Sunday, 11 November 2018
फर्श पर बैठकर क्यों नहीं करे पूजा
फर्श पर बैठकर न करें कभी पूजा
हिन्दू धर्म में घरों में मंदिर पर विशेष ध्यान दिया जाता है| परन्तु केवल घर में मंदिर बनाना ही पर्याप्त नहीं है| हमें घर के मंदिर में बहुत सारी बातों का ध्यान रखना पड़ता है| अक्सर लोग अधिकतर दिशा और खुली जगह देखकर उस स्थान को पूजाघर में बदल देते हैं| यह एक गलत निर्णय है| घर में मंदिर की दिशा घर में शुभ अथवा अशुभ फल दे सकती है|
घर में मंदिर बनाते समय दिशा का ध्यान अवश्य रखें| घर में पूर्व दिशा में मंदिर बनाना बहुत शुभ होता है| माना जाता है कि सूर्य पूर्व दिशा की ओर से उगता है और इसी दिशा से सृष्टि पर रोशनी आती है| इसलिए घर में मंदिर बनाते समय पूर्व दिशा को प्राथमिकता दें| भूलकर भी दक्षिण दिशा को पूजा घर नहीं बनाना चाहिए|
पूजा करते समय आपका चेहरा पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ होना चाहिए| माना जाता है कि घर की उत्तर पूर्व दिशा भगवान का स्थान होती है|
घर में एक ही जगह पर पूजा होनी चाहिए| कई बार अपने- अपने कमरें में भी परिवार के सदस्यों द्वारा मंदिर बना लिए जाते हैं| परन्तु घर में एक से अधिक पूजा घर होना अशुभ माना जाता है| ध्यान रखें कि घर के विभिन्न स्थानों पर भी देवी- देवताओं की तस्वीर लगाने से बचें|
घर में पूजा घर को फर्श से ऊँचा रखें| इस बात का ध्यान रखें कि पूजा घर की दीवार हमेशा आम फर्श से ऊपर होनी चाहिए|
पूजा करते समय ध्यान रखें कि जमीन पर खड़ें होकर या बैठकर पूजा ना करें| ऐसे पूजा करना अशुभ माना जाता है| इसलिए आसन पर ही बैठकर या खड़े होकर पूजा करें|
माता सीता ने केवल एक ही पुत्र को जन्म दिया था
एक ही संतान को जन्म दिया था माता सीता ने
रामायण का सही वर्णन महर्षि वाल्मीकि द्वारा लिखी गयी वाल्मीकि रामायण में ही मिलता है| कई ऋषियों ने रामायण को अपने तरीके से लिखने की कोशिश की और फलस्वरूप इसके कई संस्करण बन गए जिसमे कुछ चीज़े तो वाल्मीकि रामायण से मेल खाती थीं परन्तु कुछ प्रसंगों का रूप बदल गया|
वाल्मीकि रामायण के अनुसार माता सीता ने एक ही पुत्र को जन्म दिया था लेकिन कई ऋषियों के द्वारा लिखी गयी रामायण में सीता जी के द्वारा दो पुत्रो के जन्म का उल्लेख किया गया है| तो आइए जानते हैं लव कुश के जन्म की कहानी:-
रामायण काल में जब श्री राम सीता जी और लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष का वनवास भोग कर अयोध्या लोटे तब अयोध्या नगरी में हर्ष और उल्लास का माहौल बन गया| कुछ दिनों बाद पता चलने पर कि श्री राम और सीता जी माता-पिता बनने वाले हैं, हर ओर खुशियाँ फैल गयी| परन्तु इन खुशियों पर जल्द ही नज़र लग गयी|
प्रजा में बातें बनने लगी कि माता सीता पति से दूर लंका में इतना समय काट कर आई हैं फिर भी महल में सुखी जीवन व्यतीत कर रही हैं जबकि उस वक़्त अगर कोई स्त्री एक रात भी अपने पति से दूर रहती थी तो उसे वापिस घर नहीं आने दिया जाता था| इन सब के चलते उनके गर्भवती होने पर भी सवाल उठने लगे|
समय चलते यह बात महल में पहुंच गयी और माता सीता ने निर्णय लिया कि वह अयोध्या छोड़ देंगी और सन्यास ले लेंगी| लक्ष्मण उन्हें वन तक छोड़ कर आए और वहां महर्षि वाल्मीकि उन्हें उनके आश्रम ले गए और सलाह दी की सभी बातें भूल कर सामान्य जीवन जीने की कोशिश करें| कहा जाता है कि सीता जी के अयोध्या छोड़ देने के बाद श्रीराम ने राज्य तो बखूबी संभाला, लेकिन वे अंदर से दुखी रहने लगे।
वह समय समीप आ रहा था जब माता सीता अपनी संतान को जन्म देने वाली थी| कुछ दिन बाद माता सीता ने एक सुंदर बालक को जन्म दिया, जिसका नाम लव रखा गया| सीता जी ने अपना सारा समय शिशु की देखभाल में लगा दिया|
फिर एक दिन सीता जी को आश्रम के बाहर कुछ लकडियां लेने जाना था तो उन्होंने महर्षि वाल्मीकि को लव पर ध्यान देने को कहा| परन्तु सीता माता ने पाया कि महर्षि का ध्यान किसी अन्य कार्य में है तो वह लव को साथ लेकर जंगल की ओर चली गयी|
इतने में महर्षि का ध्यान बच्चे की ओर गया तो वह बच्चे को न पाकर चिंतित हो गए| उन्हें डर था वे सीता जी को क्या उत्तर देंगे| तभी उन्होंने अपने पास पड़े कुशा (घास) को लिया और कुछ मंत्र पढ़े जिससे उन्होंने नया लव बना दिया|
