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Thursday 16 January 2020

कुंडली से विदेश योग Kundali se videsh yatra yog

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विदेश यात्रा हमारे जीवन में नए अवसर और उन्नति लाती है। हममें से अधिकांश की इच्छा होती है कि कम से कम एक बार तो विदेश यात्रा कर ही लें। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जातक जन्मकुंडली में कई योग संयोग देखकर पता लगाया जा सकता है कि उसके जीवन में विदेश यात्रा का अवसर है या नहीं।


ज्योतिष के अनुसार जन्मकुंडली से अध्ययन से बताया जा सकता है कि किसी जातक की कुंडली में विदेश यात्रा का योग है या नहीं। किसी भी कुंडली के अष्टम भाव, नवम, सप्तम, बारहवां भाव विदेश यात्रा से संबंधित होते हैं जिनके आधार पर पता लगाया जा सकता है कि कब विदेश यात्रा का योग बन रहा है।

इसी तरह से जन्मकुंडली के तृतीय भाव से भी जीवन में होने वाली यात्राओं के बारे में बताया जा सकता है। कुंडली में अष्टम भाव समुद्री यात्रा का प्रतीक होता है और सप्तम तथा नवम भाव लंबी विदेश यात्राओं या विदेशों में व्यापार, व्यवसाय एवं दीर्घ प्रवास बताते हैं। जातक यदि विदेश में अपना कोई कार्य करने की योजना बना रहा है तो इस अध्ययन के आधार पर परिणाम का आकलन किया जा सकता है।



कई प्रकांड ज्योतिषी कुंडली में दर्शाए भावों के अलावा लग्न तथा लग्नेश के आधार पर विदेश यात्रा संबंधी योग बताते हैं। लग्न तथा लग्नेश की स्थिति हमारे जीवन को अत्यंत प्रभावित करती है। आइए जानते हैं किस लग्न में कौन से योग करवाते हैं विदेश यात्रा ;

यदि मेष लग्न में लग्नेश तथा सप्तमेश जन्म कुंडली के किसी भी भाव में एक साथ हों या उनमें परस्पर दृष्टि संबंध हो तो विदेश यात्रा का योग बनता है। इसी तरह मेष लग्न में शनि अष्टम भाव में स्थित हो तथा द्वादशेश बलवान हो तो जातक कई बार विदेश यात्राएं करता है।

मेष लग्न, लग्नेश तथा भाग्येश अपने-अपने स्थानों में हों या उनमें स्थान परिवर्तन योग बन रहा हो तो निश्चित विदेश यात्रा के योग बनते हैं। मेष लग्न में अष्टम भाव में बैठा शनि जातक को जन्म स्थान से दूर ले जाता है तथा बार-बार विदेश यात्राएं करवाता है।


वृष लग्न में सूर्य तथा चंद्रमा द्वादश भाव में हो तो जातक विदेश यात्रा तो करता ही है बल्कि विदेश में ही व्यापार-व्यसाय में सफल होता है। वृष लग्न का शुक्र केंद्र में हो और नवमेश नवम भाव में हो तो विदेश यात्रा का योग होता है।

वृष लग्न के साथ शनि अष्टम भाव में स्थित हो तो जातक अनेक बार विदेश जाता है। वृष लग्न में भाग्य स्थान या तृतीय स्थान में मंगल राहु के साथ स्थित हो तो जातक सैनिक के रूप में विदेश यात्राएं करता है। वृष लग्न में राहु लग्न, दशम या द्वादश में हो तो भी विदेश यात्रा का योग बनता है।


यदि मिथुन लग्न के साथ लग्नेश तथा नवमेश का स्थान परिवर्तन योग हो तो विदेश यात्रा योग बनता है। मिथुन लग्न के साथ यदि शनि वक्री होकर लग्न में बैठा हो तो कई बार विदेश यात्राएं के योग बनते हैं। यदि लग्न में राहु अथवा केतु अनुकूल स्थिति में हों और नवम भाव तथा द्वादश स्थान पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो भी विदेश यात्रा का योग बनता है।

कर्क लग्न के जातकों का लग्नेश व चतुर्थेश बारहवें भाव में स्थित होने पर निश्चित जातक को विदेश यात्रा का अवसर मिलता है।


कर्क लग्न यदि लग्नेश नवम भाव में स्थित हो और चतुर्थेश छठे, आठवें या द्वादश भाव में हो तो कई विदेश यात्राएं होती हैं। लेकिन यदि लग्नेश बारहवें स्थान में हो या द्वादशेश लग्न में हो तो काफी संघर्ष के बाद विदेश यात्रा होती है।


