Tuesday, 6 November 2018
नरक चतुर्दशी कथा महत्व और पूजा विधि
नरक चतुर्दशी कथा महत्व और पूजा विधि
Narak Chaturdashi Puja Vidhi , Mahatav नरक चतुर्दशी का त्यौहार प्रतिवर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन मनाया जाता हैं. इसे भारत के प्रसिद्ध त्यौहार दीपावली से एक दिन पहले मनाई जाने वाली छोटी दीपावली के नाम से भी जाना जाता हैं |
इस दिन मुख्य रूप से मृत्यु के देवता यमराज जी की पूजा – अर्चना की जाती हैं.
नरक चतुर्दशी के विभिन्न नाम (Different names of Narak Chaturdashi) कुछ व्यक्ति इसे छोटी दीपावली कहते हैं. क्योंकि यह दीपावली से एक दिन पहले ही मनाया जाता हैं. कुछ लोग इसे नरक चौदस, रूप चौदस, रूप चतुर्दशी ,काली चौदस आदि नामों से जानते हैं. तो कुछ इसे नरक पूजा तथा नर्क चतुर्दशी के नाम से जानते हैं.
नरक चतुर्दशी रूप चौदस की कथा
प्राचीन काल में एक नरकासुर नाम का राजा था. जिसने देवताओं की माता अदिति के आभूषण छीन लिए थे. वरुण देवता को छत्र से वंचित कर दिया था, मंदराचल के मणिपर्वत शिखर पर अपना कब्ज़ा कर लिया था तथा देवताओं, सिद्ध पुरुषों और राजाओं की 16100 कन्याओं का अपहरण कर उन्हें बंदी बना लिया था.
कहा जाता हैं कि दुष्ट नरकासुर के अत्याचारों व पापों का नाश करने के लिए श्री कृष्ण जी ने नरक चतुर्दशी के दिन ही नरकासुर का वध किया था और उसके बंदी ग्रह में से कन्याओं को छुड़ा लिया. कृष्ण जी ने कन्याओं को नरकासुर के बंधन से तो मुक्त कर दिया. लेकिन देवताओं का कहना था कि समाज इन्हें स्वीकार नहीं करेगा. इसलिए आप ही इस समस्या का हल बताये. यह सब सुनकर श्री कृष्ण जी ने कन्याओं को समाज में सम्मान दिलाने के लिए सत्यभामा की सहायता से सभी कन्याओं से विवाह कर लिया.
छोटी दिवाली पूजा विधि -Worship Method on Small Diwali Day
1.इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर शरीर पर तेल या उबटन लगाकर मालिश करने के बाद स्नान करना चाहिए. ऐसा माना जाता हैं कि जो व्यक्ति नरक चतुर्दशी के दिन सूर्य के उदय होने के बाद नहाता हैं. उसके द्वारा पूरे वर्ष भर में किये गये शुभ कार्यों के फल की प्राप्ति नहीं होती.
2. सूर्य उदय से पहले स्नान करने के बाद दक्षिण मुख करके हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना करें. ऐसा करने से व्यक्ति के द्वारा किये गये वर्ष भर के पापों का नाश होता हैं.
3. नरक चतुर्दशी की शाम को सभी देवताओं की पूजा करने के बाद तेल के दीपक जलाकर घर के दरवाजे की चोखट के दोनों ओर, सड़क पर तथा अपने कार्यस्थल के प्रवेश द्वारा पर रख दें. ऐसा माना जाता हैं कि इस दिन दीपक जलाने से पूरे वर्ष भर लक्ष्मी माता का घर में स्थाई निवास होता हैं.
