Tuesday, 22 May 2018
वशीकरण के टोटके[पुरुष वशीकरण ]
हम पहले बता आये हैं कि वशीकरण और सम्मोहन में अंतर होता है . सम्मोहन में मस्तिष्क को दूसरा कब्जे में कर लेता है , मगर वशीकरण में मष्तिष्क को ही बदल दिया जाता है .यह तंत्र क्रिया द्वारा भी किया जाता है और खिलाया पिलाया द्वारा भी.खिलाने पिलाने का काम ज्यादातर औरतें करतीं हैं .अपने प्रेमी और परपुरुष को वश में करने के लिए .उनके पास इसके मौके होते हैं.आजकल यह कुछ अधिक ही हो रहा है .पुरुष स्वभाव से ही बहुगामी होता है . इसका लाभ ऐसी औरतें उठातीं हैं .
पर यह सोच गलत है की वे सामग्री भी खुद तैयार करतीं हैं . कर .. भी नहीं सकतीं ,क्योकि यह प्रबल अभ्यास और सिद्धि के क्षेत्र के अंदर आता है .
वशीकरण के टोटके [गोपनीय ] निदान सहित
१ –सिद्ध लॉन्ग ,सिन्दूर और कपूर -जो काम्बीज मन्त्र के ११८८ मन्त्र से अलग अलग सिद्ध किया गया हो ; हल्दी और घृत कुमारी में मिला कर
ॐ क्लीं क्लीं क्लीं यं यं यं फट स्वाहा मन्त्र से घोंटें . ५४० मन्त्रों से घोंटें . इस मिश्रण को प्रतिदिन सायं कल सारे शरीर पर ल्मलिश करके ,रात में सोयें . सोने के समय योनी में पांच लॉन्ग या इलायची महीन कपरे में दाल कर रखें इसका एक दाना भी किसी पुरुष को क्खिला दें तो वह एक वर्ष तक्क गुलाम बना रहता है .यही प्रोग इसका निदान भी है. [कामबीज मन्त्र खतरनाक होता है ,इसलिए यह महिलाओं को नहीं जपना चाहिए ..इसे किसी सिद्ध जानकर से ही प्राप्त किया जा सकता है .]
२ —किसी पुरुष के बालों को पाप्त करके काम बीज से सिद्ध कपूर और लॉन्ग एक डट लगे शीशी में रखें और उसे आधा शराब ,आधा अपने मूत्र से भर कर बालों को जड़ की तरफ से ऐसे अंदर डालें किउसका उपरी सिरा मुंह से बा हर रहे और डट लगा क्र रख दें . एक हफ्ते में वह पुरुष वश में होगा .हर हफ्ते मूत्र शराब बदलते रहें तो वह सदा वश में रहेगा .यही क्रिया इसके काट की भी है .
३ –भैरवी अभिषेक से शुद्ध हो कर गुरु से दीक्षा मन्त्र लेने वाली ६ महीने के मन्त्र जप [१ घंटा प्रतिदिन ]के बाद जिसे चाहे नज़रों से अपना गुलाम बना सकती है .सेक्स के प्रयोजन से भी और दुसरे कामों के लिए भी .यह सकती हमेशा बनी रहती है इसका काट स्वयं संभव नहीं है .भैरवी विद्या का जानकर ही कर सकता है. ये स्त्रियाँ भैरवी नहीं होतीं . बस वशीकरण की स्पेस्त्लिस्ट होतीं हैं .
४–आज्ञाचक्र पर -काम बीज से सिद्ध हल्दी ,का तिलक अपने योनी रज में घोंट कर लगाने और इस हल्दी का लगातार सुबह सेवन करने वाली नारी हर तरह से स्वस्थ रहती है .उसे कमजोरी दुर्बलता ,कमर दर्द , योन विकार नहीं होते और वह किसी को भी केवल ५४० मन्त्र के जप से वश में कर सकती है .
