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Sunday, 22 July 2018

चोदह प्रकार के रुद्राक्ष ओर उनके फायदे

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जिन घरों में रुद्राक्ष की पूजा होती है, वहां मां लक्ष्मी का वास होता है। यह भगवान शंकर की प्रिय चीज मानी जाती है। आइए जानें, कौन से फायदे के लिए कितने मुख वाले रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए ।



एकमुखी रुद्राक्ष– एकमुखी रुद्राक्ष को शिवजी का ही रूप माना जाता है। जिन लोगों को महालक्ष्मी की कृपा और सभी सुख-सुविधाएं चाहिए उन्हें एकमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। वैसे यह रुद्राक्ष आसानी से मिलता नहीं है। एकमुखी रुद्राक्ष को इस मंत्र (ऊँ ह्रीं नम:।।) के जप के साथ धारण करना चाहिए।



दोमुखी रुद्राक्ष– दोमुखी रुद्राक्ष को देवदेवेश्वर कहा गया है। सभी प्रकार की मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए इसे धारण करना चाहिए। धारण करने का मंत्र- ऊँ नम:।। इस मंत्र के साथ दोमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

तीनमुखी रुद्राक्ष– शिवपुराण के अनुसार तीन मुखी रुद्राक्ष कठिन साधाना के बराबर फल देने वाला बताया गया है। जिन लोगों को विद्या प्राप्ति की अभिलाषा है, उन्हें मंत्र (ऊँ क्लीं नम:) के साथ तीनमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

चारमुखी रुद्राक्ष– चारमुखी रुद्राक्ष को ब्रह्मा का रूप माना गया है। ये रुद्राक्ष धारण करने वाले भक्त को धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसका मंत्र है- ऊँ ह्रीं नम:।। इस मंत्र के साथ चारमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।



पांचमुखी रुद्राक्ष– जिन भक्तों को सभी परेशानियों से मुक्ति चाहिए और मनोवांछित फल प्राप्त करने की इच्छा है, उन्हें पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। इसका मंत्र है- ऊँ ह्रीं नम:।। इस मंत्र के साथ पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। यह रुद्राक्ष सभी प्रकार के पापों के प्रभाव को भी कम करता है।

छहमुखी रुद्राक्ष– यह रुद्राक्ष भगवान कार्तिकेय का रूप माना जाता है। कार्तिकेय भगवान शिव के पुत्र हैं। जो व्यक्ति इस रुद्राक्ष को दाहिनी बांह पर धारण करता है, उसे ब्रह्महत्या जैसे पापों से भी मुक्ति मिल जाती है। इसका मंत्र है- ऊँ ह्रीं हुं नम:। इस मंत्र के साथ यह रुद्राक्ष धारण करें।



सातमुखी रुद्राक्ष– जो लोग गरीबी से मुक्ति चाहते हैं, उन्हें सातमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। इस रुद्राक्ष को धारण करने से गरीब व्यक्ति धनवान बन सकता है। इसका मंत्र है- ऊँ हुं नम:। इस मंत्र के साथ यह रुद्राक्ष धारण करें।

आठमुखी रुद्राक्ष– शिवपुराण के अनुसार अष्टमुखी रुद्राक्ष भैरव महाराज का रूप माना जाता है। जो लोग इस रुद्राक्ष को धारण करते हैं, वे अकाल मृत्यु से शरीर का त्याग नहीं करते हैं। ऐसे लोग पूर्ण आयु जीते हैं। इसका मंत्र है- ऊँ हुं नम:। इस मंत्र के साथ यह रुद्राक्ष धारण करें।

नौमुखी रुद्राक्ष– यह रुद्राक्ष महाशक्ति के नौ रूपों का प्रतीक है। जो लोग नौमुखी रुद्राक्ष धारण करते हैं, वे सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त करते हैं। इन लोगों को समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है। इसका मंत्र है- ऊँ ह्रीं हुं नम:। इस मंत्र के साथ यह रुद्राक्ष धारण करें।

दसमुखी रुद्राक्ष– जो लोग अपनी सभी इच्छाएं पूरी करना चाहते हैं, वे दसमुखी रुद्राक्ष पहन सकते हैं। यह रुद्राक्ष भगवान विष्णु का प्रतीक है। इसका मंत्र है- ऊँ ह्रीं नम:। इस मंत्र के साथ यह रुद्राक्ष धारण करें।

