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Thursday 30 November 2017

माही चौथ की कहानी

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माही चौथ व्रत विधि 
                    माघ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को यह व्रत किया जाता है इस को तिल कुट्टा चौथ भी कहते है । यह व्रत महिलायें अपने पति की लम्बी उम्र व स्वस्थ जीवन की कामना के लिए करती है । इस दिन कच्चे तिल को कूट कर उसमें गुड मिलाकर तिल कुट्टा बनाया जाता है फिर इससें ही कहानी सुनते है और पूजा करते है  कहानी सुनने के लिए मिट्टी से चार कोण का चोका लगाये ,चारो कोणों पर रोली से बिंदी लगाये । बीच मिट्टी या सुपारी से गणेशजी बनाकर रखे और रोली ,मोली व चावल से गणेशजी की पूजा करे ।अब पानी का कलश ,पताशा व चाँदी की अँगूठी चोके पर रखे । अपने हाथ में थोड़ा सा तिल कुट्टा ले और कहानी सुने । चौथ की कथा सुनने के बाद जो तिल कुट्टा हमने हाथ में लिया था उसे संभाल कर रख ले (क्योकि रात में हम चंद्रमा के अर्ग इसी से देगें ) । चार दाने गेहूं के लेकर गणेशजी की कहानी सुने और उसके बाद सूर्य को अर्ग दे ।जो चाँदी की अँगूठी हमने पूजा में रखी थी उसे भी अर्ग देते समय हाथ में ले लेवे ।रात चन्द्रमा के अर्ग ( जल चडाकर ) देकर बायना निकालते है जिसे अपनी सास ,ननद या अपने से बड़ा जो भी हो उसे देकर पैर छुते है उसके बाद व्रत खोला जाता है । व्रत तिल कुट्टा खाकर ही खोलते है ।
                    इसका उद्यापन भी होता है इसमें 13 सुहागन महिलाओं  को खाना खिलाया जाता है ।एक महिला को साड़ी उसपर सुहाग का सभी सामान दिया जाता है  बाकि महिलाओं  को एक ब्लाउज पीस व उस पर यथा शक्ति सुहाग का सामान रख कर दिया जाता है । कई जगह यह व्रत पुत्र के लिए भी किया जाता है ।                          
                                                माही चौथ की कहानी 
                 एक साहूकार था । उसकें  कोई संतान नही थी । एक दिन सहुकारनी ने चौथ माता  से प्रार्थना की ,कि " हे चौथ माता आप मुझे बेटा दोगी तो में आपके सवा मन (40 किलो ) तिल कुट्टा चड़ाउगी "। पहले के लोग दिल से भोले होते थे इसलिये भगवान भी उन पर जल्दी प्रसन्न हो जाते थे ।
   चौथ माता की कृपा से नवें महीने ही उसके बेटा हो जाता है । अब सहुकारनी कहती है कि "माता जब मेरा बेटा बड़ा होगा और इसकी शादी होगी तब मैं आपके दुगना तिल कुट्टा चड़ाऊँगी । बेटा बड़ा हो जाता है और उसकी शादी तय हो जाती है । लेकिन शादी के समय भी सहुकारनी चौथ माता को तिल कुट्टा चड़ाना भूल जाती है ।  तब चौथ माता ने सोचा कि ये तो मुझे भूल ही गई । इसको कुछ चमत्कार दिखाना चाहिए वरना मुझे कौन मानेगा ।
             चौथ माता ने शादी के समय उसके बेटे को फेरों में से गायब कर दिया । सब लोगो ने लडके को बहुत तलाश किया पर लड़का नही मिला क्योकि चौथ माता ने सबकी आँखों के सामने माया का पर्दा डाल दिया था ।बारात वापस लौट गई । जिस लड़की की साथ उस लड़के की शादी हो रही थी वह तालाब पर पानी भरने जाती तो उसे आवाज आती -"एक फेरा , दो फेरा ,तीन फेरा आ मेरी अध  ब्याही "। लड़की रोज इस आवाज को सुनती ,इससे वो परेशान रहने लगी ।
           उसकी माँ ने जब उसे उदास देखा तो पूछा कि "बेटी क्या बात है तू आजकल बहुत उदास दिखती है मुझे बता क्या बात है "। तब लड़की ने अपनी माँ से कहा कि "जब में पानी लेने तालाब पर जाती हूँ तो मुझे एक आवाज सुनाई देती है कि -"एक फेरा , दो फेरा ,तीन फेरा आ मेरी अध  ब्याही "। माँ ने कहा की "कल जब तुझे ये आवाज सुनाई दे तो तुम पूछना 'की तुम कॊन हो और मुझे ऐसा क्यों कहते हो , सामने आकर बात करो "।दुसरे दिन जब लडकी तालाब पर गई तो फिर उसे वो ही आवाज आई , तो उसने पूछा की "तुम कोंन  हो सामने आकर बात करो "
          तब एक लड़का उसके सामने आकर बोला की "मैं तेरा पति हूँ " ।लडकी ने कहा की "तुम तो फेरो में गायब हो गये थे "। तो लड़का बोला की " मेरी माँ ने चौथ मत से मन्नत मांगी थी की वो तिल कुट्टा चड़ाएगी ,लेकिन उसने ऐसा नही किया ,इस लिए चौथ मत ने मुझे फेरो से उठा लिया "।तब लडकी ने पुछा की "अब तुम  वापस कैसे आओगे "।लडके ने बताया की "जब मेरी माँ ,माता  के बोला हुआ पूरा कर  देगी तब मैं वापस आ जाऊँगा "।लडकी ने घर जाकर अपनी माँ को सारी  बात बताई , और बोला मुझे ससुराल जाना है ।
          लकड़ी ने ससुराल जाकर पानी सास को सारी बात बताई ,तब उसे याद आया की मैने मन्नत माँगी थी ।
तब सास और बहु दोनों ने मिलकर जितना तिल कुट्टा बोल था उससे दुगना तिल कुट्टा बनाया और बैंड - बाजा बजाते हुए चौथ माता को चडाने को लेकर गये ।
        चौथ मत ने इससे खुश होकर उसके बेटे को वापस कर दिया । सब लोग बहुत खुश होकर और लडके को लेकर घर आ गये और ख़ुशी-ख़ुशी रहने लगे ।
 हे चौथ माता जैसे उसे अपनी नाराजगी दिखाई वैसे किसी को मत दिखाना और बाद में उसे ख़ुशी दी वैसे सब को देना     

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