Sunday, 13 May 2018
खास रत्न
रत्नों का व्यक्ति के जीवन से हजारों वर्ष पुराना नाता है। जहां एक ओर रत्न जमीन से हजारों फुट नीचे व पहाड़ों और गुफाओं में से निकलते हैं वहीं दूसरी ओर समुद्र में व पहाड़ों पर जुगनुओं की तरह चमचमाते पौधों की डालियों, जड़ों व फलों की डालियों में भी पाए जाते हैं जैसे कि रत्न मूंगा व संजीवनी बूटी जो पहाड़ों पर चमचमाती दिखाई देती है।
हिंदुओं के ग्रंथ ‘रामायण’ में जब रावण के पुत्र मेघनाद से युद्ध के दौरान लक्ष्मण मूर्च्छित हो गए थे तो हनुमान जी पूरा पहाड़ ही उठा लाए थे जिस पर चमचमाते प्राकृतिक ऊर्जा से भरे व जुगनुओं की तरह टिमटिमाते पौधे दिखाई देते थे। लक्ष्मण जी का उपचार कर रहे वैद्य ने जब पहाड़ से संजीवनी बूटी निकाल कर लक्ष्मण जी को सुंघाई तो वह तुरन्त मूर्च्छा से मुक्त हो गए थे। आज भी हमारे देश में आयुर्वेद में रोगों का इलाज जड़ी-बूटियों से किया जाता है।
आज भी पर्वतों पर व समुद्रों में कुछ ऐसे पौधे, जड़ी-बूटियां दिखाई पड़ती हैं जिनकी आकृति मनुष्य के शरीर के अंगों से मिलती-जुलती है और जो शायद इस ओर इशारा करती हैं कि इसका संबंध मनुष्य के शरीर से बहुत गहरा है।
उदाहरण के तौर पर ‘दिमागी मूंगा’ रीढ़ की हड्डी की तरह का पेट के आकार जैसा मूंगा, सैक्स बढ़ाने वाला मूंगा शरीर के अंगों जैसी आकृति के पौधों से प्राप्त किए जाते हैं और फिर इनको काट कर, मशीनों द्वारा साफ करके रत्नों का आकार दे दिया जाता है जिस प्रकार चुंबक के चारों की ऊर्जा दिखाई नहीं देती लेकिन जैसे ही वह लोहे के समीप आता है, ऊर्जावान हो जाता है इसी प्रकार इन रत्नों में छुपी हुई प्राकृतिक ऊर्जा व्यक्ति के शरीर के सम्पर्क में आते ही अपना प्रभाव दिखाना प्रारंभ कर देती है। यह व्यक्ति के स्वास्थ्य को जहां एक ओर ठीक करती है वहीं दूसरी ओर ग्रहों से संबंधित रत्न ग्रहों से संबंधित कार्यों को प्रभावित करते हैं।
आस्ट्रल ऊर्जा से भरपूर ये रत्न जब धारण किए जाते हैं तो अपना चमत्कार दिखाते हैं। व्यक्ति के जीवन को पलट कर रख देते हैं। राजा को रंक और रंक को राजा बना देते हैं। अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए देवी-देवता एवं राक्षस इन्हें धारण करते थे। यदि ये माफिक न आएं तो जीवन नष्ट-भ्रष्ट कर देते हैं।
वर्ष 1857 में कर्नल फ्रान्सेस जब भारत वर्ष में आजादी की छिड़ी जंग को दबाने कानपुर पहुंचा तो एक मंदिर में मूर्तियों पर जड़े जेवरात के साथ उसको एक नीलम जड़ी अंगूठी भी प्राप्त हुई। जिस दिन से उसने उस नीलम को प्राप्त किया उसी दिन से उसके खराब दिन शुरू हो गए थे। उसकी अपनी सेना में बड़ी शोहरत थी लेकिन वह सब खत्म हो गई, करोड़ों की सम्पत्ति भी सर्वनाश हो गई तो उसने वह नीलम अपने दो मित्रों को दे दिया। मित्रों में से एक की मौत हो गई और दूसरा बर्बाद हो गया। वह नीलम फिर से लौटकर कर्नल फ्रान्सेस के घर आ गया। कर्नल फ्रांसेस की मौत हो गई उसकी मौत के उपरांत उसकी वसीयत में रत्न का जिक्र आया। यह रत्न उसके दो पुत्रों को मिला। उन पुत्रों को भी बर्बादी ने घेर लिया और वे भी बर्बाद हो गए। उस परिवार के सदस्यों ने यह नीलम लंदन के म्यूजियम में रखवा दिया। जनवरी 2010 में लंदन के म्यूजियम में उस नीलम की नुमाइश लगी थी। लोग उस नीलम के पास जाते भी घबराते थे। इस नीलम के चारों तरफ एक बैंगनी रंग की पट्टी अर्थात छल्ला-सा नजर आता है।
