Jeevan Dharm

Jeevan-dharm is about our daily life routine, society, culture, entertainment, lifestyle.

Sunday 6 August 2017

भूत बाधा दूर करने के उपाय

No comments :

हिन्दू धर्म में भूतों से बचने के अनेक उपाय बताए गए हैं। चरक संहिता में प्रेत बाधा से पीड़ित रोगी के लक्षण और निदान के उपाय विस्तार से मिलते हैं।
ज्योतिष साहित्य के मूल ग्रंथों- प्रश्नमार्ग, वृहत्पराषर, होरा सार, फलदीपिका, मानसागरी आदि में ज्योतिषीय योग हैं जो प्रेत पीड़ा, पितृ दोष आदि बाधाओं से मुक्ति का उपाय बताते हैं।
अथर्ववेद में भूतों और दुष्ट आत्माओं को भगाने से संबंधित अनेक उपायों का वर्णन मिलता है। यहां प्रस्तुत है प्रेतबाधा से मुक्ति के 10 सरल उपाय।
1. ॐ या रुद्राक्ष का अभिमंत्रित लॉकेट गले में पहने और घर के बाहर एक त्रिशूल में जड़ा ॐ का प्रतीक दरवाजे के ऊपर लगाएं। सिर पर चंदन, केसर या भभूति का तिलक लगाएं। हाथ में मौली (नाड़ा) अवश्य बांध कर रखें।
2. दीपावली के दिन सरसों के तेल का या शुद्ध घी का दिया जलाकर काजल बना लें। यह काजल लगाने से भूत, प्रेत, पिशाच, डाकिनी आदि से रक्षा होती है और बुरी नजर से भी रक्षा होती है।
3. घर में रात्रि को भोजन पश्चात सोने से पूर्व चांदी की कटोरी में देवस्थान या किसी अन्य पवित्र स्थल पर कपूर तथा लौंग जला दें। इससे आकस्मिक, दैहिक, दैविक एवं भौतिक संकटों से मुक्त मिलती है।
4. प्रेत बाधा दूर करने के लिए पुष्य नक्षत्र में चिड़चिटे अथवा धतूरे का पौधा जड़सहित उखाड़ कर उसे धरती में ऐसा दबाएं कि जड़ वाला भाग ऊपर रहे और पूरा पौधा धरती में समा जाएं। इस उपाय से घर में प्रेतबाधा नहीं रहती और व्यक्ति सुख-शांति का अनुभव करता है।
5. प्रेत बाधा निवारक हनुमत मंत्र – ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ऊँ नमो भगवते महाबल पराक्रमाय भूत-प्रेत पिशाच-शाकिनी-डाकिनी-यक्षणी-पूतना-मारी-महामारी, यक्ष राक्षस भैरव बेताल ग्रह राक्षसादिकम्‌ क्षणेन हन हन भंजय भंजय मारय मारय शिक्षय शिक्षय महामारेश्वर रुद्रावतार हुं फट् स्वाहा।
इस हनुमान मंत्र का पांच बार जाप करने से भूत कभी भी निकट नहीं आ सकते।
6. अशोक वृक्ष के सात पत्ते मंदिर में रख कर पूजा करें। उनके सूखने पर नए पत्ते रखें और पुराने पत्ते पीपल के पेड़ के नीचे रख दें। यह क्रिया नियमित रूप से करें, आपका घर भूत-प्रेत बाधा, नजर दोष आदि से मुक्त रहेगा।
7. गणेश भगवान को एक पूरी सुपारी रोज चढ़ाएं और एक कटोरी चावल दान करें। यह क्रिया एक वर्ष तक करें, नजर दोष व भूत-प्रेत बाधा आदि के कारण बाधित सभी कार्य पूरे होंगे।
8. मां काली के लिए उनके नाम से प्रतिदिन अच्छी तरह से पवित्र ‍की हुई दो अगरबत्ती सुबह और दो दिन ढलने से पूर्व लगाएं और उनसे घर और शरीर की रक्षा करने की प्रार्थना करें।
9. हनुमान चालीसा और गजेंद्र मोक्ष का पाठ करें और हनुमान मंदिर में हनुमान जी का श्रृंगार करें व चोला चढ़ाएं।
10. मंगलवार या शनिवार के दिन बजरंग बाण का पाठ शुरू करें। यह डर और भय को भगाने का सबसे अच्छा उपाय है।
इस तरह यह कुछ सरल और प्रभावशाली टोटके हैं, जिनका कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं होता। ध्यान रहें, नजर दोष, भूत-प्रेत बाधा आदि से मुक्ति हेतु उपाय ही करने चाहिए टोना या टोटके नहीं। 