दीपावली का पौराणिक महत्व और कहानी
दीपावली का पौराणिक महत्व और कहानी
भारत में हिन्दू धर्म के लोगो के लिए सबसे बड़ा त्यौहार दीपावली का माना जाता है | दीपावली दीपो को प्रज्वलित कर रोशनी करने का त्यौहार है |
यह सकारात्मक उर्जा वाली रोशनी नकारात्मक उर्जा वाले अंधकार को दूर करने वाली है | दीपवाली की रात्रि सबसे ज्यादा रोशन होती है | हर घर दुकान में उजाला अपने चरम पर होता है | हो भी क्यों ना | यह दिन त्योहारों का राजा जो है | दिवाली के साथ कई रोचक और महिमापूर्ण पौराणिक घटनाये जुडी हुई है | आइये जाने |
वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे श्री राम
दीपावली पर दीप जलाने की परम्परा शायद अयोध्या के लोगो ने ही की थी | इसी रात्रि को श्री राम लक्ष्मण और माता सीता अयोध्या वनवास काट कर आये थे | प्रजा ने उन सभी का स्वागत घी के दीपक जला कर किया था | तब से दीपावली पर दीपक जलाने की प्रथा शुरू हुई |
माँ लक्ष्मी और धन्वंतरि का अवतरण
देवताओ और असुरो के बीच जब समुन्द्र मंथन हुआ तब उसमे से दिवाली के दिन ही विष्णु प्रिया लक्ष्मी और ओषधी के देवता धन्वंतरि प्रकट हुए थे |
कृष्ण ने किया नरकासुर का वध
द्वापर युग में विष्णु के अवतार श्री कृष्ण ने दीपावली के दिन ही अत्याचारी राजा नरकासुर का वध किया था | लोगो ने प्रसन्नता और उल्लास के लिए घी के दीप जलाये थे |
नरसिंह अवतरण
पौराणिक मान्यताओ के अनुसार दीपावली के दिन का महत्व इसलिए भी है की इसी दिन भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए विष्णु ने भगवान नरसिंह जी का अवतार लिया था |
स्वामी रामतीर्थ जन्म और समाधी
ब्राह्मण जाति के स्वामी रामतीर्थ का दिवाली के दिन ही जन्म हुआ था | यह बहुत बड़े ज्ञानी थे |
महर्षि दयानन्द
आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द ने दीपावली के दिन ही अजमेर के निकट अवसान लिया था |
स्वर्ण मन्दिर का शिलान्यास
सिख संप्रदाय के लिए भी दिवाली बहुत महत्व रखती है | दीपावली के दिन ही 1577 ई. में स्वर्ण मन्दिर का शिलान्यास हुआ था।
दीपावली पर अचूक उपाय और टोटके
दीपावली पर अचूक उपाय और टोटके
दीपावली भारत के सबसे बड़े त्यौहार के रूप में बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है | यह पर्व विष्णु के अवतार श्री राम और लक्ष्मी से जुड़ा हुआ है | समुन्द्र मंथन की पौराणिक कथा में बताया गया है की दिवाली के दिन ही माँ लक्ष्मी प्रकट हुई थी |
(A) दीपावली के दिन से हर सुबह घर की मुख्य महिला को अपने घर के मुख्य प्रवेश द्वार पर एक लोटा जल डालना चाहिए | यह टोटका माँ लक्ष्मी के स्वागत में कारगर सिद्ध होता है |
(B) जिस दिन दीपावली हो उसे दिन किसी पास के लक्ष्मी जी के मंदिर में जाकर माता को चुनरी ओढाये | उनके श्रंगार की सामग्री दे और कमल पुष्प अर्पित करे | माँ लक्ष्मी आप पर अत्यंत प्रसन्न होगी |
(C) दीपावली के दिन यह सोच कर घर की अच्छे से सफाई करे की माँ आज रात्रि आपके घर आने वाली है | घर को अच्छे से सजाये और रात्रि में घर की सभी रोशनी जला कर रखे |
(D) दिवाली पर लक्ष्मी पूजन के बाद घर के हर कोने में घंटी और शंख बजाना चाहिए | इससे घर से नकारात्मक शक्तियाँ दूर होती है |
(E) दीपावली की रात को हर कमरे के प्रवेश द्वार पर गेंहू की ढेरी बना ले | उसमे एक शुद्ध घी का दीपक जलाये जो पूरी रात जलता रहे | माना जाता है यह लक्ष्मी जी के स्वागत का टोटका है और ऐसा करने से माँ अन्नपूर्णा जरुर घर में प्रवेश करती है |
(F) धनतेरस से लेकर आने वाले पांच दिनों पांच घी के दीपक जरुर संध्या के समय घर में जलाये | इससे सुख समृधि में बढ़ोतरी होती है |
(G) दीपावली के दिन से हर सुबह पीपल की पूजा विधि से करे | पीपल में माँ लक्ष्मी का वास बताया जाता है |
(H) दिवाली के बाद जो भी शुक्रवार आये उस दिन माँ लक्ष्मी के धन प्राप्ति के मंत्र का जप जरुर करे |
(I) यदि दिवाली के दिन कोई मोर आपको नाचता दिखाई दे तो समझ ले आपका भाग्य चमकने वाला है | आप उस जगह की मिट्टी को घर पर लाये | फिर इस मिट्टी की पूजा अर्चना करे और रेशम के लाल कपड़े में डालकर इसे अपनी तिजोरी में रख दे | यह तिजोरी के अचूक उपाय में से एक है |