५ —जो स्त्री किसी से प्रेम करती है और उसका प्रेमी उससे दूर भागता है ,या विमुख हो गया है वह काम्बीज से सिद्ध वशीकरण ताबीज बांध कर [कमर में ] प्रति दिन १ घंटा दिए हुई गोपनीय मन्त्र का जप करे तो २१ दिन में कैसा भी विमुख वश में होता है . [यह मन्त्र नाम और नक्षत्र के आधार पर बनता है ]
६ –भंग की एक चुटकी मात्रा और अपनी योनी के बा ल को जला क्र उसकी चावल भर मात्रा और योनी रज से सिक्त सुपारी का पान तीन दिन खिलाने से भी पुरुष वशीकरण होता है .
७ पति पर या प्रेमी पर किसी दुसरे का किया कराया हो तो नाम, तस्वीर और नक्षत्र के आधार पर मन्त्र ले कर ५१ बार रात में जपें और सुबह उसी मन्त्र के तीन जप से सिद्ध तुलसी के तीन पत्ते खिलाने से १५ दिन में सामान्य किया कराया कट जाता है .
Ruchi Sehgal
गुप्त चमत्कारिक ताबीज, बाजू में बाँधने का बंद, गले की बद्धियाँ, गुटका, बीज, बाधा निवारक त्रिशूल आदि (स्वयं बनाय
गुप्त चमत्कारिक ताबीज, बाजू में बाँधने का बंद, गले की बद्धियाँ, गुटका, बीज, बाधा निवारक त्रिशूल आदि (स्वयं बनाये
रक्षा ताबीज
श्री चक्र या भैरवी चक्र एक पतले कागज़ पर मदार की कलम या होल्डर या मोटी पेसिंलनुमा आम की लकड़ी की कलम से बनाये। स्याही लाल रंग में केसर मिलाकर बनाये। इस पर फिटकरी और सुहागे का चूर्ण छिड़के और कपड़े के ताबीज में बंद करके काले धतूरे , मदार और अपामार्ग के रस में अलग-अलग डुबोकर 24 घंटे रखें।
सूखने पर इसे एक ताम्बे के पात्र में में रखकर निम्नलिखित मंत्र पढ़ते हुए धतूरे के फूल से जल भिंगो-भिंगो कर छिड़के। यह क्रिया रात में 9 बजे से के बजे के मध्य करें। आसन सूती लाल , वस्त्र ढीला लाल, दीपक सरसों तेल , आसन का मुख अग्नि कोण।
दो घंटे तक मंत्र पढ़े। अगले दिन इसे सुखालें।
यह ताबीज रविवार के दिन प्रातःकाल उसी मंत्र को जपते हुए , कमर/गले/या बाजू में बाँध लें।
यह ताबीज किसी प्रकार के बाहरी अदृशय शक्तियों , जादू-टोना, नजर आदि से पूर्ण रक्षा करता है। पूरी तरह परीक्षित है।
मंत्र – ॐ क्रीं क्रीं क्रीं कालिकाय नमः
अन्य ताबीज
इस प्रकार के श्री चक्र को बरगद , गूलर, मदार के रस में सिद्ध करके फिटकरी और नौसादर का चूर्ण छिड़ककर निम्न मन्त्र से सिद्ध करने पर इसे बाँधने वाला रतिक्रिया में कभी नहीं हारता।
मंत्र – ॐ क्लीं क्लीं क्लीं कामायनी नमः
इस प्रकार के श्री चक्र को ताबीज बनाकर उपर्युक्त 108 मन्त्रों से सिद्ध करके पारे में तर करके राना ट्रिगिना नामक बड़े पीले मेढक के पेट में डालकर मिट्टी के घड़े में धतूरा भर कर मिट्टी दबाकर 6 महीने के बाद उसे निकाले और ताबीज गंगाजल से धोकर बांधे, तो अभूतपूर्व स्तम्भन होता है।
इस प्रकार के श्री चक्र को प्याज के रस से अंकित करके उसे मदार के दूध में 36 घंटे रखें। कलम नीम की तिलिका। फिर इसे नौसादर एवं कली चूना के समान मिश्रण 10 ग्राम बनाकर एक मोमजामा (सफ़ेद प्लास्टिक ले लें) में बंद करके लाल रंग के कपड़े के ताबीज में बांधकर उत्तर की ओर लटकाए और सामने बैठकर निम्न मन्त्र का 1188 बार जाप करें।