सिंह लग्न में गुरु, चंद्र 3, 6, 8 या 12वें भाव में बैठे हो तो विदेश यात्रा के योग बनते हैं। सिंह लग्न के जातकों में लग्नेश के द्वादश भाव में स्थित ग्रह अपनी उच्च राशि में स्थित हो तो विदेश यात्रा का योग बनता है।

सिंह लग्न हो तथा मंगल और चंद्रमा की युति द्वादश भाव में हो तो विदेश यात्रा होती है। यदि सिंह लग्न स्थान में सूर्य बैठा हो व नवम व द्वादश भाव शुभ ग्रह हो तो विदेश यात्रा का योग बनता है।


कन्या लग्न में सूर्य स्थित हो व नवम व द्वादश भाव शुभ ग्रह से दृष्ट हो तो विदेश यात्रा योग बनता है। लेकिन यदि सूर्य अष्टम स्थान में स्थित हो तो जातक पास के देशों की यात्राएं करता है।

कन्या लग्न में यदि लग्नेश, भाग्येश और द्वादशेश का परस्पर संबंध बने तो जातक को जीवन में विदेश यात्रा के अनेक अवसर मिलते हैं। कन्या लग्न में बुध और शुक्र का स्थान परिवर्तन विदेश यात्रा का योग बनाता है।


तुला लग्न में नवमेश बुध उच्च का होकर बारहवें भाव में स्वराशि में स्थित हो, राहु से प्रभावित हो तो राहु की दशा अंतर्दशा में विदेश यात्रा होती है। यदि चतुर्थेश व नवमेश का परस्पर संबंध हो तो विदेश यात्रा का योग बनता है।


यदि नवमेश या दशमेश का परस्पर संबंध या युति या परस्पर दृष्टि संबंध हो तो विदेश यात्रा का योग बनता है। तुला लग्न में शुक्र व सप्तम में चंद्रमा हो तो भी जातक विदेश यात्रा करता है।


वृश्चिक लग्न में पंचम भाव में अकेला बुध हो और उस पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो अल्प आयु में विदेश यात्रा होती है। यदि वृश्चिक लग्न में चंद्रमा लग्न में हो, मंगल नवम स्थान में स्थित हो तो विदेश यात्रा का योग बनता है।

यदि वृश्चिक लग्न वाले जातकों का सप्तमेश शुभ ग्रहों से दृष्ट होकर द्वादश स्थान में स्थित हो तो निश्चित ही विवाह के बाद विदेश यात्रा का अवसर मिलता है। वृश्चिक लग्न में लग्नेश सप्तम भाव में स्थित हो व शुभ ग्रहों से युक्त हो तो जातक विदेश में ही बस जाता है।


धनु लग्न में अष्टम स्थान का में कर्क राशि का चंद्रमा जातक को कई बाद विदेश यात्रा कराता है। द्वादश स्थान में मंगल, शनि आदि पाप ग्रह बैठे हों तो भी विदेश यात्रा का योग बनता है।


धनु लग्न के अष्टम भाव में चंद्रमा, गुरु की युति, नवमेश नवम भाव में हो तो विदेश यात्रा का प्रबल योग बनता है। धनु लग्न में बुध और शुक्र की महादशा के कारण जातक को अनेक विदेश यात्रा करनी पड़ती हैं।


मकर लग्न में सप्तमेश, अष्टमेश, नवमेश या द्वादशेश के साथ राहु या केतु की युति विदेश यात्रा का योग बनाती है।

मकर लग्न, चतुर्थ और दशम भाव में चर राशि के किसी भी स्थान में शनि हो तो विदेश यात्रा होती है। मकर लग्न में सूर्य अष्टम में स्थित हो तो कई विदेश यात्राएं करनी पड़ती होती हैं।


कुंभ लग्न में नवमेश व लग्नेश का राशि परिवर्तन विदेश यात्रा के योग बनाता है। कुंभ लग्न में भाग्येश द्वादश भाव में उच्च का होकर स्थित हो तो, दशम स्थान में सूर्य व मंगल की युति भी विदेश यात्रा का योग बनाती है।



कुंभ लग्न में तृतीय स्थान, नवम स्थान व द्वादश स्थान का परस्पर संबंध विदेश यात्रा का योग उत्पन्न करवाता है।


मीन लग्न में पंचमेश, द्वितीयेश व नवमेश की लाभ (एकादश) भाव में युति विदेश यात्रा के योग बनाती है। मीन लग्न में लग्नेश गुरु नवम भाव में स्थित हो व चतुर्थेश बुध छठे, आठवें या द्वादश भाव में स्थित हो तो अनेक बार विदेश यात्रा का योग बनता है।

