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Monday, 12 November 2018

भगवान श्री कृष्ण का रंग नीले रंग से जुडी 10 दन्त कथाये(Why Lord Krishna is Blue in hindi)

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भगवान श्री कृष्ण का रंग नीला क्यों है (Why Lord Krishna is Blue or black in colour hindi)
भगवान श्रीकृष्ण हिन्दू संस्कृति में एक बहुत बड़ा महत्व रखते है. श्री कृष्ण के श्रीमद्भागवत गीता के अनमोल वचन  का एक एक शब्द मनुष्य को मुक्ति दिलाने वाला है. कहा जाता है कि कृष्ण भक्ति से मनुष्य के जन्म जन्मान्तर के पाप नष्ट हो जाते हैं और मनुष्य मोक्ष को प्राप्त हो जाता है. इन्हें इनकी तस्वीरों में अक्सर नीले रंग में देखा जाता है. इसके पीछे कई तरह की किंवदंतियाँ हैं, जिससे इनके नीले रंग का वर्णन किया जाता हैं


भगवान श्री कृष्ण का रंग नीला क्यों होता है (Why Lord Krishna is Blue in hindi)


यहाँ पर अलग अलग लोगों द्वारा बनाई गई किंवदंतियों और मिथकों का वर्णन किया जा रहा है. जिसे लोग अपनी मान्यता के अनुसार मानते हैं.





1. भगवान श्री कृष्ण के नीले रंग के पीछे एक मान्यता ये है कि भगवान श्री कृष्ण को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है. भगवान विष्णु सदा गहरे सागरों में निवास करते हैं. उनके इन सागरों में निवास करने की वजह से भगवान श्री कृष्ण का रंग नीला है. हिन्दू धर्म में जिन लोगों के पास बुराइयों से लड़ने की क्षमता होती है और जो लोग चरित्रवान होते हैं, उनके चरित्र को नीले रंग का माना जाता है.


2. हिन्दू धर्म में नीले रंग को अनंतता का प्रतीक माना जाता है. अतः इसका अर्थ यह है कि इनका अस्तित्व कभी समाप्त न होने वाला है. इस कारण इनका रंग नीला माना गया है.


3. एक अन्य मान्यता के अनुसार जब भगवान कृष्ण छोटे थे तब एक पूतना नामक राक्षसी इनकी हत्या करने के लिए आई. उस राक्षसी ने इन्हें अपना विष युक्त दूध पिलाया. हालाँकि एक देवांश होने की वजह से कृष्ण की मृत्यु नहीं हुई, किन्तु इस वजह से इनका रंग नीला हो गया. बाद में इन्होने राक्षसी का वध किया, किन्तु इनका रंग नीले का नीला ही रहा.


4. कहा जाता है कि यमुना नदी में एक कालिया नामक नाग रहता था, जिसके कारण गोकुल के सभी निवासी परेशान थे. अतः जब भगवान कृष्ण कालिया नाग से लड़ने गये तो युद्ध के समय उसके विष के कारण भगवान कृष्ण का रंग नीला हो गया.


5.  कई प्रख्यात विद्वानों का मानना है कि भगवान श्री कृष्ण का रंग नीला होने का मुख्य कारण उनका आध्यात्मिक रूप है. श्रीमद्भागवत गीता के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का यह नीला रूप सिर्फ उन्हें देखने मिलता है, जो कृष्ण के सच्चे भक्त होते हैं. भगवान श्रीकृष्ण के इस रूप के दर्शन मात्र से ही भक्त मोक्ष को प्राप्त कर लेते है.


6. भगवान श्री कृष्ण का रंग नीला होने के पीछे एक मान्यता ये भी है कि प्रकृति का अधिकांश भाग नीला है. उदाहरण स्वरुप आकाश, सागर, झरने आदि सभी नीले रंग में दृष्टिगोचर होते हैं. अतः प्रकृति के एक प्रतीक के रूप में होने की वजह से इनका रंग नीला है.


7.  ऐसा भी माना जाता रहा है कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म बुराइयों से लड़ने और सभी बुराइयों का नाश करने के लिए हुआ था. अतः नीला रंग इन्होने एक प्रतीक की तरह धारण किया जिसका अर्थ बुराई का नाश है.


8. ब्रम्हा संहिता के अनुसार भगवान श्री कृष्ण के अस्तित्व में नीले रंग के छोटे छोटे बादलों का समावेश है. अतः इन्हें नीले रंग के अवतार में देखा जाता है.


