Tuesday, 6 November 2018
ऐसा शिवलिंग जहा भक्त चढाते है झाड़ू
शिवलिंग पर चढाते है झाड़ू
एक ऐसा शिवलिंग जहा भक्त चढाते है झाड़ू और यह झाड़ू कर देती है उनके त्वचा के रोगों को खत्म |
कहाँ है यह शिवलिंग :
मुरादाबाद और आगरा राजमार्ग पर गाँव सदत्बदी में भोलेनाथ का एक प्राचीन मंदिर जो पातालेश्वर मंदिर के नाम से प्रसिद्द है | यहा पर स्थित है एक दिव्य शिवलिंग जिसपे झाड़ू चढाने से त्वचा रोग ठीक हो जाते है | यह मंदिर अति प्राचीन है और यह परम्परा भी सदियों से चल रही है |
झाड़ू चढाने के पीछे की लोक कथा :
इस गावं में एक भिखारीदास नाम का अमीर व्यापारी रहता था | एक बार वो त्वचा रोग से ग्रसित हो गया | नीम हकीम वैद भी उसे इस रोग से मुक्त नही करा पा रहे थे |
एक दिन वो किसी रास्ते से गुजर रहे थे और उन्हें प्यास लगी | पास ही किसी शिव के भक्त संत का आश्रम था | भिखारीदास जी आश्रम में पहुंचे और संत से पानी पिलाने को बोले | संत उस समय आश्रम की झाड़ू से सफाई कर रहे थे | सफाई करते करते उनकी झाड़ू व्यापारी को छु गयी | व्यापारी के शरीर में एक तरंग सी गयी और देखते ही देखते उनके त्वचा रोग ठीक हो गये | व्यापारी इस चमत्कार को देखकर संत के चरणों में पड़ गये और उन्हें धन दौलत से तोलने की बात करने लगे |
संत ने उन्हें समझाया की यह सब भोले बाबा की कृपा है और वे तो बस उनके दास है | यदि तुम कुछ करना चाहते हो तो बस इस आश्रम में शिव मंदिर बना दो | आदेश के अनुसार व्यापारी ने वहा शिव मंदिर का निर्माण किया |
व्यापारी के ठीक होने की खबर गावं में फ़ैल गयी और तब गावं वालो ने शिवलिंग पर झाड़ू चढ़ाना शुरू कर दिया |
इस चमत्कार के पीछे एक कहानी बताई जाती है कि गांव में कभी एक भिखारीदास नाम का एक व्यापारी रहता था, जो गांव का सबसे धनी व्यक्ति था और वह त्वचा रोग से ग्रसित था। उसके शरीर पर काले धब्बे पड़ गये थे, जिनसे उसे पीड़ा होती थी।
एक दिन वह निकट के गांव के एक वैद्य से उपचार कराने जा रहा था कि रास्ते में उसे जोर की प्यास लगी। तभी उसे एक आश्रम दिखाई पड़ा। जैसे ही भिखारीदास पानी पीने के लिए आश्रम के अंदर गया वैसे ही आश्रम की सफाई कर रहे महंत के झाड़ू से उसके शरीर का स्पर्श हो गया। झाड़ू के स्पर्श होने के क्षण भर के अंदर ही भिखारीदास का दर्द ठीक हो गया। जब भिखारीदास ने महंत से चमत्कार के बारे में पूछा तो उसने कहा कि वह भगवान शिव का प्रबल भक्त है। यह चमत्कार उन्हीं की वजह से हुआ है। भिखारीदास ने महंत से कहा कि उसे ठीक करने के बदले में सोने की अशर्फियों से भरी थैली स्वीकार करे। किन्तु महंत ने अशर्फी लेने से इंकार करते हुए कहा कि वास्तव में अगर वह कुछ लौटाना चाहते हैं तो आश्रम के स्थान पर शिव मंदिर का निर्माण करवा दें। कुछ समय बाद भिखारीदास ने वहां पर शिव मंदिर का निर्माण करवा दिया। धीरे-धीरे मान्यता हो गई कि इस मंदिर में दर्शन कर झाड़ू चढ़ाने से त्वचा के रोगों से मुक्ति मिल जाती है।
आज यहाँ इस तरह के हज़ारों लोग आते हैं जो त्वचा रोग से पीड़ित हैं और आसपास के लोग यह भी बताते हैं कि अधिकतर लोगों को यहाँ आने और झाड़ू चढ़ाने के बाद, इस रोग से मुक्ति भी मिलती है। लेकिन भगवान शिव की महिमा तो वैसे भी अपरम्पार है तो यहाँ लोग त्वचा रोग के अलावा, अपने और सभी दुःख भी लेकर आते हैं।
इस चमत्कारिक शिवलिंग में लाखों लोग सालभर में आते हैं और अपने दुखों से मुक्ति प्राप्त करते हैं।
यहाँ आत्मा शांति हेतु पिंड दान नहीं बल्कि होता है शिवलिंग दान
जंगमवाड़ी मठ – वाराणसी
वाराणसी का सबसे प्राचीन मठो में से एक है जंगमवाड़ी मठ | सदियों से यहा अपने पूर्वजो की शांति के लिए एक परम्परा चल रही है शिवलिंग दान की | यह मठ 50,000 फीट में फैला हुआ है और हर जगह शिवलिंग के दर्शन प्राप्त होते है |
