Jeevan Dharm

Jeevan-dharm is about our daily life routine, society, culture, entertainment, lifestyle.

Monday 25 February 2019

नींव, खनन, भूमि पूजन एवम शिलान्यास मुहूर्त

No comments :


किसी भी कार्य को करने के लिए समय व तिथी का निर्धारण किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र में शुभ मुहूर्त का बहुत ही महत्व है । यह वैसा ही है जैसे किसी भी फसल का बीज डालने के लिए उचित समय व मौसम को देखा जाता है। कोई भी फसल तभी पूरी तरह से प्रफुल्लित होती है जब उस फसल को उसके मौसम में बोया जाता है। इसी प्रकार शुभ मुहूर्तों का भी बहुत ही महत्व है। नींव, खनन, शिलान्यास, भूमि पूजन आदि के लिए पंचाग को देखकर शुभ मुहूर्त निकाले जाते हैं। इन्हीं शुभ मुहूर्तों को मुख्या आधार मानकर धार्मिक व शुभ कार्य  किए जाते हैं।

1. नींव, खनन, शिलान्यास, भूमि पूजन के लिए शुभ तिथियां
2. भूमि पूजन के लिए 2018 में तिथियां व समय
3. नींव, खनन, शिलान्यास, भूमि पूजन के लिए 2019 में शुभ तिथियां
4. नींव, खनन, शिलान्यास, भूमि पूजन के लिए 2020 -2021 में शुभ तिथियां
5. लैंटर,छत डालना, इलैक्ट्रिक वायरिंग और स्तम्भ खड़े करने काल में पंचक नक्षत्रों का विचार
6 गृह निर्माण आदि के लिए शुभ मुहूर्तों की जानकारी


नींव शिलान्यास एवम गृह निर्माण आदि के शुभ मुहूर्त  में गृह स्वामी की राशि की अनुकूलता देखकर नीचे बताए गए शुभ मुहूर्त  में वास्तु पूजन, नवग्रह शान्ति, होम यज्ञ आदि करके, शिलान्यास, नींव भरण, गृहारम्भ निर्माण शुरु करना चाहिए। निर्माण में 5,7,9,14,21 व 24 प्रवृष्ठों में भूमि शयन, सुप्त भूमि का भी विचार किया जाता है। सूर्य नक्षत्र 5,7,9,12,19 एवम 26वें  चन्द्र नक्षत्र पर भी भूमि शयन का विचार किया जाता है। जरूरी मूहूर्त में दिए गए सूर्यभात वृष चक्र का भी प्रयोग कर सकते हैं।  लैंटर,छत डालना, इलैक्ट्रिक वायरिंग और स्तम्भ खड़े करने काल में पंचक नक्षत्रों व अग्रि बाण का भी विचार कर लेना उचित होगा।

2018
27 अप्रैल को 14.01 बजे के बाद, 30 अप्रैल को 10.22 बजे तक, 10 मई को 10.58 तक, 12 मई को सारा दिन, 16 जून को11.36 से 14.46 तक, 22जून 2018 को 11.11बजे तक, 6 जुलाई को 9.34 के बाद,14 जुलाई को चन्द्र दान, पुष्य नक्षत्र सारा दिन,18 जुलाई को सुबह 8.20 तक शुभ मूहूर्त रहेगा। 19 जुलाई को 7.53 के बाद, 23 जुलाई को 12.53 तक, 2 अगस्त को 13.13 के बाद, 3 अगस्त को 19.14 तक, 4 अगस्त को 12.59 तक, 6 अगस्त को 14.8 के बाद, 27 अगस्त को सारा दिन, 29 अगस्त को सुबह 9.10 तक, 3 सितम्बर को सारा दिन, 7 सितम्बर को 9.13 तक, 12 सितम्बर को 8.53 तक, 15 सितम्बर को सारा दिन, 13 दिसम्बर 2018 को
नींव आदि के लिए सारा दिन शुभ मुहूत्र्त रहेगा।



