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Friday, 18 May 2018

मंत्रो के सिद्ध न होने के मुख्या कारण

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मंत्रो के सिद्ध न होने के मुख्य कारण
मंत्रो के सिद्ध न होने के मुख्य कारणमंत्रो के सिद्ध न होने के  मुख्य कारणआप बहुत सारे मंत्र प्रयोग इन्टरनेट  पर पुस्तको मे पड़ते   है उन मे से जो साधना आपको अच्छी लगती जिस साधना पर आप का विश्वास होता है वह प्रयोग आप शूरू कर देते है  पूरी मेहनत से करते है   बिना गुरु  के परामर्श से   तब आप को  साधना मे असफलता  मिलती है तब आप  निराश हो जाते मंत्र साधना से आपका विश्वास टूट जाता है ।कभी भी बिना गुरु के साधना मे सफलता नही मिल सकती ।आप का मंत्रोच्चारण अशुद्ध हो सकता गुरु बताता है कि मंत्र का उच्चारण  कैसे करना है ।मंत्रो की दिशा मुहूर्त  मंत्रोच्चारण सब गुरु ही जानकारी देता है जो पुस्तक या इन्टरनेट से नही मिलती ।पुसतक याइन्टरनेट   आधी-अधूरी विधी या मंत्र होते है जिसके मुताबिक साधना करने से घातक परिणाम  भोगने पड़  सकते है। ईस लिए बिना गुरु के मंत्र तंत्र साधना न करे    साधना मे छोटी से छोटी त्रुटि  होनेपर  गुरु संभाल लेता है । साधना मे सफलता के लिए आप का ध्यान  मे एकाग्रता चाहिए जब आप साधना मे बैठे होते तब आपके मन मे  बहुत  प्रकार के विचार चलते तब आप सोचते है कि सिद्धी मिलने  के बाद यह वह कार्य करूंगा आप के मन भांति भांति के विचार चल रहे होते जिन्हे सोच कर आप मन ही मन  अनंदित होते रहते है तब आप का ध्यान मंत्र साधना मे नही होता है जब आप  मंत्र जप माला से कर रहे होते है ज्यादातर आप  का ध्यान मंत्र जप मे कम   माला संख्या मे ज्यादा होता है आप सोचते है कि ईतनी माला हो गई ईतना जप रह गया । मंत्र  मे धयान  एकाग्रता  मन  की स्थिरता न होना  मंत्र साधना मे असफलता  का कारण  है।जल्दबाजी  मे कभी-कभी मंत्र जप तेज तेज  करते है जिससे मंत्र साधना  विशेष लाभनही होता है।विधी के मुताबिक जप संख्या जप ,विधी विधान ब्रह्मचर्य  न होने के कारण मंत्र साधना मेसफलता नही मिलती है।चोरी छल कपट रिश्वतखोरी से ईतयादि के धन से लाई गई सामग्री  मंत्र अनुष्ठान मे ईसतमाल करने से मंत्र अनुष्ठान  मे सफलता नही मिलती है। मंत्र साधना  को गुप्त न रखने से साधना मे सफलता प्राप्त नही होती है । नित्य  निश्चित समय पर साधना न करने पर साधना मे  बातचीत करने से साधना सिद्धी प्राप्ति नही होती है।साधना के दिनो मे किसी पतित व्यक्ति की जूठन न खाने से बहार का अशुद्ध  भोजन  साधना मे असफलता  का कारण है। गुरु निदा करना गुरु द्रोह करना है गुरु चाहेजैसे भी हो उसकी निदा  नही करनी चाहिए गुरु द्रोही को कभी भी साधना मे सिद्धि नही मिलती।साधना के लिए उपयुक्त  स्थान न होना है जिसस्थान पर आप साधन कर रहे है उस स्थान पर साधना केसमय   घर परिवार के लोगे आते जाते रहते है वह स्थान शुद्ध ना हो  साधना मे सफलता नही मिलती है।हिंदू धर्म के सभी मंत्रो की संख्या सात करोड़ कही गई है यह सब भगवान शिव द्वारा के कीलित ,, बिनाउतकीलन के  साधना मे सिद्धि प्राप्त नही होती है।चलते फिरते जप करना उच्च स्वर मंत्र उच्चारण करना आस पास वाले को मंत्र सुनाई दे।बिना गुरु मंत्र से साधना की शुरुआत करना । साधना के दिनो मे पाप कर करना ।उपरोक्त कारण से साधना मे सिद्धि प्राप्त नही होती ।



