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Saturday, 12 May 2018

रोगों से छुटकारा पाने के उपाय

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रोगों से छुटकारा पाने के उपाय

शरीर में किसी भी तरह का रोग हमारे लिए बड़ी परेशानी का कारण बन सकता है. इसलिए जब भी शरीर को कोई रोग जकड़ ले तब शीघ्र ही रोगों से छुटकारा पाने के उपाय करने चाहिए. समय पर अगर आप बीमारी दूर करने का टोटका करते हैं तो आप किसी भी रोग से जल्द ही मुक्ति पा सकते हैं. अगर आपके घर में कोई भी संबंधी बीमार है तो आप इन रोग मुक्ति के उपायों का सहारा ले सकते हैं. बीमार व्यक्ति को बीमारी से छुटकारा पाने के लिए अपने सिरहाने में एक रुपए के सिक्के को रखना चाहिए. सुबह उठने पर इस सिक्के को श्मशान में जाकर फैंक देना चाहिए. इस उपाय को करने से रोगों से मुक्ति मिलती है और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है|
आप आक की जड़ के प्रयोग से बुखार ठीक कर सकते हैं. आक के पौधे को उखाड़कर उसकी जड़ अलग करें. फिर इस जड़ को किसी कपड़े में लेकर बांध दें. जिस भी व्यक्ति को बुखार चड़ा हो उसके कान से इस कपड़े को बांध देने से उसका बुखार उतर जायेगा. यकृत संबंधी विकार से बचने के लिए रोज सुबह रात को लोटे अथवा गिलास में रखा हुआ पानी पीयें. इसके साथ ही दिनभर भी जल पीने के उपरांत अपने लोटे या गिलास को उल्टा करके रखें. इस छोटे से प्रयोग की मदद से आपको रोगों से लड़ने की ताकत मिलेगी.
ह्रदय के रोगों तथा ब्लड प्रेशर के रोगों से मुक्ति के लिए आप रुद्राक्ष का प्रयोग किया जा सकता है. इस प्रयोग को करने के लिए पंचमुखी, सप्तमुखी या ग्यारहमुखी रुद्राक्ष लेकर इसे गंगाजल छिड़क कर पवित्र करें और सोमवार को शिव मंदिर में रखें. इसके बाद आप शिवजी को “ओम नमह शिवाय” का जाप करते हुए दूध अर्पित करें. अब रुद्राक्ष को किसी काले रंग के धागे में पिरो कर उसे धारण कर लें या जो व्यक्ति किसी ह्रदय रोग या ब्लड प्रेशर का शिकार है उसके गले में डाल दें. ह्रदय रोगों से छुटकारा पाने के उपाय में ये बहुत ही कारगर उपाय है.
बीमारी दूर करने का टोटका
रोगों से छुटकारा पाने के उपाय में इस उपाय को करने से आपको आरोग्य की प्राप्ति होती है. आप 5 कपास के फूल लेक कर उन्हें साफ़ करने के बाद आधा कप जल लेकर उसमे शाम को भिगों दें. सुबह उठ कर फूलों को बाहर दें और जल को पी जाएँ. घर में बीमारी रहती है और घर के सदस्यों को बुरे सपने आते हैं तो रात को घर में कपूर जला दें. इस आसन से प्रयोग से आपके घर में शांति व्याप्त हो जाएगी. ऐसा करने से पितृ दोष शांत हो जाता है और घर के सदस्य निरोग रहने लगते हैं.
अगर आप बीमारी, गृह-क्लेश और धन हानि से मुक्ति चाहते हैं तो चांदनी रात में पूर्णिमा को खीर पका कर पितरों को भोजन अर्पित करें. इसके पश्चात थोड़ी सी खीर काले रंग कुत्तों को भी खिलाएं. अगर आप किसी भी रोग से मुक्ति प्राप्त करना चाहते हैं तो हर दिन आपने भोजन से चौथाई भाग किसी कुत्ते या गाय को खिलाएं. आप रोग से मुक्ति के लिए हर शनिवार और मंगलवार को इमरती लेकर ख़ुद से ऊपर से वारकर कुत्ते को खिलाएं. ये  रोगों से छुटकारा पाने के उपाय 7 सप्ताह लगातार करने पर आपको बीमारी से मुक्ति मिल जाएगी.
