Tuesday, 6 November 2018
सिमसा माता मंदिर, जहा मिलता है संतान प्राप्ति का आशीर्वाद
सिमसा माता मंदिर
हिमाचल में एक सिमसा मंदिर ऐसा है जो बाँझ महिलायों को संतान होने का आशीष प्रदान करता है | दूर दूर से परेशान महिलाये माँ की चोखट पर संतान प्राप्ति का आशीष लेने इस मंदिर में आती है |
रात्रि को सोते है मंदिर के फर्श पर :
रात्रि में यहा महिलाये मंदिर के फर्श पर सोती है और माँ से संतान की अरदास लगाती है | सिमासा माता उन्हें स्वपन में इशारे के रूप में आशीष प्रदान करती है | नवरात्रि में यहा विशेष उत्सव भरता है |
कैसे इशारे मिलते है महिलायों को :
महिलाये स्वप्न में यदि फल फुल देखती है तो यह माना जाता है की उनके संतान अवश्य होगी | इतना ही नही बच्चा या बच्ची होगी , माता सिमसा यह भी प्रतीक रूप में बताती है | यदि किसी को अमरूद , टमाटर , दिखे तो समझे ले की उसे लड़का होगा और यदि लोकी , भिन्डी दिखे तो समझ ले की उन्हें लड़की होगी |
यदि धातु , पत्थर या लकड़ी दिखाई दे तो समझ ले की उस महिला के भाग्य में संतान योग नही है |
चमत्कारी पत्थर भी इस मंदिर में :
इस मंदिर में रखे पत्थर भी भक्तो में आश्चर्य का विषय है | इन पत्थरो को आप शक्ति से दोनों हाथो से हिलाना चाहोगे तो यह नही हिलेंगे पर यदि आपने आस्था के साथ छोटी ऊँगली से हिलाने की कोशिस करेंगे तो पत्थर हिल जायेंगे |
संतान प्राप्ति के उपाय लाल किताब से
लाल किताब के अनुसार संतान प्राप्ति के उपाय
संतान प्राप्ति कर हर माता पिता अपने जीवन को पूर्ण करना चाहते है । कहते है पितृ ऋण तभी उतरता है जब संतान हो | हर स्त्री के माँ बनने की इच्छा होती है। हर कोई यह चाहता है की उनके आँगन में भी बच्चो की किलकारी हो लेकिन कुछ दंपति इस सुख से वंचित रह जाते हैं। संतान नहीं होने के कई कारण हो सकते है उनमे से एक है
अशुभ ग्रहों का प्रभाव। लाल किताब के अनुसार ग्रहों के अशुभ प्रभाव को छोटे-छोटे उपाय करके दूर किया जा सकता है।
1. अगर संतान प्राप्ति में सूर्य बाधक हो तो :
हनुमान जी को चोला चढ़ाये, चने का भोग लगाए या बंदरो को फल खिलाये।
2. अगर संतान प्राप्ति में चन्द्र बाधक हो तो :
अपने शयन कक्ष में पलंग के नीचे ताम्बे की प्लेट रखे।
बरसात का जल बोतल में भर कर घर में रखे।
3. अगर संतान प्राप्ति में मंगल बाधक हो या गर्भस्थ में बीच में तकलीफ आ रही हो तो :
मंगलवार के दिन हनुमानजी के पैरो में नमक छुआकर स्त्री के कमर में बांध ले।
चारपाई या पलंग के सभी पायो में ताम्बे की किल ठोकनी चाहिए।
4. अगर संतान प्राप्ति में बुध बाधक हो तो :
चतुर्थी के दिन चांदी खरीद कर धारण करे।
स्नान में कूट का प्रयोग करे।
5. अगर संतान प्राप्ति में गुरु बाधक हो तो :
गुरूवार को केसर का तिलक चन्दन के साथ करे एवं पीली हल्दी, पीला चन्दन गुरु मंदिर में दान करे।
6. अगर संतान प्राप्ति में शुक्र बाधक हो तो :
सफ़ेद कपडे में चन्दन, इत्र, दही एवं सुघंदित सफ़ेद फुल रखकर कृष्ण मंदिर में दान करे।
शुक्रवार के दिन जल में दूध डालकर स्नान करे।
7. अगर संतान प्राप्ति में शनि बाधक हो तो :
काले तिल जमीन में दबा दे एवं लोहे की कील, चाक़ू, शनि मंदिर में दान करे।
शनि मंदिर में १० बादाम चढ़ा कर उसमे से ५ बादाम घर में लाकर रखे बाद में १ या २ साल के बाद कभी भी नदी में प्रवाहित कर सकते है।
8. अगर संतान प्राप्ति में राहू बाधक हो तो :
