Jeevan Dharm

Jeevan-dharm is about our daily life routine, society, culture, entertainment, lifestyle.

Thursday 3 May 2018

पीपल के चमत्कारी उपाय

No comments :

 हमारे धर्म शास्त्रों के अनुसार हर व्यक्ति को जीवन में पीपल pipal का पेड़ अवश्य ही लगाना चाहिए । पीपल pipal का पौधा लगाने वाले व्यक्ति को जीवन में किसी भी प्रकार संकट नहीं रहता है। पीपल pipal का पौधा लगाने के बाद उसे रविवार को छोड़कर नियमित रूप से जल भी अवश्य ही अर्पित करना चाहिए। जैसे-जैसे यह वृक्ष बढ़ेगा आपके घर में सुख-समृद्धि भी बढ़ती जाएगी।  पीपल pipal का पेड़ लगाने के बाद बड़े होने तक इसका पूरा ध्यान भी अवश्य ही रखना चाहिए, लेकिन ध्यान रहे कि पीपल pipal को आप अपने घर से दूर लगाएं, घर पर पीपल की छाया भी नहीं पड़नी चाहिए।

find your life partner lagnmandap.com
an absolute free matrimonial site
पीपल Pipal के वृक्ष में पितरो का वास माना गया है , पितृ पक्ष में पीपल की सेवा करने से पितरो प्रसन्न होते है।

शनिवार के दिन किसी मंदिर में जाएं जहाँ पर पीपल लगा हो वहां पर शिवलिंग पर तिल मिश्रित जल चढ़ाएं और पीपल pipal पर जल में दूध और काले तिल मिलाकर जल चढ़ाएं ।



शनिवार को "ॐ नमो भगवते वासुदेवाये नम:" और "ॐ पितृ दैवतायै नम:" मन्त्र का जाप करते हुए पीपल की 7 परिक्रमा अवश्य ही करें।
शनिवार के दिन शाम को प्रदोष काल में पीपल के नीचे तेल का दीपक जलाएं। ऐसा करने से पितर खुश होते हैं उनका आशीर्वाद मिलता हैं। पितृ दोष pitra dosh दूर होता है, कुंडली के ग्रहो के अशुभ फल दूर होते है, पितरो pitron के प्रसन्न होने से घर में सुख - समृद्धि और हर्ष का वातावरण होता है। 
 पीपल pipal में प्रतिदिन जल अर्पित करने से कुंडली के समस्त अशुभ ग्रह योगों का प्रभाव समाप्त हो जाता है। पीपल pipal की परिक्रमा से कालसर्प जैसे ग्रह योग के बुरे प्रभावों से भी छुटकारा मिल जाता है।
 मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति पीपल के वृक्ष के नीचे शिवलिंग स्थापित करता है तो उसके जीवन से बड़ी से बड़ी परेशानियां भी दूर हो जाती है। पीपल के नीचे शिवलिंग स्थापित करके उसकी नित्य पूजा भी अवश्य ही करनी चाहिए। इस उपाय से जातक को सभी भौतिक सुख सुविधाओं की प्राप्ति होती है।
 सावन मास की अमवस्या की समाप्ति और सावन के सभी शनिवार को पीपल की विधि पूर्वक पूजा करके इसके नीचे भगवान हनुमान जी की पूजा अर्चना / आराधना करने से घोर से घोर संकट भी दूर हो जाते है।

 यदि पीपल pipal के वृक्ष के नीचे बैठकर रविवार को छोड़कर नित्य हनुमान चालीसा का पाठ किया जाए तो यह चमत्कारी फल प्रदान करने वाला उपाय है।
 पीपल pipal के नीचे बैठकर पीपल के 11 पत्ते तोड़ें और उन पर चन्दन से भगवान श्रीराम का नाम लिखें। फिर इन पत्तों की माला बनाकर उसे प्रभु हनुमानजी को अर्पित करें, सारे संकटो से रक्षा होगी।

तुलसी का महत्व

No comments :
शायद इसी लिए आमतौर पर यह सभी हिंदू परिवारों के घरों में अवश्य ही होती है।  मान्यताओं के अनुसार इसे तुलसी ( Tulsi ) व वृंदा के नाम से माँ लक्ष्मी का ही रूप बताया गया है। इसीलिए भगवान शालिग्राम-तुलसी विवाह की पूजा असीम सुख-समृद्ध प्रदान करने वाली कही गई है।

तुलसी घर में होने से उस घर में दैवीय कृपा के साथ साथ घर के सदस्यों को अनेकों चिकित्सकीय लाभ भी प्राप्त होते हैं।


find your soulmate , just log in to lagnmandap.com
an absolute free matrimonial website to find your lifepartner.