जंगमवाड़ी मठ में शिवलिंगों को लेकर अलग परम्परा
इस मठ में शिवलिंगों को लेकर एक अनोखी धार्मिक परम्परा चल रही है | यहा भक्त अपनों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान की तरह शिवलिंग का दान करते है | यह मंदिर इसी कारण शिवलिंगों से भरा हुआ है , यहा लाखो शिवलिंग भक्तो द्वारा समर्प्रित किये गये है |
यहा विशेष शिव मंत्रो के साथ विधि विधान से शिवलिंग का दान लिया जाता है और मान्यता है की शिव कृपा से आत्मा को शांति प्राप्त होती है | यहा सावन के महीने में सबसे बड़े शिवलिंगों के दान होते है |
यह मठ दक्षिण भारतीयों के द्वारा बनाया गया है और उन्ही के द्वारा यह परम्परा शुरू की गयी जो अब सभी भक्त निभाने लग गये है | ऐसा अनुमान है की यह दो सौ सालो से चल रह परम्परा चल रही है |
धार्मिक सप्तपुरी नगर – आस्था से परिपूर्ण भारत के 7 शहर
7 Most Religious Cities Of India : भारत के 7 सबसे पवित्र और धार्मिक शहर
सनातन धर्म में भारत के मुख्य धार्मिक सात नगरों को बहुत पवित्र और आस्था से परिपूर्ण बताया गया है | इन्हे धार्मिक सप्तपुरी भी कहा जाता है । भगवान कृष्ण , श्री राम , शिव और विष्णु से इन शहरों का सम्बन्ध है | यहा देवताओ ने कई लीलाए की है | इन सभी धार्मिक शहरो के नाम भारत के प्राचीन धर्म ग्रंथो में बड़े आदर के साथ लिए जाते है |
आइये जानते है भारत में वे कौनसे सबसे पवित्र और धार्मिक 7 नगर (शहर ) है |
1. अयोध्या :
राम जन्मभूमि अयोध्या
यह नगरी प्रभु श्री राम को जन्म देनी वाली सूर्यवंशी राजाओ की है | सप्त धार्मिक नगरो में इसे पहला स्थान दिया गया है | वेद तो इसे प्रभु की नगरिया बताते है | सरयू नदी के तट पर उत्तर प्रदेश में फैजाबाद जिले में है अयोध्या की राममय नगरिया |
2. मथुरा :
भगवान श्री कृष्ण ने अपना बाल्यकाल यही व्यतीत किया | उनकी शरारती और मन को छूने वाली बाल लीलायो की यह स्थली रहा है | यहा कण कण में कृष्णा की भक्ति की गंगा बहती है | इनकी पूजा के लिए बहुत सारे प्रसिद्ध मंदिर है |
3. हरिद्वार :
हरिद्वार
प्राचीन काल में हरिद्वार को मायापुरी कहा जाता था | यहा गंगा का प्रसिद्ध मंदिर है जो गंगा के घाट हर के पैडी के पास बना हुआ है | यहा रोज संध्या को गंगा आरती का भव्य आयोजन किया जाता है जो देखने दूर दूर से भक्त आते है | यहा पंडित मरने वाले व्यक्तियों की शांति के लिए पूजा अर्चना करवाते है | पढ़े : हरिद्वार के दर्शनीय स्थल
4. काशी :
पुराणों में बताया गया है यह नगरी अमर है और भगवान शिव के त्रिशूल पर टिकी हुई है | जब प्रलय आएगी भगवन अपने त्रिशूल को उठा कर इस काशी को बचा लेंगे | इस नगरी में मरने वाले व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है | यहा भगवान शिव काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग रूप में भक्तो को दर्शन देते है |
5. कांची :
यह मंदिरों का शहर है जो तमिलनाडु में पड़ता है | काचीअम्पाठी और कांची इसी के नाम है | भगवान विष्णु और शिवजी के बड़े प्रसिद्ध मंदिर यहा स्थित है | कामाक्षी अम्मा मन्दिर, वरदराज पेरूमल मंदिर , कुमारकोट्टम, कच्छपेश्वर मन्दिर, कैलाशनाथ मन्दिर, एकाम्बरनाथ मन्दिर यहा के मुख्य मंदिर है |
6. उज्जैन :
महाकाल की नगरी उज्जैन जो मोक्षदायिनी शिप्रा नदी के तट पर स्थित है | काशी के बाद इसे शिवधाम माना जाता है | यहा गोपाल मंदिर , हरसिद्धि माता का शक्तिपीठ , काल भैरव मंदिर , चार धाम मंदिर विख्यात है |
7. द्वारका :
भगवान ने महाभारत के युद्ध के बाद इसे अपनी नगरी बना लिए और अंत तक यही वास करने लग गये | द्वारकाधीश यही पर इनका नाम पड़ा | सागर के तट पर बनी द्वारका बहुत बार जल विलीन हुई है जिसके अवशेष आज भी दिखाई देते है | भारत के चार धामों में और सप्तपुरी दोनों में द्वारका का नाम आता है |