Friday, 18 May 2018
Menka Apsara Sadhna
मेनका अप्सरा साधना-
प्रेम जीवन की सर्वोतम निधि है ! जो आपको कुदरत को समझने की कला सिखाती है ! प्रकृति में पल-पल घट रही घटनाओं का साक्षिभूत बना देता है ! एक प्रेम ही है जो बादल की गडगडाहट को दिल से समझने का इशारा करता है , रिम झिम वर्षा के संगीत का आनंद लेता है , हवा में गुनगुनाते मधुर संगीत और ऊंचे पेड़ों के साथ ताल करते हुये बिना वाद्यों के हो रहे मधुर गान को सुनने की क्षमता अगर कोई देता है तो वह प्रेम ही है ! कहीं कोयल का गीत, कहीं भँवरे की गुंजन, कहीं समुंदर में चल रही लहरें , कहीं झरनों की कलरव ध्वनि, कहीं चंद्रमा की चाँदनी की शीतलता, कहीं खिले हुये हजारों हजारों फूल, यह सभी उस प्रकृति के सौंदर्य को हजार हजार अनकहे शब्दों में व्याख्यान करते हैं और इसके इन अनकहे शब्दों को समझने के लिए दिल में प्रेम पैदा होना जरूरी है !
जब प्रेम ओर सौंदर्य की बात हो तो अप्सरा का नाम अपने आप होठों पर आ जाता है, क्योंकि अप्सरा ही प्रेम की साक्षात् मूर्ति होती है और कुदरत के इस सौंदर्य को समझने की क्षमता साधक में पैदा करती है ! तभी तो हमारे ऋषियों ने समय समय पर अप्सरा साधना की , क्योंकि प्रकृति से एकाकार होने के लिए उसको समझना बहुत जरूरी है और बिना प्रेम के प्रकृति के सौंदर्य को समझना असंभव है ! यह एक भ्रान्ति है कि एक अप्सरा साधक की तपो उर्जा को नष्ट कर देती है ! नहीं , ऐसा नहीं है ! अप्सरा तो साधक के मनोबल को और बढा देती है ! उसे उसके साधना कर्म को और गहराई से समझने में सक्षम बनाती है, तभी तो विश्वामित्र ने अप्सरा का वरण स्वीकार किया क्योंकि वो जानते थे , जीवन में जो समर्पण चाहिए वो अप्सरा के बिना नहीं आ सकता ! अप्सरा ने ही उन्हें राज योग को समझने का अवसर दिया और वो राज ऋषि कहलाये ! अप्सरा ने उनका तप नष्ट नहीं बल्कि तप को और वेग से करने की प्रेरणा दी, तभी तो उनकी बेटी शकुंतला की संतान भरत से इस देश का नाम भारत वर्ष पड़ा !
यह सारभूत देने का मेरा मकसद इतना है कि अप्सरा साधनाओं के प्रति भ्रान्ति मिट सके ! कहते हैं प्रेम को सिर्फ प्रेममय होकर ही समझा जाता है ! वासना के वेग को प्रेम नहीं कहते और अप्सरा साधना एक बार सिद्ध होने पर वासना रुपी विष को प्रेम रुपी अमृत में बदल देती है ! अप्सराओं की उत्पत्ति जल से हुई ! समुंदर मंथन के वक्त अमृत के साथ अप्सराएं भी निकली, इसलिए जल से इनका गहरा सम्बन्ध है ! जब चाँद पूर्ण यौवन पर होता है तो समुंदर के जल को आकर्षित करता है ! फलस्वरूप समुंदर में ज्वारभाटा आ जाता है ! इसी तरह इनकी साधना अगर एकादशी से पूर्णिमा तक करें तो सफलता की संभावनाएं कहीं बढ़ जाती हैं ! बस इनकी साधना से पहले अपने आपको तैयार करना जरूरी है ! इसके लिए दिल से व्यर्थ की भ्रांतियां निकाल कर पूर्ण प्रेम से अपने आपको साधना के प्रति आश्वस्त करते हुए इनकी साधना करें ! अप्सरा समर्पण का नाम है ! यह साधक में समर्पण आदि गुण को विकसित करती है ! मेनका अप्सरा साधना आप एक बार जरूर करें !
–विधि–
इसके लिए आपको चाहिए मेनका यन्त्र, स्फटिक की या सफ़ेद हकीक की माला ले लीजिए ! और अगर मोतियों की माला हो तो और भी उत्तम है !
आपकी सुविधा के लिए मेनका यन्त्र में यहाँ साथ में दे रहा हूँ ! इसे आप भोजपत्र पर बना लें और इसकी प्राण प्रतिष्ठा कर लें या किसी भी पंडित से करवा लें ! इसे रात १० बजे शुरू करें !
तो सबसे पहले स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहन कर अपने साधना कक्ष में आयें और कक्ष को अच्छी तरह सजा लें और कोई खुशबू इत्तर आदि का छिडकाव कर दें और ताजे फूल फल आदि अपने पास रख लें ! फिर गुरू पूजन और गणेश पूजन करें और सद्गुरु जी से साधना के लिए आज्ञा लें ! फिर किसी भोजपत्र पर अष्टगंध से यन्त्र का निर्माण करें और सद्गुरु जी के चरणों में अर्पित कर दें और दिल से प्रार्थना करते हुए यह भावना करें कि सद्गुरु जी के चरणों के स्पर्श से यन्त्र में प्राण उर्जा आ गयी है और दिल से प्रार्थना भी करें कि हे सदगुरुदेव यह यन्त्र आपकी छाया पाकर प्राण प्रतिष्ठित हो और उसके बाद आप यन्त्र को बाजोट पर पीला या हल्का क्रीम या हल्का गुलाबी रंग का वस्त्र जो भी मिल जाये , बिछा कर स्थापित कर दें और आप सफ़ेद या पीले आसन पर उत्तराभिमुख होकर बैठें ! यह साधना आप किसी भी पूर्णिमा को या शुक्लपक्ष के शुक्रवार को करें ! अप्सरा यन्त्र का पूजन गुलाब, कुमकुम, धूप, दीप, फल आदि से करें ! घी का दीपक अच्छा रहता है !
