के बाद ययाति राजा बने, लेकिन, विवाह के पहले शुक्राचार्य ने सख्त हिदायत दी थी कि, मेरी बेटी के अलावा किसी से भी तुम सम्बन्ध नही रखोगे, और दोनों का जीवन सुखमय भी व्यतीत हो रहा था किंतु, देवयानी की दासी शर्मिष्ठा जोकि दानव वंश से थी वो इतनी सुन्दर थी की ययाति उस पर रीझे हुए थे, एक दिन शर्मिष्ठा कुएँ में गिर गई तो उसे निकाला ययाति ने और अपने प्रेम का कर इजहार कर दिया, लेकिन कहते हैं, कि, इश्क व मुश्क छुपाये नहीं छुपता है, लेकिन शुक्राचार्य की वजह से दोनों खुल के सामने नहीं आ सके, ऐसे में ययाति ने शर्मिष्ठा से छुपकर के विवाह कर लिया, लेकिन एक दिन देवयानी ने ही देख ही लिया दोनों को प्रेमालाप करते, तब उसने अपने पिता से शिकायत की और पिता शुक्राचार्य ने ययाति को तुरंत ही वृद्ध होने का श्राप दे डाला किन्तु  जब देवययानी ने अनुनय विनय की तो शुक्राचार्य को दया आ गई और, कहा कि अगर तुम्हे कोई अपनी जवानी दे तो तुम उसे भोग सकते हो अन्यथा ऐसे ही रहोगे।
                                           ययाति के पांच पुत्र थे उनमे से चार पड़े पुत्रो से जब पिता ने पूछा तो उन्होंने साफ मना कर दिया पर छोटे बेटे पुरू ने बाप का दर्द सुना और उनको अपनी जवानी देने के लिए तैयार हो गया, तब वर्षों तक ययाति ने यौवन भोगा और जब चैतन्य जागा तो बड़े चार बेटो को राज्य से बेदखल कर दिया और श्राप दिया की तुम और तुम्हारे वंशज कभी भी अपने बाप के बनाये राज में राज नही कर सकोगे ( मतलब अगर पिता राजा है तो बेटे को दूसरा राजवंश बनाना पड़ेगा उसका बेटा उसका राज नही सम्हाल सकेगा ), जबकि पुरू को राजा बनाया, इसी पुरू के नाम से आगे जाकर पुरू वंश कहलाया, जिसके वंशज पांडव हुए और बाकि, चारों भाइयों का वंश यदुवंश कहलाया, जिसके वंशज नंद हुए और यह सत्य भी है, वासुदेव भी अपने राज्य के राजा न बन सके, एवं कंस के वध के बाद देवकी के पिता उग्रसेन जी राजा बनाये गए और तब कृष्ण मथुरा के राजा बने कृष्णजी की मौत के बाद उनके वंशज लड़ पड़े और कोई राजा न बन सका, सिर्फ वज्र बचा जिसे द्वारका के डूबने के बाद मथुरा का महाराज बनाया गया अर्जुन के द्वारा।

लाल किताब के सरल उपाय Lal Kitab Ke Sukh Samriddhi Ke Saral Upay

No comments :

 लाल किताब के सरल उपाय Lal Kitab Ke Sukh Samriddhi Ke Saral Upay 



* आर्थिक उन्नति के लिए पूजा घर में एकांक्षी नारियल की स्थापना करें। 

*  कर्ज से मुक्ति के लिए मंगलयंत्र को हनुमान जी के चरणों में रखकर ऋण मोचन मंगल स्तोत्र के पाठ करें। 

*  प्रातः स्नान आदि कर घर के प्रत्येक सदस्य के माथे पर चंदन का तिलक लगाये और लगा ही रहने दें।  इससे आप रोग से दूर रहेंगे। (Lal Kitab Ke Saral Upay )