माँ तुलसी के बारे में कुछ आसान सी बातों को ध्यान में रखे तो हमें निश्चित ही माँ लक्ष्मी की कृपा के साथ साथ मनवाँछित फलों की प्राप्ति होती है।

यहां हम आपको कुछ ऐसी ही उपायों के बारे में बता रहे है जो आप को निरोगी रखने के साथ साथ मालामाल भी बना सकते है जो आप को निरोगी रखने के साथ साथ मालामाल भी बना सकते है
जानिए तुलसी का महत्व tulsi ka Mahtav

हिन्दू शास्त्रों के अनुसार वैसे तो तुलसी पौधा लगाने के लिए आषाढ़ व ज्येष्ठ माह का विशेष  महत्व है,  किंतु यह किसी भी पवित्र तिथि, शुक्ल पक्ष, एवं पूर्णिमा व एकादशी तिथि आदि को भी लगाया जा सकता है । इसको लगाने के लिए सुबह के समय किसी भी देव मंदिर या जिस घर मे नित्य तुलसी की पूजा होती हो, वहीँ से तुलसी का छोटा-सा पौधा लाना उचित रहता है। इसे बाजार से भी खरीद कर लगाया जा सकता है।

पवित्र तुलसी की स्थापना ठीक उसी तरह से करनी चाहिए जैसे हम किसी देवी देवता की मूर्ति की स्थापना करते है ।
तुलसी के पौधे को घर में जिस जगह लगाना हो उस जगह को पहले गंगाजल से पवित्र करें फिर साफ मिट्टी से भरे गमले में रोपें । लगाने के बाद तुलसी के पौधे को जल, इत्र, फूल, फल, दूर्वा अर्पित करते हुए वस्त्र, चुनरी वा पीला कलावा अर्पित करें एवं मिठाई से भोग लगाएं।

उसके पश्चात किसी सुहागिन स्त्री से ही तुलसी के चारों ओर दूध व जल की धारा अर्पित करके उन्हें प्रणाम करें।
इस विधि से स्थापना करने से उस घर में माँ तुलसी की असीम कृपा प्राप्त होती है ।
तुलसी को घर के मुख्य दवार के दोनों ओर ऊँचाई पर लगाना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि तुलसी के पौधे को इस स्थान में लगाने से घर वालों को बुरी नजर नहीं लगती है और अन्य किसी भी तरह की बुराइयां भी घर से कोसो दूर रहती है,
तुलसी को घर के आँगन में भी लगाया जा सकता है ।

  यह ध्यान रहे की तुलसी का पौधा अथवा गमला नीचे ना हो उसके लिए पर्याप्त ऊँचाई वाला स्थान ही उचित है ।

तुलसी के पौधे के आस पास कुछ भी गन्दगी नहीं रहनी चाहिए, इसके चारो ओर रोज़ उसी तरह से सफाई कराएं जिस तरह आप अपने घर की करते है ।
रविवार को छोड़कर नित्य सुबह तुलसी में जल चढ़ाना चाहिए । इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा रहती है एवं घर के सदस्यों में प्रेम बना रहता है ।
तुलसी के पत्ते बिना उपयोग कभी भी नहीं तोडने चाहिए। ऐसा करने पर व्यक्ति पाप भागी होता है ।
तुलसी को बिना नहाये, संध्या के समय और रविवार, एकादशी, सूर्य एवं चन्द्र ग्रहण , अमावस्या , संक्रांति और रात्रि के समय बिलकुल भी नहीं तोडना चाहिए।  रजस्वला स्त्री को भी तुलसी को छूना नहीं चाहिए ।

