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Tuesday 6 November 2018

साल में एक ही बार खुलने वाले अनोखा मंदिर

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साल में एक ही बार खुलने वाले अनोखा मंदिर – नागचंद्रेश्वर मंदिर

हिंदी धर्म में सांपो या नागो को पूजनीय माना जाता है | ये नाग देवता के रूप में माने जाते है | भगवान शिव ने इन्हे अपने आभूषण बना रखे है तो भगवान विष्णु इनकी शय्या पर सोते है |





महाकाल की नगरी उज्जैन में ऐसा ही एक मंदिर है जो नाग देवता को समर्प्रित है | यह मंदिर पुरे साल में बस एक बार खुलता है | वह दिन नागो की पूजा का दिन नागपंचमी का होता है | इस मंदिर का नाम नागचंद्रेश्वर है | देश विदेश से दर्शन करने आते है भक्त | यह मंदिर रात 12 बजे खुलता है और पूरी विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है |


कहाँ है यह नागचंद्रेश्वर मंदिर
यह अनोखा मंदिर उज्जैन में स्थित महाकाल मंदिर के तीसरी मंजिल पर स्थित है | प्रबल मान्यता है की नाग पंचमी के दिन इस मंदिर में स्वयं नाग राज तक्षक मौजूद रहते है | मंदिर एक दिन के लिए 24 घंटे खुला रहता है |

मंदिर का इतिहास


इस मंदिर में भगवान शिव और माँ पार्वती की प्रतिमा के फन फैलाये नाग पर विराजमान है | यह पहला मंदिर है जहा शिव और पार्वती नाग पर बैठे हुए है | यह प्रतिमा ग्यारवी शताब्दी की है जो नेपाल देश से लायी हुई बताई जाती है | इस मूर्ति के दाए बाए गणेश जी और कार्तिकेय भी बैठे हुए है | सभी प्रतिमाये एक ही स्लेटी रंग के पत्थर पर बनाई हुई है |


अनोखा और एकमात्र मेंढक मंदिर

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अनोखा और एकमात्र मेंढक मंदिर – यहा होती है मेंढक की पूजा

मेंढक मंदिर | Frog Temple
भारत में कई ऐसे मंदिर है जहाँ जानवरों की पूजा की जाती है। कुकुरदेव मंदिर में कुत्ते की पूजा तो एक तरफ मत्स्य देवी मंदिर में मछली की पूजा होती है | एक जगह ऐसी है जहा मंदिर का रक्षक एक मगरमच्छ करता है | अब तक हम आपको कई ऐसे मंदिरों के बारे में बता भी चुके है। इसी कड़ी में आज हम आपको बता रहे है भारत के एकमात्र ऐसे मंदिर के बारे में जहां मेंढक की पूजा की जाती है। आइए जानते है कहां है ये मंदिर और क्यों की जाती है मेंढक की पूजा ?





भारत का एक मात्र मेंढक मंदिर ( Frog Temple) उत्तरप्रदेश के लखीमपुर-खीरी जिले के ओयल कस्बें में स्तिथ है। बताया जाता है कि ये मंदिर करीब 200 साल पुराना है। मान्‍यता है कि सूखे और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा से बचाव के लिए इस मंदिर का निर्माण कराया गया था।

यह जगह ओयल शैव संप्रदाय का प्रमुख केंद्र था और यहां के शासक भगवान शिव के उपासक थे। इस कस्बे के बीच मंडूक यंत्र पर आधारित प्राचीन शिव मंदिर भी है।

यह क्षेत्र ग्यारहवीं शताब्‍दी के बाद से 19वीं शताब्‍दी तक चाहमान शासकों के आधीन रहा। चाहमान वंश के राजा बख्श सिंह ने ही इस अद्भुत मंदिर का निर्माण कराया था।