*  अगर किसी व्यक्ति के दिल में धनवान बनने के अरमान हो तो हर सोमवार को शिवजी का रुद्राभिषेक करे या सवा पाँच किलो शहद से किसी ब्राह्मण के द्वारा करावे अगर शिवलिंग पारद का हो तो सर्वोतम है। 

*  कोर्ट कचहरी में जाने से पहले 5 गोमती चक्र को अपनी जेब में रख कर जो, जो स्वर चल रहा हो वह पाँव पहले रखे। 

*  रोगी ठीक नही हो रहा हो तो गोमती चक्र चांदी में पिरोकर पलंग के सिरहाने बांध दे रोग समाप्त होने लगेगा। 

*  घर के मुखिया को घर में कभी भी खाली हाथ नहीं आना चाहिए , कुछ न कुछ अवश्य लाना चाहिए , अगर कुछ लेकर आने में असमर्थ हो तो रास्ते में से कागज का टुकड़ा ही उठा लावे।  यह एक चमत्कारी प्रयोग है। 

*  दुकान में चोरी रोकने के लिए दुकान में मंगलयंत्र की स्थापना करें। 

*  घर के अंदर 12 अँगुल की पलाश की लकड़ी को यदि अभिमंत्रित कर घर में गाड़ दिया जाये तो घर में किसी प्रकार की अशुभ शक्ति का प्रवेश नहीं होता है। 

*  निवास के मुख्यद्वार पर बाहर की ओर श्वेतार्क लगाने से शत्रु, रोग व चोर आदि से घर सुरक्षित रहेगा। (
(Lal Kitab Ke Saral Upay )

*  किसी भी नई मूल्यवान वस्तु का आरम्भ करने से पहले उस पर हल्दी को गंगाजल में मिला कर उस पर छींटे देने से वह अधिक समय तक चलती है। 

*  कहीं जाते समय यदि आपको कोई ऐसी गाय मिले जो बछड़े को दूध पिला रही हो तो आप उसे कोई फल अथवा अन्य वस्तु अवश्य खिलायें।  यह बहुत शुभ संकेत है , जिससे आपको सफलता प्राप्त होगी। 

*  आपके मार्ग में यदि कोई सफाई कर्मचारी सफाई करता दिखाई दे जाये तो आप उसे कुछ दक्षिणा अवश्य दें।यदि वह महिला हो तो और भी अधिक शुभ है। 

*  स्नान करने के बाद ही तुलसी व विल्वपत्र तोड़ने चाहिए। 

*  तुलसी का एक एक पत्ता न तोड़कर पत्तियों के साथ अग्रभाग को तोडना चाहिए क्योंकि तुलसी की मंजरी सब फूलों से बढ़कर मानी जाती है। 

*  कभी भी किसी को दान दें तो उसे घर की देहरी में अंदर न आने दें।  दान घर की देहरी के अंदर से ही करें। 

*  उन्नति के लिये आप प्रथम गुरूवार को कच्चे सूत को केशर से रंग कर बांध दे फिर चमत्कार देखें। 
(Lal Kitab Ke Saral Upay )

*  भगवान सूर्य को यदि एक आक का फूल अर्पण कर दिया जाए तो सोने की अशर्फियों से अधिक फलदायी होगा। 

*  देवताओं के प्रीत्यर्थ प्रज्ज्वलित दीपक को स्वयं नहीं बुझाना चाहिए। 

*  स्त्रियों के बाएँ हाथ में ही रक्षासूत्र बाँधने का विधान है। 

*   मांगलिक कार्यो में दूसरे की पहनी हुई अंगूठी नही धारण करनी चाहिए। 

*  कमल का फूल लक्ष्मी जी को बहुत प्रिय है।  शनिवार , मंगलवार को लक्ष्मी पूजा प्रारम्भ न करें।

