Jeevan Dharm

Jeevan-dharm is about our daily life routine, society, culture, entertainment, lifestyle.

Sunday 13 May 2018

रत्नो से सम्बंधित तथ्य

No comments :


पुखराज पीले रंग का एक बेहद खूबसूरत रत्न है। इसे बृहस्पति ग्रह का रत्न माना जाता है। पुखराज की गुणवत्ता आकार, रंग तथा शुद्धता के आधार पर तय की जाती है। पुखराज (Pukhraj or Yellow Sapphire) तकरीबन हर रंग में मौजूद होते हैं, लेकिन जातकों को अपनी राशि के अनुसार इन पुखराज को धारण करना चाहिए।
पुखराज के तथ्य (Facts of Pukhraj or Yellow Sapphire)
पुखराज के बारे में बताया जाता है कि जिन जातकों की कुंडली में बृहस्पति कमज़ोर हो उन्हें पीला पुखराज धारण करना चाहिए।
पुखराज के लिए राशि (Pukhraj for Rashi)
धनु तथा मीन राशियों के जातकों के लिए पुखराज धारण करना अत्यंत लाभकारी माना गया है।
पुखराज के फायदे (Benefits of Pukhraj in Hindi)
* पुखराज धारण करने से मान सम्मान तथा धन संपत्ति में वृद्धि होती है।
* यह रत्न शिक्षा के क्षेत्र में भी सफलता प्रदान करवाता है।
* इस रत्न से जातकों के मन में धार्मिकता तथा सामाजिक कार्य में रुचि होने लगती है।
* विवाह में आती रुकावटें तथा व्यापार में होता नुकसान से बचने के लिए भी पीला पुखराज धारण करने की सलाह दी जाती है।
पुखराज के स्वास्थ्य संबंधी लाभ (Health Benefits of Pukhraj)
* ज्योतिषी मानते हैं कि जिन जातकों को सीने की दर्द, श्वास, गला आदि रोगों से परेशानी है तो उन्हें पुखराज धारण करना चाहिए।
* अल्सर, गठिया, दस्त, नपुंसकता, टीबी, हृदय, घुटना तथा जोड़ों के दर्द से राहत पाने के लिए भी पुखराज का उपयोग किया जाता है।
कैसे धारण करें पुखराज (How to Wear Yellow Sapphire)
पुखराज गुरुवार के दिन धारण करना चाहिए। धारण करने से पूर्व पीली वस्तुओं विशेषकर जो बृहस्पति से संबंधित हो उनका देना चाहिए। बृहस्पति से संबंधित कुछ वस्तुएं हैं केला, हल्दी, पीले कपड़े आदि। माना जाता है कि पुखराज हमेशा सवा 5 रत्ती, सवा 9 रत्ती, सवा 12 रत्ती की मात्रा में धारण करें। पुखराज धारण करने से पहले इसकी विधिवत पूजा-अर्चना करनी चाहिए। बिना ज्योतिषी की सलाह और कुंडली देखे बिना पुखराज या अन्य रत्न नहीं धारण करने चाहिए।
पुखराज का उपरत्न (Substitutes of Yellow Sapphire)
पुखराज के स्थान पर रत्न ज्योतिषी धिया, सुनैला, सुनहला या पीला हकीक पहनने की भी सलाह देते हैं।
--------------------------------------------------------------------------------------------------

लाल रंग के मूंगा रत्न (Red Coral Stone) को मंगल ग्रह का रत्न माना जाता है। ज्योतिषी मानते हैं कि इसे धारण करने से मंगल ग्रह की पीड़ा शांत होती है। इस रत्न को भौम रत्न, पोला, मिरजान, लता मणि, कोरल, प्रवाल के नाम से भी जाना जाता है। मूंगा रत्न ज्यादातर लाल रंग का होता है परंतु यह गहरे लाल, सिंदूरी लाल, नारंगी आदि रंग के भी पाए जाते हैं। 
मूंगा के तथ्य (Facts of Moonga or Red Coral in Hindi)
* मूंगा के बारे में यह माना जाता है कि मूंगा एक वनस्पति है जिसका एक पेड़ है लेकिन यह रत्न समुद्र में पाया जाता है।
* मूंगा जितना समुद्र की गहराई में होता है इसका रंग उतना ही हल्का भी होता है।
मूंगा के लिए राशि (Moonga for Rashi)
मेष तथा वृश्चिक राशि के जातकों के लिए मूंगा रत्न, सबसे बेहतरीन माना जाता है। 
मूंगा के फायदे (Benefits of Red Coral or Moonga in Hindi)
* मूंगा धारण करने से नज़र नहीं लगती है और भूत-प्रेत का डर नहीं रहता है।
* आत्मविश्वास तथा सकारात्मक सोच में वृद्धि होती है।
* आकर्षण शक्ति बढ़ती है तथा लोगों का देखने का नजरिया बदलता है।
* मूंगा को पहनने से क्रूर तथा जलन का नाश हो जाता है। 
स्वास्थ्य में मूंगा का लाभ (Benefits of Red Coral or Moonga in Health)
* मूंगा रत्न को धारण करने से रक्त संबंधित सभी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं।
* जो जातक हृदय रोगों से ग्रस्त हैं उन्हें मूंगा धारण करना चाहिए। 
* मिर्गी तथा पीलिया रोगियों के लिए यह रत्न उत्तम साबित माना गया है।
कैसे पहने मूंगा (How To Wear Red Coral) 
मूंगा या किसी भी अन्य रत्न को धारण करने से पहले अच्छे ज्योतिषी से अवश्य सलाह ले लेनी चाहिए। मूंगा मंगलवार के दिन अनामिका में धारण करना चाहिए। पुरुषों को दाएं हाथ में और स्त्रियों को बाएं हाथ की अनामिका उंगली में मूंगा धारण करने का विधान है। 
मूंगा का उपरत्न (Substitutes of Red Coral)
मूंगा के स्थान पर लाल हकीक, तामड़ा या संग-सितारा (Sang-Sitara) धारण किया जा सकता है।
---------------------------------------------------------------------------------------------

