Jeevan Dharm

Jeevan-dharm is about our daily life routine, society, culture, entertainment, lifestyle.

Thursday 21 December 2017

No comments :
3PQsXHXPxqSzJ1XgXhA3ZVT2Yttb32x8bQ
No comments :
3PQsXHXPxqSzJ1XgXhA3ZVT2Yttb32x8bQ

Thursday 30 November 2017

शनि अमावस्या

No comments :
श्री शनिदेव भाग्यविधाता, न्याय के देवता हैं, शनि अमावस्या को किये गए उपाय सफलता प्राप्त करने एवं ग्रहों के दुष्परिणामों से छुटकारा पाने हेतु बहुत उत्तम होते है।


शनि अमावस्या (Shani Amavasya) का ज्योतिष एवं तन्त्र शास्त्र में बहुत महत्व है। इस दिन किये गए उपायों से शनि देव (Shani Dev) प्रसन्न होते है ।

शनिवार की अमावस्या पर पड़ने वाले इस श्रेष्ठ संयोग में किये गए उपायों से ना केवल शनि देव की (Shani Dev) ही कृपा प्राप्त होगी वरन शनि अथवा कुंडली के किसी भी ग्रह के अशुभ प्रभावों में निश्चय ही कमी आएगी ।

वैसे तो सभी लोगो को शनि अमावस्या (Shani Amavasya) को उपाय करने चाहिए लेकिन जो लोग शनि की साढ़ेसाती (Shani ki Sade Sati) और ढैय्या से पीड़ित हैं उन्हें तो शनिश्चरी अमावस्या पर विशेष उपाय अवश्य ही करने चाहिए।

पवित्र नदी के जल से या नदी में स्नान कर शनि देव का आवाहन और उनके दर्शन करे ।


श्री शनिदेव का आह्वान करने के लिए हाथ में नीले पुष्प, बेल पत्र, अक्षत व जल लेकर इस मंत्र अदभुद वैदिक मंत्र का जाप करते हुए प्रार्थना करें-

"ह्रीं नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छायार्मात्ताण्डसंभूतं तं नमामि शनैश्चरम्"।।

ह्रीं बीजमय, नीलांजन सदृश आभा वाले, रविपुत्र, यम के अग्रज, छाया मार्तण्ड स्वरूप उन शनि को मैं प्रणाम करता हूं और मैं आपका आह्वान करता हूँ॥


शनि अमावस्या (Shani Amavasya) के दिन प्रात: जल में चीनी एवं काला तिल मिलाकर पीपल की जड़ में अर्पित करके सात परिक्रमा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं।

शनिदेव को प्रसन्न करने का सबसे अनुकूल मंत्र है --
"ॐ शं शनैश्चराय नम:।"
इस मंत्र की एक माला का जाप अवश्य करें
इस दिन आप श्री शनि देव के दर्शन जरूर करें।

शनिदेव की दशा में अनुकूल फल प्राप्ति कराने वाला मंत्र -
ॐ प्रां प्रीं प्रौं शं शनैश्चराय नम:

शनि अमावस्या के दिन बरगद के पेड की जड में गाय का कच्चा दूध चढाकर उस मिट्टी से तिलक करें। अवश्य धन प्राप्ति होगी।

उड़द की दाल की काला नमक डाल कर खिचड़ी बनाकर संध्या के समय शनि मंदिर (Shani Mandir) में जाकर भगवान शनि देव का भोग लगाएं फिर इसे प्रसाद के रूप में बाँट दें और स्वयं भी प्रसाद के रूप में ग्रहण करें ।

शनि अमावस्या (Shani Amavasya) के दिन संध्या के समय पीपल के पेड़ पर सप्तधान / सात प्रकार का अनाज चढ़ाएं और सरसों या तिल के तेल का दीपक जलाएं, इससे कुंडली के ग्रहो के अशुभ फलो में कमी आती है। जीवन से अस्थिरताएँ दूर होती है ।

शनिवार के दिन काले उड़द की दाल की खिचड़ी काला नमक डाल कर खाएं इससे भी शनि दोष (Shani Dosh)के कारण होने वाले कष्टों में कमी आती है।

इस दिन मनुष्य को सरसों का तेल, उडद, काला तिल, देसी चना, कुलथी, गुड शनियंत्र और शनि संबंधी समस्त पूजन सामग्री अपने ऊपर वार कर शनिदेव के चरणों में चढाकर शनिदेव का तैलाभिषेक करना चाहिए।
शनिश्चरी अमावस्या को सुबह या शाम शनि चालीसा का पाठ या हनुमान चालीसा (Hanumaan Chalisa), बजरंग बाण का पाठ करें।

तिल से बने पकवान, उड़द से बने पकवान गरीबों को दान करें और पक्षियों को खिलाएं .

उड़द दाल की खिचड़ी दरिद्रनारायण को दान करें।

अमावस्या की रात्रि में 8 बादाम और 8 काजल की डिब्बी काले वस्त्र में बांधकर संदूक में रखें। इससे आर्थिक संकट दूर होते हैं नौकरी, व्यापार में धनलाभ, सफलता की प्राप्ति होती है ।

शनि अमावस्या के दिन संपूर्ण श्रद्धा भाव से पवित्र करके घोडे की नाल या नाव की पेंदी की कील का छल्ला मध्यमा अंगुली में धारण करें।

शनि अमावस्या के दिन 108 बेलपत्र की माला भगवान शिव के शिवलिंग पर चढाए। साथ ही अपने गले में गौरी शंकर रुद्राक्ष 7 दानें लाल धागें में धारण करें।

जिनके ऊपर शनि की अशुभ दशा हो ऐसे जातक को मांस , मदिरा, बीडी- सिगरेट नशीला पदार्थ आदि का सेवन न करे ।

गणेश चतुर्थी को चंद्र दर्शन निषेध क्यों माना जाता है |

No comments :

गणेश चतुर्थी को चंद्र दर्शन निषेध क्यों माना जाता है |

  


                एक समय देवताओं  ने एक सभा का आयोजन किया ।उसमे सभी देवताओं को आमंत्रित किया गया था ।सभी देवगण समय से सभा में पहुच गए ,लेकिन गणेशजी अभी तक नहीं पहुचे थे । उनका इंतजार हो रहा था, कि गणेशजी दोड़ते-दोड़ते सभा में पहुचे ।क्योकि एक तो उनकी सवारी एक बेचारा छोटा सा चूहा और गणेशजी इतने भारी भरकम । गणेशजी जी की यह दशा देखकर चंद्रमा को हँसी आ गई ।इस पर गणेशजी को गुस्सा आ गया और उन्होंने चंद्रमा को श्राप दे दिया "कि आज से जी भी तुम्हें देखेगा उस पर चोरी का इल्जाम लगेगा ।अब ये सब सुनकर सारे देवता हैरान रह गये, की ऐसा कैसे हो सकता है चंद्रमा तो रोज रात में उदय होता है और रोज सब लोग इसे देखेगे तब तो सारी दुनिया ही कलंकित हो जाएगी ।
              
 अब सभी देवताओ ने मिलकर गणेशजी से प्रार्थना की "कि प्रभु अगर ऐसा हुआ तो चंद्रमा कभी उदय नहीं होगा और यदि उदय हुआ तो सारी दुनिया ही कलंकित हो जाएगी । जब गणेशजी का गुस्सा शांत हुआ तो वे बोले "कि श्राप तो वापस नहीं हो सकता लेकिन मैं इसे कम कर सकता हूँ ।भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मेरा जन्म दिन आता है 
उस दिन जो चंद्रमा को देखेगा उसे कलंक जरूर लगेगा "।
               देवताओं ने कहा ठीक है फिर पूछा "कि इससे बचने का कोई उपाय है प्रभु "।तब गणेशजी बोले "कि मेरी जन्म तिथि से पहले जो दूज तिथि आती है उस दिन चाँद के दर्शन कर लेगा उस पर इस श्राप का असर नहीं पड़ेगा "। इस प्रकार गणेशजी के श्राप की वजह से ही गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन निषेध माना जाता है ।