ग्यारहमुखी रुद्राक्ष– शिवपुराण के अनुसार ग्यारहमुखी रुद्राक्ष भगवान शिव के अवतार रुद्रदेव का रूप है। जो व्यक्ति इस रुद्राक्ष को धारण करता है, वह सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करता है। शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। इसका मंत्र है- ऊँ ह्रीं हुं नम:। इस मंत्र के साथ ये रुद्राक्ष धारण करें।

बारहमुखी रुद्राक्ष– जो लोग बाहरमुखी रुद्राक्ष धारण करते हैं, उन्हें बारह आदित्यों की विशेष कृपा प्राप्त होती है। बारहमुखी रुद्राक्ष विशेष रूप से बालों में धारण करना चाहिए। इसका मंत्र है- ऊँ क्रौं क्षौं रौं नम:। इस मंत्र के साथ यह रुद्राक्ष धारण करें।

तेरहमुखी रुद्राक्ष– इस रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति भाग्यशाली बन सकता है। तेरहमुखी रुद्राक्ष से धन लाभ होता है। इसका मंत्र है- ऊँ ह्रीं नम:। इस मंत्र के साथ यह रुद्राक्ष धारण करें।

चौदहमुखी रुद्राक्ष– इस रुद्राक्ष को भी शिवजी का रूप माना गया है। इसे धारण करने वाले व्यक्ति को सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाती है। इस रुद्राक्ष को मस्तक पर धारण करना चाहिए। इसका मंत्र है- ऊँ नम:। इस मंत्र के साथ यह रुद्राक्ष धारण करें।



Ruchi Sehgal

हर तरह के अमंगल से बचाता है रुद्राक्ष

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रुद्राक्ष एक खास तरह के पेड़ का बीज है। ये पेड़ आमतौर पर पहाड़ी इलाकों में एक खास ऊंचाई पर, खासकर हिमालय और पश्चिमी घाट सहित कुछ और जगहों पर भी पाए जाते हैं। अफसोस की बात यह है लंबे समय से इन पेड़ों की लकड़ियों का इस्तेमाल भारतीय रेल की पटरी बनाने में होने की वजह से, आज देश में बहुत कम रुद्राक्ष के पेड़ बचे हैं। आज ज्यादातर रुद्राक्ष नेपाल, बर्मा, थाईलैंड या इंडोनेशिया से लाए जाते हैं।
रुद्राक्ष का महत्त्व
रुद्राक्ष की खासियत यह है कि इसमें एक अनोखे तरह का स्पदंन होता है। जो आपके लिए आप की ऊर्जा का एक सुरक्षा कवच बना देता है, जिससे बाहरी ऊर्जाएं आपको परेशान नहीं कर पातीं। इसीलिए रुद्राक्ष ऐसे लोगों के लिए बेहद अच्छा है जिन्हें लगातार यात्रा में होने की वजह से अलग-अलग जगहों पर रहना पड़ता है। आपने गौर किया होगा कि जब आप कहीं बाहर जाते हैं, तो कुछ जगहों पर तो आपको फौरन नींद आ जाती है, लेकिन कुछ जगहों पर बेहद थके होने के बावजूद आप सो नहीं पाते।
रुद्राक्ष को पानी के ऊपर पकड़ कर रखने से अगर वह खुद-ब-खुद घड़ी की दिशा में घूमने लगे, तो इसका मतलब है कि वह पानी पीने लायक है। अगर पानी जहरीला या हानि पहुंचाने वाला होगा तो रुद्राक्ष घड़ी की दिशा से उलटा घूमेगा।
इसकी वजह यह है कि अगर आपके आसपास का माहौल आपकी ऊर्जा के अनुकूल नहीं हुआ तो आपका उस जगह ठहरना मुश्किल हो जाएगा। चूंकि साधु-संन्यासी लगातार अपनी जगह बदलते रहते हैं, इसलिए बदली हुई जगह और स्थितियों में उनको तकलीफ हो सकती है। उनका मानना था कि एक ही स्थान पर कभी दोबारा नहीं ठहरना चाहिए। इसीलिए वे हमेशा रुद्राक्ष पहने रहते थे। आज के दौर में भी लोग अपने काम के सिलसिले में यात्रा करते और कई अलग-अलग जगहों पर खाते और सोते हैं। जब कोई इंसान लगातार यात्रा में रहता है या अपनी जगह बदलता रहता है, तो उसके लिए रुद्राक्ष बहुत सहायक होता है।