जिस घर में प्रत्येक गुरुवार को सुबह तुलसी को दूध से सींचा जाता है उस घर से माता लक्ष्मी कभी भी नहीं जाती है ।
जिस घर में संध्या के समय तुलसी पर दीपक जलाया जाता है उस घर में कभी भी कोई भी संकट, किसी भी चीज़ का आभाव नहीं रहता है ।

 जिस घर में प्रभु विष्णु को नित्य तुलसी चढ़ाई जाती है, प्रत्येक एकादशी और गुरुवार को उनकी तुलसी दल से विशेष पूजा की जाती है उस घर में कभी भी धन धान्य की कमी नहीं रहती है।

तुलसी के अचूक उपाय

No comments :

जो जातक रविवार, संक्रांति, ग्रहण को छोड़कर नित्य सुबह तुलसी पर जल चढ़ाता है, "ॐ तुलस्यै नमः॥" का जाप करता है एवं सांय को तुलसी पर दीपक जलाता है, उस घर परिवार पर भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी की सदैव कृपा बनी रहती है।
उसे जीवन के सभी सुखो की प्राप्ति होती है, उसके पाप नष्ट होते है, पुरखो को स्वर्ग में स्थान मिलता है, सन्तान संस्कारी, आज्ञाकारी होती है, उसके घर से सभी संकट कोसो दूर रहते है।
तुलसी के चमत्कारी उपाय, तुलसी के आसान उपाय, तुलसी के टोटके, तुलसी के टिप्स ,तुलसी से लाभ, तुलसी के पत्ते,
हिन्दु धर्मशास्त्रों में तुलसी के आठ नाम बताए गए हैं- वृंदा, वृंदावनि, विश्व पूजिता, विश्व पावनी, पुष्पसारा, नन्दिनी, तुलसी और कृष्ण जीवनी। सुबह तुलसी में जल चढ़ाते समय इनका नित्य नाम लेने जातक को जीवन में कोई भी संकट कोई आभाव नहीं रहता है । उसे सभी तरह के भौतिक सुख सुविधाओं की प्राप्ति होती है ।


एकादशी की साँय प्रदोष काल में जो जातक तुलसी पर दीपक जलाकर उसकी परिक्रमा करता है उस पर भगवान श्री विष्णु और माँ लक्ष्मी की असीम कृपा बनी रहती है। उसके घर परिवार में प्रेम और सहयोग रहता है, अन्न धन की कभी कोई भी कमी नहीं रहती है ।

एक गमले में एक पौधा तुलसी ( Tulsi ) का तथा एक पौधा काले धतूरे का लगायें। इन दोनों पौधों पर प्रतिदिन स्नान आदि से निवृत होकर शुद्ध जल में थोड़ा सा कच्चा दूध मिलाकर अर्पित करें। ऐसा करने से व्यक्ति को ब्रहमा, विष्णु, महेश, इन तीनों की संयुक्त पूजा फल मिलता है। क्योंकि तुलसी विष्णु प्रिया है, काला धतूरा शिव रूप है एंव तुलसी की जड़ो में भगवान ब्रहमा का निवास स्थान माना गया है। जानिए तुलसी के अचूक उपाय ( Tulsi ke achuk upay )

तुलसी के पत्ते बहुत ही पवित्र माने जाते है । यह हमारे जल एवं भोजन को शुद्ध और पवित्र करते हैं। इसीलिए किसी भी सूर्य या चंद्र ग्रहण के समयजल एवं भोजन में तुलसी के पत्ते डालें जाते हैं।
हमारे धर्म शास्त्रों के अनुसार इंसान की मृत्यु के बाद उस शव के मुख में तुलसी के पत्ते डाले जाते हैं। मान्यता है कि इससे मृतक को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

अगर आपको लगता है कि लाख प्रयास के बाद भी आपका व्यापार उन्नति नहीं कर पा रहा है तो आप किसी भी गुरुवार को श्यामा तुलसी के चारो ओर उग आई खर पतवार को किसी पीले वस्त्र में बांधकर अपने व्यापार स्थल में किसी साफ जगह रख दें, व्यापार में गति आ जाएगी ।