2019 में  नींव, खनन, भूमि पूजन एवम शिलान्यास मुहूर्त

19 अप्रैल को 11.32 बजे तक , 29 अप्रैल को 8.09 से 8.49 बजे तक, 6 मई को 16.37 के बाद , 9 मई को 15.17 के बाद , 10 मई को को 8.36  तक, 24 मई  2019 को 12.07 के बाद, 25 मई को सारा दिन,30 मई को सारा दिन,31 मई को सारा दिन सारा दिन, 6 जून को को सुबह 9.55 तक शुभ मूहूर्त रहेगा। 12 जून को 11.51 के बाद, 13 जून को 6.38 के बाद, 27 जून को 5.44 के बाद, 28 जून को को 9.12 तक, 3 जुलाई  को 6.36 के बाद 11.42 तक, 12 जुलाई को 15.57 के बाद, 13 जुलाई  को सारा दिन, 18  अक्तूबर को सुबह 7.29 के बाद, 30 अक्तूबर  को सारा दिन, 8 नवम्बर 12.25 के बाद, 14 नवम्बर को,18 नवम्बर को10.41 के बाद, 23 नवम्बर को, 2 दिसम्बर को 11.43 बजे तक, 11 दिसम्बर 2019 को 10.59 बजे के बाद इसके बाद 12 दिसम्बर को मुहूर्त रहेगा।

2020 में  नींव, खनन, भूमि पूजन एवम शिलान्यास मुहूर्त

16 जनवरी , 27 जनवरी को मुहू्र्त रहेगा इसके बाद 30 जनवरी को 15.12 बजे के बाद रहेगा । 31 जनवरी को इसके बाद 26 फरवरी को रहेगा। 2 मार्च 2020 में 13.56 के बाद मुहूर्त रहेगा। इसके बाद 11 मार्च को मुहूर्त रहेगा 18 अप्रैल 2020 , 4 मई, 15 जून, 17 जून प्रात 6.04 बजे तक, 8 जुलाई 9.19 बजे तक, 9 जुलाई, 17 जुलाई  (शुक्र परिहार), 27 जुलाई 11.04 बजे के बाद , 29 जुलाई 8.33 बजे के बाद, 6 अगस्त11.18 तक, 21 अगस्त, 19 अक्तूबर, 12 नवम्बर, 20 नवम्बर, 25 नवम्बर, 3द नवम्बर, 10 दिसम्बर 2020 को मुहूर्त रहेगा। माघ,फाल्गुन में गुरु अस्त रहने के कारण इन माह में कोई शुभ मुहूर्त नहीं है।

यह जानकारी आपको सिर्फ जानने के लिए ही प्रदान की जा रही है। पक्के तौर पर अपने स्थान आदि के अनुसार वास्तु जानकार से ही आप विमर्श करके शुभ मुहूर्त आदि का पता कर लें। इसके लिए आप पंडित जी से भी विचार-विमर्श कर सकते हैं।

यह जानकारी आपको सिर्फ जानने के लिए ही प्रदान की जा रही है। पक्के तौर पर अपने स्थान आदि के अनुसार वास्तु जानकार से ही आप विमर्श करके शुभ मुहूर्त  आदि का पता कर लें। इसके लिए आप पंडित जी से भी विचार-विमर्श कर सकते हैं।


मूल नक्षत्र कौन-कौन से हैं इनके प्रभाव क्या हैं और उपाय कैसे होता है

No comments :



