Jeevan dharam

Krishna sakhi is about our daily life routine, society, culture, entertainment, lifestyle.

Tuesday, 22 May 2018

рдХाрд▓ाрдЬाрджू – рдк्рд░рдпोрдЧ

No comments :


किया-कराया; जादू-टोना; काला-जादू
वैधानिक – ऐसे प्रयोगों के कुछ कॉड छिपा लिए गए हैं ,जो खतरनाक हैं और जिनसे अपराधी फ़ायदा उठा सकते हैं. आजकल इसी को तंत्र विद्द्या कहा जाता है, इसीलिए तंत्र को भयानक और अजीबोगरीब विद्द्या समझा जाता है. जो दो चार प्रयोग जान लेते हैं, वे चमत्कार दिखा कर भगवान बन जाते है और औरतें देवी बन कर पूजा पाने लगती हैं. इसके 6 भाग हैं और प्रत्येक के दो रूप हैं. दूसरा अति भयानक है.



प्रयोग- चमत्कारिक

थूहर की एक विशेष किस्म होती है, मदार, अपामार्ग, हींग – इनको पानी में पीस घोल कर, उसमे आम का तजा सुखाया बीज दाल कर २४ घंटे छोड़ दिया जाता है. फिर दरबार में एक थाली में मिटटी रख कर, उसमे बीज रख कर, लाल कपड़ा ढक कर विचित्र वेश भूषा में उछालते नाचते मन्त्र पढ़ते हुए पानी छिड़का जाता है. एक घंटे में ६ इंच का पौधा उठ जाता है और जय जय हो जाती है.
इसी प्रकार, पानी में मरी हुई मछली को जिन्दा कर देना, पानी के दीपक जलाना, रोशनी के बोतल से चमत्कार करना, अग्नि चादर बनाना, जो ओड़ने पर अँधेरे में आग के गोले के रूप में दिखाई दे; किसी को उसी को उसका कंकाल आईने में दिखा देना; आईने में भूतों को दिखा देना; कमरे में साँपों को बुला लेना; जादुई दीपक बना कर कमरे में भूत प्रेत दिखाना; अग्नि रोधक चादर बना कर आग में प्रवेश करना; इष्ट के दर्शन कराना; खुद को और दुसरे को जीव जंतु के रूप में दिखा देना आदि हजारों प्रयोग हैं.
तीसरे प्रकार के प्रयोग अच्छे बुरे दोनों काम में प्रयुक्त होते हैं. इनसे गंभीर लाइलाज रोगों को ठीक किया जाता है, तो प्राण भी ले लिए जाते हैं. इस पर किये कराये प्रभाग में हम पहले भी बहुत कुछ कह आये हैं, यहाँ कुछ विशेष बातें जानने योग्य है. इनको एक अघोर साधक से जानने के बाद मेरे रोंगठे खरे हो गए थे ये बहुत ही भयानक मायावी प्रयोग हैं और पूरी तरह जांचे हुए हैं. बहुत सी जड़ी बूटियों और खनिज एवं जैविक पदार्थों को इनमें प्रयुक्त किया जाता है और विशेष प्रकार की तांत्रिक विधियों से उन्हें शक्तिकृत किया जाता है. इनका एक बूँद खिला देने पर एक लिमिट पीरियड के बाद विचित्र भयानक तमाशा शुरू हो जाता है; जैसे –१ . पागल हो जाना; मानसिक रूप से भयानक दुनिया में पहुँच जाना; भूत प्रेत दिखाई देना, भयानक जीव जंतु दिखाई देना; भूत का रात में आ कर सेक्स करना; प्रेतों का समूह दिखाई देना; अपने साथ ले जाना; नरक में चला जाना; प्रेत लग जाना; ब्रह्मराक्षस स्वर हो जाना; शरीर पर अदृश्य शक्तियों की यन्त्रणा; जिसके दाग सुबह बने रहते हों; कीरे मकोड़ों का आक्रमण.
तंत्र का यह हिस्सा सबसे बड़ा है. इसमें लाखों प्रयोग हैं, जो भयानक मायावी दुनिया में ले जा कर मार देता है. ये इसके साधारण प्रयोग हैं यह मायवी दुनिया अनंत सागर है. इन सामान्य प्रयोगों में सिद्धियों की कोई जरूरत नहीं होती. ये रासायनिक प्रयोग हैं. और यही सबसे खतरनाक बात है. सिद्धि के लिए मानसिक शक्ति के कठिन अभ्यास की जरूरत होती है. पर इसे तो कोई मुर्ख आलसी अपराधी भी सीख कर भगवान बन कर शैतानियत का नंगा नाच नाच सकता है. ऐसे ओझा और महिलाएं जगह जगह बैठे भी हैं.



