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Wednesday, 7 November 2018

क्या वास्तव मे इस्लाम धर्म मे नारी की स्थिति दयनीय है

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इस दुनिया के सभी धर्म और धर्म प्रचारको का मुख्यत एक ही प्रमुख उद्देश्य रहा है वो है प्रेम, सद्भावना और भाईचारे को बढ़ाना और द्वेष , क्रोध और लालच को कम करना।

इस्लाम धर्म का उदय अरब मे हुआ। इस्लाम के आने से पूर्व वह की ओरतो की स्थिति बहित दयनीय थी। ज्यादातर लोग तो लड़की के पैदा होते ही उसे मार दिया करते थे क्योंकि उस वक्त जो भी शक्तिशाली समूह या व्यक्ति होता था वह लड़की के बड़े होने पर उसे जबरन उठा ले जाते थे जिस वजह से लोग लड़की होना यानी बदनामी की वजह मानते थे।
लोग ताकत और लड़ाई के बल पर 200 ओरतो से भी शादी किया करते थे या बिना शादी के ही उन्हें खुद के ऐशो और हवस के लिए इस्तमाल किया करते थे । कई बार पिता की बीवियों को , पिता के देहांत के बाद उनके पुत्र खुद शादी कर लिया करते थे। तो स्त्री को न तो जीवनसाथी चुनने का अधिकार था, न शादी से इनकार करने का और न ही उन्हें किसी प्रकार की जायदाद या सम्पदा रखने का अधिकार प्राप्त था वास्तव मई उस वक्त स्त्री और जानवर की स्थिति मे कोई फर्क नहीं था

परन्तु इस्लाम के आने से उन्हें अपना जीवनसाथी स्वीकार या अस्वीकार करने का अधिकार दिया गया। और हर स्त्री को यह अधिकार प्राप्त हुआ के वह यदि चाहे को शादी से इनकार करे या कबूल करे।

उन्हें तलाक की स्थिति मे हक़ मेहर देना भी इस्लाम मे जरुरी कर दिया गया ताकि वह तलाक के बाद भी अपना जीवन निर्वाह कर सके।

और साथ ही पुरषो पे भी 4 शादियों से अधिक शादियों पे पाबन्दी लगाई गई
इसके आलावा इस्लाम में एक औरत जो की माँ हो उसका स्थान पिता से तीन पायदान ऊपर है, इस्लाम मे माँ का स्थान सब रिश्तों मे पहला है और दूसरा और तीसरा  स्थान भी माँ को ही दिया गया ताकि माँ के महत्त्व को सबसे ऊपर रखकर बताया जा सके।

यदि उस समय के परिपेक्षव को देकग जाए तो वास्तव मे  इस्लाम के आने से औरत की स्थिति मजबूत हुई हलाकि यह केवल अरब के बारे मई कहा जा सकता है क्योंकि भारत और बाकी के दुनिया में अलग अलग धर्म में औरत को अलग अलग तरह से इज्जत दी गई है

भारत इस्लाम धर्म का हिस्सा, बहुविवाह प्रथा और तलाक प्रथा का विरोध करता है कययकि तलाक उर्दू शब्द है और हिन्दू धर्म में कही भी तलाक के जैसा कुछ शब्द या स्थिति नहीं कही गई है। वाही बहुविवाह प्रचलन का भी हिन्दू लोग विरोध करते है क्योंकि श्री राम यदि एक पत्नी संग निर्वाह कर सकते है तो साधारण मनुष्य को भी ऐसा करना चाहिए

प्राचीन समय में महिलाओं को वेद पढ़ने की अनुमति क्यों नहीं थी?

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वैदिक काल के दौरान, पुजारियों ने लोगों को 4 वर्णों में वर्गीकृत किया।
चौथा वर्णा मे शुद्र और महिलाएं को शामिल किया गया था और इन्हें  वेदों का अध्ययन करने के अधिकार से वंचित कर दिया गया था। विशेष रूप से महिला के लिए उन्होंने सोचा कि यदि एक महिला अध्ययन करती है तो उसके पति की मृत्यु होने की संभावना है और वह विधवा बन जाएगी। इसके लिए कुछ अपवाद थे गर्गि जिसने वेदों का अध्ययन किया और सत्यकामा जबाला के लिए बहस में भाग लिया और एक शूद्र था, लेकिन उनकी उत्कृष्ट क्षमता के लिए उन्हें गौतम, पुजारी द्वारा छात्र के रूप में स्वीकार किया गया।


