Jeevan Dharm

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Thursday 22 October 2020

Some effective remedies for planets

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Some effective remedies for planets
1.Sun - drink water from copper vessel and leave the bed early, copper bangle or ring can be used too
2.Moon - Every morning take your mother's blessings or from someone like your mother
3. Jupiter- Add turmeric in your bathing water, also apply yellow Tilak, you can also take saffron everyday
4. Mercury- Have plenty of green chillies, apply khus ( fragrance)
5. Venus-  cleanliness, don't use used and sweaty clothes before washing, apply rose water
6. Saturn- tie a black anklet with eight knots, on your left ankle
Apply some oil on knees during bath
Never buy any oil on Saturday
7.Mars - same as Sun , use red clothes on Tuesday specially
For Rahu and Ketu, feed stray dogs and needy 


Tuesday 6 October 2020

चोरी का सामान कहाँ है | Place Where Stolen Goods are Kept

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प्रश्न कुण्डली के द्वारा इस बात का अनुमान लगाया जा सकता है कि चोरी किया सामान कहाँ हैं. शहर में ही है या शहर से दूर चला गया है अथवा घर के आस-पास ही है.

* मेष लग्न यदि प्रश्न कुण्डली में उदय होता हो तो चोरी का सामान भूमि के नीचे होता है. 

* प्रश्न कुण्डली में वृष लग्न उदय होता हो तो गऊशाला में चोरी का सामान छिपाया जाता है. वर्तमान समय में चौपाया वाहनों में भी चोरी का सामान छिपाया जा सकता है. 

* प्रश्न कुण्डली में मिथुन लग्न हो तो नृत्य-संगीत अथवा मनोरंजन के स्थानों पर चोरी का सामान छिपाया जाता है. 

* प्रश्न कुण्डली के लग्न में कर्क राशि हो तो चोरी का सामान जल के निकट छिपाया जाता है. 

* प्रश्न कुण्डली के लग्न में सिंह राशि हो तो किसी जंगल अथवा सुनसान स्थान पर चोरी का सामान छिपाया जाता है. 

* प्रश्न कुण्डली के लग्न में कन्या राशि हो तो रसोई घर में अथवा शयनकक्ष में चोरी का सामान छिपाया जाता है. 

* प्रश्न कुण्डली के लग्न में तुला राशि हो तो दुकान अथवा किसी गोदाम में चोरी का सामान छिपाया जाता है. 

* प्रश्न कुण्डली के लग्न में वृश्चिक राशि हो तो चोरी का सामान किसी बर्तन में रखकर जमीन में दबाकर छिपा दिया जाता है. 

* प्रश्न कुण्डली में धनु लग्न हो तो जंगल में अथवा ऊँचाई वाली जगह पर चोरी का सामान छिपाया जाता है. 

* प्रश्न कुण्डली के लग्न में मकर लग्न हो तो किसी तालाब अथवा पानी के पास वाले स्थान पर चोरी का सामान छिपाया जाता है. 

* प्रश्न कुण्डली के लग्न में कुम्भ लग्न हो तो चोरी का सामान हो तो घडे़ जैसी वस्तु में चोरी का सामान छिपाया जाता है अथवा ऎसी जगह पर छिपाया जा सकता है जहाँ से ऊपर का स्थान तंग हो और नीचे का स्थान चौडा़ हो. प्याऊ आदि जगह पर भी सामान छिपाया जा सकता है. 

* प्रश्न कुण्डली के लग्न में मीन राशि हो तो चोरी का सामान तालाब या जलीय स्थान, मंदिर अथवा किसी अन्य पवित्र जगह पर छिपाया जा सकता है. 

उपरोक्त विश्लेषण के अतिरिक्त कुण्डली के अन्य योग भी हैं जिनसे चोरी के सामान का पता चलता है कि वह कहाँ छिपाया गया होगा. कुण्डली में चतुर्थ भाव में स्थित ग्रह से चोरी की वस्तु का पता चलता है कि वह कहाँ छिपाई गई होगी. 

चतुर्थ भाव में ग्रहों का फल कथन | Prediction of Planets in Fourth House

* चन्द्रमा यदि चतुर्थ भाव में हो तो चोरी का सामान नहाने के स्थान या जलाशय के निकट या वर्तमान समय में पानी की टंकी के पास होता है. 

* सूर्य यदि चतुर्थ भाव में हो तो चोरी का सामान शयनकक्ष में होता है. 

* प्रश्न कुण्डली में मंगल चतुर्थ भाव में हो तो चोरी का सामान पशुओं के रहने के स्थान पर अथवा कारीगरों के रहने की जगह पर या अग्नि संबंधित स्थानों पर होता है. 

* प्रश्न कुण्डली में चतुर्थ भाव में बुध स्थित हो तो चोरी का सामान बैठक(drawing Room) या विद्यालय या पुस्तकालय में होता है. 

* प्रश्न कुण्डली में चतुर्थ भाव में गुरु स्थित हो तो चोरी का सामान धार्मिक स्थानों पर होता है. 

