Jeevan dharam

Krishna sakhi is about our daily life routine, society, culture, entertainment, lifestyle.

Wednesday, 1 August 2018

दशावतारों का वैज्ञानिक प्रामाण

No comments :

माँ एक गुरू

*एक माँ* अपने पूजा-पाठ से फुर्सत पाकर अपने *विदेश में रहने वाले बेटे* से विडियो चैट करते वक्त *पूछ बैठी-*

*"बेटा! कुछ पूजा-पाठ भी करते हो या नहीं?"*

*बेटा बोला-*

*"माँ, मैं एक जीव वैज्ञानिक हूँ। मैं अमेरिका में मानव के विकास पर काम* कर रहा हूँ। *विकास का सिद्धांत, चार्ल्स डार्विन.. क्या आपने उसके बारे में सुना भी है?"*

*उसकी माँ मुस्कुराई*
और *बोली.....*
*"मैं डार्विन के बारे में जानती हूँ बेटा.. उसने जो भी खोज की, वह वास्तव में सनातन-धर्म के लिए बहुत पुरानी खबर है।"*

“हो सकता है माँ!” बेटे ने भी *व्यंग्यपूर्वक* कहा।

*“यदि तुम कुछ समझदार हो, तो इसे सुनो..” उसकी माँ ने प्रतिकार किया।*
*“क्या तुमने दशावतार के बारे में सुना है?*
*विष्णु के दस अवतार ?”*
बेटे ने सहमति में कहा...
*"हाँ! पर दशावतार का मेरी रिसर्च से क्या लेना-देना?"*

*माँ फिर बोली-*
*"लेना-देना है..*
*मैं तुम्हें बताती हूँ कि तुम और मि. डार्विन क्या नहीं जानते हो ?"*

*“पहला अवतार था 'मत्स्य', यानि मछली।*
ऐसा इसलिए कि
*जीवन पानी में आरम्भ हुआ। यह बात सही है या नहीं?”*

बेटा अब ध्यानपूर्वक सुनने लगा..

“उसके बाद आया *दूसरा अवतार 'कूर्म', अर्थात् कछुआ*
क्योंकि
*जीवन पानी से जमीन की ओर चला गया.. 'उभयचर (Amphibian)',*
तो *कछुए ने समुद्र से जमीन की ओर के विकास को दर्शाया।”*

*“तीसरा था 'वराह' अवतार, यानी सूअर।*
जिसका मतलब *वे जंगली जानवर, जिनमें अधिक बुद्धि नहीं होती है*। *
तुम उन्हें डायनासोर कहते हो।”*
बेटे ने आंखें फैलाते हुए सहमति जताई..

*“चौथा अवतार था 'नृसिंह', आधा मानव, आधा पशु*। जिसने दर्शाया *जंगली जानवरों से बुद्धिमान जीवों का विकास।”*

*“पांचवें 'वामन' हुए, बौना जो वास्तव में लंबा बढ़ सकता था*।
क्या तुम जानते हो ऐसा क्यों है?
*क्योंकि मनुष्य दो प्रकार के होते थे-
होमो इरेक्टस(नरवानर) और होमो सेपिअंस (मानव),* और
*होमो सेपिअंस ने विकास की लड़ाई जीत ली।”*

बेटा दशावतार की प्रासंगिकता सुन के स्तब्ध रह गया..

माँ ने बोलना जारी रखा-
*“छठा अवतार था 'परशुराम', जिनके पास शस्त्र (कुल्हाड़ी) की ताकत थी*।
वे दर्शाते हैं उस *मानव* को, *जो गुफा और वन में रहा.. गुस्सैल और असामाजिक।”*

*“सातवां अवतार थे 'मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम', सोच युक्त प्रथम सामाजिक व्यक्ति।* जिन्होंने *समाज के नियम बनाए और समस्त रिश्तों का आधार।”*

*“आठवां अवतार थे 'भगवान श्री कृष्ण', राजनेता, राजनीतिज्ञ, प्रेमी।*
जिन्होंने समाज के नियमों का आनन्द लेते हुए यह सिखाया कि *सामाजिक ढांचे में रहकर कैसे फला-फूला जा सकता है?*”
बेटा सुनता रहा, चकित और विस्मित..