अपने पास चांदी का चौकोर पतरा रखे एवं लोहे की अंगूठी दाए हाँथ की मध्यमा उंगली में धारण करे।
अपनी पत्नी से दुबारा शादी करे।
9. अगर संतान प्राप्ति में केतु बाधक हो तो :
किसी गरीब व्यक्ति को कम्बल का दान बुधवार के दिन करे एवं मंगलवार के दिन दोपहर में शीशे की अंगूठी गौ मूत्र में धोकर दाए हाँथ की कनिष्ठिका उंगली में धारण करे।
बुधवार के दिन मसूर की दाल दान करे।
लाल किताब के अनुसार संतान संबंधी सामान्य उपाय:
स्त्री के गर्भवती हो जाने के दिन से उसके बाजू पर लाल धागा बांधे जो बाद में संतान के जन्म होने के उपरांत बच्चे को बांध दे। माता को पुनः नया लाल धागा बांध दे। यह धागा बच्चे को 18 महीने तक बांधे रखे। यह चमत्कारी धागा बच्चे को पीड़ा बीमारी से बचाता है और उसकी आयु बढाता है । अन्य उपायों में :-
गौ माँ को रोटी दे ।
संतान वृद्धि के लिए गणेश स्तुति और उपासना उत्तम है।
राहू अशुभ होने पर संतान जन्म से पूर्व जौ का पानी बोतल में बंद कर के रख लेने पर प्रसव सरलता से हो जाता है।
घर से सौ या अधिक दिन बहार रहना हो तो नदी पार करते समय ताम्बे का सिक्का नदी में डालने से संतान कष्ट से रक्षा होती है।
दिन में मीठी रोटिया तंदूर में लगवाकर कुत्ते को खिलाये। मीठी रोटी लोहे के तवे पर न बनाकर तंदूर में ही लगवाये।
बच्चे जन्म होकर न बचते हो तो जन्म होने पर मीठा न बाटकर नमकीन वस्तु बांटे।
बच्चे के जन्म से पूर्व बर्तन में दूध व दुसरे बर्तन में खांड स्त्री का हाथ लगाकर रख ले। बच्चा बिना किसी भय के आराम से होगा । बाद में बर्तन समेत दोनों वस्तुए धर्मस्थल में दे दे .अधिक प्रयोग में आने वाले बर्तन से लाभ अधिक रहेगा।
हनुमान चालीसा की चमत्कारी चौपाइयाँ
हनुमान चालीसा के चमत्कारी दोहे और चौपाइयाँ
वैसे तो गोस्वामी तुलसीदास जी के रचित हनुमान चालीसा के सभी चालीस चौपाइयाँ दोहे अपने आप में सिद्ध मन्त्र की तरह काम करते है | फिर भी कुछ चौपाइयाँ ऐसी चमत्कारी है जो सटीक आपकी विनती हनुमानजी के चरणों में पहुंचा देते है | हनुमान चालीसा का पाठ दु:खो का निवारण करने वाला महा शक्तिशाली पाठ है |
पहली चौपाई
बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरो पवन कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहि हरेहू कलेश विकार।
इस दोहे में बताया गया है की हे पवन पुत्र श्री हनुमान , हमें मतिहीन मान कर हमारे सुमिरन को स्वीकार करे और हमें बल बुद्धि और विद्या प्रधान करे और हमारे सभी दुःख कलेश और व्याधियो को दूर करे |
दूसरी चौपाई
नासे रोग हरे सब पीरा।
जो सुमिरे हनुमंत बलबीरा।।
इस चौपाई के माध्यम से बताया गया है की हनुमान जी के नाम को सुमिरण करने से बड़ी से बड़ी बीमारी रोग पीड़ा दूर हो जाते है |
तीसरी चौपाई
अष्ट-सिद्धि नवनिधि के दाता
अस बर दीन जानकी माता।।
जिनकी माता जानकी (सीता ) है वे हनुमानजी अष्ट सिद्धि और नव निधि के दाता है |
चौथी चौपाई
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्रजी के काज संवारे।।
महाविशाल काय रूप धारण करके आपने दानवो का संहार किया और अपने प्रभु श्री राम जी के सभी कार्यो को पूर्ण किया | उनके विध्नो को दूर करके आपने उन्हें सफलता दिलवाई |
कैसे करे इन दोहों का प्रयोग :
बालाजी के मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी के मंदिर में जाकर अपने अंतर्मन से इन दोहों को अर्थ सहित सुमिरण करे | राम भक्त हनुमान को उनकी शक्ति याद दिलाये और अपने दुःखो का हरण करने की विनती करे |