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Wednesday 11 April 2018

हनुमान जी की कृपा से मिलेगी अष्ट सिद्धि, नव निधि

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  हनुमानजी रुद्र के ग्यारहवें अवतार हैं तथा अतुलित बल के स्वामी हैं। हनुमान जी को अनेक देवों की शक्तियां प्राप्त है। हनुमान जी के पास राम रसायन रूपी महाशक्ति है। तुलसीदास जी  लिखते हैं,  हनुमान जी के पास अष्ट सिद्धि व नव निधियां हैं तथा सीता जी के वरदान स्वरूप  ये किसी को भी अष्ट सिद्धि नव निधि प्रदान कर सकते हैं-
अष्ट सिद्धि नव निद्धि के दाता
अस वर दीन्ह  जानकी माता..
इन सिद्धियों का प्रभाव अत्यधिक चमत्कारी हैं, जो असम्भव को सम्भव कर  सकती हैं। हनुमान जी इनके बल पर अनेकों अचरज भरे कार्य करते हैं। चाहे वो पर्वत उठाना हो या सुक्ष्म शरीर करना हो इन सिद्धियों द्वारा ही पूर्ण होते है। इस लेख में मैं आपकों इन सिद्धियों के बारे में बताउंगा तथा इन्हें कैसे प्राप्त किया जा सकता हैं उस बारे में बताऊंगा-
मार्कंडेय पुराण और ब्रह्मवैवर्त पुराण में सिद्धियों का उल्लेख आया है-
अणिमा लघिमा गरिमा प्राप्ति: प्राकाम्यंमहिमा तथा। ईशित्वं च वशित्वंच सर्वकामावशायिता:। (अणिमा, लघिमा, गरिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य,महिमा, ईशित्व और वशित्व)
अणिमा – इस सिद्धि द्वारा शरीर अत्यधिक सुक्ष्म हो जाता हैं। अणु या कण के समान होना।
महिमा – इस सिद्धि द्वारा साधक अपने शरीर को विशालकाय बना सकता है। प्राय: असुरों के पास यह सिद्धि रहती थी।
गरिमा – इस सिद्धि से मनुष्य अपने शरीर को जितना चाहे, उतना भारी बना सकता है। महाभारत में भीम हनुमान जी की पूंछ को उठा नही पाया था। उस समय हनुमान जी ने इसी सिद्धि का प्रयोग किया था।
लघिमा- इस सिद्धि द्वारा साधक अपने शरीर को पुष्प से भी हल्का बना सकता हैं।
प्राप्ति – इस सिद्धि द्वारा किसी भी मनवांछित वस्तु की प्राप्ती की जा सकती हैं।
प्राकाम्य – इस सिद्धि द्वारा व्यक्ति किसी भी रूप में परिवर्तित हो सकता है व कुछ भी कर सकता है, समुद्र पर चल सकता है, आकाश में उड सकता है।
ईशित्व – ईश्वर की अनुकम्पा प्राप्त कर ईश्वर के समान हो जाता है।
वशित्व – इस सिद्धि द्वारा सम्पूर्ण जगत को अपने प्रभाव में किया जा सकता है या किसी को भी वश में किया जा सकता हैं।
नौ निधियां  : –
निधियां कई प्रकार की होती हैं। इन निधियों द्वारा जातक अतुलित धन सम्पदा से युक्त होने के साथ-साथ तत्व और प्रकृति का भी स्वामी होता है। ये प्रमुख निधियां इस प्रकार हैं-
1 पद्म निधि। 2. महापद्म निधि। 3. नील निधि। 4. मुकुंद निधि। 5. नन्द निधि। 6. मकर निधि
7. कच्छप निधि। 8. शंख निधि। 9. खर्व निधि।

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