नजर दोष की पहचान

No comments :

यहां ज्योतिष के आधार पर नजर दोष का विश्लेषण प्रस्तुत है।

ज्योतिष सिद्धांत के अनुसार गुरु पितृदोष, शनि यमदोष, चंद्र व शुक्र जल देवी दोष, राहु सर्प व प्रेत दोष, मंगल शाकिनी दोष, सूर्य देव दोष एवं बुध कुल देवता दोष का कारक होता है। राहु, शनि व केतु ऊपरी हवाओं के कारक ग्रह हैं। जब किसी व्यक्ति के लग्न (शरीर), गुरु (ज्ञान), त्रिकोण (धर्म भाव) तथा द्विस्वभाव राशियों पर पाप ग्रहों का प्रभाव होता है, तो उस पर ऊपरी हवा की संभावना होती है।

लक्षण

नजर दोष से पीड़ित व्यक्ति का शरीर कंपकंपाता रहता है। वह अक्सर ज्वर, मिरगी आदि से ग्रस्त रहता है।

कब और किन स्थितियों में डालती हैं ऊपरी हवाएं किसी व्यक्ति पर अपना प्रभाव?

* जब कोई व्यक्ति दूध पीकर या कोई सफेद मिठाई खाकर किसी चौराहे पर जाता है, तब ऊपरी हवाएं उस पर अपना प्रभाव डालती हैं। गंदी जगहों पर इन हवाओं का वास होता है, इसीलिए ऐसी जगहों पर जाने वाले लोगों को ये हवाएं अपने प्रभाव में ले लेती हैं। इन हवाओं का प्रभाव रजस्वला स्त्रियों पर भी पड़ता है। कुएं, बावड़ी आदि पर भी इनका वास होता है। विवाह व अन्य मांगलिक कार्यों के अवसर पर ये हवाएं सक्रिय होती हैं। इसके अतिरिक्त रात और दिन के १२ बजे दरवाजे की चौखट पर इनका प्रभाव होता है।

* दूध व सफेद मिठाई चंद्र के द्योतक हैं। चौराहा राहु का द्योतक है। चंद्र राहु का शत्रु है। अतः जब कोई व्यक्ति उक्त चीजों का सेवन कर चौराहे पर जाता है, तो उस पर ऊपरी हवाओं के प्रभाव की संभावना रहती है।

* कोई स्त्री जब रजस्वला होती है, तब उसका चंद्र व मंगल दोनों दुर्बल हो जाते हैं। ये दोनों राहु व शनि के शत्रु हैं। रजस्वलावस्था में स्त्री अशुद्ध होती है और अशुद्धता राहु की द्योतक है। ऐसे में उस स्त्री पर ऊपरी हवाओं के प्रकोप की संभावना रहती है।

* कुएं एवं बावड़ी का अर्थ होता है जल स्थान और चंद्र जल स्थान का कारक है। चंद्र राहु का शत्रु है, इसीलिए ऐसे स्थानों पर ऊपरी हवाओं का प्रभाव होता है।

* जब किसी व्यक्ति की कुंडली के किसी भाव विशेष पर सूर्य, गुरु, चंद्र व मंगल का प्रभाव होता है, तब उसके घर विवाह व मांगलिक कार्य के अवसर आते हैं। ये सभी ग्रह शनि व राहु के शत्रु हैं, अतः मांगलिक अवसरों पर ऊपरी हवाएं व्यक्ति को परेशान कर सकती हैं।

