Monday, 20 August 2018
साइनस के घरेलु उपाय
ये करेंगे तो साइनस से आराम होगा -
हमारे चेहरे पर नाक के आसपास कुछ छिद्र होते हैं-जिन्हें साइनस कहा जाता है। इनमें संक्रमण को साइनोसाइटिस या साइनस ही कह दिया जाता है। जब साइनस का संक्रमण होता है तो इसके लक्षण आंखों पर और माथे पर महसूस होते हैं। सिरदर्द आगे झुकने व लेटने से बढ़ जाता है-
साइनस नाक का एक रोग है। आयुर्वेद में इसे प्रतिश्याय नाम से जाना जाता है। सर्दी के मौसम में नाक बंद होना, सिर में दर्द होना, आधे सिर में बहुत तेज दर्द होना, नाक से पानी गिरना इस रोग के लक्षण हैं। इसमें रोगी को हल्का बुखार, आंखों में पलकों के ऊपर या दोनों किनारों पर दर्द रहता है।
तनाव, निराशा के साथ ही चेहरे पर सूजन आ जाती है। इसके मरीज की नाक और गले में कफ जमता रहता है। इस रोग से ग्रसित व्यक्ति धूल और धुवां बर्दाश्त नहीं कर सकता। साइनस ही आगे चलकर अस्थमा, दमा जैसी गंभीर बीमारियों में भी बदल सकता है। इससे गंभीर संक्रमण हो सकता है।
साइनस में नाक तो अवरूद्ध होती ही है, साथ ही नाक में कफ आदि का बहाव अधिक मात्रा में होता है। भारतीय वैज्ञानिक सुश्रुत एवं चरक के अनुसार चिकित्सा न करने से सभी तरह के साइनस रोग आगे जाकर 'दुष्ट प्रतिश्याय' में बदल जाते हैं और इससे अन्य रोग भी जन्म ले लेते हैं। जिस तरह मॉर्डन मेडिकल साइंस ने साइनुसाइटिस (Sinusitis ) को क्रोनिक और एक्यूट दो तरह का माना है। आयुर्वेद में भी प्रतिश्याय को नव प्रतिश्याय एक्यूट साइनुसाइटिस (Acute sinusitis ) और पक्व प्रतिश्याय क्रोनिक साइनुसाइटिस (Chronic sinusitis ) के नाम से जाना जाता है-
वैसे आम धारणा यह है कि इस रोग में नाक के अंदर की हड्डी का बढ़ जाती है या तिरछा हो जाती है जिसके कारण श्वास लेने में रुकावट आती है। ऐसे मरीज को जब भी ठंडी हवा या धूल, धुवां उस हड्डी पर टकराता है तो व्यक्ति परेशान हो जाता है।
चिकित्सकों अनुसार साइनस मानव शरीर की खोपड़ी में हवा भरी हुई कैविटी होती हैं जो हमारे सिर को हल्कापन व श्वास वाली हवा लाने में मदद करती है। श्वास लेने में अंदर आने वाली हवा इस थैली से होकर फेफड़ों तक जाती है। इस थैली में हवा के साथ आई गंदगी यानी धूल और दूसरे तरह की गंदगियों को रोकती है और बाहर फेंक दी जाती है। साइनस का मार्ग जब रुक जाता है अर्थात बलगम निकलने का मार्ग रुकता है तो 'साइनोसाइटिस' नामक बीमारी हो सकती है।
वास्तव में साइनस के संक्रमण होने पर साइनस की झिल्ली में सूजन आ जाती है। सूजन के कारण हवा की जगह साइनस में मवाद या बलगम आदि भर जाता है, जिससे साइनस बंद हो जाते हैं। इस वजह से माथे पर, गालों व ऊपर के जबाड़े में दर्द होने लगता है।
साइनस के लिए किया जाने वाला सबसे आम उपचार आपरेशन है, लेकिन अधिकांश मामलों में यह सफल नहीं होता। इसलिए चलिए आज हम आपको साइनस संक्रमण को दूर करने के लिए कुछ खास नुस्खे बता रहे है -
आप करे ये उपाय :-
एक चम्मच मेथी दाने को एक कप पानी में पांच मिनट तक उबालें। इसके बाद इस पानी को छान लें। चाय की तरह पानी को पिएं। फायदा होगा।
ऊबलते हुए पानी में नमक या डॉक्टर द्वारा दी गई कोई दवा डालें. उसके बाद पानी को आंच से उतार लें. उसके बाद 10 मिनट तक गर्म पानी की भाप लें. इसके बाद लगभग 20 मिनट तक हवा में ना जाएं. ध्यान रहे इस दौरान पंखा और कूलर भी बंद कर लें.