*माँ ने ज्ञान की गंगा प्रवाहित रखी -*
*“नवां * थे 'महात्मा बुद्ध', वे व्यक्ति जिन्होंने नृसिंह से उठे मानव के सही स्वभाव को खोजा।
उन्होंने मानव द्वारा ज्ञान की अंतिम खोज की पहचान की।”*

“..और अंत में *दसवां अवतार 'कल्कि' आएगा।* *वह मानव जिस पर तुम काम कर रहे हो..
वह मानव, जो आनुवंशिक रूप से श्रेष्ठतम होगा।”*

बेटा अपनी माँ को अवाक् होकर देखता रह गया..

अंत में वह बोल पड़ा-
*“यह अद्भुत है माँ..
हिंदू दर्शन वास्तव में अर्थपूर्ण है!”*

मित्रों..
*वेद, पुराण, ग्रंथ, उपनिषद इत्यादि सब अर्थपूर्ण हैं।
सिर्फ आपका देखने का नज़रिया होना चाहिए।
फिर चाहे वह धार्मिक हो या वैज्ञानिकता...



Ruchi Sehgal

Saturday, 28 July 2018

सावन के सोमवार, किस चीज से पूजा करे

No comments :

श्रावण  मास के प्रत्येक सोमवार को शिवलिंग पर कुछ विशेष वास्तु अर्पित की जाती है जिसे शिवामुट्ठी कहते है।

1. प्रथम सोमवार को कच्चे चावल एक मुट्ठी,

2. दूसरे सोमवार को सफेद तिल् एक मुट्ठी,

3. तीसरे सोमवार को खड़े मूँग एक मुट्ठी,

4. चौथे सोमवार को जौ एक मुट्ठी और

5. यदि जिस मॉस में पांच सोमवार हो तो पांचवें सोमवार को सतुआ चढ़ाने जाते हैं।

यदि पांच सोमवार  न हो तो आखरी सोमवार को दो मुट्ठी भोग अर्पित करते है।

माना जाता है कि श्रावण मास में शिव की पूजा करने से सारे कष्ट खत्म हो जाते हैं। महादेव शिव सर्व समर्थ हैं। वे मनुष्य के समस्त पापों का क्षय करके मुक्ति दिलाते हैं। इनकी पूजा से ग्रह बाधा भी दूर होती है।

1. सूर्य से संबंधित बाधा है, तो विधिवत या पंचोपचार के बाद लाल { बैगनी } आक के पुष्प एवं पत्तों से शिव की पूजा करनी चाहिए।

2. चंद्रमा से परेशान हैं, तो प्रत्येक सोमवार शिवलिंग पर गाय का दूध अर्पित करें। साथ ही सोमवार का व्रत भी करें।

3. मंगल से संबंधित बाधाओं के निवारण के लिए गिलोय की जड़ी-बूटी के रस से शिव का अभिषेक करना लाभप्रद रहेगा।

4. बुध से संबंधित परेशानी दूर करने के लिए विधारा की जड़ी के रस से शिव का अभिषेक करना ठीक रहेगा।

5. बृहस्पति से संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए प्रत्येक बृहस्पतिवार को हल्दी मिश्रित दूध शिवलिंग पर अर्पित करना चाहिए।

6. शुक्र ग्रह को अनुकूल बनाना चाहते हैं, तो पंचामृत एवं घृत से शिवलिंग का अभिषेक करें।

7. शनि से संबंधित बाधाओं के निवारण के लिए गन्ने के रस एवं छाछ से शिवलिंग का अभिषेक करें।

8-9. राहु-केतु से मुक्ति के लिए कुश और दूर्वा को जल में मिलाकर शिव का अभिषेक करने से लाभ होगा।

शास्त्रों में मनोरथ पूर्ति व संकट मुक्ति के लिए अलग-अलग तरह की धारा से शिव का अभिषेक करना शुभ बताया गया है।

अलग-अलग धाराओं से शिव अभिषेक का फल- जब किसी का मन बेचैन हो, निराशा से भरा हो, परिवार में कलह हो रहा हो, अनचाहे दु:ख और कष्ट मिल रहे हो तब शिव लिंग पर दूध की धारा चढ़ाना सबसे अच्छा उपाय है।