माही चौथ की कहानी

No comments :
माही चौथ व्रत विधि 
                    माघ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को यह व्रत किया जाता है इस को तिल कुट्टा चौथ भी कहते है । यह व्रत महिलायें अपने पति की लम्बी उम्र व स्वस्थ जीवन की कामना के लिए करती है । इस दिन कच्चे तिल को कूट कर उसमें गुड मिलाकर तिल कुट्टा बनाया जाता है फिर इससें ही कहानी सुनते है और पूजा करते है  कहानी सुनने के लिए मिट्टी से चार कोण का चोका लगाये ,चारो कोणों पर रोली से बिंदी लगाये । बीच मिट्टी या सुपारी से गणेशजी बनाकर रखे और रोली ,मोली व चावल से गणेशजी की पूजा करे ।अब पानी का कलश ,पताशा व चाँदी की अँगूठी चोके पर रखे । अपने हाथ में थोड़ा सा तिल कुट्टा ले और कहानी सुने । चौथ की कथा सुनने के बाद जो तिल कुट्टा हमने हाथ में लिया था उसे संभाल कर रख ले (क्योकि रात में हम चंद्रमा के अर्ग इसी से देगें ) । चार दाने गेहूं के लेकर गणेशजी की कहानी सुने और उसके बाद सूर्य को अर्ग दे ।जो चाँदी की अँगूठी हमने पूजा में रखी थी उसे भी अर्ग देते समय हाथ में ले लेवे ।रात चन्द्रमा के अर्ग ( जल चडाकर ) देकर बायना निकालते है जिसे अपनी सास ,ननद या अपने से बड़ा जो भी हो उसे देकर पैर छुते है उसके बाद व्रत खोला जाता है । व्रत तिल कुट्टा खाकर ही खोलते है ।
                    इसका उद्यापन भी होता है इसमें 13 सुहागन महिलाओं  को खाना खिलाया जाता है ।एक महिला को साड़ी उसपर सुहाग का सभी सामान दिया जाता है  बाकि महिलाओं  को एक ब्लाउज पीस व उस पर यथा शक्ति सुहाग का सामान रख कर दिया जाता है । कई जगह यह व्रत पुत्र के लिए भी किया जाता है ।                          
                                                माही चौथ की कहानी 
                 एक साहूकार था । उसकें  कोई संतान नही थी । एक दिन सहुकारनी ने चौथ माता  से प्रार्थना की ,कि " हे चौथ माता आप मुझे बेटा दोगी तो में आपके सवा मन (40 किलो ) तिल कुट्टा चड़ाउगी "। पहले के लोग दिल से भोले होते थे इसलिये भगवान भी उन पर जल्दी प्रसन्न हो जाते थे ।
   चौथ माता की कृपा से नवें महीने ही उसके बेटा हो जाता है । अब सहुकारनी कहती है कि "माता जब मेरा बेटा बड़ा होगा और इसकी शादी होगी तब मैं आपके दुगना तिल कुट्टा चड़ाऊँगी । बेटा बड़ा हो जाता है और उसकी शादी तय हो जाती है । लेकिन शादी के समय भी सहुकारनी चौथ माता को तिल कुट्टा चड़ाना भूल जाती है ।  तब चौथ माता ने सोचा कि ये तो मुझे भूल ही गई । इसको कुछ चमत्कार दिखाना चाहिए वरना मुझे कौन मानेगा ।
             चौथ माता ने शादी के समय उसके बेटे को फेरों में से गायब कर दिया । सब लोगो ने लडके को बहुत तलाश किया पर लड़का नही मिला क्योकि चौथ माता ने सबकी आँखों के सामने माया का पर्दा डाल दिया था ।बारात वापस लौट गई । जिस लड़की की साथ उस लड़के की शादी हो रही थी वह तालाब पर पानी भरने जाती तो उसे आवाज आती -"एक फेरा , दो फेरा ,तीन फेरा आ मेरी अध  ब्याही "। लड़की रोज इस आवाज को सुनती ,इससे वो परेशान रहने लगी ।
           उसकी माँ ने जब उसे उदास देखा तो पूछा कि "बेटी क्या बात है तू आजकल बहुत उदास दिखती है मुझे बता क्या बात है "। तब लड़की ने अपनी माँ से कहा कि "जब में पानी लेने तालाब पर जाती हूँ तो मुझे एक आवाज सुनाई देती है कि -"एक फेरा , दो फेरा ,तीन फेरा आ मेरी अध  ब्याही "। माँ ने कहा की "कल जब तुझे ये आवाज सुनाई दे तो तुम पूछना 'की तुम कॊन हो और मुझे ऐसा क्यों कहते हो , सामने आकर बात करो "।दुसरे दिन जब लडकी तालाब पर गई तो फिर उसे वो ही आवाज आई , तो उसने पूछा की "तुम कोंन  हो सामने आकर बात करो "
          तब एक लड़का उसके सामने आकर बोला की "मैं तेरा पति हूँ " ।लडकी ने कहा की "तुम तो फेरो में गायब हो गये थे "। तो लड़का बोला की " मेरी माँ ने चौथ मत से मन्नत मांगी थी की वो तिल कुट्टा चड़ाएगी ,लेकिन उसने ऐसा नही किया ,इस लिए चौथ मत ने मुझे फेरो से उठा लिया "।तब लडकी ने पुछा की "अब तुम  वापस कैसे आओगे "।लडके ने बताया की "जब मेरी माँ ,माता  के बोला हुआ पूरा कर  देगी तब मैं वापस आ जाऊँगा "।लडकी ने घर जाकर अपनी माँ को सारी  बात बताई , और बोला मुझे ससुराल जाना है ।
          लकड़ी ने ससुराल जाकर पानी सास को सारी बात बताई ,तब उसे याद आया की मैने मन्नत माँगी थी ।
तब सास और बहु दोनों ने मिलकर जितना तिल कुट्टा बोल था उससे दुगना तिल कुट्टा बनाया और बैंड - बाजा बजाते हुए चौथ माता को चडाने को लेकर गये ।
        चौथ मत ने इससे खुश होकर उसके बेटे को वापस कर दिया । सब लोग बहुत खुश होकर और लडके को लेकर घर आ गये और ख़ुशी-ख़ुशी रहने लगे ।
 हे चौथ माता जैसे उसे अपनी नाराजगी दिखाई वैसे किसी को मत दिखाना और बाद में उसे ख़ुशी दी वैसे सब को देना     

सोमवती अमावस्या व्रत की कहानी

No comments :
दोस्तों, सोमवती अमावस्या की अलग अलग कहानी प्रचलित है, ये कहानी भी सोमवती व्रत की अन्य कहानियो से थोड़ी से विभिन्न है तो विषय को समझते हए ध्यान से पढ़िए 

सोमवती  अमावस्या व्रत की कहानी 
                     एक साहुकार था उसके सात बेटे ,बहु और एक बेटी थी ।साहुकार के यहाँ एक जोगी भिक्षा मांगने आता था । जब साहुकार की बहुए जोगी को भिक्षा देती तो वो ले लेता लेकिन जब बेटी भिक्षा देती तो नहीं लेता , कहता कि तू  अभागी है तेरे हाथ से भिक्षा नही लूगां ।उसकी यह बात सुन-सुनकर बेटी सूखकर कांटा हो गई ।
                  एक दिन उसकी माँ ने पूछा कि "बेटी तुझे अच्छा खाने को मिलता है अच्छा पहनने को मिलता है फिर भी तू सुखकर कांटा हो रही है ! अगर तुझे कोई परेशानी है तो हमें बता "। बेटी बोली माँ हमारे यहां जो जोगी भिक्षा मांगने आता है वो भाभियों से तो भिक्षा ले लेता है पर जब मैं भिक्षा देने जाती हूँ तो कहता है " कि तू अभागी है "  तेरे हाथ से भिक्षा नही लूगाँ "।
                  दुसरे दिन जोगी जब भिक्षा लेने आया तो साहुकारनी बोली " कि एक तो मेरी बेटी तुझे भिक्षा देती है ऊपर से तू उसे ही अभागी कहता है "। जोगी बोला " कि मैं तो जो इसके भाग्य में लिखा है वो ही कहता हूँ "  तब साहुकारनी बोली कि जब तुझे इतना पता है तो इसको दूर करने का उपाय भी पता होगा ।वह बोला " कि उपाय तो है पर बहुत कठिन है "। वह बोली " कि तू बता मैं मेरी बेटी के लिए कुछ भी करने को तैयार हूँ "। तब जोगी बोला " कि सात समुद्र पार एक सोभा धोबन रहती है ।वह सोमवती  अमावस्या का व्रत करती है वो ही इसे सुहाग दे सकती है । अन्यथा जब इसकी शादी होगी, तब इसके पति को फेरों में सांप काट लेगा और ये विधवा हो जाएगी । इतना सुनना था कि वह उठी और अपने बेटों को ये बात बताई ,और साथ चलकर सोभा धोबन को ढूढने के लिए कहा । सबने एक-एककर मना कर दिया तो वह अपनी बेटी को लेकर चल पड़ी सोभा धोबन को ढूढने ।
                  चलते-चलते वे समद्र के किनारे तक आ पहुची ।और सोचने लगी की अब आगे कैसे चले , इतना विशाल समुद्र कैसे पर करें । वहां एक बड़ का पेड़ था वही दोनों माँ-बेटी बैठ गई । उस पेड़ के ऊपर एक हंस का जोड़ा रहता था और नीचे पेड़ की जड़ में एक सांप रहता था । जब हंस का जोड़ा दाना चुगने जाता तो सांप हंस के बच्चो को खा जाता था ।हंस उसे देख नहीं पाते थे ।उस दिन भी सांप हंस के बच्चो को खाने के लिए पेड़ पर चढ  रहा था कि हंस के बच्चो की आवाज सुनकर माँ-बेटी ने देखा, कि सांप हंस के बच्चो को खाने जा रहा है तो उन्होंने सांप को मार दिया । शाम को जब हंस का जोड़ा आया तो उन्होंने माँ-बेटी को वहा बैठा पाया तो सोचा की ये ही मेरे बच्चो को मार देते है । जैसे ही वे उन माँ-बेटी को मारने को तैयार हुए कि पेड़ पर से बच्चो की आवाज सुनाई दी ।तो उन्हों ने देखा की हमारे बच्चे तो जिन्दा है तब बच्चो ने उन्हें सारी बात बताई कि कैसे माँ-बेटी ने उनकी जान बचाई ।हंस ने उन्हें धन्यवाद दिया और उनका यहाँ आने का कारण पूछा ।माँ ने सारी बात बताई और बोली कि हम यहां तक तो आ गए पर समझ में नही आ रहा की आगे कैसे जाये ।तब हंस बोले की आप हमारे ऊपर बैठ जाओ हम आपको समुद्र पार पहुचा देते है ।इस तरह दोनों समुद्र पार पहुच गई ।उसने सोभा धोबन का घर ढूंढ़ लिया ।अब वह सवेरे जल्दी उठकर सोभा धोबन के घर का सारा काम करने लगी खाना बनाना , झाड़ू - पोछा , पानी भरना कपड़े धोना ।सोभा धोबन के सात बेटे-बहु थे । उसकी बहुए बहुत काम  चोर थी काम को लेकर वे आपस में बहुत झगड़ा करती थी ।लेकिन इधर कुछ दिनों से सोभा धोबन देख रही थी कि वे सब बिना झगड़ा किये सारा काम कर लेती है ।एक दिन उसने बहुओ से पूछा कि क्या बात है आजकल तुम सब मिलकर ख़ुशी-ख़ुशी सारा काम कर लेती हो और झगड़ा भी नही करती हो ।
                  इस पर उसकी सब बहुओ ने मना कर दिया की हम तो बहुत दिनों से काम करते ही नहीं है तब उसने सोचा की जब मेरी बहुएँ काम नहीं करती तो फिर कौन हैं जो मेरे घर का काम करता है ।ये तो मालूम करना होगा ।दुसरे दिन वह सुबह जल्दी उठी और उसने देखा की , एक औरत और एक लड़की घर का सारा काम करके वापस जा रही है । तो उसने उन दोनों को रोका और पुछा "की तुम कौन हो और मेरे घर का काम क्यों कर रही हो "! तब साहुकारनी  ने बताया कि ये मेरी लड़की है लकिन इसके भाग्य में सुहाग नहीं है और तुम सोमवती अमावस्या का व्रत व पूजा करती हो ,एक तुम ही हो जो मेरी बेटी को सुहाग दे सकती हो ।इसीलिए हम तेरे घर का सारा काम करती है ।       
                इस पर सोभा धोबन ने कहा कि "ठीक है तुमने इतने दिन मेरे घर का काम किया है, मैं तेरी बेटी को सुहाग जरूर दूँगी ,जब तेरी बेटी की शादी तय हो जाये तो उसके पीले चावल समुद्र में डाल देना मैं शादी में पहुचं जाऊँगी '। दोनों माँ-बेटी अपने घर आ गई । जब लड़की की शादी तय हुई तो माँ ने समुद्र में पीले चावल डाल दिए ।
               सोभा धोबन जब अपने घर से रवाना होने लगी तो बोली की मेरे जाने के बाद यदि घर में कुछ भी टूटता-फूटता है उसे जैसा हो वैसा ही रहने देना मेरे आने तक ,तुम लोग कुछ भी मत करना ।अपने घर वालो को ये हिदायत देकर वह साहुकार की बेटी की शादी में शामिल होने के लिए रवाना हो गई ।
              जब साहुकार की बेटी के फेरें हो रहें थे तब सांप ने दुल्हे को डस (काट) लिया ।अब सब रोने-धोने लगे तब लड़की की माँ ने सोभा धोबन से कहा "कि आज के दिन के लिए मैंने तेरे यहाँ काम किया था ताकि तू मेरी बेटी को आज सुहाग दे सके "। सोभा धोबन ने कहा " कि तू चिंता मत कर "।वह उठी दुल्हे के पास गई और अपनी मांग में से सिंदूर लिया , आँख में से काजल और छोटी अँगुली से मेहंदी ली व  दुल्हे के छिटे दिये और बोली कि " आज तक मैंने जो सोमवती अमावस्या की उसका फल साहुकार की बेटी को जाना और आगे जो करू वह मेरे धोबी को जाना "।उसके ऐसे करते ही दुल्हा ठीक हो गया ।सब लोग बड़े खुश हो गये ।
             जब बारात विदा हो गई तो सोभा धोबन जाने लगी ,तब सबने कहा की अभी तो आपको विदा ही नही किया है अभी आप कैसे जा सकती है ।सोभा धोबन ने कहा कि मैं मेरे घर को ऐसे ही छोड़ कर आई थी।पता नही मेरे पीछे से वहा क्या हो रहा है ।आप विदा ही करना चाहते है तो मुझे एक मिट्टी का कलश देदो ।
            कलश लेकर वह घर के लिए रवाना हो गई ।रास्ते में सोमवती अमावस्या आई ,तो उसने कलश के 108 टुकड़े किए ,पीपल की पूजा की और परिक्रमा करके बोली " भगवान आज से पहले जो अमावस्या की ,उसका फल साहुकार की बेटी को दिया ,आज जो मैंने अमावस्या की उसका फल मेरे पति को देना फिर  कलश के टुकड़ो को खड्डा खोदकर गाड दिया और  घर के लिए चल दी।उधर घर पर उसका धोबी मर गया ।सब धोबन का इन्तजार कर रहे ।क्योकि वो कह कर गई थी कि मेरे पीछे से तुम लोग कुछ भी मत करना । जब वह घर पहुची तो देखा की उसका धोबी मरा पड़ा है और सब लोग रो रहे है ।उसने कहा कि सब लोग चुप हो जाओ । वह अपने धोबी के पास आई और अपनी मांग में से सिंदूर लिया ,आँख में से काजल और छोटी अंगुली में से मेहँदी निकालकर छिटे दिये ,और बोली भगवान आज से पहले जो अमावस्या की उसका फल साहुकार की बेटी को दिया ,आज जो मैंने अमावस्या की उसका फल मेरे पति को देना ।ऐसा करते ही उसका पति उठकर बैठ गया ।इतने में ब्राह्मन आया और बोला जजमान अमावस्या का दान दो ,धोबन बोली की मैंने तो पीपल के पेड़ के पास गाड दी, वहा से निकाल लो ।ब्राह्मन ने वहा जाकर देखा तो सोने की 108 मोहरे हो गई ।पूर गावँ में ढिंढोरा पिटवा दिया कि सोमवती अमावस्या का व्रत ,पूजा करे व दान दे ।
           हे सोमवती माता जैसे आपने साहुकार की बेटी को सुहाग दिया और धोबी को जीवन दान दिया वैसे ही सबको देना ।कहते को सुनते को व हुंकारा  भरते को । घटती हो तो पूरी करे पूरी हो तो मान रखना भगवान ।