आधा कप पानी में कुछ बूंदे युकेलिप्स तेल की डालें। इस पानी को ढककर उबालें। फिर स्टीम लें। यह साइनस सिरदर्द से तुरंत राहत देने वाला नुस्खा है।
इसके अलावा सिकाई भी की जा सकती है. करना ये होगा कि गर्म पानी की बोतल गालों के ऊपर रखकर इसे प्रकिया को कुछ देर तक दोहराएं. ऐसा करने से आपको काफी राहत मिलगी.
जब साइनस की समस्या ज्यादा परेशान करने लगे तो सहजन की फली का सूप, लहसुन, प्याज, काली मिर्च और अदरक डालकर बनाएं। इस सूप को गर्मा गर्म पीने से बहुत लाभ होता है।
नाक में कई बार कफ जम जाती है इसलिए ये जरूरी हो जाता है कि नाक को साफ करते रहें. नाक की झिल्ली पर वायरस, बैक्टीरिया, फंफूदी, धूल मिट्टी भी जमा हो सकता है. ऐसे में कई तरह की दिक्कतें पैदा हो सकती हैं. इसके लिए आधा गिलास गुनगुना पानी लेकर उसमें नमक मिला लें और रुई को नमक पानी में डुबोकर हल्के-हल्के नाक की सफाई करें.
प्याज का रस नाक में डालने से साइनस के सिरदर्द से तुरंत राहत मिलती है।
कमल जड़, अदरक, और आटा मिलाकर लेप बनाएं। इस लेप को रात में सोने से पहले नाक और माथे पर लगाएं। सुबह होते ही उसे गर्म पानी से धो लें।
रोज कच्चे लहसुन की एक कली खाने से भी साइनस इंफेक्शन से राहत मिलती है।
अपने भोजन में विटामिन-ई से भरपूर खाद्य पदार्थों को शामिल करें. साबुत अनाज, बादाम, काजू, अंडे, पिस्ता और अखरोट, सूरजमुखी के बीज, हरी पत्तेदार सब्जियां, शकरकंद, सरसों, और पॉपकार्न ऐसे ऐसे ही खाद्य पदार्थ हैं जिनमें विटामिन ई भरपूर मात्रा में पाया जाता है.
रोज सुबह नियमित रूप से शहद जरूर खाएं। इससे साइनस से होने वाली परेशानियों से राहत मिलेगी।
एक कप पानी गुनगुना कर लें। इस पानी में अदरक को बारीक काटकर डाल लें। कुछ देर बाद छानकर धीरे-धीरे इस पानी को पी जाएं। राहत मिलेगी।
एक कप साफ गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद और एक चौथाई चम्मच नमक डालें। इस घोल को ड्रापर की सहायता से दो बूंद नाक में डालें। इससे साइनस में राहत मिलती है।
सब्जियों का प्रयोग साइनस की समस्या में सबसे बेहतरीन घरेलू इलाज है। अगर आप 300 एमएल गाजर का रस, 100 एमएल चुकंदर का रस, 200 एमएल पालक का रस और 100 एमएल ककड़ी का रस मिलाकर रोज पिएं तो साइनस में बहुत जल्दी फायदा होगा।
एक लहसुन और एक प्याज एक साथ पानी में उबाल कर भाप लेने से साइनस के सिरदर्द में लाभ होता है।
गर्म कपड़ा या फिर गर्म पानी की बोतल गालों के ऊपर रखकर सिकाई करनी चाहिए। इससे साइनस के रोगियों को बहुत राहत मिलती है।
पाइनएप्पल में ब्रोमलेन होता है. यह साइनस से राहत दिलाने में काफी मददगार हैं. नारियल पानी में पोटेशियम पाया जाता है. जो कि साइनस के रोगियों के लिए लाभदायक है. इससे गले की तकलीफ में आराम मिलता है.
