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Friday, 18 May 2018

Sulemani apsara sadhna

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सुलेमानी अप्सरा लाल परी साधना-Sulemani Apsara Lal Pari Sadhna

बहुत कहानियाँ सुनी होंगी बचपन में परियों की , मगर कभी सोचा है अगर उनसे मुलाकात हो जाये तो क्या रोमांच होगा ! बहुत ही लाजवाब साधनाएं हैं , जो आपको उस तत्व को समझने का मौका देती हैं ! संसार में हमेशा इन्सान सच्चे प्रेम के लिए भटका है ! मगर उसे सिवाए छल  के कुछ नहीं मिलता ! घर का माहौल भी कलेश के कारण और जरूरी वस्तुओं की कमी के कारण खराब होता है तो मन इस संसार से उच्चाटित होना स्वाभाविक है ! तो इन्सान देव शरण का आसरा लेता है मगर किसी भी तत्व को जानने और समझने के लिए आपकी आवश्यकताओं की पूर्ति होनी जरुरी है और बिना इसके आप देव तत्व में भी मन नहीं लगा सकते ! फिर भी यही कहता हूँ कि कुछ बदलाव तो जरुर होना चाहिए जीवन में , जो  आपको जीने की कला सिखादे और आप के जीवन में आ रही कमी को दूर कर दे और सही साथी की तरह सलाह दे और आपको आने वाले समय से आगाह करे ! तो इसी से प्रेरित हो ये साधना दे रहा हूँ और समय समय ऐसी साधनाएं देता रहूँगा  !

इस साधना के लाभ

ये जीवन में आने वाली धन की कमी को दूर करती है और किसी ना किसी माध्यम से, लोटरी अदि से  आकस्मिक धन की प्राप्ति कराती है ! इस से घर का माहौल सुख मय हो जाता है ! कई दोस्तों ने पूछा कि पत्नी बहुत झगडालू है कलेश बना रहता है ! ये साधना आपकी पत्नी के स्वभाव को एक दम बदल देगी और वो आपको समझने लगेगी क्योंकि  इन साधनाओं का गुप्त रहस्य यही है कि अप्सरा तत्व आपकी पत्नी में समावेश कर जाता है और उस में प्रेम, लज्जा  और समर्पण जैसे गुण पैदा कर देता है और आपके घर के माहौल को एक नई शांति और उर्जा से भर देती है क्योंकि अप्सरा में लक्ष्मी और जल तत्व प्रधान होता है ये सौंदर्य के साथ साथ शांति का भी प्रतीक है !

यह  पूरी तरह आजमाई हुई साधना है और इस में प्रत्यक्षीकरण होता है मतलब आप अपनी इन आँखों से इसे देख सकते हो ! एक बार अलख मुनि जी जो हमारे गुरु भाई सन्यासी हैं, आ गये और पूछा कि कोई ऐसी साधना है जो जल्द ही प्रत्यक्ष हो तो उसे यही साधना बता दी ! वो साधना के मामले में बहुत हठी है ! जाते ही साधना शुरू कर दी ! तीसरे दिन अप्सरा आ गई और ब्लैक बोर्ड लगा के कुछ लिखने लगी शायद लोटरी का नम्बर आदि होगा तो अलख मुनि जी सोचने लगे इसे कहूँ क्या? पता नहीं उनके मन में क्या आया उसे वहीँ छोड़ हुस्न चन्द जी के मंदिर की ओर आ गये जो वहाँ से १८ किलोमीटर है और आके कहने लगे, वो आ गई है, उसे क्या कहना है ! तो हम सभी हंस पड़े ! हुस्न चन्द जी कहने लगे वो अब तक तो चली गई होगी, वो क्या वहाँ बैठी होगी ! तुम कुछ भी कह देते ! तो वो अजीब तरह से देखते रहे ! कहा मुझसे तो गलती हो गई अब दोबारा करनी पड़ेगी ! कहने का तात्पर्य है कि कई बार प्रत्यक्षीकरण के वक़्त साधक सब भूल जाता है , उसे ये भी नहीं पता चलता कि मैं इसे क्या कहूँ ! आप बिना संकोच अपने दिल की बात उसे कह सकते हो ! अगर फिर भी ऐसी स्थिति आ जाये तो आप उसे अपनी प्रेमिका या दोस्त बनने को कह सकते हो ! इसपे वो प्रसन्न होकर आपको बहुत कुछ प्रदान कर देती है ,जिसकी आपको आवश्यकता होती है धन अदि !

