Tuesday, 6 November 2018
क्यों है शंख से शिव पूजा वर्जित
क्यों है शंख से शिव पूजा वर्जित
हिन्दू धर्म में आरती के समय शंख का उपयोग महत्वपूर्ण माना जाता है | सभी सभी देवी-देवताओं को शंख से जल चढ़ाया जाता है आपको जानकर अचरज होगा की पुराणों में किसी भी शिवलिंग पर शंख से जल चढ़ाना वर्जित माना गया है।
ऐसा क्यों है और इसके पीछे की कथा जानते है क्यों शिवलिंग पर शंख से जल नही चढ़ाया जाता |
शिवपुराण की कथा से जाने शंख और शिव के सम्बन्ध के बारे में
एक बार इस धरा पर महादैत्य दंभ हुआ था | उसके कोई पुत्र नही था अत: उसने भगवान् विष्णु की घोर तपस्या करके एक महाबली पुत्र का वरदान माँगा जिसे कोई देवता हरा ना सके | विष्णु के आशीष से उसे पुत्र रत्न प्राप्त हुआ जो महाबली था | उसका नाम शंखचूड रखा गया | धीरे धीरे उसने सभी जगह अपना लोहा मनवाकर अपना शासन हर जगह कर लिया |
शंखचूड ने भी ब्रह्मा की घोर तपस्या करके और भी असीम शक्तिया प्राप्त कर ली थी उसमे एक था श्रीकृष्णकवच | ब्रह्मा की आज्ञा से तुलसी और शंखचूड का विवाह हो गया। तुलसी बहूत ही पतिव्रतता नारी थी जिसकी पतितत्व शक्ति से उसके पति शंखचूड को और भी अधिक शक्ति मिलती थी | एक तरह विष्णु और ब्रह्मा का आशीष एक तरह तुलसी की भक्ति से उसे असीम शक्ति प्राप्त होने से वो अजेय ही हो गया था |
देवताओं ने त्रस्त होकर विष्णु से मदद मांगी परंतु उन्होंने खुद दंभ को ऐसे पुत्र का वरदान दिया था अत: उन्होंने शिव से प्रार्थना की। तब शिव ने देवताओं के दुख दूर करने का निश्चय किया परंतु श्रीकृष्ण कवच और तुलसी के पतिव्रत धर्म की वजह से शिवजी भी उसका वध करने में सफल नहीं हो पा रहे थे तब विष्णु ने छल का सहारा लेकर ब्राह्मण रूप बनाकर पहले शंखचूड से उसका श्रीकृष्णकवच दान में ले लिया और फिर उसी का वेश बनाकर उसकी पत्नी तुलसी का शील हरण कर लिया | इस तरह शंखचूड निर्बल हो गया | यह देखकर शिव शंकर ने उसे भस्म करके जगत में शांति पनपा दी |
इसी शंखचूड की हड्डियों से शंख का निर्माण हुआ जिसका जल उन्हें आराध्य विष्णु और माँ लक्ष्मी को चढ़ाना शुभ माना जाता है | पर शिव ने उसका वध किया था अत: शिवलिंग पर कभी भी शंख से जल नही चढ़ाया जाता है |
कृष्णा को पसंद है यह पांच चीजे
कृष्णा को पसंद है यह पांच चीजे
वो पांच चीज़े कौनसी है जिनसे भगवान श्री कृष्ण अति प्रसन्न होते है | यह सभी चीज़े इन्हे अपने बचपन से सी प्यारी है | इसी धारणा से आज भी भक्त इन्हे यह चीज़े प्रदान कर इन्हे प्रसन्न करते है | आइये जाने यह पांच चीजे क्या है |
बांसुरी
गाय और ग्वाल
मोरपंख
माखन मिसरी
कमल के बीजो से बनी वैजयंती माला
इन के लिए कृष्णा का प्रेम उनके भक्तो को सीख भी प्रदान करता है | निचे पढ़कर जाने इन चीजो के रहस्य और ज्ञान के बारे में |
१) बांसुरी :
बांसुरी भगवान श्री कृष्ण को अति प्रिय है, इसे भगवान अपनी ख़ुशी और गम दोनों में बजाय करते थे | हमेशा उनके साथ उनकी बांसुरी रहती थी इसी करने उन्हें बंसीबजैया भी कहा जाता है | उन्हें बांसुरी प्रिय थी इसके पीछे बांसुरी के ३ गुण है |
बांसुरी में कोई गांठ नही होती इसी तरह मनुष्य को भी किसी भी बात की गांठ नही बांधनी चाहिए , किसी की बुराई को पकड़ के मत बैठो |
दूसरा गुण यह है की बांसुरी बिना बजाये बजती नही , अत: जब तक ना बोला जाये तब तक आप भी व्यर्थ ना बोले |
जब भी बांसुरी बजती है मधुर बजती है , अत: हम भी जब भी बोले मधुर और मीठा बोले और वातावरण को
दूसरा बिना बजाये ये बजती नहीं है। मानो बता रही है कि जब तक ना कहा जाए तब तक मत बोलो। और तीसरा जब भी बजती है मधुर ही बजती है। जिसका अर्थ हुआ जब भी बोलो, मीठा ही बोलो। जब ऐसे गुण किसी में भगवान देखते हैं, तो उसे उठाकर अपने होंठों से लगा लेते हैं।