साइनस की दिक्कत होती है तो ऐसे में गरम पेय फायदेमेंद होता है जैसे कि सूप. सूप पीने से आपको काफी राहत महूसस होगी. क्योंकि सूप कफ को बाहर निकालने में मददगार होता है. अगर नाक बंद हो जाए और लगे कि यह दिक्कत बार-बार हो रही है तो आपको विशेषतौर पर चिकन सूप पीना चाहिए.
गाजर में प्राकृतिक रूप से ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो साइनस रोग में लाभकारी होता है. इसे आप चुकंदर, खारे पालक के रस के साथ भी ले सकते हैं और अकेले भी.
इसके लिए आप जीरा लेकर किसी कपडे़ में बांध लें. इसके बाद इसे नाक के करीब ले जाकर तेज-तेज सांस लें. ऐसा करने से आपको तुरंत राहत मिलेगी.
शुद्ध भोजन से ज्यादा जरूरी है शुद्ध जल और सबसे ज्यादा जरूरी है शुद्ध वायु। साइनस एक गंभीर रोग है। यह नाक का इंफेक्शन है। इससे जहां नाक प्रभावित होती है वहीं, फेंफड़े, आंख, कान और मस्तिष्क भी प्रभावित होता है इस इंफेक्शन के फैलने से उक्त सभी अंग कमजोर होते जाते हैं।
भूत पर्वत उतरने के सामान्य उपचार
सामान्य उपचार भी ग्रसित व्यक्ति को ठीक कर देते हैं या भूत-प्रेतों को उनके शरीर से बाहर निकलने के लिए मजबूर कर देते हें। ये उपचार उतारा या उसारा के रूप में किया जाता है। इन्हें आजमाएं।
ग्रसित व्यक्ति के गले में लहसुन की कलियों की माला डाल दें। (लहसुन की गंध अधिकांशतः भूत-प्रेत सहन नहीं कर पाते इसलिए ग्रसित व्यक्ति को छोड़कर भाग जाते हैं।) रात्रिकाल में ग्रसित व्यक्ति के सिरहाने लहसुन और हींग को पीसकर गोली बनाकर रखें।
ग्रसित व्यक्ति की शारीरिक स्वच्छता बनाए रखने का प्रयास करें। ग्रसित व्यक्ति के वस्त्र अलग से धोएं व सुखाएं।
ग्रसित व्यक्ति के ऊपर से बूंदी का लड्डू उतारकर चैराहे या पीपल के नीचे रखें (रविवार छोड़कर)। तीन दिन लगातार करें।
किसी योग्य व्यक्ति से अथवा गुरु से रक्षा कवच या यंत्र आदि बनवाकर ग्रसित व्यक्ति को धारण कराना चाहिए। ग्रसित व्यक्ति को अधिक से अधिक गंगाजल पिलाना चाहिए व उस स्थान विशेष पर भी प्रतिदिन गंगाजल छिड़कना चाहिए। नवार्ण मंत्र (ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे) की एक माला जप करके जल को अभिमंत्रित कर लें व पीड़ित व्यक्ति को पिलाएं।
हर मंगल और शनि के दिन श्री हनुमान जी के मंदिर में जाये और उनके चरणों में से सिन्दूर लेकर माथे पर लगाये -
बेकार के जादू-टोने -टोटको से दूर रहे अन्यथा ये लाभ की बजाय भयंकर नुकसान भी कर सकते है .. अतः किसी योग्य जानकर से परामर्श लेकर और समाज कल्याण के लिए ही इन सबका प्रयोग करे .. किसी को अनायास परेशान न करे.
