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Saturday, 12 May 2018

हाजरात मंत्र सिद्धी

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हाजरात मंत्र सिद्धी

हाजरात सिद्धी हिंदू धर्म मे भी है और लोग सोचते है के मुस्लिम धर्म मे है.
हाजरात एक क्रिया है,जिसके माध्यम से हम भूत भविष्य की घटना देख सकते है और अदृश्य शक्तियोको भी देख सकते है. बहोत से ऐसे कार्य होते है जिनमे हमे
भूतकाल और भविषयकाल मे होनेवाली घटना का ज्ञान होना आवश्यक होता है परंतु हम नही जान सकते है.इसलिये हाजरात साधना से हमे मदत प्राप्त हो सकती है.यह साधना 7 दिन मे सिद्ध होता है और इसमे ज्यादा समय नही लगता.
आज कल लोगो ने हाजरात के नाम पर लूटना शुरू कर दिया है, और जिनको सिद्ध हुवा है उनकी तो रोजी रोटी बन गया है.यह विधान यह विषय उत्तम है इसे अन्य भाषा मे " कजली लगाना " कहते है, कुछ लोग " अंजन " भी बोलते है.पर यह विधान हाजरात नाम से प्रचलित है,इस क्रिया से आप स्वयम अपने आँखों मे या अंगूठे पर काजल लगाकर देख सकते है और देवता का आवाहन भी कर सकते है,ताकि आपकी परेशानिया दूर हो.
मैने स्वयम हाजरात सिद्धी प्राप्त की है जिसमे मुझे 7 दिन मे सफलता प्राप्त हुयी.मै किसी भी 12 वर्ष से कम उम्र के बालक के अँगूठे मे हाजरत लगाता हू तो मुझे हर बार सफलता प्राप्त हुयी.
मै यहा पर जो गोपनिय विधान दे रहा हु उससे हाजरात सिद्धी मे सफलता मिलती है क्युके यह हाजरात मेरू मंत्र विद्या है.जिससे किसी भी प्रकार के हाजरात सिद्धी मे पूर्ण सफलता प्राप्त होती है
हाजरात मेरु मंत्र :-
॥ ओम ह्रीं श्रीं क्लीं हाजरात
सिद्धि कुरू कुरू स्वाहा ॥
किसी भी शुक्ल पक्ष के पंचमी तिथि मे 11 माला जाप करने से यह मंत्र सिद्ध होता है और इस मंत्र को सिद्ध करने के बाद "हाजरात सिद्धी" मे सफलता प्राप्त होता है.
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मै आप लोगो को वह विधान दे सकता हू जिससे आप किसी भी 12 वर्ष से कम उम्र के बालक के अँगूठे मे हाजरात लगा सकते,जिससे उस बालक को सब कुछ साफ-साफ दिखायी देगा और आप जो भी प्रश्न पुछेगे उसका जवाब बालक को हाजरात से प्राप्त होगा.इस तरहा से आप अपने जीवन मे आनेवाले दुखो से राहत पा सकते है.
इस मंत्र को सिद्ध करने हेतु "जिन्दा काजल" और "हाजरत सिद्धी यंत्र" की जरुरत होती है.जिन्दा काजल विशेष प्रकार के जडि-बुटियो से बनता है.
हाजरत सिद्धी यंत्र शुक्रवार के दिन जो भी चंद्र का शुभ मुहूर्त हो उसमे ही बनाया जाता है,जिससे सफलता जल्दी मिलती है.
इस साधना को मैने बहोत वर्षो से गोपनिय रखा हुआ है ताकी गलत हाथ मे ना लगे.इस साधना की सामग्री और उसका पूर्ण विधि-विधान आपको मुझसे प्राप्त होगा.जब तक आप साधना पूर्ण सफल नही होते है तब तक मै आपका मार्गदर्शन करता रहुगा.

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हनुमान प्रत्यक्षीकरण साधना.