माणिक्य (रूबी) को बेहद मूल्यवान रत्न माना जाता है। इसे चुन्नी और लाल भी कहा जाता है। माणिक्य का रंग लाल होता है। इसे धारण करने से सूर्य की पीड़ा शांत होती है। माणिक्य (Manikya) को अंग्रेज़ी में 'रूबी' (Ruby Gemstone) कहते हैं। 
माणिक्य के तथ्य (Facts of Manikya stone in Hindi)
* माणिक्य रत्न के बारे में कहा जाता है कि जब किसी व्यक्ति के साथ कुछ अनहोनी घटित होने वाली हो तो यह रत्न स्वयं अपना रंग परिवर्तित कर लेता है।
* कई लोग मानते हैं कि माणिक्य विष के प्रभाव को भी कम कर देता है।
माणिक्य के लिए राशि (Manikya for Rashi)
सिंह राशि के जातकों के लिए माणिक्य रत्न धारण करना अत्यंत लाभकारी माना गया है।
माणिक्य के फायदे (Benefits of Manikya in Hindi)
* जो जातक, सूर्य की पीड़ा से ग्रस्त हो उन्हें माणिक्य धारण करने की सलाह दी जाती है।
* इसे धारण करने से मनुष्य बदनामी से बचा जा सकता है।
* इसे धारण करने से विवाहित जीवन में मजबूती आती है।
स्वास्थ्य में माणिक्य का लाभ (Health Benefits of Manikya in Hindi)
माणिक्य नेत्र रोग तथा हृदय संबंधित रोगों में विशेष लाभकारी माना जाता है। साथ ही सरदर्द आदि समस्याओं में भी इसका प्रयोग लाभकारी होता है। 
कैसे करें माणिक्य धारण (How to Wear Manikya)
ज्योतिषानुसार माणिक्य (रूबी) रविवार के दिन सूर्य मंत्रों का जाप करते हुए धारण करना चाहिए। माणिक्य धारण करते समय कुंडली में सूर्य की स्थिति के बारे में भी विचार कर लेना चाहिए। 
माणिक्य का उपरत्न (Subsitutes of Manikya)
माणिक्य के स्थान पर कई बार ज्योतिषी गार्नेट (Red garnet) भी धारण करने की सलाह देते हैं।
-----------------------------------------------------------------------------------
पन्ना रत्न गहरे हरे रंग का होता है। बुध ग्रह की पीड़ा शांत करने के लिए पन्ना धारण करने की सलाह दी जाती है। इसे मरकत मणि, हरितमणि, एमराल्ड (Emerald ), पांचू आदि नामों से जाना जाता है। हीरा और नीलम के बाद इसे तीसरा सबसे खूबसूरत रत्न कहा जाता है। पन्ना (Emerald or Panna) बेहद कीमती होता है।
पन्ना के तथ्य (Facts of Panna in Hindi)
* पन्ना की असल पहचान करने के लिए लकड़ी पर रत्न को रगड़ने से इसकी चमक ओर अधिक खिलती है।
* यह मुलायम हरी घास की भांति होता है जिसके ऊपर पानी की बूंद रखने से बूंद उसी समान रहती है। 
पन्ना के लिए राशि (Panna for Rashi)
मिथुन तथा कन्या राशि के जातकों के लिए पन्ना रत्न अत्याधिक लाभकारी माना जाता है। 
पन्ना के फायदे (Benefits of Panna in Hindi)
* गुस्से पर काबू करने और मन में एकाग्रता बढ़ाने के लिए पन्ना का प्रयोग करना चाहिए। 
* जो जातक व्यापार तथा अंकशास्त्र संबंधित कार्य कर रहें हों उनके लिए पन्ना लाभकारी साबित होता है।
* बुध ग्रह को स्मरण शक्ति और विद्या आदि का कारक माना जाता है। पन्ना धारण करने से स्मरण शक्ति बढ़ती है। छात्रों के लिए यह विशेष रत्न साबित होता है। 
स्वास्थ्य में पन्ना का लाभ (Health Benefits of Panna)
* माना जाता है कि पन्ना पौरुष शक्ति को बढ़ाता है। 
* यह रत्न दमा के मरीजों तथा गर्भवती महिलाओं के लिए अत्याधिक लाभकारी माना गया है।
* मिर्गी के दौरे से पीड़ित रोगियों के लिए भी पन्ना लाभकारी माना जाता है। 
कैसे करें पन्ना धारण (How to Wear Emerald)
ज्योतिषी मानते हैं कि पन्ना बुधवार के दिन धारण करना चाहिए। पन्ना धारण करते समय मनुष्य को अपनी कुंडली में बुध की स्थिति पर भी ध्यान देना चाहिए। रत्न का वजन बेहद अहम होता है। कितने रत्ती का रत्न धारण करें, यह कुंडली का विश्लेषण कर सुनिश्चित करना चाहिए। गरुड पुराण में इसको परखने की विधि बताई गई है।
पन्ना का उपरत्न (Substitutes of Emerald or Panna)
पन्ना बेहद कीमती माना जाता है। शुद्ध पन्ना ना मिल पाने की दशा में जेड (हरिताश्म) या फिरोजा धारण किया जा सकता है।
-------------------------------------------------------------------------------------------------
सादगी, पवित्रता और कोमलता की निशानी माने जाने वाला मोती एक चमत्कारी ज्योतिषीय रत्न माना जाता है। इसे मुक्ता, शीशा रत्न और पर्ल (Pearl) के नाम से भी जाना जाता है। मोती सिर्फ एक रंग का ही नहीं होता बल्कि यह कई अन्य रंगों जैसे गुलाबी, लाल, हल्के पीले रंग का भी पाया जाता है। मोती, समुद्र के भीतर स्थित घोंघे नामक कीट में पाए जाते हैं। 
मोती के तथ्य (Facts of Moti or Pearl in Hindi)
* मोती के बारे में बताया जाता है कि यह रत्न, बाकी रत्नों से कम समय तक ही चलता है क्योंकि यह रत्न रूखेपन, नमी तथा एसिड से अधिक प्रभावित हो जाता है।
* प्राचीनकाल में मोती (Pearl or Moti) को सुंदरता निखारने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता था तथा इसे शुद्धता का प्रतीक माना जाता था।
मोती के लिए राशि (Moti for Cancer Rashi)
कर्क राशि के जातकों के लिए मोती धारण करना अत्याधिक लाभकारी माना जाता है । चन्द्रमा से जनित बीमारियों और पीड़ा की शांति के लिए मोती धारण करना लाभदायक माना जाता है। 
मोती के फायदे (Benefits of Pearl or Moti in Hindi)
* मोती धारण करने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। जो जातक मानसिक तनाव से जूझ रहें हों उन्हें मोती को धारण कर लेना चाहिए।
* जिन लोगों को अपनी राशि ना पता हो या कुंडली ना हो, वह भी मोती धारण कर सकते हैं। 
स्वास्थ्य में मोती का लाभ (Benefits of Pearl in Health)
* मानसिक शांति, अनिद्रा आदि की पीड़ा में मोती बेहद लाभदायक माना जाता है। 
* नेत्र रोग तथा गर्भाशय जैसे समस्या से बचने के लिए मोती धारण किया जाता है।
* मोती, हृदय संबंधित रोगों के लिए भी अच्छा माना जाता है।
कैसे धारण करें मोती (How to Wear Pearl)
ज्योतिषानुसार मोती सोमवार के दिन धारण करना शुभ होता है। मोती धारण करते समय चन्द्रमा का ध्यान और उनके मंत्रों का जाप करना चाहिए। चांदी की अंगूठी में मोती धारण करना अत्यधिक श्रेष्ठ माना जाता है। 
मोती के उपरत्न (Substitutes of Pearl)
मान्यता है कि मोती नहीं खरीद पाने की स्थिति में जातक मूनस्टोन, सफेद मूंगा या ओपल भी पहन सकते हैं। 
नोट: किसी भी रत्न को धारण करने से पहले रत्न ज्योतिषी की सलाह अवश्य ले लेनी चाहिए।
-------------------------------------------------------------------------------------------------
लहसुनिया को केतु ग्रह का रत्न माना जाता है। इसे वैदूर्य मणि, सूत्र मणि, केतु रत्न, कैट्स आई, विडालाक्ष के नाम से भी जाना जाता है। इस रत्न का रंग हल्का पीला होता है। यह रत्न दिखने में थोड़ा-सा बिल्ली की आंख जैसा भी प्रतीत होता है। 
लहसुनिया के तथ्य (Facts of Lehsunia or Cats Eye Gemstone in Hindi)
* मान्यता है कि लहसुनिया धारण करने से केतु ग्रह के बुरे प्रभाव खत्म हो जाते हैं। ज्योतिषी इस रत्न को बेहद अहम मानते हैं।
* माना जाता है कि गुणयुक्त लहसुनिया अपने स्वामी को परम सौभाग्य से संपन्न बनाती है और दोषयुक्त मणि अपने स्वामी को दोषों से संयुक्त कर देती है। इसलिए इसे पहनने से पूर्व इसकी परीक्षा अवश्य करनी चाहिए।
लहसुनिया के ज्योतिषीय फायदे (Astrological Benefits of Lehsunia in Hindi)
* माना जाता है कि लहसुनिया धारण करने से दुख:-दरिद्रता समाप्त हो जाता है। यह रत्न भूत बाधा तथा काले जादू से दूर रखने में सहायक माना जाता है।
* ज्योतिषी मानते हैं कि लहसुनिया के धारण करने से रात में बुरे सपने परेशान नहीं करते हैं। 
स्वास्थ्य में लहसुनिया का लाभ (Health Benefits of Lehsunia in Hindi)
* ज्योतिष शास्त्र के अनुसार लहसुनिया को धारण करने से शारीरिक दुर्बलता खत्म होती है और आंखों की रोशनी बढ़ती है।
* माना जाता है कि यह रत्न दमे के रोगियों के लिए अत्याधिक लाभकारी होता है।
* कई रत्न ज्योतिषी श्वास नली में सूजन की परेशानी होने पर लहसुनिया धारण करने की सलाह देते हैं। 
कैसे करें लहसुनिया धारण (How to wear Lehsunia in Hindi)
सोने या चांदी की अंगूठी में लहसुनिया जड़ाकर सोमवार के दिन धारण करना चाहिए। चूंकि यह एक बेहद प्रभावशाली रत्न होता है इसलिए इसे धारण करने से पहले ज्योतिषी से सलाह परामर्श कर लेना चाहिए।
लहसुनिया का उपरत्न (Substitutes of Cats Eye)
लहसुनिया के स्थान पर कैट्स आई क्वार्ट्ज़ (Cats Eye Quartz) तथा एलेग्जण्ड्राइट धारण किया जा सकता है।
-------------------------------------------------------------------------------------
रत्न ज्योतिष अनुसार बेदाग स्वच्छ हीरा शुक्र की पीड़ा शांत करता है। मान्यता है कि जो हीरा सभी गुणों से संपन्न हो और जल में डालने पर तैरता है वह सभी रत्नों में सर्वश्रेष्ठ होता है।

हीरे के बारें में रोचक तथ्य (Facts of Diamond)
* हीरे के बारे में कहा जाता है कि हीरा जितना अधिक भारी होगा उतना ही वो लाभकारी भी होगा। 
* हीरा बेहद मूल्यवान होता है लेकिन एक छोटे से दोष के कारण भी हीरे की कीमत में जमीन-आसमान का अंतर आ सकता है।

राशि रत्न (Diamond for Rashi)
वृषभ तथा तुला राशि के जातकों के लिए हीरा धारण करना अच्छा माना जाता है। 

हीरे के फायदे (Benefits of Diamond)
* जो जातक व्यापार, फिल्म उद्योग तथा कला क्षेत्र में सफलता हासिल करना चाहते हैं तो वे हीरा धारण कर सकते हैं।
* संबंधों में मधुरता के लिए विशेषकर प्रेम संबंधों को हीरा बढ़ाता है। 
* शिक्षा संबंधित परेशानी या विवाह में आती रुकावट हो तो हीरा का धारण करना लाभकारी साबित हो सकता है।

स्वास्थ्य संबंधी लाभ (Health Benefits of Diamond )
* हीरा धारण करने से आयु में वृद्धि होती है।
* मधुमेह तथा नेत्र रोगों से निजात दिलाता है।
* विशेष: कई ज्योतिषी मानते हैं कि संतान विशेषकर पुत्र चाहने वाले स्त्रियों को हीरा नहीं पहनना चाहिए। यह पुत्र संतान-प्राप्ति में बाधक हो सकता है। 

कैसे करें हीरा धारण (How to Wear Diamond)
अंगूठी या हार के रूप में हीरा पहना जाता है। ज्योतिषिय प्रभाव के लिए हीरा अंगूठी में जड़वाकर शुक्रवार के दिन पहनना चाहिए। 

हीरे के अन्य उपरत्न (Substitutes of Diamond or Heera)
हीरा एक बेहद महंगा रत्न माना जाता है। अगर जातक हीरा ना खरीद पाए तो इसके स्थान पर जरकन, फिरोजा, ओपल या कुरंगी जैसे रत्न भी धारण कर सकता है। यह सभी उपरत्न भी हीरे के समान ही फल देते हैं।
------------------------------------------------------------------------------------------------
शनि ग्रह के बुरे प्रभाव और पीड़ा शांत करने के लिए नीलम (Neelam) या नीला पुखराज धारण करने की सलाह दी जाती है। नीलम को हीरे के बाद दूसरा सबसे सुंदर रत्न माना जाता है। इसे नीलमणि, सेफायर, इंद्र नीलमणि, याकूत, नीलम, कबूद भी कहा जाता है। कहा जाता है कि यह रत्न रंक को राजा और राजा को रंक बना सकता है। 

नीला पुखराज के तथ्य (Facts of Neelam in Hindi)
* नीला पुखराज के बारे में मान्यता है कि जब इस रत्न को दूध में डाला जाए तो दूध भी नीला रंग धारण कर लेता है। 
* कहा जाता है कि नीलम शुभ साबित हो तो मनुष्य के जीवन में खुशियों की बहार ला देता है। लेकिन अशुभ स्थिति में यह मनुष्य के लिए बहुत अहितकारी साबित होता है।

नीला पुखराज के लिए राशि (Blue Sapphire for Rashi)मकर तथा कुंभ राशि के जातकों के लिए नीलम या नीला पुखराज धारण लाभकारी साबित होता है। साथ ही जिन लोगों को शनि साड़ेसाती के प्रभावों से परेशानी हो रही हो उन्हें भी नीलम धारण करने की सलाह दी जाती है। 

