Tuesday, 19 June 2018
मंदिर में घंटी क्यों होती है?
Why there is bell in the Temple?-मंदिर में घंटी क्यों होती है?
मंदिर में जाने से पहले आखिर क्यों बजाते है घंटी !!
हिंदू धर्म से जुड़े प्रत्येक मंदिर और धार्मिक स्थलों के बाहर आप सभी ने बड़े-बड़े घंटे या घंटियां लटकी तो अवश्य देखी होंगी जिन्हें मंदिर में प्रवेश करने से पहले भक्त श्रद्धा के साथ बजाते हैं.
लेकिन क्या कभी आपने यह सोचा है कि इन घंटियों को मंदिर के बाहर लगाए जाने के पीछे क्या कारण है या फिर धार्मिक दृष्टिकोण से इनका औचित्य क्या है?
असल में प्राचीन समय से ही देवालयों और मंदिरों के बाहर इन घंटियों को लगाया जाने की शुरुआत हो गई थी. इसके पीछे यह मान्यता है कि जिन स्थानों पर घंटी की आवाज नियमित तौर पर आती रहती है वहां का वातावरण हमेशा सुखद और पवित्र बना रहता है और नकारात्मक या बुरी शक्तियां पूरी तरह निष्क्रिय रहती हैं.
यही वजह है कि सुबह और शाम जब भी मंदिर में पूजा या आरती होती है तो एक लय और विशेष धुन के साथ घंटियां बजाई जाती हैं जिससे वहां मौजूद लोगों को शांति और दैवीय उपस्थिति की अनुभूति होती है.
लोगों का मानना है कि घंटी बजाने से मंदिर में स्थापित देवी-देवताओं की मूर्तियों में चेतना जागृत होती है जिसके बाद उनकी पूजा और आराधना अधिक फलदायक और प्रभावशाली बन जाती है.
पुराणों के अनुसार मंदिर में घंटी बजाने से मानव के कई जन्मों के पाप तक नष्ट हो जाते हैं. जब सृष्टि का प्रारंभ हुआ तब जो नाद (आवाज) गूंजी थी वही आवाज घंटी बजाने पर भी आती है. उल्लेखनीय है कि यही नाद ओंकार के उच्चारण से भी जागृत होता है.
मंदिर के बाहर लगी घंटी या घंटे को काल का प्रतीक भी माना गया है. कहीं-कहीं यह भी लिखित है कि जब प्रलय आएगा उस समय भी ऐसा ही नाद गूंजेगा.
मंदिर में घंटी लगाए जाने के पीछे ना सिर्फ धार्मिक कारण है बल्कि वैज्ञानिक कारण भी इनकी आवाज को आधार देते हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि जब घंटी बजाई जाती है तो वातावरण में कंपन पैदा होता है, जो वायुमंडल के कारण काफी दूर तक जाता है. इस कंपन का फायदा यह है कि इसके क्षेत्र में आने वाले सभी जीवाणु, विषाणु और सूक्ष्म जीव आदि नष्ट हो जाते हैं, जिससे आसपास का वातावरण शुद्ध हो जाता है.
इसीलिए अगर आप मंदिर जाते समय घंटी बजाने को अहमियत नहीं देते हैं तो अगली बार प्रवेश करने से पहले घंटी बजाना ना भूलें.
घंटियां देवालयों व मंदिरों में काफी प्राचीन समय से लगाई जाती रही हैं। ऐसी मान्यता है कि जिन स्थानों पर घंटी बजने की आवाज नियमित आती है वहां का वातावरण हमेशा शुद्ध और पवित्र बना रहता है। ऐसे स्थानों पर नकारात्मक शक्तियां निष्क्रिय रहती हैं।
मनमोहक एवं कर्ण प्रिय धव्नि मन मष्तिष्क को आध्यात्म भाव की और के जाने का सामर्थ्य रखती है बस आवश्कता है इस दिव्य ध्वनि को महसूस करने की.