हनुमानजी को रूद्रावतार भी कहा जाता है। वह भगवान शिव की तरह ही जल्दी ही प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्त की हर इच्छा पूरी करते हैं। यूं तो हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिए कई तरीके हैं फिर भी कुछ विशेष तांत्रिक प्रयोगों के द्वारा उनके न केवल दर्शन किए जा सकते हैं वरन उनसे मनचाहा वरदान भी पाया जा सकता है।
हनुमान प्रत्यक्ष दर्शन साधना भी ऎसी ही एक तांत्रिक विधि है जिसके द्वारा हनुमानजी के दर्शन होते हैं। इस साधना को किसी मंदिर या गुप्त स्थान पर ही किया जाता है। यदि किसी नदी के कि नारे एकांत स्थान या पर्वत पर स्थित मंदिर में किया जाए तो ज्यादा बेहतर होता है। कुल मिलाकर साधना का स्थान पूर्णतया पवित्र, शांत और शुद्ध होना चाहिए।
इस साधना के लिए आपको सबसे पहले लाल वस्त्र ले लेने चाहिए। बिना सिले वस्त्र जैसे धोती अधिक उपयुक्त है परन्तु अनिवार्य नहीं है। साथ ही आसन भी लाल ही होना चाहिए। पूजा के लिए लड्डू, सिंदूर, केले, दीपक, धूप, गंगाजल, जल का लोटा दूध, माचिस तथा लाल गुलाब के फूल ले लें।
मंगलवार को उपवास रखें। इसके साथ ही जल के लोटे में दूध मिला दें और उसे जाप करने के बाद पीपल के पेड़ में चढ़ा दे और हनुमानजी के मंदिर में घी का दीपक जला कर साधना के लिए आज्ञा दें। आपको जल्दी ही स्वप्न में या अन्य किसी संकेत द्वारा हनुमानजी की पूजा की आज्ञा मिल जाएगी। यदि नहीं मिलती है तो अपने गुरु से आग्या लेकर साधना करें।
ऊपर बताए अनुसार किसी शांत, शुद्ध और एकान्त स्थान पर जाकर गंगा जल छिड़क कर जगह को पवित्र कर लें। वहां गाय के गोबर लीप कर एक चौका बनालें। उस पर स्वास्तिक का चिन्ह बना कर फूल बिछाएं और उस पर हनुमानजी की मूर्ति, चित्र या यंत्र रखें। इसके बाद आसन पर विराजमान होकर मन ही मन भगवान गणेश और अपने गुरू से पूजा आरंभ करने की आज्ञा लें। इसके बाद आप अपनी साधना आरंभ करें।
दीपक जलाकर, पुष्प अर्पण कर भगवान राम के नाम की एक माला का जाप कर भलीभांति हनुमानजी की पूजा-अर्चना कर नीचे दिए गये (फोटो मे)मंत्र का मूंगे की माला से 3 माला जाप करें और हनुमानजी को भोग अर्पण करें। भोग में तुलसी का पत्ता अवश्य होना चाहिए। ध्यान रहें प्रतिदिन फल और पुष्प ताजा ही लाने चाहिए। इसके साथ ही अपने आसन और हनुमानजी के चारों तरफ राम नाम का जाप करते हुए एक गोल घेरा बना लें। यह घेरा आपकी सभी विध्नों से रक्षा करेगा।
पूजा में इन नियमों का पालन अवश्य करें मंत्र प्रतिदिन रात को 9 से 1 बजे के बीच ही करना है। भोग लगाकर प्रसाद स्वयं खाएं या छोटे लड़कों को बांट दें। साधना 41 दिन चलती है और इसे मंगलवार या गुरूवार को ही शुरू करें। पूरे 41 दिनों के दौरान किसी महिला के संपर्क में न आएं।मन-मस्तिष्क में किसी भी तरह का कोई विकार न आने दें और अपने आपको पूरी तरह से भगवान के चरणों में समर्पित कर दें।
साधना का असर 11 दिन के अंदर ही दिखने लगता है। आपको शुरू में धरती हिलती हुई अनुभव होगी। आपको बड़े ही डरावने और भयावह अनुभव होने लगेंगे परन्तु किसी बात से डरना नहीं है। आप चुपचाप हनुमानजी में ध्यान एकाग्र कर अपने मंत्र जाप करते हैं। भगवान रोजाना आकर अपना प्रसाद लेंगे और खा लेंगे। 41वें दिन भगवान साक्षात प्रकट होकर आपको दर्शन देंगे और मनचाहा वरदान मांगने को कहेंगे। आप उस दौरान उनसे कुछ भी मांग कर अपनी इच्छा पूरी कर सकते हैं।
यह एक अत्यन्त प्रचंड और विलक्षण सिद्धी है। इसे करते समय व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से मजबूत होना चाहिए। जरा सा भी डर या कमजोरी आदमी को पागल कर सकती है या उसे मार सकती है। इसीलिए यह प्रयोग हर किसी को नहीं करना चाहिए वरन अपने गुरू की आज्ञा और आर्शीवाद लेकर ही करना चाहिए।
लाभ – इस साधना से साधक को अमोघ सिद्धि मिल जाती है।उसे अतुल बल की प्राप्ति होती है और उसके कदम रखते ही घर के सभी भूत आदि भाग जाते है।कोई भी तंत्र उस पे नहीं चलता हनुमान जी उसकी हमेशा रक्षा करते है ।वह किसी के भी भूत भविष्य को जान लेता है और किसी को भी सुरक्षा देने में सक्षम हो जाता है।उसे किसी भी साधना में सुरक्षा मिल जाती है ।और वह कोई भी साधना करते वक़्त भय नहीं करता । और भी इसके बहुत लाभ है जो आप स्वयं कर के अनुभव कर सकते है ।एक विषेश बात हनुमानजी आते है और दर्शन देते है सिर्फ विश्वास बनाये रखिये।