9.  कई बार भगवान श्री कृष्ण के इस नीले रंग को ‘सर्व वर्ण’ कहा जाता है. इसका अर्थ ये है कि विश्व के समस्त रंगों का समावेश इस रंग में है. अतः भगवान श्री कृष्ण में सारा ब्रम्हांड समाहित है. इस वजह से उनका रंग नीला हो गया है.


10. भगवान श्रीकृष्ण को नीलोत्पल दल के नाम से भी जाना जाता है. इसका सम्बन्ध उस कमल पुष्प से है, जिसकी पंखुड़ियाँ नीली हों. श्री कृष्ण विष्णु के अवतार हैं, जिन्हें कमल बहुत पसंद है, अतः कई महान कलाकारों ने श्री कृष्ण की कल्पना करते हुए नीले रंग को ही इनके चित्र आदि बनाने के लिए चुना.


इस तरह से भगवान श्री कृष्ण के नीले रंग के पीछे छिपे कारण को कई लोग अपने अपने हिसाब से वर्णित करते हैं. इसके पीछे कई मिथक एवं किन्वंदतियाँ हैं तो यह जानना बहुत दुर्लभ है कि कृष्ण का रंग नीला होने की क्या वजह है. 


Sunday, 11 November 2018

विश्व भर के दुर्लभ, अद्भुत और अनसुने मंदिर

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इतिहासकारों का कहना है कि वैदिक काल में मंदिर नहीं हुआ करते थे| मूर्ति पूजा वेदिक काल के अंत में प्रचलित हुई है|  सभी धर्म हिन्दू सनातन धर्म से ही उतपन्न हुए हैं जैसे की Christianity संस्कृत शब्द ‘कृष्ण-नीति’ से आया है, Abraham संस्कृत के शब्द ‘ब्रह्मा’ से आया है, Vatican शब्द ‘वाटिका’ से आया है|

ऐसी कई चीज़े हैं जो हिन्दू धर्म से संबंध रखती हैं, आइए जानते हैं कुछ हिन्दू धर्म के रहस्यमय मंदिरों के बारे में जो आपको हैरान कर देंगे|



1.   रोम के एक संग्रहालय में आज भी शिवलिंग को रखा है जो कि खुदाई के वक़्त वहां मिला था|



2.  कम्बोडिया पहले हिन्दू राष्ट्र था, अब बौद्ध राष्ट्र है। कम्बोज की प्राचीन दंतकथाओं के अनुसार इस उपनिवेश की नींव ‘आर्यदेश’ के शिवभक्त राजा कम्बु स्वायंभुव ने डाली था| कम्बोडिया में ही भगवान विष्णु का सबसे पुराना मंदिर है। कुछ 1,000 वर्ष पहले भारत से कई लोग कम्बोडिया गए और वहां मंदिरों का निर्माण कराया।

इसके साथ कम्बोडिया में एक प्राचीन शिव मंदिर भी था, जहां से 17 अभिलेख मिले थे, लेकिन उस मंदिर के अब कुछ अवशेष ही शेष रह गए हैं। इसी तरह विष्णु का प्राचीन मंदिन अंगकोर वट सबसे पुराना विष्णु का मंदिर है|



3.  1940 में प्राचीन शिल्प वैज्ञानिक एम.एस. वत्स ने हरप्पा में 3 शिवलिंग पाए और कहा जाता है कि ये शिवलिंग 5000 वर्ष पुराने हैं|

4.   मिस्र (Egypt) के कुसैर अल कादीम (Quseir-al-Qadim) में खुदाई के दौरान एक टूटा हुआ जार मिला, जिसे पहली शताब्दी के आस-पास का बताया जाता है| इस पर तमिल ब्राह्मी में कुछ लिखा हुआ है| ब्रिटेन के एक इतिहासकार का कहना यह भी है कि ये बर्तन भारत में बने हुए हैं।


5.  ओमान के खोर-रोरी इलाके में हाल ही में एक प्राचीन घड़े का टूटा हुआ अंश मिला है, जिस पर बह्रमी भाषा में लिखा हुआ है| यह भी पहली शताब्दी के आस पास बताया जाता है| इससे इस बात का अनुमान लगाया जाता है कि प्राचीन समय से ही भारत दूर-दूर तक व्यापार करता था|

6.  बाली में एक इमारत के निर्माण की खुदाई के दौरान मजदूरों को मंदिर के कुछ अंश मिले जिसके बाद यह खबर बाली के ऐतिहासिक संरक्षण विभाग को दी गई| खुदाई के दौरान एक बहुत बड़ी हिन्दू धर्म से जुडी ईमारत को पाया| इसे 13वीं 15वीं शताब्दी के आस पास बताया जाता है|