* प्रश्न कुण्डली में चतुर्थ भाव में शुक्र स्थित हो तो चोरी का सामान मनोरंजन के स्थानों पर होता है या उन स्थानों पर होता है जहाँ स्त्रियों का प्रभाव अधिक हो. 

* प्रश्न कुण्डली में शनि चतुर्थ भाव में स्थित हो तो चोरी का सामान किसी अन्धेरे स्थान में गडा़ होता है. 

* प्रश्न कुण्डली में चतुर्थ भाव में राहु हो तो किसी खण्डहर हुए स्थान पर सामान होता है या किसी पेड़ के नीचे भी सामान हो सकता है. 

* प्रश्न कुण्डली में केतु चतुर्थ भाव में हो तो सामान किसी चांडाल, कसाई या मलाहों के पास होता है.

Saptami Fast Procedure - Story | Santan Saptami Fast Method (Rath Saptami Fast Story)

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Saptami fast is observed on seventh date of Shukla Paksha of every month. This fast is specially for, conceiving a child, safety of child, and growth of child. Although, every month’s fast on Shukl Paksha is significant, but, fast of Saptami on Bhadrpad’s(sixth month of Hindu calender) Shukl Paksha has its own special significance.

Santan Saptami Fast Procedure

The fast of Saptami is observed by mothers for their children. Mother observing this fast should take bath early in the morning and complete her routine work and wear clean clothes. After this, in the morning, she should worship Lord Vishnu and Shiva. And, should take the resolution of Saptami fast.

Keeping the Nirahar Vrat, in the afternoon, Lord Shiva and Goddess Parvati should be worshiped with Chauk Purkar Sandalwood, Akshat(rice used in worship), incense, small lamp, Prashad, betel nut and coconut etc.

In Saptami Tithi fast, Kheer, Puri and Pua of jaggery are prepared as Prasadam. Wishing for child’s safety, Lord Shiva is offered a red color thread. After offering it to God Shiva, the thread is worn and story related to fast is heard. The story of Saptami Tithi is as follows.

Saptami Vrata Story 

An ancient legend is famous regarding the Saptami fast. As per this narration, once Lord Krishna told Yuddhistra “at some time, Lomash Rishi came to Mathura. My parents Devika and Vasudev, served him devotedly, then the Rishi ordered them to get over the grief of their sons, killed by Kansa”. Rishi said “Hey Devika!

Kansa killed many of your sons and gave you the sorrow of sons’ death. To be free from this pain, keep the fast of ‘Santan(child) Saptami’. King Nahusha’s queen, Chandramukhi, also kept this fast. Then, Chandramukhi’s children also did not die. Devika, this fast will also make you come out of the grief of sons’ death.”

Devika said, “O God! Please tell me the methods of observing this fast. So that I could complete it in a systematic way.” Lomash Rishi, explained her the procedure of worshiping and also narrated the story of fast.

Nahusha was a glorious king of Ayodhya. His wife’s name was Chandramukhi. In his kingdom, there lived a Brahman, named Vishnudat. His wife was Rupwati. Queen Chandramukhi and Rupwati had a good friendship. One day both of them went to take bath in river Sarayu. Other women were also having a bath at that place.The ladies, had made an idol of Shiva and Parvati there and worshiped them in a systematic way. Then, queen Chandrmukhi and Rupwati asked those ladies, the procedure and name of the Puja.

One of those ladies said “we worshiped Lord Shiva and Goddess Parvati. We tied a thread to Lord Shiva with a resolution that, we will observing this fast up till the time we are alive. This ‘Muktabhran Fast’ is the giver of happiness and child.”

After listening to the theme behind the fast, both the friends took the resolution of observing this fast for their lifetime and, tied a thread in name of God Shiva. But, after reaching home, they forgot the pledge. As a result, after death, queen was born as female monkey and Brahmani as a chicken.

Over the time, both of them left the animal form and were born as humans. Chandramukhi, became the queen of king Prithvinath, and, Rupwati was again born in a Brahman’s house. In this birth, queen’s name was Eshwari and Brahmani’s name was Bhushna. Bhushan was married to Rajpuohit(oldest Hindu Brahman), Agnimukhi. In this life also both the ladies had a very good friendship.

Because of forgetting about the fast, queen was deprived from the happiness of getting a child, in this life also. In mature state, she gave birth to a deaf and dumb son. But, he also died on becoming nine years old. Bhushna remembered about the Vrat, and gave birth to good looking and healthy eight sons.

As a gesture of sympathy, Bhusna went to meet queen Eshwari, who was in the grief of not getting son. Looking at Bhusna, envy

चोरी हुई वस्तु वापिस मिलने और ना मिलने के योग | Yogas for Getting or not Getting the Stolen Thing

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प्रश्न कुण्डली में चोरी हुई वस्तु के मिलने के योग बने होते है. प्रश्न कुण्डली में खोया हुआ सामान मिलेगा या नहीं मिलेगा इसके कई योग होते हैं. यह योग निम्नलिखित है.   