वेद में तीस महिला ऋषियो के नाम क्या हैं

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अपने ऋग्वेद सरवनुक्रामानी में कटयायण ने 27 ऋषिकों को निम्नानुसार सूचीबद्ध किया है, ये कह रहे हैं कि ये ब्राह्मणविनी या महिला वैदिक विद्वान हैं।

गोधा घोषा विश्ववार अपलोपनिनिनिषत
ब्राह्मणय जुहरुनाम एग्स्टेसिया स्वासा अदिति
इंद्रानी इंद्रमाता सी सरमा रोमाशोरवशी
लोपामुद्र सी नडियाशका यामी नारी सी शशवती
शिरलाक्ष सरपराज जी वक श्रद्धा मेधा सी दक्षिणा
रत्री सूर्य सी सावित्री ब्रह्मवादिन्या इरितः


क्या महिलाएं वेद सीख सकती हैं

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वेद और संबंधित ग्रंथ एक बहुत ही गौरवशाली और सम्मानजनक तरीके से महिलापन की स्थिति के बारे में गाते हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि दुनिया के सभी धार्मिक दर्शनों में केवल वेदों ने महिलाओं को मनुष्य के रूप में श्रेष्ठ माना है। अगर हम ईसाई धर्म और इस्लाम में महिलाओं की स्थिति की तुलना करते हैं तो वे महिलाओं को मनुष्यों के बराबर नहीं मानते हैं। अधिकांश पाठकों को अपने दिमाग में संदेह हो सकता है कि महिलाओं की हालत इतनी कमजोर थी और विशेष रूप से मध्य युग में तंग आ गई थी।

इस सवाल का जवाब यह है कि वैदिक युग में महिलाओं को पूरे समाज में सम्मानजनक स्थिति मिली, जबकि अज्ञानता की मध्य आयु में गिरावट और गिरावट का युग था। महिलाओं की स्थिति के बारे में ज्यादातर आपत्तियां सती प्रथा, दहेज, पॉलीगामी, व्यभिचार, शिक्षा की कमी, बाल विवाह, विधवा आदि जैसी ही मध्यम आयु से संबंधित हैं। जब लोग वेदों के निर्देशों का पालन करना बंद कर देते थे तो ये बीमार प्रथाएं प्रचलित थीं। वे वैदिक दर्शनशास्त्र के अनुपालन और अनुपालन के साइड इफेक्ट थे। इसलिए, गलती वैदिक ग्रंथों के लिए निष्क्रियता में जाती है।



वेदस इस तरह की स्थिति में महिलापन का सम्मान करते हैं कि वैदिक युग में कई महिलाएं वैदिक ऋषिक बन गईं।

वेद स्पष्ट रूप से उल्लेख करते हैं कि महिलाएं वेद पढ़ सकती हैं /सुन सकती हैं / किसी भी वैदिक मंत्र को पढ़ सकती हैं।


क्या महिलाओं को शंख नहीं बजाना चाहिए?

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शंख मूल रूप से दो प्रकार के होते हैं - दखिसिनवर्तती और वामावर्त। वे शक्तिशाली लोगों और उच्च प्राणियों से जुड़े हुए हैं। वे बिजली और सजावट से जुड़े हुए हैं। कई ग्रंथों में, हमने पढ़ा है कि योद्धाओं की ताकत और शक्ति दिखाने के लिए युद्धों में शंकों का उपयोग किया जाता था। पहले के दिनों में, यह माना जाता था कि शंक की मजबूत ध्वनि में ऊर्जा महिलाओं में प्रजनन दर कम करती है और यहां तक कि गर्भवती महिलाएं भी अपने बच्चों को गर्भ में खो सकती हैं। हालांकि आधुनिक समय में हम उन प्रकार के शक्तिशाली शंकों और उन्हें उड़ाने की क्षमता नहीं देखते हैं। लेकिन किसी भी तरह की ध्वनि, कंपन या कोई भावना जो मां सुनती है वह बच्चे के मनोविज्ञान को प्रभावित कर सकती है। \

बंगाल में, शादी के दौरान महिलाएं परंपरा के रूप में शंख उड़ाती हैं। चूंकि शंख की आवाज बुराई आत्माओं को दूर करने के लिए माना जाता है