जब उन्होंने माता सीता को आते हुए देखा तो वे आश्चर्यचकित रह गए| उन्होंने माता सीता के साथ बालक लव को भी देखा और महर्षि ने सीता जी से लव को ले जाने के बारे में पूछा| महर्षि ने सारी कहानी सीता जी को बताई तो वह नए लव को देख बहुत खुश हुई|
नए लव का नाम कुशा के कारण कुश पड़ा और वह माता सीता और श्री राम के दूसरे पुत्र के रूप में जाना गया|
विदेश जाने के लिए करे ये उपाय
आप भी अपने विदेश जाने के सपने को पूरा करना चाहते है, तो करें ये उपाय
आज के समय में विदेश जाने का सपना हर एक युवा रखता है, विदेश का नाम सुनकर ही उनकी आँखों में एक अलग सी चमक देखने को मिलती है| लोग विदेश घूमने, पढ़ने, व्यापार करने के लिए जाते है और वहाँ जाकर अपना और अपने देश का नाम रोशन करना चाहते है| लेकिन यह कहना मुश्किल होगा कि उन्हें वहाँ सफलता मिलेगी या नहीं? इस प्रश्न का उत्तर पाने के लिए वे ज्योतिष की मदद लेते है|
प्राचीन काल में विदेश यात्रा या वहां जा कर बसना हिंदू समाज में बहुत खराब माना जाता था और विदेशियों के साथ संपर्क रखने वाले व्यक्ति को समाज से बाहर कर दिया जाता था| परंतु आज समय बदल चुका है, अब विदेश यात्रा गौरव की बात मानी जाती है|
ज्योतिषी विद्या से किसी व्यक्ति की कुंडली में कुछ भाव, राशि तथा ग्रह उस व्यक्ति को विदेश यात्रा कराने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं| इनमें अगर आपसी संबंध हों, तो यात्राएं होती हैं| यात्रा कराने वाली राशियां: मेष, कर्क, तुला और मकर राशियां होती है| यदि किसी व्यक्ति के ज्यादा से ज्यादा ग्रह इन राशियों में हों, तो वह बहुत यात्राएं करता है| परन्तु कही बार किसी कारणवश आप अपने विदेश जाने के सपने को पूरा नहीं कर पातें| किसी का वीसा नहीं बन पाता तो कोई आर्थिक तंगी के कारण नहीं जा पाता|
अगर आप भी विदेश जाना चाहते हैं और लाख कोशिशों के बाद भी असफल हो रहे तो आप अपने विदेश जाने के सपने को सच करने के लिए कुछ अचूक उपाय कर सकते है|
1) विदेश जाना चाहते हैं तो अपनी इस इच्छा को सच करने के लिए करें ये उपाय| विदेश जाने के लिए साल में आने वाली किसी भी संक्रांति के दिन सफेद तिल एवं गुड़ लेकर एक मिटटी के प्याले में डाल दें| अब इस प्याले को पीपल के स्वयं गिरे हुए पत्ते से ढक लें| शाम को सूर्य के ढलने के समय इस प्याले को आक के पौधे की जड़ में रख दें और इसके बाद बिना पीछे मुड़े सीधा घर को आ जाए| घर पहुंचने पर पानी में थोडा केसर मिलाए और स्नान करें| इस उपाय को करने के बाद अपने गुरु का नाम लें, आपको विदेश जाने में जल्द ही सफलता मिलेगी|
2) अगर आपका विदेश जाने का सपना असफल वीसा के बनने में बार बार बाधा आने के कारण हो रहा है तो इस बाधा को दूर करने के उपाय से आपका सपना सफल हो सकता है| इस उपाय को शुक्ल पक्ष के शुक्रवार से प्रारम्भ करें, एक लकड़ी का तख्ता लें और उस पर लाल वस्त्र बिछा लें अब इस तख़्त पर महालक्ष्मी की मूर्ति को स्थापित करें, इसके बाद तख़्त के आगे एक देशी घी का दिया जलाएं और अपने मुख को पश्चिम दिशा की ओर करके बैठें| अब एक शंख लें और उस पर केसर को घोलकर स्वास्तिक का चिन्ह बना लें| अब इस शंख को महालक्ष्मी के बगल में रख दें, इसके बाद महालक्ष्मी की और शंख की इत्र, फुल, धूप, दीप द्वारा पूजन करें| पूजा करने के बाद महालक्ष्मी को भोग लगाए| अब एक स्फटिक की माला लें और नीचे दिए गए मन्त्र का जप करें|
मंत्र है: ॐ अनंग वल्लाभाये विदेश गमनार्थ कार्य सिध्यर्थे नम:
3) विदेश जाने के सपने में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए श्री राम के परम भक्त हनुमान जी की पूजा करें| प्रतिदिन हनुमान जी के मंदिर में जाएं, मूर्ति के आगे दीपक जलाएं और उनसे प्रार्थना करें| प्रार्थना करने के बाद हनुमान चालीसा पढ़ें| हनुमान चालीसा को पढने के बाद हनुमान जी की मूर्ति की तीन परिक्रमा करें और ध्यान रखें कि हनुमान जी की मूर्ति आपके बाएं हाथ की ओर हो| हनुमान जी की पूजा करने से आपकी विदेश जाने की मनोकामना जल्द ही सफल होगी|