* प्रश्न कुण्डली में लग्नेश सप्तम भाव में हो और सप्तमेश लग्न में हो तो चोरी हुई वस्तु वापिस मिल जाती है. 

* प्रश्न कुण्डली में वृष, तुला या कुम्भ लग्न हो तो चोरी का सामान अवश्य मिलता है. 

* प्रश्न कुण्डली में तृतीय भाव में पाप ग्रह हों तथा पंचम भाव में शुभ ग्रह हों तो चोर स्वयं धन वापिस कर देता है. 

* प्रश्न कुण्डली में सप्तम भाव का स्वामी ग्रह तथा चन्द्रमा, सूर्य के साथ स्थित होकर अस्त हों. 

* प्रश्न कुण्डली में अष्टमेश, अष्टम भाव में या सप्तम भाव में स्थित हो तो खोई वस्तु या चोरी हुई वस्तु मिल जाती है. 

* प्रश्न कुण्डली में लग्नेश तथा सप्तमेश का सप्तम भाव में इत्थशाल हो तो चोरी की वस्तु वापिस मिल जाती है. 

* प्रश्न कुण्डली में शुभ ग्रहों का चन्द्रमा से इत्थशाल हो तथा चन्द्रमा प्रश्न लग्न या द्वितीय भाव में स्थित हो तो चोरी की वस्तु वापिस मिल जाती है. 

* प्रश्न कुण्डली में  लग्नेश तथा दशमेश का इत्थशाल या मुथशिल योग हो तो चोरी की वस्तु वापिस मिल जाती है. 

* प्रश्न कुण्डली में द्वितीयेश तथा अष्टमेश में मुत्थशिल योग हो तो चोरी हुई वस्तु वापिस मिल जाती है. 

* प्रश्न कुण्डली में तृतीय भाव के स्वामी या नवमेश का सप्तमेश से इत्थशाल हो तो चोरी हुई वापिस मिल जाती है. 

* प्रश्न कुण्डली में चन्द्रमा जिस राशि में होता है, उस राशि का स्वामी ग्रह चन्द्रमा को पूर्ण तथा मित्र दृष्टि से देखता हो. 

* प्रश्न कुण्डली में सूर्य तथा चन्द्रमा दोनों ही लग्न को देख रहें हों पूरा सामान ना मिलकर उसमें से कुछ सामान वापिस मिल जाता है. 

* प्रश्न कुण्डली में लग्न और चन्द्रमा को शुभ ग्रह देख रहें हों चोरी की वस्तु वापिस मिल जाती है. 

* प्रश्न कुण्डली में द्वितीयेश तथा अष्टमेश का केन्द्र स्थान में इत्थशाल हो या ये दोनों ग्रह लग्नेश तथा दशमेश से दृष्ट हो अथवा युक्त हो. 

* प्रश्न कुण्डली में लग्नेश के साथ चन्द्रमा का इत्थशाल हो तो चोरी हुए सामान में से कुछ सामान मिल जाता है. 

* प्रश्न कुण्डली में लग्नेश तथा दशमेश, पाप ग्रहों से दृष्ट या युक्त हो तो चोरी का सामान मिल जाता है. 

* प्रश्न कुण्डली में बुध तथा चन्द्रमा, केन्द्र स्थान में एक-दूसरे को देख रहें हों तो चोरी की वस्तु वापिस मिल जाती है.       

* प्रश्न कुण्डली में लग्नेश तथा सप्तमेश लग्न, द्वित्तीय या एकादश भाव में हो तो चोरी का सामान वापिस मिल जाता है. 

* प्रश्न कुण्डली में द्वित्तीयेश तथा अष्टमेश पर चतुर्थेश की दृष्टि हो तो खोया सामान अथवा चोरी का सामान वापिस मिल जाता है. 

* प्रश्न कुण्डली में लग्न में द्वित्तीय भाव का स्वामी ग्रह स्थित हो और उसका द्वित्तीय भाव में स्थित ग्रह से इत्थशाल योग हो रहा हो तो चोरी की वस्तु वापिस मिल सकती है. 

चोरी की वस्तु वापिस ना मिलने के योग | Yogas for not Getting The Stolen Thing 

* प्रश्न कुण्डली में लग्नेश तथा लाभेश बलहीन हों तो चोरी की वस्तु वापिस नहीं मिलती है. 

* प्रश्न कुण्डली में लग्न में राहु स्थित हो तथा अष्टम भाव में सूर्य स्थित हो तो चोरी की वस्तु वापिस नहीं मिलती. 

* प्रश्न कुण्डली में लग्न में मकर राशि हो तथा लग्न या द्वित्तीय भाव में शनि स्थित हो. 

* प्रश्न कुण्डली में केन्द्र, त्रिकोण भाव, द्वित्तीय तथा अष्टम भाव में पाप ग्रह हों या पाप ग्रहों की दृष्टि हो तो चोरी की वस्तु वापिस नहीं मिलती है. 