केवल नीलम ही नहीं बल्कि एक हीरा भी इसी प्रकार की प्रवृत्ति का है जिसने उसको धारण किया उसी का ही सर्वनाश हो गया। यह भी नुमाइश के दौरान लंदन के म्यूजियम में देखा जा सकता है।
जिस प्रकार से सात ग्रह :- सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र व शनि हैं।
सात रंग : बैंगनी, गाढ़ा नीला, हरा, पीला, संतरी व लाल (स्पैक्ट्रम),
संगीत के सात सुर सा, रे, गा, मा, पा, धा, नी,
सात दिन : रविवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, वीरवार, शुक्रवार व शनिवार और
योग में सात चक्र : सहस्रधारा, अंजना, विशुद्धि, अनाहत, मणिपुर, स्वाधिष्ठान और
मूला व शरीर में सात ग्रंथियां : पिनियल, पीट्टूरी, थायरायड, थाइमस, पैंक्रियास, एडरिनल और गोणडस होती हैं। इसी प्रकार से सात महत्वपूर्ण रत्न हैं- मणिक, मोती, मूंगा, पन्ना, पुखराज, हीरा व नीलम है।
ये सातों रत्न 12 राशियों के स्वामी ग्रहों के रत्न हैं। मेष व वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल रत्न मूंगा, वृष-तुला का स्वामी शुक्र, रत्न हीरा, मिथुन-कन्या का बुद्ध रत्न पन्ना, धनु-मीन का स्वामी बृहस्पति रत्न पुखराज, मकर-कुंभ का स्वामी शनि, रत्न नीलम, सिंह राशि का स्वामी सूर्य, रत्न मणिक व कर्क राशि का स्वामी चंद्र रत्न मोती है।
जिस प्रकार से व्यक्ति को खून चढ़ाते समय उसके ब्लड ग्रुप का मिलान कर लिया जाता है उसी प्रकार से रत्नों को राशि के अनुसार मेच करके ही पहनना चाहिए नहीं तो यह व्यक्ति को हानि पहुंचाते हैं लेकिन आज के दौर में जिस प्रकार से नकली खाद्य पदार्थ, दवाइयां, मिलावटी वस्तुओं का प्रचलन चल रहा है उसी प्रकार नकली रत्नों का भी प्रचलन चल रहा है जिनको राशि अनुसार पहनने पर भी लाभ नहीं होता इसलिए लोगों का विश्वास कम होता जा रहा है।
एक ओर जहां वैज्ञानिक इन रत्नों से होने वाले लाभ व हानि को नहीं मानते वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे वैज्ञानिक भी हैं जिन्होंने इन रत्नों के पीछे छिपे रहस्य को साइंटिफिक तौर पर उजागर कर दिया है। रत्नों को धारण करने से पूर्व व्यक्ति को जन्म लग्न व जन्म राशि से संबंधित रत्नों की पूर्ण जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए।
नगों की भी एक्सपायरी डेट
यह बात सुनने में अटपटी लग सकती है और जिन्होंने 10-20 साल से एक ही नग अंगूठी या पैंडेंट में पहना हुआ है, उन्हें यह पढ़ कर थोड़ा अचरज भी हो सकता है कि दवाइयों या खाद्य वस्तुओं की तो एक्सपायरी डेट हो सकती है परंतु किसी रत्न की कैसे? यह कोई खाने की चीज है? जैसे खाद्य वस्तुओं में डेट, वेट और रेट का महत्व है ठीक वैसे ही नगों के विषय में भी ये तीनों बातें जाननी आवश्यक हैं परंतु थोड़े अलग संदर्भ में।
चाहे आप कार रखें या टी.वी. या फ्रिज या ऐसी ही कोई आइटम जिसका उपयोग प्रतिदिन हो रहा हो वह घिसती अवश्य है और उसकी कार्यक्षमता भी दिन-प्रतिदिन कम होती जाती है और आप एक दिन उसे बदल कर नया ले आते हैं। एक प्रकार से उसका नवीनीकरण हो जाता है परंतु कार की जगह कार ही लेते हैं और फ्रिज के स्थान पर फ्रिज ।