सोमवती अमावस्या की कथा, SOMVATI AMAVASYA KI KATHA

No comments :

सोमवती अमावस्या की कथा

एक साहूकार के सात बेटे और सात ही बहुओं के साथ एक बेटी भी थी. साहूकार के घर रोज एक जोगी आता था जिसे साहूकार की बहू भिक्षा देती थी. उस जोगी को जब साहूकार की बेटी भिक्षा देने आती तो वह उससे भिक्षा नहीं लेता था और कहता कि तेरे भाग्य में सुहाग की जगह दुहाग लिखा है. लड़की को उस जोगी की यह बात बहुत बुरी लगती और एक दिन वह अपनी माँ से रोते-रोते जोगी की बात बताती है. सारी बात सुनकर माँ कहती है कि कल जब जोगी आएगा तब मैं सुनती हूँ कि वह क्या कहता है और क्यूँ कहता है?
अगले दिन फिर जोगी आता है तो साहूकारनी छिपकर बैठ जाती है और लड़की को भिक्षा देने भेजती है. जोगी उससे भिक्षा नहीं लेता और फिर वही बात दोहराता है कि तेरे भाग्य में सुहाग की बजाय दुहाग लिखा है. लड़की की माँ बाहर निकल कर आती है और जोगी से कहती है कि एक तो हम तुझे भिक्षा देते हैं और तू हमें गाली देता है! जोगी कहता है कि मैं गाली नहीं दे रहा हूँ जो बात सच है वही कह रहा हूँ. इसके भाग्य में जो लिखा है मैं वही सच आपको बता रहा हूँ.
सारी बातें सुनने पर लड़की की माँ कहती है कि जब तुझे सारी बात पता है तो इससे बचने का उपाय भी पता होगा वह बता? जोगी कहता है कि सात समंदर पार एक धोबन रहती है जिसका नाम सोना है. वह सोमवती अमावस्या का व्रत करती है, अगर वह आकर इसे फल दे दे तब ही इसका दुहाग टल सकता है अन्यथा विवाह के समय सर्प काटने से इसके पति की मृत्यु हो जाएगी. सारी बात सुनकर माँ रोने लगी और सोना धोबिन की तलाश में निकल गई.
चलते-चलते रास्ते में तेज धूप पड़ रही थी जिससे बचने के लिए वह एक पीपल के वृक्ष के नीचे बैठ गई. उसी वृक्ष पर एक गरुड़ के बच्चे अपने घोसलें में थे. एक साँप आया और गरुड़ के बच्चों को खाने के लिए लपका लेकिन साहूकारनी ने उस साँप को मारकर बच्चों की रक्षा की. कुछ देर बाद गरुड़नी आई और सब जगह ज्गून देखकर साहूकारनी को चोंच से मारने लगी. साहूकारनी बोली कि एक तो मैंने तेरे बच्चों को साँप से बचाया और तू मुझे ही मार रही है. सारी बातें जानने पर गरुंड़नी बोली कि तूने मेरे बच्चों की रक्षा की है इसलिए माँग जो चाहती है.
साहूकारनी गरुड़नी से कहती है कि मुझे सात समंदर पार सोना धोबिन के यहाँ छोड़ दो और गरुड़नी ने वैसा ही किया. साहूकारनी वहाँ पहुंच तो गई लेकिन सोचने लगी कि इसे कैसे मनाऊं? सोना धोबिन की भी सात बहुएँ थी लेकिन घर के काम को करने के लिए सदा आपस में ही लड़ती-झगड़ती रहती थी. रात को जब सब सो जाते तो साहूकारनी आती और चुपके से सारा काम कर उजाला होने से पहले चली भी जाती. सारी बहुएँ भी आपस में यही सोचती कि कौन सी बहू है जो सारा काम कर देती है लेकिन एक-दूसरे से पूछने की हिम्मत किसी की भी नहीं होती.
काम करने की बात सोना धोबिन ने भी देखी कि आजकल बहुएँ लड़ती भी नहीं है और काम भी सारा हो जाता है. सोना धोबिन ने सारी बहुओं को बुलाया और पूछा कि आजकल तुम लड़ती भी नहीं हो और घर का सारा काम कौन करता है? बहुएँ सास से झूठ कहती हैं कि लड़ाई करने से क्या फायदा इसलिए हम मिलकर काम कर लेती हैं. सोना धोबिन को अपनी बहुओं की बात पर विश्वास नहीं होता और वह रात में जागकर वह स्वयं सच देखना चाहती है कि कौन काम करता है!
रात होने पर सोना धोबिन छिपकर बैठ जाती है कि देखूँ कौन सी बहू काम करती है. रात हुई तो वह देखती है कि एक औरत चुपके से घर में घुस रही है. वह देखती है कि उसने घर का सारा काम कर दिया है और जाने की तैयारी में है. जैसे ही साहूकारनी जाने लगती है तो सोना धोबिन उसे रोकती है और पूछती है कि तुम कौन हो़? और क्या चाहती हो? साहूकारनी कहती है कि पहले तुम वचन भरो तब बताऊँगी. वह वचन भरती है तब साहूकारनी कहती है कि मेरी बेटी के भाग्य में दुहाग लिखा है लेकिन तुम सोमवती अमावस्या करती हो तो मेरे साथ चलकर उसे सुहाग दे दो.
सोना धोबिन वचन से बँधी थी तो वह साहूकारनी के साथ चलने को तैयार हो जाती है. जाते हुए सोना धोबिन अपने बेटों व बहुओं से कहती है कि मैं इस औरत के साथ इसकी बेटी को सुहाग देने जा रही हूँ लेकिन अगर मेरे पीछे से तुम्हारे पिताजी मर जाएँ तो उन्हें तेल के कूपे में डालकर रख देना. धोबिन साहूकारनी के घर पहुँच जाती है. साहूकरनी अपनी बेटी का विवाह करती है तो फेरों के समय सोना धोबिन कच्चा करवा, दूध तथा तार लेकर बैठ जाती है. कुछ समय बाद साँप आया और दूल्हे को डसने लगा तो सोना धोबिन ने करवा आगे कर तार से साँप को बाँध दिया और साँप मर गया. अब सोना धोबिन ने लड़की को सुहाग दिया और कहा कि जितनी अमावस्याएँ मैने की हैं उन सभी का फल साहूकार की इस लड़की को मिलेगा. अब आगे जो अमावस्याएँ मैं करुँगी उनका फल मेरे पति व बेटों को मिलेगा.
सभी लोग सोमवती अमावस्या की जय-जयकार करने लगे. सोना धोबिन अपने घर वापिस जाने को तैयार हुई तो साहूकारनी ने कहा कि तुमने मेरे जमाई को जीवनदान दिया है इसलिए तुम जो चाहो माँग लो. सोना धोबिन बोली कि मुझे कुछ नहीं चाहिए और वह चली गई. रास्ते में चलते हुए फिर से सोमवती अमावस्या आ गई उसने पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर कहानी कही, व्रत रखा और पीपल के पेड़ की 108 बार परिक्रमा की.
पीपल के पेड़ की पूजा के बाद वह घर जाती है तो देखती है कि उसका पति मरा पड़ा है. अब रास्ते में जो सोमवती अमावस्या उसने की थी उसका फल अपने पति को दे दिया जिसके प्रभाव से वह पुन: जीवित हो गया. सब कहने लगे कि तूने ऎसा क्या किया जो तेरा पति जिन्दा हो गया? वह कहती है कि मैंने तो ऎसा कुछ नहीं किया है बस रास्ते में सोमवती अमावस्या आ गई थी जिसका मैने व्रत किया, कहानी कही और पीपल के वृक्ष की 108 बार परिक्रमा की.
अब सारी नगरी में ढिंढोरा पिटवा दिया गया कि हर कोई सोमवती अमावस्या करेगा, पूजा करेगा, व्रत रखेगा, कहानी कहेगा और पीपल के वृक्ष की 108 बार परिक्रमा करेगा. हे सोमवती अमावस्या ! जैसा आपने साहूकार की बेटी का सुहाग दिया वैसे ही सबका देना.