* प्रश्न कुण्डली में सप्तम या अष्टम भाव में मंगल हो तब चोरी की वस्तु वापिस नहीं मिलती है. 

* द्वित्तीय भाव का स्वामी सप्तम अथवा अष्टम भाव में स्थित हो तो चोरी की वस्तु वापिस नहीं मिलती है. 

* प्रश्न कुण्डली में लग्न भाव में सप्तमेश वक्री अवस्था में स्थित हो और लग्नेश सप्तम भाव में हो तो चोरी की वस्तु वापिस नहीं मिलती है. 

* प्रश्न कुण्डली के सप्तम भाव में पूर्णबली चन्द्रमा दोषरहित हो तो चोरी की वस्तु वापिस नहीं मिलती है. 

* प्रश्न कुण्डली के चतुर्थ भाव में पाप ग्रह हों तो चोरी की वस्तु वापिस नहीं मिलती है. 

* प्रश्न कुण्डली के सप्तम भाव में लग्नेश हो तो चोरी की वस्तु वापिस नहीं मिलती है. 

* प्रश्न कुण्डली में सप्तमेश या चन्द्रमा सूर्य के साथ स्थित हों तो खोई वस्तु अथवा चोरी की वस्तु वापिस नहीं मिलती है. 

सभी प्रकार के प्रश्नों का आंकलन करने के लिए प्रश्न कुण्डली में चन्द्रमा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. प्रश्न कुण्डली को देखने के लिए आपको लग्न, चन्द्रमा, नवाँश 

सिट्रीन उपरत्न | Citrine | Citrine Gemstone - Metaphysical Properties Of Citrine

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यह उपरत्न पीले रंग से लेकर सुनहरे रंग तक की आभा वाले रंगों में पाया जाता है. यह एक पारभासी उपरत्न है. इस उपरत्न को देखने पर यह पुखराज का भ्रम पैदा करता है. इस उपरत्न को पहनने की शुरुआत प्राचीन समय में ग्रीक देश से हुई थी. उसके बाद से यह उपरत्न लुप्त जैसे हो गया था. 1930 से यह उपरत्न फिर से उपयोग में लाया जाने लगा. प्रथम और द्वित्तीय महायुद्ध के बीच यह उपरत्न "आर्ट डेको" आंदोलन के लिए प्रसिद्ध हो गया. यह क्वार्टज की तरह का उपरत्न है. सिट्रीन का यह नाम सिट्रोन शब्द से लिया गया है. फ्रेन्च में सिट्रोन का अर्थ नींबू है. यह उपरत्न नींबू जैसे रंग का होता है. इसके अतिरिक्त यह गहरे पीले रंग में भी पाया जाता है. यह अम्बर उपरत्न जैसे रंग में भी पाया जाता है.

इस उपरत्न में आयरन उपस्थित होता है. आयरन की जितनी अधिक मात्रा होगी उतना ही यह उपरत्न गहरा होता जाएगा. यह उपरत्न जितना गहरा होता है उतना ही बढ़िया माना जाता है जबकि हल्के रंग का सिट्रीन अधिक शुद्ध होता है. वर्तमान समय में मिलने वाले सिट्रीन को ताप तथा ऊष्मा में तपाकर उपयोग में लाया जाता है. कई व्यापारी सिट्रीन को टोपाज बताकर भी बेच देते हैं. इसलिए दोनों उपरत्नों में अन्तर करना आना चाहिए.   

सिट्रीन के आध्यात्मिक गुण | Metaphysical Properties Of Citrine

इस उपरत्न में कई गुण विद्यमान होते हैं. इस उपरत्न को मस्तिष्क के विकास के लिए उपयोग में लाया जाता है. प्राचीन समय के लोगों का विश्वास है कि सिट्रीन उपरत्न को यदि माथे के मध्य में रखा जाएगा तो व्यक्ति की मानसिक तथा अलौकिक शक्ति का विस्तार होता है. जातक के आत्मसम्मान में वृद्धि करता है. किसी अन्य के शोषण से सुरक्षा करता है. व्यक्ति के समुचित विकास के लिए नए विचारों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करता है. विचारों में स्पष्टता लाता है. यह उपरत्न व्यापारियों के लिए शुभ माना जाता है. उनके व्यापार में वृद्धि करता है. आर्थिक रुप से सम्पन्न होने में मदद करता है. सिट्रीन को यदि रुपये रखने के स्थान पर रख दिया जाए तो जातक को अनुकूल फल प्राप्त होते हैं.

यह उपरत्न धारणकर्त्ता को मानसिक शांति तथा संतुष्टि प्रदान करता है. लक्ष्यों को प्राप्त करने में मददगार सिद्ध होता है. व्यक्ति के अन्तर्ज्ञान में वृद्धि करता है. रचनात्मक क्रिया-कलापों में वृद्धि करता है. नकारात्मक ऊर्जा से जातक की सुरक्षा करता है.