इसी प्रकार जो भी रत्न हम धारण करते हैं, वह दिन-प्रतिदिन घिसता रहता है। वैज्ञानिक दृष्टि से हर नग अपने अंदर कुछ नकारात्मक ऊर्जा शरीर से बाहरी वातावरण से ग्रहण करता रहता है और अपने में संजोए रहता है। एक नग ग्रहों की विशेष रश्मियों एवं तरंगों को एकत्रित करके मनुष्य के शरीर में स्नायु तंत्र के माध्यम से प्रवेश करवा कर उसके शरीर को अनुकूल बनाता है।
आपने देखा होगा या कभी अनुभव भी किया होगा कि कई बार नग स्वयं टूट जाते हैं या उनमें पहने-पहने दरारेें आ जाती हैं। ऐसा कहीं टकराने से भी हो सकता है और कभी-कभी अच्छे नग आपकी मुसीबत अपने ऊपर लेकर तिड़क भी जाते हैं या कई बार रत्न का रंग फीका पड़ जाता है। ये रक्षा क्वच की तरह भी काम करते हैं यह दो कारणों से हो सकता है। पहला तो यह कि आपका नग असली नहीं अपितु हीट ट्रीटमैंट से रंगा हुआ है। दूसरा यह कि अशुभ ग्रह का प्रभाव नग ने अपने अंदर ले लिया है । पत्थर ही सही परंतु कुछ दिनों बाद ये अपने आकर्षण के साथ-साथ अपनी उपयोगिता भी खो देते हैं। इनकी अपनी शक्ति का ह्रास होता जाता है।
यदि आपने पांच वर्ष पूर्व कोई मोती पहना हो तो उसे गौर से देखें तो पता चलेगा कि वह कई जगह से घिस चुका है और उसी अंगूठी में गोल-गोल घूम रहा होगा। कारण यह है कि मोती पहनने की आयु सीमा सबसे कम (अढ़ाई साल) निर्धारित की गई है। इसलिए यह सबसे अधिक जल्दी घिस जाता है। यदि आपको मोती सारी उम्र पहनने के लिए कहा गया है तो इसे अढ़ाई-तीन साल में बदलवा लिया करें अन्यथा यह काम कुछ नहीं करेगा बस उंगली में सजावटी आइटम बनकर ही रह जाएगा।
इसी प्रकार रत्न शास्त्र के अनुसार माणिक्य- 4 वर्ष, मूंगा -3, पन्ना -4, पुखराज-4, हीरा -7, नीलम-5, गोमेद और लहसुनिया 3-3 साल के बाद बदल देने चाहिएं।
परिवार में किसी भी रत्न की आपस में एक-दूसरे से अदला-बदली नहीं करनी चाहिए भले ही वे भाई-बहन, मां-बेटे , पति-पत्नी या निकट संबंधी ही क्यों न हों। अपना उतारा हुआ नग किसी और को नहीं पहनाना चाहिए। आपकी शुभता अथवा अशुभता लिए यह रत्न किसी को नुक्सान पहुंचा सकता है । इसे जल प्रवाह कर देना चाहिए। अच्छे ज्यूलर्स कभी एक बार पहना हुआ नग वापस नहीं लेते। बार-बार इसे उतारना भी नहीं चाहिए। यदि किसी एलर्जी के कारण उतारना पड़ जाए या अंगूठी की एडजस्टमैंट के लिए किसी कारीगर को देनी ही पड़ जाए तो पुन: प्राण प्रतिष्ठा करवा कर ही धारण करना चाहिए। खंडित नग कभी नहीं पहनना चाहिए। सदा अच्छे ज्योतिषी से परामर्श करना चाहिए जिसे रत्न विज्ञान के अतिरिक्त जन्म पत्रिका विश्लेषण का भी अच्छा ज्ञान तथा अनुभव हो।
रत्नों से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करना