Ruchi Sehgal

рдЕрдкрдиे рдмрдЪ्рдЪों рдХो рдирдЬрд░ рдпा рдЕрд▓ा-рдмрд▓ा рд╕े рдмрдЪाрдПं

No comments :

अपने बच्चों को नजर या अला-बला से बचाएं
किया-कराया; जादू-टोना; काला-जादू


फिटकरी, मदार के एक फूल को लाल या पीले रंग के कपड़े में ताबीज बनाकर उसे 108 दुर्गा मंत्र ‘ दुं दुर्गाय नमः’ से सिद्ध करके बांध दें या गले या कमर में पहना दें। उसपर नजर या बुरी हवाओं का असर नहीं होगा।
ईग्निशिया बीज (जहरीला पपीता नामक वनस्पति। यह खाने वाला पॉप ककरी नहीं) की माला  भैरव मंत्र ‘ क्रीं क्रीं क्रीं ॐ भैरवाय नमः’ से सिद्ध करके (108) पहनाने से बच्चों या स्त्रियों पर नजर , बाधा या जादू-टोना का प्रभाव नहीं होता।
भैंस, गधा, गाय, बिल्ली , कुत्ता – इनमें से किसी के दाँत या नख के टुकड़े की ताबीज बनाकर भैरव मंत्र से सिद्ध करके गले में पहनने से मिर्गी , नजर या ऊपरी हवा का प्रभाव नहीं होता।
सफेद मदार की जड़ को कपड़े के ताबीज में डालकर ‘ॐ गणेशाय नमः’ मंत्र (108) से सिद्ध करके गले में पहनाने से बच्चों और स्त्रियों की नजर और जादू-टोना से सुरक्षा होती है।
नजर उतारना



किसी को नजर लग गया हो या संदेह हो; तो सफ़ेद या लाल किसी भी मदार की जड़ को पीसकर घी और चिकनी मिट्टी में मिलाकर पेस्ट बनाकर सिर से तलवों तक ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र जपते हुए नीचे की ओर मालिश करें और मिट्टी सूखने पर गर्म पानी से स्नान करवाएं। यह नजर, जादू-टोना तो नष्ट करता ही है; बैक्टीरिया कीटाणु भी नष्ट करता है।  तिन-चार दिन करने से जूँ-लीख भी मर जाते है।  आँखों को बचाकर प्रयोग करें।

अपामार्ग को कुछ राई के दाने , हल्दी, धतूरे के फूल के साथ पीसकर सर से पाँव तक उपर्युक्त दुर्गा मंत्र के साथ मालिश करें ।  सूखने पर स्नान करें।  इससे अंदर-बाहर के सारे विषैले विकार निकल जायेंगे।  इसे दो  ग्राम की मात्रा में गर्म पानी से लेना भी चाहिए।  सन्तान प्राप्ति के टोटके
भुनी मछली के साथ ‘ॐ भैरवाय नमः’ मंत्र जपते तीन चिल्लू मदिरा सायंकाल एक महीने तक पान करने से मासिक , लिकोरिया आदि अन्य गर्भाशय विकार दूर होते है और स्वस्थ्य पुत्र या पुत्री की प्राप्ति होती है। पुत्र-पुत्री होना स्त्री-पुरुष के ऊर्जा-बल समीकरण एवम रतिकाल के मानसिक भाव पर निर्भर करता है।
मछली के तेल के साथ , बरगद के कच्चे फलों का सेवन करने से भी उपर्युक्त फल होता है।
किया-कराया के लक्षण