Ruchi Sehgal

रंभा अप्सरा साधना

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अप्सरा साधना—-

मन्त्र जाप के समय कमरे की सुगन्ध तेजी से बढ़ेगी,पायलों की आवाज, घुँघरू की आवाजें सुनाई पड़ती है।
कभी कभी  तीव्रता से सफेद प्रकाश आता है पूरा कमरा प्रकाश वान हो जाता है।
साधना के बीच मे अप्सरा दर्शन भी देती है,मन्द मन्द मुस्कान के साथ, प्रसन्न मुद्रा में नृत्य करती हुई,अधोवस्त्र धारण किये हुए।
अंतिम दिन जब साधक अप्सरा मन्त्र जाप करता है तो अप्सरा साधक से बात करती है तब साधक अप्सरा से वचन लेकर उसे अपनी प्रेमिका के रूप में बाँध देता है।
अप्सरा से सम्भोग का वचन न ले नही तो हानिकारक सिद्ध हो सकता है साधक के लिये।
पत्नी रूप में भी इसको सिद्ध कर सकते है।
रम्भा
अप्सरा सिद्ध साधक के शरीर से हमेशा सुगन्ध आती रहती है मानो उसने कोई इत्र लगा रखा हो।
साधक या साधिका के शरीर मे बहुत तेज आता है,नवयौवन आता रहता है,बुढ़ापा पास नही आता है।
ऐसे साधक के पास आकर्षण शक्ति आ जाती है।जिसको एक बार निगाह मिलाकर देख ले वह प्राणी वशीभूत हो जाता है।
इस साधना की विशेषता यह है इस सिद्ध मन्त्र से मिठाई पढ़ कर किसी को दी जाय तो वह वश में हो जाता है।
जब भी साधक बन्द आँखो से अप्सरा को बुलाता है तो अप्सरा साधक को अपने साथ प्रेमक्रीड़ा मे ले जाती है और वह दुनिया इस देह की दुनिया से 10000 गुना ज्यादा सुंदर होती है।


साधना  विधि

यह साधना 21 दिन की है।
22वे दिन साधक या साधिका को हवन करना होता है।
साधक को साधना कक्ष में गुलाबी रंग का कलर करना चाहिये।
साधक को यह साधना रात्रि 11 बजे से आरम्भ करनी चाहिये।
साधक को माथे पर चन्दन का सुगन्धित तिलक लाल ,गुलाबी वस्त्र,गुलाबी आसन, बाजोट पर गुलाबी कपड़ा प्रयोग करना चाहिये।
यह साधना पूर्ण परीक्षित और वर्तमान में सिद्ध प्रयोग है।
इस साधना में साधक को प्रारम्भ में स्नान करके पश्चिम दिशा की ओर मुख करके 21 माला मन्त्र जाप करना होता है।
जाप की माला लाल मूंगे की होनी चाहिये नही तो रुद्राक्ष की माला से भी इस अप्सरा को सिद्ध किया जा सकता है।
यह साधना किसी भी होली दीपावली,नवरात्रों,ग्रहण काल,शिवरात्रि अथवा शुक्रवार से प्रारम्भ की जा सकती है।
गुलाबी वस्त्र पहनकर माथे पर लाल चंदन का तिलक लगाकर ,गुलाबी आसन पर बैठकर अपने सामने बाजोट अर्थात लकड़ी की चौकी पर गुलाबी वस्त्र डालकर उसके ऊपर एक काँसे की थाली में लाल गुलाब की पंखुड़ियां डाले।
अप्सरा रम्भा की फ़ोटो फ्रेम सहित रखे।फल फूल मिठाई चढ़ाए।अप्सरा को तिलक लगाएं।
प्रथम दिन से लेकर 21वे दिन तक एक माला अप्सरा के फोटो पर चढाए या टांग दे।
इस साधना में भयानक अनुभव नही होते है किंतु कभी कभी कुछ आत्माए साधक को परेशान करती है।21 वे दिन साधक एक माला साथ मे रखे।
जब अप्सरा से वचन हो जाये तो  उसे माला पहना दे।एक बात साधको को बता दूं कि यह माला मानसिक रूप से पहनाई जाती है।
साधक को भोजन केवल खीर का एक टाइम दोपहर को करना चाहिये।इसके अलावा कुछ नही खाना होता है।
मन्त्र जाप के समय साधक को अपनी बन्द आँखो में रम्भा अप्सरा की फोटो का प्रतिबिम्ब रखे।मन शांत रखे।

साधना में पवित्रीकरण,वास्तुदोष पूजन,सुरक्षा मन्त्र ,संकल्प,गुरुमन्त्र,शिव मन्त्र,गणेश मन्त्र का ध्यान कर अप्सरा साधना शुरू करे।

,,मन्त्र-
ॐ क्ष म र म रम्भा अप्सराये नमः।
यह साधना दीक्षित साधक ही सिद्ध करे, तभी फलीभूत होगी।यह साधना बहुत तीव्र और सरल है।पल भर में साधन मात्र से सिद्धि देने वाली है।



Ruchi Sehgal

Sabar Matangi Bandhi Moksh Sadhna

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साबर मातंगी बंधी मोक्ष साधना –