रुद्राक्ष के फायदे
रुद्राक्ष के संबंध में एक और बात महत्वपूर्ण है। खुले में या जंगलों में रहने वाले साधु-संन्यासी अनजाने सोत्र का पानी नहीं पीते, क्योंकि अक्सर किसी जहरीली गैस या और किसी वजह से वह पानी जहरीला भी हो सकता है। रुद्राक्ष की मदद से यह जाना जा सकता है कि वह पानी पीने लायक है या नहीं। रुद्राक्ष को पानी के ऊपर पकड़ कर रखने से अगर वह खुद-ब-खुद घड़ी की दिशा में घूमने लगे, तो इसका मतलब है कि वह पानी पीने लायक है। अगर पानी जहरीला या हानि पहुंचाने वाला होगा तो रुद्राक्ष घड़ी की दिशा से उलटा घूमेगा। इतिहास के एक खास दौर में, देश के उत्तरी क्षेत्र में, एक बेहद बचकानी होड़ चली। वैदिककाल में सिर्फ एक ही भगवान को पूजा जाता था - रुद्र यानी शिव को। समय के साथ-साथ वैष्णव भी आए। अब इन दोनों में द्वेष भाव इतना बढ़ा कि वैष्णव लोग शिव को पूजने वालों, खासकर संन्यासियों को अपने घर बुलाते और उन्हें जहरीला भोजन परोस देते थे। ऐसे में संन्यासियों ने खुद को बचाने का एक अनोखा तरीका अपनाया। काफी शिव भक्त आज भी इसी परंपरा का पालन करते हैं। अगर आप उन्हें भोजन देंगे, तो वे उस भोजन को आपके घर पर नहीं खाएंगे, बल्कि वे उसे किसी और जगह ले जाकर, पहले उसके ऊपर रुद्राक्ष रखकर यह जांचेंगे कि भोजन खाने लायक है या नहीं।
रुद्राक्ष नकारात्मक ऊर्जा के बचने के एक असरदार कवच की तरह काम करता है। कुछ लोग नकारात्मक शक्ति का इस्तेमाल करके दूसरों को नुकसान पहुंचाते हैं। यह अपने आप में एक अलग विज्ञान है। अथर्व वेद में इसके बारे में विस्तार से बताया गया है कि कैसे ऊर्जा को अपने फायदे और दूसरों के अहित के लिए प्रयोग में लाया जा सकता है। अगर कोई इंसान इस विद्या में महारत हासिल कर ले, तो वह अपनी शक्ति के प्रयोग से दूसरों को किसी भी हद तक नुकसान पहुंचा सकता है, यहां तक कि दूसरे की मृत्यु भी हो सकती है। इन सभी स्थितियों में रुद्राक्ष कवच की तरह कारगर हो सकता है।
आपको शायद ऐसा लगता हो कि कोई मुझे क्यों नुकसान पहुंचाएगा! लेकिन यह जरूरी नहीं कि जान बूझकर आपको ही लक्ष्य बनाया गया हो। मान लीजिए आपके पास बैठे व्यक्ति को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा रही हो, लेकिन वह आदमी उस ऊर्जा के प्रति ग्रहणशील नहीं है।

पंचमुखी रुद्राक्ष सबसे सुरक्षित विकल्प है जो हर किसी - स्त्री, पुरुष, बच्चे, हर किसी के लिए अच्छा माना जाता है। यह सेहत और सुख की दृष्टि से भी फायदेमंद हैं, जिससे रक्तचाप नीचे आता है और स्नायु तंत्र तनाव मुक्त और शांत होता है।
ऐसे में, उसके बगल में बैठे होने की वहज से, उस शक्ति का नकारात्मक असर आप पर भी हो सकता है। यह ठीक वैसे ही है कि जैसे किसी सडक़ पर दो लोग एक-दूसरे पर गोली चला रहे हैं, लेकिन गोली गलती से आपको लग जाती है। भले ही गोली आप पर नहीं चलाई गई, फिर भी आप जख्मी हो सकते हैं, क्योंकि आप गलत वक्त पर गलत जगह पर मौजूद थे। हालांकि इस सबसे डरने की जरूरत नहीं है, लेकिन रुद्राक्ष ऐसी किसी भी परिस्थिति से आपकी रक्षा करता है।
गुरु एक ही रुद्राक्ष को अलग-अलग लोगों के लिए अलग-तरह से जागृत करता है। परिवार में रहने वाले लोगों के लिए रुद्राक्ष अलग तरह से प्रतिष्ठित किए जाते हैं। अगर आप ब्रह्मचारी या संन्यासी हैं, तो आपके रुद्राक्ष को दूसरे तरीके से ऊर्जित किया जाएगा। ऐसा रुद्राक्ष सांसारिक जीवन जी रहे लोगों को नहीं पहनना चाहिए।
रुद्राक्ष एक मुखी से लेकर 21-मुखी तक होते हैं, जिन्हें अलग-अलग प्रयोजन के लिए पहना जाता है। इसलिए बस किसी भी दुकान से कोई भी रुद्राक्ष खरीदकर पहन लेना उचित नहीं होता। हालांकि पंचमुखी रुद्राक्ष सबसे सुरक्षित विकल्प है जो हर किसी - स्त्री, पुरुष, बच्चे, हर किसी के लिए अच्छा माना जाता है। यह सेहत और सुख की दृष्टि से भी फायदेमंद हैं, जिससे रक्तचाप नीचे आता है और स्नायु तंत्र तनाव मुक्त और शांत होता है।