तांत्रिक ने किया मंदिर का वास्तु
मंदिर की वास्तु परिकल्पना कपिला के एक महान तांत्रिक ने की थी। तंत्रवाद पर आधारित इस मंदिर की वास्तु संरचना अपनी विशेष शैली के कारण मनमोह लेती है। मेंढक मंदिर में दीपावली के अलावा महाशिवरात्रि पर भी भक्‍त बड़ी संख्‍या में आते हैं।




कैसे पहुंचे
लखीमपुर से ओयल 11 किमी दूर है। यहां जाने के लिए आपको पहले लखीमपुर आना होगा। आप बस या टैक्सी करके लखीमपुर से ओयल जा सकते हैं। यदि आप फ्लाइट से आना चाहें तो यहां से सबसे नजदीकी एयरपोर्ट लखनऊ 135 किमी दूर है। यहां से आपको UPSRTC की बसें लखीमपुर के लिए मिल जाएगी।


ऐसा शिवलिंग जहा भक्त चढाते है झाड़ू

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शिवलिंग पर चढाते है झाड़ू





एक ऐसा शिवलिंग जहा भक्त चढाते है झाड़ू और यह झाड़ू कर देती है उनके त्वचा के रोगों को खत्म |
कहाँ है यह शिवलिंग :
मुरादाबाद और आगरा  राजमार्ग पर  गाँव सदत्बदी में भोलेनाथ का एक प्राचीन मंदिर जो पातालेश्वर मंदिर के नाम से प्रसिद्द है | यहा पर स्थित है एक दिव्य शिवलिंग जिसपे झाड़ू चढाने से  त्वचा रोग ठीक हो जाते है | यह मंदिर अति प्राचीन है और यह परम्परा भी सदियों से चल रही है |

झाड़ू चढाने के पीछे की लोक कथा :
इस गावं में  एक भिखारीदास नाम का अमीर व्यापारी रहता था | एक बार वो त्वचा रोग से ग्रसित हो गया | नीम हकीम वैद भी उसे इस रोग से मुक्त नही करा पा रहे थे |




एक दिन वो किसी रास्ते से गुजर रहे थे और उन्हें प्यास लगी | पास ही किसी शिव के भक्त संत का आश्रम था | भिखारीदास जी आश्रम में पहुंचे और संत से पानी पिलाने को बोले | संत उस समय आश्रम की झाड़ू से सफाई कर रहे थे | सफाई करते करते उनकी झाड़ू व्यापारी को छु गयी | व्यापारी के शरीर में एक तरंग सी गयी और देखते ही देखते उनके त्वचा रोग ठीक हो गये | व्यापारी इस चमत्कार को देखकर संत के चरणों में पड़ गये और उन्हें धन दौलत से तोलने की बात करने लगे |

संत ने उन्हें समझाया की यह सब भोले बाबा की कृपा है और वे तो बस उनके दास है | यदि तुम कुछ करना चाहते हो तो बस इस आश्रम में शिव मंदिर बना दो | आदेश के अनुसार व्यापारी ने वहा शिव मंदिर का निर्माण किया |

व्यापारी के ठीक होने की खबर गावं में फ़ैल गयी और तब गावं वालो ने शिवलिंग पर झाड़ू चढ़ाना शुरू कर दिया |

इस चमत्कार के पीछे एक कहानी बताई जाती है कि गांव में कभी एक भिखारीदास नाम का एक व्यापारी रहता था, जो गांव का सबसे धनी व्यक्ति था और वह त्वचा रोग से ग्रसित था। उसके शरीर पर काले धब्बे पड़ गये थे, जिनसे उसे पीड़ा होती थी।

एक दिन वह निकट के गांव के एक वैद्य से उपचार कराने जा रहा था कि रास्ते में उसे जोर की प्यास लगी। तभी उसे एक आश्रम दिखाई पड़ा। जैसे ही भिखारीदास पानी पीने के लिए आश्रम के अंदर गया वैसे ही आश्रम की सफाई कर रहे महंत के झाड़ू से उसके शरीर का स्पर्श हो गया। झाड़ू के स्पर्श होने के क्षण भर के अंदर ही भिखारीदास का दर्द ठीक हो गया। जब भिखारीदास ने महंत से चमत्कार के बारे में पूछा तो उसने कहा कि वह भगवान शिव का प्रबल भक्त है। यह चमत्कार उन्हीं की वजह से हुआ है। भिखारीदास ने महंत से कहा कि उसे ठीक करने के बदले में सोने की अशर्फियों से भरी थैली स्वीकार करे। किन्तु महंत ने अशर्फी लेने से इंकार करते हुए कहा कि वास्तव में अगर वह कुछ लौटाना चाहते हैं तो आश्रम के स्थान पर शिव मंदिर का निर्माण करवा दें। कुछ समय बाद भिखारीदास ने वहां पर शिव मंदिर का निर्माण करवा दिया। धीरे-धीरे मान्यता हो गई कि इस मंदिर में दर्शन कर झाड़ू चढ़ाने से त्वचा के रोगों से मुक्ति मिल जाती है।




आज यहाँ इस तरह के हज़ारों लोग आते हैं जो त्वचा रोग से पीड़ित हैं और आसपास के लोग यह भी बताते हैं कि अधिकतर लोगों को यहाँ आने और झाड़ू चढ़ाने के बाद, इस रोग से मुक्ति भी मिलती है। लेकिन भगवान शिव की महिमा तो वैसे भी अपरम्पार है तो यहाँ लोग त्वचा रोग के अलावा, अपने और सभी दुःख भी लेकर आते हैं।

इस चमत्कारिक शिवलिंग में लाखों लोग सालभर में आते हैं और अपने दुखों से मुक्ति प्राप्त करते हैं।


यहाँ आत्मा शांति हेतु पिंड दान नहीं बल्कि होता है शिवलिंग दान

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जंगमवाड़ी मठ – वाराणसी

वाराणसी का सबसे प्राचीन मठो में से एक है जंगमवाड़ी मठ | सदियों से यहा अपने पूर्वजो की शांति के लिए एक परम्परा चल रही है शिवलिंग दान की | यह मठ 50,000 फीट में फैला हुआ है और हर जगह शिवलिंग के दर्शन प्राप्त होते है |
जंगमवाड़ी मठ  में शिवलिंगों को लेकर अलग परम्परा


इस मठ में शिवलिंगों को लेकर एक अनोखी धार्मिक परम्परा चल रही है | यहा भक्त अपनों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान की तरह शिवलिंग का दान करते है | यह मंदिर इसी कारण शिवलिंगों से भरा हुआ है , यहा लाखो  शिवलिंग भक्तो द्वारा समर्प्रित किये गये है |

यहा विशेष शिव मंत्रो के साथ विधि विधान से शिवलिंग का दान लिया जाता है और मान्यता है की शिव कृपा से आत्मा को शांति प्राप्त होती है | यहा सावन के महीने में सबसे बड़े शिवलिंगों के दान होते है |


यह मठ दक्षिण भारतीयों के द्वारा बनाया गया है और उन्ही के द्वारा यह परम्परा शुरू की गयी जो अब सभी भक्त निभाने लग गये है | ऐसा अनुमान है की यह दो सौ सालो से चल रह परम्परा चल रही है |


धार्मिक सप्तपुरी नगर – आस्था से परिपूर्ण भारत के 7 शहर

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7 Most Religious Cities Of India : भारत के 7 सबसे पवित्र और धार्मिक शहर
सनातन धर्म में भारत के मुख्य धार्मिक सात नगरों को बहुत पवित्र और आस्था से परिपूर्ण बताया गया है | इन्हे धार्मिक  सप्तपुरी भी कहा जाता है । भगवान कृष्ण , श्री राम , शिव और विष्णु से इन शहरों का सम्बन्ध है | यहा देवताओ ने कई लीलाए की है | इन सभी धार्मिक शहरो के नाम भारत के प्राचीन धर्म ग्रंथो में बड़े आदर के साथ लिए जाते है |

आइये जानते है भारत में वे कौनसे सबसे पवित्र और धार्मिक 7 नगर (शहर ) है |


1. अयोध्या :

राम जन्मभूमि अयोध्या
यह नगरी प्रभु श्री राम को जन्म देनी वाली सूर्यवंशी राजाओ की है | सप्त धार्मिक नगरो में इसे पहला स्थान दिया गया है | वेद तो इसे प्रभु की नगरिया बताते है | सरयू नदी के तट पर उत्तर प्रदेश में फैजाबाद जिले में है अयोध्या की राममय नगरिया |


2. मथुरा :

भगवान श्री कृष्ण ने अपना बाल्यकाल यही व्यतीत किया | उनकी शरारती और मन को छूने वाली बाल लीलायो की यह स्थली रहा है | यहा कण कण में कृष्णा की भक्ति की गंगा बहती है | इनकी पूजा के लिए बहुत सारे प्रसिद्ध मंदिर है |

3. हरिद्वार :

हरिद्वार
प्राचीन काल में हरिद्वार को  मायापुरी कहा जाता था | यहा गंगा का प्रसिद्ध मंदिर है जो गंगा के घाट हर के पैडी के पास बना हुआ है | यहा रोज संध्या को गंगा आरती का भव्य आयोजन किया जाता है जो देखने दूर दूर से भक्त आते है | यहा पंडित मरने वाले व्यक्तियों की शांति के लिए पूजा अर्चना करवाते है | पढ़े : हरिद्वार के दर्शनीय स्थल

4. काशी :
पुराणों में बताया गया है यह नगरी अमर है और भगवान शिव के त्रिशूल पर टिकी हुई है | जब प्रलय आएगी भगवन अपने त्रिशूल को उठा कर इस काशी  को बचा लेंगे | इस नगरी में मरने वाले व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है | यहा भगवान शिव काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग रूप में  भक्तो को दर्शन देते है |


5. कांची :
यह मंदिरों का शहर है जो तमिलनाडु में पड़ता है | काचीअम्पाठी और कांची इसी के नाम है | भगवान विष्णु और शिवजी के बड़े प्रसिद्ध मंदिर यहा स्थित  है | कामाक्षी अम्मा मन्दिर, वरदराज पेरूमल मंदिर ,  कुमारकोट्टम, कच्छपेश्वर मन्दिर, कैलाशनाथ मन्दिर, एकाम्बरनाथ मन्दिर यहा के मुख्य मंदिर है |

6. उज्जैन :
महाकाल की नगरी उज्जैन जो मोक्षदायिनी शिप्रा नदी के तट पर स्थित है | काशी के बाद इसे शिवधाम माना जाता है | यहा गोपाल मंदिर , हरसिद्धि माता का शक्तिपीठ , काल भैरव मंदिर , चार धाम मंदिर विख्यात है |

7. द्वारका :
भगवान ने महाभारत के युद्ध के बाद इसे अपनी नगरी बना लिए और अंत तक यही वास करने लग गये | द्वारकाधीश यही पर इनका नाम पड़ा | सागर के तट पर बनी द्वारका बहुत बार जल विलीन हुई है जिसके अवशेष आज भी दिखाई देते है | भारत के चार धामों में और सप्तपुरी दोनों में द्वारका का नाम आता है |


सिमसा माता मंदिर, जहा मिलता है संतान प्राप्ति का आशीर्वाद

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सिमसा माता मंदिर





हिमाचल में एक सिमसा मंदिर ऐसा है जो बाँझ महिलायों को संतान होने का आशीष प्रदान करता है | दूर दूर से परेशान महिलाये माँ की चोखट पर संतान प्राप्ति का आशीष लेने इस मंदिर में आती है |

रात्रि को सोते है मंदिर के फर्श पर :

रात्रि में यहा महिलाये मंदिर के फर्श पर सोती है और माँ से संतान की अरदास लगाती है | सिमासा माता उन्हें स्वपन में इशारे के रूप में आशीष प्रदान करती है | नवरात्रि में यहा विशेष उत्सव भरता है |

कैसे इशारे मिलते है महिलायों को :

महिलाये स्वप्न में यदि फल फुल देखती है तो यह माना जाता है की उनके संतान अवश्य होगी | इतना ही नही बच्चा या बच्ची होगी , माता सिमसा यह भी प्रतीक रूप में बताती है | यदि किसी को अमरूद , टमाटर ,  दिखे तो समझे ले की उसे लड़का होगा और यदि लोकी , भिन्डी दिखे तो समझ ले की उन्हें लड़की होगी |


यदि धातु , पत्थर या लकड़ी दिखाई दे तो समझ ले की उस महिला के भाग्य में संतान योग नही है |

चमत्कारी पत्थर भी इस मंदिर में :

इस मंदिर में रखे पत्थर भी भक्तो में आश्चर्य का विषय है | इन पत्थरो को आप शक्ति से दोनों हाथो से हिलाना चाहोगे तो यह नही हिलेंगे पर यदि आपने आस्था के साथ   छोटी ऊँगली से हिलाने की कोशिस करेंगे तो पत्थर हिल जायेंगे |


संतान प्राप्ति के उपाय लाल किताब से

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लाल किताब के अनुसार संतान प्राप्ति के उपाय
संतान प्राप्ति कर हर माता पिता अपने जीवन को पूर्ण करना चाहते है । कहते है पितृ ऋण तभी उतरता है जब संतान हो | हर स्त्री के माँ बनने की इच्छा होती है। हर कोई यह चाहता है की उनके आँगन में भी बच्चो की किलकारी हो लेकिन कुछ दंपति इस सुख से वंचित रह जाते हैं। संतान नहीं होने के कई कारण हो सकते है उनमे से एक है


अशुभ ग्रहों का प्रभाव। लाल किताब के अनुसार ग्रहों के अशुभ प्रभाव को छोटे-छोटे उपाय करके दूर किया जा सकता है।



1. अगर संतान प्राप्ति में सूर्य बाधक हो तो :
हनुमान जी को चोला चढ़ाये, चने का भोग लगाए या बंदरो को फल खिलाये।
2. अगर संतान प्राप्ति में चन्द्र बाधक हो तो :

अपने शयन कक्ष में पलंग के नीचे ताम्बे की प्लेट रखे।
बरसात का जल बोतल में भर कर घर में रखे।

3. अगर संतान प्राप्ति में मंगल बाधक हो या गर्भस्थ में बीच में तकलीफ आ रही हो तो :

मंगलवार के दिन हनुमानजी के पैरो में नमक छुआकर स्त्री के कमर में बांध ले।
चारपाई या पलंग के सभी पायो में ताम्बे की किल ठोकनी चाहिए।

4. अगर संतान प्राप्ति में बुध बाधक हो तो :

चतुर्थी के दिन चांदी खरीद कर धारण करे।
स्नान में कूट का प्रयोग करे।
5. अगर संतान प्राप्ति में गुरु बाधक हो तो :



गुरूवार को केसर का तिलक चन्दन के साथ करे एवं पीली हल्दी, पीला चन्दन गुरु मंदिर में दान करे।
6. अगर संतान प्राप्ति में शुक्र बाधक हो तो :

सफ़ेद कपडे में चन्दन, इत्र, दही एवं सुघंदित सफ़ेद फुल रखकर  कृष्ण मंदिर में दान करे।
शुक्रवार के दिन जल में दूध डालकर स्नान करे।
7. अगर संतान प्राप्ति में शनि बाधक हो तो :

काले तिल जमीन में दबा दे एवं लोहे की कील, चाक़ू, शनि मंदिर में दान करे।
शनि मंदिर में १० बादाम चढ़ा कर उसमे से ५ बादाम घर में लाकर रखे बाद में १ या २ साल के बाद कभी भी नदी में प्रवाहित कर सकते है।
8. अगर संतान प्राप्ति में राहू बाधक हो तो :

अपने पास चांदी का चौकोर पतरा रखे एवं लोहे की अंगूठी दाए हाँथ की मध्यमा उंगली में धारण करे।
अपनी पत्नी से दुबारा शादी करे।
9. अगर संतान प्राप्ति में केतु बाधक हो तो :

किसी गरीब व्यक्ति को कम्बल का दान बुधवार के दिन करे एवं मंगलवार के दिन दोपहर में शीशे की अंगूठी गौ मूत्र में धोकर दाए हाँथ की कनिष्ठिका उंगली में धारण करे।
बुधवार के दिन मसूर की दाल दान करे।

लाल किताब के अनुसार संतान संबंधी सामान्य उपाय:
स्त्री के गर्भवती हो जाने के दिन से उसके बाजू  पर लाल धागा बांधे जो बाद में संतान के जन्म होने के उपरांत बच्चे को बांध दे। माता को पुनः नया लाल धागा बांध दे। यह धागा बच्चे को 18 महीने तक बांधे रखे। यह चमत्कारी धागा बच्चे को पीड़ा बीमारी से बचाता है और उसकी आयु बढाता है । अन्य उपायों में :-
गौ माँ को रोटी दे ।
संतान वृद्धि के लिए गणेश स्तुति और उपासना उत्तम है।
राहू अशुभ होने पर संतान जन्म से पूर्व जौ का पानी बोतल में बंद कर के रख लेने पर प्रसव सरलता से हो जाता है।
घर से सौ या अधिक दिन बहार रहना हो तो नदी पार करते समय ताम्बे का सिक्का नदी में डालने से संतान कष्ट से रक्षा होती है।
दिन में मीठी रोटिया तंदूर में लगवाकर कुत्ते को खिलाये। मीठी रोटी लोहे के तवे पर न बनाकर तंदूर में ही लगवाये।
बच्चे जन्म होकर न बचते हो तो जन्म होने पर मीठा न बाटकर नमकीन वस्तु बांटे।
बच्चे के जन्म से पूर्व बर्तन में दूध व दुसरे बर्तन में खांड स्त्री का हाथ लगाकर रख ले। बच्चा बिना किसी भय के आराम से होगा । बाद में बर्तन समेत दोनों वस्तुए धर्मस्थल में दे दे .अधिक प्रयोग में आने वाले बर्तन से लाभ अधिक रहेगा।


हनुमान चालीसा की चमत्कारी चौपाइयाँ

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हनुमान चालीसा के चमत्कारी दोहे और चौपाइयाँ
वैसे तो गोस्वामी तुलसीदास जी के रचित हनुमान चालीसा के सभी चालीस चौपाइयाँ दोहे अपने आप में सिद्ध मन्त्र की तरह काम करते है | फिर भी कुछ चौपाइयाँ ऐसी चमत्कारी है जो सटीक आपकी विनती हनुमानजी के चरणों में पहुंचा देते है | हनुमान चालीसा का पाठ दु:खो का निवारण करने वाला महा शक्तिशाली पाठ है |




पहली चौपाई

बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरो पवन कुमार।

बल बुद्धि विद्या देहु मोहि हरेहू कलेश विकार।


इस दोहे में बताया गया है की हे पवन पुत्र श्री हनुमान , हमें मतिहीन मान कर हमारे सुमिरन को स्वीकार करे और हमें बल बुद्धि और विद्या प्रधान करे और हमारे सभी दुःख कलेश और व्याधियो को दूर करे |
दूसरी चौपाई

नासे रोग हरे सब पीरा।

जो सुमिरे हनुमंत बलबीरा।।

इस चौपाई के माध्यम से बताया गया है की हनुमान जी के नाम को सुमिरण करने से बड़ी से बड़ी बीमारी रोग पीड़ा दूर हो जाते है |

तीसरी चौपाई

अष्ट-सिद्धि नवनिधि के दाता

अस बर दीन जानकी माता।।

जिनकी माता जानकी (सीता ) है वे हनुमानजी अष्ट सिद्धि और नव निधि के दाता है |

चौथी चौपाई

भीम रूप धरि असुर संहारे।

रामचंद्रजी के काज संवारे।।




महाविशाल काय रूप धारण करके आपने दानवो का संहार किया और अपने प्रभु श्री राम जी के सभी कार्यो को पूर्ण किया | उनके विध्नो को दूर करके आपने उन्हें सफलता दिलवाई |

कैसे करे इन दोहों का प्रयोग :
बालाजी के मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी के मंदिर में जाकर अपने अंतर्मन से इन दोहों को अर्थ सहित सुमिरण करे | राम भक्त हनुमान को उनकी शक्ति याद दिलाये और अपने दुःखो का हरण करने की विनती करे |


एकादशी पर क्या नही करें

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हमारे हिन्दू धर्म में वैष्णव सम्प्रदाय के लिए एकादशी का बहुत ज्यादा महत्व है | हर माह दो एकादशी आती है एक कृष्ण पक्ष की और दूसरी शुक्ल पक्ष की | इन दोनों में शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी की महिमा ज्यादा है | एकादशी को हम ग्यारस के नाम से भी जानते है |


धार्मिक ग्रंथो से वे क्या क्या काम है जो एकादशी पर नही करने चाहिए ?
एकादशी पर चावल खाना मना है |
एकादशी पर दातून (मंजन) करना भी मना है |
एकादशी पर क्रोध ना करे , ना ही किसी से मानसिक और शारीरिक रूप से लड़ाई करे | किसी को भला बुरा भी ना बोले |


एकादशी पर मदिरापान , मांस खाना वर्जित है |
इस दिन झूठ ना बोले ना ही लालच करे |
इस दिन किसी की निंदा ना करे ना ही किसी को किसी के लिए भड़काए |
भगवान विष्णु की भक्ति में ज्यादा से ज्यादा समय बिताये | हो सके तो रात्रि में भी उनके भजन और स्तुति करे |
इस दिन पान सुपारी नही खानी चाहिए | यह मनुष्य के रजोगुण को बढाती है |
स्त्री के साथ संसर्ग करना भी वर्जित है , ऐसा करने से आपके मन में काम की भावना प्रबल रहती है और ईश्वर की भक्ति में मन नही लगता |
एकादशी के दिन सूर्योदय से पूर्व नहा कर विष्णु के मंत्रो का जप करे


भगवान विष्णु करते है रक्षा – नारायण कवच

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भगवान विष्णु करते है रक्षा – नारायण कवच

त्रिदेवो में भगवान विष्णु को जगत का पालनहार बताया गया है | यह भरण पोषण करने वाले देवता है | यदि आपको आर्थिक रूप से मजबूत होकर वैभवशाली जीवन जीना है तो भगवान श्री विष्णु और उनकी पत्नी धन की देवी माँ लक्ष्मी की कृपा का पात्र बनना ही पड़ेगा |




विष्णु को हम हरि , नारायण आदि नामो से जानते है | त्रिलोको की रक्षा और अधर्म का नाश करने के लिए भगवान विष्णु ने अवतार धारण किये है | ये अपने भक्तो के रक्षक है | यह दुःख हरने वाले और भक्तवत्सल है |
नारायण कवच की महिमा
इस पाठ में भक्त भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए अपनी रक्षा हेतु विष्णु के सभी अवतारों से रक्षा मांगते है | जल भाग से विष्णु का मत्स्य अवतार , थल से वामन अवतार आकाश में त्रिविक्रम भगवान उन्हें रक्षा प्रदान करते है | पहाड़ो पर रक्षा परशुराम जी , रास्ते में रक्षा वराह देव आदि करते है |




इन्द्र ने नारायण कवच की धारण कर दैत्यों को हराया
एक बार देवासुर संग्राम में स्वर्ग के राजा इन्द्रदेव ने नारायण कवच का पाठ करके अपने शरीर पर नारायण रक्षा का ढाल बना लिया और फिर बड़े बड़े दैत्यों को युद्ध में हरा दिया |

कवच के मंत्रो में इतनी शक्ति होती है की इसका पाठ करके यदि किसी के शरीर पर मंत्र फूंक दे तो कोई अस्त्र शस्त्र उसे पीड़ा नही दे सकता |


टोना टोटके और काला जादू से बचने के उपाय

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काला जादू , टोने टोटके से बचने के उपाय
तंत्र शास्त्र में काले जादू , टोने टोटके वशीकरण सम्मोहन मारण आदि शब्द भी आते है जो नकारात्मक शक्तियों के परिणामो के घोतक है | यह जिस व्यक्ति पर लागू किया जाता है उसकी मानसिक अवस्था बिगर जाती है और अजीबोगरीब हरकते करने लगता है | तंत्र विद्या में मार और सम्हाल दोनो उपलब्ध है। अर्थात इसमें तांत्रिक क्रियाओं से बचाव हेतु उसका काट भी मौजूद है।



जादू-टोना तंत्र के लक्षण :



पहले तो यह अच्छे से जान ले की जिस व्यक्ति पर आपको संदेह है , कही वो किसी बीमारी से ग्रसित तो नही है | फिर जांचे की उस व्यक्ति की कुण्डली में कोई ग्रह अशुभ फल तो नही दे रहा | यदि कुण्डली और चिकित्सक जांच सही आये और व्यक्ति की हालत में कोई सुधार ना हो तब हो सकता है की किसी ने उसके ऊपर काला जादू , तंत्र मंत्र किया हो |
आइये जानते है की काला जादू टोना होने पर व्यक्ति के लक्षण कैसे हो जाते है |

पीड़ित व्यक्ति का स्वयं पर नियंत्रण नहीं रहता | वो स्वयं को और दुसरे को शारीरिक मानसिक नुकसान पहुंचा सकता है |
व्यक्ति के शरीर के हिसाब से उसमे अधिक बल आ जाता है |
उसके नेत्रों में जलन , बार बार पेशाब आना और उदासीन और गुमसुम रहना शुरू कर देता है |
पीड़ित व्यक्ति गुस्से वाला , चिडचिडा हो जाता है |
चेहरा कांतिहीन तथा पीला हो जाता है पर भूख ज्यादा लगती है |
जादू-टोने टोटके दूर करने के उपाय

गाय के घी, पीली सरसो, कपूर तथा गुग्गल का धूप बनाकर सूर्यास्त के समय गाय के गोबर से बने उपलों की सहायता से जलाएं। यह धुनी 21 दिनों तक घर में दे । यह घर से नकारात्मक शक्तियों को दूर करने में रामबाण ईलाज है |
केसर, गायत्री तथा जावित्री को कूटकर चूर्ण बना लें तथा उसमें गुग्गल मिश्रित कर प्रातः काल तथा संध्या काल निरंतर 21 दिनों तक घर में धूप दें।
चार गोमती चक्र लेकर शुक्ल पक्ष के बुधवार को पीड़ित व्यक्ति के ऊपर उतारकर चारो दिशा में फेंक दें।
घर में हनुमान चालीसा की चमत्कारी चौपाइयो का सुबह और शाम पीड़ित के सामने पाठ करे ।


नियमित रूप से अपने घर में गौ मूत्र और गंगा जल  छिड़कैं।
घर के बगीचे में आक तथा तुलसी का पौधा लगाएं।
नित्य गणेश जी को एक साबुत सुपारी अर्पित करें तथा गरीब को कटोरी भर अन्न दान करें।
रविवार के दिन काले धतूरे की जड़ ले और उसका ताबीज बनाकर पीड़ित व्यक्ति को पहनाये |
लहसून के रस में हींग मिलाकर पीड़ित को सुंघा दें।
पीड़ित व्यक्ति को नारायण कवच का पाठ कराये |