मूल मंत्र ॐ यं ह्रीं वायुपुत्राय एही एही आगच्छ आगच्छ आवेशय आवेशय रामचंद्र आज्ञापयति स्वाहा। 

प्रेत बाधा से मुक्ति

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प्रेत बाधा से मुक्ति

प्रेत को रोकें, वशीभूत करें, भगाएं – कब और कैसे- ऐसा हम सब लोगों के साथ होता है की ज़िन्दगी के किसी मोड़ पर हमारा सामना ऐसी समस्याओं से होता है जिनमें मामूली बुद्धि और ज्ञान काम नहीं करता। यह खासे तौर पर तब होता है जब हमारे जान-पहचान में कोई भूत-प्रेत से पीड़ित हो। जब आपके करीबी या फिर खुद पर ही किसी बुरे प्रेत या भूत की छाया पर जाये तो आखिर क्या करना चाहिए?
किस तरह के कदम उठाना उचित है जिससे प्रेत भी जाये या वशीभूत हो और हमें या हमारे करीबी लोगों को कष्ट न उठाना पड़े? शास्त्रों में इन भूत, प्रेत, पिशाच, ब्रह्मराक्षस, जिन्न और चुड़ैल आदि के बारे में बहुत पुराने ज़माने से वर्णन है। यह मान्यता है की यह सब शमशान, कब्रिस्तान, खंडहर, खाली पड़ी इमारतों और तालाब, जंगल में पाए जाते हैं। इनमें सब का व्यव्हार इंसान पर अलग-अलग होता है।
इन सब सवालों पर मैंने गौर कर के कुछ उपाय और तरीके ढूंढे हैं जो मैं अभी आपके समक्ष रखूँगा, इनसे आप लाभ उठा सकते हैं। कोई बुरी छाया से होनी वाली परेशानी को भी दूर कर पा सकते हैं। हालाँकि सब की सब एक जैसी न होकर अलग-अलग प्रभाव डालती हैं, कुछ कार्य में विघ्न डालती हैं, कुछ घर में लोगों को परेशां करती हैं, कुछ छोटे-बूढ़ों को चपेट में ले लेती हैं।
पहला और सबसे कारगर उपाय – इन सब कामों के लिए शनिवार सबसे उत्तम दिन माना जाता है। तो शनिवार के दिन कुछ बाजरा ले कर उसकी दलिया बना लें, चीनी की जगह ग़ुड़ का इस्तेमाल करें, मीठा बनाने के लिए। इस पकवान को एक मिटटी की हांडी में रख दें और सूर्यास्त होने का इंतज़ार करें, फिर पीड़ित व्यक्ति के पास जाकर उसके ऊपर हांड़ी बांये से दांये ओर घुमाकर हांडी किसी सुनसान चौराहे पर रख आएं।
यह करते वक्त एक बात का ध्यान रखें की हांडी घुमाकर चौराहे ले जाते वक़्त कोई मिले तो बात न करें, पीछे मुड़कर कतई न देखें एवं हांड़ी रखकर घर आते वक़्त भी अगर कोई मिले तो बात न करें, सीधा घर पहुंचें।
इस टोटके के बाद आप पाएंगे की पीड़ित व्यक्ति पर असर होगा और वह ठीक होने लगेगा।
एक और उपाय है जिससे भूत-प्रेत आपका घर छोड़कर भागेंगे – थोड़ी सी भगवान् को दिखाकर धूनी जलाएं, दो वक़्त जलाएं – सुबह और शाम। अगर आप इसे और कारगर बनाना चाहते हैं तो कंडा जलाएं, उसमें लोहबान मिला लें और गूगल भी मिला लें, इस मिश्रण का धुंआ जब आप पूरे घर में फैलाएंगे तो असर होगा ही होगा।
भूत की बाधा को हटाने के लिए आप किसी अच्छे ज्योतिषी के पास जा सकते हैं जो आपकी कुंडली देख कर यह निश्चित कर पायेगा की प्रेत और पिशाच योग हैं की नहीं, पितरों को कोई दिक्कत हो।वह भी परेशान हो सकते हैं। वह दृष्टि और दिशा देख कर यह सुनिश्चित कर लेंगे की सही उपाय क्या है।