नीला पुखराज के फायदे (Benefits of Neelam)
* नीला पुखराज धारण करने से मन अशांत नहीं होता है। 
* माना जाता है कि नीलम धारण करने से ज्ञान तथा धैर्य की वृद्धि होती है।
* नीलम वाणी में मिठास, अनुशासन तथा विनम्रता पैदा करता है।
* राजनेताओं और राजनीति से जुड़े लोगों के लिए नीलम लाभकारी माना जाता है। कहा जाता है कि इसे धारण करने से नेतृत्व क्षमता बढ़ती है।
* माना जाता है कि जो जातक तनाव तथा चिंताओं से घिरे हों उन्हें नीला पुखराज अवश्य धारण करना चाहिए। 

स्वास्थ्य में नीला पुखराज का लाभ (Health Benefits of Blue Sapphire)
* ज्योतिषी मानते हैं कि लकवा, हड्डियों, दांतों और दमा की परेशानी से ग्रस्त रोगियों के लिए नीला पुखराज फायदेमंद हो सकता है। 
* कहा जाता है कि नीला पुखराज पहनने से चर्म रोग तथा प्लेग जैसे बिमारियों से निजात मिलती है। ज्योतिषी शनि से प्रभावित रोगों और परेशानियों में भी नीलम या नीला पुखराज धारण करने की सलाह देते हैं। 
कैसे करें नीलम धारण (How to Wear Blue Sapphire)
नीलम शनिवार के दिन धारण करना शुभ माना जाता है। विधिवत रूप से पूजा पाठ करने के बाद ही नीलम धारण करना चाहिए। अगर पहले कुछ दिनों में इसका विपरीत प्रभाव लगे तो रत्न को उतार देना चाहिए। नीलम के साथ कोई अन्य रत्न विशेषकर माणिक्य, मोती आदि नहीं पहनना चाहिए।
नीलम के उपरत्न (Substitutes of Blue Sapphire)
नीलम बेहद कीमती और कम पाया जाने वाला रत्न है। इसके उपलब्ध ना होने की दशा में एमेथिस्ट, ब्लैकस्टार, या ब्लू टोपाज धारण किया जा सकता है।

इस रत्न से हो सकती है जेल

No comments :
रत्नों के सुझावों में अक्सर पुखराज सबसे पहले बताया जाता है। पुखराज का रंग पलाश के फूलों जैसा होता है। यह गुरु ग्रह से संबंधित तथा धनु व मीन राशि का प्रतिनिधित्व करता है जिनकी कुंडली में गुरु कमजोर है या अशुभ है, इसके पहनने से शुभत्व की प्राप्ति होती है। यह ज्ञान का भी द्योतक है। प्रशासनिक अधिकारियों, वकीलों, न्यायाधीशों आदि अभिनय एवं अध्यापन क्षेत्र से जुड़े लोगों की उंगलियों में आप देख सकते हैं।  
कौन-सी लग्न वाले पहनें, कौन न पहनें ?
यहां हम बात कुंडली की लग्न से कर रहे हैं राशि से नहीं क्योंकि आपकी राशि कुछ भी हो सकती है और कोई भी नग पहनना आपकी कुंडली के सही विवेचन पर ही निर्भर करेगा। 
 
वृष, मिथुन, कन्या, तुला, मकर तथा कुंभ लग्न वालों को इसे नहीं पहनना चाहिए। इन लग्न के जातकों के लिए यह अकारक है और कई बार नुक्सान हो जाता है। पुखराज पहनते ही काफी लोगों को जेल की सैर करते देखा है। एक मुख्यमंत्री को एक ज्यूलर ने चापलूसी वश 15 कैरेट का पुखराज जबरदस्ती पहना दिया और वह न केवल कुर्सी से हाथ धो बैठे बल्कि पार्टी को ही ले डूबे ।  
 
मुख्यत: छठे, आठवें तथा 12वें भावों के स्वामियों के इस रत्न को धारण नहीं करना चाहिए। शेष मेष, कर्क, सिंह, वृृश्चिक, धनु एवं मीन लग्न वालों के लिए यह क्रमश: भाग्यवृद्धि, संतान पक्ष, विद्या, धन, भवन, नौकरी को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
 
पुखराज के साथ पन्ना, हीरा तथा नीलम  विशेषत: उसी हाथ में नहीं पहनना चाहिए।
इसे दाएं या बाएं हाथ की तर्जनी अर्थात अंगूठे के साथ वाली उंगली में सोने मेे जड़वा कर, वीरवार की सुबह अभिमंत्रित करवा के ही धारण करना चाहिए। 
 
फिल्मोद्योग तो रत्नों का दीवाना है और अधिकांश लोग इन्हें अपने भाग्य में परिवर्तन लाने का श्रेय भी देते हैं। कोरियोग्राफर व अभिनेत्री फराह खान ने पीला पुखराज ही पहना है और इसके बाद चमक गईं। इमरान हाशमी ने तो पुखराज के साथ कई अन्य रत्न भी धारण किए हुए हैं।
 
इनके अलावा राजनीतिक क्षेत्र में मुलायम सिंह यादव भी पुखराज के बल पर ही टिके हुए हैं। ऐसे कितने ही सैलीब्रिटीज हैं जिन्हें पुखराज पहनने के बाद किस्मत ने कहीं का कहीं पहुंचा दिया।  
 
पहचान
पुखराज चमकदार, हल्के पीले रंग में बिना किसी दाग धब्बे, जाले, या धुंधलेपन का होना चाहिए। इसकी कीमत रंग, गुणवत्ता,पारदर्शिता तथा वजन पर निर्भर करती है। 
आपने संतरी रंग के भी पुखराज देखे होंगे। आजकल श्रीलंका से बैंकाक ले जाकर उसे कैमिकली या हीट ट्रीटमैंंट से बिल्कुल पारदर्शी बना दिया जाता है। यह प्राकृतिक रत्न कहां रह गया? जबकि आपको सभी लैबोरेट्रीज इसका प्रमाण पत्र नैचुरल सैफायर के नाम से दे देंगी।
 
कई जगह आपने बड़े-बड़े होर्डिंग देखे होंगे जिन पर लिखा होता है कि हमारे रत्न को गलत साबित करने वाले को 10 लाख रुपए ईनाम देंगे। होता क्या है कि खान से जब पुखराज का पत्थर निकलता है तो उसका कोई भाग बिल्कुल पीला होता है, कुछ कम पीला, कुछ जाले वाला, कुछ चमकदार , कुछ बिल्कुल पारदर्शी। इसे साफ करके इसके छोटे-छोटे टुकड़े कर लिए जाते हैं। जो अधिक साफ, चमकदार एवं पारदर्शी होंगे, उनकी कीमत अधिक होगी। इस तरह हर टुकड़े का वजन, क्वालिटी और मूल्य अलग-अलग होगा।
 
जब ऐसे पुखराज को किसी लैब में भेजा जाता है तो रिपोर्ट पुखराज की ही आएगी, मूंगे की नहीं और आप उस नग को गलत कैसे सिद्ध कर सकते हैं? फिर चाहे आप की ईनाम राशि 10 करोड़ ही क्यों न रख दी जाए  क्योंकि जौहरी को वह कभी देनी ही नहीं पड़ेगी। बस यही एक पेच है। रद्दी, धुंधला पुखराज भी आपको असली और नैचुरल कह कर ऊंचे रेट पर टिका दिया जाता है परन्तु वही रत्न अपने अच्छे परिणाम देगा जो क्रिस्टल क्लीयर है।
 
वजन  
मुख्यत: यह व्यक्ति की आयु व उसके अपने भार पर भी निर्भर करता है। तीस वर्ष से कम लोगों को 3 से 5 रत्ती, इससे बड़ों को 5 से 7 रत्ती तक ठीक रहता है। इससे बड़ा डालने पर हर्ज नहीं है। जो लोग इसका मूल्य देने में असमर्थ हों वे इसका उपरत्न, सुनहला, मार्का, टोपाज, पीताम्बरी आदि भी पहन सकते हैं।
 
शुद्धि व अभिमंत्रण में अंतर
अक्सर इसे गंगा जल या गाय के दूध या कच्ची लस्सी से धोकर पहना दिया जाता है परंतु जब तक इसकी प्राण प्रतिष्ठा पूर्ण विधि-विधान से न की जाए , इसका पूर्ण लाभ नहीं होता। इसके लिए एक थाली में पूजा सामग्री- धूप, दीप, पुष्प, नैवेद्य, गंगा जल रखें। अंगूठी को गंगा जल से धोएं। 
 
एक पीले वस्त्र पर अंगूठी तथा गुरु यंत्र रखें। गुरु मंत्र-ओम् ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:  108 बार बोलें। उस जल को सूर्य को अर्पित करें। फिर अंगूठी धारण करें। गुरु संबंधित दान-बेसन के लडडू, चने की दाल पीले वस्त्र, धार्मिक पुस्तक आदि में से कुछ भी अवश्य करें । बेहतर होगा आप इसी पद्धति से किसी कर्मकांडी विशेषज्ञ की सहायता से इसे अभिमंत्रित करवा लें।

धन, समृद्धि और सफलता के लिए क्रिस्टल

No comments :
बहुत से लोगों को अपने जीवन में किसी बिंदु पर वित्तीय सलाह दी गई है। आपको अपनी सेवानिवृत्ति के लिए बचाने, अपने दैनिक कॉफी खर्चों में कटौती करने या अपने निवेश को विविधता देने के लिए कहा गया है। संभावना है, शायद आपको खुद को अधिक ऊर्जावान रूप से धन के लिए संलग्न करने के लिए कहा नहीं गया है। आइए इसका सामना करें, एक क्रिस्टल जो प्रचुरता की ऊर्जा के साथ कंपन करता है वह आपके द्वारा किए जाने वाले सबसे विविध निवेश हो सकता है-और शायद आप इसके बारे में अपने वित्तीय सलाहकार को नहीं बताएंगे! लेकिन अगर आप टूट जाते हैं तो इन क्रिस्टल ने सफलतापूर्वक इतने सारे लोगों के जीवन में धन क्यों लाया है, यह वास्तव में वहां नहीं है। धन के लिए क्रिस्टल के साथ प्रकट करना आपको विश्वास के साथ अवसरों को पहचानने और स्वीकार करने के लिए खुलता है। जब आप सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ अपने व्यापार से संपर्क करते हैं, तो धन का पालन किया जाएगा।