रोग मुक्ति उपाय/मंत्र
रोग मुक्ति के उपाय में आप इस आसान से प्रयोग को भी कर सकते हैं. इसके लिए आप गोबर के कंडे और लड़की को जला कर राख बना लें. इस इस राख को मिला लें और गुंथकर एक गोला बना लें. अब इसमें एक सिक्का और एक कील गाड़ दें. इस गोले के ऊपर काजल और रोली का प्रयोग करते हुए सात निशान बनायें. इस प्रकार बने गोले को कंडा लेकर उसपर रखें और बीमार व्यक्ति के शरीर के उपर से 7 बार वारकर चुपचाप किसी चौराहे पर रखकर आ जाएँ.
रोगों से छुटकारा पाने के उपाय
अगर रोगों से छुटकारा पाने के उपाय करना चाहते हैं तो इस प्रयोग को ज़रूर आजमायें. इसके लिए आप सवा 2 किलो बाजारा लेकर इसे शनिवार को दोपहर में पकाएं. पकाते हुए इसके अंदर आप थोड़ा सा गुड़ दाल दें और किसी मिट्टी की हांड़ी में भरकर रख दें. शाम होने पर इस हांड़ी को लेकर रोगी के बदन पर से बाएं से दायें की तरफ़ घुमाएँ और फिर चौराहे पर चुपचाप रखकर आ जाएँ. घर आते वक्त आप पीछे न देखें तथा किसी से रास्ते में बात न करें. अगर घर का कोई सदस्य हमेशा बीमार रहता हो तो उसके सिरहाने पर मुसल या झाड़ू उसके ऊपर से उतारने के बाद रख दें. इस आसन से प्रयोग रोग से छुटकारा मिलता है.
किसी भी रोगी को अगर रोग छोड़ नही रहा है तो आप रोगों से छुटकारा पाने के उपाय के अंतर्गत ये उपाय करें. आप सरसों का तेल गर्म करें इसके बाद इसके भीतर चमड़े का एक टुकड़ा दाल दें. इसके बाद इसे दोबारा गर्म करें और इसके भीतर एक फिटकरी, एक नीम्बू, लाल रंग की कांच की चूड़ी और एक कील डाल दें. अब इस तेल को किसी मिट्टी के पात्र में इकठ्ठा कर लें. अब इसे रोगी के माथे पर से उतारा देकर किसी सुनसान जगह पर गाड़ कर आ जाएँ. ये प्रयोग रोगी को ठीक करने में बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगा. अगर आपके घर में किसी व्यक्ति का रोग बहुत प्रयास करने पर भी नही जा रहा है तो ये उपाय ज़रूर करें. इसके लिए आप रोगी के वजन की मात्रा में गेहूं लेकर उसे किसी ज़रूरत मंद व्यक्ति को दान में दे दें. ये उपाय रविवार के दिन करना चाहिए. ये प्रयोग रोगी को रोग से मुक्ति दिलाने में काफी उपयोगी सिद्ध हुआ है.
रोग निवारण मंत्र/यंत
अगर घर में कोई व्यक्ति बीमार हो तो रोगों से छुटकारा पाने के उपाय करने के अंतर्गत इन बातों का भी ध्यान रखें. आप रोगी को दक्षित दिशा की और सिर रखकर सोने को कहें. रोगी को हमेशा उत्तर या पूर्व दिशा की और मुख करके खाना खाना चाहिए. इसके अलावा दवाई-गोली और औषधि आपको हमेशा उत्तर-पूर्वी कोने में ही रखें. ये रोगों से छुटकारा पाने के उपाय आपके घर में आरोग्य को स्थापित करने में उपयोगी हैं साथ ही अगर आपके घर में बीमारी है तो उससे आपको मुक्ति दिलाने में असरदार हैं.
जब भी आपके घर में कोई व्यक्ति बीमार होता है तो आपको उस बीमारी को दूर करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए. आप किसी डॉक्टर की सलाह से बीमारी का पता लगायें और उसके द्वारा दिए गए सुझावों को ख़ास रूप से अमल में लायें. रोगों से छुटकारा पाने के उपाय करने के बाद रोग शांत हो जाते हैं लेकिन अगर हालत नियंत्रण से बाहर हों तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.