मंत्र साधना करते समय सावधानियां

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मंत्र साधना करते समय सावधानियां
Y      मन्त्र तथा साधना को गुप्त रखें, ढिंढोरा ना पीटें, बेवजह अपनी साधना की चर्चा करते ना फिरें .
Y      गुरु तथा इष्ट के प्रति अगाध श्रद्धा रखें .
Y      आचार विचार व्यवहार शुद्ध रखें.
Y      बकवास और प्रलाप न करें.
Y      किसी पर गुस्सा न करें.
Y      यथासंभव मौन रहें.अगर सम्भव न हो तो जितना जरुरी हो केवल उतनी बात करें.
Y      किसी स्त्री का चाहे वह नौकरानी क्यों न हो, अपमान न करें.
Y      जप और साधना का ढोल पीटते न रहें, इसे यथा संभव गोपनीय रखें.
Y      बेवजह किसी को तकलीफ पहुँचाने के लिए और अनैतिक कार्यों के लिए मन्त्रों का प्रयोग न करें.
Y      ऐसा करने पर परदैविक प्रकोप होता है जो सात पीढ़ियों तक अपना गलत प्रभाव दिखाता है.
Y      इसमें मानसिक या शारीरिक रूप से विकलांग बच्चों का जन्म , लगातार गर्भपात, सन्तान ना होना , अल्पायु में मृत्यु या घोर दरिद्रता जैसी जटिलताएं भावी पीढ़ियों को झेलनी पड सकती है |
Y      भूत, प्रेत, जिन्न,पिशाच जैसी साधनाए भूलकर भी ना करें , इन साधनाओं से तात्कालिक आर्थिक लाभ जैसी प्राप्तियां तो हो सकती हैं लेकिन साधक की साधनाएं या शरीर कमजोर होते ही उसे असीमित शारीरिक मानसिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है | ऐसी साधनाएं करने वाला साधक अंततः उसी योनी में चला जाता है |


सर्व वशीकरण मंत्र :

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सर्व वशीकरण मंत्र :-  ” ॐ ह्रीं क्लीं आमुकं आकर्षण मम् वश्यं कुरु स्वाहा ” | कुंकुंम ,केशर व चन्दन के घोल मिश्रित कर एक भोजपत्र के ऊपर एक गुडिया का चित्र बनाये | तत्पश्चात किसी शुभ दिन तथा नक्षत्र व तिथि पर षोडशोपचार से पूजा करें | यश प्राप्ति के लिए  प्रार्थना करते है और कत्थे की लकड़ी से हवन कर ऊपर दिए मंत्र से कनेर पुष्प गूगल तथा घी की 108 बार आहुति देते है | इससे स्त्री-पुरुष सभी को वश में किया जा सकता है | मंत्र में अमुक के स्थान पर जिसको वश में करना हो उसका नाम लेना चाहिए |


पति को पराई स्त्री के मोह जाल से निकालने के लिए टोटका

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पति को पराई स्त्री के मोह जाल से निकालने के लिए :-


यदि आपका पति किसी पराई स्त्री के मोह में पड़ गया है व आपके और उनके रिश्तों में खटास आने लगी है तो आप इस टोटके का प्रयोग करें :- गुरुवार या शुक्रवार की रात्रि ठीक 12 बजे अपने पति के सिर में चोटी वाले स्थान से कुछ बाल काट कर किसी ऐसे स्थान पर छुपा दे जहाँ कोई न देख सके | ऐसा करने से आपका पति पराई स्त्री को छोड़ आपसे प्रेम करने लगेगा | जब आपको लगने लगे की आपका पति पूरी तरह से आपका है तब आप उन बालों को जलाकर बाहर फेंक दे |


महाकाली शाबर मंत्र सिद्धि

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महाकाली शाबर मंत्र सिद्धि | इस शाबर मंत्र से माँ काली को शीघ्र प्रसन्न करें |



|| महाकाली शाबर मंत्र साधना ||

महाकाली , माँ दुर्गा का ही प्रचंड रूप है जिनका जन्म धर्म की रक्षा करने के लिए और पापियों और दुष्टों का नाश करने के लिए हुआ है | महाकाली – महा और काली जिसका अर्थ है काल और समय भी इसके अधीन है | माँ काली को माँ दुर्गा की 10 महाविद्याओं में से एक माना गया है | दिखाई देने में जिस प्रकार माँ काली जितनी प्रचंड दिखती है अपने भक्तों पर उतनी ही जल्दी कृपा भी करती है |





हनुमान जी , भैरव जी और महाकाली इन तीनों शक्तियों को कलियुग में जागृत माना गया है | अर्थात थोड़े से भक्ति भाव से ये प्रसन्न होकर अपने भक्तो  का उद्धार करते है |  महाकाली की उपासना करने से जीवन में सुख -शांति , शक्ति व बुद्धि का विकास होता है | इसके साथ -साथ सभी प्रकार के भय आदि से मुक्ति भी मिलती है |