* दिन व रात के १२ बजे सूर्य व चंद्र अपने पूर्ण बल की अवस्था में होते हैं। शनि व राहु इनके शत्रु हैं, अतः इन्हें प्रभावित करते हैं। दरवाजे की चौखट राहु की द्योतक है। अतः जब राहु क्षेत्र में चंद्र या सूर्य को बल मिलता है, तो ऊपरी हवा सक्रिय होने की संभावना प्रबल होती है।

* मनुष्य की दायीं आंख पर सूर्य का और बायीं पर चंद्र का नियंत्रण होता है। इसलिए ऊपरी हवाओं का प्रभाव सबसे पहले आंखों पर ही पड़ता है।
ऊपरी हवाओं के सरल उपाय

ऊपरी हवाओं से मुक्ति हेतु शास्त्रों में अनेक उपाय बताए गए हैं। अथर्ववेद में इस हेतु कई मंत्रों व स्तुतियों का उल्लेख है। आयुर्वेद में भी इन हवाओं से मुक्ति के उपायों का विस्तार से वर्णन किया गया है। यहां कुछ प्रमुख सरल एवं प्रभावशाली उपायों का विवरण प्रस्तुत है।

* ऊपरी हवाओं से मुक्ति हेतु हनुमान चालीसा का पाठ और गायत्री का जप तथा हवन करना चाहिए। इसके अतिरिक्त अग्नि तथा लाल मिर्ची जलानी चाहिए।
* रोज सूर्यास्त के समय एक साफ-सुथरे बर्तन में गाय का आधा किलो कच्चा दूध लेकर उसमें शुद्ध शहद की नौ बूंदें मिला लें। फिर स्नान करके, शुद्ध वस्त्र पहनकर मकान की छत से नीचे तक प्रत्येक कमरे, जीने, गैलरी आदि में उस दूध के छींटे देते हुए द्वार तक आएं और बचे हुए दूध को मुख्य द्वार के बाहर गिरा दें। क्रिया के दौरान इष्टदेव का स्मरण करते रहें। यह क्रिया इक्कीस दिन तक नियमित रूप से करें, घर पर प्रभावी ऊपरी हवाएं दूर हो जाएंगी।
* रविवार को बांह पर काले धतूरे की जड़ बांधें, ऊपरी हवाओं से मुक्ति मिलेगी।
* लहसुन के रस में हींग घोलकर आंख में डालने या सुंघाने से पीड़ित व्यक्ति को ऊपरी हवाओं से मुक्ति मिल जाती है।
* ऊपरी बाधाओं से मुक्ति हेतु निम्नोक्त मंत्र का यथासंभव जप करना चाहिए।
ष् ओम नमो भगवते रुद्राय नमः कोशेश्वस्य नमो ज्योति पंतगाय नमो रुद्राय नमः सिद्धि स्वाहा।श्श्
* घर के मुख्य द्वार के समीप श्वेतार्क का पौधा लगाएं, घर ऊपरी हवाओं से मुक्त रहेगा।
* उपले या लकड़ी के कोयले जलाकर उसमें धूनी की विशिष्ट वस्तुएं डालें और उससे उत्पन्न होने वाला धुआं पीड़ित व्यक्त्ि को सुंघाएं। यह क्रिया किसी ऐसे व्यक्ति से करवाएं जो अनुभवी हो और जिसमें पर्याप्त आत्मबल हो।
* प्रातः काल बीज मंत्र झ्क्लींश् का उच्चारण करते हुए काली मिर्च के नौ दाने सिर पर से घुमाकर दक्षिण दिशा की ओर फेंक दें, ऊपरी बला दूर हो जाएगी।
* रविवार को स्नानादि से निवृत्त होकर काले कपड़े की छोटी थैली में तुलसी के आठ पत्ते, आठ काली मिर्च और सहदेई की जड़ बांधकर गले में धारण करें, नजर दोष बाधा से मुक्ति मिलेगी।
* निम्नोक्त मंत्र का १०८ बार जप करके सरसों का तेल अभिमंत्रित कर लें और उससे पीड़ित व्यक्ति के शरीर पर मालिश करें, व्यकित पीड़ामुक्त हो जाएगा।
मंत्र - ओम नमो काली कपाला देहि देहि स्वाहा।

