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Monday 17 February 2020

नवग्रहों के अनुसार मालाओं के द्वारा जाप से चमत्कारी लाभ

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यूं तो मालाएं कई प्रकार की होती हैं। जैसे फूलों की, रत्नों की, बीजों की एवं धातुओं की आदि। कुछ को हम आभूषण के रूप में धारण करते हैं तो कुछ को मन एवं एकाग्रता के लिये न केवल गले में धारण करते हैं बल्कि हाथों से जाप करने के प्रयोग में भी लाते हैं। ऐसे में अधिकतर लोग तुलसी या रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करते हैं। यदि हम नवग्रह से सम्बंधित मालाओं से जप करे तो अबश्य हमें चमत्कारी प्रभाब देखने को मिलेंगे और हमें मन की शांति और मनोबांछित फल भी प्राप्त होंगे ....................
हल्दी की माला===========
यह माला भगवान गणे्यजी की व भगवान बृहस्पति की उपासना के लिए उचित मानी गई है। यह माला विशेषकर धनु व मीन राशि वाले जातकों के लिए उपयोगी मानी जाती है। बृहस्पति (गुरु) को सभी देवताओं के गुरु माना जाता है, इन्हें ज्ञान का देवता भी कहा जाता है। यदि बच्चों का मन पढ़ाई में लगता हो तो इस माला को धारण करने से काफी लाभ मिलता है, इसको धारण करने से गुरु ग्रह संबंधित सभी दोष नष्ट हो जाते हैं।

जामुन की गुठली की माला============
यह माला शनिदेव की उपासना के लिए उचित मानी जाती है। इसको धारण करने से शनि से संबंधित सभी दोष नष्ट हो जाते हैं। यह प्राय मकर व कुंभ राशि के जातकों के लिए उपयोगी मानी जाती है।

कमल गट्टे की माला---------- कहा जाता है मां लक्ष्मी देवी का श्रीमुख पदम के समान सुन्दर, कान्तियुक्त है, और पदम समान है आप पदम से पैदा हुई हैं और आप का एक नाम पदमाक्षि भी है आपकी प्रसन्नता के लिए कमल गट्टा प्रायः सरोवरों और झीलों में पैदा होता है यह कमल पुष्प का बीज माना जाता है। कमल पुष्प लक्ष्मी एवं विष्णु को अत्यधिक प्रिय है इसे अनेक नामों से जाना जाता है संस्कृत भाषा में पुण्डरीक, रक्तपदम, नीलपदंम हिन्दी में कमल पंजाबी में नीलोफर फारसी में गुलनीलोफर अरबी में करंबुलमा कहते हैं।
जो मनुष्य उत्तम लक्ष्मी की प्राप्ति की कामना करता हो वह कमल गट्टे की 108 दाने की माला पर लक्ष्मी का मंत्र जप करने से शीघ्र सफलता मिलती है एवं धन आगमन होता है। कमल गट्टे की माला द्वारा कनक धारा मंत्र का जप करने से स्वर्ण वर्षा होती है ऐसा शास्त्रों का प्रमाण है। अक्षय तृतीया को कमलगट्टे की माला पर लक्ष्मी गायत्री मंत्र जप करने से सौ गुना अत्यधिक फल प्राप्त होता है। कमलगट्टे की माला धारण करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न रहती हैं तथा अपने भक्तों को हमेशा धनधान्य से शोभित करती हैं।
लाल चंदन की माला==========
चन्दन दो प्रकार के पाये जाते हैं रक्त एवं श्वेत रक्त-चन्दन की माला देवियों के लिए उपयुक्त है श्वेत चन्दन की माला देवताओं के लिए। चन्दन के वृक्ष प्रायः आसाम के जंगली क्षेत्रों में पाये जाते हैं इसकी लकड़ी भारी होती है जो पानी में डूब जाती है चन्दन का गुण शीतल है जो हर प्रकार से शीतलता प्रदान करता है। श्वेत चन्दन में मनमोहक सुगन्ध पायी जाती है यह इसका प्रधान गुण है चन्दन कई रोगों को शान्त करता है जैसे- तृषा, थकान, रक्त विकार, दस्त, सिर दर्द, वात पित्त, कफ, कृमि और वमन आदि। इसे अनेक भाषा में अनेक नामों से जाना जाता है।