Friday 29 September 2017

सोमवती अमावस्या का महत्व Somwati Amavasya Ka Mahatwa

No comments :
सोमवती अमावस्या का महत्व  Somwati Amavasya Ka Mahatwa

सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं। कहते है सोमवती अमावस्या Somwati Amavasya बड़े भाग्य से पड़ती है।
पांडव तरसते रहे लेकिन उनके जीवन में सोमवती अमावस्या Somwati Amavasya कभी पड़ी ही नहीं। सोमवार भगवान चन्द्र को समर्पित दिन है।

 भगवान चन्द्र को शास्त्रों में मन का कारक माना गया है। अत: इस दिन अमावस्या पड़ने का अर्थ है कि यह दिन मन सम्बन्धी दोषों के समाधान के लिये अति उत्तम है।
चूंकि हमारे शास्त्रों में चन्द्रमा को ही समस्त दैहिक, दैविक और भौतिक कष्टों का कारक माना जाता है। सोमवती अमावस्या Somvati Amavasya के ब्रत को भीष्म पितामह ने 'ब्रत शिरोमणि' अर्थात 'ब्रतराज' कहा है। अत: पूरे वर्ष में एक या दो बार पड़ने वाले इस दिन का बहुत विशेष महत्व है।
विवाहित स्त्रियों द्वारा इस दिन अपने पतियों के दीर्घायु कामना के लिए व्रत का विधान है।

 सोमवती अमावस्या Somwati Amavasya कलियुग के कल्याणकारी पर्वो में से एक है, लेकिन सोमवती अमावस्या Somwati Amavasya को अन्य अमावस्याओं से अधिक पुण्य कारक मानने के पीछे भी शास्त्रीय और पौराणिक कारण हैं। सोमवार को भगवान शिव और चंद्रमा का दिन कहा गया है। सोम यानि चंद्रमा। अमावस्या और पूर्णिमा के दिन चंद्रमा का सोमांश यानि अमृतांश सीधे-सीधे पृथ्वी पर पड़ता है। शास्त्रों के अनुसार सोमवती अमावस्या Somwati Amavasya पर चंद्रमा का अमृतांश पृथ्वी पर सबसे अधिक मात्रा में पड़ता है।
अमावस्या अमा और वस्या दो शब्दों से मिलकर बना है। शिव महापुराण में इस संधि विच्छेद को भगवान शिव ने माता पार्वती को समझाया था। क्योंकि सोम को अमृत भी कहा जाता है, अमा का अर्थ है एकत्र करना और वस्या वास को कहा गया है। यानि जिसमें सब एक साथ वास करते हों वह अमावस्या अति पवित्र सोमवती अमावस्या Somwati Amavasya कहलाती है। यह भी माना जाता है की सोमवती अमावस्या में भक्तों को अमृत की प्राप्ति होती है।

 निर्णय सिंधु व्यास के वचनानुसार इस दिन मौन रहकर स्नान-ध्यान करने से सहस्र गोदान का पुण्य फल प्राप्त होता है।  हिन्दु धर्म शास्त्रों में इसे अश्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत की भी संज्ञा दी गयी है। अश्वत्थ यानि पीपल वृक्ष। इस दिन पीपल कि सेवा,पूजा, परिक्रमा का अति विशेष महत्व है।
शास्त्रों के अनुसार में पीपल की छाया से, स्पर्श करने से और प्रदक्षिणा करने से समस्त पापों का नाश, अक्षय लक्ष्मी की प्राप्ति और आयु में वृद्धि होती है।
पीपल के पूजन में दूध, दही, मीठा,फल,फूल, जल,जनेऊ जोड़ा चढ़ाने और दीप दिखाने से भक्तों कि सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कहते है कि पीपल के मूल में भगवान विष्णु, तने में भगवान शिव जी तथा अग्रभाग में भगवान ब्रह्मा जी का निवास है। इसलिए सोमवार को यदि अमावस्या हो तो पीपल के पूजन से अक्षय पुण्य, लाभ तथा सौभाग्य की वृद्धि होती है।

 इस दिन विवाहित स्त्रियों द्वारा पीपल के वृक्ष की दूध, जल, पुष्प, अक्षत, चन्दन इत्यादि से पूजा और वृक्ष के चारों ओर
१०८ बार धागा लपेट कर परिक्रमा करने का विधान होता है।और प्रत्येक परिक्रमा में कोई भी एक मिठाई, फल, मिश्री या मेवा चढ़ाने से विशेष लाभ होता है । प्रदक्षिणा के समय 108 फल अलग रखकर समापन के समय वे सभी वस्तुएं
ब्राह्मणों और निर्धनों को दान करें। मान्यता है की यदि कोई भी जातक ( स्त्री या पुरुष ) इस प्रक्रिया को कम से कम तीन सोमवती अमावस्या तक करे तो उसे जीवन की सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है,
सारे कार्य सुगमता से बनने लगते है। इस प्रक्रिया से पितृ दोष का भी निश्चित ही समधान होता है।  अतः हर जातक को सोमवती अमावस्या के दिन
पीपल का यह उपाय अवश्य ही करना चाहिए ।
 इस दिन जो स्त्री तुलसी व माता पार्वती पर सिन्दूर चढ़ाकर अपनी माँग में लगाती है वह अखण्ड सौभाग्यवती बनी रहती है । आज के दिन महिलाएँ कपड़ा, गहना, बरतन, अनाज अथवा कोई भी खाने की वस्तु वस्तुयें दान कर सकती है जिससे उनके जीवन में शुभता आती है,समाज में उनके परिवार का नाम होता है, यश मिलता है ।
 जिन जातकों की जन्मपत्रिका में घातक कालसर्प दोष KaalSarp Dosh है, वे लोग यदि सोमवती अमवस्या Somwati Amavasya पर चांदी के बने नाग-नागिन की विधिवत पूजा करके उन्हे नदीं में प्रवाहित कर दें, भगवान भोले भण्डारी पर कच्चा दूध चढ़ायें, पीपल पर मीठा जल चढ़ाकर उसकी परिक्रमा करें, धूप दीप जलाएं, ब्रह्मणो को यथा शक्ति दान दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद ग्रहण करें तो उन्हें निश्चित ही कालसर्प दोष से छुटकारा मिलेगा। 

Thursday 21 September 2017

सोमवती अमावस्या की कथा Somvati Amavasya Ki Katha

No comments :

सोमवती अमावस्या Somvati Amavasya से सम्बंधित अनेक कथाएँ प्रचलित हैं। एक गरीब ब्रह्मण परिवार था, जिसमे पति, पत्नी के अलावा एक पुत्री भी थी। पुत्री धीरे धीरे बड़ी होने लगी, वह सुन्दर, सुशील, संस्कारवान एवं गुणवान थी, लेकिन गरीबी के कारण उसका विवाह नहीं हो पा रहा था।

 एक दिन ब्रह्मण के घर एक साधू पधारे, वह कन्या के सेवाभाव से बहुत प्रसन्न हुए। कन्या को दीर्घ आयु का आशीर्वाद देते हुए साधू ने कहा की कन्या के हथेली में विवाह का योग नहीं है। ब्राह्मण ने साधू से उपाय पूछा कि कन्या ऐसा क्या करे की उसके हाथ में विवाह योग बन जाए। तब साधू ने अपनी अंतर्दृष्टि से ध्यान करके बताया कि कुछ दूरी पर एक गाँव में सोना नाम की धोबी महिला अपने पति, बेटे और बहू के साथ रहती है, वह बहुत ही संस्कारी तथा पति परायण है। यदि आपकी कन्या उसकी सेवा करे और वह इसकी शादी में अपने मांग का सिन्दूर लगा दे, उसके बाद इस कन्या का विवाह हो तो इस कन्या का वैधव्य योग मिट सकता है। साधू ने बताया लेकिन वह महिला कहीं भी आती जाती नहीं है।

 यह बात सुनकर ब्रह्मणि ने अपनी बेटी से धोबिन कि सेवा करने कि बात कही। कन्या प्रतिदिन तडके उठ कर सोना धोबिन के घर जाकर, सफाई और अन्य सारे करके अपने घर वापस आ जाती। जब सोना धोबिन अपनी बहू से इसके बारे में पूछा के क्या वह यह सारे कार्य करती है तो बहू ने कहा कि माँजी मैं तो देर से उठती हूँ।तो सोना निगरानी करने करने लगी कि कौन तडके ही घर का सारा काम करके चला जाता है ।

 एक दिन सोना ने उस कन्या को देख लिया, जब वह जाने लगी तो सोना धोबिन उसके पैरों पर गिर पड़ी, पूछने लगी कि आप कौन है और इस तरह छुपकर मेरे घर की चाकरी क्यों करती हैं।आप ब्राह्मण कन्या हो आपके द्वारा यह करने से मैं पाप कि भागी बन रही हूँ ।
तब कन्या ने साधू द्बारा कही पूरी बात बताई। सोना धोबिन पति परायण थी, उसमें तेज था। वह तैयार हो गई। सोना धोबिन के पति थोड़ा अस्वस्थ थे। उसमे अपनी बहू से अपने लौट आने तक घर पर ही रहने को कहा।

सोना धोबिन ने जैसे ही अपने मांग का सिन्दूर कन्या की मांग में लगाया, उसके पति का स्वर्गवास हो गया । उसे इस बात का पता चल गया। वह घर से निराजल ही चली थी, यह सोचकर की रास्ते में कहीं पीपल का पेड़ मिलेगा तो उसे भँवरी देकर और उसकी परिक्रमा करके ही जल ग्रहण करेगी.उस दिन सोमवती अमावस्या Somvati Amavasya थी। ब्रह्मण के घर मिले पूए-पकवान की जगह उसने ईंट के टुकडों से ही 108 बार भँवरी देकर 108 बार पीपल के पेड़ की परिक्रमा की, और उसके बाद जल ग्रहण किया। ऐसा करते ही उसके पति के मुर्दा शरीर में कम्पन होने लगा।

 इसीलिए सोमवती अमवास्या Somvati Amavasya के दिन जो भी जातक धोबी, धोबन को भोजन कराता है, उनका सम्मान करता है, उन्हें दान दक्षिणा देता है, उसका दाम्पत्य जीवन लम्बा और सुखमय होता है उसके सभी मनोरथ अवश्य ही पूर्ण होते है ।

शास्त्रों के अनुसार चूँकि पीपल के पेड़ में सभी देवों का वास होता है। अत:, सोमवती अमावस्या Somvati Amavasya के दिन से शुरू करके जो व्यक्ति हर अमावस्या के दिन भँवरी देता है, उसके सुख और सौभग्य में वृध्दि होती है। जो हर अमावस्या Amavasya को न कर सके, वह सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या के दिन 108 वस्तुओं कि भँवरी देकर सोना धोबिन और गौरी-गणेश कि पूजा करता है, उसकी कथा कहता है उसे अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

Wednesday 20 September 2017

सोमवती अमावस्या के उपाय Somvati Amavasya Ke upay

No comments :


सोमवती अमावस्या Somvati Amavasya को अत्यंत पुण्य तिथि माना जाता है । मान्यता है कि सोमवती अमावस्या Somvati Amavasya के दिन किये गए किसी भी प्रकार के उपाय शीघ्र ही फलीभूत होते है । सोमवती अमावस्या Somvati Amavasya के दिन उपाय करने से मनुष्यों को सभी तरह के शुभ फल प्राप्त होते है, अगर उनको कोई कष्ट है तो उसका शीघ्र ही निराकरण होता है और उस व्यक्ति तथा उसके परिवार पर आने वाले सभी तरह के संकट टल जाते है।