प्राचीन मिस्र और पुरातनता से अन्य संस्कृतियों में, लोगों का मानना था कि रत्नों में स्वास्थ्य लाभों की एक विस्तृत श्रृंखला थी। आधुनिक समय में, रत्न मुख्य रूप से सजावटी उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है। हालांकि, कुछ लोग अभी भी मानते हैं कि आप कुछ रत्नों और खनिजों से स्वास्थ्य बोनस प्राप्त कर सकते हैं। कुछ ऊर्जा क्षेत्रों को बहाल करने, शांति पाने और प्यार और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए अपने आध्यात्मिक प्रथाओं के हिस्से के रूप में रत्नों का उपयोग करते हैं। कुछ विश्वास प्रणालियों में, उपचार को बढ़ावा देने के लिए "चक्र" नामक शरीर के कुछ क्षेत्रों पर रत्न लगाए जाते हैं। अन्य प्रणालियों में, रत्नों से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करना एक विशिष्ट मणि के साथ बने गहने के टुकड़े पहनने जितना आसान हो सकता है।
गुलाबी स्फ़टिक या rose
garnet या गोमेद
गार्नेट में लाल रंग के भव्य, गहरे रंगों को पहनने वालों को ऊर्जा प्रदान करने के लिए कहा जाता है, जो उन्हें स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने में मदद कर सकता है। अपने पूरे सिस्टम को बढ़ावा देने, अपने शरीर को पुनरुत्थान करने और अपने आत्मविश्वास को बढ़ाकर अपने भावनात्मक कल्याण को बढ़ावा देने के लिए गार्नेट पहनें। पत्थर को बुरे और बुरे कर्म से सुरक्षा लाने के लिए भी कहा जाता है। अपने गार्नेट को कहीं भी पहनें, लेकिन दिल के पास इष्टतम कहा जाता है।
जामुनिया रत्न
एक खूबसूरत बैंगनी रत्न, अमेथिस्ट पहनने वाले को ताकत, साहस और शांति लाने के लिए कहा जाता है। ये लाभ उपचार को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं। शांतिपूर्ण गुणों के साथ यह एक सुखद पत्थर है, एक शांत ऊर्जा के साथ जो रचनात्मकता को मुक्त करने में भी मदद करनी चाहिए। चूंकि पत्थर में ऐसे शांत गुण हैं, इसलिए चिंता, मनोदशा विकार और व्यसन से पीड़ित किसी के लिए यह एक शानदार उपहार है। आध्यात्मिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए इसे कहीं भी पहनें।
मोती
एक सुंदर मोती स्वाभाविक रूप से एक ऑयस्टर के अंदर होती है और कई रंगों, आकारों और आकारों में आ सकती है। मोती को पूरे शरीर को संतुलित करने और पहनने वाले के भीतर सकारात्मक, खुश भावनाएं पैदा करने के लिए कहा जाता है। पारंपरिक एशियाई औषधीय प्रणालियों में, मोती पाचन तंत्र, प्रजनन संबंधी मुद्दों और दिल की समस्याओं के इलाज के लिए मोती का उपयोग किया जाता है। आज, एक चमकदार रंग प्राप्त करने के लिए मेकअप में मोती पाउडर का उपयोग किया जाता है। कुछ लोगों का मानना है कि इसका उपयोग रोसैसा जैसे कई त्वचा विकारों के इलाज के लिए भी किया जा सकता है।
Moonstone
प्रेतवाधित सुंदर, सफेद, स्पष्ट, या इंद्रधनुष रंगीन चांदनी पहनने वालों को संतुलन, विशेष रूप से महिलाओं को प्राप्त करने में मदद करने के लिए कहा जाता है। प्राचीन काल से, यात्रियों ने इस रत्न का उपयोग एक सुरक्षात्मक ताकतवर के रूप में किया है। चंद्रमा के गहने का उपयोग चिंता, अवसाद, अनिद्रा, और रचनात्मकता को बढ़ावा देने के लिए किया गया है। कुछ का मानना है कि यह रत्न वृद्धावस्था और बचपन दोनों की बीमारियों से निपटने में भी मदद कर सकता है।
अंबर या कहरुआ
पीले, भूरा, या लाल रंग के एम्बर को कुछ लोगों द्वारा आत्म-अभिव्यक्ति को बढ़ावा देने के लिए सिरदर्द और तनाव के इलाज से लेकर उपयोग के साथ एक शक्तिशाली रत्न माना जाता है। यह सफाई और शुद्धिकरण को बढ़ावा देने के लिए भी कहा जाता है, जो शरीर से बीमारियों को दूर करने और दर्द को कम करने में मदद कर सकता है ताकि पहनने वाला ठीक हो सके।