गंडमूल नक्षत्रों  में पैदा हुए बच्चों के बारे में अलग-अलग विचार हैं। लोगों को पूरी जानकारी न होने के कारण वे छोड़े परेशान हो जाते हैं। गंडमूल नक्षत्रों में पैदा हुए बच्चों को जिस नक्षत्र मेंवे पैदा हुए होते हैं उसी नक्षत्र में उनकी पूजा की जाती है। कर्मकांड में पारंगत पंडित जी या निपुण ज्योतिषि इस काम को बहुत ही अच्छे ढंग से कर देते हैं। लोगों को इसके लिए ज्यादा परेशान होने की अावश्यकता नहीं है। भगृपंडित जी के पास 25 साल का अनुभव है अौर वह इस काम को अच्छे ढंग से करवा देते हैं। हम अापको मूल नक्षत्रों की पूरी जानकारी व पूजा का पूरा विधान यहा बता रहे हैं।
गंड मूल नक्षत्रों के लिए हर कोई जानना चाहता है। इन नक्षत्रों में पैदा हुए 2500 जातकों के जीवन को जांचा गया। प्राचीन काल में ऋषि मुनियों ने यह कार्य किया था। वर्तमान में ऐसा इसलिए किया गया कि जाना जा सके कि इनके प्रभावों का क्या परिणाम है। जांच में सभी बातें सटीक व सी पाई गईं।
ज्येष्ठा आश्लेषा और रेवती,मूल मघा और अश्विनी यह नक्षत्र मूल नक्षत्र कहलाये जाते हैं,इन नक्षत्रों के अन्दर पैदा होने वाला जातक किसी न किसी प्रकार से पीडि़त होता है,ज्येष्ठा नक्षत्र में पैदा होने वाले के अगर इन नक्षत्र को शांत नहीं करवाया गया तो यह जातक को तुरंत सात महीने के अन्दर से दुष्प्रभाव देना चालू कर देता है। अगर किसी प्रकार से जातक खुद बड़ा है,तो माता पिता को अलग कर देता है,और खुद छोटा है,तो अपने से बड़े को दूर कर देता है या अन्त कर देता है। यही बात अश्लेशा नक्षत्र के बारे में कही जाती है कि अगर पहले पद मे जन्म हुआ है तो माता को त्याग देता है, दूसरे पाये में पिता को त्याग देता है, तीसरे पाये में अपने बड़े भाई या बहन को और चौथे पाये में अपने को ही सात दिन, सात महीने, सात वर्ष के अन्दर सभी प्रभावों को दिखा देता है।
अभुक्त मूल विचार
ज्येष्ठा नक्षत्र की अन्त की दो घड़ी तथा मूल नक्षत्र की आदि की दो घड़ी अभुक्त मूल कहलाती है,लेकिन यह बातें तब मानी जाती थीं,जब जातक के माता पिता पहले से ही धर्म कार्यों के अन्दर खुद को लगा कर रखते थे, मगर आज के जमाने में सभी भौतिक कारणों से और कुछ कारण दोनों नक्षत्रों की चारों ही घड़ी अभुक्त मूल कहलाने लगी हैं, इन दो नक्षत्रों में पैदा होने वाला जातक अपने मामा या पिता परिवार को बर्बाद कर देता है, अथवा खुद ही बर्बाद हो जाता है। कर्क लगन मे और कर्क राशि के अन्दर पैदा हुआ जातक अश्लेषा का जातक कहा जाता है,यह पिता के लिये भारी कहा जाता है, माता को परदेश वास देता है तथा धन के लिये माता को सभी सुख देता है और पिता को मरण देता है।

गंडमूल नक्षत्र  2019
प्रारम्भ काल                                                        समाप्ति काल