* ऊपरी हवाओं के शक्तिषाली होने की स्थिति में शाबर मंत्रों का जप एवं प्रयोग किया जा सकता है। प्रयोग करने के पूर्व इन मंत्रों का दीपावली की रात को अथवा होलिका दहन की रात को जलती हुई होली के सामने या फिर श्मषान में १०८ बार जप कर इन्हें सिद्ध कर लेना चाहिए। यहां यह उल्लेख कर देना आवष्यक है कि इन्हें सिद्ध करने के इच्छुक साधकों में पर्याप्त आत्मबल होना चाहिए, अन्यथा हानि हो सकती है।

* निम्न मंत्र से थोड़ा-सा जीरा ७ बार अभिमंत्रित कर रोगी के शरीर से स्पर्श कराएं और उसे अग्नि में डाल दें। रोगी को इस स्थिति में बैठाना चाहिए कि उसका धूंआ उसके मुख के सामने आये। इस प्रयोग से भूत-प्रेत बाधा की निवृत्ति होती है।
मंत्र - जीरा जीरा महाजीरा जिरिया चलाय। जिरिया की शक्ति से फलानी चलि जाय॥ जीये तो रमटले मोहे तो मशान टले। हमरे जीरा मंत्र से अमुख अंग भूत चले॥ जाय हुक्म पाडुआ पीर की दोहाई॥

* एक मुट्ठी धूल को निम्नोक्त मंत्र से ३ बार अभिमंत्रित करें और नजर दोष से ग्रस्त व्यक्ति पर फेंकें, व्यक्ति को दोष से मुक्ति मिलेगी।
मंत्र - तह कुठठ इलाही का बान। कूडूम की पत्ती चिरावन। भाग भाग अमुक अंक से भूत। मारुं धुलावन कृष्ण वरपूत। आज्ञा कामरु कामाख्या। हारि दासीचण्डदोहाई।

* थोड़ी सी हल्दी को ३ बार निम्नलिखित मंत्र से अभिमंत्रित करके अग्नि में इस तरह छोड़ें कि उसका धुआं रोगी के मुख की ओर जाए। इसे हल्दी बाण मंत्र कहते हैं।
मंत्र - हल्दी गीरी बाण बाण को लिया हाथ उठाय। हल्दी बाण से नीलगिरी पहाड़ थहराय॥ यह सब देख बोलत बीर हनुमान। डाइन योगिनी भूत प्रेत मुंड काटौ तान॥ आज्ञा कामरु कामाक्षा माई। आज्ञा हाड़ि की चंडी की दोहाई॥

*जौ, तिल, सफेद सरसों, गेहूं, चावल, मूंग, चना, कुष, शमी, आम्र, डुंबरक पत्ते और अषोक, धतूरे, दूर्वा, आक व ओगां की जड़ को मिला लें और उसमें दूध, घी, मधु और गोमूत्र मिलाकर मिश्रण तैयार कर लें। फिर संध्या काल में हवन करें और निम्न मंत्रों का १०८ बार जप कर इस मिश्रण से १०८ आहुतियां दें।
मंत्र - मंत्र रू ओम नमः भवे भास्कराय आस्माक अमुक सर्व ग्रहणं पीड़ा नाशनं कु रु-कुरु स्वाहा। 

पत्नी वशीकरण के उपाय,

No comments :

यह प्रयोग बड़ा ही आसान प्रयोग है और शीघ्र प्रभाव देने वाला भी,इसीलिए इस प्रयोग को दुर्लभ माना जाता है॰
वैसे भी यह प्रयोग कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को मंगलवार के दिन किया जाता है,परंतु हमारे कुछ भाई लोगो ने इस प्रयोग को मंगलवार , अष्टमी या कृष्ण पक्ष का कोई अच्छया तिथि हो सम्पन्न करके सफलता हासिल की है,और अब आप भी करके तो देखो॰ इस प्रयोग मे एक पान का पत्ता लेना है,ज्यो किसी पान के दुकान मे आसानी से मिल जाता है,और इस पत्ते को कथ्था लगाकर खाया जाता है (नागरवेल),तो इस पत्ते पे जिसे वश करना है उस व्यक्ति का नाम लिखे और नाम को देखते हुये निम्न मंत्र का जाप 108 बार करे और पत्ते पे तीन बार फुक मारे॰
॥ क्लीं क्रीं हुं क्रों स्फ़्रों कामकलाकाली स्फ़्रों क्रों हुं क्रीं क्लीं स्वाहा ॥