हरदम खोये रहना, भयानक सपने , डर, पैरों से चढ़ती रेंगती झनझनाहट, कोई कुछ बोलता रहता है, आस-पास कोई होता है, एकाएक दौरा, हँसी-चीख-रुदन के साथ, शाप-वरदान देना , प्रवृति (आदतें) बदल जाना , आँखों में चमक , चेहरे पर तमतमाहट और अनावश्यक क्रोध, बात-बात में रोने लगना आदि कई प्रकार के लक्षण होते है ।



Ruchi Sehgal

рдкुрддрд▓ी-рддंрдд्рд░ (рдХ्рд░рдоांрдХ рез) рд╕рдо्рдкूрд░्рдг рдЕрднिрдЪाрд░ рд░рд╣рд╕्рдп рдФрд░ рд╡िрдзि (рд╡िрд╖ рдПрд╡ं рдЕрдоृрдд рд╕्рдеाрди)

No comments :

पुतली-तंत्र (क्रमांक १) सम्पूर्ण अभिचार रहस्य और विधि (विष एवं अमृत स्थान)
किया-कराया; जादू-टोना; काला-जादू

किसी व्यक्ति के शरीर की डमी पुतली बना कर, उसकी प्राण प्रतिष्ठा करके अभिचार की सभी षट्कर्म करने की क्रिया को भारतीय तंत्र में पुतली तंत्र कहा जाता है, पर यही विद्द्या कुछ परिवर्तनों के साथ अफ्रीका में “वुडू” के नाम से जानी जाती है. यह बेहद रहस्यमय और जटिल विद्द्या है और इस सम्बन्ध में बड़े तांत्रिक आचार्यों ने भी केवल बाहरी बात ही बताई है. अनेक ने स्वीकार किया है की वे इस रहस्यमय विद्द्या के बारे में अधिक नहीं जानते.



जब मैं तंत्र के रहस्यमय जगत को जानने के लिए भटक रहा था, आसाम के एक दुर्गम इलाके में कुछ अनपढ़ लोगों से जानकारी मिली कि एक स्थानीय आदिवासी पुतली बना कर प्रयोग करता है. उससे मिलने पर, उसने कुछ भी बताने से साफ़ इंकार कर दिया, क्योंकि उसके गुरु ने मना किया था. बहुत मनाने पर वह अपने गुरु के पास ले गया. वे एक नंग धरंग कोपीन पहनने वाले साधू थे. उनको मनाने में पूरा दिन निकल गया, क्योकि वे इसे बहुत खतरनाक विद्द्या बता रहे थे. फिर कुछ शर्तों पर प्रयोग सिखाने पर राजी हुए. जब यह आश्वासित हो गए कि इसका दुरूपयोग नहीं होगा.

यह प्रयोग कोई साधारण व्यक्ति नहीं कर सकता. वह आदिवासी भी एक ही काम जानता था और उसे इसकी विशालता और रहस्य का कोई ज्ञान नहीं था. इस प्रयोग के द्वारा हर प्रकार के अभिचार कर्म किये जा सकतें हैं. पर इसमें पूरा तकनिकी ज्ञान प्रयुक्त होता है.

शरीर में विषों का स्थान

१ शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक –  ह्रदय, स्तन, कंठ, नाक, आँख, कान, भृकुटी-मध्य, मूर्धा-मध्य, शंख-मध्य. इस समय इन स्थानों से विषों की उत्त्पत्ति होती है और यह ऊपर की ओर गतिमान होता है.