मंत्र – ॐ ह्रीं क्रीं श्रीं क्लीं क्लीं क्लीं रति प्रियाए नमः
इस ताबीज को सुई से तिन बार आर-पार बेध कर पानी में भिंगो कर जिस स्त्री – पुरुष को सुंघाया जाएगा , वह वशीभूत होगा। यह वशीकरण तीन घंटे रहता है। इस बीच साधक वशीभूत से जो चाहे करवा लें।
बाजू बंद और बद्धी
काले रंग के धागों से गले में पहनने और बाजू में बाँधने का तागा बनाकर इसे तीन दिन काल धतूरे के रस में डुबायें, फिर इसे लाल मिर्च के घोल में रखें फिर इसे लौंग के घोल में रखें। प्रत्येक बार सुखा-सुखा कर (पूरा रस) । फिर इसे अपामार्ग और मदार की लकड़ी की समिधा में , हिंग, लहसुन, और मदिरा के पेस्ट से हवन करते हुए , उसके धुंए से (ऊपर लटकाकर ) सिद्ध करें।
ॐ काल भैरवाय नमः
यह बाजू बंद एवं धागे (बद्धी) जो – जो पहनेगा –
बच्चे प्रत्येक प्रकार की नजर, ऊपरी प्रकोप, जादू-टोना से बचेंगे और रोग के कीटाणु भी उसके पास नहीं पहुचेंगे।
स्त्रियों की उपर्युक्त लाभ के अतिरिक्त भूत-प्रेत प्रकोप , मिर्गी – हिस्टीरिया रक्षा होगी और दुष्ट स्त्रियों द्वारा की गयी किसी कार्यवाई से सुरक्षा होगी। इससे शनि के कारण हुई सन्तान बाधा भी नष्ट होगी।
युवा पुरुष बांधे तो शत्रु/रोग/बाधा से रक्षा होगी। धातुगत कमजोरी नहीं होगी। कामशक्ति नियंत्रित रहेगी और शनि बाधा दूर होगी।
वृद्ध पुरुषों को शनि से सम्बन्धित बाधा नष्ट होगी और यदि उम्र 60 से अधिक है, तो नींद , नर्वस सिस्टम , हड्डी एवं बालों की रक्षा होगी।
लाल रंग के बाजूबंद , बद्धी, रक्षा सूत्र को अपामार्ग की जड़, गूलर की जड़ और दालचीनी , लौंग, इलाइची के साथ पीसकर पानी में घोल कर उसमें डालें और नीम के वृक्ष की जड़ में दबा दें। तीन दिन बाद उसे छाया में सुखा लें।
इसे ‘ॐ दुर्गाय नमः’ 1188 मन्त्र से रात में अपामार्ग की समिधा में मधु का होम करके सिद्ध करें । फिर बुधवार को कमर में पहने।
स्त्री की मासिक बाधा दूर होती है । उसके फेफड़े-गर्भाशय के विकार दूर होते हैं। सभी प्रकार की ऊपरी बाधा से रक्षा होती है।
बच्चों की वृद्धि, पढ़ाई और मानसिक शक्ति में वृद्धि होती है।
व्यापार , व्यवसाय, केतु, पाँव आदि की शक्ति बनी रहती है, प्रतियोगिताओं में सफलता मिलती है।
गुटका
अकरकरा , धतूरे की जड़, कनेर की जड़, पोश्त की ढोढी , भांग की पत्ती- इन्हें पीसकर पानी में घोलें और इसमें जिमीकंद का पिसा हुआ गूदा मिलाकर छोटी सुपारी इतनी गोलियाँ बनाकर सुखा लें।
इन गोलियों की के गोली एक पाव दूध में पांच मिनट कपड़े में बांधकर रखें। फिर निचोड़कर कपड़ा फेंक दें।
Ruchi Sehgal
कालाजादू – प्रयोग
किया-कराया; जादू-टोना; काला-जादू
वैधानिक – ऐसे प्रयोगों के कुछ कॉड छिपा लिए गए हैं ,जो खतरनाक हैं और जिनसे अपराधी फ़ायदा उठा सकते हैं. आजकल इसी को तंत्र विद्द्या कहा जाता है, इसीलिए तंत्र को भयानक और अजीबोगरीब विद्द्या समझा जाता है. जो दो चार प्रयोग जान लेते हैं, वे चमत्कार दिखा कर भगवान बन जाते है और औरतें देवी बन कर पूजा पाने लगती हैं. इसके 6 भाग हैं और प्रत्येक के दो रूप हैं. दूसरा अति भयानक है.