अब इस अभिमंत्रित पत्ते को अपने मुह मे डालकर धीरे-धीरे चबाते हुये निम्न मंत्र जाप जब तक पूरा पत्ता चबाना खत्म ना हो जाये तब तक करना है,
॥ ॐ ह्रीं क्लीं अमुकी क्लेदय क्लेदय आकर्षय आकर्षय मथ मथ पच पच द्रावय द्रावय मम सन्निधि आनय आनय हुं हुं ऐं ऐं श्रीं श्रीं स्वाहा ॥

जब पत्ता समाप्त हो जाये तो थोड़ा पानी पी लीजिये और जिसे वश करना हो उसका स्मरण करते हुये फिर से निम्न मंत्र का जाप 108 बार करे,
॥ क्लीं क्रीं हुं क्रों स्फ़्रों कामकलाकाली स्फ़्रों क्रों हुं क्रीं क्लीं स्वाहा ॥

बात सिर्फ ईतनी है की यह प्रयोग अछ्ये कार्य के कीजिये सफलता मिलती है,बुरे कार्य के लिए करोगे तो असफलता भी निच्छित है
विशेष: – इस साधना मे किसिभी माला

पति को वश मे करने के उपाय, Pati vashikran k upay

No comments :

पति वशीकरण

‘ऊँ नमो महायक्षिण्ये मम पतिं में वश्यं कुरु कुरु स्वाहा’
उपर्युक्त मंत्र का शुभ मुहूर्त में 10 माला जप एवं दशांश हवन, तर्पण, मार्जन करने से यह मंत्र सिद्ध हो जाता है। हवन केवल गोघृत से करना चाहिए। सिद्धि के बाद किसी भी प्रकार के मीठे पदार्थ को इस मंत्र से सात बार अभिमंत्रित करके 21 दिन लगातार खिलाने से पति वश में हो जाता है। इस मंत्र प्रयोग एवं क्रिया को गोपनीय रखने एवं केवल पति अनुकूलता की कामना करने पर ही पूर्ण फल प्राप्ति होती है।
हे गौरी शंकरार्धांगिं! यथा त्वं शंकरप्रिया।
तथा मां कुरु कल्याणि! कांत कांतां सुदुर्लभाम्।।
इस मंत्र का प्रतिदिन पांच माला जप 21 दिन तक करने से पति की अनुकूलता प्राप्त होती है। जप से पूर्व श्री गणेश एवं श्री दुर्गा का पूजन करना आवश्यक है।
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।
इस मंत्र का रक्त चंदन की माला पर जप करने से सौभाग्य वृद्धि होती है और पति का ध्यान किसी अन्य स्त्री पर आसक्त नहीं होता।
बगलामुखी मंत्र के जप पश्चात् पीली सरसों से हवन करने से अभीष्ट का वशीकरण होता है।
वशीकरण-मोहन आकर्षण आदि के प्रयोग:
• पांच प्रकार के फलों का रस निकालकर तिलक लगाने से सब लोग मोहित होते हैं।
• किसी व्यक्ति विशेष को वश में करने के लिए ‘हमजाद’ के ऊपर उस व्यक्ति का नाम अष्टगंध की स्याही से लिखें और इसके सम्मुख बैठकर निम्न मंत्र का 11 मंत्र माला जप करें तो अभीष्ट व्यक्ति का वशीकरण होता है।
ऊँ सम्मोहय वशमानय शं ऊँ फट्।’’
• मंत्र समाप्ति पर हमजाद को तेल के जलते दीपक के साथ किसी चैराहे पर छोड़ दें। इस प्रयोग को किसी भी शुक्रवार को शुभ नक्षत्रादि में करें। अवश्य सफलता मिलेगी।
• रोली, कपूर, चंदन तथा गोरोचन समान मात्रा में मिलाकर गंगाजल में घोंटकर तिलक लगाने से देखने वाले व्यक्ति वशीभूत होते हैं।
• पुष्य नक्षत्र में चमेली की जड़ जिस व्यक्ति का ध्यान करके बांधी जाए उस व्यक्ति का वशीकरण होता है।
• मां अपने बच्चे को अपनी मांग के सिंदूर का तिलक लगाएं तो बच्चा मां की आज्ञा मानेगा व साथ-साथ मां बच्चे के प्यार में वृद्धि होगी।
• चंदन तथा बदगद की जड़ को सम मात्रा में लेकर शुद्ध जल के साथ पीस लें और इसमें भस्म मिलाकर तिलक लगाएं तो देखने वाले व्यक्ति वशीभूत होते हैं।
• एक चांदी की थाली में सवा सौ ग्राम साबुत चावल रखकर मोती शंख स्थापित करें और प्रतिदिन इसका पूजन गंध, अक्षत, पुष्पादि से करें। एक महीने पश्चात् मोती शंख को चावल सहित किसी सफेद कपड़े में बांधकर किसी गुप्त स्थान पर रख दें तो पति-पत्नी का वशीकरण होता है। प्रतिदिन पूजन से पहले पति-पत्नी वशीकरण का संकल्प करना आवश्यक है।