भैरव वशीकरण तंत्र साधना

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भैरव वशीकरण तंत्र साधना

भैरव वशीकरण तंत्र साधना- भैरव तंत्र साधना सभी तरह की तंत्र साधनाओं में सबसे महत्वपूर्ण है. हमारे जीवन में होने वाली सुख दुःख की घटनाएँ भी तंत्र से ही प्रभावित होती हैं. इसलिए भैरव तंत्र साधना के प्रयोग से कई तरह से आपने उद्देश्यों की प्राप्ति की जा सकती है|
मनुष्य को अपने जीवन में हर तरह की परेशानियों और बाधाओं का सामना करना पड़ता है. इन समस्याओं से निजात पाने के उपायों में भैरव तंत्र साधना का विशेष महत्व है. जीवन में आये दुःख, हानि, चिंता, बीमारी, प्रेत-बाधा आदि से निजात दिलाने में भैरव तंत्र साधना का अति विशिष्ट महत्व है. शत्रुओं से मुक्ति में भैरव की साधना बहुत उपयोगी साबित हुई है. भैरव तंत्र साधना के बारे में एक और महत्वपूर्ण बात ये है कि इसको करना बहुत ही सरल है. बहुत ही थोड़े प्रयासों से इसे साधा जा सकता है. शिव-पुराण में तो भैरव को भगवान शिव का अवतार भी बताया है|
भैरव हर तरह की परेशानी और चिंता को हरने वाले हैं. भैरव से मौत भी खौफ़ खाती है, दुश्मन कांपने लगते हैं और भूत-प्रेत तुरंत भाग जाते हैं. भैरव को काल भैरव और आमर्दक भी कहा जाता है| “काली खंड” के अनुसार भैरव की उत्पत्ति सभी देवताओं के शरीर से निकली तेज-धार के कारण हुए थी. इस तेजधार से बकुट का जन्म हुआ था. बकुट ने “आपद” नाम के राक्षस का संहार किया और देवताओं को उसके भय से मुक्त किया था. भैरव तंत्र साधना में किसी भी महाविद्या को साधने के साथ उससे सम्बंधित भैरव को साधना भी अनिवार्य होता है|
भैरव की साधना के संबंध में लोगों की सोच ये है कि यह कठिन और भयभीत कर देने वाली है. लेकिन सच ये है कि भैरव की साधना सौम्य, सरल और तत्काल फल देने वाली है. कोई साधक सरल प्रयोग विधियों से इसको साध सकता है| इस भैरव तंत्र साधना और वशीकरण मन्त्र अपने आप में बहुत उपयोगी हैं, लेकिन इसे करने से पहले साधक को कुछ नियमों को समझ लेना चाहिए. ये नियम इस प्रकार हैं –
  1. भैरव की साधना किसी कामना की पूर्ति के लिए की जाती है.
  2. भैरव की साधना के लिए रात का समय उत्तम माना गया है. इसलिए आप इस साधना को रात में ही करें.
  3. भैरव की साधना में भोग के रूप में सोमवार को लड्डू, मंगलवार के दिन लापसी, बुधवार के दिन दही-चिवडा, वृहष्पतिवार के दिन बेसन का लड्डू चढ़ाया जाता है. भुने चने शुक्रवार और उड़द के पकौड़ शनिवार के दिन तथा रविवार को खीर नैवेद्य के रूप में लगाते हैं.
  4. भैरव की साधना में पूजा संपन्न होने पर प्रसाद को वहीँ पर ग्रहण कर लेना चाहिए. प्रसाद को पूजा के स्थल से दूर लेकर जाना वर्जित है.
  5. भैरव की साधना में अगरबत्ती, धूप, तेल का दीया प्रयुक्त होता है.
  6. भैरव की साधना में काले रंग की हकिक माला का प्रयोग करना चाहिए.
भैरव साधना की विधि
भैरव तंत्र साधना के लिए रविवार का दिन उत्तम होता है. इस दिन रात में नहाकर स्वच्छ कपड़े पहन लें. अब जिस भी स्थान पर आप साधना करने वालें हैं उसे भी साफ़ स्वच्छ कर दें. भैरव की साधना दक्षिण के तरफ़ मुख करने करनी चाहिए. अपने सम्मुख एक बजोट को रखें और इसके ऊपर लाल रंग का वस्त्र बिछा दें. इसके बाद इसके ऊपर गुरु का चित्र और गुरु चरण पादुका रख दें. अब गुरु के चित्र के सम्मुख पूजन पंचोपचार विधि से करें. एक ताम्बे का पात्र लेकर इसके ऊपर कुंकुम के प्रयोग से एक त्रिभुज बना दें. इसके बाद भैरव यंत्र को स्थापित करें. अब बजोट के ऊपर कुंकुम, पुष्प आदि चढ़ा दें|
आप भैरव तंत्र साधना में इस मंत्र का उच्चारण करें –
“ओम हिं बटुकाय आपदूब्द्रणाय कुरू कुरु बटुकाय हिं ओम स्वाहा!”