 इस दिन जो मनुष्य व्यवसाय में परेशानियां से जूझ रहे हो, वे पीपल वृक्ष के नीचे तिल के तेल का दिया जलाकर और ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जाप करें तो उनकी व्यवसाय में आ रही समस्त रुकावट दूर हो जाएगी।

 सोमवती अमावस्या Somvati Amavasya के पर्व पर अपने पितरों के निमित्त पीपल का वृक्ष लगाने से जातक को सुख-सौभाग्य, संतान, पुत्र, धन की प्राप्ति होती है और उसके समस्त पारिवारिक क्लेश समाप्त हो जाते हैं।

 इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का भी विशेष महत्व समझा जाता है। कहा जाता है कि महाभारत में भीष्म ने युधिष्ठिर को इस दिन का महत्व समझाते हुए कहा था कि, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने वाला मनुष्य निश्चय ही समृद्ध, स्वस्थ और सभी दुखों से मुक्त होगा। सोमवती अमावस्या Somwati Amavasya के ब्रत को भीष्म पितामह ने 'ब्रत शिरोमणि' अर्थात 'ब्रतराज' कहा है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पितरों कि आत्माओं को शांति मिलती है।

 इस दिन पवित्र नदियों, तीर्थों में स्नान, ब्राह्मण भोजन, गौदान, अन्नदान, वस्त्र, स्वर्ण आदि दान का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन गंगा स्नान का भी विशिष्ट महत्त्व है। इस दिन यदि गंगा जी जाना संभव न हो तो प्रात:काल किसी नदी या सरोवर आदि में स्नान करके भगवान शंकर, पार्वती और तुलसी की भक्तिपूर्वक पूजा करें।

 सोमवार भगवान शिव जी का दिन माना जाता है और सोमवती अमावस्या Somvati Amavasya तो पूर्णरूपेण शिव जी को समर्पित होती है। इसलिए इस दिन भगवान शिव कि कृपा पाने के लिए शिव जी का अभिषेक करना चाहिए, या प्रभु भोले भंडारी पर बेलपत्र, कच्चा दूध, मेवे, फल, मीठा, जनेऊ जोड़ा आदि चढ़ाकर ॐ नम: शिवाय का जाप करने से सभी कष्टों से छुटकारा मिलता है।

मान्यता है कि सोमवती अमावस्या Somvati Amavasya के दिन सुबह-सुबह नित्यकर्मों से निवृत्त होकर किसी भी शिव मंदिर में जाकर सवा किलो साफ चावल अर्पित करते हुए भगवान शिव का पूजन करें। पूजन के पश्चात यह चावल किसी ब्राह्मण अथवा जरूरतमंद व्यक्ति को दान करें। शास्त्रों के अनुसार सोमवती अमवस्या Somvati Amavasya पर शिवलिंग पर चावल चढ़ाकर उसका दान करने से अक्षय पुण्य मिलता है माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।

 शास्त्रों में वर्णित है कि सोमवती अमावस्या Somvati Amavasya के दिन उगते हुए भगवान सूर्य नारायण को गायत्री मंत्र उच्चारण करते हुए अर्घ्य देने से गरीबी और दरिद्रता दूर होगी। यह क्रिया आपको अमोघ फल प्रदान करती है ।

 सोमवती अमावस्या Somvati Amavasya के दिन 108 बार तुलसी के पौधे की श्री हरि-श्री हरि अथवा ॐ नमो नारायण का जाप करते हुए परिक्रमा करें, इससे जीवन के सभी आर्थिक संकट निश्चय ही समाप्त हो जाते है।

 जिन लोगों का चंद्रमा कमजोर है, वह यदि गाय को दही और चावल खिलाएं तो उन्हें अवश्य ही मानसिक शांति प्राप्त होगी।

 इसके अलावा मंत्र जाप, सिद्धि साधना एवं दान कर मौन व्रत को धारण करने से पुण्य प्राप्ति और भगवान का आशीर्वाद मिलता है।

इस दिन स्वास्थ्य, शिक्षा,कानूनी विवाद,आर्थिक परेशानियों और पति-पत्नी सम्बन्धी विवाद के समाधान हेतु किये गये उपाय अवश्य ही सफल होते है ।
इस दिन जो व्यक्ति धोबी,धोबन को भोजन कराता है,सम्मान करता है, दान दक्षिणा देता है, उसके बच्चो को कापी किताबे, फल, मिठाई,खिलौने आदि देता है उसके सभी मनोरथ अवश्य ही पूर्ण होते है ।
 इस दिन ब्राह्मण, भांजा और ननद को फल, मिठाई या खाने की सामग्री का दान करना बहुत ही उत्तम फल प्रदान करता है।

Saturday 2 September 2017

शराब छुड़ाने के अचूक टोटके, Sharab Chudane ke achuk Totke

No comments :
शराब छुड़ाने के अचूक टोटके
Sharab Chudane ke achuk Totke


शनिवार के दिन शाम के समय शराब की एक पूरी बोतल या आधी बोतल लेकर उस शराब में 800 ग्राम सरसों के तेल मिलाकर उसे किसी बड़ी बोतल मे भर कर उसे अच्छी तरह से बंद कर दें l फिर उसे शराबी व्यक्ति के उपर से 21 बार उतारकर चुपचाप बिना किसी से बोले किसी बहती हुई नदी, या नहर के किनारे उस बोतल को उलटी करके गाड़ दे l कुछ ही दिनों मे उस व्यक्ति की शराब छुट जायेगी l जब आपका कार्य पूरा हो जाये तब आप किसी भी हनुमान मंदिर में प्रशाद अवश्य ही चढ़ा दें ।

यदि कोई व्यक्ति बहुत ज्यादा शराब पीता है तो उसकी पत्नी मंगल या शनिवार को चरखा चलाए और मन ही मन में बजरंग बलि से अपने पति की शराब की आदत छुड़वाने की प्रार्थना करें ।।

यदि कोई व्यक्ति बहुत ज्यादा शराब पीता है और उसके घर वाले चाहते है कि उसकी शराब छूट जाये तो उसकी पत्नी बिलकुल चुपचाप अपने पैरों के बिछुए को पानी से धो ले फिर पति की शराब की बोतल में से थोड़ी सी शराब किसी शीशी में लेकर उसमें अपने बिच्छुए डाल दे, यह बात वह किसी को भी नहीं बताये। फिर एक दो दिन के बाद उस शराब से अपना बिछुआ निकाल कर उस शराब को दूसरी किसी शराब की बोतल में डाल दें। ऐसा पांच मंगलवार या शनिवार करने से पति शराब से तौबा करने लगेगा ।

एक अन्य उपाय भी आजमा सकते है । शुक्ल पक्ष के पहले शनिवार को सुबह सवा मीटर काला कपड़ा तथा सवा मीटर नीला कपड़ा लेकर इन्हे एक-दूसरे के ऊपर रखकर इसके उपर 800 ग्राम कच्चे कोयले, 800 ग्राम काली साबूत उड़द, 800 ग्राम जौ एवं काले तिल, 8 बड़ी कीलें तथा 8 सिक्के रखकर उसकी एक पोटली बांध लें। फिर जिस व्यक्ति की शराब छुड़वाना है उसकी लंबाई से आठ गुना अधिक लम्बा काला धागा लेकर उसे एक जटा वाले नारियल पर लपेट दें ।

* इस नारियल के ऊपर काजल का तिलक लगाकर उसे धूप-दीप अर्पित करके उस व्यक्ति की शराब पीने की आदत छुड़ाने की प्रार्थना करें। उसके बाद यह सारी सामग्री किसी बहती हुई नदी में प्रवाहित कर दें। फिर उसे प्रणाम करके घर वापस आ जाएं पीछे मुड़कर बिलकुल भी न देखें। घर के अंदर प्रवेश करने से पहले अपने हाथ-पैर जरूर धो लें । उसके बाद शाम को किसी पीपल के वृक्ष के नीचे जाकर तिल के तेल का दीपक लगाएं। इसे आने वाले बुधवार व शनिवार को एक बार फिर से दोहराएं। यह उपाय बिलकुल चुपचाप करें इसके बारे में किसी को भी नहीं बताएं । कुछ ही समय में अवश्य ही शराब का आदि व्यक्ति शराब छोड़ देगा ।

जो व्यक्ति अधिक शराब पीता है तो उसके घर का कोई भी सदस्य सात बताशे लेकर उन बताशों में सरसों के तेल की तीन-चार बूंदे डालकर फिर उन बताशे को हाथ से मसलकर चुपचाप घर से बाहर कहीं दूर ले जाकर फेंक दें। ऐसा 11 दिन लगातार करने से शराबी की शराब पीने की लत अवश्य ही छूट जाती है ।

एक प्रचलित टोटका है ……………जंगली कौवे के पंख को पानी में हिलाकर शराबी को 7 दिन तक पंख वाला पानी पिलाने से बड़े से बड़ा शराबी भी शराब की लत को छोड़ देता है ।

हमें उम्मीद है कि उपरोक्त बताये हुए उपायों / टोटको से आपको अपनी या किसी भी व्यक्ति की शराब की आदत को छुड़वाने में निश्चित रूप से सफलता प्राप्त होगी ।

शराब छुड़ाने का एक और अचूक उपाय, Sharab se chutkara pane ke upay

No comments :

 शराब छुड़ाने का एक और अचूक उपाय


अगर कोई व्यक्ति शराब छोड़ना चाहता है तो उस व्यक्ति को जब भी शराब पीने की इच्छा हो तब किशमिश का 1 -2 दाना मुंह में डालकर चूसें इसके आलावा वह किशमिश का शरबत का भी सेवन करें ।

शराब की आदत छुड़ाने के लिए खजूर बहुत अधिक सहायता देता है। इसके लिए पानी में कुछ खजूर घिसें फिर दिन में दो - तीन बार इस मिश्रण का सेवन करें। इससे शीघ्र ही शराब की आदत छूट जायगी ।

गाजर के जूस से शराब पीने की इच्छा कम होती जाती है । दिन में एक गिलास गाजर का जूस अवश्य ही पीये यह शराब को छोड़ने में बहुत सहायक होता है इससे नेत्रों की रौशनी बढ़ती है और पाचन तंत्र में भी सुधार होता है।

एक और आजमाया हुआ उपाय है शिमला मिर्च (कैप्सिकम ) लेकर जूसर से उसका रस निकाल लीजिए । इस रस का सेवन दिन में दो बार आधा आधा कप भोजन के बाद करें । इस अचूक उपाय से शराब की तलब अपने आप घटने लगती है और फिर जल्द ही पूरी तरह से समाप्त हो जाती है ।

