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Tuesday, 25 July 2017

विभिन्न ग्रहो के लिए राजयोग

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विभिन्न लग्नों के लिए राजयोग ग्रह

1. मेष लग्न के लिए गुरु राजयोग कारक होता है।

2. वृषभ और तुला लग्न के लिए शनि राजयोग कारक होता है।

3. कर्क लग्न और सिंह लग्न के लिए मंगल राजयोग कारक होता है।

4. मिथुन लग्न के लिए शुक्र अच्छा फल देता है।

5. वृश्चिक लग्न के लिए चंद्रमा अच्छा फल देता है।

6. धनु लग्न के लिए मंगल राजयोग कारक है।

7. मीन लग्न के लिए चंद्रमा व मंगल शुभ फल देते हैं।

8. मकर लग्न के लिए शुक्र योगकारक होता है। तो कुंभ लग्न के लिए शुक्र और बुध अच्छा फल देते हैं। कन्या लग्न के लिए शुक्र नवमेश होकर अच्छा फल देता है।


Ruchi Sehgal

तांत्रिक प्रयोगों से रक्षा के उपाय

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तांत्रिक प्रयोगों से रक्षा के उपाय

• पीली सरसों, गुग्गल, लोबान व गौघृत इन सबको मिलाकर इनकी धूप बना लें व सूर्यास्त के 1 घंटे भीतर उपले जलाकर उसमें डाल दें। ऐसा 21 दिन तक करें व इसका धुआं पूरे घर में करें । इससे नकारात्मक शक्तियां दूर भागती हैं।

• गऊ, लोचन व तगर थोड़ी सी मात्रा में लाकर लाल कपड़े में बांधकर अपने घर में पूजा स्थान में रख दें । शिव कृपा से तमाम टोने-टोटके का असर समाप्त हो जाएगा ।

• घर में साफ -सफाई रखें व पीपल के पत्ते से 7 दिन तक घर में गौमूत्र के छींटे मारें व तत्पश्चात शुद्ध गुग्गल का धूप जला दें।

• कई बार ऐसा होता है कि शत्रु आपकी सफलता व तरक्की से चिढ़कर तांत्रिकों द्वारा अभिचार कर्म करा देता है। इससे व्यवसाय बाधा एवं गृह क्लेश होता है अतः इसके दुष्प्रभाव से बचने हेतु सवा 1 किलो काले उड़द, सवा 1 किलो कोयला को सवा 1 मीटर काले कपड़े में बांधकर अपने ऊपर से 21 बार घुमाकर शनिवार के दिन बहते जल में विसर्जित करें व मन में हनुमान जी का ध्यान करें। ऐसा लगातार 7 शनिवार करें। तांत्रिक अभिकर्म पूर्ण रूप से समाप्त हो जाएगा।

• यदि आपको ऐसा लग रहा हो कि कोई आपको मारना चाहता है तो पपीते के 21 बीज लेकर शिव मंदिर जाएं व शिवलिंग पर कच्चा दूध चढ़ाकर धूप बत्ती करें तथा शिवलिंग के निकट बैठकर पपीते के बीज अपने सामने रखें। अपना नाम, गोत्र उच्चारित करके भगवान शिव से अपनी रक्षा की गुहार करें व एक माला महामृत्युंजय मंत्र की जपें तथा बीजों को एकत्रित कर तांबे के ताबीज में भरकर गले में धारण कर लें।

• शत्रु अनावश्यक परेशान कर रहा हो तो नींबू को 4 भागों में काटकर चौराहे पर खड़े होकर अपने इष्ट देव का ध्यान करते हुए चारों दिशाओं में एक-एक भाग को फेंक दें व घर आकर अपने हाथ-पांव धो लें। तांत्रिक अभिकर्म से छुटकारा मिलेगा।


Ruchi Sehgal

क्यों होता है संतान प्राप्ति मैं विलम्ब

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क्यों होता है संतान प्राप्ति में विलंब

संतति सुख के लिए पंचम स्थान, पंचमेश, पंचम स्थान पर शुभाशुभ प्रभाव व बृहस्पति का विचार मुख्‍यत: किया जाता है। ज्योतिष के अनुसार मेष, मिथुन, सिंह, कन्या ये राशियाँ अल्प प्रसव राशियाँ हैं। वृषभ, कर्क, वृश्चिक, धनु, मीन ये बहुप्रसव राशियाँ हैं।

* पंचम स्थान में पाप ग्रह हो तो संतति सुख में बाधा आती है।

* पंचमेश यदि 6, 8,12 में हो या 6, 8,12 के स्वामी पंचम में हो तो संतान सुख बाधित होता है।

* पंचमेश अशुभ नक्षत्र में हो तो संतान प्राप्ति में विलंब होता है।

* पंचम का राहु पहली संतान के लिए अशुभ होता है।

* लग्न पर पाप प्रभाव हो तो संतति विलंब से होती है।

* लग्न, षष्ठ, सप्तम या अष्टम का मंगल संतान प्राप्ति में विलंब कराता है। (स्त्री-पुरुष दोनों की कुंडली में)

* स्त्री की कुंडली में लग्न पंचम, सप्तम, भाग्य या लाभ में शनि हो तो संतान देर से होती है।

* सूर्य-शनि युति संतान प्राप्ति में विलंब और संतान से मतभेद दिखाती है।

* प्रथम या सप्तम का मंगल (स्त्री के लिए) कष्ट से संतान प्राप्ति का सूचक है।

* पंचम स्थान पर पापग्रहों की दृष्टि संतान प्राप्ति में विलंब कराती है।

* पत्रिका (कुंडली) में गुरु राहु यु‍ति हो व पंचम स्थान पाप प्रभाव में हो तो दत्तक संतान का योग बनता है।


Ruchi Sehgal