विधि
  
१.  इस साधना को किसी भी नोचंदे जुमेरात (संक्राति के बाद प्रथम शुक्रवार )को शुरू करे !

२. चमेली के तेल का दिया लगा दें , लाल सिंगरफ ले आयें और उससे अपने चारों ओर एक घेरा लगा लें ! जब साधना में बैठे तो जब तक जप पूर्ण ना हो उस घेरे से बाहर ना हो, इस बात का खास ख्याल रखे !

चमेली या गुलाब के पुष्पों को पास रखे ! जब हाजिर हो  मंत्र पढते हुए पुष्पों  की वर्षा करते हुए उसका स्वागत करे और वो आपके पास आकार बैठ जाये तो विचलित ना हो बस मन्त्र जप करते रहे ! जब आपकी साधना पूर्ण हो जाये तभी बात करे और तब तक आपको कुछ भी कहे बोले ना ! जप पूरा होते ही वो चली जाएगी और ऐसा हर दिन होगा इस बात का ख्याल रखे जब अंतिम दिन हो तब वो बेबस हो आपको कुछ   मांगने के लिए कहे तो आप उसे कहे , तुम मेरी प्रेमिका बन जाओ या जो आपकी इच्छा हो कह सकते हो !

३. भोग के लिए फल व मिठाई आदि पास रखे !

४ .एक पानी का पात्र और लोवान का धूप आदि जलाये !

५ हिना या चमेली का इतर भी पास रखे ! थोरी रूई भी जब आपके पास बैठे तो उसे इतर का फोया दे मतलव थोड़ी रूई पर इतर लगाकर भेंट करे !

६.माला लाल हकीक की ले !

७. वस्त्र सफ़ेद लुंगी या कुरता पजामा भी पहन सकते हो !

८.दिशा पश्चिम की ओर मुख कर साधना करे !

९. इस के लिए एकात कक्ष होना अनिवार्य है !

१०.इसमें आसान जैसे नवाज पढते हैं उसी प्रकार घुटनों के बल बैठ  सकते हो ! अगर असुविधा हो तो आप जैसे बैठ सकते हो बैठ जाये मगर ज्यादा हिले डुले ना !

११.कमरे में इतर इतर या सेंट आदि छिड़क दें ! अगरवती भी लगा सकते हो अगर लोवान का धूप प्राप्त ना हो !

सर्व प्रथम गुरु पूजन करें और साधना के लिए आज्ञा मांगे और फिर गणेश का पूजन करे और सफलता के लिए प्रार्थना करे !

फिर निम्न मंत्र की २१ माला जप करे और जप से पहले आसन पर बैठ के शिंगरफ से अपने चारों ओर रेखा खींच लें और दूध का बना प्रशाद बर्फी या पेडे आदि भी पास रखें और उपर जो जो समान बताया है सभी रखें ! २१ माला से पहले आप उठे ना ! सामने  किसी बाजोट को रख उसपे चमेली के तेल का दिया आदि लगा दें और लोवान का धूप लगा दे !  फिर मन्त्र जप शुरू करे ! ये साधना २१  दिन करनी है!

