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Tuesday, 22 May 2018

मिर्गी , हिस्टीरिया और प्रेतग्रस्त का अन्तर

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दिव्य तांत्रिक चिकित्सा

मिर्गी , हिस्टीरिया और प्रेतग्रस्त का अन्तर



(विशेष शोध निष्कर्ष)

मिर्गी

इसे संस्कृत में अपस्मार कहा जाता है। यह नर्वस सिस्टम की एक बीमारी है। कारण अभी तक आधुनिक चिकित्सा को ज्ञात नहीं है। तन्त्र विद्या में कहा गया है की (भावार्थ डिस्कवरी) – मस्तिष्क में विद्युतीय प्रवाह के बाधित होने से यह रोग होता है। इसमें पृथ्वी की ऊर्जा जो तलवों से ऊपर चढती है, तलपेट में जाकर या पाँव गलत जगह पड़ने से प्रदूषित हो जाती है। यह भाप जैसी बन कर ऊपर चढती है और मिर्गी रोग होता है, क्योंकि यह स्नायुओं में विद्युतीय प्रवाह को बाधित कर देती हैं।



लक्षण – एकाएक शरीर में कम्पन , गिरना , बेहोशी इसके लक्षण है, परन्तु बेहोशी आवश्यक नहीं। कभी-कभी यह किसी विशेष अंग के नर्तन (कम्पन) के रूप में प्रकट होता है। स्पष्ट है की केवल उस लोग अंग में विद्युतीय प्रवाह बाधित होता है। यह खान-पान की गड़बड़ी से होता है।
ऊपरी बाधा – जब दौरे से पहले रोगी को आग, भयानक चेहरे , विकराल भयानक आंधी आदि दिखाई दें और वह भयभीत होकर चिल्लाने लगे, तो ऐसे मिर्गी के दौरे ऊपरी बाधा के माने गये है। ये जल्दी आराम नहीं होते। आधुनिक चिकित्सा में इन्हें मिर्गी ही माना गया है, पर क्यों में यहाँ भी कारण का पता नहीं है।
हिस्टीरिया

यह मानसिक दौरा केवल स्त्रियों को पड़ता है। अक्सर यह रोग 15 से 30 वर्ष की उम्र में होता है। आधुनिक चिकित्सा में इसका प्रधान कारण मासिक धर्म का विकार समझा जाता है। साइक्लोजिस्ट इसे मानसिक अवसाद की उत्पत्ति मानते हैं। तन्त्र विद्या में कहा गया है कि मानसिक घुटन , निराशा , प्रणय में अफलता , पारिवारिक प्रताड़ना इसका प्रमुख कारण है।

तन्त्र में कहा गया है कि हिस्टीरिया के समान लक्षण 12 प्रकार की ऊपरी शक्तियों के कारण भी उत्पन्न होते हैं। इसके दौरे विचित्र प्रकार के होते हैं।  इसके दौरे विचित्र प्रकार के होते हैं। वैद्यों की भी यही राय  रही है। इन दोनों के अंतर को केवल लक्षणों से पहचाना जा सकता है।



हिस्टीरिया के लक्षण – रोगिनी एक एक चिल्लाती हैं और बेहोश हो जाती हैं। इससे पहले वह बैचैनी से इधर-उपधार भागती हैं। कोई – कोई दौरे की बेहोशी के ही काल में  सो जाती हैं।



ऊपरी 12 प्रकार की शक्तियों के प्रकोप के लक्षण – इसमें बेहोशी नहीं होती। रोगिनी  जोर से चिल्लाती है या हँसने लगती हैं या रोने लगती हैं और तरह-तरह के विलाप करती है या अपने आस-पड़ोस की औरतों – पुरुषों के बारे में अनाप-सनाप कहती हैं , गालियाँ भी देती हैं। कोई-कोई नाचने – गाने लगती हैं। श्राप देना या आशीर्वाद देना , स्वयं को देवी-देवता या मृतात्मा बताना, भविष्यवाणी करना , कोसना आदि इसके लक्षण अनेक प्रकार के होते हैं। इसमें सारी बातें अर्थपूर्ण होती है। रोगिनी बेहोश नहीं होती और 5 या 10 मिनट में सामान्य हो जाती हैं। उस दौरे के समय की कोई बात याद नहीं रहती हैं। यह प्रकोप 8 से 35 – 40 वर्ष तक भी होता है। यह दौरा कुछ निश्चित तिथियों में उग्र होकर पड़ता है या निश्चित पक्ष में।