धन, समृद्धि और सफलता के लिए क्रिस्टल समर्थन के एक ऊर्जावान परत प्रदान कर सकते हैं जब आप अपने करियर या निवेश प्रयासों की शुरुआत करते हैं। पैसा, समृद्धि और सफलता के लिए इनमें से प्रत्येक क्रिस्टल आपको उस धन और बहुतायत को लाने के लिए एक अनूठे तरीके से काम करते हैं जो आप चाहते हैं। इन संपत्तियों और सफलता पत्थरों की ऊर्जा को अपने स्वयं के इरादे से जोड़ना धन और बहुतायत के उदार प्रवाह को प्राप्त करने के लिए अपना जीवन खोलने का सबसे प्रभावशाली तरीका है।

धन के लिए इनमें से प्रत्येक क्रिस्टल अलग-अलग तरीकों से काम करते हैं, लेकिन वे सभी आपके जीवन में धन, समृद्धि और सफलता को आकर्षित करने के समान प्रभाव डालेंगे। कच्चे पाइराइट क्रिस्टल या साइट्रिन प्वाइंट को अपने नए वित्तीय सलाहकार बनने दें, जिससे आपको जोखिम में आत्मविश्वास रखने में मदद मिलती है, लेकिन एक रचनात्मक ड्राइव में ग्राउंड किया जाता है।

धन और धन के लिए क्रिस्टल
धन सामग्री समृद्धि या धन प्राप्त करने की स्थिति है। धन की स्थिति प्राप्त करना अक्सर कड़ी मेहनत, नए अवसरों और सकारात्मक परिणामों से आता है। धन प्राप्त करने में आपकी क्षमता में सहायता के लिए धन और धन पत्थरों के लिए इन क्रिस्टल का उपयोग करें।

एवेन्टुरिन स्टोन aventurine stone: यह सबसे अच्छा पैसा क्रिस्टल में से एक है क्योंकि जब आप धन प्रकट कर रहे हैं तो इसे विशेष रूप से भाग्यशाली माना जाता है। यह अवसरों का पत्थर भी है, नए उद्यमों के लिए दरवाजे खोलना। 8 अवेन्टुरिन पत्थरों को एक साथ ले जाएं, क्योंकि 8 पैसे की संख्या है।

पाइराइट स्टोन pyride stone: यह पैसे के लिए सबसे लोकप्रिय क्रिस्टल में से एक है क्योंकि यह वित्तीय कठिनाई का समाधान करने और धन को आकर्षित करने के लिए जाना जाता है। यह वित्तीय निर्णय लेने में भी मदद करता है, दोनों सूक्ष्म और बड़े तरीकों से धन लाता है।

ग्रीन कैल्साइट पत्थर green calcied stone: धन क्रिस्टल कभी-कभी किस्मत पर काम करते हैं, लेकिन यह पत्थर पुरानी मान्यताओं या पैटर्न को भंग कर काम करता है जो आपके जीवन में धन के प्रवाह को रोक सकता है। एक बार हरा कैल्साइट हमें उस स्थिति को पहचानने और हमारे दिमाग का विस्तार करने के लिए प्रोत्साहित करता है, यह हमारे दरवाजे पर धन और समृद्धि खींचता है।

समृद्धि के लिए धन, समृद्धि और सफलता क्रिस्टल के लिए क्रिस्टल
समृद्धि कुछ ऐसा है जिसे हम सभी के लिए प्रयास करते हैं। यह धन से कल्याण से हमारे जीवन में सभी क्षेत्रों में सफलता और संपन्न है। हमारे जीवन में समृद्धि को आमंत्रित करने के लिए आवश्यक है कि हम किसी भी अवरोध को हटा दें जो हमें अपने जीवन के कई पहलुओं में जीवन के उच्च राज्यों को प्राप्त करने से रोक रहा है। समृद्धि क्रिस्टल का उपयोग करने से हमारे कई लक्ष्यों और इरादों में समृद्धि और बहुतायत को प्रोत्साहित करने में मदद मिलेगी।

साइट्रिन स्टोन:citrine stone साइट्रिन सबसे अच्छी समृद्धि क्रिस्टल में से एक है क्योंकि यह आपको अपने इरादों को तेज़ी से प्राप्त करने में मदद करता है। इसे व्यापारी पत्थर भी कहा जाता है क्योंकि यह व्यापार मालिकों को समृद्धि लाने में मदद करता है।

ग्रीन जेड स्टोन green jade stone: प्राचीन काल से, जेड समृद्धि, ज्ञान और सद्भाव के लिए सबसे मान्यता प्राप्त क्रिस्टल में से एक रहा है। इसे एक अत्यंत भाग्यशाली पत्थर माना जाता है और हमारे जीवन में समृद्धि और बहुतायत के प्रवाह को बढ़ावा दे सकता है। अपनी समृद्धि ऊर्जा को बढ़ाने के लिए अन्य हरे पत्थरों के साथ हरे रंग की जेड को मिलाएं।

वृक्ष एगेट स्टोन tree agate stone: यह समृद्धि पत्थर आपके शरीर से ऊर्जा अवरोध को साफ़ करके काम करता है। प्रत्येक हाथ में एक पेड़ agate पत्थर के साथ ध्यान बाधाओं को दूर करेगा और इस प्रकार अपने ऊर्जा क्षेत्र बहुतायत और समृद्धि के जीवन में खोलें।

सफलता के लिए क्रिस्टल
आर्थिक रूप से धन और समृद्धि प्राप्त करने के लिए, हमें अक्सर अपने करियर में सफलता की आवश्यकता होती है। धन और सफलता के लिए क्रिस्टल का उपयोग करने से आपके करियर में या अपने नए प्रयासों में अगले कदम उठाने में सहायता मिलेगी। सफलता के लिए क्रिस्टल आपको ध्यान केंद्रित करने, अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने और इस तरह के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करने में सहायता करते हैं।

ग्रीन जेड क्रिस्टल green jade cystal: यह सफलता के लिए सबसे अच्छे क्रिस्टल में से एक है। इसकी ऊर्जा आपको अपने लक्ष्यों को प्रकट करने में मदद करती है और आपके जीवन में बहुतायत के प्रवाह को बढ़ावा देती है। यह नए अवसरों को भी आकर्षित करता है।

क्वार्ट्ज स्टोन quartz stone: जब व्यापार और सफलता की बात आती है, तो आप अपने लक्ष्यों के लिए स्पष्ट दृष्टि चाहते हैं और आप कैसे सफल होंगे। क्वार्ट्ज क्रिस्टल एक परिस्थिति को स्पष्टता देता है और ब्रह्मांड में आपके इरादे को भी बढ़ाता है।

साइट्रिन क्रिस्टल citrine stone: साइट्रिन सबसे अच्छी समृद्धि क्रिस्टल में से एक है क्योंकि यह आपको अपने इरादों को तेज़ी से प्राप्त करने में मदद करता है। इसे व्यापारी पत्थर भी कहा जाता है क्योंकि यह व्यापार मालिकों को समृद्धि लाने में मदद करता है। एक साइट्रिन रखें

टाइगर आई आई स्टोन tiger eye stone: सफलता के लिए यह पत्थर आपको सफलता प्राप्त करने के लिए कार्रवाई करने के लिए आवश्यक इच्छाशक्ति और प्रेरणा देगा। एक सफल नेता बनने की आपकी क्षमता में सहायता करने से यह आपको व्यस्त परिस्थितियों में भी शांत रहने में मदद करेगा।

धन, समृद्धि और सफलता के लिए क्रिस्टल
धन के लिए अन्य क्रिस्टल
यदि आप उन सभी अलग-अलग पत्थरों और क्रिस्टल से अभिभूत हैं जिन्हें आप चुन सकते हैं, तो बस हमारे धन क्रिस्टल बंडलों में से एक से चुना गया है।

धन क्रिस्टल wealth cystal: यह क्रिस्टल बंडल धन के लिए कई क्रिस्टल की ऊर्जा को जोड़ता है, जैसे कि सिट्रीन, एवेन्टुरिन, हरी जेड और क्वार्ट्ज क्रिस्टल, रिचस प्रतीक के रूने के शक्तिशाली प्रतीकात्मकता के साथ। आप इन पर्स क्रिस्टल को अपने पर्स या जेब में ले जा सकते हैं।

धन के लिए क्रिस्टल का उपयोग कैसे करें
आदर्श रूप में, आप धन के उपयोग के लिए आठ क्रिस्टल चुनेंगे। वे सभी एक जैसे हो सकते हैं या वे सभी अलग हो सकते हैं, लेकिन आठ संख्या समृद्धि की संख्या है और वह ऊर्जा को बढ़ाएगी। आपके इरादे के लिए पैसे क्रिस्टल की खोज करने के बाद, आप उन्हें एक छोटे बैग में रख सकते हैं और उन्हें अपने पर्स या जेब में ले जा सकते हैं। मनी पत्थरों को हमेशा आपके आस-पास रखने के लिए आदर्श होते हैं, इसलिए किसी भी तरह से आपके लिए काम करने के तरीके से आप आसानी से उन्हें अपने साथ ले जा सकते हैं।

आप अपने घर के दक्षिणपश्चिम चतुर्भुज में एक ग्रिड भी बना सकते हैं, जो धन और बहुतायत क्षेत्र है। आदर्श रूप से, आपके पास कच्चे पाइराइट क्लस्टर का एक बड़ा टुकड़ा होगा और आप धन के लिए अपने आठ क्रिस्टल के साथ क्लस्टर को घेर लेंगे। एक साथ काम करना, पत्थरों को आपके जीवन में बहुतायत के प्रवाह में आमंत्रित किया जाएगा।

कुंडली और ग्रहों के प्लेसमेंट के आधार पर रत्न

No comments :
कुंडली और ग्रहों के प्लेसमेंट के आधार पर, रत्न जो विवाह में देरी से संबंधित समस्याओं के लिए उपयोगी हैं;



       डायमंड या इसके विकल्प ओपल
       पुखराज
       माणिक
       पन्ना
       Hessonite