माँ काली की उपसना करने वाले व्यक्ति को उनकी पूजा विधिवत करनी चाहिए और यदि किसी भी प्रकार का आपने यदि संकल्प लिया हुआ है तो कार्य पूर्ण होने पर उसे पूरा अवश्य करें अन्यथा माँ काली रुष्ट भी जो जाती है और उनका प्रकोप भी झेलना पड़ सकता है |

महाकाली शाबर मंत्र :-

आज हम आपको एक ऐसे शाबर मंत्र के विषय में बता रहे है जिसके प्रयोग से महाकाली शीघ्र प्रसन्न होती है | आप किसी भी मनोकामना पूर्ती हेतु इस शाबर मंत्र को सिद्ध कर सकते है | मंत्र इस प्रकार है : –

ॐ काली घाटे काली माँ |
पतित पावनी काली माँ |
जवा फूले |
स्थुरी जले |
सेई जवा फूल में सीआ बेड़ाए |
देवीर अनुर्बले |
एहि होत करिवजा होइवे |
ताही काली धर्मेर |
वले काहार आज्ञे राठे |
काली का चंडीर आसे |

मंत्र सिद्ध करने की विधि : –

वैसे तो शाबर मंत्र अपने आप में सिद्ध मंत्र होते है किन्तु इन मन्त्रों में प्रबलता लाने के लिए और अपने कार्य को सिद्ध करने के लिए कुछ जाप करने जरुरी होते है | तो आइये जानते है उपरोक्त शाबर मंत्र को सिद्ध करने की विधि के विषय में :

शनिवार  शाम को 7 से 10 के बीच में कोई एक समय निश्चित कर ले और आसन बिछाकर पूर्व दिशा की तरफ मुख करके बैठ जाये | अब आप हाथ में थोडा जल लेकर संकल्प ले |

अपने साथ में एक गोला (पका हुआ नारियल ) इसे छोटे- छोटे टुकडो में तोड़ ले | एक मिटटी का खुला बर्तन जैसे की मटके का ढक्कन या इससे बड़ा हो तो भी उचित होगा पर मिटटी का होने चाहिए | अब एक गाय के गोबर के उपले (कंडा ) को भी अपने पास में रख ले | थोड़ी मात्रा में जलने वाला कपूर और घी रखे | अब आप अपनी क्षमता अनुसार जितने भी मंत्र जाप कर सकते है उनकी संख्या निश्चित कर उतनी संख्या के बराबर आधे लोंग और आधे इलाइची लेकर रख ले |

अब आप गोबर के उपलों (कंडो ) द्वारा मिटटी के बर्तन में कपूर की सहायता से अग्नि प्रज्वलित करें | अब आप मंत्र का जाप आरम्भ कर दे और प्रत्येक मंत्र के बाद आप एक लोंग या एक इलाइची अग्नि में डाल दे | थोड़े -थोड़े समय पश्चात् घी और नारियल का गोला जिसके छोटे छोटे टुकड़े किये है उन्हें भी डालते रहे | घी और गोले को आपको प्रत्येक मंत्र के बाद अग्नि में डालने की आवश्यकता नही है , यह सिर्फ इसलिए है कि अग्नि लगातार प्रज्वलित होती रहे |

इस प्रकार आप प्रत्येक मंत्र के बाद एक लोंग या इलाइची को अग्नि में छोड़ते चले जाये | आपको किसी प्रकार के दीपक जलाने या माला लेने की आवश्यकता नही है | बस आप दी गयी विधि अनुसार मंत्र जाप करते जाये | जैसे ही आप अपने मंत्र जाप पूरे करते है अब आप फिर से हाथ में जल लेकर फिर से संकल्प ले |

इस क्रिया को आप शनिवार को शुरू कर 7 शनिवार तक प्रतिदिन करें | इस प्रकार 7 शनिवार तक इस प्रकार करने से यह मंत्र सिद्ध हो जाता है | अब आप किसी भी मनोकामना पूर्ती हेतु इस मंत्र का प्रयोग कर सकते है | आप अपने कार्य में अवश्य सफल होंगे |

मंत्र प्रयोग विधि : –

इस मंत्र को सिद्ध करने के पश्चात आप जिस मनोकामना को माँ काली द्वारा पूर्ण करवाना चाहते है उसे मन ही मन ध्यान में रखते हुए इस मंत्र को तीन बार जाप करें और अपनी दाहिनी हथेली पर फूंक लगाये | आपकी मनोकामना शीघ्र ही पूर्ण होगा।