3 जनवरी  ज्येष्ठा 11.03                            5 जनवरी मूला 15.08 तक
13 जनवरी रेवती   11.06                          15 जनवरी अश्विनी  13.56
21 जनवरी आष्लेषा 26.27                        23 जनवरी मघा 20.47
30 जनवरी ज्येष्ठा 16.40                       1 फरवरी मूला 21.07
9 फरवरी रेवती 17.30                          11फरवरी अश्विनी 21.13
18 फरवरी आष्लेषा 14.02                    20 फरवरी मघा 8.00
26 फरवरी  ज्येष्ठा 23.04                    28 फरवरी मूला 10.10
5 अप्रैल रेवती 5.36 बजे                      7 अप्रैल अश्विनी  8.44
14 अप्रैल आष्लेषा 7.40                      16 अप्रैल मघा 4.01
22 अप्रैल ज्येष्ठा 16.45                    24 अप्रैल मूल  18.35 
14 April Ashlesha From 07:40 16 April Magha Till 04:01
22 April Jyeshtha From 16:45 24 April Mool Till 18:35
2 May Revati From 13:02 04 May Ashwini Till 15:47
11 May Ashlesha From 13:13 13 May Magha Till 10:27
19 May Jyeshtha From 26:07 21 May Mool Till 27:31
29 May Revati From 21:18 31 May Ashwini Till  24:12
7 June Ashlesha From 18:56 9 June Magha Till 15:59
16 June Jyeshtha From 10:07 18 June Mool Till 11:50
26 June Revati From 05:38 28 June Ashwini Till  09:12
4 July Ashlesha From 26:30 6 July Magha Till 22:10
13 July Jyeshtha From 16:27 15 July Mool Till 18:52
23 July Revati From 13:14 25 July Ashwini Till 17:39
1 August Ashlesha From 12:12 3 August Magha Till 06:44
9 August Jyeshtha From 21:58 11 August Mool Till 24:45
19 August Revati From 19:48 21 August Ashwini Till 24:47
28 August Ashlesha From 22:55 30 August Magha Till 17:11
6 September Jyeshtha From 04:09 8 September Mool Till 06:29
15 September Revati From 25:45 18 September Ashwini Till 06:44
25 September Ashlesha From 08:53 27 September Magha Till 04:01
3 October Jyeshtha From 12:10 5 October Mool Till 13:19
13 October Revati From 07:53 15 October Ashwini Till 12:30
22 October Ashlesha From 16:39 24 October Magha Till 13:18
30 October Jyeshtha From 21:59 1 November Mool Till 21:52
9 November Revati From 14:56 11 November Ashwini Till 19:17
18 November Ashlesha From 22:21 20 November Magha Till 20:05
27 November Jyeshtha From 08:12 29 November Mool Till 07:34
6 December Revati From 22:57 9 December Ashwini Till 03:30
16 December Ashlesha From 04:01 17 December Magha Till 16:50

24 December Jyeshtha From 16:58 26 December Mool Till 16:50

Ganad Mool Dates in 2020


3-Jan 7:20          5-Jan 12:27
12-Jan 11:49 14-Jan 7:55
20-Jan 23:30 22-Jan 24:20:00
30-Jan 15:12 1-Feb 20:53

February,2020


8-Feb 22:05 10-Feb 17:06
16-Feb 28:53:00 18-Feb 30:06:00
26-Feb 22:08 28-Feb 28:03:00

March,2020


7-Mar 9:05  8-Mar 28:10:00
15-Mar 11:23 17-Mar 11:46
24-Mar 28:19:00 27-Mar 10:09

April,2020


3-Apr 18:40 5-Apr 14:57
11-Apr 20:11 13-Apr 19:02
21-Apr 10:22 23-Apr 16:05
30-Apr 25:52:00 2-May 23:40

May,2020


9-May 6:33         10-May 28:13:00
18-May 16:58 20-May 22:37
28-May 7:27         30-May 6:03

June,2020


5-Jun 16:43 7-Jun 14:10
14-Jun 24:21:00 17-Jun 6:04
24-Jun 13:10 26-Jun 11:26

July,2020


2-Jul 25:13:00 4-Jul 23:22
12-Jul 8:18        14-Jul 14:06
21-Jul 20:30 23-Jul 17:44
30-Jul 7:40         1-Aug 6:48

August,2020


8-Aug 16:12 10-Aug 22:05
17-Aug 29:43:00 19-Aug 26:07:00
26-Aug 13:04 28-Aug 12:37