इस मंत्र का 21 बार माला के साथ उच्चारण करके आप इसे सिद्ध कर सकते हैं. इस तरह से पूजन और माला जप करने से साधक की मनोकामना पूरी हो जाती हैं. ये साधना लगातार 30 दिन तक करें और उसके बाद पानी में प्रवाहित कर दें.
शत्रु बाधा निवारण के लिए भैरव साधना का बहुत अधिक महत्व है. भैरव की साधना शत्रु के द्वारा किये गए हर तरह के प्रभावों को नष्ट करने में सक्षम है. अगर आपको व्यापार में हानि, घर में कलह और चिंता और बीमारी बनी रहती है तो आपको भैरव तंत्र साधना के प्रयोग से आप इससे मुक्ति पा सकते हैं| वशीकरण करने के लिए भी भैरव की उपासना की जाती है. भैरव वशीकरण मन्त्र के प्रयोग से धन प्राप्ति, प्रेम, शत्रु आदि से जुड़ी समस्याओं से आपको निजात मिलती है. वशीकरण करने के लिए आप यहाँ दिए गए प्रयोग को करें. ये बहुत ही सरल प्रयोग है इसका असर तत्काल ही नज़र आने लगता है|
इस प्रयोग को करने के लिए मंगलवार या रविवार का दिन चुनें. इस दिन आप रात को 10 बजे के बाद करें. आप आपने घर पर किसी स्वच्छ स्थान पर बैठ कर एक बजोट को रख दें. बजोट के ऊपर एक लाल रंग का कपड़ा बिछा दें. एक पीपल का पत्ता लेकर उसे कपड़े के ऊपर रख दीजिये. अब जिस भी पुरुष या स्त्री पर ये वशीकरण का प्रयोग करना चाहते हैं उसका नाम इस पत्ते पर लिख दें. आसन पर भैरव वशीकरण की गुटिका भी स्थापित करें. इसके बाद आप विधि पूर्वक धुप-दीप, अक्षत, कुंकुम, फूल आदि सामग्री से पूजन करें. इस साधना को करते समय आपका मुख उत्तर दिशा की तरफ़ होना चाहिए. इसके बाद आपको एक हीरक (काले रंग) की माला से निम्न मंत्र का जाप 3 बार माला जाप करें.
मंत्र – ओम नम: रुद्राय कपीलाय भैरवाय त्रिलोक नाथाए हिं फट स्वः
इस मन्त्र से 3 माला जाप संपन्न होने पर भैरव गुटकी के ऊपर 21 लौंग चढ़ाएं. लौंग चढ़ाते हुए ऊपर दिए मंत्र का भी उच्चारण करते रहें. इस तरह साधना के पूरा होने पर पूजन की वस्तुओं को किसी कपड़े में बांधकर चौराहे पर प्रातः काल रख कर आ जाएँ| आप हर तरह के उद्देश्य की प्राप्ति के लिए भैरव तंत्र साधना का प्रयोग कर सकते हैं. घर में हर तरह की समस्या से मुक्ति के लिए भैरव की साधना की जाती है. भैरव की साधना पूरे नियमों का पालन करते हुए करने पर शीघ्र ही आशा के अनुरूप परिणाम प्राप्त होने लगते हैं|

गोमती चक्र को अभिमंत्रित कैसे करे

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गोमती चक्र को अभिमंत्रित कैसे करे

गोमती चक्र को अभिमंत्रित कैसे करे/तांत्रिक प्रयोग

गोमती चक्र से वशीकरण/ गोमती चक्र अभिमंत्रित कैसे करे/ गोमती चक्र के टोटके/उपाय/फायदे – शंख, सीप, कौड़ी की तरह गोमती चक्र भी समुद्र से निकलता है। दक्षिण भारत में इसे गोमथी चक्र तथा संस्कृत में धेनुपदी कहा जाता है। पौराणिक काल में यह यज्ञवेदी के चारो ओर लगाया जाता था। राज तिलक के समय इसे सिंहासन के ऊपर छत्र में लगाया जाता था। गोमती चक्र की बनावट अनूठी होती है। गौर से देखने पर इसमें हिन्दी का सात अंक लिखा दिखाई देता है जो राहु का अंक है। जल में पाये जाने के कारण यह चंद्र गुणों से परिपूर्ण है तथा उसके ऊपर सात लिखा होने के कारण राहु संबंधी समस्या दूर करता है। कुंडली में राहु-चंद्र की युति हो तो यह चमत्कारी प्रभाव डालता है। इसके चमत्कारी गुणों से प्राचीन भारत के आम लोग भी परिचित थे।
