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Wednesday, 26 July 2017

श्री हनुमान चालीसा

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श्री हनुमान चालीसा
दोहा
 श्री गुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
 बरनऊं  रघुबर बिमल जसु, जो दयकु फल चारि।।१।।
 बुद्धिहीन   तनु   जानिके,  सुमिरों  पवन-कुमार।
 बल बुद्धि विद्या  देहु  मोहिं, हरहु कलेश विकार।।२।।
चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर।।१।।
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।२।।
महावीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।३।।
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा।।४।।
हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजै।
काँधे  मूंज  जनेउ  साजै।।५।।
शंकर सुवन केसरी नन्दन।
तेज प्रताप महा जग वन्दन।।६।।
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम  काज करिबे को आतुर।।७।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।८।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
विकट रूप धरि लंक जरावा।।९।।
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचन्द्र के काज संवारें।१०।।
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्री रघुबीर हरषि उर लाये।।११।।
रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।१२।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।१३।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।१४।।
यम कुबेर दिगपाल जहाँ ते।
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते।।१५।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।१६।।
तुम्हरो मन्त्र विभीषन माना।
लंकेश्वर भये सब जग जाना।।१७।।
जुग सहस्र योजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।१८।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गयो अचरज नाहीं।।१९।।
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।२०।।
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।२१।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डरना।।२२।।
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हाँक ते काँपै।।२३।।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महावीर जब नाम सुनावै।।२४।।
नासे रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।२५।।
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावैै।।२६।।
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।।२७।।
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोई अमित जीवन फल  पावै।।२८।।
चारों युग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।२९।।
साधु सन्त के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे।।३०।।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दता।
अस बर दीन जानकी माता।।३१।।
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सद रहो रघुपति के दासा।।३२।।
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम जनम के दु:ख बिसरावै।।३३।।
अन्त काल रघुवर पुर जाई।
जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई।।३४।।
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेई सर्व सुख करई।।३५।।
संकट कटै मिटे सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।३६।।
जय जय जय हनुमान गोसाईं।
कृपा करहुं गुरुदेव की नांई।।३७।।
जो सत बार पाठ कर जोई।
छूटहिं बंदि महासुख होई।।३८।।
जो यह पढ़ैं हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।३९।।
तुलसी दास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा।।४०।।
दोहा
पवनतनय  संकट  हरन, मंगल  मूरति  रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।

संकट मोचक हनुमान अष्टक

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संकट मोचक हनुमान अष्टक 
जब मनुष्य चौतरफा संकटों से घिर जाता है, उनसे निकलने का रास्ता तलाशने में वह विफल हो जाता है तब हनुमान जी की उपासना से बहुत लाभ मिलता है। विशेष रूप से उस समय संकट मोचक हनुमान अष्टक का पाठ बहुत उपयोगी व सहायक सिद्ध होता है।
अंजनी गर्भ संभूतो, वायु पुत्रो महाबल:।
कुमारो ब्रह्मचारी च हनुमान प्रसिद्धिताम्।।
मंगल-मूरति मारुत नन्दन। सकल अमंगल मूल निकन्दन।।
पवन-तनय-संतन हितकारी। हृदय विराजत अवध बिहारी।।
मातु पिता-गुरु गनपति सारद। शिव समेत शंभु शुक नारद।।
चरन बंदि बिनवों सब काहू। देव राजपद नेह निबाहू।।
बंदै राम-लखन-बैदेही। जे तुलसी के परम सनेही।।
संकट मोचक हनुमान
बाल समय रवि भक्षि लियो, तब तीनहुं लोक भयो अंधियारो।
ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो।।
देवन आनि करी विनती तब, छांंिड़ दियो रवि कष्ट निवारो।
को नहिं जानत है जग में, कपि संकटमोचन नाम तिहारो।।
बालि की त्रास कपीस बसै गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारौ।
चौंकि महामुनि शाप दियो तब, चाहिए कौन विचार विचारो।।
कै द्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के शोक निवारो।
को नहिं जानत है जग में, कपि संकटमोचन नाम तिहारो।।
अंगद के संग लेन गये सिय, खोज कपीस ये बैन उचारो।
जीवत ना बचिहों हमसों, जु बिना सुधि लाये यहां पगुधारो।।
हेरि थके तट सिन्धु सबै तब, लाय सिया, सुधि प्राण उबारो।
को नहिं जानत है जग में, कपि संकटमोचन नाम तिहारो।।
रावन त्रास दई सिय की, सब राक्षसि सों कहि शोक निवारो।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु, जाय महा रजनीचर मारो।।
चाहत सीय अशोक सों आगि, सो दे प्रभु मुद्रिका शोक निवारो।
को नहिं जानत है जग में, कपि संकटमोचन नाम तिहारो।।
बान लग्यो उर लछिमन के तब, प्रान तजे सुत रावन मारो।
ले गृह वैद्य सुषेन समेत, तबै गिरि द्रोण सुबीर उपारो।।
आन संजीवन हाथ दई तब, लछिमन के तुम प्रान उबारो।
को नहिं जानत है जग में, कपि संकटमोचन नाम तिहारो।।
रावन युद्ध अजान कियो तब, नाग की फाँस सबै सिर डारौ।
श्री रघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयौ यह संकट भारो।।
आनि खगेश तबै हनुमान जी, बन्धन काटि सो त्रास निवारो।
को नहिं जानत है जग में, कपि संकटमोचन नाम तिहारो।।
बंधु समेत जबै अहिरावन, लै रघुनाथ पताल सिधारो।
देविहिं पूजि भली विधि सों, बलि देहुं सबै मिलि मंत्र विचारो।।
जाय सहाय भयो तब ही, अहिरावन सैन्य समेत संहारो।
को नहिं जानत है जग में, कपि संकटमोचन नाम तिहारो।।
काज किये बड़ देवन के तुम, वीर महाप्रभु देखि विचारो।
कौन सो संकट मोर गरीब को, जो तुमसौं नहिं जात है टारो।।
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु, जो कुछ संकट होय हमारो।
को नहिं जानत है जग में, कपि संकटमोचन नाम तिहारो।।
देहा
लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर।
वजú देह दनव दलन, जय जय जय कपि सूर।।