स्फटिक एवं रुद्राक्ष========
स्फटिक एक सामान्य प्राप्ति वाला रंगहीन तथा प्रायः पारदर्शक मिलने वाला अल्पमोली पत्थर है। यह पत्थर देखने में कांच जैसा प्रतीत होता है। स्फटिक पत्थर से विशेष कटिंगदार मन के बना कर मालायें भी बनायी जाती हैं, जो अत्यन्त आकर्षक होने के बावजूद अल्पमोली होती हैं। स्फटिक पत्थर से बनी विभिन्न देवी देवताओं की मूर्तियां एवं यंत्र बनाये जाते हैं। यह पंचमुखी ब्रह्मा का स्वरूप है इसके देवता कालाग्नि हैं इसके उपयोग से दुःख और दारिद्र नष्ट होता है। पुण्य का उदय होता है शारीरिक स्वास्थ्य प्राप्त होता है एवं यह पाप का नाशक है।
पंचवक्त्रः स्वयं रुद्रः कालाग्निर्नाम नामतः।।

रुद्राक्ष स्वयं कालाग्नि नाम रुद्र का स्वरूप है, पर-स्त्री गमन करने से जो पाप बनता है तथा अभक्ष्य भक्षण करने से जो पाप लगता है वह सब रुद्राक्ष के धारण करने से नष्ट हो जाते हैं। इसमें कोई संशय नहीं यह पंचतत्त्वों का प्रतीक है। अनेक औषध कार्य में इसका उपयोग होता है। यह सर्वकल्याणाकारी, मंगलप्रदाता एवं आयुष्यवर्द्धक है। महामृत्युंजय इत्यादि अनुष्ठानों में इसका ही प्रयोग होता है। यह अभीष्ट सिद्धि प्रदाता है। यह सर्वत्र सहज सुलभ होने के कारण इसका महत्व कुछ काम हो गया है परंतु शास्त्रीय दृष्टि से इसका महत्त्व कम नहीं है। पांचमुखी रुद्राख मेष, धनु, मीन, लग्न के जातकों के लिए अत्यन्त उपयोगी माना गया है।
मूंगा माला======
यह खूबसूरत माला मूंगें के पत्थरों से बनायी गई है। मंगल ग्रह की शांति के लिए मंगल ग्रह की शांति के लिए इस माला का प्रयोग किया जाता है। विशेषकर मेष और वृश्चिक राशि के जातकों के लिए उपयोगी मानी जाती है। मूंगा एक जैविक रत्न है। यह समुद्र से निकाला जाता है। अपनी रासायनिक संरचना में मूंगा कैल्शियम कार्बोनेट का रुप होता है। मूंगा मंगल ग्रह का रत्न है। अर्थात् मूंगा धारण करने से मंगल ग्रह से सम्बंधित सभी दोष दूर हो जाते है। मूंगा धारण करने से रक्त साफ होता है तथा रक्त से संबंधित सभी दोषदूर हो जाते है।
मूंगा मेष तथा वृष्चिक राषि वालों के भाग्य को जगाता है। मूंगा धारण करने से मान-स्वाभिमान में बृद्धि होती है। तथा मूंगा धारण करने वाले पर भूत-प्रेत तथा जादू-टोने का असर नहीं होता। मूंगा धारण करने वाले की व्यापार या नौकरी में उन्नति होती है। मूंगा कम से कम सवा रती का या इससे ऊपर का पहनना चाहिए। मूंगा 5, 7, 9, 11 रती का शुभ होता है। मूंगे को सोने या तांबे में पहनना अच्छा माना जाता है।
नवरत्न की माला=======
ज्योतिष शास्त्र की भारतीय पद्धति में सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र शनि, राहु तथा केतु को ही मान्यता प्राप्त है। अनुभवों में पाया गया है कि रत्न परामर्श के समय उपरोक्त नवग्रहों को आधार मान कर दिया गया परामर्श अत्यधिक प्रभावी तथा अचूूक होता है। यहाँ पर हम इन्हीं नवग्रहों के आधार पर नवरत्न माला के बारे में परिचय प्राप्त करेंगे। असली नवरत्न माला में अनेक गुण पाये जाते हैं इसे धारण करने मात्र से अनेक सफलता एवं सिद्धियां प्राप्त होती हैं इसमें अपनी एक अद्भुत विशेषता होती है तथा अनेक तात्विक संरचनायें होती है।