सुबह-शाम मंदिरों में जब पूजा-आरती की जाती है तो छोटी-बड़ी घंटियों की आवाज आती है। घंटियां बजाने में एक विशेष लय होती है जिससे वहां मौजूद लोगों को शांति और दैवीय अनुभूति होती है।
ऐसा माना जाता है कि घंटी बजाने से मंदिर में स्थापित देवी-देवताओं की प्रतिमाएं चेतन हो जाती हैं जिससे उनकी पूजा और अधिक प्रभावशाली तथा शीघ्र फल देने वाली होती है। पुराणों के अनुसार मंदिर में घंटी बजाने से मानव के कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं। जब सृष्टि का प्रारंभ हुआ तब जो नाद (आवाज) था, घंटी की ध्वनि से वही नाद निकलता है। यही नाद ओंकार के उच्चारण से भी जाग्रत होता है।
घंटी या घंटे को काल का प्रतीक भी माना गया है। ऐसा माना जाता है कि जब प्रलय काल आएगा तब भी इसी प्रकार का नाद यानि आवाज प्रकट होगी। मंदिरों में घंटी लगाने का वैज्ञानिक कारण भी है। जब घंटी बजाई जाती है तो उससे वातावरण में कंपन उत्पन्न होता है जो वायुमंडल के कारण काफी दूर तक जाता है। इस कंपन की सीमा में आने वाले जीवाणु, विषाणु आदि सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं। मंदिर का तथा उसके आस-पास का वातावरण शुद्ध बना रहता है। इसी वजह से जब भी मंदिर जाएं तो घंटी जरूर बजाएं ।
मंदिर में क्यों लगाते हैं घंटी?
हिंदू धर्म में देवालयों व मंदिरों के बाहर घंटियां या घड़ियाल पुरातन काल से लगाए जाते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों किया जाता है? असल में प्राचीन समय से ही देवालयों और मंदिरों के बाहर इन घंटियों को लगाया जाने की शुरुआत हो गई थी. इसके पीछे यह मान्यता है कि जिन स्थानों पर घंटी की आवाज नियमित तौर पर आती रहती है वहां का वातावरण हमेशा सुखद और पवित्र बना रहता है और नकारात्मक या बुरी शक्तियां पूरी तरह निष्क्रिय रहती हैं. स्कंद पुराण के अनुसार मंदिर में घंटी बजाने से मानव के सौ जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं. जब सृष्टि का प्रारंभ हुआ तब जो नाद (आवाज) था, घंटी या घडिय़ाल की ध्वनि से वही नाद निकलत
Ruchi Sehgal
वास्तु अनुसार रखें अपना पर्स
वास्तु अनुसार रखें अपना पर्स
घर का वास्तु, ऑफिस का वास्तु, आपकी कार का वास्तु, हर चीज में जब आप वास्तु का ध्यान रखते आएं हैं तो पर्स में वास्तु का ख्याल क्यों नहीं रखा जा सकता? जिस तरह हमारे आसपास का वातावरण हमें प्रभावित करता है। उसी प्रकार हमारा बैग या पर्स भी हमें प्रभावित करता है।तो आइये जानते हैं कि कैसे अपने बैग को वास्तु के अनुसार रखकर उसमें धन की बरकत बड़ा सकते हैं।
सभी चाहते हैं कि उनका पर्स हमेशा पैसों से भरा रहे और फिजूल खर्च न हो। ज्यादा पैसा कमाने के लिए कड़ी मेहनत के साथ अच्छी किस्मत भी महत्व रखती है। कुछ परिस्थितियों में मेहनत के बाद भी पर्याप्त धन प्राप्त नहीं हो पाता या खर्चों की अधिकता की वजह से बचत नहीं हो पाती।
हमारे जीवन से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण बातों का संबंध वास्तु से है। पर्स में पैसा रखा जाता है अत: इस संबंध में वास्तु द्वारा कई महत्वपूर्ण टिप्स दी गई हैं। जिन्हें अपनाने पर व्यक्ति को भी धन की कमी का एहसास ही नहीं होता है।
जो वस्तु नकारात्मक ऊर्जा फैलाती हैं उन्हें हमारे आसपास से हटा देना चाहिए। क्योंकि इनसे हमारे सुख और कमाई पर बुरा प्रभाव पड़ता है। आय बढ़ाने फिजूल खर्चों में कमी करने के लिए पर्स का वास्तु भी ठीक करने की आवश्यकता होती है।
कुछ लोग पर्स में ही चाबियां भी रखते हैं, चाबियां रखना भी अशुभ ही माना जाता है इसके लिए पर्स में किसी भी प्रकार की अपवित्र वस्तु भी न रखें। जो वस्तुएं फिजूल हैं, जिनका कोई उपयोग नहीं है उन वस्तुएं तुरंत ही पर्स से बाहर कर दें।
आखिर पर्स का ही वास्तु क्यों?