डायमंड ग्रह ग्रह द्वारा शासन किया जाता है और शुक्र को प्यार और रोमांस का स्वामी माना जाता है। यदि विवाह में देरी हो तो ज्योतिषी द्वारा अनुशंसित हीरा पत्थर शुक्र के दुष्प्रभावों को कम करने में मदद कर सकता है। यदि राहु, मंगल, केतु, चंद्रमा, सूर्य या शनि के संयोजन के कारण 7 वें सदन में शुक्र को पीड़ित किया जाता है, तो उसे बहुत लाभ मिलेगा और वह विवादास्पद आनंद से भरा जीवन जीएगा, बशर्ते वह डायमंड या उसके विकल्प पहनता है दूधिया पत्थर। यदि शुभकामनाएं कुंभ राशि, मकर राशि है, जहां शुक्र योग योग कराका होता है, तो शुभ परिणाम बच्चों के बीच आराम, विलासिता, खुशी और प्रसिद्धि के संबंध में गुणा किया जाएगा।



रूबी को प्यार का रत्न माना जाता है। 7 वें भगवान सूर्य है तो रूबी पहनी जानी चाहिए। यह सूर्य को मजबूत करता है और इस प्रकार 7 वें घर के संबंध में समस्याओं के कारण उठने वाले संघर्षों और बाधाओं को हटा देता है।



वृक्ष नीलमणि वृषभ, तुला, मकर राशि, और कुंभ राशि में पैदा हुए व्यक्तियों के लिए उपयोगी होगा। मुबारक विवाह के लिए ब्लू नीलमणि रत्न, अभिषेक, तीसरी, 6 वीं, 10 वीं या 11 वीं सदन आदि में शनि को अच्छी तरह से सुलझाने और शनि का सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त करने के लिए अच्छी तरह से रखा गया है। वृश्चिक ascendant के लिए, चंद्रमा 9 वें भगवान होता है और अगर किसी भी पहलू या किसी भी नरक ग्रह के संयोजन के तहत 7 वें सदन में रखा जाता है, तो पर्ल को एक सुंदर पत्नी, प्रारंभिक विवाह और खुश शादीशुदा जीवन पाने का सुझाव दिया जाएगा।

नीलम



पुखराज पहनना (पीला नीलमणि) हमेशा फायदेमंद नहीं होता है। यह सार्वभौमिक रूप से यह माना जाता है कि पुखराज उपयोगी होंगे, सभी महिलाओं के लिए समान होगा या यदि वे विवाह में समस्याएं आ रहे हैं। यदि तुला या वृषभ ascendant है और बृहस्पति 6 वें, 8 वें या 12 वें सदन पर कब्जा कर लिया है, तो पुखराज का सुझाव नहीं दिया जाना चाहिए। पीला नीलमणि सद्भाव, सहयोग, प्रेम और विवाह की दीर्घायु के लिए भी एक महान रत्न है और सौहाग्य के लिए विवाहित महिलाओं द्वारा इसका उपयोग किया जाना चाहिए। यह पारस्परिक संबंधों में शांति और संतुलन भी प्रदान करता है।

 पीला नीलम

एमराल्ड एक पत्थर है, जिसे बुध मजबूत बनाने के लिए पहना जाता है। बुध मस्तिष्क, बुद्धि और अवैध विवाह का महत्व है। बुध की दिक्कत शादी में विनाश पैदा करती है। एक से अधिक विवाह करने में बुध भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। संबंधित घरों के संबंध में कई बार एक गुप्त संबंध और अवैध बच्चे हैं, जहां यह पीड़ित है। यह भी ध्यान दिया जा सकता है कि नव विवाहित जोड़ों द्वारा एमरल्ड को पहना नहीं जाना चाहिए क्योंकि यह नपुंसकता लाता है।



गोमेड और बिल्ली की आंख का उपयोग किया जाना चाहिए, केवल तभी जब ये ग्रह तीसरे, चौथे, 9वीं और 11 वें घरों पर कब्जा करते हैं, या यदि ये ग्रह मंगल या शनि या चमकदारों से पीड़ित हैं।

रत्नों धारण करने से संबंधित गलत धारणाएं

No comments :
रत्नों धारण करने से संबंधित गलत धारणाएं
दुनिया भर में लोगों के द्वारा रत्न धारण करने का प्रचलन बहुत पुराना है तथा प्राचीन समयों से ही दुनिया के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले लोग इनके प्रभाव के बारे में जानने अथवा न जानने के बावज़ूद भी इन्हें धारण करते रहे हैं। आज के युग में भी रत्न धारण करने का प्रचलन बहुत जोरों पर है तथा भारत जैसे देशों में जहां इन्हें ज्योतिष के प्रभावशाली उपायों और यंत्रों की तरह प्रयोग किया जाता है वहीं पर पश्चिमी देशों में रत्नों का प्रयोग अधिकतर आभूषणों की तरह किया जाता है। वहां के लोग भिन्न-भिन्न प्रकार के रत्नों की सुंदरता से मोहित होकर इनके प्रभाव जाने बिना ही इन्हें धारण कर लेते हैं। किन्तु भारत में रत्नों को अधिकतर ज्योतिष के उपाय के तौर पर तथा ज्योतिषियों के परामर्श के अनुसार ही धारण किया जाता है। किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली के अनुसार उसके लिए उपयुक्त रत्न चुनने को लेकर दुनिया भर के ज्योतिषियों में अलग-अलग तरह के मत एवम धारणाएं प्रचलित हैं। तो आइए आज इन धारणाओं के बारे में तथा इनकी सत्यता एवम सार्थकता के बारे में चर्चा करते हैं।
सबसे पहले पश्चिमी देशों में प्रचलित धारणा के बारे में चर्चा करते हैं जिसके अनुसार किसी भी व्यक्ति की सूर्य राशि को देखकर उसके लिए उपयुक्त रत्न निर्धारित किए जाते हैं। इस धारणा के अनुसार एक ही सूर्य राशि वाले लोगों के लिए एक जैसे रत्न ही उपयुक्त होते हैं जो कि व्यवहारिकता की दृष्टि से बिल्कुल भी ठीक नहीं है। सूर्य एक राशि में लगभग एक मास तक स्थित रहते हैं तथा इस धारणा के अनुसार किसी एक मास विशेष में जन्में लोगों के लिए शुभ तथा अशुभ ग्रह समान ही होते हैं। इसका मतलब यह निकलता है कि प्रत्येक वर्ष किसी माह विशेष में जन्में लोगों के लिए शुभ या अशुभ फलदायी ग्रह एक जैसे ही होते हैं जो कि बिल्कुल भी व्यवहारिक नहीं है क्योंकि कुंडलियों में ग्रहों का स्वभाव तो आम तौर पर एक घंटे के लिए भी एक जैसा नहीं रहता फिर एक महीना तो बहुत लंबा समय है। इसलिए मेरे विचार में इस धारणा के अनुसार रत्न धारण नहीं करने चाहिएं।
इस धारणा से आगे निकली एक संशोधित धारणा के अनुसार किसी भी एक तिथि विशेष को जन्में लोगों को एक जैसे रत्न ही धारण करने चाहिएं। पहली धारणा की तरह इस धारणा के मूल में भी वही त्रुटी है। किसी भी एक दिन विशेष में दुनिया भर में कम से कम हज़ारों अलग-अलग प्रकार की किस्मत और ग्रहों वाले लोग जन्म लेते हैं तथा उन सबकी किस्मत तथा उनके लिए उपयुक्त रत्नों को एक जैसा मानना मेरे विचार से सर्वथा अनुचित है।
पश्चिमी देशों में प्रचलित कुछ धारणाओं पर चर्चा करने के पश्चात आइए अब भारतीय ज्योतिष में किसी व्यक्ति के लिए उपयुक्त रत्न निर्धारित करने को लेकर प्रचलित कुछ धारणाओं पर चर्चा करते हैं। सबसे पहले बात करते हैं ज्योतिषियों के एक बहुत बड़े वर्ग की जिनका यह मत है कि किसी भी व्यक्ति की जन्म कुंडली में लग्न भाव में जो राशि स्थित है जो उस व्यक्ति का लग्न अथवा लग्न राशि कहलाती है, उस राशि के स्वामी का रत्न कुंडली धारक के लिए सबसे उपयुक्त रहेगा। उदाहरण के लिए यदि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में लग्न भाव यानि कि पहले भाव में मेष राशि स्थित है तो ऐसे व्यक्ति को मेष राशि के स्वामी अर्थात मंगल ग्रह का रत्न लाल मूंगा धारण करने से बहुत लाभ होगा। इन ज्योतिषियों की यह धारणा है कि किसी भी व्यक्ति की कुंडली में उसका लग्नेश अर्थात लग्न भाव में स्थित राशि का स्वामी ग्रह उस व्यक्ति के लिए सदा ही शुभ फलदायी होता है। यह धारणा भी तथ्यों तथा व्यवहारिकता की कसौटी पर खरी नहीं उतरती तथा मेरे निजी अनुभव के अनुसार लगभग 50 से 60 प्रतिशत लोगों के लिए उनके लग्नेश का रत्न उपयुक्त नहीं होता तथा इसे धारण करने की स्थिति में अधिकतर यह कुंडली धारक का बहुत नुकसान कर देता है। इसलिए केवल इस धारणा के अनुसार उपयुक्त रत्न का निर्धारण उचित नहीं है।
ज्योतिषियों में प्रचलित एक और धारणा के अनुसार कुंडली धारक को उसकी कुंडली के अनुसार उसके वर्तमान समय में चल रही महादशा तथा अंतरदशा के स्वामी ग्रहों के रत्न धारण करने का परामर्श दिया जाता है। उदाहरण के लिए यदि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली के अनुसार उसके वर्तमान समय में शनि ग्रह की महादशा तथा बुध ग्रह की अंतरदशा चल रही है तो ज्योतिषियों का यह वर्ग इस व्यक्ति को शनि तथा बुध ग्रह के रत्न धारण करने का परामर्श देगा जिससे इनकी धारणा के अनुसार उस व्यक्ति को ग्रहों की इन दशाओं से लाभ प्राप्त होंगे। यह मत लाभकारी होने के साथ-साथ अति विनाशकारी भी हो सकता है। किसी भी शुभ या अशुभ फलदायी ग्रह का बल अपनी महादशा तथा अंतरदशा में बढ़ जाता है तथा किसी कुंडली विशेष में उस ग्रह द्वारा बनाए गए अच्छे या बुरे योग इस समय सबसे अधिक लाभ या हानि प्रदान करते हैं। अपनी दशाओं में चल रहे ग्रह अगर कुंडली धारक के लिए सकारात्मक हैं तो इनके रत्न धारण करने से इनके शुभ फलों में और वृद्दि हो जाती है, किन्तु यदि यह ग्रह कुंडली धारक के लिए नकारात्मक हैं तो इनके रत्न धारण करने से इनके अशुभ फलों में कई गुणा तक वृद्धि हो जाती है तथा ऐसी स्थिति में ये ग्रह कुंडली धारक को बहुत भारी तथा भयंकर नुकसान पहुंचा सकते हैं।
मेरे पास अपनी कुंडली के विषय में परामर्श प्राप्त करने आए ऐसे ही एक व्यक्ति की उदाहरण मैं यहां पर दे रहा हूं।
यह सज्जन बहुत पीड़ित स्थिति में मेरे पास आए थे। इनकी कुंडली के अनुसार मंगल इनके लग्नेश थे तथा मेरे पास आने के समय इनकी कुंडली के अनुसार मंगल की महादशा चल रही थी। इन सज्जन ने अपने दायें हाथ की कनिष्का उंगली में लाल मूंगा धारण किया हुआ था। इनकी कुंडली का अध्ययन करने पर मैने देखा कि मंगल इनकी कुंडली में लग्नेश होने के बावजूद भी सबसे अधिक अशुभ फलदायी ग्रह थे तथा उपर से मगल की महादशा और इन सज्जन के हाथ में मंगल का रत्न, परिणाम तो भंयकर होने ही थे। इन सज्जन से पूछने पर इन्होने बताया कि जब से मंगल महाराज की महादशा इनकी कुंडली में शुरु हुई थी, इनके व्वयसाय में बहुत हानि हो रही थी तथा और भी कई तरह की परेशानियां आ रहीं थीं। फिर इन सज्जन ने किसी ज्योतिषि के परामर्श पर इन मुसीबतों से राहत पाने के लिए मंगल ग्रह का रत्न लाल मूंगा धारण कर लिया। मैने इन सज्ज्न को यह बताया कि आपकी कुंडली के अनुसार मंगल ग्रह का यह रत्न आपके लिए बिल्कुल भी शुभ नहीं है तथा यह रत्न आपको इस चल रहे समय के अनुसार किसी भारी नुकसान या विपत्ति में डाल सकता है।
मेरे यह कहने पर इन सज्जन ने बताया कि यह रत्न इन्होंने लगभग 3 मास पूर्व धारण किया था तथा इसे धारण करने के दो मास पश्चात ही धन प्राप्ति के उद्देश्य से किसी आपराधिक संस्था ने इनका अपहरण कर लिया था तथा कितने ही दिन उनकी प्रताड़ना सहन करने के बाद इनके परिवार वालों ने किसी सम्पत्ति को गिरवी रखकर उस संस्था द्वारा मांगी गई धन राशि चुका कर इन्हें रिहा करवाया था। अब यह सज्जन भारी कर्जे के नीचे दबे थे तथा कैद के दौरान मिली प्रताड़ना के कारण इनका मानसिक संतुलन भी कुछ हद तक बिगड़ गया था।
मुख्य विषय पर वापिस आते हुए, ज्योतिषियों का एक और वर्ग किसी व्यक्ति के लिए उपयुक्त रत्न निर्धारित करने के लिए उपर बताई गई सभी धारणाओं से कहीं अधिक विनाशकारी धारणा में
विश्वास रखता है। ज्योतिषियों का यह वर्ग मानता है कि प्रत्येक व्यक्ति को उसकी कुंडली के अनुसार केवल अशुभ फल प्रदान करने वाले ग्रहों के रत्न ही धारण करने चाहिएं। ज्योतिषियों के इस वर्ग का मानना है कि नकारात्मक ग्रहों के रत्न धारण करने से ये ग्रह सकारात्मक हो जाते हैं तथा कुंडली धारक को शुभ फल प्रदान करना शुरू कर देते हैं। क्योंकि मैं रत्नों की कार्यप्रणाली से संबंधित तथ्यों पर अपने पिछ्ले लेखों में विस्तारपूर्वक प्रकाश डाल चुका हूं, इसलिए यहां पर मैं अपने पाठकों को यही परामर्श दूंगा कि यदि आप में से किसी भी पाठक का संयोग ऐसे किसी ज्योतिषि से हो जाए जो आपको यह परामर्श दे कि आप अपनी कुंडली में अशुभ फल प्रदान करने वाले ग्रहों के रत्न धारण करें तो शीघ्र से शीघ्र ऐसे ज्योतिषि महाराज के स्थान से चले जाएं तथा भविष्य में फिर कभी इनके पास रत्न धारण करने संबंधी परामर्श प्राप्त करने न जाएं।