२ शुक्ल दशमी से कृष्ण नवमी तक – भ्रूमध्य, शंखमध्य, कान, आँख, नाक, कंठ, स्तन, ह्रदय, नाभि, गुदामार्ग, जांघों की संधि, घुटने, पावों, पर का ऊपरी भाग, बांये पैर का अंगूठा, बाया पैर. इस काल में यहाँ विष उत्त्पन्न होता है और नीचे की और चलता है.

३ कृष्ण दशमी से अमावस्या तक – दाहिने पैर का अंगूठा, दायाँ पैर, पिंडली, घुटने, नाभि, लिंग या योनि, इस समय इन स्थानों से विष की उत्त्पत्ति होती है. इसकी गति वर्तुलाकार होती है.

विशेष – स्त्रियों में, जहाँ भी बांया-दांया लिखा है उसे उल्टा समझना चाहिए.

शरीर में अमृत का स्थान

१ पुरूष में दांये से – (शुक्ल प्रतिपदा से पूर्णिमा तक) – अंगूठा, पैर, पीठ, कुहनी, घुटना, लिंग, नाभि, ह्रदय, स्तन, गला, नाक, कान, नाक, आँख, भों, कनपट्टी, कपोल, मूर्धा. इन तिथियों में यहाँ अमृत उत्त्पन्न होता है.

२ नारी में बाएं से – यही क्रम नारी में शुक्ल प्रतिपदा से पूर्णिमा तक बांये से दांये होता है.

3  कृष्ण प्रतिप्रदा से अमावस्या तक – (पुरूष में) ऊपर के क्रम का उल्टा यानी मूर्द्धा से नीचे की ओर.

४ कृष्ण प्रतिपदा से अमावस्या तक – (नारी में) उपर से नीचे उल्टा.

यानी शुक्ल प्रतिपदा से पुरूष के दायें अंगूठे से उपर की और नारी में बांये अंगूठे से उपर की ओर. फिर कृष्ण प्रतिपदा से पुरूष में उपर से बाएं होते बांये अंगूठे तक और नारी में दांये होते दांये अंगूठे तक सारे अभिचार कर्मों, तांत्रिक न्यास, तन्त्र अनुष्ठान से रोग निवारण, किया कराया निवारण में इस ज्ञान का प्रयोग होता है. यह कितना कठिन है, यह देख सकतें हैं, पर जब लोग कहते हैं की किया कराया के निदान का उपाय बताइए, तो उनको उत्तर देने में मैं किस कठिनाई में फंस जाता हूँ यह कोई भी समझ सकता है. यह सारा विज्ञान मैं कैसे समझाऊ? वे बाजारू तांत्रिकों से प्रभावित होते हैं कि हाथ हिला कर सब कुछ किया जा सकता है. मैं जाने कितने पोस्ट कर चूका हूँ कि लोग इस अंध आस्था से बाहर निकलें कि घंटों में चमत्कार हो जाएगा, और बस मन्त्र पढो हड्डी फेरो से हो जाएगा, यह नहीं होता; पर वे मुझे ही ज्ञान देने लगते हैं, मैं हंसता हूँ, क्योंकि यह मेरा पेशा नहीं है. वास्तविक विद्द्या को बताना हमारा उदेश्य है, ताकि लोग कुछ लाभ स्वयं भी उठा सकें और ठगों से बच सकें. पर कहतें हैं कि हैं कि पतंगों को समझाया नहीं जा सकता.

आगे क्रमांक २ एवं ३ में ही इस सारे प्रयोग का विधिवत वर्णन हो सकता है. विषय विस्तार बहुत अधिक है, पर हर एक साधक एवं पूजा करने वाले वास्तविक आचार्य, शिष्यों का अभिषेक करने एवं न्यास करने वाले गुरु को इस विज्ञानं को गहराई से जानना चाहिए. यह केवल पुतली विद्द्या में नहीं, समस्त विद्द्याओं में और गृहस्थ जीवन में भी क्रांति लाने वाला विज्ञान है.



Ruchi Sehgal