–साबर मंत्र —

|| बिस्मिला सुलेमान लाल परी हाथ पे धरी खावे चुरी निलावे कुञ्ज हरी ||

|| Bismilla Sulemaan Laal Pari Haath Pe Dhari Khaave Churi Nilaawe Kunj Hari ||



Ruchi Sehgal

Menka Apsara Sadhna

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मेनका अप्सरा साधना-

प्रेम जीवन की सर्वोतम निधि है ! जो आपको कुदरत को समझने की कला सिखाती है ! प्रकृति में पल-पल घट रही घटनाओं का साक्षिभूत बना देता है ! एक प्रेम ही है जो बादल की गडगडाहट को दिल से समझने का इशारा करता है , रिम झिम वर्षा के संगीत का आनंद लेता है , हवा में गुनगुनाते मधुर संगीत और ऊंचे पेड़ों के साथ ताल करते हुये बिना वाद्यों के हो रहे मधुर गान को सुनने की क्षमता अगर कोई देता है तो वह प्रेम ही है ! कहीं कोयल का गीत, कहीं भँवरे की गुंजन, कहीं समुंदर में चल रही लहरें , कहीं झरनों की कलरव ध्वनि, कहीं चंद्रमा की चाँदनी की शीतलता, कहीं खिले हुये हजारों हजारों फूल, यह सभी उस प्रकृति के सौंदर्य को हजार हजार अनकहे शब्दों में व्याख्यान करते हैं और इसके इन अनकहे शब्दों को समझने के लिए दिल में प्रेम पैदा होना जरूरी है !



जब प्रेम ओर सौंदर्य की बात हो तो अप्सरा का नाम अपने आप होठों पर आ जाता है, क्योंकि अप्सरा ही प्रेम की साक्षात् मूर्ति होती है और कुदरत के इस सौंदर्य को समझने की क्षमता साधक में पैदा करती है ! तभी तो हमारे ऋषियों ने समय समय पर अप्सरा साधना की , क्योंकि प्रकृति से एकाकार होने के लिए उसको समझना बहुत जरूरी है और बिना प्रेम के प्रकृति के सौंदर्य को समझना असंभव है ! यह एक भ्रान्ति है कि एक अप्सरा साधक की तपो उर्जा को नष्ट कर देती है ! नहीं , ऐसा नहीं है ! अप्सरा तो साधक के मनोबल को और बढा देती है ! उसे उसके साधना कर्म को और गहराई से समझने में सक्षम बनाती है, तभी तो विश्वामित्र ने अप्सरा का वरण स्वीकार किया क्योंकि वो जानते थे , जीवन में जो समर्पण चाहिए वो अप्सरा के बिना नहीं आ सकता ! अप्सरा ने ही उन्हें राज योग को समझने का अवसर दिया और वो राज ऋषि कहलाये ! अप्सरा ने उनका तप नष्ट नहीं बल्कि तप को और वेग से करने की प्रेरणा दी, तभी तो उनकी बेटी शकुंतला की संतान भरत से इस देश का नाम भारत वर्ष पड़ा !

यह सारभूत देने का मेरा मकसद इतना है कि अप्सरा साधनाओं के प्रति भ्रान्ति मिट सके ! कहते हैं प्रेम को सिर्फ प्रेममय होकर ही समझा जाता है ! वासना के वेग को प्रेम नहीं कहते और अप्सरा साधना एक बार सिद्ध होने पर वासना रुपी विष को प्रेम रुपी अमृत में बदल देती है ! अप्सराओं की उत्पत्ति जल से हुई ! समुंदर मंथन के वक्त अमृत के साथ अप्सराएं भी निकली, इसलिए जल से इनका गहरा सम्बन्ध है ! जब चाँद पूर्ण यौवन पर होता है तो समुंदर के जल को आकर्षित करता है ! फलस्वरूप समुंदर में ज्वारभाटा आ जाता है ! इसी तरह इनकी साधना अगर एकादशी से पूर्णिमा तक करें तो सफलता की संभावनाएं कहीं बढ़ जाती हैं ! बस इनकी साधना से पहले अपने आपको तैयार करना जरूरी है ! इसके लिए दिल से व्यर्थ की भ्रांतियां निकाल कर पूर्ण प्रेम से अपने आपको साधना के प्रति आश्वस्त करते हुए इनकी साधना करें ! अप्सरा समर्पण का नाम है ! यह साधक में समर्पण आदि गुण को विकसित करती है ! मेनका अप्सरा साधना आप एक बार जरूर करें !

–विधि–

इसके लिए आपको चाहिए मेनका यन्त्र, स्फटिक की या सफ़ेद हकीक की माला ले लीजिए ! और अगर मोतियों की माला हो तो और भी उत्तम है !

आपकी सुविधा के लिए मेनका यन्त्र में यहाँ साथ में दे रहा हूँ ! इसे आप भोजपत्र पर बना लें और इसकी प्राण प्रतिष्ठा कर लें या किसी भी पंडित से करवा लें ! इसे रात १० बजे शुरू करें !