शराब छुड़ाने का एक और अचूक उपाय है । आप सोने-चांदी का काम करने वाले सुनार के पास से सल्फ़्युरिक एसिड यानि शुद्ध गंधक का तेज़ाब ले आइए और जिसकी शराब छुड़वानी हो उसके शराब के पैग में चुपचाप इस तेज़ाब की चार बूंद डाल दीजिए। फिर उसे पीने दीजिये। ऐसा कुछ समय तक लगातार कीजिये । कुछ ही दिन में आपको यह महसूस होगा कि शराबी व्यक्ति की शराब पीने की इच्छा स्वत: ही अपने आप ही कम होने लगी है । उसे शराब के प्रति अरुचि होने लगेगी । लेकिन इस बात का ध्यान रहे कि व्यक्ति को इस दौरान स्वास्थ्यवर्धक आहार अवश्य ही दें ।

शराब पीने वाले लोगो के शरीर मे सल्फर (SULPHUR) की बहुत ज्यादा कमी हो जाती है उसके लिए किसी भी होम्योपैथिक की दुकान से SULPHUR 200 खरीद कर इसका प्रयोग करे ये बहुत ही आसानी से शराब की लत को छुडा देता है। इसकी एक बूंद सुबह खाली पेट जीभ पर दाल लीजिये फिर आधे घंटे तक कुछ भी नहीं खाएं । ऐसा लगातार 5-6 दिन तक करें । इसके बाद हफ्ते में 2-3 बार इसे लेते रहे, लगातार डेढ़ से दो महीने तक ऐसे ही लेते रहने से बड़े बड़े पियक्कड की भी शराब की लत छूट जाती है ।

तंबाकू, गुटका,बीड़ी, सिगरेट आदि नशा करने वालो के शरीर में फास्फोरस (PHOSPHORUS) तत्व की कमी हो जाती है उसके लिए PHOSPHORUS 200 का ऐसे ही प्रयोग करे।इसके प्रयोग से तंबाकू, गुटका,बीड़ी, सिगरेट आदि सभी नशे की आदत अवश्य ही छूट जाती है।

500 ग्राम देसी अजवाइन को पीसकर उसे 7 - 8 लीटर पानी में दो दिन के लिए भिगो दें। फिर उसे धीमी आंच पर इतना पकाएं कि वह पानी लगभग 2 लीटर रह जाए। इस पानी को ठंडा होने पर छान कर किसी साफ बोतल में भर दें। अब जब भी आपकी शराब पीने की इच्छा हो आप इसे 5 - 5 चम्मच पियें । इसके सेवन में कुछ ही दिनों में शराब पीने कि आदत ख़त्म हो जाती है ।

शराब से कैसे छुटकारा पाएं ( Sharab Se kaise chutkara payen ),

No comments :

शराब का नशा ( sharab ka nasha ) बहुत ही घातक माना जाता है । एक अनुमान के अनुसार शराब के नशे के कारण हर साल लगभग 40 लाख से ज्यादा लोगों की जान जाती है । एड्स, टीबी और हिंसा के शिकार व्यक्तियों को मिलाकर देखा जाए, तो भी शराब की चपेट में आकर जान खोने वाले लोग कहीं ज्यादा हैं ।
विश्व भर में हर 18 मौतों में एक मौत शराब की वजह से ही होती है। सड़क दुर्घटनाओं में भी सबसे ज्यादा मौतें शराब के नशे में गाड़ी चलाने से ही होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के अनुसार शराब की वजह से हर 10 सेकेंड पर एक व्यक्ति की मौत होती है। विश्व भर में मरने वाले लोगों में से करीब 6 प्रतिशत आल्कोहल की वजह से मरते है ।

वैज्ञानिको के अनुसार लगभग 200 से ज्यादा बीमारियाँ शराब के कारण ही होती हैं । शराब से आपको लिवर का कैंसर या लिवर सिरोसिस होने का खतरा भी किसी दूसरे के मुकाबले 10 गुना ज्यादा होता है । इसके अतिरिक्त निमोनिया, एड्स, टीबी और नपुंसक होने का खतरा भी शराब की वजह से बढ़ता है। शराब हमारी यादाश्त पर भी बुरा प्रभाव डालता है। शराब पीने से नेत्रों की ज्योति भी कमजोर होती है।

शराब स्त्रियों के लिए तो बहुत ही ज्यादा खतरनाक है । इससे उनकी प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है। उनकी होने वाली संतानो पर इसका बहुत ही दुषप्रभाव पड़ता है। वह कमजोर, मानसिक रूप से दुर्बल और विकलांग तक पैदा हो सकती है । शराब की वजह से महिलाओं में कोलन (मलाशय) और ब्रेस्ट कैंसर का खतरा भी बहुत बढ़ जाता है।

इसके अतिरिक्त शराब की वजह से तमाम बुराइयों को भी बढ़ावा मिलता है क्योंकि शराब पीने के बाद व्यक्ति को किसी भी चीज़ का होश नहीं रहता है । वह सही और गलत का फैसला नहीं कर पाता है ।
शराब के नशे की वजह से घरेलू हिंसा, बलात्कार, मारपीट और आत्महत्या जैसे मामले बहुत ज्यादा बढ़ जाते है । जो लोग सक्षम नहीं है उनकी इस आदत की वजह से परिवार को बहुत ज्यादा आर्थिक दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता है । उसके पत्नी बच्चो और परिवार के अन्य सदस्यों की बहुत सी आवश्यकतायें भी पूरी नहीं हो पाती है। इसलिए आल्कोहल के इस बुरे असर से आम लोगों को बचाने की बहुत ही जरूरत है।
हम यहाँ पर आपको कुछ ऐसे शराब छुड़ाने के आसान उपाय / शराब छुड़ाने के टोटके ( Sharab Chudane ke totke ) बता रहे है जिससे निश्चय ही किसी भी व्यक्ति की शराब की आदत छूट जाएगी ।


जो लोग शराब छोड़ना चाहते है उन्हें सुबह शाम सेब का रस पीना चाहिए और भोजन के साथ सेब का सेवन करने से भी शराब कि आदत छुट जाती है !
इसके अतिरिक्त यदि उबले हुए सेबों को दिन में तीन बार खिलाया जाए, तो भी कुछ ही दिनों में शराब पीने की आदत से छुटकारा मिल जाता है!


होम्योपैथिक दवा SPIRTAS GLANDIUM QUERCUS शराब छुड़ाने में बड़ी कारगर सिद्द होती है । यह होम्योपैथिक दवा एक लीटर में बारह बूंद मिला कर रख लें, इस शराब सेवन करने से शराबी अरुचि सी होने लगेगी और वह दो तीन महीने में खुद ही शराब पीना बंद कर देंगे।
यह ध्यान दें की जब इस दवा के बाद शराबी की आदत छूट जाती है तो उसे दो माह तक सुबह शाम दो-दो चम्मच गुलकन्द अवश्य खिलाएं हैं और इसके पंद्रह बीस मिनट बा्द दो चम्मच अश्वगंधारिष्ट पानी के साथ दें । इससे खोया स्वास्थ्य वापस आ जाता है, कमजोरी दूर होती है ।



नींबू में विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है।निम्बू हमारे शरीर में नेचुरल तरीके से डिटॉक्स करने और प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने का काम है। नशे की आदत से छुटकारा पाने के लिए नित्य सुबह 3 से 4 ताजे नींबू का रस निकालकर गुनगुने पानी में मिलाकर खाली पेट सेवन करें।
इसके सेवन से शरीर के विषाक्त पदार्थ, अतिरिक्त चर्बी प्रभावी रूप से दूर होती हैं, एवं नशा करने की तलब भी नहीं होती है।


पथरी से छुटकारा pathri se chutkara

No comments :



 पथरी ( Pathri ) होने पर एपल साइडर विनिगर ( सेब का सिरका ) का प्रयोग करें | इससे खुलकर पेशाब होता है और यह बहुत ही जल्दी पथरी को गला कर ( pathri ko gala kar ) बाहर निकाल देता है|
दो बड़े चम्मच एपल साइडर विनिगर , एक छोटी चम्मच शहद को एक कप गर्म पानी में मिलाकर दिन में दो तीन बार ले | इससे 15 से 20 दिनों में ही पथरी से छुटकारा ( pathri se chutkara ) मिल जाता है |

 नारियल का पानी पीने से पथरी ( pathri ) में फायदा होता है। पथरी होने पर नारियल का प्रतिदिन पानी पीना चाहिए।

 करेला वैसे तो बहुत कड़वा होता है परन्‍तु पथरी में रामबाण ( pathri me ramban ) की तरह काम करता है। करेले में मैग्‍नीशियम और फॉस्‍फोरस नामक तत्‍व होते हैं, जो पथरी को बनने से रोकते हैं।
पथरी होने पर दो छोटे चम्मच करेले के रस को सुबह शाम 8-10 दिन पियें इससे महीन महीन कणो में पथरी ( pathri ) टूटकर पेशाब के द्वारा बाहर निकल जाती है |

पथरी होने पर अजवाइन का अधिक से अधिक प्रयोग करें | अजवाइन के सेवन से दोहरा लाभ मिलता है, इससे पेशाब अधिक आता है और अजवाइन पथरी के कारणों को समाप्त करती है अर्थात इसके सेवन से पथरी दोबारा नहीं बनती है | प्रतिदिन प्रात: एक चम्मच अजवाइन को गर्म पानी के साथ लें | इससे एक माह में ही पथरी से छुटकारा ( pathri se chutkara ) मिलता है |

15 दाने बडी इलायची के एक चम्मच, खरबूजे के बीज की गिरी और दो चम्मच मिश्री, एक कप पानी में मिलाकर सुबह-शाम दो बार पीने से पथरी निकल जाती है।

अंगूर में एल्ब्यूमिन और सोडियम क्लोराइड बहुत ही कम मात्रा में होता हैं, इसलिए किडनी में स्‍टोन के उपचार के लिए अंगूर को बहुत ही उत्तम माना जाता है। चूँकि इनमें पोटेशियम नमक और पानी भरपूर मात्रा में होते है इसलिए अंगूर प्राकृतिक मूत्रवर्धक के रूप में भी उत्कृष्ट रूप में कार्य करता है।

 पका हुआ जामुन पथरी से निजात दिलाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पथरी होने पर पका हुआ जामुन खाना चाहिए।

 किडनी में स्‍टोन को निकालने में बथुए का साग भी बहुत ही कारगर होता है। इसके लिए आप आधा किलो बथुए के साग को उबाल कर छान लें। अब इस पानी में जरा सी काली मिर्च, जीरा और हल्‍का सा सेंधा नमक मिलाकर, दिन में चार बार पीने से शीघ्र ही फायदा होता है।

आंवला पथरी में बहुत फायदा करता है। नित्य प्रातः अवाले का चूर्ण मूली के साथ खाने से मूत्राशय की पथरी निकल जाती है।

 प्याज में गुर्दे की पथरी के इलाज के लिए औषधीय गुण पाए जाते हैं। इसका प्रयोग से हम किडनी में स्‍टोन से निजात पा सकते है। लगभग 70 ग्राम प्‍याज को पीसकर और उसका रस निकाल कर पियें। सुबह, शाम खाली पेट प्‍याज के रस का नियमित सेवन करने से पथरी छोटे-छोटे टुकडे होकर निकल जाती है।

 पथरी ( pathri ) में पथरचट्टा के पत्ते अत्यंत लाभदायक है | पथरी होने पर सुबह शाम 4-5 पथरचट्टे के पत्तो को साफ करके चबा चबा कर खाएं एवं इनका रस निकाल कर पियें | इससे किसी भी तरह की पथरी गल कर निकल जाती है |