किसी भी शुभ मुहूर्त में तुलसी की जड़ लाएं । रविवार या गुरुवार को जब पुष्य नक्षत्र हो तो उस दिन उस जड़ को गंगा जल से धोकर, धूप दीप दिखाकर, तिलक लगाकर पूजा करके पीले कपड़े में लपेटकर अपने दाहिने हाथ में बांध लें इस आसान उपाय से व्यक्ति का तेज बढ़ता है, कार्यों में सफलता की सम्भावना बढ़ जाती है, अधिकारी वर्ग प्रसन्न रहता है।
अगर किसी व्यक्ति की संतान बहुत ज्यादा जिद्दी हो, बड़ो का कहना ना मानती हो तो उसे घर के पूर्व दिशा में रखे तुलसी के पौधे के तीन पत्ते रविवार को छोड़कर प्रतिदिन किसी भी तरह अवश्य ही खिलाएं, सन्तान का व्यवहार सुधरने लगेगा ।
ऐसी भी मान्यता है कि यदि पूर्व दिशा में खिड़की के पास तुलसी का पौधा रखा जाए तो भी संतान आज्ञाकारी होती है।
यह भी माना जाता है कि यदि आपकी कन्या का विवाह नहीं हो रहा हो तो कन्या तुलसी के पौधे को घर के दक्षिण-पूर्व में रखकर उसे नियमित रूप से जल अर्पण करें। इससे भी शीघ्र ही योग्य वर की प्राप्ति होती है ।
तुलसी का पौधा किचन के पास रखने से घर के सदस्यों में आपसी प्रेम, सामंजस्य बना रहता है।

नवीन गृह में तुलसी का पौधा, देवता का चित्र, गौमूत्र, गंगाजल, और पानी का कलश लेकर घर के अंदर प्रवेश करना चाहिए । इससे घर में सदैव सुख शांति, प्रसन्नता का वातावरण बना रहता है, घर में धन की कभी भी कमी नहीं रहती है।

घर से निकलने से पूर्व तुलसी के दर्शन करना बहुत ही शुभ एवं सफलता की निशानी माना जाता है।

प्रतिदिन दही के साथ चीनी और तुलसी के पत्तों का सेवन करना बहुत ही शुभ माना गया है। तुलसी के पत्तों का घर से निकलते समय सेवन करने से कार्यों में कोई भी संकट नहीं आते है ।
तुलसी का पत्तों के नित्य सेवन करना बहुत ही पुण्यदायक लाभदायक माना जाता है। लेकिन ध्यान रहे कि उसे दाँतों के बीच चबाना नहीं चाहिए।

सास और बहु के सम्बन्ध

No comments :

हिन्दू धर्म शास्त्रों में पुत्र का बहुत महत्व है । पुत्र को अपने माता पिता अपने पितरों को नरक से बचाने वाला कहा गया है। हर माता पिता की यह हार्दिक इच्छा होती है कि उनके योग्य और वंश का नाम रौशन करने वाला पुत्र हो जिसके साथ वह अपना जीवन बिता सके।

हर व्यक्ति चाहता है कि उसके घर में सुख शान्ति हो लेकिन कई बार देखा जाता है कि परिवार में लड़के की शादी होने पर जब घर में बहु आती है तो परिवार के लोगो का उसके साथ सामंजस्य नहीं बैठ पाता है घर में कलह होनी शुरू हो जाती है । आज कल शादी के बाद अलग रहने का चलन बहुत ही ज्यादा बढ़ गया है इससे माँ बाप जिन्होंने अपने पुत्र को बढ़े ही लाड़ प्यार से पाला होता है की स्थिति बहुत ही विकट हो जाती है ।
पहले पुत्र को बुढ़ापे का सहारा कहा जाता था अब पुत्र जब पढ़ लिख कर कुछ करने लायक होता है बहुधा देखा जाता है कि शादी के बाद अपनी पूर्णतया अलग ही दुनिया बसा लेता है, या तो अलग हो जाता है या साथ रह कर भी ऐसी स्तिथि हो जाती है कि अलगाव ही बना रहता है । इसके बहुत से कारण हो सकते है ।

शादी के बाद एक लड़की अपना सब कुछ छोड़ कर एक नए घर, नए वातावरण में आती है वहाँ पर उसे अपना सबसे नजदीकी अपना पति ही लगता है जिसको वह अपना तन, मन, धन सब कुछ सौप देती है लेकिन उस घर में उसके पति के पहले से ही रिश्ते माता पिता, भाई भाभी, बहन बहनोई होते है जिनके साथ वह लम्बे समय से रह रहा होता है । इन रिश्तों से आपसी सामंजस्य बनाना बहु और परिवार के अन्य सदस्यों के लिए कई बार बहुत ही कठिन हो जाता है ।