आपको ५१ माला मंत्र जाप करना है और साधना समाप्ति पर वहीँ विश्राम करें और शेष समय अप्सरा के चिंतन में लगा दें ! सुबह उठकर स्नान करें और साधना सामग्री को यन्त्र सहित किसी नदी आदि में विसर्जित कर दें ! ध्यान रहे
Ruchi Sehgal
Ghor Rupini Vashikarn Sadhna
घोर रूपिणी वशीकरण साधना |
यह साधना बहुत ही तीक्ष्ण प्रभाव रखती है | इसका उपयोग शत्रु वशीकरण के लिए और रूठी हुई पत्नी या पति को वश में करने के लिए किया जाता है | यह भी ध्यान रखें कि किसी भी अनुचित कार्य के लिए यह प्रयोग न करें अथवा आपको हानि होगी | यहाँ सिर्फ जिज्ञाशा के लिए यह प्रयोग दे रहा हूँ | इसे अपने उच्च अधिकारी, पत्नी अथवा पति को अनुकूल बनाने के लिए प्रयोग करें |
साधना विधि
किसी भी अमावस्या, ग्रहण काल, दीपावली आदि शुभ मुहूर्त में शुरू कर इसका जाप 7 दिन में 11000 करके सिद्ध कर लें | फिर किसी भी खाद्य पदार्थ भोजन आदि जब भी आप करने बैठें उसे 7 बार अभिमंत्रित कर जिसका भी नाम लेकर खाया जाता है उसका निश्चय ही वशीकरण हो जाता है और वह आपके अनुकूल कार्य करने लगेगा और आपकी आज्ञा का पालन करेगा |
1. किसी बाजोट पर एक लाल कपड़ा बिछा दें | उसके उपर एक नारियल तिल की ढेरी पर स्थापित करें |
2. नारियल का पूजन करें | उस पर सिंदूर का तिलक करें | धूप दीप आदि से घोर रूपिणी को स्मरण करते हुये पूजन करें |
3. भोग मिठाई का लगाएं |
4. दिशा दक्षिण की तरफ मुख रखें |
5. आसन कम्बल का लें या कोई भी ऊनी आसन ले लें |
6. माला काले हकीक या रुद्राक्ष की ठीक रहती है |
7. वस्त्र किसी भी तरह के पहन लें | इस साधना को शाम 8 से 10 बजे के बीच कभी भी शुरू कर लें |
8. मंत्र जाप पूरा हो जाए तो नारियल किसी भी शिव मंदिर या काली के मंदिर में कुछ दक्षिणा के साथ चढ़ा दें और सफलता के लिए प्रार्थना करें |
9. गुरु पूजन और गणेश पूजन हर साधना में अनिवार्य होता है इसका ध्यान रखें |
मंत्र
|| ॐ नमः कट विकट घोर रूपिणी स्वाहा ||
Ruchi Sehgal
तंत्र बाधा निवारण —एक सरल प्रयोग
तंत्र बाधा निवारण —एक सरल प्रयोग
यह प्रयोग किसी भी शत्रु द्वारा किए अभिचार जैसे अगर किसी शत्रु ने किसी पर तंत्र यंत्र मांत्रिक प्रयोग कर दिया है तो उससे निजात पाने के लिए यह एक अनुभूत प्रयोग है | तंत्र किसी भी व्यक्ति के जीवन को नष्ट भ्रष्ट कर देता है और तरह तरह की अज्ञात बाधाएं उस व्यक्ति के जीवन की दिशा ही बदल देती हैं | व्यक्ति इससे छुटकारा पाने के लिए कथित तांत्रिक लोगों के पास धक्के खाता है और आराम के नाम पर उसे ठगा जाता है और वह अपना समय और पैसा दोनों गंवा बैठता है |
विधि
इस मंत्र को ग्रहण के दिन 108 बार जप कर सिद्ध कर लें | माला कोई भी ले लें | काले हकीक की बेहतर है और हो सके तो 5 माला कर लें नहीं तो 108 बार भी चल जाएगा | प्रयोग के वक़्त जब किसी के द्वारा किए प्रयोग को नष्ट करना हो तो एक शराब की प्याली और बतासे लेकर किसी चौराहे पर चले जाएँ जो निर्जन हो तो ज्यादा उचित है | बतासे और शराब की प्याली रख कर 21 बार मंत्र पढ़ें और वहाँ से 7 कंकर उठा लें | उनमें से 4 कंकर चारों दिशाओं में फेंक दें और शेष तीन अपने साथ ले आयें | जिसको बाधा हो एक एक कंकर पर 7 बार मंत्र पढ़ उसके शरीर से टच करें मतलब छुआ दें और इस प्रकार तीनों कंकर 7 -7 बार मंत्र पढ़ छुआयें और उन्हे दक्षिण दिशा की तरफ अपनी हद के बाहर फेंक दें | इस तरह उस पर किया गया प्रयोग का असर समाप्त हो जाएगा |
साबर मंत्र
|| ॐ उलटंत देव पलतंट काया उतर आवे बच्चा गुरु ने बुलाया बेग सत्यनाम आदेश गुरु का ||
Ruchi Sehgal