September,2020


4-Sep 23:28 6-Sep 29:23:00
14-Sep 15:52 16-Sep 12:20
22-Sep 19:18 24-Sep 18:09

October,2020


1-Oct 29:57:00 4-Oct 11:52
11-Oct 25:19:00 13-Oct 22:54
19-Oct 27:52:00 21-Oct 25:13:00
29-Oct 12:00 31-Oct 17:58

November,2020


8-Nov 8:45 10-Nov 7:56
16-Nov 14:36 18-Nov 10:40
25-Nov 18:20 27-Nov 24:22:00

December,2020


5-Dec 14:27 7-Dec 14:32
13-Dec 25:40:00 15-Dec 21:31
22-Dec 25:37:00 25-Dec 7:36



मूल शांति के उपाय
ज्येष्ठा मूल या अश्विनी नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक के लिये नीचे लिखे मंत्रों का जाप 28000 जाप करवाने चाहिये,और 28वें दिन जब वही नक्षत्र आये तो मूल शान्ति का प्रयोजन करना चाहिये,जिस मन्त्र का जाप किया जावे उसका दशांश हवन करवाना चाहिये,और 28 ब्राह्मणों को भोजन करवाना चाहिये,बिना मूल शांति करवाये मूल नक्षत्रों का प्रभाव दूर नही होता है।

मंत्र
ऊँ मातवे पुत्र पृथ्वी पुरीत्यमग्नि पूवेतो नावं मासवातां विश्वे र्देवेर ऋतुभि: सं विद्वान प्रजापति विश्वकर्मा विमन्चतु॥

मूल नक्षत्र का बड़ा मंत्र यह है,इसके बाद छोटा मंत्र इस प्रकार से है-

ऊँ एष ते निऋते। भागस्तं जुषुस्व।

ज्येष्ठा नक्षत्र का मंत्र इस प्रकार से है-
ऊँ सं इषहस्त-सनिषांगिर्भिर्क्वशीस सृष्टा सयुयऽइन्द्रोगणेन। सं सृष्टजित्सोमया शुद्धर्युध धन्वाप्रतिहिताभिरस्ता।

आश्लेषा मंत्र
ऊँ नमोऽर्स्तु सर्पेभ्यो ये के च पृथ्वीमनु। ये अन्तरिक्षे ये दिवि तेभ्य: सर्पेभ्यो नम:॥

मूल शांति की सामग्री
घड़ा एक,करवा एक,सरवा एक,  पांच प्रकार के रंग, नारियल एक, 50 सुपारी, दूब, कुशा, बतासे, इन्द्र जौ, भोजपत्र, धूप, कपूर आटा चावल 2 गमछे, दो गज लाल कपड़े चंदोवे के लिये, मेवा 50 ग्राम, पेड़ा 50 ग्राम, बूरा 50 ग्राम, केला चार, माला दो, 27 पेड़ों की लकड़, 27 वृक्षों के अलग-अलग पत्ते, 27 कुंओं का पानी, गंगाजल, यमुना जल, हरनन्द का जल, समुद्र का जल अथवा समुद्र फेन, आम के पत्ते, पांच रत्न, पंच गव्य वन्दनवार, हल, 2 बांस की टोकरी, 101 छेद वाला कच्चा घड़ा, 1 घंटी 2 टोकरी छायादान के लिये, 1 मूल की मूर्ति स्वनिर्मित, बैल गाय 27 सेर सतनजा, 7 प्रकार की मिट्टी,  हाथी के नीचे की घोड़े के नीचे की गाय के नीचे की तालाब की सांप की बांबी की नदी की और राजद्वार की वेदी के लिये पीली मिट्टी।

हवन सामग्री
चावल एक भाग,घी दो भाग बूरा दो भाग, जौ तीन भाग, तिल चार भाग,इसके अतिरिक्त मेवा अष्टगंध इन्द्र जौ,भोजपत्र मधु कपूर आदि। एक लाख मंत्र के एक सेर हवन सामग्री की जरूरत होती है,यदि कम मात्रा में जपना हो तो कम मात्रा में प्रयोग करना चाहिये।