Jeevan dharam

Krishna sakhi is about our daily life routine, society, culture, entertainment, lifestyle.

Tuesday, 18 February 2020

राहु काल में कौन-कौन से कार्य नहीं करने चाहिए, जानिए...

No comments :

राहु काल में कौन-कौन से कार्य नहीं करने चाहिए, जानिए...

ज्योतिष शास्त्र में राहु काल को उचित समय नही माना गया है। राहु तमस असुर है। राहु का कोई सिर नहीं है और जो आठ काले घोड़ों द्वारा खींचे जाने वाले रथ पर सवार हैं। राहु काल का विशेष विचार रविवार, मंगलवार तथा शनिवार को आवश्यक माना गया हैं। बाकी दिनों में राहु काल का विशेष प्रभाव नहीं होता है। अत: राहु काल की अवधि में निम्न कार्य वर्जित माने गए हैं।

आइए जानें राहु काल में कौन-कौन से कार्य नहीं किए जाने चाहिए :-

* राहु काल में नए व्यवसाय का शुभारंभ नहीं करना चाहिए।

* राहु काल में विवाह, सगाई या गृह प्रवेश कार्य नहीं करते हैं।

* यदि आप कहीं घूमने की योजना बना रहे हैं तो इस काल में यात्रा की शुरुआत न करें।

* इस काल में खरीदी-बिक्री करने से भी बचना चाहिए क्योंकि इससे हानि भी हो सकती है।

* इस काल में शुरू किया गया कोई भी शुभ कार्य बिना बाधा के पूरा नहीं होता, इसलिए यह कार्य न करें।

* राहु काल के दौरान अग्नि, यात्रा, किसी वस्तु का क्रय विक्रय, लिखा पढ़ी व बहीखातों का काम नहीं करना चाहिए।

* राहु काल में वाहन, मकान, मोबाइल, कम्प्यूटर, टेलीविजन, आभूषण या अन्य कोई भी बहुमूल्य वस्तु नहीं खरीदना चाहिए।

* इस काल में धार्मिक कार्य, यज्ञ आदि नहीं करते हैं।

* इस काल में किसी महत्वपूर्ण कार्य के लिए यात्रा भी नहीं करते हैं।


राहु काल क्या है

No comments :

राहु काल के बारे में कई लोगों ने सुना होगा। यह क्या है, कब आता है और इसमें शुभ कार्य करना क्यों वर्जित माना गया है। इसके बारे में कम ही लोगों को जानकारी होती है। दरअसल राहु काल दिन का एक ऐसा समय है जब राहु अपने पूर्ण प्रभाव में रहता है और उस दौरान यदि कोई शुभ कार्य किया जाए तो उसकी सफलता में संदेह रहता है, इसलिए पंडित और ज्योतिषी उस समय को टालने की सलाह देते हैं।

आइये जानते हैं राहु काल क्या है...
राहु को पाप ग्रह माना गया है। हमारे धर्म ग्रंथों में राहु को शुभ कार्यों में बाधा डालने वाला ग्रह कहा गया है इसलिए राहु काल में कोई भी शुभ कार्य या यात्रा प्रस्थान नहीं करना चाहिए। चूंकि ग्रहों के गोचर में सभी ग्रहों का हर दिन एक निश्चित समय होता है इसलिए हर दिन एक समय राहु के लिए भी आता है, जिसे राहु काल कहते हैं। अलग-अलग स्थानों पर सूर्योदय और सूर्यास्त के समय के अनुसार राहु काल की अवधि भी अलग-अलग होती है।

राहु काल
राहु काल ज्ञात करने के लिए ज्योतिष शास्त्र में एक नियम बनाया गया है। इसके अनुसार सूर्योदय से सूर्यास्त तक पूरे दिन को आठ बराबर भागों में बांटा जाता है। इसमें सूर्योदय का एक स्टैंडर्ड समय प्रात: 6 बजे माना गया है और सूर्यास्त का समय शाम को 6 बजे। इसलिए सुबह 6 से शाम 6 बजे तक का समय 12 घंटे का हुआ। इस 12 घंटे को 8 बराबर भागों में विभाजित करेंगे तो एक भाग करीब डेढ़ घंटे का होता है। अलग-अलग स्थानों पर सूर्योदय-सूर्यास्त का समय अलग होने से इस समय में कुछ मिनटों का अंतर हो सकता है।

किस दिन, कब होता है राहु काल
राहु काल कभी भी दिन के पहले भाग में नहीं आता है। यह कभी दोपहर तो कभी शाम को आता है और सूर्यास्त से पूर्व ही पड़ता है। रात्रि में नहीं आता है।


ये है वक्त
सोमवार को दिन के दूसरे हिस्से में
शनिवार को दिन के तीसरे हिस्से में
शुक्रवार को दिन के चौथे हिस्से में
बुधवार को दिन के पांचवें हिस्से में
गुरुवार को दिन के छठे हिस्से में
मंगलवार को दिन के सातवें हिस्से में
रविवार को दिन के आठवें हिस्से में

किस समय होता है राहु काल

सोमवार : सुबह 7.30 से 9 बजे तक
मंगलवार : दोपहर 3 से 4.30 बजे तक
बुधवार : दोपहर 12 से 1.30 बजे तक
गुरुवार : दोपहर 1.30 से 3 बजे तक
शुक्रवार : सुबह 10.30 से 12 बजे तक
शनिवार : सुबह 9 से 10.30 बजे तक
रविवार : सायं 4.30 से 6 बजे तक


राहु स्त्रोत raahu strot

No comments :



राहुर्दानवमंत्री च सिंहिकाचित्तनन्दन:। अर्धकाय: सदा क्रोधी चन्द्रादित्य विमर्दन: ।।1।।

रौद्रो रूद्रप्रियो दैत्य: स्वर्भानु र्भानुभीतिद:। ग्रहराज सुधापायी राकातिथ्यभिलाषुक: ।।2।।

कालदृष्टि: कालरूप: श्री कण्ठह्रदयाश्रय:। बिधुंतुद: सैंहिकेयो घोररूपो महाबल: ।।3।।

ग्रहपीड़ाकरो दंष्टो रक्तनेत्रो महोदर:। पंचविंशति नामानि स्म्रत्वा राहुं सदानर: ।।4।।

य: पठेन्महती पीड़ा तस्य नश्यति केवलम्। आरोग्यं पुत्रमतुलां श्रियं धान्यं पशूंस्तथा ।।5।।

ददाति राहुस्तस्मै य: पठेत स्तोत्र मुत्तमम्। सततं पठेत यस्तु जीवेद्वर्षशतं नर: ।।6।।