चलिए अब अंत में इन सारी धारणाओं की चर्चा से निकलते सार को देखते हैं। रत्न केवल और केवल उसी ग्रह के लिए धारण करना चाहिए जो आपकी जन्म कुंडली में सकारात्मक अर्थात शुभ फलदायी हो जबकि उपर बताई गई कोई भी धारणा रत्न धारण करने के इस मूल सिद्धांत को ध्यान में नहीं रखती। इसलिए केवल उपर बताई गईं धारणाओं के अनुसार रत्न धारण नहीं करने चाहिएं तथा रत्न केवल ऐसे ज्योतिषि के परामर्श पर ही धारण करने चाहिएं जो आपकी कुंडली का सही अध्ययन करने के बाद यह निर्णय लेने में सक्षम हो कि आपकी कुंडली के अनुसार आपके लिए शुभ फल प्रदान करने वाले ग्रह कौन से हैं तथा उनमें से किस ग्रह का रत्न आपको धारण करना चाहिए।

रत्नो का आपसी सम्बन्ध

No comments :

रत्नो का आपसी सम्बन्ध


रत्न हम मनुष्यों को आदि काल से ही अपनी तरफ आकर्षित करते रहे है । रत्नो का अपना एक अलग ही महत्वपूर्ण संसार है । हमारे ज्योतिषी अनिष्ट ग्रहों के प्रभाव को कम करने के लिए या जिस ग्रह का प्रभाव कम पड़ रहा हो उसमें वृद्धि करने के लिए उस ग्रह के रत्न को धारण करने का परामर्श देते हैं। और यदि हम इनका सही उपयोग कर सके तो हमें निश्चय ही अभीष्ट लाभ प्राप्त हो सकेगा । लेकिन किस रत्न की किस रत्न के साथ मैत्री है और किसकी शत्रुता हमें इस बात कि भी अवश्य ही जानकारी होनी चाहिए ।

कौन-कौन से रत्न हमें एक साथ पहनने चाहिए, और कौन से नहीं हम यहाँ पर आपको इस बारे में ज्योतिषियों की राय बता रहे है ……


1. माणिक्य के साथ :नीलम, गोमेद, लहसुनिया पहनना वर्जित है।

2. मोती के साथ : हीरा, पन्ना, नीलम, गोमेद, लहसुनिया पहनना वर्जित है।



3. मूंगा के साथ : पन्ना, हीरा, गोमेद, लहसुनिया पहनना वर्जित है।

4. पन्ना के साथ :मूंगा, मोती पहनना वर्जित है।

5. पुखराज के साथ :हीरा, नीलम, गोमेद पहनना वर्जित है।

6. हीरे के साथ :माणिक्य, मोती, मूंगा, पुखराज पहनना वर्जित है।

7. नीलम के साथ :माणिक्य, मोती, पुखराज पहनना वर्जित है।

8. गोमेद के साथ:माणिक्य, मूंगा, पुखराज पहनना वर्जित है।

9. लहसुनिया के साथ :माणिक्य, मूंगा, पुखराज, मोती पहनना वर्जित है।

रत्न धारण

No comments :

रत्न धारण - Gems Stones Astrology Know Stone as per Name and Rashi 

मेष राशि  Aries Mesh Rashi (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)

राशि का स्वामी - मंगल , रत्न - मूंगा, उपरत्न - लाल हकीक, लाल ओनेक्स, तामडा, लाल गोमेद,  धारण करने का वार - मंगलवार 

वृष राशि Taurus Vrishabh Rashi ( इ, उ, ए, ओ, वा, वि, वू, वे, वो)

राशि का स्वामी - शुक्र  , रत्न - हीरा , उपरत्न - सफ़ेद हकीक, ओपल स्फटिक, सफ़ेद पुखराज, जरकन,  धारण करने का वार - शुक्रवार 

मिथुन राशि Gemini Mithun Rashi (का, की, कू, घ, ड़, छ, के, को, हा)

राशि का स्वामी - बुध  , रत्न - पन्ना, उपरत्न - हरा हकीक,  ओनेक्स, फिरोजा , मरगज,   धारण करने का वार - बुधवार 

कर्क राशि Cancer Kark Rashi (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)

राशि का स्वामी - चन्द्र, रत्न - मोती, उपरत्न - दुधिया हकीक, सफ़ेद मूंगा, सफ़ेद पुखराज, चन्द्रकांतमणि,  धारण करने का वार - सोमवार 

सिंह राशि Leo Sinh Rashi (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

राशि का स्वामी - सूर्य , रत्न - माणिक, उपरत्न - रतवा हकीक, तामडा, स्टार माणक, लाल तुरमली,   धारण करने का वार - रविवार 

कन्या राशि Virgo Kanya Rashi (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)

राशि का स्वामी - बुध, रत्न - पन्ना , उपरत्न - हरा हकीक,  ओनेक्स, मरगज, फिरोजा, जबरजदद,   धारण करने का वार - बुधवार 

तुला राशि Libra Tula Rashi (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)

राशि का स्वामी - शुक्र, रत्न - हीरा,  उपरत्न - सफ़ेद हकीक, ओपल स्फटिक, सफ़ेद पुखराज, सफ़ेद मूंगा ,  धारण करने का वार - शुक्रवार 

वृश्चिक राशि Scorpio Vrishchik Rashi (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)

राशि का स्वामी - मंगल , रत्न - मूंगा, उपरत्न - लाल हकीक, लाल ओनेक्स, तामडा, लाल तुरमली,  धारण करने का वार - मंगलवार 

 धनु राशि  Sagittarius Dhanu Rashi (ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)