सिट्रीन या पुखराज
कहा जाता है कि साइट्रिन भावनात्मक कल्याण को बढ़ावा देने और सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि करने के लिए कहा जाता है। कुछ का मानना है कि यह सुनने की कठिनाइयों, पाचन रोगों, नींद की समस्याओं, और दर्द और सूजन प्रबंधन में मदद कर सकता है। यदि इसके सकारात्मक लाभ को बढ़ाने के लिए संभव हो तो अपने प्राकृतिक रूप में साइट्रिन पहनें।
अक्वामरीन या नीला पन्ना
महासागर का रंग, चमकदार एक्वामेरीन आप खरीद सकते हैं सबसे खूबसूरत रत्नों में से एक है। इस मणि से जुड़े कई पारंपरिक मान्यताओं हैं। Aquamarine पाचन, आंख, और दांत की समस्याओं के साथ मदद करने के लिए कहा गया है। अतीत में, नाविक अक्सर समुद्र में भाग्य लाने के लिए एक्वामेरीन्स का इस्तेमाल करते थे। कुछ अभी भी संरक्षण उद्देश्यों के लिए पत्थर का उपयोग करते हैं। पत्थर को एक सकारात्मक बल कहा जाता है जो इसके पहनने वाले को खुशी ला सकता है और दुःखी प्रक्रिया से निपटने में मदद करता है। कुछ लोगों का मानना है कि एक्वामेरीन उपचार ऊर्जा को बढ़ावा देता है, पानी के डर को कम करता है, और यहां तक कि एक तरफ प्रेमी भी वापस ला सकता है। कुछ शमैन इसे ध्यान के पत्थर के रूप में उपयोग करते हैं।
गुलाबी स्फ़टिक या rose
Rose Quartz
एक लोकप्रिय रत्न, गुलाबी रंग के गुलाब क्वार्ट्ज को दिल की धड़कन को ठीक करने में मदद करने के लिए कहा जाता है। लगता है कि प्यार से निकटता से जुड़ा हुआ है, गुलाब क्वार्ट्ज में एक सुखद, सौम्य ऊर्जा है जो एक उत्तेजित पहनने वाले को शांत कर सकती है। गुलाब क्वार्ट्ज से सबसे अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए, अपनी गर्दन के चारों ओर एक लटकन पर रत्न पहनें। यह पत्थर को आपके दिल के करीब रहने और भावनात्मक घावों को दूर करने, आत्म-प्रेम को बढ़ावा देने, और अपने दिल को सकारात्मक संबंधों के लिए खोलने में मदद करता है। गुलाब क्वार्ट्ज का एक उपहार तलाक, टूटने, पारिवारिक विद्रोह, या अकेलापन और आंतरिक शांति की कमी के बावजूद किसी के लिए एक अद्भुत संदेश हो सकता है।garnet या गोमेद
गार्नेट में लाल रंग के भव्य, गहरे रंगों को पहनने वालों को ऊर्जा प्रदान करने के लिए कहा जाता है, जो उन्हें स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने में मदद कर सकता है। अपने पूरे सिस्टम को बढ़ावा देने, अपने शरीर को पुनरुत्थान करने और अपने आत्मविश्वास को बढ़ाकर अपने भावनात्मक कल्याण को बढ़ावा देने के लिए गार्नेट पहनें। पत्थर को बुरे और बुरे कर्म से सुरक्षा लाने के लिए भी कहा जाता है। अपने गार्नेट को कहीं भी पहनें, लेकिन दिल के पास इष्टतम कहा जाता है।
जामुनिया रत्न
एक खूबसूरत बैंगनी रत्न, अमेथिस्ट पहनने वाले को ताकत, साहस और शांति लाने के लिए कहा जाता है। ये लाभ उपचार को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं। शांतिपूर्ण गुणों के साथ यह एक सुखद पत्थर है, एक शांत ऊर्जा के साथ जो रचनात्मकता को मुक्त करने में भी मदद करनी चाहिए। चूंकि पत्थर में ऐसे शांत गुण हैं, इसलिए चिंता, मनोदशा विकार और व्यसन से पीड़ित किसी के लिए यह एक शानदार उपहार है। आध्यात्मिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए इसे कहीं भी पहनें।