अगर ज्योतिषी आपकी बात से सहमत है की कुछ बात है तो आप तांत्रिक के पास जाएं और उससे अनेक उपायों और दीक्षायों में से जो उचित हो लें। अगर ज्योतिषी कहे की कुछ नहीं है तो तांत्रिक के पास नहीं जाना सही है।
अथर्व वेद में भी इन बुरी छायाओं का वर्णन है, आप कोई हवन कराकर घर को पवित्र करा सकते हैं। घर पे कथा करने का निश्चय लेना भी ठीक है। ॐ से अभिमंत्रित माला पहनना अच्छा रहता है एवं रुद्राक्ष की मालाएं भी बहुत अच्छी रहती है।
घर के बाहर भी ॐ से अभिमंत्रित प्रतीक रखना घर के लिए अच्छा रहता है, आप रोज़ तिलक ज़रूर लगाएं – चाहे चन्दन का हो या केसर का या भभूत का। हाथ में कलावा/मौली भी ज़रूरी होनी चाहिए।
सबसे कारगर रात दीपावली की होती है, इस रात को अगर आप घी के दिये से काजल बना लें और पूरे साल लगाएं तो कोई भी भूत-प्रेत, वशीकरण आदि काम नहीं करेगा।
घर पर जब रात्रि शुरू हो और आप ने खाना खा लिया हो तब आप लौंग और घी को पूजा स्थल पर जला दें, इससे बहुत सारे फायदे होते हैं – आध्यात्मिक और भौतिक।
नक्षत्रों में एक नक्षत्र पुश्य का होता है, इस नक्षत्र में धतूरे का पेंड़ उखाड़ कर मिटटी में गाड़ दें। ऐसा गाड़ें की जड़ ऊपर रहे और पौधा नीचे डाब जाये। घर में सुख शांति बन जाएगी।
भूत-प्रेत को भागने के लिए हनुमान जी का एक मंत्र है, इसका जाप करें तो फायदा होगा –
“ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ऊँ नमो भगवते महाबल पराक्रमाय भूत-प्रेत पिशाच-शाकिनी-डाकिनी-यक्षणी-पूतना-मारी-महामारी, यक्ष राक्षस भैरव बेताल ग्रह राक्षसादिकम्‌ क्षणेन हन हन भंजय भंजय मारय मारय मारय शिक्षय शिक्षय महामारेश्वर रुद्रावतार हुं फट् स्वाहा।”
हनुमान चालीस का पाठ करने से भी बहुत असर होगा, आप इसका रोज़ पाठ करें, हो सके तो इसे याद कर लें।
माँ काली की पूजा रोज़ सुबह फूल और अन्य सामग्री के साथ करें और शाम को भी पूजा-अर्चना करें। उनसे प्रार्थना करें की वह आपकी, आपके घर वालों की और घर की रक्षा करें।
गणेश जी की पूजा रोज़ करने से लाभ होता है, रोज़ एक मुट्ठी चावल दान करें एक वर्ष तक, फल अवश्य मिलेगा।
अशोक पेंड़ के कुछ पत्ते लें और उन्हें पूजा में इस्तेमाल करें, जब वे सूख जाएं तो उन्हें पीपल के पेंड़ के नीचे रख आएं, यह कार्य नियमित रूप से करने से फल मिलता है।
अमावस्या के दिन कभी भी मांस और मदिरा का सेवन कतई न करें।
इस तरह मैंने आपके समक्ष कुछ ऐसे सरल, सहज और सटीक उपाय रखे हैं जो करने में न तो ज़्यादा मेहनत मांगते हैं और न ही कोई ज़्यादा पूँजी। आप पूजा-पाठ में भी विलीन रहेंगे और टोना-टोटका कर के भूत-प्रेत वशीभूत कर उसे भगा पाएंगे।
भूत-प्रेत को भी जीने का अधिकार होता है, इसीलिए वह इस दुनिया में हमारे साथ है, उसे भी हमारे साथ अपनी रोटी सेंकनी होती है – बस करना यह होता है की न वो हमारे काम में दखल दे और न हम उसके काम में बाधा बने।  ताकि दोनों की दुनिया परस्पर मेल से बिना एक दूसरे को हानि पहुंचाए अपना जीवन व्यतीत कर सके।
भूत-प्रेत को भागने के अलावा भी आप इन टोटकों को कभी-कभी करें, ताकि भूत-प्रेत से बचने का कार्य भी होता रहे।