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Friday, 11 August 2017

आँख के काले मोतिय का तांत्रिक उपाय

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आँखों में यदि काला मोतिया हो तो ताम्बे के पात्र में जल लेकर उसमें ताम्बे का सिक्का व गुड डालकर प्रतिदिन सूर्य को अर्ध्य दें। यह उपाय शुक्ल पक्ष के प्रथम रविवार से शुरू कर चौदह रविवार करें। अर्ध्य देते समय रोग से मुक्ति की प्रार्थना करते रहें। इसके अतिरिक्त पांच प्रकार के फल लाल कपडे में बांधकर किसी भी मन्दिर में दें। यह उपाय निष्ठापूर्वक करें, लाभ होगा।

Tuesday, 8 August 2017

राशि अनुसार करे रोगों जा निदान, Rashi anusaar kare rogo ka nidaan

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राशि के अनुसार रोगो का उपचार

अनादि काल से मनुष्य रोगो बिमारियों से त्रस्त रहा हं। कभी रोगो के लक्षण पकड़ में आ जाते हं,तथा कभी बिमारी का कारण पता हि नहंी चलता । अच्छे सा अच्छा चिकित्सक भी मरीज को स्वस्थ्य करने में असमर्थ होता हं। ज्योतिष शास्त्र में इस तरह के रोगो के उपचार के उपाय बताऐं गयें हैं। अपनी राशि के अनुसार यदि निम्र उपचारो को अपनाया जाए तो शीघ्र हि स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकता हं। 

मेष राशि - रोजाना त्रिफला चूर्णका सेवन करें, तथा लाल रंग कि बोतल में धूप में रखा पानी रोजाना शाम को पीये। 

वृषभ राशि - काली मिर्च, सोंठ, दालचीनी का चूर्ण रात के भोजन के बाद ले,सफेद बोतल में धूप मे रखा पानी सेवन करें। 

मिथुन राशि - रोजाना त्रिफला चूर्णका सेवन करें, तथा हरे रंग कि बोतल में धूप मे रखा पानी रोजाना शाम को पीये। 

कर्क राशि- काली मिर्च, सोंठ, दालचीनी का चूर्ण रात के भोजन के बाद ले,सफेद बोतल में धूप मे रखा पानी सेवन करें। 

सिंह राशि- रोजाना त्रिफला चूर्णका सेवन करें, तथा लाल रंग कि बोतल में धूप में रखा पानी रोजाना शाम को पीये। 

कन्या राशि - हरे रंग कि बोतल में धूप मे रखा पानी रोजाना शाम को पीये। 

तुला राशि - सफेद बोतल में धूप मे रखा पानी सेवन करे। 

वृश्चिक राशि- लाल रंग कि बोतल में धूप मे रखा पानी रोजाना रात को पीये। 

धनु राशि- काली मिर्च, सोंठ, दालचीनी का चूर्ण रात के भोजन के बाद ले, पीले रंग की बोतल में धूप मे रखा पानी सेवन करें। 

मकर राशि- त्रिफला चूर्ण का सेवन करें, तथा नीले रंग कि बोतल में धूप में रखा पानी रोजाना रात्री को पीये। 

कुम्भ राशि- लौंग का सेवन करें, तथा नीले रंग कि बोतल में धूप में रखा पानी रोजाना रात्री को पीये। 

मीन राशि- काली मिर्च, सोंठ, दालचीनी का चूर्ण रात के भोजन के बाद ले, पीले रंग की बोतल में धूप मे रखा पानी सेवन करें।

बच्चे को वश् मे करने का उपाय

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गर बच्चा आपसे दूर जाने की कोशिश करे 
 

बच्चे को वश में करना है या कन्ट्रोल में लाना है तो श्री कृष्ण का स्मरण कर तीन इलायची अपने बदन से स्पर्श करती हुई शुक्रवार के दिन छुपा कर रखें। जैसे अगर साड़ी पहनतीं हैं तो अपने पल्लू में बांध कर उसे रखा जा सकता है और अन्य लिबास पहनती हैं तो रूमाल में रखा जा सकता है। 

शनिवार की सुबह वह इलायची पीस कर किसी भी व्यंजन में मिलाकर खिला दें। मात्र तीन शुक्रवार में स्पष्ट फर्क नजर आएगा।

 

शुक्ल पक्ष के रविवार को ५ लौंग शरीर में ऐसे स्थान पर रखें जहां पसीना आता हो व इसे सुखाकर चूर्ण बनाकर दूध, चाय में डालकर जिस बच्चे को पिला दी जाए तो वह वश में हो जाता है।

 

 बेटे को वश में करे

1 काली मिर्च 

41 साबुत काले उड़द के दाने 

50 ग्राम गुड 

2 लोहे की कीलें 

1 सरसों के तेल का दिया 

थोडा सा सिंदूर 

कच्चा पापड़ 1 पीस 

इन सब सामान को इकठ्ठा कर लें l इन सब वस्तुओं को कच्चे पापड़ पे रखके, थाली में रख लें । दिन छिपने के बाद पापड़ को पीपल के पेड़ के नीचे रख लें व दीपक को जला दें । अपने इष्ट देव से बच्चे को ठीक करने की प्रार्थना करें । उसके बाद पीछे देखे बगेर चुपचाप घर आ जाएँ । घर आके हाथ मुंह धोलें । इस कार्य को शनिवार के दिन करना है गुप्त रूप से । यह क्रिया 5 शनिवार करें । कार्य पूरा होने पर, बजरंग बलि के मंदिर में प्रशाद अवश्य चढ़ाएं।

अगर बच्चा आपसे दूर जाने की कोशिश करे 

अगर बच्चा आपसे दूर जाने की कोशिश करे या घर छोड़ने की कोशिश करे या घर में उसका मन न लगे या सिर्फ अपने दोस्तो की बातें करे तो बच्चे की फोटो और १ सुपारी अपने इष्ट के सामने रख दे बाकि सब भगवान पर छोड़ दे. 

बच्चे के हाथ से बिना धोयी हुई रुमाल में उरद की दल बांधकर किसी गरीब को दे दे .

 

तीन महीने में १ बार चाँदी का १ छोटा सा टुकड़ा बच्चे के हाथ से बहते जल में बहाएं.

 

दीपावली, ग्रहण या किसी शुभ मुहूर्त्त में इस मन्त्र को सिद्ध कर लें। अमुक के स्थान पर जिस बच्चे को वश में करना है या कन्ट्रोल में लाना है उसका नाम लें। 

मन्त्र की दस माला करने के बाद लौंग, इलायची या मिसरी को 21 बार मन्त्र पढ़कर अभिमन्त्रित कर लें। बाद मे जिसका नाम लें उसे चाय में या प्रसाद में देकर खिला दें। वह बच्चा वश में हो जाएगा और आज्ञा मानेगा। यह प्रयोग पहली बार में सफल न हो तो पुनः करें।

 

मन्त्र इस प्रकार है-

ऊं क्लीम् क्लीम् अमुकं मम वश्यं कुरु कुरु स्वाहा।