इसके अतिरिक्त आज कल की संस्कृति, तेजी से बढ़ते टी वी , इन्टरनेट के चलन, बढ़ते भौतिकवाद के कारण भी नव दम्पति अपनी एक अलग ही रूमानी दुनिया का सृजन कर लेते है जिसके कारण भी कई बार टकराव होने लगता है।

याद रखिये साथ में रहने से परिवार और नव दम्पति दोनों को ही बहुत लाभ होते है । उस घर की आने वाली संताने सुशिक्षित और सुसंस्कृत होती है, परिवार में आर्थिक , सामाजिक और मानसिक सुरक्षा रहती है , बड़ी से बड़ी मुश्किलें भी आसानी से हल हो जाती है ।

परिवार में टकराव , अनबन सबसे ज्यादा सास और बहु के बीच ही होती है , लेकिन इसका सबसे ज्यादा बुरा प्रभाव लड़के पर ही पड़ता है । यहाँ पर हम कुछ उपाय बता रहे है जिससे सास बहु के बीच कलह दूर रह सकती है ।

 सास व बहू में आपसी संबंध में कटुता होने पर बहू या सास दोनों में कोई भी चांदी का चौकोर टुकड़ा अपने पास रखें, और ईश्वर से अपनी सास / बहु से सम्बन्ध अच्छे रहने की प्रार्थना करे । इससे दोनों के बीच में सम्बन्ध प्रगाढ़ होते है ।

सास या बहु में जो भी कोई सम्बन्ध सुधारने को इच्छुक हो वह शुक्ल पक्ष के प्रथम बृहस्पतिवार से माथे पर हल्दी या केसर की बिंदी लगाना शुरू करें।

सास-ससुर का कमरा सदैव दक्षिण-पश्चिम दिशा में ही होना चाहिए और बेटे-बहू का कमरा पश्चिमी या दक्षिण दिशा में। अगर बेटे-बहू का रूम दक्षिण-पश्चिम में होता है, तो उनका सास-ससुर से झगडा बना ही रहेगा, घर में आये दिन कलेश रहेगा । परिवार पर अपना नियंत्रण रखने के लिए इस दिशा में घर के बडों को ही रहना चाहिए।.

किचन कभी भी घर के ईशान कोण या मध्य में ना हो, यह आपसी संबंधों के लिए बेहद घातक है। घर की रसोई आग्नेय कोण यानी उत्तर-पूर्व में होनीं चाहिए , रसोई गलत जगह में होने पर सास-बहू के आपसी क्लेश, मनमुटाव बना ही रहेगा ।

अगर रसोई में दोष है तो उसके आग्नेय कोण में एक लाल रंग का बल्ब लगा दें , इसके अतिरिक्त अगर रसोई घर आग्नेय दिशा के स्थान पर किसी और दिशा में बनी हो तो उसकी दक्षिण और आग्नेय दिशा की दीवार को लाल रंग से रंगकर कर उसका दोष दूर किया जा सकता हैं।

 जिस घर की स्त्रियां / बहु घर के वायव्य अर्थात उत्तर-पश्चिम कोण में शयन / निवास करती है वह अपना अलग से घर बसाने के सपने देखने लगती है। इसलिए इस दिशा में नई दुल्हन को तो बिलकुल भी नहीं रखे अन्यथा उसका परिवार के साथ अलग होना तय है । वास्तु शास्त्र के नियम अनुसार दक्षिण-पश्चिम कोण में सास को सोना चाहिए , उसके बाद बड़ी बहु को पश्चिम दिशा में और उससे छोटी बहु को पूर्व दिशा में शयन करना चाहिए। इससे घर की स्त्रियों में प्रेम बना रहेगा ।


 सास बहु में कलेश होने पर जो चाहता है कि आपसी रिश्ते सुधरे उसे गले में चांदी की चेन धारण करनी चाहिए और यह भी ध्यान रहे कि कभी किसी से भी कोई सफेद वस्तु न लें।