सूर्योदय की पहली किरण का अवरोध मकान के लिये विध्वंशकारी होता है,मन्दिर मस्जिद चर्च गुरुद्वारा के दक्षिण पश्चिम में जगह खाली होती है या वीराना होता है भूल से कोई मकान होता भी है तो मकान मे रहने वाले नही होते है.
दक्षिण का कुआ घर मे उपरत्व के प्रभाव को पैदा करते है या तो घर मे पुरुष संतति होती ही नही है और होती भी है तो नकारा होती है.
घर के ईशान में गन्दगी घर के सदस्यों के अन्दर चरित्र की स्थिति को संदिग्ध रखते है पिता पुत्र के बीच भी वैमनस्यता का होना जरूरी हो जाता है पति पत्नी के बीच रिस्तो में दरार आना और बेकार के रिस्ते बनना भी देखा जाता है.
दलाली के काम करने वाले अक्सर जीवन के किसी भी एक भाग मे अपंगता को ग्रहण कर लेते है और उनकी पहिचान उनके दक्षिण पश्चिम में खिडकी या रोशनदान से होती है.
मकान का अग्नि मुखी दरवाजा आग और चोरी का कारक होता है,यह सब स्त्रियों के कारण ही होता है या तो स्त्री अपने घर के भेद को बाहर देती है या स्त्री के अन्दर बेकार की हवाये आकर मन को उद्वेलित करती है.
घर के वायव्य में झूला का होना किस्मत और प्रसिद्धि को हवा मे झुलाने के लिये माना जाता है,यहां तक कि खुद के रिस्तेदार भी कभी तो अच्छा बोलने लगते है और कभी बुराई करने लगते है.
दक्षिण पश्चिम मुखी मकान मे कोई एक व्यक्ति अपंग जरूर होता है और अपंगता भी खुद के व्यसनो के कारण ही होती है.
घर के दरवाजे पर लकडी या अन्य प्रकार की काटने वाली मशीन से घर में घर के सदस्य ही एक दूसरे को अपने अपने स्वार्थ के लिये काटने लगते है.
जन्म स्थान से पूर्व दिशा की ससुराल पुत्र सन्तान मे कमी देती है पश्चिम की ससुराल पुत्र सन्तान मे बढोत्तरी करती है उत्तर की ससुराल कन्या और पुत्र सन्तान को सन्तुलित रखने वाली होती है जबकि दक्षिण की ससुराल हमेशा कामी और नाम को बदनाम करने वाली सन्तान को ही देती है.
शहर के उत्तर का पानी शहर को धनी बनाता है पूर्व का पानी धर्म को बढाने वाला होता है पश्चिम का पानी शहर को ऊंची इमारतो को देने वाला होता है जबकि दक्षिण का पानी शहर को डाक्टरी और तकनीकी क्षेत्र मे विकास को देने वाला होता है.
ईशान की रसोई घर के मालिक को चिन्ता देने वाली होती है और किसी न किसी कारण से ग्रह स्वामी का मन जलता रहता है अग्नि की रसोई भोजन को देने वाली और घर के सदस्यों की बुद्धि को ठीक रखने वाली होती है नैऋत्य कोण की रसोई घर मे बीमारी को पैदा करने वाली और वायव्य की रसोई भोजन के मदो मे अधिक खर्च करने वाली होती है.
जिस मकान की छत पर पताका स्त्रियों के पैरो में पाजेब और पुरुषों को अपने कान ढककर रखने का चलन होता है उन घरो में बुरी शक्तियां प्रवेश नही कर पाती है.
छत पर शाम के समय स्त्री अगर बाल सुखा रही होती है कंघी कर रही होती है राहु उस स्त्री को मानसिक बीमारी से परेशान किये रहता है.
जिस घर मे अप्राकृतिक शक्तियों का निवास होता है उस घर मे एक्वेरियम में मछलियां अधिक मरती है.
रसोई मे अपने आप बर्तन गिरने लगें तो समझ लेना चाहिये कि किसी प्रकार की कलह होने वाली है यही बात दूध के उफ़न कर गिरने से भी मानी जाती है.
घर मे शाकिनी स्त्री के प्रवेश के पहले ही घर के आंगन को ढक दिया जाता है.
घर के नैतृत्य में रोशनदान तभी खोला जाता है जब घर मे भान्जे भतीजे या साले या मामा का निवास होना शुरु होता है.
घर मे पुत्र संतान के नही होने से अक्सर कुत्ते पालने की प्रथा परिवारों मे होती है जैसे ही पुत्र संतान का आगमन होता है कुत्ता मर जाता है,लेकिन पुत्र के पैदा होने के तेरह महिने के अन्दर दूसरा कुत्ता जरूर पाल लेना चाहिये.
Tuesday, 22 January 2019
वास्तु के अनसुने पर अचूक नियम, vaastu ke niyam
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