राशि का स्वामी - गुरु  , रत्न - पुखराज,  उपरत्न - पीला हकीक, सुनहला, पीला गोमेद, बैरुज,  धारण करने का वार - वृहस्पतिवार 

मकर राशि Capricorn Makar Rashi (भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)

राशि का स्वामी - शनि , रत्न - नीलम, उपरत्न - कटैला, काला स्टार, लाजवर्त   धारण करने का वार - शनिवार 

कुंभ राशि Aquarius Kumbha Rashi (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)

राशि का स्वामी - शनि , रत्न - नीलम, उपरत्न - कटैला, काला हकीक, काला स्टार, लाजवर्त गोमेद,  धारण करने का वार - शनिवार 

मीन राशि  Pisces Meen Rashi (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)

राशि का स्वामी - गुरु  , रत्न - पुखराज,  उपरत्न - पीला हकीक, सुनहला, लहसुनिया, धारण करने का वार - वीरवार 

GEMS THERAPY - रत्न और उपरत्न से रोगों का इलाज - Disease treatment with Ratna and Upratna

  • हार्ट अटैक - कहरवा, यश व रुद्राक्ष
  • बवासीर - संगेरियम
  • सामाजिक प्रतिष्ठा / व्यापार वृद्धि - पन्ना, पुखराज, मून स्टोन
  • ब्लड प्रेशर - मेग्नेटिक गनमेटल, Blood Stone, (For Low BP - नीलम & For High BP - मूंगा)
  • स्वास्थ्य वृद्धि रत्न - पुखराज
  • खून की खराबी - मूंगा
  • गुर्दे - Kedney Stone
  • दुर्धटना से रक्षा - मूंगा, मोती
  • शत्रु पर विजय - मूंगा, गोमेद
  • कोर्ट कचहरी व मुक़दमे में लाभ - गोमेद
  • गठिया (Arthritis) - पुखराज, मूंगा
  • सुगर- सफ़ेद मूंगा
  • किसी भी दर्द में लाभ - गारनेट
  • आत्म विश्वास में कमी होने पर - मूंगा, पन्ना
  • वीर्य दोष - हीरा, सफ़ेद पुखराज, स्फटिक
  • पेट की बीमारी या गैस प्रॉब्लम - लहसुनिया, गोमेद
  • गर्भपात होने से रोकने के लिए - माणिक
  • शराब छुडाने के लिए - कटैला
  • क्रोध शांति - पन्ना, मोती
  • मिर्गी रोग के लिए - मोती, लाजवर्त

रत्न धारण की परंपरा

No comments :
मारी भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति में प्राचीन काल से ही रत्न धारण की परंपरा रही है। नाना प्रकार के कार्यों की सिद्धि के लिए रत्न-उपरत्न धारण करने से लाभ प्राप्त होता है। कन्या के शीघ्र विवाह हेतु: यदि किसी कन्या के विवाह में परेशानियां आ रही हों, तो जन्मकुंडली दिखाकर पुखराज धारण करने से वे परेशानियां दूर होती हैं। सरकारी नौकरी में उन्नति के लिएः सरकारी विभाग में नौकरी में पदोन्नति में बार-बार बाधाएं आ रही हों अथवा परेशानियां अधिक हांे तो जन्मपत्री की जांच कराकर अच्छी गुणवत्ता वाला माणिक्य धारण करने से लाभ होता है। कोर्ट-कचहरी की बाधाओं के निवारण हेतु: यदि कोर्ट कचहरी की समस्याएं बार-बार आती हों, तो अच्छी गुणवत्ता वाला मूंगा धारण करने से समस्या के निवारण में कठिनाइयां कम होती हैं और कार्य शीघ्रता से संपन्न होता है। पति-पत्नी के बीच कलह से मुक्ति के लिए: पति-पत्नी के बीच यदि परस्पर प्रेम आकर्षण में कमी हो, अनबन बनी रहती हो, तो फिरोजा रत्न धारण करने से मनोमालिन्य दूर होता है तथा प्रेम आकर्षण में वृद्धि होती है। तंत्र-मंत्र नजर दोष आदि से रक्षा के लिए: यदि तंत्र-मंत्र, जादू-टोने, नजर लगने आदि का भय बना रहता हो तो पन्ना रत्न धारण करने से भय से मुक्ति मिलती है तथा इन दोषों से रक्षा होती है। मानसिक शांति के लिए: यदि मानसिक तनाव बना रहता हो, सब सुख सुविधाएं होते हुए भी मानसिक संतुष्टि न रहती हो, तो मोती और रुद्राक्षयुक्त माला धारण करने से लाभ होता है। संपूर्ण बाधाओं से रक्षा के लिए: जीवन में अनेक प्रकार की बाधाओं से बचने तथा सभी प्रकार की खुशहाली के लिए अच्छी गुणवत्ता वाली नवरत्न माला अथवा नवरत्न अंगूठी धारण करने से लाभ प्राप्त होता है। लड़के के शीघ्र विवाह के लिए: यदि लड़के का विवाह न हो रहा हो, बार-बार बाधाएं आ रही हों, तो अच्छी गुणवत्ता वाला ओपल अंगूठी में धारण करने से बाधाएं दूर होती हंै। पेट संबंधी बीमारी तथा कार्यों में रुकावट के निवारण के लिए: यदि पेट से संबंधित कोई समस्या हो बार-बार औषधि के उपयोग से भी लाभ न हो रहा हो ऐसी स्थिति में बायें हाथ की मध्यमा में पंच धातु की अंगूठी में शनिवार को सूर्य अस्त होने के बाद गोमेद धारण करने से लाभ होने की संभावना होती है। साथ ही यदि कार्यों में रुकावटें अधिक आ रही हांे तो ऐसी परिस्थिति में भी गोमेद धारण करने से लाभ होता है। भूत प्रेतादि बाधा निवारण के लिएः यदि भूत प्रेतादि बाधा के कारण पारिवारिक अशांति बनी रहती है। बुरे स्वप्न दिखाई देते हों ऐसी स्थिति में लहसुनिया रत्न को पंचधातु की अंगूठी में बुधवार के दिन कनिष्ठिका में धारण करने से लाभ होता है। जिन बीमारियों की जांच करने पर भी पता न चलता हो दवाई असर न कर रही हो ऐसी परिस्थितियों में भी यह रत्न धारण करने से लाभ होने की संभावना होती है। दवाई असर करने लगती है। अगर यदि कोई भी इन असली रत्नों को धारण करने में असमर्थ हो तो इनके स्थान पर इनके उपरत्न जैसे पन्ना के उपरत्न अनाॅस्क, पुखराज का सुनेला, नीलम का नीली आदि रत्नों के उपरत्न धारण करने से भी सामान्यतः लाभ होता है। यदि अंगूठी में इनको धारण करने में असुविधा हो रही हो तो इन रत्नों को लाॅकेट रूप में गले में धारण करने से भी लाभ प्राप्त होता है विशेष जानकारी के लिए किसी योग्य ज्योतिषी से परामर्श लेकर रत्न धारण कर सकते हैं।

किसी रत्न के साथ दूसरे रत्न

No comments :
रत्न दोधारी तलवार की तरह होते हैं जिन्हें उचित जांच परख के बाद ही पहनना चाहिए अन्यथा सकारात्मक की जगह नकारात्मक परिणाम भी देते हैं.रत्न धारण करने से पहले ग्रहो की स्थिति, भाव एवं दशा का ज्ञान जरूरी होता है.किसी रत्न के साथ दूसरे रत्न का क्या परिणाम होता है यह भी जानना आवश्यक होता है.
गुरू का रत्न पुखराज (Jupiter and Its Gemstone Yellow Sapphire – Pukhraj)
ग्रहों के गुरू हैं बृहस्पति. पीत रंग बृहस्पति का प्रिय है.इनका रत्न पुखराज (Yellow Sapphire – Pukhraj) भी पीली आभा लिये होता है.व्यक्ति की कुण्डली में गुरू अगर शुभ भावों का स्वामी हो अथवा मजबूत स्थिति में हो तो पुखराज (Pukhraj Gemstone) धारण करने से बृहस्पति जिस भाव में होता है उस भाव के शुभ प्रभाव में वृद्धि होती है.यह रत्न धारण करने से गुरू के बल में वृद्धि होती है फलत: जिन ग्रहों एवं भावों पर गुरू की दृष्टि होती है वह भी विशेष शुभ फलदायी हो जाते है.
शुक्र का रत्न हीरा (Venus and Its Gemstone Diamond – Heera)
शुक्र ग्रहों में प्रेम, सौन्दर्य, राग रंग, गायन वादन एवं विनोद का स्वामी है.इस ग्रह का रत्न हीरा है.ज्यातिषशास्त्र और रत्नशास्त्र (Astrology and Gemology) दोनों की ही यह मान्यता है कि कुण्डली में अगर शुक्र शुभ भाव का अधिपति है तो हीरा धारण करने से शुक्र के सकारात्मक प्रभाव में वृद्धि होती है.
है.रत्नशास्त्र के अनुसार यह अत्यंत चमत्कारी रत्न होता है.इस रत्न को परखने के बाद ही धारण करना चाहिए.नीलम (Blue Sapphire – Neelam) उस स्थिति में धारण करना चाहिए जबकि जन्म कुण्डली में शनि शुभ भावों में बैठा हो. अशुभ शनि होने पर नीलम धारण करने से सकारात्मक परिणाम नहीं मिलता है.
शनि का रत्न नीलम (Saturn and Its Gemstone Blue Sapphire – Neelam)
ग्रहों में शनि को दंडाधिकारी एवं न्यायाधिपति का स्थान प्राप्त है.यह व्यक्ति को उनके कर्मो के अनुरूप फल प्रदान करते हैं.इस ग्रह की गति मंद होने से इसकी दशा लम्बी होती है.अपनी दशावधि में यह ग्रह व्यक्ति को कर्मों के अनुरूप फल देता है.इस ग्रह की पीड़ा अत्यंत कष्टकारी होती है.यह ग्रह अगर मजबूत और शुभ हो तो जीवन की हर मुश्किल आसन हो जाती है.इस ग्रह का रत्न नीलम (Blue Sapphire – Neelam)

राहु का रत्न गोमेद (Rahu and Its Gemstone Hessonite- Gomedha)