ग्रहण के समय एक ही दिन में इस मंत्र को सिद्ध कर सकते है


स्त्री शाबर वशीकरण मंत्र

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स्त्री वशीकरण ! इस शाबर मंत्र के प्रयोग से करें- किसी भी स्त्री को अपने वश में |




|| स्त्री शाबर वशीकरण मंत्र ||

शाबर मंत्र बहुत ही प्रभावशाली मंत्र होते है | ये अपने आप में सिद्ध होते है इसलिए कुछ मंत्र जाप से ही इन मंत्रो में प्रबलता आनी आरम्भ हो जाती है | देसी व ग्रामीण भाषा में लिखे होने के साथ -साथ इनमे गुरु की आन , दुहाई , व दूध हराम इस प्रकार के शब्द प्रयोग होते है जो देव को आपका कार्य पूर्ण करने पर पूर्णतया बाध्य करते है |





आज हम आपको एक ऐसे ही शाबर वशीकरण मंत्र के विषय में बताने जा रहे है जिसको यदि विधि अनुसार प्रयोग किया जाये तो किसी भी स्त्री को अपने वश में किया जा सकता है | यह एक स्त्री शाबर वशीकरण मंत्र है और इसका प्रयोग केवल स्त्री को ही वश में करने के लिए करना चाहिए |

स्त्री वशीकरण विधि : –

गुरूवार के दिन शाम के समय आप अपने घर पर एक स्थान सुनिश्चित कर ले | उस स्थान पर एक आसन पर आप बैठ जाये | अब एक डिब्बी में थोडा नमक ले -ले | ध्यान दे डिब्बी पर ढक्कन अवश्य हो | अब आप इस डिब्बी को हाथ में लेकर इस से ढक्कन को हटा दे और नीचे दिए गये मंत्र का उच्चारण करें | एक मंत्र का उच्चारण करने के पश्चात आप डिब्बी में नमक की तरफ फूंक लगाये | इस प्रकार आप यह क्रिया 7 बार करें |  इस प्रकार सात बार इस नमक को अभिमंत्रित करने के पश्चात् अब आप इस डिब्बी को बंदकर  किसी सुरक्षित स्थान पर रख दे |

इसी क्रिया को आप प्रतिदिन 5वे गुरूवार तक करें | इस प्रकार लगातार 29 दिन तक 7 बार इस मंत्र को अभिमंत्रित करने से यह नमक पूर्णतया अभिमंत्रित हो जाता है | ध्यान दे ,जिस समय का आप चुनाव करते है , प्रतिदिन उसी समय पर यह क्रिया करें और एक भी दिन बीच में कार्य छोड़े नहीं |

मंत्र इस प्रकार है : –

                        ⇒   ” ॐ भगवती भग भाग दायिनी देव दत्तीं मम वश्यं कुरु कुरु स्वाहा ”  ⇐

इस मंत्र में जहाँ पर “देव दत्तीं ” शब्द आया है | आप इसके स्थान पर अभिलाषित स्त्री नाम ले |

अब 29 दिन बाद आप इस नमक को अभिलाषित स्त्री को खिला दे | ऐसा करने के पश्चात अब आप जैसे ही उस स्त्री से बात करेंगे वह आपके वशीभूत होनी शुरू हो जाएगी |

जरुरी सूचना :-  यदपि, शाबर मंत्र अपना प्रभाव कभी नही खोते , किन्तु फिर भी इस प्रकार के शाबर मंत्र द्वारा किसी का भी अहित किया जा सकता है इसलिए आप इस प्रकार के मंत्र का प्रयोग केवल मानव कल्याण के उद्देश से ही करें तो उचित होगा ||


नमक द्वारा वशीकरण (Namak dwara Vashikaran )

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शाबर मंत्र : नमक द्वारा वशीकरण (Namak dwara Vashikaran ) :