सिट्रीन के चिकित्सीय गुण | Healing Ability Of Citrine

जिन व्यक्तियों को पाचन संबंधी परेशानियाँ रहती हैं उन्हें यह उपरत्न धारण करना चाहिए. इससे उनकी पाचन प्रणाली सुचारु रुप से काम करेगी. व्यक्ति के पेट में पाचन तंत्र में जहरीली चीजों को खतम करता है. उसे शुद्ध बनाता है. पेट को साफ रखने में सहायक होता है. इसे धारण करने से व्यक्ति की उदासीनता का अंत होता है. कई व्यक्ति इस उपरत्न का उपयोग तनाव को दूर करने में इस्तेमाल करते हैं. कब्ज से राहत मिलती है. डायबिटिज को कम करता है. पेट संबंधी सभी विकारों को दूर करने में सहायक होता है. शरीर के प्रवाह तंत्र को नियंत्रित रखता है. यह थायराइड को भी सक्रिय रखता है. यह धारणकर्त्ता को खुश रखता है तथा दूसरों से प्यार करना सिखाता है.

उपरोक्त बातों के अतिरिक्त यह उपरत्न आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाता है. कैरियर को आगे बढा़ने में सहायक होता है. जो लोग अपना नया बिजनेस आरम्भ करना चाहते हैं उनके लिए यह अत्यधिक लाभदायक होता है. उन्हें सफलता बनाता है. व्यक्ति को अपने बिजनेस को चलाने के लिए जिसका भी साथ चाहिए, वह उन्हें मिलता है. जैसे बिजनेस चलाने के लिए कच्चा माल, तैयार माल को बेचना और बाजार में उसे लोकप्रिय बनाना आदि जैसे कार्यों में रुकावट नहीं आती है. यह उपरत्न व्यक्ति के अंदर भीड़ में भी बोलने की क्षमता का विकास करता है. यह व्यक्ति को साहसिक बनाता है और विचारों में तीव्रता लाता है. व्यक्ति के विश्वास को कठिन परिस्थितियों में भी डगमगाने नहीं देता है. 

यह व्यक्ति के नाभि चक्र को नियंत्रित करता है. यह नाभि चक्र व्यक्ति के शारीरिक तथा भौतिक शक्ति का केन्द्र है.  इस उपरत्न को धारण करने से यह चक्र संतुलित रहता है.

कौन धारण करे । Who Should Wear Citrine

इस उपरत्न को सभी वर्गों के व्यक्ति धारण कर सकते हैं.

नक्षत्र के अनुसार चोरी की वस्तु या खोई वस्तु का ज्ञान | Finding Facts About Stolen Goods According to Nakshatra.

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जिस दिन चोरी हुई है या जिस दिन वस्तु गुम हुई है उस दिन के नक्षत्र के आधार पर खोई वस्तु के विषय में जानकारी हासिल की जा सकती है कि वह कहाँ छिपाई गई है. नक्षत्र आधार पर वस्तु की जानकारी प्राप्त होती है. 

* यदि प्रश्न के समय चन्द्रमा अश्विनी नक्षत्र में है तो खोई वस्तु शहर के भीतर है. 

* प्रश्न के समय चन्द्रमा भरणी नक्षत्र में है तो खोई वस्तु गली में है. 

* प्रश्न के समय चन्द्रमा कृतिका नक्षत्र में है तो खोई वस्तु जंगल में होती है. 

* प्रश्न के समय चन्द्रमा रोहिणी नक्षत्र में है तो खोई वस्तु ऎसे स्थान पर है जहाँ नमक या नमकीन वस्तुओं का भण्डार हो. 

* प्रश्न के समय चन्द्रमा मृगशिरा नक्षत्र में हो तो खोई वस्तु चारपाई, पलँग अथवा सोने के स्थान के नीचे रखी होती है. 

* प्रश्न के समय चन्द्रमा आर्द्रा नक्षत्र में स्थित है तो खोई वस्तु मंदिर में होती है. 

* प्रश्न के समय चन्द्रमा पुनर्वसु नक्षत्र में है तो खोई वस्तु अनाज रखने के स्थान पर रखी गई है. 

* प्रश्न के समय चन्द्रमा पुष्य नक्षत्र - 8/में है तो खोई वस्तु घर में ही है. 

* प्रश्न के समय चन्द्रमा आश्लेषा नक्षत्र में है तो खोई वस्तु धूल के ढेर में अथवा मिट्टी के ढे़र में छिपाई गई है. 

* प्रश्न के समय चन्द्रमा मघा नक्षत्र में है तो खोई वस्तु चावल रखने के स्थान पर होती है. 

* प्रश्न के समय चन्द्रमा पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में हो तो खोई वस्तु शून्य घर में होती है. 

* प्रश्न कुण्डली में चन्द्रमा उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में हो तो खोई वस्तु जलाशय में होती है. 

* प्रश्न कुण्डली में चन्द्रमा हस्त नक्षत्र में हो तो खोई वस्तु तालाब अथवा पानी की जगह पर होती है. 

