शकुनि के पास जो चौसर के खेल के पासे थे वह वास्तव में शकुनि के इशारो पर ही अंक दिखाते थे।
क्योंकि यह पासे राजा सुबाला अर्थात शकुनि के पिता की रीढ़ की हड्डी के बने हुए थे,।
धृतराष्ट्र ने जिस प्रकार राजा सुबाला के 100 पुत्र और गंधारी के 100 भाइयो को भूख से तड़पकर कारगर मे मारा , इस स्थिति से राजा सुबाला अत्यंत दुखी थे। अतः जब वह भी कारागार मे मरने वाले थे तो उन्होंने रजा धृतराष्ट्र से क्षमा प्राथना कर के विनती करी के वह शकुनि की सजा माफ़ कर दे । बदले मे शकुनि सदैव कौरवो के साथ रहेगा और उनका लालन पोषण और शिक्षा भी अपनी देख रेख मई करायेगा।
रजा धृतराष्ट्र ने उनकी बात मानकर शकुनि को कारावास से मुक्त किया और कौरवो की देख भाल की जिम्मेदारी सौपी।
राजा सुबाला चाहते थे उनके रीढ़ की हड्डी के पांसे धृतराष्ट्र और उसके वंश के अंत का कारण बने और यही हुआ , शकुनी ने इन्ही पांसे के द्वारा महाभारत युद्ध करवाया|
राजा सुबाला ने शकुनी का एक पैर भी मुर्छित कर दिया ताकि उसे अपने पिता का ये वचन हमेशा याद रहे और वह अपने पिता और भाइयो का अपमान कभी ना भूले|
क्योंकि यह पासे राजा सुबाला अर्थात शकुनि के पिता की रीढ़ की हड्डी के बने हुए थे,।
धृतराष्ट्र ने जिस प्रकार राजा सुबाला के 100 पुत्र और गंधारी के 100 भाइयो को भूख से तड़पकर कारगर मे मारा , इस स्थिति से राजा सुबाला अत्यंत दुखी थे। अतः जब वह भी कारागार मे मरने वाले थे तो उन्होंने रजा धृतराष्ट्र से क्षमा प्राथना कर के विनती करी के वह शकुनि की सजा माफ़ कर दे । बदले मे शकुनि सदैव कौरवो के साथ रहेगा और उनका लालन पोषण और शिक्षा भी अपनी देख रेख मई करायेगा।
रजा धृतराष्ट्र ने उनकी बात मानकर शकुनि को कारावास से मुक्त किया और कौरवो की देख भाल की जिम्मेदारी सौपी।
राजा सुबाला चाहते थे उनके रीढ़ की हड्डी के पांसे धृतराष्ट्र और उसके वंश के अंत का कारण बने और यही हुआ , शकुनी ने इन्ही पांसे के द्वारा महाभारत युद्ध करवाया|
राजा सुबाला ने शकुनी का एक पैर भी मुर्छित कर दिया ताकि उसे अपने पिता का ये वचन हमेशा याद रहे और वह अपने पिता और भाइयो का अपमान कभी ना भूले|
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