ॐ भगवती भग भाग दायिनी देव |
दत्तीं मम वश्यं कुरु कुरु स्वाहा |



इस मंत्र का प्रयोग स्त्री को वशीभूत करने के लिए किया जाता है | ( मंत्र में देवदंती) के स्थान पर अभिलाषित स्त्री का नाम बोलें | इस मंत्र के द्वारा गुरुवार के दिन प्रसन्न मुद्रा में एक आसन पर बैठ जाये और एक डिब्बी में थोड़ा सा नमक ले ले , अब इस नमक को उपरोक्त मंत्र द्वारा 7 बार अभिमंत्रित करे | ऐसा आपको गुरुवार से शुरू कर प्रतिदिन ठीक इसी समय पर 5 गुरुवार तक करना है 5 वे गुरुवार को इस प्रकार करने के पश्चात् यह नमक अभिमंत्रित हो जाता है |अब आप इस नमक को अभिलाषित स्त्री को खाने में या पीने में ग्रहण करवा दे | ऐसा करने से वह स्त्री आपके वशीभूत हो जाएगी |


पान द्वारा वशीकरण (Paan dwara Vashikaran )

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शाबर मंत्र : पान द्वारा वशीकरण (Paan dwara Vashikaran ) :



श्री राम नाम रबेली अकनकबीरी |
सुनिए नारी |
बात हमारी |
एक पान संग मंगाय |
एक पान सेज सौं लावै |
मक पान मुख बुलावै |
हमको छोड़ और को देखै तो तेरा कलेजा मुहम्मद वीर चक्खे |



इस मंत्र से आप पान को 21 बार अभिमंत्रित करके किसी भी स्त्री को खिलाएंगे तो वह तुरंत आपकी मित्र बन जाती है | और यदि आप दूसरी बार इसी प्रकार से पान को उसी स्त्री को खिलाओगे तो वह स्त्री आपके साथ सबंध बनाने के लिए तैयार हो जाएगी | और तीसरी बार इसी प्रकार से पान अभिमंत्रित करके खिलाने से वह स्त्री किसी और पुरुष की कल्पना भी नहीं करेगी |


गुड़ द्वारा वशीकरण ( Gud dwara Vashikaran )

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शाबर मंत्र : गुड़ द्वारा वशीकरण ( Gud dwara Vashikaran ) :-



ॐ नमो गुड़ |
गुड़ रे तू गुड़ |
गुड़ तामड़ा मसान |
केलि करन्ता जा |
उसका देग उमा |
सब हर्षे हमारी आस |
खसम को देखे |
जलै बलै |
हमको देवै सकि रुचलै |
चालि चालि रे कालिका के पूत |
जोगी जंगम और अवधूत |
सोती होय, जगाय लाव |
न लावै तो माता कालिका की |
शय्या पर पाँव धरै |
शब्द साँचा |
पिंड काँचा |
फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा |
सत्य नाम आदेश गुरु का |

शनिवार के दिन भैरो बाबा की पूजा करे और पूजा करने के बाद थोड़ा सा गुड़ लेकर , इस गुड़ को इस मंत्र द्वारा 21 बार अभिमंत्रित करे | अब इस गुड़ को आप जिस भी स्त्री को खिलाओगे उसे ही अपनी सेज पर पाओगे | इस मंत्र का लाभ केवल विवाहित स्त्री से ही प्राप्त होता है |


आँखों द्वारा वशीकरण ( Aankho dwara Vashikaran)

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शाबर मंत्र : आँखों द्वारा वशीकरण ( Aankho dwara Vashikaran) :-



एं भग भुगे भगनी भागोदरि भगमाले यौनि
भगनिपतिनि सर्वभग संकरी भगरूपे नित्य
क्लै भगस्वरूपे सर्व भगानि मे वशमानय
वरदेरेते सुरेते भग लिन्कने क्लीं न द्रवे क्लेदय
द्रावय अमोघे भग विधे क्षुभ क्षोभय सर्व
सत्वामगेश्वरी एं लकं जं ब्लूं ब्लूं भैं मौ बलूँ
हे हे क्लिने सर्वाणि भगानि तस्मै स्वाहा |



इस मंत्र का जाप करते हुए यदि किसी स्त्री से नजर मिलाई जाये तो वह वशीभूत जो जाती है |


चमेली के तेल द्वारा वशीकरण (Chameli ke Tel dwara Vashikaran)

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शाबर मंत्र : चमेली के तेल द्वारा वशीकरण (Chameli ke Tel dwara Vashikaran) :-

ॐ नमो मन मोहिनी |
मोहिनी चला |
गैर के मस्तक धरा |
तेल का दीपक जला |
जल मोहुँ |
थल मोहुँ |
मोहुँ सारा जगत |
मोहिनी रानी जा शैया पै ला |
न लाये तो गौरा पार्वती की दुहाई |
लोना चमारिन की दुहाई |
नहीं तो वीर हनुमान की आन |