 पथरी ( pathri ) में पथरचट्टा के पत्ते अत्यंत लाभदायक है | पथरी होने पर सुबह शाम 4-5 पथरचट्टे के पत्तो को साफ करके चबा चबा कर खाएं एवं इनका रस निकाल कर पियें | इससे किसी भी तरह की पथरी गल कर निकल जाती है |

पथरी के देसी नुस्खे

No comments :
पथरी के देसी नुस्खे


वर्तमान समय में पथरी की समस्या ( pathri Ki Samasya ) बहुत ही विकराल होती जा रही है। महिलाओं की अपेक्षा पुरुषो में पथरी ( pathri ) की परेशानी ज्यादा होती है ।
आयुर्वेद में किडनी में स्टोन ( Kidney me Stone ) के इलाज में कुलथी को बहुत लाभदायक माना गया है। गुर्दे की पथरी ( gurde ki pathri ) और गॉल ब्लैडर की पथरी ( Gall bladder ki pathri ) पित्‍ताशय की पथरी ( Pittashay ki pathri ) लिए कुल्थी अत्यंत फायदेमंद औषधि है।


कुलथी उड़द के समान होती है। यह देखने में लाल रंग की होती है, इसका सूप या इसकी दाल बना कर पथरी के रोगी को दी जाती है। कुल्थी में पथरी एवं शर्करानाशक गुण होते है। कुल्थी ना केवल वात एवं कफ का शमन करती है वरन उनको शरीर में संचय भी नहीं होने देती है। कुल्थी के नित्य सेवन से पथरी गल कर निकल जाती है ।

आयुर्वेद में कुल्थी को पथरीनाशक बताया गया है। कुलथी में विटामिन ए होता है, यह शरीर में विटामिन ए की पूर्ति करके पथरी को रोकने में मदद करती है । और यह पथरी बनने की कारण को भी समाप्त करती है, जिससे पथरी दोबारा नहीं बनती है। कुल्थी के सेवन से पथरी छोटे छोटे टुकड़ो में टूट जाती है , कुल्थी मूत्र की मात्रा और वेग बढ़ाती है जिससे पथरी पेशाब के द्वारा शरीर से आसानी से बाहर चली जाती है । इसके सेवन से मोटापा भी दूर होता है।

250 ग्राम कुल्थी को अच्छी तरह से साफ कर लें, इसमें किसी भी तरह का कंकड़-पत्थर निकाल लें। फिर इसे रात में लगभग तीन लीटर पानी में भिगो कर ढक कर रख दें। प्रात: भीगी हुई कुल्थी को उसी पानी में धीमी आग पर चार घंटे तक पकाते रहे। फिर जब यह तीन लीटर की जगह एक लीटर पानी ही रह जाए तब इसे पकाना बंद कर दें। इसके पश्चात चालीस -पचास ग्राम देशी घी में सेंधा नमक, काली मिर्च, हल्दी, जीरा आदि डाल कर इसका छौंक लगाए। अब पथरी की रामबाण दवा तैयार है।

आप इस सूप को दिन में दोपहर के भोजन के स्थान पर पी जाएं ( इसका सूप काले चनों के सूप की तरह ही लगता है।) या कम से कम 250 ग्राम पानी अवश्य पिएं। अगर 250 ग्राम पियें तो इसे दिन में दो बार पियें ।

इसके नियमित सेवन से दो सप्ताह में ही बिना ऑपरेशन के गुर्दे तथा मूत्राशय की पथरी गल कर बाहर निकल जाती है, और दोबारा कभी नहीं बनती है।

यदि दोपहर का भोजन आवश्यक लगे तो इस सूप के साथ एक रोटी लें , या मुंग की दाल के साथ इस सूप के एक घंटे बाद खाना खा सकते है।

कुल्थी की दाल को अन्य दालो की तरह ही पका कर प्रतिदिन रोटी के साथ खाने से भी पेशाब के रास्ते से पथरी टूट कर निकल जाती है।

पथरी का इलाज !

No comments :
1.
पथरी के लिए एक बहुत ही आजमाया हुआ उपाय है जो पुराने समय से चला आ रहा है |
नित्य प्रात: दो चम्मच प्याज के रस को पिसी मिश्री के साथ मिलाकर पीने से केवल 20-25 दिन में ही पथरी गल कर निकल जाती है|


2.
स्नेहा ही पथरी में सहजन बहुत उपयोगी है |
आप पथरी में 25 ग्राम सहजन की जड़ की छाल को लगभग 250 ग्राम पानी में उबालें फिर छान लें । फिर इसे थोड़ा गर्म रहने पर ही अपनी माता जी को पिलायें । इसको पीने से कैसी भी पथरी हो, वह कट के गल के 20-25 दिनों में ही निकल जाती है ।
 

3.
एक पानी से भरा गिलास में दो चम्‍मच मेथी दाना डाल कर उसे रात में भिगो दें। सुबह इस पानी को छानकर खाली पेट पी जाएं और उन मेथी के दानो को चबा चबा कर खा लें | रात भर पानी में मेथी भिगोने से पानी में एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटी ऑक्‍सीडेंट गुण बढ जाते हैं।
इसका एक महीने तक नित्य सेवन करने से शरीर की पथरी गल कर निकल जाती है और पथरी होने के कारणों पर प्रहार होता है अर्थात भविष्य में पथरी बनने नहीं पाती है |


4.  6 ग्राम पपीते की जड़ पीस कर इसे 50 ग्राम पानी में अच्छी तरह से घोल कर साफ़ कपडे से छान ले और पथरी के मरीज़ को पीला दे।
इस घोल को लगातार 21 दिन तक रोगी को पिलाने से पथरी गल कर पेशाब के रास्ते बाहर निकल जाती है।
admin memorymuseum.net 

5.
पथरी के मरीज़ो के लिए तरबूज़ की गिरी ( मिंगी ) रामबाण का काम करती है । तरबूज के बीजों का छिलका निकालकर सुबह सुबह उसकी 15 ग्राम गिरी को सिलबट्टे पर थोड़े से पानी के साथ अच्छी तरह से पीस / घोट लें फिर इसमें आधा लीटर पानी मिलाकर थोड़ी सी पिसी हुई मिश्री भी मिलाएं जिससे इसका स्वाद मीठा हो जाये फिर खाली पेट ही इसे धीरे धीरे पी लें ।

इस उपाय को सुबह शाम दोनों समय लगभग 11 दिन करें । इससे गुर्दे और मूत्राशय की पथरी आसानी से गल कर निकल जाती है , ह्रदय को बल मिलता है , ह्रदय के रोगों में भी लाभ मिलता है । यह बहुत ही आसान, परीक्षित, और बहुत कम खर्चे का इलाज है ।


6.
लगातार 15 दिन तक दिन में दो बार 100 ग्राम चुकंदर का जूस और 100 गाजर का जूस ( एक बार में 200 ग्राम ) बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से गाल ब्लाडर और किडनी दोनों ही जगह की पथरी नष्ट हो जाती है ।
इसको लेने के बाद एक घंटे तक कुछ भी ना लेंवे ।


7.
गॉल ब्लैडर अर्थात पित्त की थैली में पथरी को दूर करने के लिए सुबह खाली पेट पचास मिली लीटर नींबू का रस पिएं इससे 10 से 12 दिन में ही आराम मिलता है,गॉल ब्लैडर की पथरी गलने लगती है ।
 

8.
कई लोगो को पथरी का ऑपरेशन कराने के बाद भी पथरी हो जाती है, या आपको पथरी नहीं है और आप चाहते है कि आपको कभी ना हो तो आप होमियोपेथी दवा है CHINA 1000 की दो-दो बूंद सीधे जीभ पर एक ही दिन 3 बार सुबह-दोपहर-शाम डाल दीजिए |
यह दवा इतनी कारगर है की फिर जीवन मे कभी भी स्टोन नहीं बनेगा।
 

9.
पथरी की होमियोपेथी मे एक अचूक दवा है, उसका नाम हे BERBERIS VULGARIS ये MOTHER TINCHER है । यह दवा होमियोपेथी की दुकान से ले आएं, इस दवा की 10-15 बूंदों को एक चौथाई कप गनगुने पानी मे मिलाकर सुबह,दोपहर,शाम और रात अर्थात दिन में 4 बार लें । इसको लगातार डेढ़ महीने तक लेना है ,दो महीने भी लग जाते है |
इससे कही भी स्टोन हो चने हो गोलब्लेडर मे हो या फिर किडनी मे हो, या फिर मुत्रपिंड मे , यह दवा सभी स्टोन को पिघलाकर निकाल देती है ।
आप दो महीने बाद चैक करवा लीजिए आपको पता चल जायेगा कि पथरी पूर्णतया ख़त्म हो गयी है अथवा उसका कुछ अंश बचा भी है। यह दवा का साइड इफेक्ट नहीं है | यही दवा से पित की पथरी gallbladder stones भी ठीक कर देती है ।

10.
गलबलेडर की पथरी का अचूक उपाय :-
गलबलेडर अर्थात पित्त की पथरी में नित्य पाँच दिन तक दिन में चार गिलास सेब का ताजा निकाला हुआ जूस पियें और 5, 6 सेब भी खाएं । छठवें दिन रात में भोजन ना करें वरन शाम को एक गिलास गर्म पानी में एक चम्मच सेंधा नमक लें , उसके दो घंटे बाद पुन: एक गिलास गर्म पानी में एक चम्मच सेंधा नमक लें , उसके और दो घंटे बाद रात को सोने से पहले आधा कप जैतून या तिल के तेल का आधे कप नींबू के रस में अच्छी तरह से मिला कर सेवन करें , पथरी अवश्य ही निकल जाएगी , प्रात: शौच में आपको हरे रंग की पथरी नज़र आ जाएगी ।


11.
पथरी का होमियोपेथी इलाज !
______________

होमियोपेथी मे किसी भी होमियोपेथी के दुकान पर BERBERIS VULGARIS की देव का MOTHER TINCHER ! लेना है ये उसकी पोटेंसी हे|
अब इस दवा की 10-15 बूंदों को एक चौथाई (1/ 4) कप गुनगुने पानी मे मिलाकर दिन मे कम से कम तीन बार और अधिक से अधिक चार बार (सुबह,दोपहर,शाम और रात) लेना है । इसको लगातार एक से डेढ़ महीने तक लेते रहने से जितनी भी कही भी हो गोलब्लेडर ( gall bladder ) ,किडनी या फिर मुत्रपिंड मे हो यह दवा उन सभी पथरी को गलाकर निकल देती है ।
99% केस मे डेढ़ से दो महीने मे ही सब टूट कर निकाल देता हे कभी कभी हो सकता हे तीन महीने भी हो सकता हे लेना पड़े। तो आप दो महीने बाद सोनोग्राफी करवा लीजिए आपको पता चल जायेगा कितना टूट गया है कितना रह गया है | अगर रह गया हहै तो थोड़े दिन और ले लीजिए । यह दवा का साइड इफेक्ट नहीं है |
पथरी दोबारा भविष्य मे ना बने उसके लिए एक और होमियोपेथी दवा CHINA 1000 का उपयोग करें । इस दवा की एक ही दिन सुबह-दोपहर-शाम मे दो-दो बूंद सीधे जीभ पर डाल दीजिए । सिर्फ एक ही दिन मे तीन बार ले लीजिए फिर भविष्य कभी भी पथरी की शिकायत नहीं होगी ।