आज भी कई गांवों में दुधारू पशुओं के गले में गोमती चक्र लाली कपड़े में बांध कर पहना देते हैं। किसान अपने खेत के चारो कोनो में इसे दबा देते हैं।  यह बड़ी सरलता से बहुत ही कम मूल्य में मिल जाता है। पूजन सामग्री बेचने वाली दुकानों से कभी भी खरीदा जा सकता है। तंत्र विद्या में गोमती चक्र को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया गया है। इसकी सहायता से जीवन की किसी समस्या से मुक्ति पायी जा सकती है, परंतु इसके लिए उन्हें अभिमंत्रित करना आश्यक है। जैसे मोबाइल जब तक चार्ज न हो आप उसे नहीं चला सकते उसी प्रकार तंत्र में उपयोग होने वाली वस्तुओं का प्रभाव उन्हें अभिमंत्रित करने के बाद ही देखा जाता है।
गोमती चक्र अभिमंत्रित कैसे करें
होली, दीपावली, दशहरा जैसे अवसर पर अथवा किसी रवि पुष्य योग, सर्व सिद्धि, अमृत योग जैसे मुहूर्त में गोमती चक्र अभिमंत्रित करना श्रेयस्कर माना जाता है। 11 अथवा 21की संख्या में गोमती चक्र लेकर अपने पूजा स्थल पर स्थापित करें। विधिवत पूजा करें तथा निम्नलिखित मंत्र का 21 माला जप करें-
ओम् श्रीं नमः
इस जाप के बाद गोमती चक्र अभिमंत्रित हो जाता है तथा पारिवार को आर्थिक सम्पन्नता प्रदान करता है। पूजा के बाद इसे धन रखने वाले स्थान पर रख दें तथा नित्य धूप-दीप दिखांए। विशेषज्ञों का मानना है कि अलग अलग अभीष्ट के लिए इसे अभिमंत्रित करने की विधि भी अलग होती है| उदाहरण के लिए ऊपर वर्णित से लक्ष्मी प्राप्ति में सहायता मिलती है| यदि बीमारियों की वजह से परेशान हो तो नीचे लिखी विधि अपनाएं
स्वास्थ्य लाभ के लिए
साफ पानी से गोमती चक्र धों ले तथा पूजा स्थल पर विधिवत स्थापित करें। धूप-दीप नेवेद्य अर्पित करें तथा निम्नलिखित मंत्र का 11 माला जाप करें-
ओम् वाॅ आरोग्यानिकारी रोगानशेषानंम
जाप के बाद गोमती चक्र अभिमंत्रित हो जाता है, इसे किसी सुरक्षित स्थान पर रख दें तथा नित्य धूप-दीप दिखाते रहें। स्वास्थ्य संबंधी समस्या आने पर एक गिलास गंगाजल में गोमती चक्र डाल दें तथा उपर्युक्त मंत्र का जाप 21 बार करते हुए रोगी को पिला दें। अभिमंत्रण का प्रभाव तीन वर्ष तक रहता है, इसलिए तीन वर्ष बाद पुनः अभिमंत्रित करें।
गोमती चक्र के टोटके/उपाय/फायदे
अलग-अलग विधि से गोमती चक्र उपयोग कर किसी भी समस्या का समाधान किया जा सकता है।  सर्वप्रथम आर्थिक लाभ की चर्चा करते हैं| आर्थिक समस्या दो तीन कारणों से आती है, प्रथम आमदनी का स्त्रोत बंद जाना, आमदनी से ज्यादा खर्च होना, कारोबार में पैसा अटक जाना अथवा दिया हुआ कर्ज वापस न आना। इन सभी समस्याओं में निम्नलिखित टोटके अपनाए –
1 किसी भी महीने के पहले सोमवार को 21 गोमती चक्र लाल या पीले रेशमी कपड़े में बांधकर रूपया-पैसा रखने वाले स्थान पर रखें। हल्दी से उस पर तिलक करें। पुनः म नही मन देवी लक्ष्मी से अपने घर में वास करने हेतु याचना करते हुए कपड़े में बंधे गोमती चक्र लेकर पूरे घर में घूमें तथा बाहर निकलकर किसी मंदिर में रख दें।