प्रयोग- चमत्कारिक
थूहर की एक विशेष किस्म होती है, मदार, अपामार्ग, हींग – इनको पानी में पीस घोल कर, उसमे आम का तजा सुखाया बीज दाल कर २४ घंटे छोड़ दिया जाता है. फिर दरबार में एक थाली में मिटटी रख कर, उसमे बीज रख कर, लाल कपड़ा ढक कर विचित्र वेश भूषा में उछालते नाचते मन्त्र पढ़ते हुए पानी छिड़का जाता है. एक घंटे में ६ इंच का पौधा उठ जाता है और जय जय हो जाती है.
इसी प्रकार, पानी में मरी हुई मछली को जिन्दा कर देना, पानी के दीपक जलाना, रोशनी के बोतल से चमत्कार करना, अग्नि चादर बनाना, जो ओड़ने पर अँधेरे में आग के गोले के रूप में दिखाई दे; किसी को उसी को उसका कंकाल आईने में दिखा देना; आईने में भूतों को दिखा देना; कमरे में साँपों को बुला लेना; जादुई दीपक बना कर कमरे में भूत प्रेत दिखाना; अग्नि रोधक चादर बना कर आग में प्रवेश करना; इष्ट के दर्शन कराना; खुद को और दुसरे को जीव जंतु के रूप में दिखा देना आदि हजारों प्रयोग हैं.
तीसरे प्रकार के प्रयोग अच्छे बुरे दोनों काम में प्रयुक्त होते हैं. इनसे गंभीर लाइलाज रोगों को ठीक किया जाता है, तो प्राण भी ले लिए जाते हैं. इस पर किये कराये प्रभाग में हम पहले भी बहुत कुछ कह आये हैं, यहाँ कुछ विशेष बातें जानने योग्य है. इनको एक अघोर साधक से जानने के बाद मेरे रोंगठे खरे हो गए थे ये बहुत ही भयानक मायावी प्रयोग हैं और पूरी तरह जांचे हुए हैं. बहुत सी जड़ी बूटियों और खनिज एवं जैविक पदार्थों को इनमें प्रयुक्त किया जाता है और विशेष प्रकार की तांत्रिक विधियों से उन्हें शक्तिकृत किया जाता है. इनका एक बूँद खिला देने पर एक लिमिट पीरियड के बाद विचित्र भयानक तमाशा शुरू हो जाता है; जैसे –१ . पागल हो जाना; मानसिक रूप से भयानक दुनिया में पहुँच जाना; भूत प्रेत दिखाई देना, भयानक जीव जंतु दिखाई देना; भूत का रात में आ कर सेक्स करना; प्रेतों का समूह दिखाई देना; अपने साथ ले जाना; नरक में चला जाना; प्रेत लग जाना; ब्रह्मराक्षस स्वर हो जाना; शरीर पर अदृश्य शक्तियों की यन्त्रणा; जिसके दाग सुबह बने रहते हों; कीरे मकोड़ों का आक्रमण.
तंत्र का यह हिस्सा सबसे बड़ा है. इसमें लाखों प्रयोग हैं, जो भयानक मायावी दुनिया में ले जा कर मार देता है. ये इसके साधारण प्रयोग हैं यह मायवी दुनिया अनंत सागर है. इन सामान्य प्रयोगों में सिद्धियों की कोई जरूरत नहीं होती. ये रासायनिक प्रयोग हैं. और यही सबसे खतरनाक बात है. सिद्धि के लिए मानसिक शक्ति के कठिन अभ्यास की जरूरत होती है. पर इसे तो कोई मुर्ख आलसी अपराधी भी सीख कर भगवान बन कर शैतानियत का नंगा नाच नाच सकता है. ऐसे ओझा और महिलाएं जगह जगह बैठे भी हैं.
Ruchi Sehgal