तो सबसे पहले स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहन कर अपने साधना कक्ष में आयें और कक्ष को अच्छी तरह सजा लें और कोई खुशबू इत्तर आदि का छिडकाव कर दें और ताजे फूल फल आदि अपने पास रख लें ! फिर गुरू पूजन और गणेश पूजन करें और सद्गुरु जी से साधना के लिए आज्ञा लें ! फिर किसी भोजपत्र पर अष्टगंध से यन्त्र का निर्माण करें और सद्गुरु जी के चरणों में अर्पित कर दें और दिल से प्रार्थना करते हुए यह भावना करें कि सद्गुरु जी के चरणों के स्पर्श से यन्त्र में प्राण उर्जा आ गयी है और दिल से प्रार्थना भी करें कि हे सदगुरुदेव यह यन्त्र आपकी छाया पाकर प्राण प्रतिष्ठित हो और उसके बाद आप यन्त्र को बाजोट पर पीला या हल्का क्रीम या हल्का गुलाबी रंग का वस्त्र जो भी मिल जाये , बिछा कर स्थापित कर दें और आप सफ़ेद या पीले आसन पर उत्तराभिमुख होकर बैठें ! यह साधना आप किसी भी पूर्णिमा को या शुक्लपक्ष के शुक्रवार को करें ! अप्सरा यन्त्र का पूजन गुलाब, कुमकुम, धूप, दीप, फल आदि से करें ! घी का दीपक अच्छा रहता है !



आपको ५१ माला मंत्र जाप करना है और साधना समाप्ति पर वहीँ विश्राम करें और शेष समय अप्सरा के चिंतन में लगा दें ! सुबह उठकर स्नान करें और साधना सामग्री को यन्त्र सहित किसी नदी आदि में विसर्जित कर दें ! ध्यान रहे



Ruchi Sehgal

Ghor Rupini Vashikarn Sadhna

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घोर रूपिणी वशीकरण साधना |

यह साधना बहुत ही तीक्ष्ण प्रभाव रखती है | इसका उपयोग शत्रु वशीकरण के लिए और रूठी हुई पत्नी या पति को वश में करने के लिए किया जाता है | यह भी ध्यान रखें कि किसी भी अनुचित कार्य के लिए यह प्रयोग न करें अथवा आपको हानि होगी | यहाँ सिर्फ जिज्ञाशा के लिए यह प्रयोग दे रहा हूँ | इसे अपने उच्च अधिकारी, पत्नी अथवा पति को अनुकूल बनाने के लिए प्रयोग करें |

साधना विधि

किसी भी अमावस्या, ग्रहण काल, दीपावली आदि शुभ मुहूर्त में शुरू कर इसका जाप 7 दिन में 11000 करके सिद्ध कर लें | फिर किसी भी खाद्य पदार्थ भोजन आदि जब भी आप करने बैठें उसे 7 बार अभिमंत्रित कर जिसका भी नाम लेकर खाया जाता है उसका निश्चय ही वशीकरण हो जाता है और वह आपके अनुकूल कार्य करने लगेगा और आपकी आज्ञा का पालन करेगा |

  1. किसी बाजोट पर एक लाल कपड़ा बिछा दें | उसके उपर एक नारियल तिल की ढेरी पर स्थापित करें |

  2. नारियल का पूजन करें | उस पर सिंदूर का तिलक करें | धूप दीप आदि से घोर रूपिणी को स्मरण करते हुये पूजन करें |

  3. भोग मिठाई का लगाएं |

  4. दिशा दक्षिण की तरफ मुख रखें |

  5.  आसन कम्बल का लें या कोई भी ऊनी आसन ले लें |

  6.  माला काले हकीक या रुद्राक्ष की ठीक रहती है |

  7.  वस्त्र किसी भी तरह के पहन लें | इस साधना को शाम 8 से 10 बजे के बीच कभी भी शुरू कर लें |

  8.  मंत्र जाप पूरा हो जाए तो नारियल किसी भी शिव मंदिर या काली के मंदिर में कुछ दक्षिणा के साथ चढ़ा दें और सफलता के लिए प्रार्थना करें |

  9. गुरु पूजन और गणेश पूजन हर साधना में अनिवार्य होता है इसका ध्यान रखें |

मंत्र

|| ॐ नमः कट विकट घोर रूपिणी स्वाहा ||



Ruchi Sehgal