* प्रश्न कुण्डली में चन्द्रमा चित्रा नक्षत्र में हो तो खोई वस्तु रुई के खेत में अथवा रुई के ढे़र में होती है. 

* प्रश्न कुण्डली में चन्द्रमा स्वाति नक्षत्र में हो तो खोई वस्तु शयनकक्ष में होती है. 

* प्रश्न कुण्डली में चन्द्रमा विशाखा नक्षत्र में हो तो खोई वस्तु अग्नि के समीप अथवा वर्तमान समय में अग्नि से संबंधित फैकटरियों में हो सकती है. 

* प्रश्न कुण्डली में चन्द्रमा अनुराधा नक्षत्र में हो तो खोई वस्तु लताओं अथवा बेलों के नजदीक होती है. 

* प्रश्न कुण्डली में चन्द्रमा ज्येष्ठा नक्षत्र में हो तो खोई वस्तु मरुस्थल अथवा बंजर जगह पर होती है. 

* प्रश्न कुण्डली में चन्द्रमा मूल नक्षत्र में हो तो खोई वस्तु पायगा में होती है. 

* प्रश्न के समय चन्द्रमा पूर्वाषाढा़ नक्षत्र में हो तो खोई वस्तु छप्पर में छिपाई जाती है. 

* प्रश्न के समय चन्द्रमा उत्तराषाढा़ नक्षत्र में हो तो खोई वस्तु धोबी के कपडे़ धोने के पात्र में होती है. 

* प्रश्न के समय चन्द्रमा श्रवण नक्षत्र में हो तो खोई वस्तु व्यायाम करने के स्थान पर या परेड करने की जगह होती है. 

* प्रश्न के समय घनिष्ठा नक्षत्र हो तो खोई वस्तु चक्की के निकट होती है. 

* प्रश्न के समय शतभिषा नक्षत्र हो तो खोई वस्तु गली में होती है. 

* प्रश्न के समय पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र हो तो खोई वस्तु घर में आग्नेयकोण में होती है. 

* प्रश्न के समय उत्तराभाद्रपद नक्षत्र हो तो खोई वस्तु दलदल में होती है. 

* प्रश्न के समय रेवती नक्षत्र हो तो खोई वस्तु बगीचे में होती है. 

खोये सामान की जानकारी मिलेगी अथवा नहीं मिलेगी? इस बात का पता भी नक्षत्रों के अनुसार चल जाता है. सभी 28 नक्षत्रों को चार बराबर भागों में बाँट दिया गया है. एक भाग में सात नक्षत्र आते हैं. उन्हें अंध, मंद, मध्य तथा सुलोचन नाम दिया गया है. इन नक्षत्रों के अनुसार चोरी की वस्तु का दिशा ज्ञान तथा फल ज्ञान के विषय में जो जानकारी प्राप्त होती है वह एकदम सटीक होती है. 

नक्षत्रों का लोचन ज्ञान | Lochan Facts About The Nakshatra

अंध लोचन में आने वाले नक्षत्र | Nakshatras Coming in Andh Lochan  

रेवती, रोहिणी, पुष्य, उत्तराफाल्गुनी, विशाखा, पूर्वाषाढा़, धनिष्ठा. 

मंद लोचन में आने वाले नक्षत्र | Nakshatra Coming in Mand Lochan

अश्विनी, मृगशिरा, आश्लेषा, हस्त, अनुराधा, उत्तराषाढा़, शतभिषा. 

मध्य लोचन में आने वाले नक्षत्र | Nakshatras Coming in Madhya Lochan

भरणी, आर्द्रा, मघा, चित्रा, ज्येष्ठा, अभिजित, पूर्वाभाद्रपद. 

सुलोचन नक्षत्र में आने वाले नक्षत्र | Nakshatras Coming in Sulochan Nakshatras

कृतिका, पुनर्वसु, पूर्वाफाल्गुनी, स्वाति, मूल, श्रवण, उत्तराभाद्रपद. 

* यदि वस्तु अंध लोचन में खोई है तो वह पूर्व दिशा में शीघ्र मिल जाती है. 

* यदि वस्तु मंद लोचन में गुम हुई है तो वह दक्षिण दिशा में होती है और गुम होने के 3-4 दिन बाद कष्ट से मिलती है. 