अमावस्या को इन 7 उपायों में करें कोई 1 उपाय

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अमावस्या में श्रावण मास की अमावस्या का अपना ही एक अलग महत्व होता है। इसे हरियाली अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है।  सावन और अमावस्या के योग में पूजा-अर्चना करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं। 
हरियाली अमावस पर पीपल के वृक्ष की पूजा एवं फेरे किये जाते है तथा मालपूए का भोग बनाकर चढाये जाने की परम्परा है। हरियाली अमावस्या पर वृक्षारोपण का अधिक महत्व है।  इस दिन उन लोगों का तर्पण करने से आपके पूर्वजों की कृपा आपके ऊपर हमेशा बनी रहती है। इस दिन कोई शुभ उपाय करने से पितर अधिक प्रसन्न होते है। जिसके कारण आपके घर लक्ष्मी खुद चलकर आती है। इन उपायों में से कोई एक उपाय अपनाएं। जानिए इन उपायों के बारें में। 
  • इस दिन भगवान शिव को खीर का भोग लगाना शुभ माना जाता है। इसलि्ए सूर्यास्त के बाद घर में खीर बनाएं और इशका भोग लगाएं।
  • इस दिन चीटियों को चीनी मिला हुआ आटा खिलाना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से आपके पाप कर्मों का प्रायश्चित होगा साथ ही आपको हर काम में सफलता और हर इच्छा पूरी होगी।

  • आज शाम को एक गाय के घी का दीपक लगाएं। और बत्ती बनाने में रुई का इस्तेमाल न करके लाल रगं के धागे का इस्तेमाल करें और इसमें थोड़ी सी केसर डालें। फिर इसे घर के ईशान कोण में जलाएं। इससे आपके घर में सुख-समृद्धि आएगी। और महालक्ष्मी कृपा हमेशा बनी रहेगी।
  • इस दिन शिवलिंग पर जल, दूध व काले तिल अर्पित करें। इससे सदैव भोलेनाथ की कृपा बनी रहती है।
  • इस दिन किसी भूखे को भोजन कराने से अच्छा फल मिलता है। वह भूखा इंसान, पशु-पक्षी कोई भी हो सकता है। आप चाहे तो किसी तालाब में जाकर मछलियों को आटा की गोलिया खिलाएं। इससे आपको हर परेशानी से निजात मिल जाएगा।
  • अगर आपकी कुंडली में शनि, राहु और केतु का दोष है, तो अमावस्या के दिन पीपल पर जल चढ़ाकर उसकी 7 परिक्रमा करें।
  • इस दिन अनाज दान करने का अधिक महत्व है।
  • अमावस्या के दिन पीपल की पूजा विधि-विधान के साथ करें। इसके साथ ही जनेऊ भी अर्पित करें। इसके बाद भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए इस मंत्र का जाप करें- ऊं नोम भगवते वासुदेवाय नम:।