राहु को प्रकट ग्रह के रूप में मान्यता नही प्राप्त है.यह ग्रह मंडल में छाया ग्रह के रूप में उपस्थित है.इस ग्रह को नैसर्गिक पाप ग्रह कहा गया है.राहु बने बनाये कार्यो को नष्ट करने वाला है.प्रगति के मार्ग में अवरोध है.स्वास्थ्य सम्बन्धी पीड़ा देने वाला है.इस ग्रह का रत्न गोमद (Hessonite- Gomedha) है.इसे गोमेदक के नाम से भी जाना जाता है.यह धुएं के रंग का होता है.अगर जन्मपत्री में राहु प्रथम, चतुर्थ, पंचम, नवम अथवा दशम भाव में हो तो गोमेद (Hessonite- Gomeda) धारण करने से इस भाव के शुभ प्रभाव में वृद्धि होती है एवं राहु शुभ परिणाम देता है.राहु रत्न गोमेद (Hessonite- Gomeda) का धारण उस स्थिति में नहीं करना चाहिए जबकि राहु जन्मपत्री में द्वितीय, सप्तम, अष्टम अथवा द्वादश भाव में हो.गोमेद (Hessonite- Gomeda) के साथ मूंगा, माणिक्य, मोती अथवा पुखराज नहीं पहनना चाहिए।

केतु का रत्न लहसुनियां (Rahu and Its Gemstone Cat’s Eye Stone – Lahasunia)

केतु भी राहु के समान छाया ग्रह है और राहु के सामन ही क्रूर एवं नैसर्गिक पाप ग्रह है.पाप ग्रह होते हुए भी कुछ भावों में एवं ग्रहों के साथ केतु अशुभ परिणाम नहीं देता है.अगर कुण्डली में यह ग्रह शुभस्थ भाव में हो तो इस ग्रह का रत्न लहसुनियां (Cat’s Eye Stone – Lahasunia) धारण करने से स्वास्थ लाभ मिलता है.कार्यो में सफलता मिलती है.धन की प्राप्ति होती है.रहस्यमयी शक्ति से आप सुरक्षित रहते हैं.राहु के सामन ही अगर जन्म पत्री में केतु लग्न, तृतीय, चतुर्थ, पंचम, षष्ठम, नवम अथवा एकादश में हो तो केतु का रत्न धारण करना चाहिए.अन्य भाव में केतु होने पर लहसुनियां (Cat’s Eye Stone – Lahasuniya) विपरीत प्रभाव देता है.लहसुनियां (Cat’s Eye Stone – Lahasuniya) के साथ मोती, माणिक्य, मूंगा अथवा पुखराज नहीं पहनना चाहिए.
ध्यान रखने योग्य तथ्य यह है कि, रत्न उस समय धारण करना विशेष लाभप्रद होता है जब सम्बन्धित ग्रह की दशा चल रही होती है

खास रत्न

No comments :
रत्नों का व्यक्ति के जीवन से हजारों वर्ष पुराना नाता है। जहां एक ओर रत्न जमीन से हजारों फुट नीचे व पहाड़ों और गुफाओं में से निकलते हैं वहीं दूसरी ओर समुद्र में व पहाड़ों पर जुगनुओं की तरह चमचमाते पौधों की डालियों, जड़ों व फलों की डालियों में भी पाए जाते हैं जैसे कि रत्न मूंगा व संजीवनी बूटी जो पहाड़ों पर चमचमाती दिखाई देती है।
हिंदुओं के ग्रंथ ‘रामायण’ में जब रावण के पुत्र मेघनाद से युद्ध के दौरान लक्ष्मण मूर्च्छित हो गए थे तो हनुमान जी पूरा पहाड़ ही उठा लाए थे जिस पर चमचमाते प्राकृतिक ऊर्जा से भरे व जुगनुओं की तरह टिमटिमाते पौधे दिखाई देते थे। लक्ष्मण जी का उपचार कर रहे वैद्य ने जब पहाड़ से संजीवनी बूटी निकाल कर लक्ष्मण जी को सुंघाई तो वह तुरन्त मूर्च्छा से मुक्त हो गए थे। आज भी हमारे देश में आयुर्वेद में रोगों का इलाज जड़ी-बूटियों से किया जाता है।
आज भी पर्वतों पर व समुद्रों में कुछ ऐसे पौधे, जड़ी-बूटियां दिखाई पड़ती हैं जिनकी आकृति मनुष्य के शरीर के अंगों से मिलती-जुलती है और जो शायद इस ओर इशारा करती हैं कि इसका संबंध मनुष्य के शरीर से बहुत गहरा है।
उदाहरण के तौर पर ‘दिमागी मूंगा’ रीढ़ की हड्डी की तरह का पेट के आकार जैसा मूंगा, सैक्स बढ़ाने वाला मूंगा शरीर के अंगों जैसी आकृति के पौधों से प्राप्त किए जाते हैं और फिर इनको काट कर, मशीनों द्वारा साफ करके रत्नों का आकार दे दिया जाता है जिस प्रकार चुंबक के चारों की ऊर्जा दिखाई नहीं देती लेकिन जैसे ही वह लोहे के समीप आता है, ऊर्जावान हो जाता है इसी प्रकार इन रत्नों में छुपी हुई प्राकृतिक ऊर्जा व्यक्ति के शरीर के सम्पर्क में आते ही अपना प्रभाव दिखाना प्रारंभ कर देती है। यह व्यक्ति के स्वास्थ्य को जहां एक ओर ठीक करती है वहीं दूसरी ओर ग्रहों से संबंधित रत्न ग्रहों से संबंधित कार्यों को प्रभावित करते हैं।
आस्ट्रल ऊर्जा से भरपूर ये रत्न जब धारण किए जाते हैं तो अपना चमत्कार दिखाते हैं। व्यक्ति के जीवन को पलट कर रख देते हैं। राजा को रंक और रंक को राजा बना देते हैं। अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए देवी-देवता एवं राक्षस इन्हें धारण करते थे। यदि ये माफिक न आएं तो जीवन नष्ट-भ्रष्ट कर देते हैं।
वर्ष 1857 में कर्नल फ्रान्सेस जब भारत वर्ष में आजादी की छिड़ी जंग को दबाने कानपुर पहुंचा तो एक मंदिर में मूर्तियों पर जड़े जेवरात के साथ उसको एक नीलम जड़ी अंगूठी भी प्राप्त हुई। जिस दिन से उसने उस नीलम को प्राप्त किया उसी दिन से उसके खराब दिन शुरू हो गए थे। उसकी अपनी सेना में बड़ी शोहरत थी लेकिन वह सब खत्म हो गई, करोड़ों की सम्पत्ति भी सर्वनाश हो गई तो उसने वह नीलम अपने दो मित्रों को दे दिया। मित्रों में से एक की मौत हो गई और दूसरा बर्बाद हो गया। वह नीलम फिर से लौटकर कर्नल फ्रान्सेस के घर आ गया। कर्नल फ्रांसेस की मौत हो गई उसकी मौत के उपरांत उसकी वसीयत में रत्न का जिक्र आया। यह रत्न उसके दो पुत्रों को मिला। उन पुत्रों को भी बर्बादी ने घेर लिया और वे भी बर्बाद हो गए। उस परिवार के सदस्यों ने यह नीलम लंदन के म्यूजियम में रखवा दिया। जनवरी 2010 में लंदन के म्यूजियम में उस नीलम की नुमाइश लगी थी। लोग उस नीलम के पास जाते भी घबराते थे। इस नीलम के चारों तरफ एक बैंगनी रंग की पट्टी अर्थात छल्ला-सा नजर आता है।
केवल नीलम ही नहीं बल्कि एक हीरा भी इसी प्रकार की प्रवृत्ति का है जिसने उसको धारण किया उसी का ही सर्वनाश हो गया। यह भी नुमाइश के दौरान लंदन के म्यूजियम में देखा जा सकता है।
जिस प्रकार से सात ग्रह :- सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र व शनि हैं। 
सात रंग : बैंगनी, गाढ़ा नीला,  हरा, पीला, संतरी व लाल (स्पैक्ट्रम), 
संगीत के सात सुर सा, रे, गा, मा, पा, धा, नी, 
सात दिन : रविवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, वीरवार, शुक्रवार व शनिवार और 
योग में सात चक्र : सहस्रधारा, अंजना, विशुद्धि, अनाहत, मणिपुर, स्वाधिष्ठान और 
मूला व शरीर में सात ग्रंथियां : पिनियल, पीट्टूरी, थायरायड, थाइमस, पैंक्रियास, एडरिनल और गोणडस होती हैं। इसी प्रकार से सात महत्वपूर्ण रत्न हैं- मणिक, मोती, मूंगा, पन्ना, पुखराज, हीरा व नीलम है।
ये सातों रत्न 12 राशियों के स्वामी ग्रहों के रत्न हैं। मेष व वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल रत्न मूंगा, वृष-तुला का स्वामी शुक्र, रत्न हीरा, मिथुन-कन्या का बुद्ध रत्न पन्ना, धनु-मीन का स्वामी बृहस्पति रत्न पुखराज, मकर-कुंभ का स्वामी शनि, रत्न नीलम, सिंह राशि का स्वामी सूर्य, रत्न मणिक व कर्क राशि का स्वामी चंद्र रत्न मोती है।
जिस प्रकार से व्यक्ति को खून चढ़ाते समय उसके ब्लड ग्रुप का मिलान कर लिया जाता है उसी प्रकार से रत्नों को राशि के अनुसार मेच करके ही पहनना चाहिए नहीं तो यह व्यक्ति को हानि पहुंचाते हैं लेकिन आज के दौर में जिस प्रकार से नकली खाद्य पदार्थ, दवाइयां, मिलावटी वस्तुओं का प्रचलन चल रहा है उसी प्रकार नकली रत्नों का भी प्रचलन चल रहा है जिनको राशि अनुसार पहनने पर भी लाभ नहीं होता इसलिए लोगों का विश्वास कम होता जा रहा है।
एक ओर जहां वैज्ञानिक इन रत्नों से होने वाले लाभ व हानि को नहीं मानते वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे वैज्ञानिक भी हैं जिन्होंने इन रत्नों के पीछे छिपे रहस्य को साइंटिफिक तौर पर उजागर कर दिया है। रत्नों को धारण करने से पूर्व व्यक्ति को जन्म लग्न व जन्म राशि से संबंधित रत्नों की पूर्ण जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए।