बबूल पेड़ के प्रेम से थामी कृष्ण ने बाँसुरी
कृष्णा हर दिन एक बाग़ में जाया करते थे और उस बाग़ के सभी पुष्पों को प्यार किया करते थे | बदले में वे सभी पुष्प भी कृष्णा की तरफ अपना प्यार दर्शाया करते थे | उन सभी पुष्पों के चेहरों पर कृष्ण को देखकर एक मधुर मुस्कान आ जाया करती थी |
उसी बाग़ में एक बबूल का पेड़ भी था पर कृष्ण से उसे वो प्यार नही मिल पा रहा था जो अन्य सभी पुष्पों को मिल जाता था | एक दिन बबूल ने अपनी यह व्यथा उन्हें सुनाई |
कृष्णा ने कहा की तुम यदि मेरा प्यार चाहते हो तो तुम्हारे अंगो को मेरे लिए बलिदान करना होगा और ऐसा करने से तुम्हे बहुत दर्द होगा | बबूल ने कहा की प्रभु आपके लिए जीवन में दर्द सहना भी मेरे लिए परम आनदं के तुल्य है |
कृष्ण ने यह बात सुनकर मुस्कुराये और बबूल के पेड़ की एक शाखा काट दी | बबूल दर्द से बेहाल हो रहा था पर कृष्ण के हाथो के स्पर्श से उसे आनंद भी आ रहा था | कृष्ण ने उस शाखा से एक सुन्दर सी बांसुरी बना दी | बबूल के इस बलिदान के कारण कृष्ण इसे हमेशा अपने पास रखते और इसे बहुत प्यार करते |
गोपिया यह देखकर कृष्णा से बहुत नाराज होती की प्रभु इस बांसुरी में ऐसा क्या है की यह आपके साथ ही सोती है आपके साथ ही जगती है और हमेशा आपके साथ ही रहती है |
तब कृष्ण ने गोपियों से कहा की तुम यह बात इस बबूल की बांसुरी से ही पूछो |
तब बांसुरी ने कहा की मैंने तो पूर्ण रूप से अपने आप को भगवान कृष्णा को समर्प्रित कर दिया है अब यह इनके ऊपर है यह मुझे किस तरह रखते है | मैं अन्दर से बिलकुल खाली हूँ |
इस कहानी से हम्हे भी यह सीख मिलती है की प्रभु को अपना सब कुछ दे दो बस प्रभु फिर आपको अपना सब कुछ दे देंगे | और इस तरह भक्त और भगवान का एक प्यारा रिश्ता जुड़ जाता है |
Tuesday, 6 November 2018
बबूल पेड़ के प्रेम से थामी कृष्ण ने बाँसुरी
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