Tuesday, 6 November 2018
कृष्णा को पसंद है यह पांच चीजे
कृष्णा को पसंद है यह पांच चीजे
वो पांच चीज़े कौनसी है जिनसे भगवान श्री कृष्ण अति प्रसन्न होते है | यह सभी चीज़े इन्हे अपने बचपन से सी प्यारी है | इसी धारणा से आज भी भक्त इन्हे यह चीज़े प्रदान कर इन्हे प्रसन्न करते है | आइये जाने यह पांच चीजे क्या है |
बांसुरी
गाय और ग्वाल
मोरपंख
माखन मिसरी
कमल के बीजो से बनी वैजयंती माला
इन के लिए कृष्णा का प्रेम उनके भक्तो को सीख भी प्रदान करता है | निचे पढ़कर जाने इन चीजो के रहस्य और ज्ञान के बारे में |
१) बांसुरी :
बांसुरी भगवान श्री कृष्ण को अति प्रिय है, इसे भगवान अपनी ख़ुशी और गम दोनों में बजाय करते थे | हमेशा उनके साथ उनकी बांसुरी रहती थी इसी करने उन्हें बंसीबजैया भी कहा जाता है | उन्हें बांसुरी प्रिय थी इसके पीछे बांसुरी के ३ गुण है |
बांसुरी में कोई गांठ नही होती इसी तरह मनुष्य को भी किसी भी बात की गांठ नही बांधनी चाहिए , किसी की बुराई को पकड़ के मत बैठो |
दूसरा गुण यह है की बांसुरी बिना बजाये बजती नही , अत: जब तक ना बोला जाये तब तक आप भी व्यर्थ ना बोले |
जब भी बांसुरी बजती है मधुर बजती है , अत: हम भी जब भी बोले मधुर और मीठा बोले और वातावरण को
दूसरा बिना बजाये ये बजती नहीं है। मानो बता रही है कि जब तक ना कहा जाए तब तक मत बोलो। और तीसरा जब भी बजती है मधुर ही बजती है। जिसका अर्थ हुआ जब भी बोलो, मीठा ही बोलो। जब ऐसे गुण किसी में भगवान देखते हैं, तो उसे उठाकर अपने होंठों से लगा लेते हैं।
२) इसलिए कृष्ण को प्यारी है गाय
भगवान श्रीकृष्ण को गौ अत्यंत प्रिय है। दरअसल, गौ सब कार्यों में उदार तथा समस्त गुणों की खान है। गौ का मूत्र, गोबर, दूध, दही और घी, इन्हे पंचगव्य कहते हैं। मान्यता है कि इनका पान कर लेने से शरीर के भीतर पाप नहीं ठहरता। जो गौ की एक बार प्रदक्षिणा करके उसे प्रणाम करता है, वह सब पापों से मुक्त होकर अक्षय स्वर्ग का सुख भोगता है।
३) मोरपंख से ब्रह्मचर्य की शिक्षा
मोर ही एकमात्र प्राणी है जो -ब्रह्मचर्य का पालन करता है | इसके आँसू से ही इसके संतान होती है | मोरनी मोर के आँख के आँसू को पीकर ही संतान को जन्म देती है |
इस तरह इस सुन्दर प्राणी के पंख कृष्णा को बहूत पसंद है और हमेशा उन्हें अपने सर पर मोरमुकुट के रूप में सजाते है |
४) कमल की तरह रहें पवित्र
कमल गन्दगी में पनप कर भी बहूत सुन्दर और पवित्रता का प्रतीक है | इसकी खुशबु मन को मोह लेती है | यह हम्हे जीवन जीने का सन्देश देता है की आपके आस पास कितना भी अवगुण क्यों ना हो , आप चाहे तो आप गुणवान बन सकते है | आपको वो अवगुण छू भी नहीं सकते |
कमल से बनी वैजयंती माला
कृष्ण जी के गले में शोभित है कमल के बीजों से बनी वैजयंती माला जो चमकदार होती है , बीज सख्त होने के कारण टूटते नही है | यह माला हम्हे सीख देती है किसी भी अवस्था में टूटे नही , हमेशा चमकदार बने रहे और इन बीजो की मंजिल है धरा तो हमेशा अपनी जमीन से जुड़े रहे | कितने भी बड़े क्यों ना हो जाओ पर अपनी पूर्व पहचान के नजदीक बने रहे | जो इस तरह के होते है उनके भगवन अपने गले लगा लेते है |
५) माखन मिसरी से सीखें मीठास