7.  हिन्दू देवी-देवताओं के मंदिर दुनिया में कई जगह पाए गए| ऐसे ही मानना है कि जहां आज इन्डोनेशियन इस्लामिक यूनिवर्सिटी है, वहां कभी हिन्दू देवी-देवताओं का मंदिर हुआ करता था, जिसमे शिव और गणेश की पूजा की जाती थी| यहां से एक एतिहासिक शिव लिंग भी मिला है|


8.  सेंट्रल अमेरिका के Mosquitia क्षेत्र में एक ऐसी जगह है जहां के लोग बंदरों की मूर्तियों की पूजा करते हैं| इसका नाम उन्होंने La Ciudad Blanca दिया है जिसका स्पेनिश में मतलब ‘The White City’ होता है| माना जाता है की इस जगह कभी हनुमान का साम्राज्य हुआ करता था|

9.  एक अमेरिकन एडवेंचरर ने लिम्बर्ग की खोज के आधार पर गुम हो चुके ‘Lost City Of Monkey God’ की तलाश में निकले| 1940 में उन्हें इसमें सफ़लता भी मिली पर उसके बारे में मीडिया को बताने से एक दिन पहले ही एक कार दुर्घटना में उनकी मौत हो गई और यह राज़ एक राज़ ही बनकर रह गया|

10.  श्रीलंका के मुन्नेस्वरम मंदिर का इतिहास रामायण से जुड़ा है| जब भगवान राम रावण का वध कर लौटने लगे तब उन्होंने इसी जगह भगवान शिव की आराधना की थी|

11.  श्री कृष्ण को केवल मथुरा, वृन्दावन ब्रज की भूमि पर नहीं बल्कि दूर-दूर तक पूजा जाता था| इसका साबुत अफ़ग़ानिस्तान के Al Khanoun में कुछ सिक्कों की खोज है| इन सिक्कों पर एक तरफ श्री कृष्ण और दूसरी तरफ बलराम के चित्र बने हैं|


श्रीमद्भगवद पुराण में वर्णित कलयुग की भविष्यवाणी

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श्रीमद्भगवद पुराण हिन्दू धर्म के पुराणों में से एक है। भगवद पुराण में कलयुग के बारे में भविष्यवाणी पहले ही कर दी गयी थी अर्थात कलयुग में क्या होगा यह पहले ही भगवद पुराण में लिखा जा चुका था।

आइए जानते हैं भगवद पुराण में की जाने वाली कलयुग की भविष्यवाणी के बारे में।



धर्म, स्वच्छता, दया, जीवन की अवधि, शारीरिक शक्ति, स्मृति तथा सत्यवादिता दिन ब दिन घटती जाएगी।

जिस के पास जितना धन होगा वह उतना ही गुणी माना जायेगा।



कलयुग में ब्राह्मण धर्म के नाम पर केवल एक धागा पहनेगा जबकि पहले ब्राह्मण अपने शरीर पर और भी बहुत चीजे पहनता था।



कानून तथा न्याय केवल एक शक्ति के आधार पर लागू किया जायेगा।

व्यापार में सफलता छल पर निर्भर करेगी।

गरीब व्यक्ति को अधर्मी तथा अपवित्र माना जायेगा।

इस युग में स्त्री तथा पुरुष साथ-साथ रहेंगे।

चालाक और स्वार्थी व्यक्ति को इस युग में विद्वान माना जायेगा।


कलयुग में जो विवाह होगा वह दो लोगों के बीच में बस एक समझौता मात्र होगा।

जीवन का मुख्य लक्ष्य केवल पेट भरना ही होगा।

ऐसा माना जायेगा कि लोगों की सुंदरता उनके बालों से होगी।

लोग सत्ता हासिल करने के लिए एक दूसरे को मारने तक की हद तक पहुँच जायेंगे।


अपनी अंतरआत्मा को स्वच्छ करने के लिए लोग केवल स्नान करना ही पर्याप्त समझेंगे।

पृथ्वी भ्रष्ट लोगों से भर जाएगी।

अकाल और अत्याधिक करों द्वारा परेशान, लोग पत्ते, जड़, मांस, जंगली शहद, फल, फूल और बीज खाने को मजबूर हो जाएंगे। भयंकर सूखा पड़ेगा।

ठंड, हवा, गर्मी, बारिश और बर्फ यह सब लोगों को बहुत परेशान करेंगे