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Wednesday, 7 November 2018

किसी को भी अपने अनुकूल बनाने का मंत्र :-

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| लं ह्रां लां ह्रीं लीं लः ‘अमुक’ ठ: ठ: |



इस मंत्र को सवा लाख की संख्या में जपकर सरसों का दशांश हवन करें | हवन की भस्म से जिस व्यक्ति के घर में फेंका जायेगा वह व्यक्ति अनुकूल हो जायेगा | अमुक के स्थान पर साध्य व्यक्ति का नाम लेना है |

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सभी कामना सिद्धि मन्त्र

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सभी कामना सिद्धि मंत्र :-

| ॐ ह्रीं नमः |

ग्रहण काल में उपरोक्त मंत्र को भोजपत्र पर लिखकर और इस मंत्र की पूजा कर 1008 बार जपने से मंत्र सिद्ध हो जाता है | फिर इस मंत्र का जाप करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है | यदि किसी भी अनुष्ठान में इस मंत्र का 15 बार अनुष्ठान शुरू होने से पहले  जाप किया जाये तो अनुष्ठान भी निर्विघ्न समाप्त होता है और सफलता प्राप्त होती है |


पुरुषोत्तम मास से जुड़ी पौराणिक कहानी

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पुरुषोत्तम मास में पूजा पाठ का महत्व और जुड़ी पौराणिक कहानी
पुरुषोत्तम मास जिसे हम मलमास के नाम से भी जानते है , हर तीसरे साल आता है | पर क्या आप जानते है की पुरुषोत्तम मास के महत्व को बताने वाली पौराणिक कहानी क्या है | यदि आपको नही पता तो इस पोस्ट के माध्यम से आप जानेंगे की क्यों पुरुषोत्तम मास में पूजा आराधना का अत्यंत महत्त्व है |



स्वामीविहीन मलमास ने विष्णु को सुनाया दुखड़ा

अधिकमास (मलमास) या पुरुषोत्तम मास से जुड़ी एक रोचक कथा इस तरह है की एक बार स्वामीविहीन होने के कारण यह मास भगवान विष्णु के पास गया और अपने दुःख की व्यथा सुनाने लगा | उसने बताया मुझे (अधिकमास ) को लोग मलमास के नाम से पुकारते है जो उसे शर्मिंदा करता है अत: मेरी इस समस्या का कोई हल निकले प्रभु |


तब लक्ष्मी नारायण विष्णु उन्हें गोलोक में श्री कृष्ण के पास ले जाते है | भगवान कृष्ण मलमास की व्यथा को दूर करने के लिए उन्हें  पुरुषोत्तम नाम देते है | साथ ही यह वरदान देते है की आज के बाद मैं उसका स्वामी रहूँगा और मेरे सभी गुण इस मास में समाविष्ट  हो जायेंगे |
पुरुषोत्तम मास की पूजा का फल
उन्होंने बताया की जो भक्त इस पुरुषोत्तम मास में मन और आत्मा से भक्ति और धर्म कर्म के कार्य करेगा , उसे कई गुणा फल की प्राप्ति होगी | इस मास में तीर्थ स्थलों में स्नान , पूजन , यज्ञ हवन , अनुष्ठान और दान का अत्यंत महत्व रहेगा |