• शनिवार की रात्रि में 7 लौंग लेकर उस पर 21 बार जिस व्यक्ति को वश में करना हो उसका नाम लेकर फूंक मारें और अगले रविवार को इनको आग में जला दें। यह प्रयोग लगातार 7 बार करने से अभीष्ट व्यक्ति का वशीकरण होता है।
• अगर आपके पति किसी अन्य स्त्री पर आसक्त हैं और आप से लड़ाई-झगड़ा इत्यादि करते हैं। तो यह प्रयोग आपके लिए बहुत कारगर है, प्रत्येक रविवार को अपने घर तथा शयनकक्ष में गूगल की धूनी दें। धूनी करने से पहले उस स्त्री का नाम लें और यह कामना करें कि आपके पति उसके चक्कर से शीघ्र ही छूट जाएं। श्रद्धा-विश्वास के साथ करने से निश्चिय ही आपको लाभ मिलेगा।
• शुक्ल पक्ष के प्रथम रविवार को प्रातःकाल स्नानादि से निवृŸा होकर अपने पूजन स्थल पर आएं। एक थाली में केसर से स्वस्तिक बनाकर गंगाजल से धुला हुआ मोती शंख स्थापित करें और गंध, अक्षत पुष्पादि से इसका पूजन करें। पूजन के समय गोघृत का दीपक जलाएं और निम्नलिखित मंत्र का 1 माला जप स्फटिक की माला पर करें। श्रद्धा-विश्वास पूर्वक 1 महीने जप करने से किसी भी व्यक्ति विशेष का मोहन-वशीकरण एवं आकर्षण होता है। जिस व्यक्ति का नाम, ध्यान करते हुए जप किया जाए वह व्यक्ति साधक का हर प्रकार से मंगल करता है। यह प्रयोग निश्चय ही कारगर सिद्ध होता है।
‘‘ऊँ क्रीं वांछितं मे वशमानय स्वाहा।’’
जिन स्त्रियों के पति किसी अन्य स्त्री के मोहजाल में फंस गये हों या आपस में प्रेम नहीं रखते हों, लड़ाई-झगड़ा करते हों तो इस टोटके द्वारा पति को अनुकूल बनाया जा सकता है।
गुरुवार अथवा शुक्रवार की रात्रि में 12 बजे पति की चोटी (शिखा) के कुछ बाल काट लें और उसे किसी ऐसे स्थान पर रख दें जहां आपके पति की नजर न पड़े। ऐसा करने से आपके पति की बुद्धि का सुधार होगा और वह आपकी बात मानने लगेंगे। कुछ दिन बाद इन बालों को जलाकर अपने पैरों से कुचलकर बाहर फेंक दें। मासिक धर्म के समय करने से अधिक कारगर सिद्ध होगा।
वशीकरण मंत्र:
हरे पान चिकनी सुपारी श्वेत चूना निधि मोहिले। पान हाथ में लेय पेय पेठ-पेठ रस। लेय श्री नृसिंह वीर तुम्हारी शक्ति। मेरी भक्ति फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा।
प्रयोग विधि: इस मंत्र को पान के पŸो पर चूने से लिखकर पान चबाएं और मंत्र का उच्चारण करते रहें तो देखने वाला व्यक्ति वशीभूत होता है।
वशीकरण पान: निम्न मंत्र द्वारा अभिमंत्रित पान खिलाने से संबंधित स्त्री या पुरुष का वशीकरण होता है। पहला पान खाने से वह आपका मित्र बन जाता है। दूसरा पान खाने में आपकी बात मानने लगेगा तथा तीसरा पान खाकर वह पूरी तरह से आपके वश में हो जाएगा।
मंत्र: श्री राम नाम खेलो अकन कबीरी। सुनिये नारी बात हमारी। एक पान संग मंगाय। एक पान सेज सौं लावैं मक पान मुख बुलावै। हमको छोड़ और को देखें तो तेरा कलेजा मुहम्मद वीर चरखें।
सर्वजन वशीकरण मंत्र:
ऊँ नमोः आदेश गुरु का राजमोह का प्रजामोह मोह ब्राह्मण बनियां हनुमंत ब्राह्मण बनियां गुरु की शक्ति, मेरी भक्ति फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा।
प्रयोग विधि: किसी भी मंगलवार या शनिवार को ब्रह्म मुहूर्त में गोघृत का दीपक जलाकर 108 मंत्रों का जप करें। दीपक की लौ में श्री बजरंग बली का ध्यान करते हुए वन कटेली की जड़ को पीसकर उपर्युक्त मंत्र से अभिमंत्रित करके तिलक लगाएं तो देखने वाले सभी लोग वशीभूत होते हैं। 