क्योंकि मेरे विचार से हम सब के जीवन में पर्स एक महत्वपूर्ण भूमिका रखता है. जैसे मासिक वेतन मिला तो गया पर्स में अर्थात पूरे महीने की आमदनी को हमने पर्स के हवाले कर दिया. वस्तुओं के खरीद-फरोख्त में भी पर्स सामने आता है किसी वस्तु को खरीदने से नुक्सान हुआ तो किसी में फायदा हुआ या कभी पर्स पाकेटमार ने पार कर दिया तो कभी पर्स में रखे धन की बरकत खत्म हो जाती है सुबह रुपये रखो और शाम आते ही पर्स खाली. इन्हीं बातो को ध्यान में रख कर यदि हम पर्स को वास्तु के नियमों के अनुसार रखे तो हमे पर्स के द्वारा भी बरकत मिल सकती है और धन के नुक्सान से बच सकते है.
पर्स में सिक्के और नोट दोनों को ही अलग-अलग स्थानों पर रखना चाहिए। इसके अलावा पर्स में मृत व्यक्तियों के चित्र रखना भी शुभ नहीं माना जाता है। अत: इस प्रकार के चित्रों को भी पर्स में नोटों के साथ नहीं रखें।
पर्स में संत-महात्मा के चित्र रखे जा सकते हैं। यदि कोई संत या महात्मा देह त्याग चुके हैं तब भी उनके चित्र या फोटो पर्स रखे जा सकते हैं क्योंकि शास्त्रों के अनुसार देह त्यागने के बाद भी संत-महात्माओं को मृत नहीं माना जाता है। पर्स में धार्मिक और पवित्र वस्तुएं रखें, जिनसे सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और जिन्हें देखकर मन प्रसन्न होता है ।
इन्हें भी रुपए-पैसों से अलग ही रखना शुभ रहता है। पर्स में नोट या सिक्कों के साथ खाने की चीजें भी नहीं रखना चाहिए।
एक जमानें में तिजौरी का घर,दूकान आदि में बड़ा महत्व होता था क्यों ? क्योंकि वही एकमात्र धन को संग्रह करने का स्थान था. समय बीता और तिजौरी का स्थान धीरे धीरे हटने लगा,परिणाम स्वरूप आज तिजौरी बहुत कम यदा-कदा ही मिलती है. वास्तु में तिजौरी का वर्णन मिलता है. पिछले कई वर्षो से पर्स का चलन बड़ने लगा है और पर्स महिलाओं के हाथ में होना एक फैशन का रूप भी बन गया है. पुरुष वर्ग भी पर्स के बिना धन नहीं रखते. मेरे अनुभव में तिजौरी और पर्स में कोई विशेष अन्तर नहीं रहा. दैनिक कार्यों में पर्स की महत्ता ज्यादा है, आपके पर्स का आकार, रंग आपके पर्स में रखे हुए सामान आपके जीवन में होने वाली छोटी से छोटी घटना के सूचक होते है.
वास्तु के अनुसार पर्स में ऐसे वस्तुएं हरगिज न रखें जो नकारात्मक ऊर्जा को संचारित करती हैं।
पर्स में किसी भी प्रकार के बिल या भुगतान से संबंधित कागज नहीं रखने चाहिए।
अपने पर्स में एक लाल रंग का लिफाफा रखें। इसमें आप अपनी कोई भी मनोकामना एक कागज में लिख कर रखें। वह शीघ्र पूरी होगी।
बैग में लाल रेशमी धागे से एक गांठ बांध कर रखें।
बैग में शीशा और छोटा चाकु अवश्य रखें।
बैग में रुपये पैसे जहां रखते हों वहां पर कौड़ी या गोमती चक्र अवश्य रखें।
चाबी को छल्ले में डाल कर रखें। यदि इस छल्ले में लाफिंग बुद्धा या अन्य कोई फेंगशुई का प्रतीक अच्छा रहता है।
पर्स में किसी भी प्रकार का पिरामिड रखें। यह आपके लिए लाभदायक होगा।
रात्री में सोते समय पर्स कभी भी सिरहाने ना रख कर उसे हमेशा अलमारी में रखें.
पर्स में रूपये कभी भी मोड या फोल्ड कर ना रखे.
पर्स में कभी भी रुपयों के साथ कोई बिल-रसीद या टिकट ना रखे इससे वि
Ruchi Sehgal
आपके मूलांक अनुसार आपका पर्स
आपके अपने मूलांक अनुसार ऐसा हो आपका पर्स
मूलांक 1 (1,10,19,28)
अपने लाल रंग के वॉलेट या पर्स में एक 100 और 20 रुपये के एक एक नोट तथा 1 रुपये के सात नोट को नारंगी रंग के कागज में रखें. एक ताम्बे का सिक्का भी रखें।
मूलांक 2 (2,11,20,29)
अपने सफेद रंग के वॉलेट या पर्स में एक रुपये के दो और 20 रुपये का एक नोट चाँदी की तार में लपेट कर रखें. एक चान्दी का सिक्का भी रखें.