२) इसलिए कृष्ण को प्यारी है गाय
भगवान श्रीकृष्ण को गौ अत्यंत प्रिय है। दरअसल, गौ सब कार्यों में उदार तथा समस्त गुणों की खान है। गौ का मूत्र, गोबर, दूध, दही और घी, इन्हे पंचगव्य कहते हैं। मान्यता है कि इनका पान कर लेने से शरीर के भीतर पाप नहीं ठहरता। जो गौ की एक बार प्रदक्षिणा करके उसे प्रणाम करता है, वह सब पापों से मुक्त होकर अक्षय स्वर्ग का सुख भोगता है।
३) मोरपंख से ब्रह्मचर्य की शिक्षा
मोर ही एकमात्र प्राणी है जो -ब्रह्मचर्य का पालन करता है | इसके आँसू से ही इसके संतान होती है | मोरनी मोर के आँख के आँसू को पीकर ही संतान को जन्म देती है |
इस तरह इस सुन्दर प्राणी के पंख कृष्णा को बहूत पसंद है और हमेशा उन्हें अपने सर पर मोरमुकुट के रूप में सजाते है |
४) कमल की तरह रहें पवित्र
कमल गन्दगी में पनप कर भी बहूत सुन्दर और पवित्रता का प्रतीक है | इसकी खुशबु मन को मोह लेती है | यह हम्हे जीवन जीने का सन्देश देता है की आपके आस पास कितना भी अवगुण क्यों ना हो , आप चाहे तो आप गुणवान बन सकते है | आपको वो अवगुण छू भी नहीं सकते |
कमल से बनी वैजयंती माला
कृष्ण जी के गले में शोभित है कमल के बीजों से बनी वैजयंती माला जो चमकदार होती है , बीज सख्त होने के कारण टूटते नही है | यह माला हम्हे सीख देती है किसी भी अवस्था में टूटे नही , हमेशा चमकदार बने रहे और इन बीजो की मंजिल है धरा तो हमेशा अपनी जमीन से जुड़े रहे | कितने भी बड़े क्यों ना हो जाओ पर अपनी पूर्व पहचान के नजदीक बने रहे | जो इस तरह के होते है उनके भगवन अपने गले लगा लेते है |
५) माखन मिसरी से सीखें मीठास
हम्हारे कान्हा को माखन मिसरी बहुत ही प्रिय है। मिसरी में सबसे बड़ा गुण यह है कि जब इसे माखन में मिलाया जाता है, तो उसकी मिठास माखन के कण-कण में घुल जाती है। यह हम्हे सीख देती है की हम्हारा व्यवहार भी ऐसा ही होना चाहिए की हम्हारे आस पास हम्हारे व्यवहार की मीठास घुल जाये | हम्हारे सम्पर्क में आकर आस पास भी मधुर गुण भर जाये |
तुलसी बताती है आने वाली मुसीबत के बारे में
घर में लगी तुलसी बताती है आने वाली मुसीबत के बारे में :
हिन्दू धर्म में तुलसी का पौधा बहूत ही शुभ माना गया है | हर घर के आँगन में तुलसी का पौधा होना चाहिए और सुबह शाम पूजा के समय इनकी पूजा की जानी चाहिए | इन्हे देवी का स्थान प्राप्त है | विज्ञान से देखे तो तुलसी के पत्तो में जीवन दायक गुण भी बहूत होते है | जैसे माँ जीवन प्रदान कर रही हो | इसलिए इन्हे तुलसी माँ भी कहते है |
तुलसी का पौधा घर को नकारात्मक ऊर्जा से भी बचाव करता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है |
यह घर की रक्षा तो करती ही है पर हम्हे किसी संकट के आने से पहले आगाह भी करती है |
कहते है की जिस घर पर संकट ज्यादा ही हो रहे हो या नकारात्मक ऊर्जा ज्यादा ही आने वाली हो उस घर में सबसे पहले तुलसी जी का पौधा सुख जाता है या दुसरे शब्दों में तुलसी जी वहा से चली जाती है | ऐसा होने से घर में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है , घर में सुख शांति नहीं रहती | परिवार के सदस्यों में आपस में नही बनती |
यदि बार बार लगाने पर भी तुलसी जी अच्छे से नही पनप रही तो यह बहूत ही चिंतनीय बात है |
देवी देवताओ को अर्पण की जाती है तुलसी जी के पत्ते
माँ तुलसी जी के पत्ते देवी देवताओ को भोग के रूप में अर्पित किये जाते है | घर में जब देवी देवताओ को भोग लगाया जाता है तो उस भोग में तुलसीजी के पत्ते भी डाले जाते है | तुलसी जी विष्णु को प्रिय है |