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Monday, 12 November 2018

गंधारी सो पुत्रो के साथ सो भाइयो की इकलोती बहन भी थी

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राजा सुबाला  यानी गांधार नरेश ने अपनी पुत्री गंधारी का वैधव्य योग समाप्त करने के लिए उसकी शादी एक बकरे से करवाई, उसके बाद उस बकरे को मार दिया गया | इस तरीके से गांधारी एक विधवा थी| यह बात सिर्फ सुबाला और उनके करीबी जानते थे , इस बात को किसी को ना बताने की हिदायत सबको दी गई थी| इस घटना के कुछ समय बाद गांधारी की शादी हस्तिनापुर के राजकुमार धृतराष्ट्र से हो गई| धृतराष्ट्र और पांडव इस बात से अंजान थे, कि गांधारी एक बकरे की विधवा है|





कुछ समय पश्चात् यह बात सबके सामने आ गई , धृतराष्ट्र और पांडव को इस बात पर बहुत ठेस पहुंची और उन्हें लगा राजा सुबाला ने उनके साथ धोखा किया है, अपमान किया है| अपने अपमान का बदला लेने के लिए धृतराष्ट्र ने राजा सुबाला और उनके 100 पुत्रों को जेल में बंद कर दिया| धृतराष्ट्र उनके साथ बहुत बुरा व्यव्हार करते थे, उन्हें बहुत मारा पीटा जाता था| धृतराष्ट्र राजा सुबाला से अपने रिश्ते का भी मान नहीं रखते थे , राजा और उनके परिवार को रोज सिर्फ एक मुट्ठी चावल दिया जाता था, जिसे वे मिल बाँट के खा लेते थे| दिन बीतते गए और राजा सुबाला के पुत्रों में से  सभी की एक एक की मौत भूख के कारण होती गई|

गंधारी को था वैधव्य योग और इसीलिए दूसरे पति बने धृतराष्ट्र

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गांधारी के विवाह के पहले, उनके पिता सुबाला को किसी पंडित ने बोला था कि गांधारी की शादी के पश्चात उसके पहले पति की म्रत्यु हो जाएगी| इस बात से चिंतित राजा सुबाला ने उनकी शादी एक बकरे से करवाई, उसके बाद उस बकरे को मार दिया गया | इस तरीके से गांधारी एक विधवा थी| यह बात सिर्फ सुबाला और उनके करीबी जानते थे , इस बात को किसी को ना बताने की हिदायत सबको दी गई थी| इस घटना के कुछ समय बाद गांधारी की शादी हस्तिनापुर के राजकुमार धृतराष्ट्र से हो गई| धृतराष्ट्र और पांडव इस बात से अंजान थे, कि गांधारी एक बकरे की विधवा है|

श्री राम की बहन देवी शांता का मंदिर

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देवी शांता के बारे में वाल्मीकि रामायण में कोई उल्लेख्य नहीं मिलता लेकिन दक्षिण के पुराणों में स्पष्ट रूप से शांता के चरित्र का वर्णन किया गया हैं |

भारत के कुल्लू में श्रृंग ऋषि का मंदिर हैं एवम वहां से 60 किलोमीटर की दुरी पर देवी शांता का मंदिर हैं | यह भी कहा जाता हैं कि राजा दशरथ ने पुत्र प्राप्ति के लिए देवी शांता का त्याग किया था | वैसे तो देवी शांता एक परिपूर्ण राजकुमारी थी लेकिन बेटी होने के कारण उनसे वंश वृद्धि एवम राज कार्य पूरा नहीं हो सकता था इसलिये राजा दशरथ को उनका परित्याग करना पड़ा |

इस प्रकार जब चारों भाई अपनी बहन शांता से मिलते हैं तो वे अपने भाइयों से अपने त्याग का फल मांगती हैं और उन्हें सदैव साथ रहने का वचन लेती हैं | भाई अपनी बहन के त्याग को व्यर्थ नहीं जाने देते और जीवन भर एक दुसरे की परछाई बनकर रहते हैं |

रामायण एक ऐसा ग्रन्थ हैं जिसमें सभी रिश्तों की गहराई मर्यादा एवम सबसे अधिक वचन पालन का महत्व बताया हैं | इस प्रकार रामायण से जुडी कहानियाँ हमें उचित मार्गदर्शन करती हैं हमें रिश्तों की मर्यादा का भान कराती हैं | यह कहानियाँ आज के समय में संस्कारों का महत्व बताती हैं एवम व्यक्तित्व विकास में सहायक होती हैं | कई तरह की कहानियों का संग्रह किया गया हैं