* यदि वस्तु मध्य लोचन में खोई है तो वह पश्चिम दिशा की ओर होती है और एक गुम होने के एक माह बाद उस 

जैमिनी ज्योतिष में दशाक्रम

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जैमिनी ज्योतिष में दशाक्रम बिलकुल भिन्न होता है. इस पद्धति में कुल बारह दशाएँ होती हैं जो बारह राशियों पर आधारित होती हैं. आइए सबसे पहले आप बारह राशियों के बारे में जान लें. बारह राशियाँ हैं :- 

(1) मेष राशि 

(2) वृष अथवा वृषभ राशि 

(3) मिथुन राशि 

(4) कर्क राशि 

(5) सिंह राशि 

(6) कन्या राशि 

(7) तुला राशि 

(8) वृश्चिक राशि 

(9) धनु राशि 

(10) मकर राशि 

(11) कुम्भ राशि 

(12) मीन राशि 

राशियों के स्वामी ग्रह | Planetary Lord of the Signs

प्रत्येक राशि का स्वामी ग्रह अलग होता है. सूर्य तथा चन्द्रमा को एक-एक राशि का स्वामित्व मिला है जबकि अन्य बची सभी राशियों में एक-एक ग्रह को दो राशियों का स्वामी माना गया है. राहु तथा केतु को किसी भी राशि का आधिपत्य प्राप्त नहीं है. यह दोनों छाया ग्रह हैं. जिस राशि में होते हैं उस राशि के स्वामी ग्रह के जैसे बर्ताव करते हैं. 

राशि  ग्रह स्वामी

मेष  मंगल 

वृष शुक्र

मिथुन  बुध 

कर्क  चन्द्रमा

सिंह  सूर्य

कन्या  बुध 

तुला  शुक्र 

वृश्चिक  मंगल 

धनु  बृहस्पति

मकर  शनि 

कुम्भ  शनि 

मीन  बृहस्पति 

राशियों का दशाक्रम | Rashidasha Kram 

पिछले अध्याय में आपने राशियों तथा राशि स्वामियों के बारे में जानकरी हासिल की. जैमिनी चर दशा में  यह बारह राशियाँ पूरे भचक्र का एक चक्कर 24 घण्टे में पूर्ण करती हैं. हर राशि के आगे लिखी संख्या उस राशि की स्वामी है. जैसे पिछले अध्याय में 1 संख्या की स्वामी मेष राशि है. बाकी राशियाँ भी इसी प्रकार क्रम से स्वामी हैं. प्रत्येक राशि की अपनी स्वतंत्र दशा होती है. चर दशा में एक राशि की दशा कम-से-कम एक वर्ष तक रहती है और अधिक-से-अधिक बारह वर्ष तक की दशा व्यक्ति को मिलती है. 

दशा निर्धारण के लिए जैमिनी ऋषि ने कुछ नियम निर्धारित किए हैं. चर दशा में छ: राशियों का दशाक्रम सव्य(Direct) होता है और बाकी छ: राशियों का दशाक्रम अपसव्य(Indirect) होता है. 

सव्य वर्ग की राशियाँ | Direct category signs

यदि किसी व्यक्ति के लग्न में मेष, सिंह, कन्या, तुला, कुम्भ तथा मीन राशि आती है तो वह सव्य वर्ग की राशियाँ कहलाती हैं. माना लग्न में मेष राशि है तब सबसे पहले मेष राशि की दशा आरम्भ होगी. उसके बाद वृष राशि की दशा होगी. उसके बाद मिथुन राशि आदि की दशाएँ क्रम से चलेगीं. अंत में मीन राशि की दशा होगी. उसके बाद पुन: वही चक्र आरम्भ हो जाएगा. 

अपसव्य वर्ग की राशियाँ | Indirect category signs

जन्म कुण्डली के लग्न में यदि वृष, मिथुन, कर्क, वृश्चिक, धनु तथा मकर राशियाँ आती हैं तो दशा का क्रम अपसव्य होगा. उदाहरण के लिए लग्न में मकर राशि है तब सबसे पहली दशा मकर राशि की होगी. उसके बाद धनु राशि की दशा होगी. धनु के बाद वृश्चिक राशि, फिर तुला राशि, कन्या राशि, सिंह राशि, कर्क राशि, मिथुन राशि, वृष राशि, मेष राशि, मीन राशि और अंतिम दशा कुम्भ राशि की होगी. इसके बाद फिर से दशाक्रम उसी प्रकार चलेगा.  

अन्तर्दशाक्रम | Antardasha Kram

जैमिनी पद्धति में प्रत्येक राशि की महादशा में अन्तर्दशा क्रम भी महादशा क्रम की तरह हैं. जैसे अपसव्य वर्ग की राशियों का दशाक्रम अपसव्य चलेगा और सव्य वर्ग की राशियों का दशाक्रम सव्य चलेगा परन्तु चर दशा में एक बात पर विशेष ध्यान यह देना होगा कि हर राशि की महादशा में उसी राशि की अन्तर्दशा सबसे अंत में आएगी. माना मेष राशि जन्म कुण्डली के लग्न में है तो मेष राशि की दशा में वृष राशि की अन्तर्दशा सर्वप्रथम होगी. उसके बाद मिथुन राशि की अन्तर्दशा होगी. मिथुन के बाद क्रम से सभी राशियों की अन्तर्दशा चलेगी. अंत में मेष राशि की महादशा में मेष राशि की अन्तर्दशा आरम्भ होगी. 