पालक ढोकला( palak dhokla gujrati recipe)

No comments :

आवश्यक सामग्री -
Ingredients for Palak Dhokla Recipe

सूजी - 3/4 कप (150 ग्राम)
बेसन - 3/4 कप (100 ग्राम)
पालक प्यूरी - 3/4 कप
दही - 1 1/4 कप दही ( 300 ग्राम)
तेल - 4 टेबल स्पून
हरी मिर्च - 2 बारीक कटे हुये
अदरक - 1 इंच टुकड़ा कद्दूकस किया हुआ या 1 चमच्च पेस्ट
नीबू का रस - 2 छोटे चम्मच
नमक - 1 .25 छोटी चम्मच
ईनो फ्रूट साल्ट - 1.5 छोटी चम्मच
करी पत्ता - 10-12 पत्ते
राई - 1/2 छोटा चम्मच
हरी मिर्च - 2- 3 लम्बाई में कटे हुये
तिल - 2 छोटी चम्मच

विधि - How to make Palak Dhokla Recipe

पालक प्यूरी बनाने के लिये 250 ग्राम पालक को मोटी डंडियां हटा कर, 2 बार अच्छी तरह से धोकर छलनी में रख लीजिये और पानी सूखने के बाद पालक को मिक्सर से पीस कर पेस्ट बना लीजिये. 

पहले पालक वाला मिश्रण बना लीजिये, किसी प्याले में 3/4 कप दही डालिये और पालक प्यूरी दही में डालकर मिला दीजिये, सूजी को इसी मिश्रण में डालिये, कटे हरे मिर्च और अदरक से थोड़ा थोड़ा दूसरे मिश्रण के लिये बचाकर डाल दीजिये, 3/4 छोटी चम्मच नमक और 2 छोटे चम्मच तेल डाल कर मिला दीजिये, ताजा दही होने पर 1 - 2 छोटी चम्मच नीबू का रस डाल कर मिला दीजिये. मिश्रण को 15 मिनिट के लिये ढककर रख दीजिये, सूजी फूल कर तैयार हो जायेगी. 

