Saturday, 12 May 2018
घर की सभी आफतों को कीलना
कई बार व्यक्ति की समृद्धि अचानक रुष्ट हो जाती है,सारे बने बनाये कार्य बिगड जाते है,जीवन की सारी खुशिया नाराज सी लगती हैं,जिस भी काम में हाथ डालो असफलता ही हाथ लगती है.घर का कोई सदस्य जब चाहे तब घर से भाग जाता है,या हमेशा गुमसुम सा पागलों सा व्यवहार करता हो,तब ये प्रयोग जीवन की विभिन्न समस्याओं का न सिर्फ समाधान करता है अपितु पूरी तरह उन्हें नष्ट ही कर देता और आने वाले पूरे जीवन में भी आपको सपरिवार तंत्र बाधा और स्थान दोष ,दिशा दोष से मुक्त कर अभय ही दे देता हैं.
इस मंत्र को यदि पूर्ण विधि पूर्वक गुरु पूजन संपन्न कर ११०० की संख्या में जप कर सिद्ध कर लिया जाये तो साधक को ये मंत्र उसकी तीक्ष्ण साधनाओं में भी सुरक्षा प्रदान करता है और यात्रा में चोरी आदि घटनाओं से भी बचाता है.मंत्र को सिद्ध करने के बाद जिस भी मकान या दुकान में उपरोक्त बाधाएं आ रही हो,किसी प्रेत का वास हो गया हो या अज्ञात कारणों से बाधाएँ आ रही हो,उस मकान में बाहर के दरवाजे से लेकर अंदर तक कुल जितने दरवाजे हो उतनी ही छोटी नागफनी कीलें और एक मुट्ठी काली उडद ले ले.इसके बाद मकान के बाहर आकर प्रत्येक कील पर ५ बार मंत्र पढ़ कर फूँक मारे और उडद को भी फूँक मार कर अभिमंत्रित कर ले,जितनी कीलो को आप अभिमंत्रित करेंगे उतनी बार उडद पर भी फूँक मारनी होगी.अब इस सामग्री को लेकर उस मकान में प्रवेश करे और मन ही मन मन्त्र जप करते रहे.आखिरी कमरे में प्रवेश कर ४-५ दाने उडद के बिखेर दे और और उस कमरे से बाहर आकर उस कमरे की दरवाजे की चौखट पर कील ठोक दे.यही क्रिया प्रत्येक कमरों में करे. और आखिर में बाहर निकल कर मुख्य दरवाजे को भी कीलित कर दे.इस प्रयोग से खोयी खुशियाँ वापिस आती ही है. ये मेरा स्वयं का कई बार परखा हुआ प्रयोग है. मन्त्र- ओम नमो आदेश गुरुन को ईश्वर वाचा,अजरी-बजरी बाड़ा बज्जरी मैं बज्जरी बाँधा दशौ दुवार छवा ,और के घालों तो पलट हनुमंत वीर उसी को मारे,पहली चौकी गणपती,दूजी चौकी हनुमंत,तीजी चौकी में भैरों,चौथी चौकी देत रक्षा करन को आवें श्री नरसिंह देव जी, शब्द साँचा,पिण्ड काँचा,चले मन्त्र ईश्वरो वाचा.
Ruchi Sehgal
औषधि
यदि शरीर के किसी हिस्से में काँटा चुभ गया हो तो उस स्थान पर हींग का घोल भर दें। कुछ समय में काँटा स्वतः निकल आएगा।
दाँतों में कीड़ा लग जाने पर रात्रि को दाँत में हींग दबाकर सोएँ। कीड़े खुद-ब-खुद निकल जाएँगे।
हींग में रोग-प्रतिरोधक क्षमता होती है। दाद, खाज, खुजली व अन्य चर्म रोगों में इसको पानी में घिसकर उन स्थानों पर लगाने से लाभ होता है।
हींग का लेप बवासीर, तिल्ली व उदरशोथ में लाभप्रद है।
कब्जियत की शिकायत होने पर हींग के चूर्ण में थोड़ा सा मीठा सोड़ा मिलाकर रात्रि को फाँक लें, सबेरे शौच साफ होगा।
पेट के दर्द, अफारे, ऐंठन आदि में अजवाइन और नमक के साथ हींग का सेवन करें तो लाभ होगा।
पेट में कीड़े हो जाने पर हींग को पानी में घोलकर एनिमा लेने से पेट के कीड़े शीघ्र निकल आते हैं।
जख्म यदि कुछ समय तक खुला रहे तो उसमें छोटे-छोटे रोगाणु पनप जाते हैं। जख्म पर हींग का चूर्ण डालने से रोगाणु नष्ट हो जाते हैं।
प्रतिदिन के भोजन में दाल, कढ़ी व कुछ सब्जियों में हींग का उपयोग करने से भोजन को पचाने में सहायक होती है।
Ruchi Sehgal