Sunday, 22 July 2018
रुद्राक्ष से लेना है भारी लाभ तो इन बातों का रखें ध्यान
Tuesday, 19 June 2018
प्रेम प्राप्ति हेतु लघु उपाय एवं साधना
Small measures and practices for obtaining Love-प्रेम प्राप्ति हेतु लघु उपाय एवं साधना
क्या आपका मन किसी को पाने के लिए या जीवन साथी बनाने के लिए मचल रहा है? क्या आपके पास सबकुछ होते हुये भी प्यार नहीं है? क्या आपकी शादी नहीं नहीं हो पा रही? तो ये परेशान मत होइए आज हम आपके लिए लाये हैं वो सभी उपाय जिनको करने के बाद आपकी प्रेमिका कहेगी कि मैं जोगन तेरे प्रेम की.........
जब भी किसी को प्रेम करें तो याद रखें कि संयम और प्रतीक्षा सबसे उत्तम उपाय है।
ईश्वर से प्रेम के लिए प्रार्थना करनी चाहिए, क्योंकि दुआओं में असर होता है।
प्रेम प्राप्ति के लिए आप भगवान् कामदेव और देवी रति के साथ साथ शिव-शक्ति,गणपति,और भगवान विष्णु जी की पूजा कर सकते हैं।
इन्द्र देवता,अग्नि देवता,चन्द्रमा देवता,अप्सराओं व यक्षिणी देवियों की उपासना भी प्रेम प्रदान करती हैं।
देवी दुर्गा जी से मांगी गयी प्रेम व सुख शान्ति सौभाग्य की तत्काल पूर्ती होती है।
यदि प्रेम विवाह करना चाहते हैं तो ब्रत एवं दान बहुत सहायक होते हैं।
प्रेम प्राप्ति के कुछ अति सरल दिव्य मंत्र:-
कृष्ण जी का मंत्र -ॐ क्लीं कृष्णाय गोपीजन बल्लभाय स्वाहा:
कृष्ण मंदिर में मुरली बांसुरी ले जा कर अर्पित करें
पान अर्पण से प्रेम प्राप्ति होती है
यदि प्रेम में फूट पड़ गयी हो तो उसे पुनह पाने के लिए भैरव जी की पूजा अचूक उपाय है।
भैरव देवता को मीठी रोटी का प्रसाद बना कर अर्पित करें। मानसिक तौर से उत्तरनाथ भैरव का मंत्र जपें
भैरव जी का मंत्र-ॐ ज्लौम रहौं क्रोम उत्तरनाथ भैरवाय स्वाहा:
यदि आप किसी को अपना बनाना चाहते हैं तो माँ शक्ति की पूजा करे
माता को लाल रंग का झंडा अर्थात ध्वजा चढ़ाएं व मनोकामना मांगें
माँ शक्ति का मंत्र-ॐ नमो मोहिनी महामोहिनी अमृत वासिनी स्वाहा:
देवराज इन्द्र की पत्नी इंद्रायणी की स्तुति को अमोघ माना जाता हैं कई ऋषि पुत्रियों ने उनकी स्तुति कर वर पाया है।
इंद्रायणी देवी की पूजा उन्हें करनी चाहिए जो नहीं जानते की उनके जीवन में कौन आने वाला है, तब देवी प्रसन्न हो कर अत्यंत स्रेष्ठ प्रेमिका व पति या पत्नी प्रदान करती है।
इंद्रायणी देवी का मंत्र-ॐ देवेंद्राणी विवाहं भाग्यमारोग्यम देहि मे
बीस के अंक को विवाह का अंक माना जाता है विवाह में समस्या पर चार खाने बना कर केवल बीस बीस लिखना चाहिए।
बीस के इस यन्त्र को धारण करने से या पास रखने से विवाह हो जाता है:-
यन्त्र
20 20 20 20
20 20 20 20
20 20 20 20
20 20 20 20
Ruchi Sehgal
मंदिर में घंटी क्यों होती है?
Why there is bell in the Temple?-मंदिर में घंटी क्यों होती है?
मंदिर में जाने से पहले आखिर क्यों बजाते है घंटी !!
हिंदू धर्म से जुड़े प्रत्येक मंदिर और धार्मिक स्थलों के बाहर आप सभी ने बड़े-बड़े घंटे या घंटियां लटकी तो अवश्य देखी होंगी जिन्हें मंदिर में प्रवेश करने से पहले भक्त श्रद्धा के साथ बजाते हैं.
लेकिन क्या कभी आपने यह सोचा है कि इन घंटियों को मंदिर के बाहर लगाए जाने के पीछे क्या कारण है या फिर धार्मिक दृष्टिकोण से इनका औचित्य क्या है?
असल में प्राचीन समय से ही देवालयों और मंदिरों के बाहर इन घंटियों को लगाया जाने की शुरुआत हो गई थी. इसके पीछे यह मान्यता है कि जिन स्थानों पर घंटी की आवाज नियमित तौर पर आती रहती है वहां का वातावरण हमेशा सुखद और पवित्र बना रहता है और नकारात्मक या बुरी शक्तियां पूरी तरह निष्क्रिय रहती हैं.