12.
गुर्दे में पथरी होने पर 15 दिन तक लगातार 5 - 6 ग्राम कच्चा पपीता और इतना ही गुड लेकर उसमें 4 बूंद कलौंजी का तेल मिलाकर सुबह शाम खाली पेट लें , इस दौरान पालक, टमाटर आदि का सेवन ना करें । 15 दिन के बाद पथरी चैक कराएं , पूरी सम्भावना है कि पथरी निकल चुकी होगी ।


13.
सदैव भोजन भोजन के बाद पेशाब करने की आदत डालें। इससे पथरी का डर बिलकुल भी नहीं रहता है।

राशिनुसार वृक्षों / पौधो की सेवा

No comments :



हर व्यक्ति चाहता है कि उसे जीवन में हर सुख मिले, उसकी कार्यों की सर्वत्र सराहना हो उसे हर क्षेत्र में सफलता मिले, इसके लिए वह हर जतन भी करता है । लेकिन क्या आप जानते है कि वृक्ष भी आपके मित्र आपके मददगार हो सकते है।
जी हाँ यह बिलकुल सत्य है । हिन्दु धर्म शास्त्रों के अनुसार वृक्षों में शक्तियाँ विधमान होती है जो उनकी पूजा / सेवा करने वालो की मदद भी करती है । 
शास्त्रों के अनुसार हर व्यक्ति को जीवन में वृक्ष अवश्य ही लगाने चाहिए । वृक्षों को लगाने एवं उनकी सेवा करने से उन वृक्षों में रहने वाली शुभ शक्तियाँ हमारी मित्र हमारी मददगार बन जाती है । 

ज्योतिष के अनुसार सभी राशियों के लिए अलग-अलग वृक्ष बताए गए हैं। इन वृक्षों की विधि-विधान से पूजा करने पर कुंडली में स्थित सभी नौ ग्रहों के दोष सहज ही दूर होते हैं। यदि कोई व्यक्ति इनकी विधिवत पूजा नहीं कर पाता हो तो वह प्रतिदिन केवल एक लोटा जल अपनी राशि से संबंधित वृक्ष में चढ़ाएं। ऐसा करने पर भी जातक को सकारात्मक फल प्राप्त होते है।
 इन वृक्षों / पौधों की सेवा करने के शुभ प्रभाव से व्यक्ति सदैव निरोगी, सुखी और समृद्धिशाली रहता है।ध्यान रहे कि जल चढ़ाने के लिए तांबे के लोटे का इस्तेमाल करना चाहिए। 
अपनी राशि अनुसार यहाँ पर बताये गए वृक्षों / पौधों को नित्य प्रात: एक लोटा जल अर्पित करें :-
1.मेष एवं वृश्चिक राशि :- मेष एवं वृश्चिक राशि के जातक अपनी राशि के स्वामी मंगल ग्रह के लिए  'खैर'  के वृक्ष पर नित्य एक लोटा जल अर्पित करें मंगलवार के दिन लाल कपडे में खैर की जड़ या चन्दन की लकड़ी को लाकर अपनी तिजोरी में रखे ।

2.वृषभ एवं तुला राशि :-  वृषभ एवं तुला राशि के जातक अपनी राशि के स्वामी शुक्र ग्रह के लिए  'गूलर'  के वृक्ष पर नित्य एक लोटा जल अर्पित करें ।  इस राशि के जातक शुक्रवार के दिन गूलर के पेड़ की जड़ या पलाश के फूलो को सफ़ेद कपडे में लपेटकर अपने घर/करोबार की तिजोरी में रखे ।
3.मिथुन एवं कन्या राशि :-मिथुन एवं कन्या राशि के जातक अपनी राशि के स्वामी बुध ग्रह के लिए 'अपामार्ग'  के वृक्ष पर नित्य एक लोटा जल अर्पित करें ।  इस राशि के जातक बुधवार के दिन अपामार्ग के पेड़ की जड़ या लकड़ी को अपनी तिजोरी में रखे ।

4.कर्क राशि : कर्क राशि के जातक  'पलाश' के वृक्ष पर नित्य एक लोटा जल अर्पित करें एवं पलाश के फूलो को अपनी तिजोरी में रखे । धन का आभाव नहीं रहेगा ।
5.सिंह राशि :-सिंह राशि के जातक  'आंकड़े के पौधे'  पर नित्य एक लोटा जल अर्पित करें ।  इस राशि के जातक रविवार को आंकड़े के फूलो को अपनी तिजोरी में रखे, भाग्य साथ देने लगेगा ।
6.धनु एवं मीन राशि :-धनु एवं मीन राशि के जातक 'पीपल' के वृक्ष पर नित्य (रविवार को छोड़ कर ) एक लोटा जल अर्पित करें ।  इस राशि के जातक गुरुवार के दिन पीपल या पीले चन्दन की लकड़ी को अपने धन स्थान में रखे धन का कभी भी अभाव नहीं रहेगा ।

7.मकर एवं कुंभ राशि :- मकर एवं कुंभ राशि के जातक अपनी राशि के स्वामी शनि ग्रह के लिए  'शमी'  के वृक्ष पर नित्य एक लोटा जल अर्पित करें । इस राशि के जातक काले कपडे में शमी के पेड़ की जड़ को अपनी तिजोरी में रखे, कार्यो से अवरोध दूर होने लगेंगे ।
इन्हीं पेड़ों की लकड़ियों से संबंधित राशियों के ग्रहों की शांति हेतु हवन भी करना श्रेष्ठ होता है । हमारे पूर्वजो ने पेड़ों की रक्षा के लिए पेड़ों में जल चढ़ाने की परंपरा बनाई थी ताकि धर्म के कारण लोग पेड़ों पर जल अर्पित करके उनकी सेवा और रक्षा करते रहे।
 इन पेड़ों की पूजा, इन्हे जल अर्पित करने से हमारी कई समस्याएं तो दूर होती ही हैं यह हरियाली के लिए भी फायदेमंद है। अत: हर मनुष्य को अपनी राशिनुसार वृक्षों की सेवा अवश्य ही करनी चाहिए । 

Friday 1 September 2017

मुकदमें में विजय पाने के कुछ खास उपाय / टोटके

No comments :

    जब  भी आप अदालत में जाएँ तो किसी भी हनुमान मंदिर में धूप अगरबत्ती जलाकर, लड्डू या गुड चने का भोग लगाकर एक बार हनुमान चालीसा और बजरंग बान का पाठ करके संकटमोचन बजरंग बलि से अपने मुकदमे में सफलता की प्रार्थना करें .........आपको निसंदेह सफलता प्राप्त होगी
    आप जब भी अदालत जाएँ तो गहरे रंग के कपड़े ही पहन कर जाएँ ।

    अपने अधिवक्ता को उसके काम की कोई भी वास्तु जैसे कलम उपहार में अवश्य ही प्रदान करें ।

    अपने कोर्ट के केस की फाइलें घर में बने मंदिर धार्मिक स्थान में रखकर ईश्वर से अपनी सफलता, अपनी रक्षा के लिए प्रार्थना करें ।

    यदि ग्यारह हकीक पत्थर लेकर किसी मंदिर में चदा दें और कहें की मैं अमुक कार्य में विजय होना चाहता हूँ तो निश्चय ही उस कार्य में विजय प्राप्त होती है ।

    यदि आप पर कोई मुसीबत आन पड़ी हो कोई रास्ता न सूझ रहा हो या आप कोर्ट कचहरी के मामलों में फँस गए हों, आपका धैर्य जबाब देने लगा हो, जीवन केवल संघर्ष ही रह गया हो, अक्सर हर जगह अपमानित ही महसूस करते हों, तो आपको सात मुखी, पंचमुखी अथवा ग्यारह मुखी रुद्राक्ष धारण करने चाहियें ।

    मुकदमे में विजय हेतु कोर्ट कचहरी में जाने से पहले ५ गोमती चक्र को अपनी जेब में रखकर , जो स्वर चल रहा हो वह पाँव पहले कोर्ट में रखे अगर स्वर ना समझ आ रहा हो तो दाहिना पैर पहले रखे , मुकदमे में निर्णय आपके पक्ष में होने की संभावना प्रबल होगी ।

    जब आप पहली बार मुकदमें से वापिस आ रहे तो रास्ते में किसी भी मजार में गुलाब का पुष्प अर्पित करते हुए ही अपने निवास पर आएँ ।

    यदि किसी व्यक्ति का कोर्ट कचहरी में कोई मुकदमा चल रहा हो और उसमें उसको दण्ड मिलने की / हारने की सम्भावना हो तो वह अपने वजन के बराबर कोयले को बहते पानी में बहाये, ईश्वर से अपने इस जन्म और पिछले जन्मो के पापो के लिए क्षमा मांगे और अपनी किसी भी बुरी आदत को हमेशा के लिए त्याग दें , इससे उसको न्यायालय से लाभ मिलने के योग बढ़ जायेंगे ।

    मुकदमें अथवा किसी भी प्रकार के वाद विवाद में सफलता हेतु लाल ध् सिंदूरी मूँगा त्रिकोण की आक्रति का सोने या तांबे मिश्रित अंगूठी में बनवाकर उसे दाहिने हाथ के अनामिका उंगली में धारण करें , इससे सफलता की संभावना और अधिक हो जाती है ।

    षष्ठी तिथि के स्वामी भगवान शिव के पुत्र और देवताओं के सेनापति भगवान कार्तिकेय हैं। इनकी कृपा से निर्भयता प्राप्त होती है, राजद्वार , मुक़दमे आदि में सफलता मिलती है ।
    मुक़दमे / राज द्वार में विजय प्राप्त करने के लिए षष्टी की शाम को नियमपूर्वक किसी भी शिव मंदिर में जाकर भगवान कार्तिकेय के सामने तेल के 6 दीपक जला कर उनसे अपने मुकदमें में , शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करें , सफलता प्राप्त होती है।

    जीवन में सभी प्रकार के कष्टों और संकटों को दूर करने के लिए , मुक़दमे में विजय के लिए नित्य एवं षष्टी के दिन तो अनिवार्य रूप से भगवान कार्तिकेय के गायत्री मंत्र
    "ओम तत्पुरुषाय विधमहे: महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कन्दा प्रचोद्यात:॥"
    का जाप अवश्य ही करना चाहिए ।

    जिनकी कुंडली में मंगल की दशा चल रही हो या कोई जातक मुक़दमे में फंसा हो तो उसे भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है ।

    षष्टी के दिन भगवान कार्तिकेय पर नीला रेशमी धागा चढ़ाकर उसे अपनी बाँह में बाँधने से शत्रु परास्त होते है, मुक़दमे , राजद्वार, समाज में विजय मिलती है।