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Sunday 22 July 2018

बिना गर्भ या पिता के वीर्य के बिना जन्मे पोराणिक पात्रो की कैग

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कृपाचार्य व कृपी के जन्म की कथा :

कृपाचार्य महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक थे। उनके जन्म के संबंध में पूरा वर्णन महाभारत के आदि पर्व में मिलता है। उसके अनुसार- महर्षि गौतम के पुत्र थे शरद्वान। वे बाणों के साथ ही पैदा हुए थे। उनका मन धनुर्वेद में जितना लगता था, उतना पढ़ाई में नहीं लगता था। उन्होंने तपस्या करके सारे अस्त्र-शस्त्र प्राप्त किए। शरद्वान की घोर तपस्या और धनुर्वेद में निपुणता देखकर देवराज इंद्र बहुत भयभीत हो गए। उन्होंने शरद्वान की तपस्या में विघ्न डालने के लिए जानपदी नाम की देवकन्या भेजी। वह शरद्वान के आश्रम में आकर उन्हें लुभाने लगी। उस सुंदरी को देखकर शरद्वान के हाथों से धनुष-बाण गिर गए। वे बड़े संयमी थे तो उन्होंने स्वयं को रोक लिया, लेकिन उनके मन में विकार आ गया था। इसलिए अनजाने में ही उनका शुक्रपात हो गया। वे धनुष, बाण, आश्रम और उस सुंदरी को छोड़कर तुरंत वहां से चल गए।

​उनका वीर्य सरकंडों पर गिरा था, इसलिए वह दो भागों में बंट गया। उससे एक कन्या और एक पुत्र की उत्पत्ति हुई। उसी समय संयोग से राजा शांतनु वहां से गुजरे। उनकी नजर उस बालक व बालिका पर पड़ी। शांतनु ने उन्हें उठा लिया और अपने साथ ले आए। बालक का नाम रखा कृप और बालिका नाम रखा कृपी। जब शरद्वान को यह बात मालूम हुई तो वे राजा शांतनु के पास आए और उन बच्चों के नाम, गोत्र आदि बतलाकर चारों प्रकार के धनुर्वेदों, विविध शास्त्रों और उनके रहस्यों की शिक्षा दी। थोड़े ही दिनों में कृप सभी विषयों में पारंगत हो गए। कृपाचार्य की योग्यता देखते हुए उन्हें कुरुवंश का कुलगुरु नियुक्त किया गया।



Ruchi Sehgal

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