मोती
एक सुंदर मोती स्वाभाविक रूप से एक ऑयस्टर के अंदर होती है और कई रंगों, आकारों और आकारों में आ सकती है। मोती को पूरे शरीर को संतुलित करने और पहनने वाले के भीतर सकारात्मक, खुश भावनाएं पैदा करने के लिए कहा जाता है। पारंपरिक एशियाई औषधीय प्रणालियों में, मोती पाचन तंत्र, प्रजनन संबंधी मुद्दों और दिल की समस्याओं के इलाज के लिए मोती का उपयोग किया जाता है। आज, एक चमकदार रंग प्राप्त करने के लिए मेकअप में मोती पाउडर का उपयोग किया जाता है। कुछ लोगों का मानना है कि इसका उपयोग रोसैसा जैसे कई त्वचा विकारों के इलाज के लिए भी किया जा सकता है।
Moonstone
प्रेतवाधित सुंदर, सफेद, स्पष्ट, या इंद्रधनुष रंगीन चांदनी पहनने वालों को संतुलन, विशेष रूप से महिलाओं को प्राप्त करने में मदद करने के लिए कहा जाता है। प्राचीन काल से, यात्रियों ने इस रत्न का उपयोग एक सुरक्षात्मक ताकतवर के रूप में किया है। चंद्रमा के गहने का उपयोग चिंता, अवसाद, अनिद्रा, और रचनात्मकता को बढ़ावा देने के लिए किया गया है। कुछ का मानना है कि यह रत्न वृद्धावस्था और बचपन दोनों की बीमारियों से निपटने में भी मदद कर सकता है।
अंबर या कहरुआ
पीले, भूरा, या लाल रंग के एम्बर को कुछ लोगों द्वारा आत्म-अभिव्यक्ति को बढ़ावा देने के लिए सिरदर्द और तनाव के इलाज से लेकर उपयोग के साथ एक शक्तिशाली रत्न माना जाता है। यह सफाई और शुद्धिकरण को बढ़ावा देने के लिए भी कहा जाता है, जो शरीर से बीमारियों को दूर करने और दर्द को कम करने में मदद कर सकता है ताकि पहनने वाला ठीक हो सके।
सिट्रीन या पुखराज
कहा जाता है कि साइट्रिन भावनात्मक कल्याण को बढ़ावा देने और सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि करने के लिए कहा जाता है। कुछ का मानना है कि यह सुनने की कठिनाइयों, पाचन रोगों, नींद की समस्याओं, और दर्द और सूजन प्रबंधन में मदद कर सकता है। यदि इसके सकारात्मक लाभ को बढ़ाने के लिए संभव हो तो अपने प्राकृतिक रूप में साइट्रिन पहनें।
अक्वामरीन या नीला पन्ना
महासागर का रंग, चमकदार एक्वामेरीन आप खरीद सकते हैं सबसे खूबसूरत रत्नों में से एक है। इस मणि से जुड़े कई पारंपरिक मान्यताओं हैं। Aquamarine पाचन, आंख, और दांत की समस्याओं के साथ मदद करने के लिए कहा गया है। अतीत में, नाविक अक्सर समुद्र में भाग्य लाने के लिए एक्वामेरीन्स का इस्तेमाल करते थे। कुछ अभी भी संरक्षण उद्देश्यों के लिए पत्थर का उपयोग करते हैं। पत्थर को एक सकारात्मक बल कहा जाता है जो इसके पहनने वाले को खुशी ला सकता है और दुःखी प्रक्रिया से निपटने में मदद करता है। कुछ लोगों का मानना है कि एक्वामेरीन उपचार ऊर्जा को बढ़ावा देता है, पानी के डर को कम करता है, और यहां तक कि एक तरफ प्रेमी भी वापस ला सकता है। कुछ शमैन इसे ध्यान के पत्थर के रूप में उपयोग करते हैं।
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