दूसरे प्याले में बचा हुआ आधा कप दही ले लीजिये, दही में बेसन डालकर अच्छी तरह चिकना घोल होने तक उसे घोलिये. हरी मिर्च, अदरक और आधा छोटी चम्मच नमक, 1 छोटी चम्मच तेल और 1 छोटी चम्मच नीबू का रस डालकर मिला दीजिये, मिश्रण अगर गाढ़ा हो तो थोड़ा 1-2 टेबल स्पून पानी मिला दीजिये, पकोड़े के घोल जैसा घोल बना लीजिये और इस मिश्रण को 15 मिनिट के लिये ढककर रख दीजिये. 

ढोकला पकाने के लिये एसा बर्तन लीजिये जो किसी दूसरे बड़े बर्तन में आसानी से आ जाय, बर्तन में थोड़ा तेल डालकर उसके चारों ओर तेल लगाकर चिकना कर लीजिये. 

पालक वाले मिश्रण में 1 छोटी चम्मच ईनो फ्रूट साल्ट डालिये और मिला दीजिये, मिश्रण हल्का सा फूलने लगता है, मिश्रण को चिकने किये गये बर्तन में डालिये और एक जैसा फैला दीजिये. 

बेसन वाले मिश्रण में बचा हुआ ईनो फ्रूट साल्ट डाल कर मिला दीजिये, मिश्रण हल्का सा फूलने लगा है, इस मिश्रण को पालक वाले मिश्रण पर एक जैसा फैला दीजिये.

अब बड़े बर्तन में 2 - 2 1/2 कप पानी डालकर गरम कीजिये, पानी में उबाल आने पर एक जाली स्टेन्ड बर्तन के अन्दर रखिये और उसके ऊपर ढोकला मिश्रण भरे बर्तन को रख दीजिये, और बड़े बर्तन को किसी एसे बर्तन से ढक दीजिये जो उसे अच्छी तरह ढक कर रखे, तेज और मीडियम आग पर ढोकला को 20 मिनिट तक पकने दीजिये.

ढोकला को चैक करने के लिये चाकू ढोकला के अन्दर गढ़ा कर देखिये चाकू साफ निकल रहा हो तो ढोकला बन कर तैयार है, चाकू के ऊपर गीला मिश्रंण चिपक कर आ रहा है तब ढोकला को और पकाने की आवश्यकता है. ढोकला के पक जाने के बाद बर्तन को बड़े बर्तन से निकाल लीजिये और 10 मिनिट तक ठंडा होने के बाद चाकू की सहायता से बर्तन के किनारों से ढोकला को अलग कर लीजिये, बर्तन के ऊपर एक प्लेट रख कर बर्तन को उलट दीजिये, और बर्तन को ऊपर से ढक ढका दीजिये, ढोकला बर्तन से प्लेट में निकल आयेगा. 

ढोकला को चाकू से अपने मनपसन्द आकार के टुकड़ों में काट लीजिये. तड़के के लिये छोटे पैन में तेल डालकर गरम कर लीजिये, तेल में राई के दाने डालिये, राई तड़कने पर करी पत्ता डाल दीजिये, हरी मिर्च और तिल भी डाल दीजिये, थोड़ा सा भूनिये और चम्मच से ढोकला के ऊपर थोड़ा थोड़ा चारों ओर डालिये.

बहुत ही अच्छा पालक ढोकला बन कर तैयार है. पालक ढोकला को हरे धनिये की चटनी, टमाटर सास या अपनी मनपसन्द चटनी के साथ परोसिये और खाइये.

सुझाव:

ढोकला का मिश्रण अधिक पतला या बहुत अधिक गाढ़ा नहीं होना चाहिये.

मिश्रण में ईनो फ्रूट साल सारी तैयारी के बाद में डालिये और ईनो फ्रूट साल्ट डालने के बाद मिश्रण को ज्यादा न फैटें.

ढोकला को इसी तरह कुकर में बर्तन रखकर पकाया जा सकता है, कुकर में ढोकला पका रहे हैं तो कुकर के ढक्कन पर सीटी नहीं लगायें.