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Sunday 22 July 2018

रुद्राक्ष से लेना है भारी लाभ तो इन बातों का रखें ध्यान

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रुद्राक्ष को शिव का प्रत्यक्ष अंश माना गया है, जिसकी महिमा और चमत्कारों से हम सभी भली-भांति अवगत हैं। पुराणों के अनुसार ऐसा कहा गया है कि ये रुद्राक्ष शिव के आंसुओं से बने हैं। रुद्राक्ष विभिन्न तरह के होते हैं और इसी के आधार पर इनक महत्व और उपयोगिता भी भिन्न-भिन्न होती है। लेकिन रुद्राक्ष धारण करने के कुछ नियम हैं जो समान हैं।


आप किसी भी तरह का रुद्राक्ष क्यों ना धारण करने जा रहे हों, या किसी विशेष उद्देश्य के तहत रुद्राक्ष धारण करना हो...सभी के लिए कुछ नियम हैं जिनका पालन करना अत्यंत आवश्यक है। इन नियमों का पालन किए बिना रुद्राक्ष का सही फल प्राप्त नहीं होता।
सबसे पहले तो आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि रुद्राक्ष धारण करने से पहले उसकी जांच अत्यंत आवश्यक है। अगर रुद्राक्ष असली है ही नहीं तो इसे धारण करने का कोई लाभ आपको प्राप्त नहीं होगा। खंडित, कांटों से रहित या कीड़ा लगा हुआ रुद्राक्ष कदापि धारण ना करें।
अगर आपने रुद्राक्ष का प्रयोग जाप के लिए करना है तो छोटे रुद्राक्ष ही आपके लिए सही हैं, लेकिन अगर रुद्राक्ष धारण करना है तो बड़े रुद्राक्ष का ही चयन करें
रुद्राक्ष के आकार की तरह उसके दानों की संख्या का भी अपना महत्व है। अगर आपको रुद्राक्ष का जाप तनाव मुक्ति के लिए करना है तो 100 दानों की माला का प्रयोग करना चाहिए। अगर आपकी मनोकामना अच्छी सेहत और स्वास्थ्य से जुड़ी है तो आपको 140 दानों की माला का प्रयोग करना चाहिए।
धन प्राप्ति के लिए 62 दानों की माला का प्रयोग करें और संपूर्ण मनोकामना पूर्ति के लिए 108 दानों की माला का प्रयोग करें।
रुद्राक्ष से संबंधित एक महत्वपूर्ण नियम के अनुसार आप जिस भी माला से जाप करते हैं उस माला को कदापि धारण ना करें और जिस माला को धारण करते हैं उसे कभी भी जाप के प्रयोग में ना लाएं।
रुद्राक्ष को बिना शुभ मुहूर्त के भी धारण ना करें। सर्वप्रथम उसकी प्राण प्रतिष्ठा करवाएं और उसके बाद ही रुद्राक्ष धारण करें।
हिन्दू शास्त्रों के अनुसार ग्रहण काल में, कर्क और मकर संक्रांति के दिन, अमावस्या, पूर्णिमा और पूर्णा तिथि पर रुद्राक्ष धारण करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है।
जिन लोगों ने रुद्राक्ष धारण किया है, उनके लिए मांस, मदिरा या किसी भी प्रकार के नशे को करना वर्जित है। इसके अलावा लहसुन और प्याज के सेवन से भी बचना चाहिए।
रुद्राक्ष धारण करने से पूर्व उसे भगवान शिव के चरणों से स्पर्श करवाएं। वैसे तो शास्त्रों में विशेष स्थिति में कमर पर भी रुद्राक्ष धारण करने की बात कही गई है लेकिन सामान्यतौर पर इसे नाभि के ऊपरी हिस्सों पर ही धारण करें। रुद्राक्ष को कभी भी अंगूठी में धारण नहीं करना चाहिए, ऐसा करने से इसकी पवित्रता नष्ट हो जाती है।
रुद्राक्ष धारण किए हुए कभी भी प्रसूति गृह, श्मशान या किसी की अंतिम यात्रा में शामिल ना हों। मासिक धर्म के दौरान स्त्रियों को रुद्राक्ष उतार देना चाहिए। इसके अलावा रात को सोने से पहले भी रुद्राक्ष उतार दें।
रुद्राक्ष को दिव्य औषधि कहा गया है, जो सकारात्मक ऊर्जा और प्रभावी तरंगों से बनी है। इस औषधि का पूर्ण लाभ लेने के लिए नियमित तौर पर इसकी साफ-सफाई अनिवार्य है। जब कभी रुद्राक्ष शुष्क प्रतीत होने लगे तो इसे तेल में डुबोकर कुछ देर के लिए रख दें।
मूलत: रुद्राक्ष को सोने या चांदी के आभूषण में ही धारण करें, लेकिन अगर किसी कारणवश यह उपलब्ध नहीं है तो आपको ऊनी या रेशमी धागे की सहायता से रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
रुद्राक्ष धारण करने से पूर्व पूजाकर्म और जाप करना होता है, लेकिन सामान्य हालातों में इसे संभव कह पाना मुश्किल है इसलिए जब भी आपको रुद्राक्ष धारण करने का मन करे या ज्योतिष आपको सलाह दे तो सर्वप्रथम यह ध्यान रखें कि धारण करने का दिन सोमवार ही हो।
पहनने से पहले रुद्राक्ष को कच्चे दूध, गंगा जल, से पवित्र करें और फिर केसर, धूप और सुगंधित पुष्पों से शिव पूजा करने के बाद ही इसे धारण करें।


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