यह साधना बहुत ही तीक्ष्ण है | इसे बहुत साधकों ने परखा है | मेरी स्वयं की अनुभूत की हुई साधना है | इस के बहुत लाभ हैं | यह आपके जीवन में आने वाली विकट परिस्थिति को आपके अनुकूल करती है | पितृ बाधा से मुक्ति दिलाती है | ग्रह बाधा को शांत करती है | कई बार तो साधना करते करते पितृ आत्माओं से शाक्षातकार हो जाता है और कई बार अगर उनकी कोई इच्छा अधूरी हो तो वो स्वप्न या किसी भी माध्यम से बता देते हैं | कई साधकों को तो इससे मातंगी का प्रत्यक्ष दर्शन भी हुआ है | यह आपकी निष्ठा पर है | इस से रुके हुए काम स्वयं चलने लग जाते हैं | आमदनी के नये आयाम शुरू हो जाते हैं !

विधि



इसे नवरात्री में करें तो ज्यादा उचित है | फ़िर भी आप शुक्लपक्ष की प्रथम तिथि से शुरू करके पूर्णिमा तक कर सकते हैं | पूर्णिमा को हवन के लिए आम की लकड़ी जला के १०८ आहुति डालें और नवरात्री को संपन्न करने वाले साधक अष्टमी को हवन कर सकते हैं |



इसे करने के लिए शुद्ध घी की ज्योत लगाकर जप शुरू करें और संभव ना हो तो किसी भी माता के मंदिर में जा कर जप कर सकते हैं | वहाँ ज्योत में घी डाल सकते हैं |



हवन के लिए किसी पात्र में अग्नि जलाकर घी से प्रथम पाँच आहुति प्रजापति के नाम से डालें और फिर गुरु मन्त्र की और नवग्रहों के नाम की और बाद में मातंगी साबर मन्त्र की १०८ आहुति डालें और हवन के बाद एक सूखे नारियल में छेद करके उस में घी डालें और उसे मौली बांध कर उसका पूर्ण आहुति के रूप में पूजन करें | तिलक आदि लगाएं और खड़े हो कर अपने परिवार के सभी सदस्यों का हाथ लगाकर अग्नि में प्रार्थना करते हुए अर्पित करें और फिर जो भी आपने भोग बनाया है, उसे अर्पित करें और गुरु आरती संपन्न कर सभी सदस्यों को प्रशाद वितरित करें |



जप संख्या — आपने सर्वप्रथम शुद्ध धुले हुए वस्त्र पहनकर गुरु पूजन करें | मन्त्र को लिख कर गुरु चरणों में अर्पित करें और पूजन कर प्रार्थना कर ग्रहण करें | इस प्रकार  मन्त्र दीक्षा हो जाती है |



श्री गणेश को याद करते हुए भोग के लिए दो लड्डू ज्योत के पास रखें और सफलता के लिए प्रार्थना करें | एक पात्र में जल भी रख दें और ज्योत के सामने मात्र २१ बार मन्त्र जपें | आप चाहें तो १०८ बार भी कर सकते हैं | वो आपकी इच्छा पर है | नौ दिन जप करना है नवरात्री में और समाप्ति पर हवन सामग्री में घी और शक्कर मिला कर हवन करना है | भोग में आप शुद्ध मिठाई भी अर्पित कर सकते हैं |



मातंगी यंत्र को भी अपने सामने स्थापित कर सकते हैं | यंत्र का पूजन पंचौपचार से करलें | सर्व प्रथम यंत्र को दूध से स्नान करा लें | फिर शुद्ध जल से स्नान कराएँ और कपड़े से साफ कर बाजोट पर लाल रंग का वस्त्र बिछा कर उसपर यंत्र की स्थापना करें | यंत्र का पूजन कुंकुम, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य के लिए मिठाई और फल से करें | फिर निम्न मंत्र की एक माला जप करें | जप से पहले आप गुरु मंत्र का एक  माला जप कर लें और सद्गुरु जी को जप समर्पित कर दें | साधना पूरी होने पर समस्त पूजन सामग्री जलप्रवाह कर दें | माला गले  में पहन लें और यंत्र पूजन स्थान में स्थापित कर लें |

 

साबर मन्त्र



ॐ नमोस्तुते भगवते पारशिव चन्द्राधरेन्दर पद्मावती सह्ताये में अभीष्ट सिद्धि , दुष्ट ग्रह भस्म भक्षम स्वाहा | स्वामी प्रसादे करू करू स्वाहा | हिल हिली मतंगनी  स्वाहा | स्वामी प्रसादे करू करू स्वाहा |

Om Namostute Bhagwate Paarshiv Chandradhrender Padmawati Sahtaaye mein Abhisht Siddhi, Dusht Grah Bhasm Bhaksham Swaha. Swami Prasaade Kru Kru Swaha. Hil Hili Matangni Swaha. Swami Prasaade Kru Kru Swaha.



ॐ 



Ruchi Sehgal