Monday, 10 September 2018
कुंडली मै सन्यास योग
सन्यास योग
यदि जन्म -कुंडली में चार, पांच, छह या सात ग्रह एकत्रित होकर किसी स्थान में बैठे हों तो जातक प्रायः सन्यासी होता है । परन्तु ग्रहों के साथ बैठने से ही सन्यासी योग नहीं होता है वरन उन ग्रहों में एक ग्रह का बली होना भी आवश्यक है । यदि बली ग्रह अस्त हो तो भी ऐसा जातक सन्यासी नहीं होता है । वह केवल किसी विरक्त या सन्यासी का अनुयायी होता है ।
यदि बली ग्रह अशुभ ग्रहों की दृष्टि में होता है तो ऐसा जातक सन्यासी बनने का इच्छुक तो होता है लेकिन उसे दीक्षा नहीं मिलती है ।
सन्यास -योग के लिए मूल रूप से निम्न तथ्यों का ध्यान रखना चाहिए
चार या चार से अधिक ग्रहों का एक स्थान पर बैठना ।
उनमें से किसी एक ग्रह का बली होना ।
बली ग्रह का अस्त न होना ।
हारे हुए बली ग्रह पर अन्य ग्रह की दृष्टि न पड़ती हो ।
उन ग्रहों में से कोई दशमाधिपति हो ।
कुछ और योग
यदि लग्नाधिपति पर अन्य किसी ग्रह की दृष्टि न हो लेकिन लग्नाधिपति की दृष्टि शनि पर हो तो सन्यास योग बनता है ।
यदि शनि पर किसी ग्रह की दृष्टि न हो और शनि की दृष्टि लग्नाधिपति पर पड़ती हो तो सन्यास योग होता है ।
चन्द्रमा जिस राशि पर हो उस राशि के स्वामी पर किसी ग्रह की दृष्टि न हो लेकिन उसकी दृष्टि शनि पर हो तो जातक शनि या जन्म राशि में से जो बली हो उसकी दशा -अन्तर्दशा में दीक्षा ग्रहण करता है ।
चन्द्रमा जिस राशि में हो ,उसका स्वामी निर्बल हो और उसपर शनि की दृष्टि पड़ती हो तो सन्यास-योग होता है ।
यदि शनि नवम भाव में हो उस पर किसी ग्रह की दृष्टि न हो तो जातक यदि राजा भी हो तो भी सन्यासी हो जाता है ।
यदि चन्द्रमा नवम भाव में हो और उसपर किसी भी ग्रह की दृष्टि न हो तो जातक राजयोग होते हुए भी सन्यासियों में राजा होता है ।
यदि लग्नेश वृहस्पति , मंगल या शुक्र में से कोई एक हो और लग्नेश पर शनि की दृष्टि हो तो और वृहस्पति नवम भाव में बैठा हो तो जातक तीर्थनाम का सन्यासी होता है
यदि लग्नेश पर कई ग्रहों की दृष्टि हो और दृष्टि डालने वाले ग्रह किसी एक राशि में ही हों तो भी सन्यास योग बनता है ।
यदि दशमेश अन्य चार ग्रहों के साथ केंद्र त्रिकोण में हो तो जातक को जीवन-मुक्ति होती है ।
यदि नवमेश बली होकर नवम अथवा पंचम स्थान में हो और उस पर वृहस्पति और शुक्र की दृष्टि पड़ती हो या वह वृहस्पति और शुक्र के साथ हो तो जातक उच्च स्तर का सन्यासी होता है ।
यदि सन्यास देने वाले ग्रह के साथ सूर्य,शनि और मंगल हों तो जातक दुनियादारी से घबराकर और जीवन से निराश होकर सन्यासी बन जाता है ।