मूलांक 3 (3,12,21,30)
अपने पीले या मेहन्दी रंग के वॉलेट या पर्स में दस रुपये के तीन नोट तथा 1 रूपये के तीन नोट को पीले रंग के कागज में रखें. एक गोल्डन फॉइल का तिकोना टुकडा भी रखें.
मूलांक 4 (4,13,22,31)
अपने भूरे रंग के वॉलेट या पर्स में दस रुपये के दो और 20 रुपये का दो नोट चन्दन का इत्र लगाकर रखें. अपने घर की चुट्की भर मिट्टी भी रखें.
मूलांक 5 (5,14,23)
अपने हरे रंग के वॉलेट या पर्स में पाँच रुपये का एक और 10 रुपये के पाँच नोट एक हरे कागज में रखें. एक बेल का पत्ता भी रखें.
मूलांक 6 (6,15,24)
अपने चमकीले सफेद रंग के वॉलेट या पर्स में पाँच सौ रुपये का और 100 रुपये का एक एक नोट तथा 1 रुपये के छ: नोट को सिल्वर फॉइल में रखें. एक पीतल का सिक्का भी रखें.
मूलांक 7 (7,16,25)
अपने बहुरंगी वॉलेट या पर्स में एक रुपये के सात और 20 रुपये का एक नोट नारंगी रंग के कागज में रखें. एक मछली का चित्र अंकित किया हुआ सिक्का भी रखें.
मूलांक 8 (8,17,26)
अपने नीले रंग के वॉलेट या पर्स में 100 रुपये का एक और 20 रुपये के चार नोट नीले रंग के कागज में रखें. एक मोर पंख का टुकडा भी रखें.
मूलांक 9 (9,18,27)
अपने नीले और नारंगी रंग के वॉलेट या पर्स में पाँच रुपये का एक और दो रुपये के दो नोट चमेली का इत्र लगे नारंगी रंग के कागज में रखें. एक पीतल का सिक्का भी रखें.
यदि आप भी किसी ग्रह बाधा से पीडि़त हैं और आपके पर्स में अधिक समय तक पैसा नहीं टिकता तो निम्र उपाय करें
किसी भी शुभ मुहूर्त या अक्षय तृतीया या पूर्णिमा या दीपावली या किसी अन्य मुहूर्त में सुबह जल्दी उठें। सभी आवश्यक कार्यों से निवृत्त होकर लाल रेशमी कपड़ा लें। अब उस लाल कपड़े में चावल के 21 दानें रखें। ध्यान रहें चावल के सभी 21 दानें पूरी तरह से अखंडित होना चाहिए यानि कोई टूटा हुआ दान न रखें। उन दानों को कपड़े में बांध लें। इसके बाद धन की देवी माता लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजन करें। पूजा में यह लाल कपड़े में बंधे चावल भी रखें। पूजन के बाद यह लाल कपड़े में बंधे चावल अपने पर्स में छुपाकर रख लें।
ऐसा करने पर कुछ ही समय में धन संबंधी परेशानियां दूर होने लगेंगी। ध्यान रखें कि पर्स में किसी भी प्रकार की अधार्मिक वस्तु कतई न रखें। इसके अलावा पर्स में चाबियां नहीं रखनी चाहिए। सिक्के और नोट अलग-अलग व्यस्थित ढंग से रखे होने चाहिए। किसी भी प्रकार की अनावश्यक वस्तु पर्स में न रखें। इन बातों के साथ ही व्यक्ति को स्वयं के स्तर भी धन प्राप्ति के लिए पूरे प्रयास करने चाहिए।
अपनी राशी के अनुसार रखे पर्स का रंग…लाभ होगा जेसे
मेष,सिंह, और धनु राशि वाले अपना पर्स लाल या नारंगी रंग का रखे. तो लाभ होगा
वृष,कन्या, और मकर राशि वालों को भूरे रंग का पर्स तथा मटमैले रंग का पर्स बहुत फायदा पंहुचायगा
मिथुन,तुला, और कुम्भ राशि वाले यदि नीले रंग व सफ़ेद रंग का प्रयोग करते है तो मानसिक स्थति के साथ साथ धन के के आगमन के रास्ते भी खुलेंगे.
कर्क,वृश्चिक, और मीन राशि को तो हमेशा हरा रंग और सफ़ेद रंग का प्रयोग अपने पर्स में करना लाभदायक रहेगा.
Ruchi Sehgal