इसकेे अलग-अलग दानें अपने से सम्बन्धित ग्रहों की रश्मियों को अपने आप समाहित करके धारण करने वाले को लाभ प्रदान करती हैं इस नवरत्न माला में वैज्ञानिक आधार पर निम्न तात्विक सरंचाना पायी जाती हैं जैसे- अल्यूमिनियम आक्सीजन, क्रोमियम तथा लौह, कैल्शियम कार्बोनेट, मैग्नीशियम, बेरोलियम, मिनयिम, फ्लोरीन, हाइड्रोक्सिल, जिक्रोनियम, आदि तात्विक संरचनायें पायी जाती हैं।
समय-समय पर हुए शोध कार्यो तथा ज्योतिषियों को हुए विशेष अनुभवों के आधार पर प्रत्येक रत्न या रत्न नवग्रहों में से किसी एक ग्रह विशेष से सम्बद्ध किया गया है।
प्रस्तुत माला में सारे ग्रहों के रत्नों को समाहित किया गया है इस माला को धारण करने से अनेक लाभ हैं जैसे यश, सम्मान, वैभव, भौतिक समृद्धी में फायदा तथा कफ रोग, शीत रोग, ज्वर रोग आदि रोगों में लाभ होगा। तथा सुख समृद्धि की प्राप्ति होगी।
रुद्राक्ष माला==========
रुद्राक्ष माला सभी प्रकार के सिद्धियों एवं जप के लिए सर्वोत्तम माना गया है रुद्राक्ष माला पर सभी प्रकार के जप किये जा सकते हैं तथा बाल्यावस्था से लेकर वृद्धवस्था तक के सभी व्यक्तियों के लिए रुद्राक्ष माला सर्वोपरि माना गया है। धारण करने के लिए एक दाने से लेकर 108 दाने तक माला धारण की जाती है तथा जप के लिए 27 दानें से लेकर 1008 दानें तक की माला उपयोग में लायी जाती है। आवश्यकता एवं इच्छानुसार एक से अनेक दानों तक की माला धारण की जा सकती है।
शास्त्रों में प्रमाण मिलता है कि शरीर के अनेक अंग में रुद्राक्ष अधिक से अधिक धारण करने से ज्यादा लाभ मिलता है असली रुद्राक्ष माला धारण करने से रक्त चाप, वीर्य दोष मिला होता है बौद्विक विकास एवं मानसिक शान्ती होती है व्यापार आदि में लाभ होता है। सभी वर्गो के लिए सम्मान एवं कीर्ति प्राप्त होती है।
रुद्राक्ष माला के अनेक लाभ
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ऊदर तथा गर्भाशय से रक्तचाप तथा हृदय रोग से सम्बन्धित अनेक बिमारियों के लिए छः मुखी रुद्राक्ष की माला को हाँडी में पानी डालकर भिगोये रखें प्रत्येक 24 घंटे पश्चात यह रुद्राक्ष का जल खाली पेट प्रातःकाल पीते रहें निश्चित लाभ होगा। मस्तिष्क सम्बन्धी विकारों से पीड़ित व्यक्तियों तथा मस्तिष्कीय कार्य करने वाले लोगां को शक्ति प्राप्ति के लिए चारमुखी रुद्राक्ष की माला चाँदी के किसी बरतन में पानी डालकर भिगोये रखना चाहिए। प्रत्येक 24 घंटे के अन्तराल से यह रुद्राक्ष जल प्रातः खाली पेट पियें। यह प्रयोग चमत्कारी प्रभाव प्रकट करता हैं।
शंख माला=========
शंख/ सीप अक्सर ज्वार भाटे के समय समुद्र के तट से प्राप्त होते है। इसको धारण करने वाले को संसार के समस्त प्रकार के लाभ मिलते है। इसके पहनने से चन्द्रमा संबंधी दोष नष्ट हो जाते है। यह माला विशेषकर कर्क राशि के जातकों के लिए उपयोगी मानी जाती है।