(भूत-प्रेत के अनेक लक्षण रूप होते हैं।  शक्तियों के भी सैकड़ों लक्षण होते हैं। यहाँ केवल हिस्टीरिया के लक्षणों के समान प्रकोप की चर्चा की गयी हैं।



चिकित्सा – जब तक कारण का ज्ञान न हों, लक्षण से यह पता न चले कि कारण क्या है? यह बिमारी है या प्रकोप ? चिकित्सा हानिकारक होती हैं



Ruchi Sehgal

सन्तान प्राप्ति सम्बन्धी समस्या के उपाय

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दिव्य तांत्रिक चिकित्सा


सन्तान प्राप्ति से सम्बन्धित समस्या के कारण निम्नलिखित हैं:

पुरुष से सम्बन्धित



सेक्स में असमर्थता
शुक्राणु की कमी या दुर्बलता
वीर्य में अत्यधिक गर्मी या शीलता
वीर्य का ब्रह्मचर्य आदि व्रतों के कारण अत्यधिक गाढ़ा हो जाना। यह सर्दी से भी होता है।
स्त्री/पुरुष की प्राकृतिक नस्ल में विषमता और उचित कामासन से अनभिज्ञता
स्त्री से सम्बन्धित

लिकोरिया आदि योनि रोग और योनि स्त्राव का अम्लीय एसिडिक होना
रक्त की कमी या अधिकता
गर्भाशय विकार – यह कई प्रकार का होता है।
कारण

आज का लाइफस्टाइल इसका कारण है। आज सेक्स सम्बन्धी रोग से 90% स्त्री/पुरुष पीड़ित है और इसका कोई निदान उनकी समझ में नहीं आता , प्रचलित चिकित्सा पद्धति में है भी नहीं। उस पर शर्म और सामाजिक मान-मर्यादा का डर भी उन्हें इन रोगों को पाले र्ह्नसे पर विवश करता है।

इन रोगों से मुक्ति पानी है तो थोडा परिवर्तन करना होगा। जिमखाना, प्राणायाम, योग या जोगा कोई भी इसका निदान नहीं कर सकता। शारीरिक स्वास्थ्य ऊपरी तौर पर बन जाए आप ताकतवर बन जाए, पर धातुगत दुर्बलता को दूर करके के लिए आपको बाजार का आहार, कोल्डड्रिंक आदि तली भुनी बासी चीजें , विरुद्ध आहार जैसे – दूध ,-मछली, दूध-प्याज, दही-कटहल की सब्जी, दही-करेला आदि से बचना होगा। खट्टे अचार-सिरके , तेज मसाले भी धातु को बनने से  रोकते हैं।

पुरूषों की सेक्‍स संबंधी समस्‍याएं और उनका उपचार

उपाय

संतान प्राप्ति के अचूक उपाय

स्त्री-पुरुष गर्मी –सर्दी की पहचान सबसे पहले करें। गर्मी हो , तो कबाबचीनी 1 ग्राम + मिश्री 5 ग्राम (चूर्ण) ठंडा पानी एक ग्लास दिन में चार-पांच बार। साथ में प्रतिदिन थोडा घी खाए।यह खुश्की करता है।
21 दिन प्रातःकाल बेल के पत्ते का शर्बत पीये। १० ग्राम।
घृत कुमार (ऐलोबिरा) का गूदा 50 ग्राम + मिश्री 50 ग्राम और गिलोय का काढ़ा या शीत निर्यास एक ग्लास । शीत निर्यास यानी पीसकर रात में ठंडे पानी में रखें। सबेरे मसल छानकर पी जाएं। 25 ग्राम पिसा।
गुड़हल के ५० ग्राम ताजा फूलों को पीसकर मिश्री के साथ शर्बत बनाकर प्रातःकाल पीयें।


विशेष – बेलपत्र की मात्रा १० ग्राम । 21 दिन से अधिक नहीं। अधिक से कामशक्ति में भी ठंडापन आता है।

प्याज, लहसुन , तिल , जिमीकंद , भुने चने , अंकुरित चने – मूंग – उड़द – गेंहू , तिल , गुड, शहद, बादाम, पिस्ता , बरगद के कच्चे फल या अंकुर , पाकड़ के कच्चे फल , गूलर के कच्चे फल, (सोंठ, पीपर , अकरकरा , भांग) – ये सभी लाभप्रद होते हैं।