मीन लग्न में यदि शुक्र चंद्रमा से छठे, आठवें या बारहवें स्थान में स्थित हो तो भी विदेश यात्रा का अवसर मिलता है। मीन लग्न में लग्नस्थ चंद्रमा व दशम भाव में शुक्र हो तो जातक को कई देशों की यात्रा करने का अवसर मिलता है।(समाप्त)


Friday 10 January 2020

लाल किताब द्वारा विदेश योग

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लाल किताब द्वारा विदेश योग बनाने के लिए लग्नेश का संबंध 3,8,12 घर से होना चाहिए तीसरा घर जलयात्रा,आठवां घर अन्य तरीके से यात्रा तथा 12वा घर वायु संबंधी यात्रा को बताता है यदि इन घरों में लग्नेश पहुंचा दिया जाए तो विदेश यात्रा अवश्य होती है | लग्नेश को तीसरे घर में पहुंचाने के लिए उस ग्रह से संबन्धित रत्न धारण करना चाहिए,आठवें भाव में पहुचाने के लिए उस ग्रह की संबंधित वस्तु श्मशान में दबानी चाहिए तथा बारहवें भाव में पहुंचाने के लिए उस ग्रह से संबंधित वस्तुओं को अपनी छत पर रखना चाहिए |
जैसे यदि मेष लग्न (मंगल का) हो विदेश जाने के लिए तीसरे भाव के लिए मंगल का मूंगा रत्न धारण करना चाहिए, आठवें भाव के लिए देसी खांड श्मशान में दबानी चाहिए तथा बारहवें भाव के लिए छत पर देसी खांड अथवा लाल मूंगा रखना चाहिए | यहां यह भी ध्यान रखें कि यदि ग्रह उच्च,नीच व स्वग्रही है तो उसको हटाया नहीं जा सकता |
छठे,आठवें घर पीछे यदि कोई ग्रह हो तो टकराव की स्थिति बनती है जिससे ग्रह अपना उचित फल नहीं दे पाते ऐसे में एक ग्रह को दूसरे ग्रह की टक्कर से अलग करना जरूरी होता है | जैसे मेष लग्न में यदि मंगल बारहवें भाव में हो और सूर्य चंद्र सातवे भाव में हो तो छठी दृष्टि टकराव की होगी यदि सूर्य चंद्र पंचम हो तो आठवीं दृस्टी का टकराव होगा ऐसे में यदि चांदी चावल दूध जल प्रवाह करें तो वह चतुर्थ भाव में चले जाएंगे जिससे नौ घर का फर्क पड़ जाएगा |
विदेश जाने से पहले निर्दय ऋण का उपाय करना चाहिए जब कभी दसवें या ग्यारहवें भाव में शनि के शत्रु ग्रह सूर्य,चंद्र अथवा मंगल होते हैं तो यह निर्दय ऋण होता है इससे जातक को अपनी मेहनत का फल नहीं मिलता |
इसके लिए निम्न उपाय करने चाहिए |
मछलियों को जौ के आटे की गोलियां खिलाएं मजदूरों को भोजन खिलाएं |
भैसे को गुड़ खिलाएं कव्वे को लड्डू खिलाए |
उपाय 15-15 दिन के अंतराल में करने चाहिए ।
कुछ विदेश योग
बुध यदि 3रे/12वे हो और उसका चंद्रमा से संबंध हो तो विदेश से वापसी जरूर होती है ।
मंगल संग गुरु हो तो विदेश जाने से तरक्की होती है |
1,3,4,8,9,12 भावो में गुरु हो तो जातक धर्म हेतु यात्रा करता है फिर मान सम्मान पाता है |
चंद्र शुक्र की युति हो अथवा शनि मंगल की युति हो तो विदेश में रहने का प्रबंध होता है ।
विदेश जाने के लिए निम्न उपाय करते रहने चाहिए |
1) चांदी अथवा तांबे में पानी पिया करें शीशे में नहीं |
2) नदी नहर में तांबे के सिक्के डाले |
3) धार्मिक कार्य में दान करें |
4) छत स्वयं साफ करें |
5) पलंग के पाए में चांदी की तार अथवा कील बांधे |
6) चांदी की चेन पहने |
7) चांदी की डिबिया में शहद गमले में गाडे |
8) शनिवार तेल मंदिर में दान करें |
9) किसी भी प्रकार की झूठी गवाही ना दे ।