रुद्राक्ष की पहचान कैसे करें

रुद्राक्ष हमेशा उन्हीं लोगों से संबंधित रहा है, जिन्होंने इसे अपने पावन कर्तव्य के तौर पर अपनाया। परंपरागत तौर पर पीढ़ी-दर-पीढ़ी वे सिर्फ रुद्राक्ष का ही काम करते रहे थे। हालांकि यह उनके रोजी रोटी का साधन भी रहा, लेकिन मूल रूप से यह उनके लिए परमार्थ का काम ही था। जैसे-जैसे रुद्राक्ष की मांग बढ़ने लगी, इसने व्यवसाय का रूप ले लिया। आज, भारत में एक और बीज मिलता है, जिसे भद्राक्ष कहते हैं और जो जहरीला होता है। भद्राक्ष का पेड़ उत्तर प्रदेश, बिहार और आसपास के क्षत्रों में बहुतायत में होता है। पहली नजर में यह बिलकुल रुद्राक्ष की तरह दिखता है।
जब आप रुद्राक्ष धारण करते हैं, तो यह आपके प्रभामंडल (औरा) की शुद्धि करता है।
देखकर आप दोनों में अंतर बता नहीं सकते। अगर आप संवेदनशील हैं, तो अपनी हथेलियों में लेने पर आपको दोनों में अंतर खुद पता चल जाएगा। चूंकि यह बीज जहरीला होता है, इसलिए इसे शरीर पर धारण नहीं करना चाहिए। इसके बावजूद बहुत सी जगहों पर इसे रुद्राक्ष बताकर बेचा जा रहा है। इसलिए यह बेहद जरूरी है कि जब भी आपको रुद्राक्ष लेना हो, आप इसे किसी भरोसेमंद जगह से ही लें।
जब आप रुद्राक्ष धारण करते हैं, तो यह आपके प्रभामंडल (औरा) की शुद्धि करता है। इस प्रभामंडल का रंग बिलकुल सफेद से लेकर बिलकुल काले और इन दोनों के बीच पाए जाने वाले अनगिनत रंगों में से कुछ भी हो सकता है। इसका यह मतलब कतई नहीं हुआ कि आज आपने रुद्राक्ष की माला पहनी और कल ही आपका प्रभामंडल सफेद दिखने लगे!


अगर आप अपने जीवन को शुद्ध करना चाहते हैं तो रुद्राक्ष उसमें मददगार हो सकता है। जब कोई इंसान अध्यात्म के मार्ग पर चलता है, तो अपने लक्ष्य को पाने के लिए वह हर संभव उपाय अपनाने को आतुर रहता है। ऐसे में रुद्राक्ष निश्चित तौर पर एक बेहद मददगार जरिया साबित हो सकता है।

रुद्राक्ष से लेना है भारी लाभ तो इन बातों का रखें ध्यान

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रुद्राक्ष को शिव का प्रत्यक्ष अंश माना गया है, जिसकी महिमा और चमत्कारों से हम सभी भली-भांति अवगत हैं। पुराणों के अनुसार ऐसा कहा गया है कि ये रुद्राक्ष शिव के आंसुओं से बने हैं। रुद्राक्ष विभिन्न तरह के होते हैं और इसी के आधार पर इनक महत्व और उपयोगिता भी भिन्न-भिन्न होती है। लेकिन रुद्राक्ष धारण करने के कुछ नियम हैं जो समान हैं।