हम्हारे कान्हा को माखन मिसरी बहुत ही प्रिय है। मिसरी में सबसे बड़ा गुण यह है कि जब इसे माखन में मिलाया जाता है, तो उसकी मिठास माखन के कण-कण में घुल जाती है। यह हम्हे सीख देती है की हम्हारा व्यवहार भी ऐसा ही होना चाहिए की हम्हारे आस पास हम्हारे व्यवहार की मीठास घुल जाये | हम्हारे सम्पर्क में आकर आस पास भी मधुर गुण भर जाये |
तुलसी बताती है आने वाली मुसीबत के बारे में
घर में लगी तुलसी बताती है आने वाली मुसीबत के बारे में :
हिन्दू धर्म में तुलसी का पौधा बहूत ही शुभ माना गया है | हर घर के आँगन में तुलसी का पौधा होना चाहिए और सुबह शाम पूजा के समय इनकी पूजा की जानी चाहिए | इन्हे देवी का स्थान प्राप्त है | विज्ञान से देखे तो तुलसी के पत्तो में जीवन दायक गुण भी बहूत होते है | जैसे माँ जीवन प्रदान कर रही हो | इसलिए इन्हे तुलसी माँ भी कहते है |
तुलसी का पौधा घर को नकारात्मक ऊर्जा से भी बचाव करता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है |
यह घर की रक्षा तो करती ही है पर हम्हे किसी संकट के आने से पहले आगाह भी करती है |
कहते है की जिस घर पर संकट ज्यादा ही हो रहे हो या नकारात्मक ऊर्जा ज्यादा ही आने वाली हो उस घर में सबसे पहले तुलसी जी का पौधा सुख जाता है या दुसरे शब्दों में तुलसी जी वहा से चली जाती है | ऐसा होने से घर में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है , घर में सुख शांति नहीं रहती | परिवार के सदस्यों में आपस में नही बनती |
यदि बार बार लगाने पर भी तुलसी जी अच्छे से नही पनप रही तो यह बहूत ही चिंतनीय बात है |
देवी देवताओ को अर्पण की जाती है तुलसी जी के पत्ते
माँ तुलसी जी के पत्ते देवी देवताओ को भोग के रूप में अर्पित किये जाते है | घर में जब देवी देवताओ को भोग लगाया जाता है तो उस भोग में तुलसीजी के पत्ते भी डाले जाते है | तुलसी जी विष्णु को प्रिय है |
पूजा में अक्षत (चावल ) का प्रयोग
पूजा में अक्षत (चावल ) का प्रयोग
हम भली तरह जानते है की हिन्दुत्व में जब भी पूजा का कोई कार्यक्रम या हवन होता है तो पूजन थाल में श्वेत चावल जरुर प्रयोग में लाये जाते है | इन चावलों का पूजा में होना अनिवार्य माना जाता है | बिना इनके पूजा संपन्न नही मानी जाती है |
चावल को अक्षत कहा जाता है जिसका अर्थ है जो सम्पूर्ण है बिना टूट फुट के | पूजन कर्म में इस सफेद रंग के चावल का होना अति शुभकारी है | यह पूर्णता का घोतक है जो पूजा के सम्पूर्णता का परिचायक है |
अक्षत को अन्नो में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है जो खाने के काम भी आता है , अत: इसे ईश्वर को चढ़ाना यह दिखाता है की हम आपके आभारी है और शांति के इस सफ़ेद प्रतीक को आपको भेट करते है | इसी तरह आप भी हम्हरे अन्न में कभी कमी ना आने दे और हम्हारे बाहरी और आंतरिक शांति बनाये रखे |
चावल चढाते हुए ध्यान रखे :
चावल टूटे फूटे ना हो अर्थात अपने नाम के अनुसार सम्पूर्ण हो |
चावल अच्छे से साफ़ किये हुए होने चाहिए उनमे किसी प्रकार की गन्दगी ना हो |
भगवान को चावल चढाते समय यह मंत्र का प्रयोग करे :
अक्षताश्च सुरश्रेष्ठकुङ्कमाक्ता: सुशोभिता:।
मया निवेदिता भक्त्या: गृहाण परमेश्वर॥
इस मंत्र का अर्थ है की हे पूजा , हम आपको कुमकुम के साथ देवताओ का प्रिय अन्न अक्षत आपको इस पूजन कार्यक्रम में भेट कर रहे है , आप इसे ग्रहण करके पूजा को सफल बनाये |