स्फटिक माला=========
स्फटिक एक सामान्य प्राप्ति वाला रंगहीन तथा प्रायः पारदर्शक मिलने वाला अल्पमोली पत्थर है। यह पत्थर देखने में कांच जैसा प्रतीत होता है। सिलिका आक्साइड का एक रूप यह स्फटिक पत्थर स्वयं में विशेष आब तथा चमकयुक्त नहीं होता, लेकिन विशेष काट में काटने तथा पालिश करने पर इसमें चमक पैदा की जा सकती है। अच्छी काट के स्फटिक नगीने आभूषणों में प्रयोग किये जाते हैं। स्फटिक पत्थर से विशेष कटिंगदार मन के बना कर मालायें भी बनायी जाती हैं, जो अत्यन्त आकर्षक होने के बावजूद अल्पमोली
होती हैं। स्फटिक पत्थर से बनी विभिन्न देवी देवताओं की मूर्तियां एवं यंत्र बनाये जाते हैं।
स्फटिक माला से अनेक लाभ
यह केवल स्वास्थ्य लाभ के लिए नहीं बल्कि आध्यात्मिक क्षेत्र एवं बुद्धि जनित कार्य करने वाले के लिए भी अत्यन्त लाभकारी है।
सोमवार को स्फटिक माला धारण करने से मन में पूर्णतः शान्ती की अनुभूति होती हैं एवं सिर दर्द नहीं होता।
शनिवार को स्फटिक माला धारण करने से रक्त से सम्बन्धित बिमारियों में लाभ होता है।
अत्यधिक बुखार होने की स्थिति में स्फटिक माला को पानी में धोकर कुछ देर नाभि पर रखने से बुखार कम होता है एवं आराम मिलता है।
तुलसी स्फटिक माला==========
स्फटिक अत्यन्त आकर्षक होने के बावजूद अल्पमोली होते हैं। स्फटिक पत्थर से विभिन्न देवी देवताओं की मूर्तियां एवं यंत्र बनाये जाते हैं तथा आयुर्वेद के अनुसार तुलसी के पौधे को चमत्कारी पौधा माना गया है। इससे बनी हुई माला पहनने से पाचन शक्ति, तेज बुखार, दिमाग की बिमारिया एवम् वायु संबंधित अनेक रोगों में लाभकारी है। यह केवल स्वास्थ्य लाभ के लिए नहीं बल्कि आध्यात्मिक क्षेत्र एवं बुद्धि जनित कार्य करने वाले के लिए भी अत्यन्त लाभकारी है। इसलिए तुलसी स्फटिक माला लक्ष्मीजी एवम् विष्णु जी की उपासना के लिए प्रयोग में लाई जाती है।
सोमवार को यह माला धारण करने से मन में पूर्णतः शान्ती की अनुभूति होती हैं एवं सिर दर्द नहीं होता।
शनिवार को यह माला धारण करने से रक्त से सम्बन्धित बिमारियों में लाभ होता है।
तुलसी माला=========
तुलसी की माला विष्णु, राम और कृष्ण से संबंधित जपों की सिद्धि के लिए उपयोग में लाई जाती है। इसके लिए मंत्र ॐ विष्णवै नमः का जप श्रेष्ठ माना गया है। आयुर्वेद के अनुसार तुलसी के पौधे को चमत्कारी पौधा माना गया है। इससे बनी हुई माला पहनने से व्यक्ति की पाचन शक्ति, तेज बुखार, दिमाग की बिमारियॅा एवम् वायु संबंधित अनेक रोगों में लाभकारी है।

वैयजंती माला=====
यह मोती प्राय घास से प्राप्त होते है। यह माला भी शनिदेव की उपासना के लिए प्रयोग में लाई जाती है। इसको धारण करने से शनिदेव की कृपा दृष्टि तथा धारणकर्ता को अनेक प्रकार की सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह माला मकर व कुंभ राशि के जातकों के लिए उपयोगी है।


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