चमेली का तेल एक डिब्बी में लेकर इसे अब उपरोक्त मंत्र द्वारा 7 बार जाप करके अभिमंत्रित कर ले | प्रत्येक मंत्र के बाद तेल में फूंक लगाए ऐसा 7 बार करने से तेल अभिमंत्रित हो जायेगा | अब आप इस तेल को जिस भी कामिनी पर छिड़क देंगे , वह स्त्री आपके वशीभूत हो जाएगी |


स्त्री वशीकरण (Stri Vashikaran )

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शाबर मंत्र : स्त्री वशीकरण (Stri Vashikaran ):-



काला कलुवा चौंसठ वीर |
ताल भागी तोर |
जहाँ को भेजू वहीं को जाये |
माँस – मज्जा को शब्द बन जाये |
अपना मारा , आप दिखावे |
चलत बाण मारु |
उलट मूठ मारु |
मार मार कलुआ |
तेरी आस चार |
चौमुख दिया |
मार बादी की छाती |
इतना काम मेरा न करे तो तुजे माता का दूध पिया हराम |



आप जिस भी स्त्री को अपने वश में करना चाहते है उसके बाएँ पाँव के नीचे की मिटटी लेकर इस मिटटी को इस मंत्र द्वारा 7 बार अभिमंत्रित कर ले और अब इस मिटटी को अभिलषित स्त्री के सिर पर डाल दे | ऐसा करने से वह स्त्री आपके वशीभूत जो जाएगी |
कृपया इस प्रकार के मंत्रो का आप गलत कार्य के लिए उपयोग कदापि न करें |


तिलक द्वारा वशीकरण (Tilak dwara Vashikaran )

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शाबर मंत्र : तिलक द्वारा वशीकरण (Tilak dwara Vashikaran ) :-



ॐ नमो आदेश गुरु को |
राजा मोहुँ |
प्रजा मोहुँ |
मोहुँ ब्राह्मण बनियाँ |
हनुमन्त ब्राह्मण बनियाँ |
हनुमन्त रूप मे जगत मोहूँ |
तो रामचन्द्र परमाणियाँ |
गुरु की शक्ति |
मेरी भक्ति |
फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा |





शनिवार के दिन सिन्दूरी हनुमान जी की प्रतिमा का पूजन करें और मूर्ति को सिन्दूर का चोला चढ़ाएं | इसके बाद इस मंत्र की एक माला का जाप करें | यह जाप आप 21 दिन तक लगातार करें | जब आवश्यकता हो यह मंत्र जाप करते हुए किसी चौराहे से मिटटी उठा लें और भाल का टीका लगातार अभिलाषित व्यक्ति के समक्ष जायें तो वह आपकी जी – हुजूरी करने लगेगा |


विवाह में आई रूकावट को दूर करने का मंत्र

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विवाह में आई रूकावट को दूर करने का मंत्र :-

| ॐ ह्रीं क्लीं कात्यायन्ये नमः |

पुत्र अथवा कन्या के विवाह में यदि किसी भी कारण वश रूकावट आ रही हो तो इस मंत्र का सवा लाख जप करें | और दशांश हवन करें , ऐसा करने से विवाह में आई रूकावट दूर हो जाती है |


नौकरी प्राप्त करने का मंत्र

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नौकरी प्राप्त करने का मंत्र :-

काली कंकाली महाकाली मुख संदूर जिए काली चार वीर भैरूं

चौरासी बता तो पूजूँ  पान मिठाई अब बोलो काली की दुहाई ||

इस मंत्र को प्रतिदिन 108 बार पढने से 31 दिन में रोजगार प्राप्त होता है |


धन प्राप्ति मंत्र

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धन प्राप्ति मंत्र :-

| ॐ  ह्रीं  क्लीं  महालक्ष्म्यै  नमः |

इस मंत्र का सवा लाख जाप करे और उसके पश्चात् इसका दशांश हवन करें | ऐसा करने से घर में धन की वृद्धि होती है और धन स्थाई तौर पर घर में स्थित होता है |


शत्रु विक्षिप्तकरण प्रयोग

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शत्रु विक्षिप्तकरण प्रयोग :-

| ॐ हरिः श्री हरस्तया |

रविवार के दिन शमशान की भस्म मदार के दूध में मिलाकर कागज़ पर इस मंत्र को लिखे | अब मंत्र के नीचे शत्रु का नाम लिखकर अग्नि में जला दे और अब इस मंत्र का 108 बार जाप करें तो शत्रु विक्षिप्त हो जाता है |