यही वजह है कि सुबह और शाम जब भी मंदिर में पूजा या आरती होती है तो एक लय और विशेष धुन के साथ घंटियां बजाई जाती हैं जिससे वहां मौजूद लोगों को शांति और दैवीय उपस्थिति की अनुभूति होती है.
लोगों का मानना है कि घंटी बजाने से मंदिर में स्थापित देवी-देवताओं की मूर्तियों में चेतना जागृत होती है जिसके बाद उनकी पूजा और आराधना अधिक फलदायक और प्रभावशाली बन जाती है.
पुराणों के अनुसार मंदिर में घंटी बजाने से मानव के कई जन्मों के पाप तक नष्ट हो जाते हैं. जब सृष्टि का प्रारंभ हुआ तब जो नाद (आवाज) गूंजी थी वही आवाज घंटी बजाने पर भी आती है. उल्लेखनीय है कि यही नाद ओंकार के उच्चारण से भी जागृत होता है.
मंदिर के बाहर लगी घंटी या घंटे को काल का प्रतीक भी माना गया है. कहीं-कहीं यह भी लिखित है कि जब प्रलय आएगा उस समय भी ऐसा ही नाद गूंजेगा.
मंदिर में घंटी लगाए जाने के पीछे ना सिर्फ धार्मिक कारण है बल्कि वैज्ञानिक कारण भी इनकी आवाज को आधार देते हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि जब घंटी बजाई जाती है तो वातावरण में कंपन पैदा होता है, जो वायुमंडल के कारण काफी दूर तक जाता है. इस कंपन का फायदा यह है कि इसके क्षेत्र में आने वाले सभी जीवाणु, विषाणु और सूक्ष्म जीव आदि नष्ट हो जाते हैं, जिससे आसपास का वातावरण शुद्ध हो जाता है.
इसीलिए अगर आप मंदिर जाते समय घंटी बजाने को अहमियत नहीं देते हैं तो अगली बार प्रवेश करने से पहले घंटी बजाना ना भूलें.
घंटियां देवालयों व मंदिरों में काफी प्राचीन समय से लगाई जाती रही हैं। ऐसी मान्यता है कि जिन स्थानों पर घंटी बजने की आवाज नियमित आती है वहां का वातावरण हमेशा शुद्ध और पवित्र बना रहता है। ऐसे स्थानों पर नकारात्मक शक्तियां निष्क्रिय रहती हैं।
मनमोहक एवं कर्ण प्रिय धव्नि मन मष्तिष्क को आध्यात्म भाव की और के जाने का सामर्थ्य रखती है बस आवश्कता है इस दिव्य ध्वनि को महसूस करने की.
सुबह-शाम मंदिरों में जब पूजा-आरती की जाती है तो छोटी-बड़ी घंटियों की आवाज आती है। घंटियां बजाने में एक विशेष लय होती है जिससे वहां मौजूद लोगों को शांति और दैवीय अनुभूति होती है।
ऐसा माना जाता है कि घंटी बजाने से मंदिर में स्थापित देवी-देवताओं की प्रतिमाएं चेतन हो जाती हैं जिससे उनकी पूजा और अधिक प्रभावशाली तथा शीघ्र फल देने वाली होती है। पुराणों के अनुसार मंदिर में घंटी बजाने से मानव के कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं। जब सृष्टि का प्रारंभ हुआ तब जो नाद (आवाज) था, घंटी की ध्वनि से वही नाद निकलता है। यही नाद ओंकार के उच्चारण से भी जाग्रत होता है।
घंटी या घंटे को काल का प्रतीक भी माना गया है। ऐसा माना जाता है कि जब प्रलय काल आएगा तब भी इसी प्रकार का नाद यानि आवाज प्रकट होगी। मंदिरों में घंटी लगाने का वैज्ञानिक कारण भी है। जब घंटी बजाई जाती है तो उससे वातावरण में कंपन उत्पन्न होता है जो वायुमंडल के कारण काफी दूर तक जाता है। इस कंपन की सीमा में आने वाले जीवाणु, विषाणु आदि सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं। मंदिर का तथा उसके आस-पास का वातावरण शुद्ध बना रहता है। इसी वजह से जब भी मंदिर जाएं तो घंटी जरूर बजाएं ।
मंदिर में क्यों लगाते हैं घंटी?
हिंदू धर्म में देवालयों व मंदिरों के बाहर घंटियां या घड़ियाल पुरातन काल से लगाए जाते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों किया जाता है? असल में प्राचीन समय से ही देवालयों और मंदिरों के बाहर इन घंटियों को लगाया जाने की शुरुआत हो गई थी. इसके पीछे यह मान्यता है कि जिन स्थानों पर घंटी की आवाज नियमित तौर पर आती रहती है वहां का वातावरण हमेशा सुखद और पवित्र बना रहता है और नकारात्मक या बुरी शक्तियां पूरी तरह निष्क्रिय रहती हैं. स्कंद पुराण के अनुसार मंदिर में घंटी बजाने से मानव के सौ जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं. जब सृष्टि का प्रारंभ हुआ तब जो नाद (आवाज) था, घंटी या घडिय़ाल की ध्वनि से वही नाद निकलत
Ruchi Sehgal