आप किसी भी तरह का रुद्राक्ष क्यों ना धारण करने जा रहे हों, या किसी विशेष उद्देश्य के तहत रुद्राक्ष धारण करना हो...सभी के लिए कुछ नियम हैं जिनका पालन करना अत्यंत आवश्यक है। इन नियमों का पालन किए बिना रुद्राक्ष का सही फल प्राप्त नहीं होता।
सबसे पहले तो आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि रुद्राक्ष धारण करने से पहले उसकी जांच अत्यंत आवश्यक है। अगर रुद्राक्ष असली है ही नहीं तो इसे धारण करने का कोई लाभ आपको प्राप्त नहीं होगा। खंडित, कांटों से रहित या कीड़ा लगा हुआ रुद्राक्ष कदापि धारण ना करें।
अगर आपने रुद्राक्ष का प्रयोग जाप के लिए करना है तो छोटे रुद्राक्ष ही आपके लिए सही हैं, लेकिन अगर रुद्राक्ष धारण करना है तो बड़े रुद्राक्ष का ही चयन करें
रुद्राक्ष के आकार की तरह उसके दानों की संख्या का भी अपना महत्व है। अगर आपको रुद्राक्ष का जाप तनाव मुक्ति के लिए करना है तो 100 दानों की माला का प्रयोग करना चाहिए। अगर आपकी मनोकामना अच्छी सेहत और स्वास्थ्य से जुड़ी है तो आपको 140 दानों की माला का प्रयोग करना चाहिए।
धन प्राप्ति के लिए 62 दानों की माला का प्रयोग करें और संपूर्ण मनोकामना पूर्ति के लिए 108 दानों की माला का प्रयोग करें।
रुद्राक्ष से संबंधित एक महत्वपूर्ण नियम के अनुसार आप जिस भी माला से जाप करते हैं उस माला को कदापि धारण ना करें और जिस माला को धारण करते हैं उसे कभी भी जाप के प्रयोग में ना लाएं।
रुद्राक्ष को बिना शुभ मुहूर्त के भी धारण ना करें। सर्वप्रथम उसकी प्राण प्रतिष्ठा करवाएं और उसके बाद ही रुद्राक्ष धारण करें।
हिन्दू शास्त्रों के अनुसार ग्रहण काल में, कर्क और मकर संक्रांति के दिन, अमावस्या, पूर्णिमा और पूर्णा तिथि पर रुद्राक्ष धारण करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है।
जिन लोगों ने रुद्राक्ष धारण किया है, उनके लिए मांस, मदिरा या किसी भी प्रकार के नशे को करना वर्जित है। इसके अलावा लहसुन और प्याज के सेवन से भी बचना चाहिए।
रुद्राक्ष धारण करने से पूर्व उसे भगवान शिव के चरणों से स्पर्श करवाएं। वैसे तो शास्त्रों में विशेष स्थिति में कमर पर भी रुद्राक्ष धारण करने की बात कही गई है लेकिन सामान्यतौर पर इसे नाभि के ऊपरी हिस्सों पर ही धारण करें। रुद्राक्ष को कभी भी अंगूठी में धारण नहीं करना चाहिए, ऐसा करने से इसकी पवित्रता नष्ट हो जाती है।
रुद्राक्ष धारण किए हुए कभी भी प्रसूति गृह, श्मशान या किसी की अंतिम यात्रा में शामिल ना हों। मासिक धर्म के दौरान स्त्रियों को रुद्राक्ष उतार देना चाहिए। इसके अलावा रात को सोने से पहले भी रुद्राक्ष उतार दें।
रुद्राक्ष को दिव्य औषधि कहा गया है, जो सकारात्मक ऊर्जा और प्रभावी तरंगों से बनी है। इस औषधि का पूर्ण लाभ लेने के लिए नियमित तौर पर इसकी साफ-सफाई अनिवार्य है। जब कभी रुद्राक्ष शुष्क प्रतीत होने लगे तो इसे तेल में डुबोकर कुछ देर के लिए रख दें।
मूलत: रुद्राक्ष को सोने या चांदी के आभूषण में ही धारण करें, लेकिन अगर किसी कारणवश यह उपलब्ध नहीं है तो आपको ऊनी या रेशमी धागे की सहायता से रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
रुद्राक्ष धारण करने से पूर्व पूजाकर्म और जाप करना होता है, लेकिन सामान्य हालातों में इसे संभव कह पाना मुश्किल है इसलिए जब भी आपको रुद्राक्ष धारण करने का मन करे या ज्योतिष आपको सलाह दे तो सर्वप्रथम यह ध्यान रखें कि धारण करने का दिन सोमवार ही हो।
पहनने से पहले रुद्राक्ष को कच्चे दूध, गंगा जल, से पवित्र करें और फिर केसर, धूप और सुगंधित पुष्पों से शिव पूजा करने के बाद ही इसे धारण करें।