घर मैं सुख समृद्धि के सरल उपाय Ghar Mein Sukh Shanti Samriddhi Ke Saral Upay

No comments :
 अपने घर के मंदिर में स्थित मूर्तियों को दक्षिणावर्ती शंख द्वारा अभिषेक करें।  यह अत्यंत शुभ कार्य होता है। 

*  गुरूवार को घर में पोछा नहीं लगावे। 

*  संध्या के समय झाड़ू नहीं लगावे एवं घर का कचरा भी बाहर नहीं फेंके। 

* शाम होने से पूर्व सूखे कपड़े यदि खुली जगह में सूख रहे है तो उन्हें समेट लेवे। 

*  बैंक की किताब, चैक बुक , धन आदि जिस अलमारी में रखे , उस अलमारी को आप नैऋत कोण में रखे एवं आलमारी का मुख उत्तर दिशा की और खुलना चाहिए। (Shanti Samriddhi Ke Upay)

* अपने पूजा घर में आप यदि पारद के बने हुये शिवलिंग की पूजा नित्य श्रद्धा विश्वास से करें तो यह आपके परिवार में सुख - समृद्धि लाता है। 

*  चीटिंयो को चिटठी नगरा डाले। 

* किसी भी शुभ कार्य को जाते वक्त थोड़ा दही एवं पेड़ा खाले , यह समृद्धि दायक माना जाता है। 

*  मंगलवार को किसी से भी कर्ज नहीं लेवे।  हो सके तो कर्जदार को मंगलवार को ही धन की अदायगी करनी चाहिए। 

*  घर , दुकान , कार्यालय में कुबेर यंत्र एवं श्रीयंत्र की स्थापना करें।  कुबेर यंत्र को उत्तर दिशा में दक्षिण देखता हुआ एवं श्री यंत्र की पूर्व दिशा में पश्चिम देखता हुआ स्थापित करें।  क्योंकि उत्तर दिशा ही कुबेर की दिशा है।  एवं धन संबंधी प्रार्थना उत्तर दिशा की ओर मुँह करके ही करनी चाहिए। 

*  घर , दुकान, कार्यालय के मुख्य द्वार पर दोनों तरफ गणेशजी की स्थापना करनी चाहिए क्योंकि गणेशजी के नेत्रों में अमृत होता है। 

*  घर में तुलसी, सफेद आक , एवं केले का पौधा लगाना समृद्धि दायक माना जाता है। 

*  शनि की शांति हेतु शनि शंख द्वारा सरसों के तेल से शनि देव का अभिषेक करें।  प्रत्येक शनिवार को सवा किलों सरसों का तेल अपना चेहरा देखकर किसी भिक्षुक को दान देवे। 

*  रात को झूठे बर्तन रसोई में न रखें।  उन्हें धोकर साफ करके ही रखें। 

*  सोना सदा पुष्य नक्षत्र में ही खरीदना अच्छा रहता है। 

* बुधवार को किसी हिजड़े को 20 का नोट देकर 10रू वापस ले लेवें।  उस नोट को अलमारी में धन स्थान में रखें। 

*  ग्यारह गौमती चक्र को लाल सिंदूर की डिब्बी में रखें तो घर में सुख - समृद्धि बनी रहती है। (Shanti Samriddhi Ke Upay)

*  शनिवार को कुत्ते को इमरती व भिखारी को भोजन का दान करें तो शांति दोष कम होगा। 

*  प्रति शनिवार या प्रति अमावस्या को घर की विशेष साफ सफाई करे व कोई भी टुटा फूटा बर्तन अटाला, रददी आदि को बेच देवे। 

*  घर में बंद घड़ी नहीं रखनी चाहिए इससे आपकी प्रगति रूक जाती है। (Shanti Samriddhi Ke Upay)

*  लक्ष्मी जी को तुलसी भेंट नहीं करनी चाहिए। 

*  सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय घर में बच्चे और बीमार के अतिरिक्त अन्य कोई भी न सोये। 

* शयन कक्ष में चेहरा देखने वाला आइना नहीं होना चाहिए।