इसमें भी शिव मंत्रों का उच्चारण करते रहना चाहिए।

1. वंश की वृद्धि के लिए शिवलिंग पर शिव सहस्त्रनाम बोलकर घी की धारा अर्पित करें।

2. शिव पर जलधारा से अभिषेक मन की शांति के लिए श्रेष्ठ मानी गई है।

3. भौतिक सुखों को पाने के लिए इत्र की धारा से शिवलिंग का अभिषेक करें।

4. बीमारियों से छुटकारे के लिए शहद की धारा से शिव पूजा करें।

5. गन्ने के रस की धारा से अभिषेक करने पर हर सुख और आनंद मिलता है।

6. सभी धाराओं से श्रेष्ठ है गंगाजल की धारा। शिव को गंगाधर कहा जाता है। शिव को गंगा की धार बहुत प्रिय है। गंगा जल से शिव अभिषेक करने पर चारों पुरुषार्थ की प्राप्ति होती है। इससे अभिषेक करते समय महामृत्युंजय मन्त्र जरुर बोलना चाहिए।

कार्य सिद्धि के लिए:--

1. हर ‍इच्छा पूर्ति के लिए हैं अलग शिवलिंग
पार्थिव शिवलिंग  हर कार्य सिद्धि के लिए।

2. गुड़ के शिवलिंग  प्रेम पाने के लिए।

3. भस्म से बने शिवलिंग सर्वसुख की प्राप्ति के लिए।

4. जौ या चावल या आटे के शिवलिंग  दाम्पत्य सुख, संतान प्राप्ति के लिए।

5. दही से बने शिवलिंग ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए।

6. पीतल, कांसी के शिवलिंग मोक्ष प्राप्ति के लिए।

7. सीसा इत्यादि के शिवलिंग शत्रु संहार के लिए।

8. पारे के शिवलिंग अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष के लिए।

पूजन में रखे इन बातों का ध्यान:--

1. सावन के महीने में शिवलिंग की करें | शिवलिंग जहां स्थापित हो पूरव् दिशा की ओर मुख करके ही बैठें।

2. शिवलिंग के दक्षिण दिशा में  बैठकर पूजन न  करें।

ये होता है अभिषेक का फल:--

1. दूध से अभिषेक करने पर परिवार में कलह, मानसिक पीड़ा में शांति मिलती है।

2. घी से अभिषेक करने पर वंशवृद्धि होती है।

3. इत्र से अभिषेक करने पर भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।

4. जलधारा से अभिषेक करने पर मानसिक शान्ति मिलती है।

5. शहद से अभिषेक करने पर परिवार में बीमारियों का अधिक प्रकोप नहीं रहता।

6. गन्ने के रस की धारा डालते हुये अभिषेक करने से आर्थिक समृद्धि व परिवार में सुखद माहौल बना रहता है।

7. गंगा जल से अभिषेक करने पर चारो पुरूषार्थ की प्राप्ति होती है।

8. अभिषेक करते समय महामृत्युंजय का जाप करने से फल की प्राप्ति कई गुना अधिक हो जाती है।

9. सरसों के तेल से अभिषेक करने से शत्रुओं का शमन होता।

ये भी मिलते हैं फल:--

9. बिल्वपत्र चढ़ाने से जन्मान्तर के पापों व रोग से मुक्ति मिलती है।

10. कमल पुष्प चढ़ाने से शान्ति व धन की प्राप्ति होती है।

11. कुशा चढ़ाने से मुक्ति की प्राप्ति होती है।

12. दूर्वा चढ़ाने से आयु में वृद्धि होती है।

13. धतूरा अर्पित करने से पुत्र रत्न की प्राप्ति व पुत्र का सुख मिलता है।

14. कनेर का पुष्प चढ़ाने से परिवार में कलह व रोग से निवृत्ति मिलती हैं।

15. शमी पत्र चढ़ाने से पापों का नाश होता, शत्रुओं का शमन व भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति मिलती है।
हर हर महादेव



Ruchi Sehgal

2naina.com

No comments :



Ruchi Sehgal