उतारा आदि करने के पश्चात भलीभांति कुल्ला अवश्य करें।
इस तरह, किसी व्यक्ति पर पड़ने वाली किसी अन्य व्यक्ति की नजर उसके जीवन को तबाह कर सकती है। नजर दोष का उक्त लक्षण दिखते ही ऊपर वर्णित सरल व सहज उपायों का प्रयोग कर उसे दोषमुक्त किया जा सकता है।
अभिचार कर्म से मुक्ति के उपाय
यदि आपको ऐसा लग रहा हो कि कोई आपको मारना चाहता है तो पपीते के 21 बीज लेकर शिव मंदिर जाएं व शिवलिंग पर कच्चा दूध चढ़ाकर धूप बत्ती करें तथा शिवलिंग के निकट बैठकर पपीते के बीज अपने सामने रखें। अपना नाम, गौत्र उच्चारित करके भगवान् शिव से अपनी रक्षा की गुहार करें व एक माला महामृत्युंजय मंत्र की जपें तथा बीजों को एकत्रित कर तांबे के ताबीज में भरकर गले में धारण कर लें।
शत्रु अनावश्यक परेशान कर रहा हो तो नींबू को 4 भागों में काटकर चौराहे पर खड़े होकर अपने इष्ट देव का ध्यान करते हुए चारों दिशाओं में एक-एक भाग को फेंक दें व घर आकर अपने हाथ-पांव धो लें। तांत्रिक अभिकर्म से छुटकारा मिलेगा।
शुक्ल पक्ष के बुधवार को 4 गोमती चक्र अपने सिर से घुमाकर चारों दिशाओं में फेंक दें तो व्यक्ति पर किए गए तांत्रिक अभिकर्म का प्रभाव खत्म हो जाता है।
भूत-प्रेत आदि से ग्रसित व्यक्ति की पहचान कैसे करे:-
इस प्रकार के व्यक्ति के शरीर से या कपड़ों से गंध आती है। ऐसा व्यक्ति स्वभाव से चिड़चिड़ा हो जाता है।ऐसे व्यक्ति की आंखें लाल रहती हैं व चेहरा भी लाल दिखाई देता है। ऐसे व्यक्ति को अनायास ही पसीना बार-बार आता है। ऐसा व्यक्ति सिरदर्द व पेट दर्द की शिकायत अक्सर करता ही रहता है। ऐसा व्यक्ति झुककर या पैर घसीट कर चलता है। कंधों में भारीपन महसूस करता है। कभी-कभी पैरों में दर्द की शिकायत भी करता है। बुरे स्वप्न उसका पीछा नहीं छोड़ते।
जिस घर या परिवार में भूत-प्रेतों का साया होता है वहां शांति का वातावरण नहीं होता। घर में कोई न कोई सदस्य सदैव किसी न किसी रोग से ग्रस्त रहता है। अकेले रहने पर घर में डर लगता है बार-बार ऐसा लगता है कि घर के ही किसी सदस्य ने आवाज देकर पुकारा है जबकि वह सदस्य घर पर होता ही नहीं....?
इसे छलावा कहते हैं। भूत-प्रेत से ग्रसित व्यक्ति का उपचार कैसे करें: भूत-प्रेतों की अनेकानेक योनियां हैं। इतना ही नहीं इनकी अपनी-अपनी शक्तियां भी भिन्न-भिन्न होती हैं। इसलिए सभी ग्रसित व्यक्तियों का उपचार एक ही क्रिया द्वारा संभव नहीं है।
योग्य व विद्वान व्यक्ति ही इनकी योनी व शक्ति की पहचान कर इनका उपचार बतलाते हैं। अनेक बार ऐसा भी होता है कि ये उतारा या उपचार करने वाले पर ही हावी हो जाते हैं इसलिए इस कार्य के लिए अनुभव व गुरु का मार्ग दर्शन अत्यंत अनिवार्य होता है-