2 यदि पैसा हाथ में नहीं ठहरता हो तो शुक्रवार को 21 की संख्या में गोमती चक्र लेकर लाल कपड़े में बांध कर पूजा स्थल पर रखें तथा  पूजा करें। अगली सुबह उसमें से चार गोमती चक्रलेकर घर के चारो कोनो पर गाड़ दें, 11 पूजा स्थल में रखंे तथा बाकी निकट के मंदिर में रख  दें|
3 यदि अत्यधिक परिश्रम के बाद भी आर्थिक स्थिति में सुधार न हो रहा हो तो शुक्ल पक्ष के पहले गुरूवार को घर के पूजा स्थल में लक्ष्मी-नारायण के चित्र के समक्ष 21 गोेमती चक्र पीले या लाल कपड़े में बांध कर रखें। लक्ष्मी-नारायण से अपने कृपा करने की याचना करें तथा ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का तीन माला नित्य जाप करें। नियमित रूप से सवा महीने तक जाप करने के उपरांत एक वृद्ध तथा एक कन्या को भोजन करवाएं दक्षिणा देकर विदा करें।
4 घर के पूजा स्थल पर 11 गोमती चक्र लाल कपड़े मेें बांधकर रखं े तथा श्रीं श्रियै नमः मंत्र जाप करें। इससे कारोबार में वृद्धि होती है।
5 एक सुपारी, एक सिक्का, 11 काली हत्दी तथा 11 गोमती चक्र एक साथ पीले कपड़े में लपेटकर धन स्थान पर रखने से बारहो महिीने धन का प्रवाह रहता है।
6 सात गोमती चक्र चांदी के डिब्बी में सिंदूर और अक्षत के साथ रखने पर घर में धन की कमी नहीं होती।
7 आमदनी कम हो गई हो तो 8 कौड़ी, 8 गोमती चक्र, 8 लाल गुुुंजा दक्षिणावर्ती शंख में डालकर अपने पूजा स्थल पर स्थापित करें। विधिवत पूजन के बाद ओम श्रीं नमः मंत्र का 51 माला जाप करें तथा पूजा के बाद लाल कपड़े में बांध कर गल्ला अथवा धन रखने वाले स्थान पर रख दें। आमदनकी का नया स्त्रोत खुल जाएगा अथवा पुराने कारोबार में वृद्धि होने लगेगी।
जीवन में गोमती चक्र का  प्रयोग
इसके अलावा जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में गोमती चक्र का इस प्रकार प्रयोग किया जा सकता है|
  • नवजात शिशु को गोमती चक्र चांदी में म़ढ़वाकर गले में पहना दें। उसे नजर नहीं लगेगी।
  • अदालत के काम के लिए घर से निकले तों जेब में तीन गोमती चक्र रख लें। सफलता मिलेगी।
  • शत्रुओं से परेशान हैं तो दीपावली के दिन अर्ध रात्रि में पूजा स्थल पर 6 गोमती चक्रों पर अपने शत्रु का नाम उच्चारित करते हुए सिंदुर लगाएं तथा किसी सुनसान जगह पर ले जाकर गाड़ दें। अथवा होलिका दहन के समय सिर्फ 1 गोमती चक्र चक्र हाथ में लेकर अपने दुश्मन का नाम बोलकर कहें तथा जलती हुई होलिका में डाल दें।
  • घर गृह कलह की चपेट में हो तो किसी डिब्बी में पहले सिंदूर भर दें तथा उसके ऊपर तीन गोमती चक्र रखकर ढक्कन बंद कर दें। अब इसे कहीं छुपाकर रख दें।
  • अगर मियां बीबी में रोजाना लड़ाई होती हो 3 गोमती चक्र घर के दक्षिण में हलू बलजाद कहकर फेंक दें।
  • यदि भूत, प्रेत ऊपरी बाधा जैसे समस्या हो तो पीड़ित व्यक्ति के ऊपर से गोमती चक्र उसार कर आग में डाल दें। अगर घर पर ही किसी अशरीरी आत्मा का प्रकोप हो तो गोमती चक्र रसोई घर के दरवाजे पर उसारकर अग्नि में डालें।
  • अपने पूरे घर को सुरक्षित रखने तथा नजर दोष से बचाने के लिए तीन गोमती चक्र घर के मुख्य द्वार पर लटका दें।