कोष्ठ के सोंठ आदि की मात्रा ½ ग्राम काली मिर्च के साथ गर्म दूध के साथ अन्य 6 ग्राम प्रातः-सायं है। गुड शहद – मिश्री आदि समयोग है। यानी मिलाये जाते हैं। इन्हें भी 6 ग्राम लेना चाहिए।

इनके अतिरिक्त शतावरी , मुलेठी, विधारा, नागौरी, असगंध – प्राकृतिक टॉनिक है। मात्रा 5 ग्राम + 5 ग्राम चीनी हैं। इनमें घी, शहद, दूध आदि मिलाये जाते है। इन चारों के चूर्ण में गर्मी सर्दी के अनुरूप दवाए मिलाई जाती है।( घी शहद बराबर न मिलाये )

ये स्त्री-पुरुष दोनों को साल में चार महीने जाड़े के समय प्रयोग करना चाहिए।

विशेष – हमारे यहाँ से किसी भी सेक्स समस्या के लिए निःशुल्क सलाह ले सकते है । अपनी प्राइवेसी के लिए निश्चिंत रहे। आप अपना निदान हमारी वेबसाइट पर भी ढूंढ सकते हैं और हमसे अर्क मंगवा कर भी पर्योग कर सकते हैं। हमारा अर्क सामान्य धातु वर्द्धक टॉनिक के रूप मेंम भी प्रयोग कर सकते हैं। छोटी चम्मच से एक चम्मच तीन बार। दवा दो होती है ( हर समस्या में अलग-अलग। एक समस्या दूर करती है, दूसरी कमी पूरी करती है) यानी 3-3 चम्मच दवा गर्म या ठण्ड पानी के साथ प्रयोग करनी होती है। लिंगादी के नसविकार होने पर लिंग वर्द्धक तेल प्रयोग किया जाता है।  परन्तु यह दवा का कारोबार नहीं है। वेबसाइट पर सब तरह की जड़ी-बूटी विधि है। आप स्वयं भी अपना निदान कर सकते हैं।

संतान प्राप्ति के लिए यह करें

स्त्रियों के सेक्स रोगों का निदान

प्रदर रोग (लिकोरिया) – कैथ के पत्ते+ बांस के पत्ते पीसकर कपड़े में छान लें। यह लुगदी 20 ग्राम – शहद १० ग्राम प्रातःकाल प्रयोग करें। – रक्त प्रदर में अशोक की छाल का गाय के दूध में पकाकर मिश्री के साथ (25 ग्राम + 250 ग्राम + 250 ग्राम) प्रातः सायं पीये। पके गूलर के फलो का चूर्ण भी दस ग्राम प्रातः सायं – 10 ग्राम मिश्री के साथ प्रातः सायं लेने से रक्त प्रदर समाप्त हो जाता है। और भी अनेक वनस्पतियाँ है; पर वे प्राप्त होने में दुर्लभ है। आवलें की गुठली का चूर्ण भी इसकी दवा है। मात्रा – 5 ग्राम + 10 ग्राम शहद है।
योनि रोग – सफेद जीरा, काल जीरा, छोटी पीपर, कलौंजी , सुगन्धित बच, अडूसा , सें



Ruchi Sehgal

तंत्र विद्या कोई जादू टोना नहीं है।

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तंत्र मन्त्र सिद्धि साधना


गलत सुना है।   ऐसी कोई भी साधना नहीं होती जो आपको कहीं से पैसे उठा के दे दे ।   किसी शक्ति साधना करने परिस्थितीयाँ बदलती है और धन प्राप्त होता है।   हड्डी घुमाया और थाली में नोट प्रकट हो गया है , यह सब सिनेमा और सीरियल में होता है और कुछ लोग कुछ साधनाओं में भी इस प्रकार की बकवास किया करते है।



तन्त्र विद्या कोई जादू टोना नहीं है।   यह प्रकृति की ऊर्जा तंरगों को नियंत्रित करके असाध्य को साध्य करने की विद्या है।   और प्रकृति के पास इंडियन करेंसी या अमेरिकन डॉलर छापने की कोई मशीन नहीं है।



Ruchi Sehgal