अपसव्य वर्ग में यदि धनु राशि की महादशा चल रही है तो धनु राशि की महादशा में सर्वप्रथम वृश्चिक राशि की अन्तर्दशा चलेगी. उसके बाद तुला राशि. फिर कन्या राशि की अन्तर्दशा चलेगी. अंत में धनु राशि की महादशा में धनु राशि की अन्तर्दशा आरम्भ होगी.

Sunday 4 October 2020

राहु के उपाय

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राहु के उपाय
अपने पास सफेद चन्दन अवश्य रखना चाहिए। सफेद चन्दन की माला भी धारण की जा सकती है। प्रतिदिन सुबह चन्दन का टीका भी लगाना चाहिए। अगर हो सकते तो नहाने के पानी में चन्दन का इत्र डाल कर नहाएं
राहु की शांति के लिए श्रावण मास में रुद्राष्टाध्यायी का पाठ करना सर्वोत्तम हे
शनिवार को कोयला, तिल, नारियल, कच्चा दूध, हरी घास, जौ, तांबा बहती नदी में प्रवाहित करें।
बहते पानी में शीशा अथवा नारियल प्रवाहित करें.
नारियल में छेद करके उसके अन्दर ताम्बे का पैसा नदी में बहा दें |
बहते पानी में तांबे के 43 टुकड़े प्रवाहित करें.
नदी में लकड़ी का कोयला प्रवाहित करें।
नदी में पैसा प्रवाहित करें।
एक नारियल + 11 बादाम (साबुत) काले वस्त्र में बांधकर जल में प्रवाहित करें।
हर बुधवार को चार सौ ग्राम धनियां पानी में बहाएं।
कुष्ठ रोगी को मूली का दान दें।
काले कुत्ते को मीठी रोटियां खिलाएं.
मोर व सर्प में शत्रुता है अर्थात सर्प, शनि तथा राहू के संयोग से बनता है. यदि मोर का पंख घर के पूर्वी और उत्तर-पश्चिम दीवार में या अपनी जेब व डायरी में रखा हो तो राहू का दोष कभी भी नहीं परेशान करता है. मोरपंख की पूजा करें या हो सके तो उसे हमेशा अपने पास रखें।
रात को सोते समय अपने सिरहाने में जौ रखें जिसे सुबह पंक्षियों को दें.
सरसों तथा नीलम का दान किसी भंगी या कुष्ठ रोगी को दें।
राहु और केतु ग्रह से पीडि़त व्यक्ति को रोजाना कबूतरों को बाजरा और काले तिल मिलाकर खिलाना चाहिए।
गिलहरी को दाना डालें।
दो रंग के फूलों को घर में लगाएं और गणेश जी को अर्पित भी करें।
कुष्ठ रोगियों को दो रंग वाली वस्तुओं का दान करें।
हर मंगलवार या शनिवार को चीटियों को मीठा खिलाएं।
अगर राहू आपकी कुंडली में १२वे घर में बैठा है तो भोजन रसोई घर में करें
अष्टधातु का कड़ा दाहिने हाथ में धारण करना चाहिए।
जमादार को तम्बाकू का दान करना चाहिए।
अपने पास ठोस चाँदी से बना वर्गाकार टुकड़ा रखें.
श्री काल हस्ती मंदिर की यात्रा.
चाय की कम से कम 200 ग्राम पत्ती 18 बुधवार दान करने से रोग कारक अनिष्टकारी राहु स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है।
नेत्रेत्य कोण में पीले फूल लगायें।
अपने घर के वायु कोण (उत्तर-पश्चिम) में एक लाल झंडा लगाएं।
यदि क्षय रोग से पीड़ित हों तो गोमूत्र से जौ को धो कर एक बोतल में रखें तथा गोमूत्र के साथ उस जौ से अपने दाँत साफ करें।
शनिवार के दिन अपना उपयोग किया हुआ कंबल किसी गरीब को दान करें
अमावस्या को पीपल पर रात में 12 बजे दीपक जलाएं
शिवजी पर जल, धतुरा के बीज, चढ़ाएं और सोमवार का व्रत करें
यदि राहु चंद्रमा के साथ हो तो पूर्णिमा के दिन नदी की धारा में नारियल, दूध, जौ, लकड़ी का कोयला, हरी दूब, यव, तांबा, काला तिल प्रवाहित करें।
यदि राहु सूर्य के साथ हो तो सूर्य ग्रहण के समय कोयला और सरसों नदी की धारा में प्रवाहित करना चाहिए।
अगर आपकी कुंडली में भी राहु और शनि एक साथ बैठे है तो यह उपाय करे ! हर रोज मजदूरों को तम्बाकु की पुडिया दान दे ! ऐसा ४३ दिन करे आपको कभी यह योग बुरा फल नहीं देगा
यदि राहु सूर्य के साथ हो तो जौ को दूध या गौ मूत्र से धोकर बहते पानी में बहायें।
शुक्र राहु की युति होने पर दूध एवं हरे नारियल का दान करें ।
४१ दिन तक १ रूपया प्रतिदिन भंगी को दें