धनधान्य वर्धक गणपति मंत्र

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धनधान्य वर्धक गणपति मंत्र :-

| ॐ गं गणपतये नमः |

किसी कुम्हार के यहाँ से मिटटी ले आये और अब इस मिटटी से गणेश जी की मूर्ती बनाकर पूजन करके 21 हज़ार उपरोक्त मंत्र जपने से समस्त विघ्नों की शांति होकर घर में धनधान्य की वृद्धि होती है |


स्त्री प्रप्ति का मन्त्र

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स्त्री प्राप्ति मंत्र :-

| ॐ ह्रीं नमः |

लाल वस्त्र और मूंगे की माला धारण करके आठ दिन तक प्रतिदिन 6 हज़ार जप करने से अभिलाषित स्त्री की प्राप्ति हो जाती है |


मनोकामना प्राप्ति का मन्त्र

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मनोकामना प्राप्ति मंत्र :-

|ॐ ह्रीं मानसे मनसे ॐ हूँ |

इस मंत्र का 21 बार जाप करे और 1008 आहुति घी , दूब और चावल की करें तो इच्छित फल की प्राप्ति होती है |


शत्रुनाश का मन्त्र

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शत्रुनाश का मंत्र :-

| रूप देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि |

प्रतिदिन यथाशक्ति इस मंत्र का जाप करने से शत्रु अपने आप पराजय होने लगता है |


किसी को भी अपने अनुकूल बनाने का मंत्र :-

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| लं ह्रां लां ह्रीं लीं लः ‘अमुक’ ठ: ठ: |



इस मंत्र को सवा लाख की संख्या में जपकर सरसों का दशांश हवन करें | हवन की भस्म से जिस व्यक्ति के घर में फेंका जायेगा वह व्यक्ति अनुकूल हो जायेगा | अमुक के स्थान पर साध्य व्यक्ति का नाम लेना है |

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सभी कामना सिद्धि मन्त्र

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सभी कामना सिद्धि मंत्र :-

| ॐ ह्रीं नमः |

ग्रहण काल में उपरोक्त मंत्र को भोजपत्र पर लिखकर और इस मंत्र की पूजा कर 1008 बार जपने से मंत्र सिद्ध हो जाता है | फिर इस मंत्र का जाप करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है | यदि किसी भी अनुष्ठान में इस मंत्र का 15 बार अनुष्ठान शुरू होने से पहले  जाप किया जाये तो अनुष्ठान भी निर्विघ्न समाप्त होता है और सफलता प्राप्त होती है |


पुरुषोत्तम मास से जुड़ी पौराणिक कहानी

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पुरुषोत्तम मास में पूजा पाठ का महत्व और जुड़ी पौराणिक कहानी
पुरुषोत्तम मास जिसे हम मलमास के नाम से भी जानते है , हर तीसरे साल आता है | पर क्या आप जानते है की पुरुषोत्तम मास के महत्व को बताने वाली पौराणिक कहानी क्या है | यदि आपको नही पता तो इस पोस्ट के माध्यम से आप जानेंगे की क्यों पुरुषोत्तम मास में पूजा आराधना का अत्यंत महत्त्व है |



स्वामीविहीन मलमास ने विष्णु को सुनाया दुखड़ा

अधिकमास (मलमास) या पुरुषोत्तम मास से जुड़ी एक रोचक कथा इस तरह है की एक बार स्वामीविहीन होने के कारण यह मास भगवान विष्णु के पास गया और अपने दुःख की व्यथा सुनाने लगा | उसने बताया मुझे (अधिकमास ) को लोग मलमास के नाम से पुकारते है जो उसे शर्मिंदा करता है अत: मेरी इस समस्या का कोई हल निकले प्रभु |


तब लक्ष्मी नारायण विष्णु उन्हें गोलोक में श्री कृष्ण के पास ले जाते है | भगवान कृष्ण मलमास की व्यथा को दूर करने के लिए उन्हें  पुरुषोत्तम नाम देते है | साथ ही यह वरदान देते है की आज के बाद मैं उसका स्वामी रहूँगा और मेरे सभी गुण इस मास में समाविष्ट  हो जायेंगे |
पुरुषोत्तम मास की पूजा का फल
उन्होंने बताया की जो भक्त इस पुरुषोत्तम मास में मन और आत्मा से भक्ति और धर्म कर्म के कार्य करेगा , उसे कई गुणा फल की प्राप्ति होगी | इस मास में तीर्थ स्थलों में स्नान , पूजन , यज्ञ हवन , अनुष्ठान और दान का अत्यंत महत्व रहेगा |